पलवल का प्राचीन जंगेश्वर और दाऊजी मंदिर (Jangeshwar and Dauji Temple, Palwal)

शनिवार 24 जुलाई, 2021

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पलवल भ्रमण के दौरान आज मैं आपको यहाँ के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करवाऊँगा, वैसे तो यहाँ घूमने के लिए बहुत मंदिर है लेकिन कुछ मंदिर प्राचीन होने के कारण स्थानीय लोगों में काफी लोकप्रिय है, जो आज मैं आपको दिखाने वाला हूँ ! चलिए, शुरुआत करते है कमेटी चौक के पास शिवपुरी मोहल्ले में स्थित जंगेश्वर मंदिर से, ये एक प्राचीन मंदिर है इसलिए यहाँ रोजाना सुबह-शाम आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है ! स्थानीय लोगों के अलावा आस-पास के क्षेत्रों से भी लोग यहाँ दर्शन के लिए आते है, कुछ खास त्याहारों जैसे शिवरात्रि, और जन्माष्टमी पर तो मंदिर में पाँव रखने की भी जगह नहीं रहती ! एक दिन शाम को घर पर बैठे हुए अचानक ही इस मंदिर में जाने का विचार बना और मैं अपनी स्कूटी लेकर मंदिर जाने के लिए निकल पड़ा ! मेरे घर से मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है लेकिन शहर की भीड़-भाड़ से निकलकर मंदिर पहुँचने में 10 मिनट का समय लग ही जाता है ! पलवल शहर की संकरी गलियों से होता हुआ मैं मंदिर के सामने पहुँचा, स्कूटी खड़ी करके प्रवेश द्वार से होता हुआ मैं मंदिर परिसर में दाखिल हुआ, प्रवेश द्वार से एक गलियारे से होकर आगे बढ़ने पर मैं मंदिर परिसर में बने बरामदे में पहुँच गया ! अभी मेरे अलावा यहाँ गिनती के लोग ही दिखाई दे रहे थे, वैसे मंदिर परिसर में फिलहाल पानी की बोरिंग का काम चल रहा था ! मैं पहले भी इस मंदिर में कई बार आया हूँ, और यहाँ आकर जो मानसिक शांति मिलती है उससे मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार होता है !

पलवल के जंगेश्वर मंदिर का गर्भ गृह

चलिए, मंदिर के मुख्य भवन में जाने से पहले आपको इस मंदिर से संबंधित कुछ जरूरी जानकारी दे देता हूँ, पलवल के इस जंगेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है ! कहते है सदियों पहले यहाँ एक शिव मंदिर हुआ करता था, एक किवंदती के अनुसार मुगलों ने अपने शासनकाल में इस मंदिर को नष्ट कर दिया, लेकिन ब्रिटिश राज में हिंदुओं ने यहाँ फिर से मंदिर स्थापित करने के लिए कड़ा संघर्ष किया ! दो जातियों के बीच जबरदस्त जंग हुई, और अंतत इस जगह की खुदाई का निर्णय लिया गया, खुदाई करने पर जमीन से पहले दूध की धार निकली और फिर गंगाजल ! ये देखकर दूसरे पक्ष के लोग इस बात पर सहमत हो गए कि यहाँ मंदिर ही हुआ करता था और उनका विरोध धीमा पड़ गया ! तत्पश्चात 1802 में यहाँ फिर से एक मंदिर की स्थापना की गई, अब क्योंकि इस मंदिर को पाने के लिए काफी लंबे समय तक जंग लड़ी गई, इसलिए इसका नाम जंगेश्वर मंदिर पड़ा ! ये भी कहा जाता है कि उस खुदाई में यहाँ एक शिवलिंग भी निकला, जो आज भी इस मंदिर में स्थापित है ! शिवलिंग पर फावड़े के निशान भी बताए जाते है, हालांकि, भक्तों को शिवलिंग के पास जाने नहीं दिया जाता और उन्हें मुख्य भवन के बाहर से ही पूजा करनी पड़ती है ! मंदिर परिसर में शिव परिवार के अलावा, राम दरबार, राधा-कृष्ण, लक्ष्मी नारायण और अन्य कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित है ! चलिए, वापिस यात्रा पर लौटते है जहां मैं हाथ-मुंह धोकर मंदिर के मुख्य भवन में प्रवेश कर रहा हूँ !

जंगेश्वर मंदिर का बाहरी प्रवेश द्वार

प्रवेश द्वार से दिखाई देता मंदिर का नजारा

मंदिर परिसर से दिखाई देता एक नजारा

मंदिर परिसर से दिखाई देता एक नजारा

मंदिर परिसर में चल रहा बोरिंग कार्य

मंदिर का परिक्रमा मार्ग

मंदिर के गलियारे से दिखाई देता एक दृश्य

सबसे पहले मैं मंदिर के उस कक्ष में पहुँचा जो बाहरी प्रवेश द्वार के ठीक सामने है, इसी कक्ष में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है ! तीन द्वार वाले इस कक्ष की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं के बढ़िया चित्र उकेरे गए है, कक्ष के अंदर जाने पर फिलहाल पाबंदी है और सभी प्रवेश द्वारों पर जंजीर लगाकर मार्ग बंद कर दिया गया है ! मैंने बाहर से ही शिवलिंग के दर्शन किए और आगे बढ़ गया, इस कक्ष में शिवलिंग के अलावा नंदी की मूर्ति भी स्थापित है ! इस कक्ष के ठीक सामने एक बरामदे की दीवारों पर कृष्ण जी के बाल रूप को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है, कुछ अन्य देवी-देवताओं के चित्र भी इन दीवारों पर बनाए गए है जो देखने में सुंदर लगते है ! कक्ष के बगल से निकलकर मैं इसके पिछले भाग में पहुँचा, जहां एक छोटे कक्ष में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गई है, इस मंदिर के चारों तरफ भी लोहे की रेलिंग लगाई गई है ! इस कक्ष की बाहरी दीवारों पर लगे पत्थर पर बढ़िया फूल-पत्तियां उकेरी गई है, और कक्ष के द्वार पर लगे पिलर पर भी डिजाइन बनाए गए है, मंदिर का ये भाग प्राचीन नहीं है इसे बाद में बनाया गया है ! इस कक्ष के बगल में एक बरामदे में राधा-कृष्ण और सीता-राम की मूर्तियाँ स्थापित की गई है, बारी-2 से इन सभी देवी-देवताओं के दर्शन करने के बाद मंदिर की परिक्रमा करके मैं बाहर आ गया ! रिहायशी इलाके के बीच स्थित होने के कारण मंदिर परिसर बहुत बड़ा नहीं है लेकिन मंदिर परिसर में रहकर आभास ही नहीं होता कि आप किसी घने रिहायशी इलाके में है !

मंदिर के गर्भ गृह का एक दृश्य

मंदिर के गर्भ गृह का एक दृश्य

गर्भ गृह के सामने बरामदे का एक दृश्य

परिक्रमा मार्ग से दिखाई देता एक दृश्य

मुख्य भवन का दूसरा प्रवेश द्वार

मंदिर की बाहरी दीवारों पर उकेरे गए चित्र

मंदिर परिसर में बना हनुमान जी का मंदिर

मंदिर परिसर में स्थापित राधा-कृष्ण और सीता-राम की मूर्तियाँ

मंदिर परिसर में शिव दरबार

वैसे अगर इस मंदिर के बनावट की बात करे तो इसकी बनावट किसी भी अन्य मंदिर की तरह ही है, प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर के शुरुआती निर्माण में कखैया किस्म की ईंटों और चूने का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन बाद में बड़ी ईंटों और सीमेंट का प्रयोग भी हुआ ! गर्भ गृह का मुख्य द्वार पूर्व की ओर है जबकि अन्य 2 द्वार पश्चिम और दक्षिण की ओर भी खुलते है, मंदिर में रोजाना सुबह-शाम विधिवत तरीके से पूजा-पाठ की जाती है ! दिन में भी स्थानीय महिलाओं द्वारा भजन-कीर्तन होते रहते है, नवरात्र के महीनों में माता रानी की कथा और बीच-2 में राम कथा, शिवपुराण, अखंड रामायण और माता के जागरण भी होते रहते है ! बाहर से आने वाले भक्तों के लिए मंदिर परिसर में बनी एक छोटी सी धर्मशाला में रुकने और खाने-पीने की व्यवस्था भी है ! मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको पहले पलवल के कमेटी चौक पर पहुंचना होगा, जहां से मुख्य बाजार की ओर जाने पर कुछ दूर चलकर दाईं ओर एक मार्ग बाजार में चला जाता है, जबकि दूसरा मार्ग सीधा चला जाता है इस सीधे जाने वाले मार्ग पर कुछ कदम चलकर बाईं ओर ये मंदिर स्थित है !

मंदिर परिसर से दिखाई देता एक दृश्य

मंदिर प्रांगण का एक दृश्य

परिसर से दिखाई देता मंदिर का प्रवेश द्वार

दाऊजी का मंदिर

जंगेश्वर मंदिर के दर्शन करके बाहर निकला तो मैं यहाँ से थोड़ी दूर स्थित दाऊजी के मंदिर की ओर चल दिया, ये मंदिर उस मोड पर है जहां एक रास्ता मुख्य बाजार में अंदर चला जाता है और मैं जंगेश्वर मंदिर के लिए सीधा चला आया था ! मुख्य मार्ग पर स्थित ये मंदिर बहुत बड़ा तो नहीं है लेकिन प्राचीन है, स्कूटी से उतरकर मैं प्रवेश द्वार से मंदिर में दाखिल हुआ ! प्रवेश द्वार सीधे मुख्य भवन में ही खुलता है जहां प्रवेश द्वार के ठीक सामने बलराम जी की मूर्ति स्थापित है, हाथ में हल लिए दाऊजी को बहुत अच्छे से सजाया गया है ! रंग-बिरंगी वस्त्र धारण किए दाऊजी की मूर्ति के गले में मोतियों की माला और माथे पर मुकुट सुशोभित है ! मुख्य भवन के द्वार पर भी बढ़िया कारीगरी दिखाई देती है और चौखट के चारों ओर चांदी की परत चढ़ाई गई है ! कक्ष की बाहरी दीवार पर भी रंग-बिरंगी फूल-पत्तियां उकेरी गई है, अंदर जाने के लिए जाली का एक छोटा द्वार लगा है, ये द्वार पंडित जी के लिए है क्योंकि भक्तजनों को अंदर जाने की अनुमति नहीं है ! दाऊजी के दर्शन करके इस कक्ष की परिक्रमा करता हुआ मैं कक्ष के बाईं ओर स्थापित अन्य देवी-देवताओं के दर्शन करने लगा ! सबसे पहले हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है, बगल में ही राम-दरबार भी है जहां राम, लक्ष्मण और माता सीता को भी सुंदर रंगीन वस्त्र पहनाकर उन्हें मोतियों के आभूषण से सजाया गया था, इस दरबार में हनुमान जी की एक छोटी प्रतिमा भी थी ! थोड़ा आगे बढ़ने पर राधा-कृष्ण की मूर्तियाँ स्थापित है और अंतिम भाग में माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापित है, इन सभी देवी-देवताओं को भी अन्य मूर्तियों की तरह सुसज्जित किया गया है !

दाऊजी मंदिर का प्रवेश द्वार

मंदिर में स्थापित बलराम की प्रतिमा

मंदिर में स्थापित हनुमान जी

मंदिर में राम दरबार

मंदिर में स्थापित राधा-कृष्ण की मूर्तियाँ

मंदिर में स्थापित माँ दुर्गा की प्रतिमा

मुझे इस मंदिर में जो सबसे सुंदर और सुसज्जित प्रतिमा लगी वो माँ दुर्गा की थी, उनके वस्त्र और आभूषण तो अन्य देवी-देवताओं की तरह ही थे लेकिन माँ दुर्गा की प्रतिमा मंदिर की अन्य प्रतिमाओं से बड़ी थी ! इन सभी मूर्तियों के सामने जालीदार खिड़कियां लगी थी, यहाँ दर्शन करके मुड़ा तो दाऊजी के कक्ष के सामने दाईं ओर सफेद संगमरमर से बना शिवलिंग स्थापित है, इसके अलावा मंदिर परिसर की दीवारों पर कुछ अन्य देवी-देवताओं के चित्र भी बनाए गए है ! शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद मैंने अन्य देवी-देवताओं के दर्शन भी कर लिए और फिर मंदिर से बाहर आ गया, मुख्य बाजार में स्थित होने के कारण दिनभर यहाँ गाड़ियों की आवाजाही लगी रहती है, इसलिए अगर आप बड़े वाहन से इस मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे है तो सुबह-2 आइए तब सारी दुकानें बंद रहती है ! दिन में आने पर आपको गाड़ी मंदिर परिसर से दूर कमेटी चौक के आस-पास खड़ी करणी होगी ! मैं भी अपनी स्कूटी लेकर यहाँ से चला तो घर पहुँचने में 10-12 मिनट का समय ही लगा, इसके साथ ही यात्रा के इस लेख पर विराम लगाता हूँ, ऐसी ही किसी यात्रा पर आपसे फिर मुलाकात होगी !

मंदिर में स्थापित शिवलिंग

मंदिर में स्थापित कुछ अन्य मूर्तियाँ

मंदिर परिसर का एक दृश्य

मंदिर परिसर का एक और दृश्य

मंदिर से दिखाई देता बाहर का नजारा
अगले भाग में जारी..

पलवल भ्रमण

  1. पलवल शहर का परिचय (History of Palwal City)
  2. करियाकी धाम पृथला (Kariyaki Dham Prithala)
  3. पलवल का प्राचीन जंगेश्वर और दाऊजी मंदिर (Jangeshwar and Dauji Temple, Palwal)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

2 Comments

  1. I want to reach here. Please guide how to reach here alongwith family from Panchkula/Panipat through public transport.

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  2. पानीपत से पलवल की बस पकड़कर आ जाइए ! यहाँ पलवल में आपको बस अड्डे से कमेटी चौक के लिए बैटरी चालित रिक्शे मिल जाएंगे, कमेटी चौक से ये मंदिर मात्र 150-200 मीटर दूर है ! कोई भी दुकानदार आपको मंदिर का रास्ता बता देगा !

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