कड़ाके की ठंड में शिमला का सफ़र (Beauty of Shimla in Winters)

शनिवार, 24 जनवरी 2015

एक और नए साल की शुरुआत थी, जनवरी माह के दो हफ्ते गुजर चुके थे, जब एक दिन मैं अपने दफ़्तर में बैठा शिमला जाने का विचार बना रहा था ! दरअसल, पिछले हफ्ते ही मेरे कुछ सहकर्मी शिमला की यात्रा करके लौटे थे, फ़ेसबुक पर उनके यात्रा चित्रों को देख कर मेरे मन में भी शिमला जाने की चुलबुलाहट होने लगी ! हालाँकि, ये पहले बार नहीं था जब शिमला जाने का विचार मेरे मन में आया हो, ये लगातार तीसरा वर्ष था जब मैं शिमला जाने की योजना बना रहा था, हर साल शिमला जाने की सोचता और फिर ये योजना धरी रह जाती ! एक बार 2011 में धनोल्टी यात्रा से लौटने के बाद ही मेरा शिमला जाने का विचार बना था, पर कुछ निजी कारणों से इस यात्रा पर जाना नहीं हो सका ! फिर दोबारा नवंबर 2014 में नैनीताल घूम कर आने के बाद शिमला जाने का खुमार मन में चढ़ा, कुछ दोस्तों विश्वदीपक और लोकेश ने दिसंबर में इस यात्रा पर मेरे साथ चलने के लिए हामी भी भरी थी, पर अंतिम समय में जब विश्वदीपक ने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए इस यात्रा पर जाने से मना कर दिया तो लोकेश ने भी परिवार संग लैंसडाउन जाने की योजना बना ली ! 
train to shimla
Himalyan Queen Express
तब मैं भी आनन-फानन में परिवार संग पहले तो मथुरा-वृंदावन और फिर बनारस यात्रा पर निकल गया ! अब बनारस से वापस आने के बाद जनवरी में एक बार फिर से मेरा शिमला जाने का विचार बनने लगा ! अपनी इस यात्रा में बार-2 बाधा पड़ जाने के कारण इस बार ज़्यादा मित्रों को अपनी इस यात्रा की जानकारी ही नहीं दी ! जनवरी में यहाँ उत्तर भारत के मैदानी इलाक़ों में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी, और उपर पहाड़ी क्षेत्रों में तो नियमित रूप से बर्फ़बारी की खबरें समाचार की सुर्खिया बनी हुई थी ! इस बर्फ़बारी का लुत्फ़ लेने के लिए रोजाना हज़ारों सैलानी पहाड़ी क्षेत्रों का रुख़ कर रहे थे ! इस साल शिमला में हो रही बर्फ़बारी की खबरें सुन कर मैने ठान लिया था कि चाहे 2 दिन के लिए ही सही, पर इस बार शिमला जाना ज़रूर है, और वैसे भी मुझे हिमाचल गए हुए भी काफ़ी समय हो गया था ! जनवरी के चौथे सप्ताह में इस यात्रा पर जाने का योग बनता दिख रहा था, इसकी भी एक वजह थी, शनिवार-रविवार को तो मेरा साप्ताहिक अवकाश होता ही है, और इस वर्ष गणतंत्र दिवस सोमवार को होने के कारण लगातार 3 दिन अवकाश के मिल रहे थे ! 

मैने सोचा शुक्रवार रात या शनिवार सुबह यहाँ से चलकर सोमवार की रात तक शिमला घूम कर वापस आ जाएँगे ! हितेश से पूछने पर उसने इस यात्रा पर मेरे साथ चलने के लिए अपनी स्वीकृति दे दी ! शुक्रवार शाम को दफ़्तर से आने के बाद मैने इस यात्रा पर ले जाने का सारा सामान एक बैग में रख लिया ! योजना के अनुसार हम लोग पलवल से दिल्ली तक बस से जाने वाले थे और फिर दिल्ली से हिमालयन क्वीन पकड़ने का विचार था ! पर हिमालयन क्वीन तो दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन से सुबह 6 बजे चलती है, और पलवल से आकर सुबह 6 बजे इस ट्रेन को पकड़ना भी अपने आप में ही एक चुनौती है ! फिर एक विचार ये भी बना कि दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाली किसी भी ट्रेन में बैठकर हिमालयन क्वीन को अंबाला रेलवे स्टेशन से पकड़ लेंगे ! पर भय था कि कहीं दोनों ट्रेनें अंबाला अलग-2 समय पर पहुँची तो दिक्कत बढ़ जाएगी ! काफ़ी जोड़-भाग करने के बाद भी जब कुछ हल नहीं निकला तो ये सोच कर इस पहेली को ख़त्म किया कि सीधे बस से ही चंडीगढ़ चला जाए और फिर वहाँ से शिमला जाने की बस पकड़ ली जाए ! 

अगली सुबह यानि शनिवार, 24 जनवरी को हम दोनों नित्य-क्रम से निवृत होने के बाद तैयार होकर अपने-2 घर से बस स्टैंड की ओर चल दिए ! यहाँ से सुबह 4 बजे चंडीगढ़ जाने की बस जाती है, हालाँकि, यहाँ से बस का चलने का समय तो सुबह 4 बजे का था पर इस यात्रा से उत्साहित हम दोनों 4 बजे से भी 10 मिनट पहले ही पलवल बस अड्डे पर पहुँच गए ! ये बस हसनपुर से आती है, और रेलवे फाटक बंद होने के कारण कभी-2 लेट भी हो जाती है ! इस बस का इंतज़ार करते-2 जब 4 बजे से भी 10 मिनट उपर हो गए तो थोड़ी चिंता होने लगी ! इतने में ही पलवल बस अड्डे के अंदर से एक चंडीगढ़ जाने की बस निकल आई ! जितनी सवारियाँ यहाँ चंडीगढ़ जाने के लिए खड़ी थी सब इस बस में चढ़ गई, हमारी कौन सी रिज़र्वेशन थी, हम भी बिना देरी किए झट से इसी बस में चढ़ गए ! बस यहाँ ज़्यादा देर नहीं रुकी और सभी लोगों के बस में चढ़ते ही यहाँ से चल दी ! पलवल से चलते समय तो इस बस में ज़्यादा भीड़ नहीं थी, पर फरीदाबाद पहुँचते-2 बस की सभी सीटें भर चुकी थी और कुछ सवारी तो अब खड़ी भी थी ! 

बस में बैठे-2 हम दोनों दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाली विभिन्न ट्रेनों की भी जानकारी इंटरनेट के माध्यम से ले रहे थे ! वहीं हितेश के कुछ मित्र भी इस यात्रा पर सोनीपत से आ रहे थे जो हमें पानीपत मिलने वाले थे, नई दिल्ली बस अड्डे पर पहुँच कर हम इस बस से उतर गए ! यहाँ उतरकर हम थोड़ा असमंजस में थे, कि आगे का सफ़र ट्रेन से किया जाए या बस से ! दरअसल, हिमालयन क्वीन का पानीपत रेलवे स्टेशन पहुँचने का समय सुबह 7:20 का है और ये ट्रेन यहाँ लगभग 20 मिनट रुकती है, जहाँ दूसरे मार्ग से आने वाली एक और ट्रेन हिमालयन क्वीन में जुड़कर कालका तक जाती है ! कड़ाके की ठंड के साथ आज तो घना कोहरा भी था, और इंटरनेट पर मिल रही जानकारी के अनुसार ट्रेन 15 मिनट की देरी से चल रही थी ! इसलिए इस ट्रेन का हमें पानीपत में मिलने का आसार लग रहा था, काफ़ी माथापच्ची के बाद आख़िर में हमने पानीपत तक बस से चलने पर सहमति दिखाई, और फिर से एक चंडीगढ़ जाने वाली बस में सवार हो गए ! 

थोड़ी देर में ही बस चल दी, और हम पानीपत का टिकट लेकर भगवान से प्रार्थना करने लगे कि काश हमें ये ट्रेन पानीपत में मिल जाए ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि हिमालयन क्वीन दो तरफ से आती है, इस ट्रेन का एक हिस्सा तो दिल्ली सराय रोहिल्ला से चलता है जबकि दूसरा हिस्सा एकता एक्सप्रेस के नाम से भिवानी से आती है ! गोहाना होते हुए ये ट्रेन पानीपत में आकर दिल्ली से आने वाली ट्रेन में जुड़ जाती है और फिर यहाँ से कालका के लिए रवाना होती है ! हितेश अपने मित्रों के लगातार संपर्क में था, उनसे मिल रही जानकारी के अनुसार ट्रेन का एक भाग तो पानीपत पहुँच गया था जबकि दूसरा भाग अभी भी रास्ते में ही था ! पर कोहरे की मार सिर्फ़ रेलमार्ग पर ही नहीं थी, इसका असर सड़क यातायात पर भी था, जिस कारण हमारी बस ज़्यादा रफ़्तार नहीं पकड़ पा रही थी ! पलवल से चले थे तो रात होने के कारण ज़्यादा कोहरा नहीं था पर जैसे-2 दिन हो रहा था कोहरा भी बढ़ता ही जा रहा था, फिर भी हमारे बस चालक ने काफ़ी हिम्मत की और पौने आठ बजे हमें पानीपत बस अड्डे पर उतार दिया ! 

बस से उतरते ही हम दोनों जल्दी से एक ऑटो में सवार होकर पानीपत रेलवे स्टेशन की ओर चल दिए ! यहाँ हितेश का एक मित्र सचिन चौधरी पहले से ही पहुँच चुका था और उसने हम दोनों के लिए कालका तक का टिकट भी ले लिया था ! जैसे ही हम स्टेशन पर पहुँचे, सामने सचिन खड़ा दिखाई दिया, उसने हमें बताया कि दूसरी ट्रेन अभी तक भी नहीं आई है ! फिर हम सब साथ ही प्लैटफॉर्म पर गए जहाँ इस ट्रेन के सभी यात्री ट्रेन से उतरकर प्लैटफॉर्म पर टहल रहे थे ! हम तीनों भी प्लैटफॉर्म पर जाकर प्रतीक्षा करने वालों में शामिल हो गए, 15-20 मिनट के बाद जब ट्रेन आई तो थोड़ी तस्सली हुई कि चलो अब तो कालका पहुँच ही जाएँगे ! कुछ ही समय में दोनों ट्रेनों को जोड़ दिया गया और एक लंबा सायरन देकर ट्रेन ने चलना शुरू कर दिया ! ट्रेन के दूसरे भाग में हितेश के कुछ अन्य मित्र भी थे, जिनसे हितेश ने मेरा परिचय करवाया ! हितेश के इन मित्रों में अंकित मान, सुनील मान, सचिन राठी, और दो अन्य मित्र भी थे ! ट्रेन रास्ते में पड़ने वाले अधिकतर स्टेशन पर रुकते हुए आगे बढ़ती रही ! 

चंडीगढ़ में ट्रेन कुछ अधिक समय के लिए रुकी, यहाँ से आगे तो हमारा डिब्बा खाली हो गया, हमारे अलावा शायद इक्का-दुक्का लोग ही इस डिब्बे में रह गए थे ! 12 बजे के आस-पास हम लोग कालका पहुँच गए, जहाँ कालका-शिमला टॉय ट्रेन पहले से ही तैयार खड़ी थी ! ये टॉय ट्रेन कालका से 12 बजकर 10 मिनट पर चलती है पर इस ट्रेन में सफ़र करने वाले ज़्यादातर मुसाफिर हिमालयन क्वीन ट्रेन से ही उतरते है, इसलिए हिमालयन क्वीन के लेट होने पर ये टॉय ट्रेन कालका में रुककर इंतज़ार भी कर लेती है ! इस ट्रेन में गिनती के 4 ही डिब्बे थे और उनमें से भी दो आरक्षित ! अब 2 अनारक्षित डिब्बों में लोगों के बैठने की क्षमता तो 20-25 प्रति डिब्बा थी पर इसमें सफ़र करने वाले यात्रियों की तादात 50 व्यक्ति प्रति डिब्बे से भी अधिक थी ! इस समय हम कुल मिलाकर 8 लोग थे, सभी लोग इन अनारक्षित डिब्बों में घुसकर अपने बैठने की व्यवस्था करने लगे, लेकिन अंदर एक भी सीट खाली नहीं थी इसलिए सब बैठने का छोड़कर अब अपने-2 खड़े होने की व्यवस्था में जुट गए ! 

इतने में अंकित मान जाकर हम सबके लिए इस टॉय ट्रेन का टिकट ले आया, यहाँ से शिमला का किराया मात्र 50 रुपये है ! ये ट्रेन यहाँ से लगभग साढ़े बारह बजे चली और बीच में रुकते-रुकाते शिमला की तरफ बढ़ती रही ! चलिए, आगे बढ़ते हुए कुछ जानकारी इस रेल मार्ग के बारे में भी दे देता हूँ, कालका से शिमला जाने वाले रेल मार्ग का निर्माण ब्रिटिश राज में सन 1898 में हुआ था ! इस रेल मार्ग का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश कालीन समर कैपिटल शिमला को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ने के लिए किया गया था ! 97 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग को बनाने की अनुमानित लागत लगभग 87 लाख रुपए थी जोकि निर्माण कार्य के दौरान बढ़ते हुए लगभग दुगुनी हो गई ! इस रेल मार्ग का शिलान्यास 9 नवंबर 1903 को किया गया ! इस मार्ग पर कुल 107 सुरंगे और 864 पुल बने है जिसमें से वर्तमान में 102 सुरंगे और सभी पुल कार्यरत है ! हरी-भरी पहाड़ियों से गुजरती हुई रंग-बिरंगी टॉय ट्रेन दूर से देखने पर शानदार लगती है !

वापिस सफ़र पर लौटते है जहाँ ट्रेन में भीड़ ज़्यादा होने की वजह से घुटन होने लगी थी, और खड़े-2 पैर भी जवाब दे रहे थे, पर आपस में बातचीत करके सभी यात्री समय काटने की कोशिश में लगे हुए थे ! बीच में जहाँ कहीं भी ट्रेन रुकती, सवारियाँ खुली साँस लेने के लिए नीचे उतर जाती, और फिर ट्रेन के चलने पर फिर से सवार हो जाती ! सफ़र के दौरान कई बार तो मेरी हिम्मत भी जवाब देने लगी पर अंकित, सुनील और अन्य मित्र हँसी-मज़ाक करते हुए माहौल को खुशनुमा बनाने में लगे रहे ! इस तरह ये लंबा सफ़र शाम 6 बजे जाकर ख़त्म हुआ जब हमारी ट्रेन शिमला पहुँची ! स्टेशन से बाहर निकले तो अंधेरा हो चुका था, पैदल चलते हुए जब हम शिमला के माल रोड पहुँचे तो कुछ स्थानीय दलालों ने हमें कमरा दिलाने की बात कहकर घेर लिया ! हम भी उनमें से एक दलाल के साथ हो लिए, कई होटलों में देखने के बाद जब हमें कमरा नहीं मिला तो दलाल ने हाथ खड़े कर दिए ! वो बोला अलग-2 होटलों में कमरा ले लो, हमने कहा जब आए एक साथ है तो रुकेंगे भी एक ही साथ, तू रहने दे हम अपने लिए कमरा खुद ही ढूँढ लेंगे ! 

बाकी लोगों को वहीं बिठाकर अंकित, और सुनील कमरा देखने के लिए लक्कड़ बाज़ार की तरफ चले गए ! थोड़ी देर में उन्होनें हमें फोन करके सूचना दी कि आज रात रुकने के लिए एक होटल में कमरा मिल गया है, फिर सभी लोग उनके बताए अनुसार लक्कड़ बाज़ार में होटल डिप्लोमेट की ओर चल दिए ! होटल पहुँचकर अपना सारा सामान कमरे में रखकर हम लोग तो आराम करने लगे और फिर से अंकित, एक अन्य मित्र को लेकर रात्रि का भोजन लेने चला गया ! इस यात्रा को यादगार बनाने में अन्य मित्रों के साथ अंकित मान का बहुत बड़ा योगदान रहा, क्योंकि सारी ज़िम्मेदारी उसके पास ही थी ! खैर, आधे घंटे बाद जब खाने-पीने का सामान आ गया तो हम लोगों ने साथ बैठकर ही रात्रि का भोजन किया और फिर अपने-2 बिस्तर पर आराम करने चले गए ! आज की इस यात्रा में मैने अपने जीवन में पहली बार टॉय ट्रेन की सवारी का मज़ा लिया था, कल आपको शिमला के भ्रमण पर लेकर चलूँगा !
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Chandigarh Railway Station
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Shimla Railway Station

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Hotel We Stayed in

क्यों जाएँ (Why to go Shimla): अगर आप दिल्ली की गर्मी और भीड़-भाड़ से दूर सुकून के कुछ पल पहाड़ों पर बिताना चाहते है तो आप शिमला का रुख़ कर सकते है ! यहाँ शिमला में देखने के लिए कई जगहें है जिनमें से माल रोड, रिज का मैदान, जाखू मंदिर, क्राइस्ट चर्च, कुफरी, फागू, माशोबरा और नालडेहरा प्रमुख है ! सर्दियों के मौसम में शिमला में अच्छी-ख़ासी बर्फ पड़ती है उस समय आप यहाँ शिमला में स्कीइंग का आनंद भी ले सकते है ! आप कालका से शिमला आते हुए टॉय ट्रेन की सवारी भी कर सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Shimla): आप साल के किसी भी महीने में शिमला जा सकते है, शिमला आने का हर मौसम का अपना अलग ही आनंद है दिसंबर-जनवरी के महीने में तो शिमला में बर्फ भी पड़ती है !

कैसे जाएँ (How to reach Shimla): दिल्ली से शिमला की दूरी लगभग 343 किलोमीटर है ! यहाँ जाने का सबसे बढ़िया साधन सड़क मार्ग है दिल्ली से शिमला के लिए प्राइवेट बसें और वोल्वो चलती है जबकि आप निजी गाड़ी से भी जा सकते है ! रेल मार्ग से जाना चाहे तो नई दिल्ली से कालका रेलवे स्टेशन जुड़ा है, कालका से आप टॉय ट्रेन की सवारी का आनंद ले सकते है !

कहाँ रुके (Where to stay in Shimla): शिमला में रुकने के लिए छोटे-बड़े बहुत होटल है आप अपनी सहूलियत के हिसाब से 700 रुपए से शुरू होकर 5000 रुपए तक के कमरे ले सकते है ! इसके अलावा शिमला में कुछ धमर्शालाएँ भी है !

क्या देखें (Places to see in Shimla): शिमला में देखने के लिए कई जगहें है जिनमें से माल रोड, रिज का मैदान, जाखू मंदिर, क्राइस्ट चर्च, कुफरी, फागू, माशोबरा और नालडेहरा प्रमुख है ! माल रोड पर घूमते हुए आप लक्कड़ बाज़ार भी जा सकते है यहाँ घर की सजावट का बढ़िया सामान मिलता है ! यहाँ से यादगार के तौर पर आप खरीददारी कर सकते है ! अपने प्रियतम के साथ माल रोड पर बाहों में बाहें डाल कर घंटो घूमने आपको हमेशा याद रहेगा ! इसके अलावा रिज के पास गुफा रेस्टोरेंट में जाना ना भूले, ये बहुत बढ़िया रेस्टोरेंट है जहाँ आपको मदिरा से लेकर ख़ान-पान का सभी सामान मिल जाएगा !

अगले भाग में जारी...

शिमला यात्रा
  1. कड़ाके की ठंड में शिमला का सफ़र (Beauty of Shimla in Winters)
  2. जाखू मंदिर - दोस्तों संग बर्फ में मस्ती (Snow Near Jakhu Temple)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

5 Comments

  1. शिमला हम भी कालका से खिलौना गाडी में ही गए थे । बहुत सुहाना सफ़र था । तुम एक बात भूल गए प्रदीप यहाँ 99 सुरंगों से होकर ट्रेन गुजरती है। आगे बढ़ रहे है तुम्हारे साथ। तुम थोडा और आसपास के बारे में लिखोगे तो अच्छा प्रभाव रहेगा।

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    1. दर्शन जी, शायद 99 नहीं 108 सुरंगों से होकर ये ट्रेन गुजरती है ! आस-पास के बारे में क्या जानकारी लिखनी रह गई, ज़रा विस्तार से बताइए !

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  2. Ek train jo bhiwani s aati hai aur ek train delhi sarei rohilla s dono panipat aa kar mil k kalka k liya chalti hai bhiwani wali ekta express hai jo rohtak gohana k rasta 6:50 am p panipat pachuti hai aur dusri himalaya queen hai jo delhi sonipat k rasta aati hai 7:20 am p aati hai dono mil k 7:40am chalti hai

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    1. बिल्कुल ठीक पकड़े हो सचिन भाई, मुझे इस ट्रेन का नाम नहीं मालूम था ! जानकारी देने के लिए धन्यवाद !

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  3. Shimla is one of the best place to visit in winter and summer. In winter season snowfalls come and people from other part od India come to enjoy. Shimla is well connected by bus and train. Many bus from Delhi to Shimla runing on daily and can be booked online. No direct train is available Train from Delhi to Kalka and then take toy train or bus or cab to reach Shimla.

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