करियाकी धाम पृथला (Kariyaki Dham Prithala)

शनिवार, 17 जुलाई 2021

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यात्रा के इस लेख में मैं आपको पृथला-सहराला मार्ग पर स्थित नरसिंह धाम की सैर करवाऊँगा, स्थानीय लोग इसे करियाकी धाम के नाम से भी जानते है ! फरीदाबाद से महज 22 किलोमीटर दूर ये धाम राष्ट्रीय राजमार्ग से महज 2 किलोमीटर दूर है, मंदिर तक जाने का पक्का मार्ग बना है, जिसकी हालत बीच-2 में थोड़ी खराब है लेकिन गाड़ी से मंदिर तक आराम से जाया जा सकता है ! दिल्ली मथुरा राजमार्ग पर फरीदाबाद से पलवल आते हुए बीच रास्ते में एक गाँव आता है पृथला, यहीं से करियाकी धाम जाने का रास्ता निकलता है ! पलवल से आने पर इस स्थान की दूरी महज 13 किलोमीटर है, पृथला-सहराला मार्ग पर छपरोला गाँव के पास स्थित ये मंदिर आस-पास के लोगों में काफी लोकप्रिय है ! मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसका निर्माण बाबा नरसिंह ने किया था जो यहाँ करीब 250 साल पहले आए थे ! उस समय यहाँ घने जंगल हुआ करते थे, बाबा ने यहाँ लंबे समय तक कठोर तप किया, शुरुआत में उन्होनें यहाँ लकड़ी का एक छोटा मंदिर बनवाया, लेकिन समय बीतने के साथ मंदिर परिसर में छोटे-2 कई मंदिरों का निर्माण हुआ ! वर्तमान में यहाँ शनिदेव, हनुमान जी, और शिवलिंग के अलावा कुछ अन्य देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित है ! बाबा नरसिंह के नाम पर ही इस धाम का नाम पड़ा, लेकिन बाद में इसे करियाकी धाम के नाम से भी जाना जाने लगा ! इस धाम के बारे में कई कथाएं प्रचलित है ऐसी ही एक कथा के अनुसार मंदिर परिसर और इसके आस-पास के जंगल से कोई लकड़ी लेकर घर नहीं जाता, ऐसा करने वाले को व्यक्तिगत रूप से या परिवार में जान-माल की हानि होती है !

panchmukhi shivling
करियाकी धाम पृथला में पंचमुखी शिवलिंग

इस लकड़ी को निजी प्रयोग में लाने पर या बाजार में बेचने पर नुकसान होना तय है, लेकिन अगर इस लकड़ी का प्रयोग मंदिर में होने वाले आयोजनों में किया जाता है तो कोई परेशानी नहीं होती ! स्थानीय लोगों के पास इन कथाओं को प्रमाणित करके के लिए कई किस्से है ! लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि इस जंगल में बाबा नरसिंह का वरदान है कि जंगल की लकड़ी केवल यहाँ मंदिर में ही प्रयोग में लाई जा सकती है ! अब इन कथाओं में कितनी सच्चाई है ये तो भगवान ही जाने, लेकिन मंदिर परिसर में इस तरह की किसी भी घटना का जिक्र नहीं मिलता ! मेरा इस मंदिर पर जाने का विचार तब से था जब मुझे पहली बार इस मंदिर के बारे में जानकारी मिली थी ! हुआ कुछ यूं कि एक बार पृथला से निकलते जाम में फंसा हुआ था तभी इस मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर मैंने कारियाकी धाम का बोर्ड लगा देखा, बोर्ड पर कुछ चित्र भी बनाए गए थे जिससे मेरा ध्यान इस ओर गया ! मैं पृथला से होकर काफी समय से फरीदाबाद के लिए निकलता रहा हूँ लेकिन पहले कभी इस ओर ध्यान ही नहीं गया ! वैसे ये बोर्ड भी नया ही लगा है जो इस गाँव से थोड़ी दूर स्थित एक निजी पेट्रोल पंप की ओर से भेंट स्वरूप यहाँ लगवाया गया है ! तो इस धाम को देखने की इच्छा काफी समय से मन में थी, लेकिन यहाँ जाने का मौका कभी नहीं मिला !

मेरा इस यात्रा पर जाने का संयोग अचानक ही बना, हुआ कुछ हूँ कि एक शनिवार को घर पर बैठा मैं किसी काम में व्यस्त था कि तभी इस स्थान के बारे में याद आया ! वैसे इस स्थान पर जाने के लिए सोच तो सुबह ही लिया था लेकिन भयंकर गर्मी के कारण सुबह जा नहीं सका, दोपहर बाद जब मौसम थोड़ा ठंडा हुआ तो मैं अपनी गाड़ी लेकर करियाकी धाम की ओर चल दिया ! फरीदाबाद स्थित मेरे घर से इस धाम की दूरी महज 16 किलोमीटर है, घर से चला तो शाम के 4 बज रहे थे, थोड़ी दूर चलते ही मैं फरीदाबाद बाइपास रोड पर पहुँच गया ! 6-7 किलोमीटर चलने के बाद कैल गाँव में आकर ये बाइपास दिल्ली-मथुरा राजमार्ग में मिल गया, थोड़ा आगे बढ़ने पर सीकरी पहुँचा, यहाँ खाली मार्ग मिला ! फ्लाइओवर बनने से सीकरी में काफी राहत हो गई है वरना पिछले साल जब फ्लाइओवर का निर्माण कार्य चल रहा था तो यहाँ इतना भयंकर जाम लगता था कि कभी-2 इस जाम से निकालने में ही घंटों लग जाते थे ! फ्लाइओवर से उतरते ही कुछ दूर चलने पर टोल प्लाज़ा का बोर्ड दिखाई दिया, आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि यहाँ इस राजमार्ग पर गदपुरी में एक नया टोल प्लाज़ा बन रहा है जिसका निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही इसे चालू भी कर दिया जाएगा ! खैर, अभी ये चालू नहीं था तो मुझे कुछ शुल्क नहीं देना पड़ा, टोल प्लाज़ा पार करते ही कुछ दूर चलने पर सड़क के ऊपर से निकल रहा रेलवे पुल दिखाई दिया !

sector 64 road faridabad
घर से निकलते समय लिया एक चित्र

unchagaon road
सेक्टर 62-65 के बीच से निकलता हुआ मार्ग

sector 62 road
सेक्टर 62 से बाइपास जाते हुए

फरीदाबाद बाइपास मार्ग पर लिया एक चित्र

gadpuri toll plaza
गदपुरी में बन रहा नया टोल प्लाज़ा

orbital rail corridor prithla
ऑर्बिटल रेल कोरिडोर रेलवे लाइन

यहाँ हरियाणा ऑर्बिटल रेल कोरिडोर परियोजना के तहत एक नई रेलवे लाइन बिछाने का काम चल रहा है जो असावती से शुरू होकर सोनीपत के पास हरसाना कला तक जाएगी, इससे हरियाणा के कई जिलों के लोगों को लाभ मिलेगा ! वर्तमान में चंडीगढ़ या उत्तर भारत के अन्य राज्यों जैसे पंजाब, हिमाचल प्रदेश, या जम्मू और कश्मीर के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए लोगों को दिल्ली होकर ही जाना पड़ता है लेकिन इस ऑर्बिटल रेल कोरिडोर परियोजना के चालू हो जाने से पश्चिमी हरियाणा के लोगों को दिल्ली जाने की आवश्यकता नहीं होगी ! हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों से रेलवे लाइन आकर इस नए रेल कोरिडोर से जुड़ जाएगी, और बिना दिल्ली गए भी लोग अपने गंतव्य की ओर जा सकेंगे ! 122 किलोमीटर इस रेलमार्ग को पूरा करने के लिए 3 साल का लक्ष्य रखा गया है जिसे 2023 के अंत तक बनाकर तैयार किया जाना है ! देखिए, मैं भी नरसिंह धाम की यात्रा छोड़कर आपको कहाँ रेलवे कोरिडोर परियोजना दिखाने लगा, चलिए, वापिस यात्रा पर लौटते, जहां मैं इस रेलवे पुल के नीचे से निकलकर कुछ ही देर में पृथला पहुँच गया ! यहाँ भी एक फ्लाइओवर बनकर तैयार हो चुका है जिससे इस गाँव के आस-पास बने औद्योगिक क्षेत्र से लगने वाले जाम से काफी राहत मिल गई है ! लेकिन हमें इस पुल पर नहीं चढ़ना बल्कि पुल पर चढ़ने से पहले ही दाईं ओर जा रहे एक रास्ते पर मुड़ना है ! ये पृथला सहराला मार्ग है इसी मार्ग पर 2 किलोमीटर चलने के बाद छपरोला गाँव में ये नरसिंह धाम स्थित है !

prithla
गदपुरी से पृथला के बीच में कहीं

way to kariyaki dham
करियाकी धाम जाने का मार्ग

prithala sehrala road
गाँव के बीच से निकलता मार्ग

sehrala road
सहराला गाँव के पास लिया एक चित्र 
मंदिर पहुंचा तो साढ़े चार बज रहे थे, मैं गाड़ी से उतरकर मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर चल दिया, मुख्य मार्ग से मंदिर तक जाने का पक्का मार्ग बना है, और गाड़ी खड़ी करने के लिए मंदिर के बाहर पार्किंग की व्यवस्था की गई है ! पार्किंग स्थल के पास एक तालाब भी बना है जिसमें स्थानीय लोग और यहाँ आने वाले श्रद्धालु स्नान करते है, हालांकि, तालाब का पानी ज्यादा साफ नहीं था ! मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने काफी पेड़-पौधे है, सड़क के दाईं ओर एक प्याऊ बना है और बाईं ओर एक कुआं है जिसे अब लोहे के जाल से बंद कर दिया है, वैसे ये बहुत गहरा है ! कुएं के बगल में छोटे-2 मंदिर बने है, जिनमें से दो मंदिरों में हनुमान जी की प्रतिमा रखी है जबकि तीसरे में एक योगी की प्रतिमा स्थापित है, ये शायद मंदिर के महंत होंगे, लेकिन यहाँ कोई जानकारी नहीं थी, इसलिए इस बात को लेकर मैं आश्वस्त नहीं हूँ ! थोड़ा आगे बढ़ने पर बाईं ओर एक द्वार है, यहाँ से निकलकर एक पक्का रास्ता तालाब के बीच में बने चबूतरे पर जाता है, इस चबूतरे पर एक गोलाई में 12 शिवलिंग स्थापित किए गए है जो भारतवर्ष के 12 ज्योतिलिंगों को दर्शाते है, जबकि चबूतरे के मध्य में एक पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है ! चबूतरे के चारों ओर रेलिंग लगी है ताकि कोई श्रद्धालु तालाब में ना गिर जाए, दोपहर के समय ये चबूतरा तप रहा था, फिलहाल तो यहाँ पैर रखना भी मुश्किल हो रहा था !

करियाकी धाम के सामने मार्ग पर लिया एक चित्र

kariyaki dham
सड़क से दिखाई देता करियाकी धाम

kariyaki dham
करियाकी धाम में बना कुंड

धाम का प्रवेश द्वार 

करियाकी धाम के बाहर बने छोटे मंदिर

छोटे मंदिरों में रखी प्रतिमा

मंदिर में रखी प्रतिमा

kariyaki dham entrance
धाम का मुख्य प्रवेश द्वार

kariyaki dham pond
प्रवेश द्वार के सामने से दिखाई देता कुंड में जाने का मार्ग 

pond in kariyaki dham
कुंड में जाने का मार्ग

panchmukhi shivling in prithla
पंचमुखी शिवलिंग

चबूतरे से तालाब के घाटों और इसके आस-पास फैली हरियाली का शानदार नजारा दिखाई देता है, इस समय कुछ लोग इस तालाब में स्नान कर रहे थे ! यहाँ से दाईं ओर थोड़ी दूरी पर एक अन्य तालाब भी दिखाई दिया, लेकिन उसका पानी इससे भी गंदा था और उसमें काई जमी हुई थी ! तालाब में बने चबूतरे पर कुछ समय बिताने के बाद मैं वापिस मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर पहुँचा, जहां प्रवेश द्वार के दोनों ओर शेर बने है ! मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही दाईं ओर शनिदेव का एक मंदिर बना है, जबकि बाईं ओर बरगद का एक विशाल पेड़ है ! शनिदेव का मंदिर एक चबूतरे पर है जहां जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी है, शनिदेव के इस मंदिर की इमारत को देखकर लगता है ये ज्यादा पुराना नहीं है ! थोड़ा आगे बढ़ने पर बाईं ओर मंदिर परिसर की एक इमारत को तोड़कर गिराया जा रहा था, शायद इसे नए सिरे से बनाया जाएगा ! थोड़ा और आगे बढ़ने पर एक बहुत बाद घंटा लगाया गया है, इस घंटे के सामने दो मंजिला एक अन्य मंदिर भी है, नीचे वाले तल में शिवलिंग स्थापित है जबकि ऊपर वाले मंदिर में कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं रखी गई है, मंदिर के कुछ महंतों के चित्र भी इस कक्ष में रखे गए है ! मैं बारी-2 से दोनों मंदिरों में दर्शन करने गया, प्रथम तल पर बने मंदिर के बाहर बिजली से चलने वाले ढोल और घंटों को रखा गया था, किसी खास आयोजन पर इस स्वचालित वाद्य यंत्र को प्रयोग में लाया जाता है ! तवे के आकार में बने हाथ से बजाए जाने वाले 3 घंटे भी यहाँ एक किनारे पर लटके हुए थे इनका प्रयोग सुबह-शाम आरती के समय किया जाता है ! 

replica of 12 jyotiling
कुंड में स्थापित 12 शिवलिंग जो भारतवर्ष के 12 ज्योतिलिंगों को दर्शाते  है

कुंड से बाहर जाने का मार्ग

मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थापित सिंह

मंदिर परिसर में बरगद का एक विशाल पेड़

प्रवेश द्वार से दिखाई देता मंदिर

मंदिर के निचले भाग में भी एक शिवलिंग स्थापित है

मंदिर परिसर में रखी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं

करियाकी धाम परिसर का एक दृश्य

मंदिर के एक भाग को तोड़ा जा रहा था

bada ghanta
मंदिर परिसर में लगा एक बड़ा घंटा

आरती के समय बजाई जाने वाली घंटियाँ

electronic dhol
एक बिजली चालित ढोल और घंटा

यहाँ दर्शन करके मैं नीचे उतरा और इसके बगल में स्थित एक अन्य कक्ष में गया, यहाँ राधा-कृष्ण, सीता-राम और एक अन्य देवी की प्रतिमाएं रखी थी ! बारी-2 से इन सभी भवनों में दर्शन करने के बाद मैं शनि देव के मंदिर की ओर चल दिया जो बाहरी प्रवेश द्वार के पास था, मंदिर परिसर में यहाँ रहने वाले पुजारियों और अन्य साधुओं के लिए कक्ष बने है, फिलहाल ये लोग मंदिर की साफ-सफाई और अन्य कार्यों में व्यस्त थे ! सीढ़ियों से होते हुए मैं शनि देव के मंदिर में पहुंचा, यहाँ 4 मुखी शनिदेव की प्रतिमा रखी गई है, मूर्ति के सामने कई दीप प्रज्वलित थे और एक थाली में प्रसाद भी रखा था ! शनिदेव की प्रतिमा के अलावा इस मंदिर को बनाने में भी काले पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है ! मूर्ति के चारों ओर रेलिंग लगी थी, शनिदेव को चढ़ाया गया तेल फर्श पर भी जगह-2 तेल बिखरा हुआ था इसलिए यहाँ काफी फिसलन थी ! यहाँ से मंदिर परिसर का शानदार दृश्य दिखाई देता है, मंदिर में छोटे-2 कुछ अन्य कक्ष भी थे, कुछ पर बंदरों ने कब्जा जमा रखा था तो कुछ खाली पड़े थे ! पूरे मंदिर परिसर में शनिदेव के इस मंदिर के अलावा बड़े घंटे के सामने वाले मंदिर के द्वार ही खुले थे जहां शिवलिंग स्थापित है, बाकि सभी  भवनों के द्वार बंद थे इसलिए बाहर से ही दर्शन करने पड़े ! आधा घंटा मंदिर परिसर में बिताने के बाद मैंने वापसी की राह पकड़ी, यहाँ से घर पहुँचने में मुझे ज्यादा समय नहीं लगा ! फिलहाल इस लेख पर यहीं विराम लगाता हूँ, जल्द ही किसी अन्य यात्रा पर आपसे फिर मुलाकात होगी !

 मंदिर परिसर में रखी एक मूर्ति

मंदिर परिसर से दिखाई देता प्रवेश द्वार

शनि देव मंदिर जाने के लिए बनी सीढ़ियाँ

मंदिर में स्थापित शनि देव की मूर्ति 

शनि देव के सामने प्रज्वलित जोत

शनि देव मंदिर से दिखाई देता परिसर

मंदिर के पीछे घने जंगल

प्रवेश द्वार से दिखाई देता मंदिर आने का मार्ग

मंदिर के बाहर बने कुछ अन्य मंदिर

मंदिर से बाहर आते हुए

करियाकी धाम से वापिस आते हुए

करियाकी धाम से वापिस आते हुए रास्ते में लिया एक चित्र

मार्ग से दिखाई देता राष्ट्रीय राजमार्ग
लेख समाप्त..  

Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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