पलवल शहर का परिचय (History of Palwal City)

अगस्त 15, 2021

बहुत दिनों से सोच रहा था कि अपने शहर पलवल के बारे में कुछ लिखा जाए, मैं जहां भी घूमने जाता हूँ वहाँ के बारे में अक्सर लिखता रहता हूँ लेकिन कभी सोचा ही नहीं कि अपने शहर के बारे में भी कुछ लिखूँ ! मगर किसी ने सही कहा है “जब जागों तभी सवेरा”, ऐसे ही एक दिन बैठे हुए मन में विचार आया कि जहां मैं 2-4 दिन के लिए घूमने जाता हूँ वहाँ के बारे में लिख सकता हूँ तो ये शहर तो मेरी जन्मभूमि है, मेरे जीवन का अधिकतर समय यहीं बीता है, इसके बारे में तो जरूर लिखना चाहिए ! इस शहर ने अपनी परतों में बहुत कुछ समेट रखा है, मैं धीरे-2 इन परतों को हटाकर आपको इस शहर के हर पहलू से रूबरू करवाऊँगा ! वैसे देखा जाए तो हर शहर की कुछ खासियत होती है, कुछ ऐतिहासिक धरोहरें, प्रसिद्ध मंदिर, अन्य दर्शनीय स्थल और वहाँ का मशहूर खान-पान भी होता है लेकिन कुछ बिरले लोग ही होते है जो अपने शहर की सुंदरता को देख पाते है ! इसी तरह पलवल में भी घूमने-फिरने की कई जगहें है, हम बारी-2 से इन सभी जगहों को देखेंगे, लेकिन सबसे पहले इस शहर से आपका परिचय करवा देता हूँ ताकि जब आप मेरे साथ यात्रा करें तो किसी अनजान मुसाफिर की तरह ना घूमकर एक अपनेपन के साथ इस यात्रा का आनंद ले ! आगे बढ़ने से पहले आपको बता दूँ कि अगर आपकी दिलचस्पी इस शहर का इतिहास जानने में नहीं है तो ये लेख आपके लिए नहीं है ! चलिए फिर शुरू करते है, दिल्ली से महज 60 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित पलवल, हरियाणा के अंतिम छोर पर बसा है, जो दो तरफ से उत्तर प्रदेश की सीमाओं से सटा है !

पलवल रेलवे स्टेशन का एक दृश्य

इस शहर के उत्तर में फरीदाबाद है तो इसके पश्चिम में गुड़गाँव और मेवात की सीमाएं लगती है, इसी तरह दक्षिण में मथुरा और पूर्व में अलीगढ़ और गौतमबुद्ध नगर की सीमाएं लगती है ! कहते है महाभारत काल में यहाँ पलवासुर नाम का एक राक्षस रहता था, उसी के नाम पर इस शहर का नाम पलवल पड़ा ! भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम ने पलवासुर का वध करके इस क्षेत्र को उसके भय से मुक्त किया था इसलिए आज भी बलराम जी के सम्मान में यहाँ हर साल बलदेव छठ का मेला आयोजित किया जाता है ! बलराम जी को समर्पित पलवल में एक मंदिर भी है जिसे दाऊजी मंदिर के नाम से जाना जाता है, इसी तरह दाऊजी का एक प्राचीन मंदिर होडल में भी है ! ब्रिटिश राज में पलवल पंजाब प्रांत का एक हिस्सा हुआ करता था और तब ये क्षेत्र गुड़गाँव जिले के अंतर्गत आता था, लेकिन आजादी के बाद 15 अगस्त 1979 को जब फरीदाबाद जिले का निर्माण हुआ तो पलवल इसकी एक तहसील बना और अंतत 15 अगस्त 2008 को पलवल हरियाणा का 21वां जिला बना ! ये हरियाणा का एकमात्र जिला है जो बृज क्षेत्र के अंतर्गत आता है, और जिसका प्रभाव यहाँ के रहन-सहन और बोली में भी साफ दिखाई देता है ! लगभग 69% की साक्षरता दर वाले इस शहर का कुल क्षेत्रफल 1359 वर्ग किलोमीटर है, पलवल में 3 तहसीलें है जिनके अंतर्गत 280 गाँव आते है !

2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ की कुल आबादी 1042708 थी जिसमें 79% हिन्दू और 20% मुस्लिम लोग थे, 1% आबादी में अन्य जातियों के लोग है ! यहाँ की कुल आबादी में 53% पुरुष है जबकि 47% महिलाएं है, जिले में पुरुषों की साक्षरता दर 83% है जबकि महिलाओं की साक्षरता दर घटकर 54% रह जाती है ! 767 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के जनसंख्या घनत्व वाले इस शहर में लिंगानुपात एक विकट समस्या है क्योंकि यहाँ हर 1000 पुरुषों पर केवल 880 महिलाएं है ! चलिए, इन तथ्यों से आगे बढ़कर अब कुछ अन्य पहलुओं पर भी नजर डाल लेते है, बात अगर देश की आजादी की करें तो उसमें यहाँ के लोगों का अहम योगदान रहा है ! यहाँ के लोगों ने हर आंदोलन और लड़ाई में बढ़-चढ़कर भाग लिया, फिर चाहे वो सत्यागृह आंदोलन हो या 1857 की क्रांति, इसका जिक्र कई ऐतिहासिक लेखों में भी किया गया है ! इन आंदोलनों के अलावा इस शहर का अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी से भी गहरा नाता रहा है क्योंकि उनकी पहली राजनीतिक गिरफ़्तारी पलवल रेलवे स्टेशन पर ही हुई थी, जिसकी विस्तृत जानकारी मैं पलवल भ्रमण के दौरान किसी दूसरे लेख में करूंगा ! फिलहाल आगे बढ़ते है, आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस से लेकर भारत के कई प्रधानमंत्रियों ने अलग-2 समय पर इस शहर की यात्राएं की है, इंदिरा गांधी तो यहाँ 3 बार आई है, बहुत कम समय के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर ने भी यहाँ का दौरा किया था !

पलवल का रेल आरक्षण कार्यालय 

पलवल रेलवे स्टेशन पर बना गांधीजी को समर्पित उद्यान

रेलवे स्टेशन पर बने उद्यान का एक दृश्य

पलवल रेलवे स्टेशन का एक दृश्य

रेलवे स्टेशन पर बना पैदल पुल

पलवल रेलवे स्टेशन का एक और नजारा

इसके अलावा भारत की विदेश मंत्री रही सुषमा स्वराज के बचपन के कुछ वर्ष पलवल में ही बीते थे, कई अन्य राजनेताओं का जुड़ाव भी पलवल से रहा है ! अपने समय के मशहूर अभिनेता रहे सुनील दत्त मुंबई से अमृतसर की पद यात्रा के दौरान पलवल में कुछ समय के लिए रुककर यहाँ की जनता से मिले थे ! चलिए, आगे बढ़ते है अगर यातायात की बात करें तो पलवल शहर रेलमार्ग और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है, यहाँ का बस अड्डा काफी बड़े क्षेत्र में फैला है जहां से रोजाना देश के अलग-2 शहरों में जाने के लिए बसें चलती है, बाहर से भी यहाँ रोजाना सैकड़ों बसें आती है ! दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग के अलावा यहाँ 2 एक्स्प्रेस-वे भी है, ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल एक्स्प्रेस-वे, ये दोनों एक्स्प्रेस-वे पलवल से ही शुरू होते है ! 270 किलोमीटर लंबा ये एक्स्प्रेस-वे पश्चिम में सोहना, मानेसर, बादली, बहादुरगढ़ से होता हुआ सोनीपत के पास जाकर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्स्प्रेस-वे में मिल जाता है, जो पूर्व में बागपत, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और फरीदाबाद होते हुए वापिस पलवल में आकर खत्म होता है ! अगर रेलमार्ग की बात करें तो पलवल का रेलवे स्टेशन भी काफी बड़ा है यहाँ 10 प्लेटफार्म है जिनपर दिनभर सैकड़ों गाड़ियों का आवागमन होता है ! लंबी दूरी की कई गाड़ियां यहाँ रुकती है जबकि दिल्ली, गाजियाबाद, शकूरबस्ती और मथुरा के लिए लोकल ट्रेनें तो यहाँ से बनकर चलती है ! 

पलवल में निर्माणाधीन फ्लाइओवर

पलवल में राष्ट्रीय राजमार्ग का एक दृश्य

पलवल में कुंडली मानेसर एक्सप्रेसवे का एक दृश्य

पलवल से बाहर आने-जाने का सबसे सस्ता और टिकाऊ साधन रेलमार्ग ही है लेकिन यहाँ के लोग बसों और निजी वाहनों का भी खूब प्रयोग करते है ! वर्तमान में यहाँ एक ऑर्बिटल रेल कोरिडोर परियोजना पर भी तेजी से काम चल रहा है, जो 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा ! 121 किलोमीटर लंबा ये रेलमार्ग पलवल से शुरू होकर सोहना, मानेसर, सुल्तानपुर, बहादुरगढ़ होता हुआ सोनीपत में जाकर खत्म होगा, जिससे हरियाणा के दूसरे शहरों में पलवल से जाना आसान हो जाएगा ! बात अगर आजीविका की करें तो यहाँ की एक बहुत बड़ी आबादी कामकाज के लिए फरीदाबाद, गुड़गाँव, दिल्ली और नोएडा पर निर्भर है, जबकि ग्रामीण जनता अपनी आजीविका के लिए पशुपालन और कृषि पर निर्भर है, गेंहू और धान यहाँ उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें है ! बच्चों की शिक्षा के लिए यहाँ छोटे-बड़े हर तरह के विद्यालय है, सरकारी शिक्षा केंद्रों के अलावा यहाँ निजी विद्यालय भी काफी संख्या में है ! तकनीकी शिक्षा के लिए कभी पड़ोसी जिलों पर निर्भर रहने वाला ये शहर आज खुद तकनीकी शिक्षण संस्थान का गढ़ है, वर्तमान में यहाँ कई इंजीनियरिंग कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान है, जहां पढ़ने के लिए आस-पास के क्षेत्रों से भी युवा आते है ! इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यहाँ सरकारी और निजी छोटे-बड़े कई अस्पताल है, लेकिन किसी बड़े इलाज के लिए आज भी यहाँ के लोगों को फरीदाबाद और दिल्ली का रुख करना पड़ता है !

पलवल के खेतों में लहलहाते गेंहू

पलवल के खेतों में धान की फसल 

पलवल का प्राचीन जंगेश्वर मंदिर

जंगेश्वर मंदिर के अंदर का दृश्य

पलवल का प्राचीन दाऊजी मंदिर

पलवल का खाटू श्याम मंदिर

खाटू श्याम मंदिर के अंदर का दृश्य

खाटू श्याम मंदिर से दिखाई देता पंचवटी मंदिर

पंचवटी मंदिर में स्थापित शिव प्रतिमा
शहर के पूर्वी छोर पर मुख्य शहर से 16 किलोमीटर दूर यमुना नदी है जो हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है, नदी यहाँ उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है, यमुना से यहाँ कई सहायक नहर-नाले निकले है जो ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई का मुख्य साधन है ! बात यहाँ के दर्शनीय स्थलों की करें तो पलवल में घूमने-फिरने की भी कई जगहें है जिसमें पंचवटी मंदिर, जंगेश्वर मंदिर, दाऊजी मंदिर, गांधी आश्रम, स्थानीय बाजार, चर्च, ओमेक्स सिटी और होडल का डबचिक प्रमुख है ! मैं आपको बारी-2 से यहाँ की सभी प्रमुख जगहों की सैर करवाऊँगा, वैसे तो मैं यहाँ की अधिकतर जगहों पर घूम ही चुका हूँ लेकिन अब आपको घुमाने के लिए मैं फिर से इन जगहों पर बारी-2 से जा रहा हूँ ताकि उपयुक्त जानकारी के साथ नए छायाचित्र भी आपके लिए ला सकूँ ! एक बात मैं आपको बताना चाहूँगा कि मैंने ये लेख पलवल को आधार बनाकर लिखा है इसलिए अगर इसके आस-पास के क्षेत्रों में कोई जगह छूट गई हो तो नीचे कमेन्ट बॉक्स में लिखकर मुझे सूचित करें ! मेरी कोशिश रहेगी कि यहाँ की अधिक से अधिक जगहों को अपने लेखों के माध्यम से आप लोगों तक ला सकूँ ! यात्रा के इस लेख पर फिलहाल यहीं विराम लगाते है, अगले लेख में आपको यहाँ के कुछ प्रसिद्ध स्थलों की सैर कराऊँगा !

पलवल का ओमेक्स पार्क

ओमेक्स सिटी में विज़्डम वैली स्कूल

पलवल में दिल्ली आगरा राजमार्ग

आगरा कैनाल के पास का एक दृश्य

पलवल का दशहरा मैदान

अगले भाग में जारी..

पलवल भ्रमण

  1. पलवल शहर का परिचय (History of Palwal City)
  2. करियाकी धाम पृथला (Kariyaki Dham Prithala)
  3. पलवल का प्राचीन जंगेश्वर और दाऊजी मंदिर (Jangeshwar and Dauji Temple, Palwal)

Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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