कैंची धाम – नैनीताल (Kainchi Dham in Nainital)

शुक्रवार, 02 मार्च 2018

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यात्रा के पिछले लेख में हम नैनीताल का स्थानीय भ्रमण करने के बाद रानीखेत के लिए निकल चुके है, रानीखेत जाते हुए रास्ते में हम भूमियाधार भी गए, जहाँ बाबा नीम करोरी ने एक हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया था, मंदिर का मुख्य द्वार तो इस समय बंद था लेकिन बाहर से ही मुख्य भवन में स्थापित की हुई मूर्तियों के दर्शन हो रहे थे तो यहीं से हाथ जोड़कर हमने अपना आगे का सफ़र जारी रखा ! यहाँ से निकलकर भुवाली पहुंचे, जहाँ बाज़ार में गाड़ियों की लम्बी कतार से जाम लगा हुआ था ! कुछ देर बाद इस जाम से निकले तो हमारी गाडी ने कुछ रफ़्तार पकड़ी, इसी बीच मेरे मोबाइल की घंटी बजी ! फ़ोन उठाकर देखा तो ये शशांक था, कुछ देर की बातचीत के बाद पता चला कि शशांक और हितेश होली खेलने के बाद साथ ही बैठे थे ! मैं गाडी चला रहा था इसलिए बातचीत ज्यादा लम्बी नहीं चली, और उन दोनों को होली की बधाई देने के बाद मैंने फ़ोन रख दिया ! कैंची धाम जाने से पहले हम नैनीताल से रानीखेत जाने वाले मार्ग पर लगभग 20 किलोमीटर चलने के बाद दूर से ही हमें सड़क किनारे बाईं ओर एक मंदिर दिखाई दिया, नारंगी रंग का ये मंदिर काफी दूर से ही दिखाई देने लगता है ! 
कैंची धाम का एक दृश्य
थोडा आगे जाने पर सड़क किनारे स्थित इस मंदिर में जाने का प्रवेश द्वार भी बना है, और द्वार पर कैंची धाम की जानकारी भी दी गई है ! जब हम मंदिर के सामने पहुंचे तो वहां पहले से ही 2-3 गाड़ियाँ खड़ी थी, हमने भी एक खाली जगह देख कर अपनी गाडी खड़ी कर दी ! मुख्य प्रवेश द्वार से मंदिर तक जाने के लिए पक्का मार्ग बना है, प्रवेश द्वार पर बनी सीढ़ियों से नीचे उतरने के बाद ये मार्ग आगे जाकर एक बरसाती नाले को पार करता हुआ मंदिर के द्वितीय प्रवेश द्वार तक जाता है ! यहाँ सड़क किनारे कुछ मकान बने थे और खान-पान की दुकानें भी थी वैसे होली के कारण इनमें से अधिकतर दुकानें आज बंद ही थी ! कैंची धाम के पास बंदरों का खूब आतंक है, जो यहाँ आने वाले लोगों से सामान झपटने का कोई मौका नहीं छोड़ते, खासतौर पर बच्चो से तो जैसे इनका कोई पुराना बैर हो ! शौर्य अपना खिलौना लेकर चल रहा था जिसमें झाग वाला पानी भरा था और फूँक मारने पर इसमें से बुलबुले निकलते है, आज सुबह ही इसने ये खिलौना ठंडी सड़क से वापिस आते समय लिया था ! मंदिर जाते हुए भी वो अपने इस खिलोने से बुलबुले बना रहा था, बीच-2 में वो छोटे बंदरों को रिझा भी रहा था ! 

अपने बच्चों की खीझ मिटाने के लिए बड़े बन्दर शौर्य की ओर आँखे तरेर रहे थे, तो मैं भी उन बंदरों को दूर से ही डराने का भरसक प्रयास कर रहा था ! इस बीच एक बन्दर तो शौर्य पर लगभग झपट ही पड़ा, डांटकर मैंने उसे दूर भगाया, बन्दर के इस तरह झपटने से शौर्य काफी देर तक सहमा रहा ! मैंने उसे समझाया भी कि बंदरों को चिढाओ मत, वरना वो फिर से झपट सकते है ! इस बीच हम मंदिर के दूसरे प्रवेश द्वार से होते हुए मंदिर परिसर में दाखिल हो चुके थे ! यहाँ प्रवेश द्वार के पास बने जूता घर में हमने अपने जूते-चप्पल रखे और मुख्य भवन की ओर बढ़ गए ! मंदिर की दीवारों पर अंकित जानकारी के अनुसार यहाँ फोटो खींचने की मनाही थी, इसलिए अन्दर दाखिल होते ही हमने अपने-2 मोबाइल बंद करके रख लिए !

भूमियाधार में स्थित हनुमान जी का मंदिर 

हनुमान मंदिर के अन्दर का दृश्य

हनुमान मंदिर के अन्दर का दृश्य

मंदिर के अन्दर लगी घंटिया

मंदिर के बाहर की सड़क
भूमियाधार से कैंची धाम जाते हुए रास्ते में लिया एक चित्र
नैनीताल से कैंची धाम जाते हुए रास्ते में लिया एक चित्र
नैनीताल से कैंची धाम जाते हुए रास्ते में लिया एक चित्र

रास्ते में लिया एक अन्य चित्र

रास्ते से दिखाई देता कैंची धाम 

कैंची धाम के पास लिया एक चित्र
चलिए, जब तक हम मंदिर परिसर में घूम रहे है आपको इस स्थान के बारे में थोडा विस्तृत जानकारी दे देता हूँ ! समुद्रतल से 1400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित कैंची धाम के नाम का रहस्य इसकी भौगोलिक स्थिति में ही छुपा है ! दरअसल, नैनीताल से रानीखेत जाने वाले मार्ग पर इस मंदिर से थोडा पहले सड़क पर एक जगह कैंची की आकार के दो तीव्र मोड़ पड़ते है, स्थानीय लोग इसे कैंची मोड़ के नाम से जानते है ! इस मोड़ के पास वाला क़स्बा कैंची ग्राम है जबकि यहाँ से थोड़ी दूरी पर स्थित इस धार्मिक स्थल को कैंची धाम के नाम से जाना जाता है । विश्व भर में बाबा नीव करौरी महाराज के नाम से विख्यात इस मंदिर की स्थापना बाबा नीव करौरी ने की थी, जिन्हें कुछ लोग नीम करौली के नाम से भी पुकारते है ! नीम करौली बाबा का जन्म 1900 के आस-पास उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था ! मात्र 11 वर्ष की उम्र में विवाह हो जाने के कुछ समय बाद उन्होंने घर-बार छोड़ दिया और साधु बन गए ! हालांकि, बाद में उन्होंने कुछ समय गृहस्थ जीवन भी बिताया लेकिन इस दौरान भी उन्होंने खुद को सामाजिक कार्यों में व्यस्त रखा ! इस दौरान वो 3 बच्चों के पिता भी बने, लेकिन गृहस्थ जीवन उन्हें ज्यादा रमा नहीं और 1958 में उन्होंने फिर से गृह त्याग दिया !

कैंची धाम के पास लिया एक चित्र

कैंची धाम का बाहरी प्रवेश द्वार

kainchi dham
प्रवेश द्वार से दिखाई देता कैंची धाम

कैंची धाम के पास बहती एक बरसाती नदी 
घर त्यागने के बाद वो अलग-2 जगहों पर भ्रमण करते रहे, इस दौरान उन्हें हांडी वाला बाबा, लक्ष्मण दास और तिकोनिया बाबा जैसे नामों से नवाजा गया ! इस बीच बाबा ने गुजरात के बवानिया मोरबी में कुछ समय साधना की, जहाँ उन्हें तलैया वाला बाबा के नाम की उपाधि मिली ! वृन्दावन में उन्हें चमत्कारी बाबा के नाम से पहचान मिली तो नैनीताल में उन्हें नीम करौली बाबा के नाम से जाना गया ! बाबा नीम करौली हनुमान जी के परम भक्त थे, इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि अपने जीवन काल में उन्होंने देश-विदेश में कुल 100 से भी अधिक मंदिर बनवाए ! 1962 में कैंची धाम की स्थापना दो स्थानीय साधुओं प्रेमी बाबा और सोमवारी महाराज के यज्ञ हेतु की गई थी तब यहाँ एक चबूतरा बनवाकर हवन किया गया था, फिर कुछ समय बाद यहाँ हनुमान मंदिर की स्थापना भी की गई ! आश्रम की स्थापना की वर्षगाँठ के अवसर पर हर साल यहाँ 15 जून को एक भव्य मेले और भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें देश-विदेश से लाखों लोग हिस्सा लेते है !
मंदिर से दिखाई देता बाहरी प्रवेश द्वार

भीतरी प्रवेश द्वार का एक दृश्य 
नीम करौली बाबा को अन्तराष्ट्रीय पहचान 60 के दशक में ही मिली जब एक अमेरिकी भक्त ने अपनी किताब में बाबा का उल्लेख किया, इसके बाद तो पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन करने आने लगे ! कैंची धाम में भी बाबा ने सबसे पहले हनुमान जी का मंदिर बनवाया, और फिर मंदिर परिसर में ही अपना आश्रम बनाकर प्रभु भक्ति में ध्यान लगाने लगे ! बाबा नीम करौली के बारे में कई किवदंतिया है जिनके अनुसार अपने समय में बाबा ने कई चमत्कार किए, जिससे उनके प्रति लोगों की आस्था बढती गई ! ऐसी ही एक किवदंती के अनुसार एक बार कैंची धाम में आयोजित भंडारे में घी की कमी पड़ गई थी तब बाबा के आदेश पर वहां मंदिर के बाहर बहती नदी से पानी भरवाकर लाया गया, प्रसाद में मिलाते ही ये पानी घी में परिवर्तित हो गया ! हालांकि, मुझे इस बात में शंका है लेकिन जो लोगो की मान्यता है वो मैंने आपको बता दी ! अपने जीवन के आखिरी समय में बाबा वृन्दावन चले गए और वहीँ 10 सितम्बर 1973 को उन्होंने अपने प्राण त्यागे, बाबा की स्मृति में वृन्दावन में जयपुर मंदिर से आधा किलोमीटर की दूरी पर एक समाधि स्थल बनाया गया है ! समय बीतने के साथ ही बाबा के अनुयाईयो ने कैंची धाम का विस्तार किया और मंदिर परिसर में छोटे-बड़े कई मंदिरों का निर्माण करवाया !
मंदिर में दर्शन सम्बंधित जानकारी देता एक बोर्ड

मंदिर में आने वाले भक्तो के लिए दिशा निर्देश
इन मंदिरों में माँ दुर्गा, राधा कृष्ण, और सीता-राम के मंदिर मुख्य है इसके अलावा मंदिर परिसर के बीचों-बीच बाबा की याद में भी एक भव्य मंदिर बनवाया गया है ! बातों ही बातों में हम अपने लेख से भटककर काफी आगे चले गए है, चलिए, वापिस अपनी यात्रा पर लौटते है जहाँ हम धीरे-2 आगे बढ़ते हुए परिसर में बने सभी छोटे-बड़े मंदिरों के दर्शन कर चुके है ! लोगों की मान्यता है कि यहाँ आकर लोगों की मनचाही मुरादें पूरी हो जाती है इसलिए यहाँ दर्शन करने के लिए लोग देश-विदेश से आते है ! प्रसाद लेकर हम मंदिर परिसर से बाहर जाने वाले मार्ग पर बढ़ रहे है, अब यहाँ से वापिस जाने का समय हो गया है आज हमें अभी काफी लम्बा सफ़र तय करना है ! अगले कुछ ही पलों में हम अपनी गाडी में सवार होकर फिर से रानीखेत के लिए निकल चुके है, तो आज के इस लेख में फिल्हाल इतना ही, जल्द ही अगले लेख में आपसे मुलाकात होगी !

क्यों जाएँ (Why to go Nainital): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो नैनीताल आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! इसके अलावा अगर आप झीलों में नौकायान का आनंद लेना चाहते है या हिमालय की ऊँची-2 चोटियों के दर्शन करना चाहते है तो भी नैनीताल का रुख़ कर सकते है ! 

कब जाएँ (Best time to go Nainital): आप नैनीताल साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में नैनीताल का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है !

कैसे जाएँ (How to reach Nainital): दिल्ली से नैनीताल की दूरी महज 315 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 6-7 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से नैनीताल जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-रुद्रपुर-हल्द्वानि होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप नैनीताल ट्रेन से भी जा सकते है, नैनीताल जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा है ! काठगोदाम से नैनीताल महज 23 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !

कहाँ रुके (Where to stay near Nainital): नैनीताल उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! नौकूचियाताल झील के किनारे क्लब महिंद्रा का शानदार होटल भी है ! 

क्या देखें (Places to see near Nainital): नैनीताल में घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है नैनी झील, नौकूचियाताल, भीमताल, सातताल, खुरपा ताल, नैना देवी का मंदिर, चिड़ियाघर, नैना पीक, कैंची धाम, टिफिन टॉप, नैनीताल रोपवे, माल रोड, और ईको केव यहाँ की प्रसिद्ध जगहें है ! इसके अलावा आप नैनीताल से 45 किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर का रुख़ भी कर सकते है !


नैनीताल-रानीखेत यात्रा
  1. कालाढूंगी का कॉर्बेट वाटर फाल (Corbett Water Fall in Kaladungi)
  2. खुर्पाताल होते हुए नैनीताल – (Kaladungi to Nainital via Khurpatal)
  3. नैनीताल में स्थानीय भ्रमण (Sight Seen in Nainital)
  4. कैंची धाम – नैनीताल Kainchi Dham in Nainital
  5. झूला देवी मंदिर, रानीखेत (Jhula Devi Temple of Ranikhet)
  6. रानीखेत का टूरिस्ट रेस्ट हाउस (Tourist Rest House, Ranikhet)
  7. रानीखेत का कुमाऊँ रेजीमेंट (History of Kumaon Regiment, Ranikhet)
  8. रानीखेत में स्थानीय भ्रमण (Local Sight Seen in Ranikhet)
  9. अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर (Katarmal Sun Temple, Almora)
  10. रानीखेत का हेड़खान मंदिर (Hedakhan Temple of Ranikhet)
  11. रानीखेत से वापसी का सफर (Road Trip from Ranikhet to Delhi)
  12. रामनगर का जिम कॉर्बेट संग्रहालय (A Visit to Corbett Museum)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

10 Comments

  1. आपका लेख मुझे बहुत पसंद आया और आपकी फोटोस से मन प्रसन्न हो गया आपका यह लेख वाकई काबिल-ऐ-तारीफ है। मैंने अभी हाल ही में एक ब्लॉग आर्टिकल देखा है, आप भी इसे जरूर देखें https://nainitaltalks.com/nainital-zoo/

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    1. उत्साहवर्धन के लिए आपका दिल से आभार !

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  2. AAP APNE YATRA VRITANT ME RESTAURENT KA NAAM KE SATH VAHAN KE KHANE KI QUALITY V TASTE KA JIKR KIYA KRO TAKI ANYA TOURISTO KO APKE ANIBHAV SE FAYDA MIL SAKE..

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    1. जी धन्यवाद ! आगे से अपने लेखों में ये जानकारी भी साझा करूंगा !

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  3. बहुत ही शानदार लेख और फोटोग्राफ्स। बाबा नीम करौली का आदेश हुआ तो उनके दर्शन करने का हमें भी सौभाग्य प्राप्त होगा। जय गुरुदेव बाबा नीम करौली महाराज की। सादर प्रणाम।
    लेखक महोदय को हृदय की गहराइयों से प्रणाम और धन्यवाद।।

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    1. जी बिल्कुल, मन में इच्छा है तो बाबा नीम करौली के दर्शन का लाभ जल्द ही प्राप्त होगा आपको !

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  4. Bahut sundar neem karoli baba ji jaldi hi kaichee dham bulayenge baba ki ❤️❤️❤️❤️❤️❤️ jai charan sparsh baba

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    1. बिल्कुल, जरूर जाइए और दर्शन कीजिए बाबा नीम करौली के !

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  5. बाबा के आश्रम में रूकने के लिए कोई अपना रेफरेंस दे सकता है

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    1. आप आश्रम में जाकर बात कर लीजिए, रेफरेंस की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

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