मेरा लखनऊ जाने का विचार तो काफ़ी पहले अक्तूबर के तीसरे सप्ताह में ही बन गया था, लेकिन दशहरा, दीवाली और छठ का त्योहार होने के कारण रेल में टिकटों की खूब मारा-मारी चल रही थी ! ऐसे में मुझे लखनऊ आने-जाने के लिए कन्फर्म टिकट मिलना मुश्किल था, इसलिए अपनी इस यात्रा को मैने आगे के लिए टाल दिया ! दीवाली बीतने के बाद जब एक बार फिर से लखनऊ जाने का खुमार मुझपर चढ़ने लगा तो मैने नए साल पर इस यात्रा पर जाने के लिए अपनी टिकटें आरक्षित करवा ली ! वैसे भी बहुत दिनों से लखनऊ में रहने वाला मेरा भाई उदय प्रताप सिंह भी ज़ोर दे रहा था कि भैया अबकी बार घूमने के लिए लखनऊ आ जाओ ! वैसे इस यात्रा के लिए मुझे कोई ख़ास तैयारी तो करनी नहीं थी, घूमने वाली जगहों की क्रमबद्ध तरीके से एक लिस्ट बना ली ! धीरे-2 दिन बीतते गए और दिसंबर का महीना भी ख़त्म होने लगा ! अंत में 31 दिसंबर का वो दिन भी आ गया जब मुझे इस यात्रा के लिए निकलना था, इस यात्रा पर ले जाने का सामान मैं पिछली रात को ही एक बैग में रख चुका था !
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लखनऊ रेलवे स्टेशन (A glimpse of Lucknow Railway Station) |
सुबह घर से दफ़्तर जाते समय यात्रा बैग भी अपने साथ ले लिया ताकि शाम को दफ़्तर से फारिक होकर वापिस लौटकर घर ना आना पड़े और मैं सीधे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से अपनी ट्रेन पकड़कर ये सफ़र शुरू कर सकूँ ! लखनऊ शहर उत्तर प्रदेश की राजधानी होने के साथ-2 ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफ़ी महत्वपूर्ण है ! ब्रिटिश राज में अवध की राजधानी होने के कारण इस शहर में आज भी कई ऐतिहासिक धरोहरें विद्यमान है जो यहाँ आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है ! गोमती नदी के किनारे बसा लखनऊ शहर उत्तर भारत का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, ये शहर भारत में शिया इस्लाम का केंद्र भी है ! वैसे इस शहर को अपनी तहज़ीब के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, यहाँ की बोली में जो मिठास है वो आज के दौर में शायद ही कहीं ओर सुनने को मिलती हो ! इस शहर में घूमने वाली जगहों की विस्तृत जानकारी यात्रा के अगले लेख में दी जाएगी, जब मैं आपको लखनऊ भ्रमण पर लेकर चलूँगा ! फिलहाल अपनी यात्रा की ओर वापिस चलते है ! समय से दफ़्तर पहुँचकर अपना काम निबटाने में लग गया ताकि सफ़र के दौरान काम को लेकर कोई दिक्कत ना हो !
दिनभर अपना काम निबटाने के बाद शाम को दफ़्तर से निकलने से पहले ही मेरे एक मित्र प्रभात चौहान जोकि पिछले कुछ सालों से अमेरिका में रह रहे है का फोन आ गया ! दरअसल, जब प्रभात को पता चला कि मैं आज घूमने जा रहा हूँ तो कौतूहलवश उसने फोन कर लिया ! हम दोनों के बीच खूब देर तक बातें होती रही, बातों का आधार मेरी आगामी यात्रा ही थी, बात करते-2 ही साढ़े पाँच बज गए ! मेरी ट्रेन पुरानी दिल्ली से शाम 7 बजकर 50 मिनट पर थी इसलिए मेरा दफ़्तर से निकलने का विचार तो शाम को 5 बजे का था पर प्रभात से बात कुछ लंबी ही खिंच गई ! 5 के कब साढ़े पाँच बज गए पता ही नहीं चला और हमारी बातों का सिलसिला यूँ ही जारी रहा ! अंत में, मैं बात करते हुए ही अपना बैग लेकर दफ़्तर से बाहर आ गया, फिर यहाँ से एक ऑटो में सवार होकर मैं एम जी रोड मेट्रो स्टेशन जाने के लिए चल पड़ा ! एम जी रोड से चाँदनी चौक तक का सफ़र मैं मेट्रो से तय करने वाला था, नव वर्ष की पूर्व संध्या होने के कारण मुझे जाम और भीड़-भाड़ की उम्मीद भी थी ! दफ़्तर से निकलने पर तो भीड़ नहीं मिली लेकिन इफको चौक पहुँचते-2 नज़ारा बदल गया ! दफ़्तर से यहाँ तक आने में 15-20 मिनट लगे, ऐसे ही चलते रहता तो अगले 5 मिनट में ही मेट्रो स्टेशन भी पहुँच जाता !
लेकिन इफको चौक पर गुड़गाँव पुलिस ने जगह-2 बेरिकेटिंग करके मार्ग परिवर्तित किए हुए थे, इफको चौक से मेट्रो स्टेशन जाने वाले एम जी मार्ग पर यातायात बाधित था ! इस मार्ग पर गाड़ियों के आवागमन पर रोक थी, वजह था इस मार्ग पर पड़ने वाले मॉल ! तीज-त्याहारों के मौके पर इस मार्ग पर हमेशा ही जाम की स्थिति बनी रहती है तो नववर्ष पर भी हालात अलग नहीं होते ! इसलिए गुड़गाँव पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए इस मार्ग को गाड़ियों के लिए बंद कर दिया ! हाँ, पैदल यात्रियों के आवागमन पर कोई रोक नहीं थी, इक्के-दुक्के रिक्शे भी इस मार्ग पर चल रहे थे ! इफको चौक पर पहुँचकर जब मैने देखा कि मेट्रो स्टेशन जाने के लिए ऑटो को काफ़ी घूम कर जाना पड़ेगा और आगे भी जाम मिलने की पूरी संभावना थी तो मैने यहाँ से पैदल ही मेट्रो स्टेशन जाने में अपनी भलाई समझी ! पता चला ऑटो के चक्कर में लेट हो गया और ट्रेन भी जाती रही ! ऑटो से उतरकर घड़ी में समय देखा तो 6 बजने वाले थे, मेरे अलावा इस ऑटो में सवार अन्य सवारियाँ भी इफको चौक पर ही उतर गई और मेट्रो स्टेशन के लिए चल दी !
इस मार्ग पर अंदर की तरफ एक रिक्शा खड़ा दिखाई दिया जिसपर कुछ महिला यात्री ऑटो से उतरते ही सवार हो गई ! मैने अपनी पैदल यात्रा जारी रखी, ये इलाक़ा गुड़गाँव के सबसे व्यस्त इलाक़ों में आता है और इस समय सुनसान पड़ा था ! बहुत कम ही ऐसा देखने को मिलता है जब गुड़गाँव या दिल्ली के व्यस्त इलाक़े ऐसे सुनसान दिखाई मिले ! वरना यहाँ तो आधी रात को भी चले आओ तो आपको चहल-पहल मिल जाएगी ! 10-15 मिनट की पद यात्रा करके मैं एम जी रोड मेट्रो स्टेशन पहुँच गया, यहाँ सड़क के किनारे ही इस स्टेशन का टिकट घर है ! मेरे पास इस समय मेट्रो का स्मार्ट कार्ड था, जो मैने दफ़्तर से निकलने से पहले ही ऑनलाइन रिचार्ज करवा लिया था, लेकिन इस रीचार्ज का सत्यापन करवाना अभी बाकी थी, जिसके लिए हर मेट्रो स्टेशन पर मशीन उपलब्ध है ! मुझे ये बड़ा बेकार काम लगता है जब ऑनलाइन रीचार्ज की सुविधा दे दी है तो इसका सत्यापन भी वन टाइम पासवर्ड के माध्यम से या किसी अन्य तरीके से कराया जाना चाहिए ! ये क्या बात हुई कि समय बचाने के लिए कोई ऑनलाइन रीचार्ज करवाए और फिर यहाँ मेट्रो स्टेशन पर आकर उस रीचार्ज का सत्यापन कराए !
टिकट काउंटर के सामने पहुँचकर देखा तो एक कोने में सत्यापन की एक मशीन लगी हुई थी ! जाकर मैने अपना कार्ड सत्यापित करने के लिए मशीन में डाला तो ये नहीं हुआ, 2-3 बार कोशिश करने के बाद भी जब बात नहीं बनी तो टिकट काउंटर पर बैठे अधिकारी से इस बाबत पूछ ही लिया ! इस पर वो बोला कि इस मशीन में कुछ गड़बड़ है इसलिए आप प्रथम तल पर चेक-इन काउंटर के पास लगी मशीन पर देख लो, शायद वहाँ से हो जाए ! टिकट काउंटर से बाहर निकलकर मैं सीढ़ियों से होता हुआ चेक-इन काउंटर पर पहुँचा ! इस बीच उसके शायद शब्द ने मुझे शंका में डाल दिया था, मैं यही सोच रहा था कि अगर ऊपर वाली मशीन भी खराब हुई तो टोकन लेने के लिए फिर से नीचे जाना पड़ेगा ! गनीमत रही कि मुझे नीचे नहीं जाना पड़ा और चेक-इन काउंटर के पास वाली मशीन से कार्ड के रीचार्ज का सत्यापन हो गया ! सामान चेक करवाने के बाद जैसे ही प्लैटफार्म पर पहुँचा, दिल्ली जाने वाली मेट्रो भी आ गई ! इस मेट्रो में पहले से ही बहुत भीड़ थी, रही-सही कसर यहाँ प्लैटफार्म पर खड़े यात्रियों ने कर दी !
वैसे मैं चाहता तो अगली मेट्रो का इंतजार कर सकता था पर सवा छह बज रहे थे और अगली मेट्रो के चक्कर में साढ़े छह बज जाते ! उस पर भी कौन जाने कि अगली मेट्रो खाली ही आएगी, हो सकता है उसमें इससे भी ज़्यादा भीड़ हो, इसलिए मैं इसी मेट्रो में सवार हो गया ! जब मेट्रो यहाँ से चल दी तो अंदर मौजूद अन्य सवारियों से पता चला कि ये मेट्रो काफ़ी देर बाद आई है इसलिए इसमें भीड़ ज़्यादा है ! ये मेट्रो हर स्टेशन पर काफ़ी देर के लिए रुक रही थी, पता नहीं कोई तकनीकी दिक्कत थी या आगे सिग्नल नहीं मिल रहे थे ! रुकने-रुकाने के चक्कर में ही 50 मिनट के सफ़र को पूरा करने में इस मेट्रो ने सवा घंटा लगा दिया ! 2-3 स्टेशन निकल जाने के बाद मेट्रो में घुटन भी होने लगी, मैं तो सर्दी के हिसाब से कपड़े पहन कर आया था लेकिन भीड़ की वजह से अब भयंकर गर्मी लगने लगी थी ! मेट्रो के अंदर इस समय एयर कंडीशन भी नहीं चल रहा था, मेट्रो में इस समय लोकल ट्रेन से भी बुरा हाल हो गया था ! मेट्रो में अंदर इतनी भी जगह नहीं थी कि मैं अपनी जैकेट उतार सकूँ !
इसलिए मैं एक पिलर के सहारे चुप-चाप खड़ा रहा, जैसे-तैसे करके शाम को साढ़े सात बजे जब मेट्रो से चाँदनी चौक स्टेशन पर उतरा तो गर्मी से बुरा हाल था ! मेरी ट्रेन के छूटने में 20 मिनट बाकी थे, इसलिए तेज कदमों से स्टेशन से बाहर की ओर चल दिया ! मेट्रो परिसर से बाहर आते हुए एक वेंडिंग मशीन से सेब के जूस के दो पैकेट लिए और दो घूँट में खींच गया, इसके बाद गर्मी से थोड़ी राहत मिली ! चाँदनी चौक मेट्रो स्टेशन से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन तक पहुँचने के लिए भी भूमिगत पुल के अंदर ही काफ़ी दूर तक चलना पड़ता है ! मेट्रो स्टेशन से बाहर आकर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन में प्रवेश किया, यहाँ प्रवेश द्वार के पास स्टेशन परिसर में लगे एक स्क्रीन पर देखा तो पता चला कि मेरी ट्रेन पद्मावत एक्सप्रेस प्लैटफार्म नंबर 11 से अपने निर्धारित समय पर ही जाएगी ! समय शाम के 7 बजकर 35 मिनट हो रहे थे, यानि ट्रेन के चलने में सिर्फ़ 15 मिनट ही बचे थे ! तेज कदमों से चलता हुआ मैं प्लैटफार्म नंबर 11 पर पहुँचा जहाँ ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आकर खड़ी हो चुकी थी, वैसे ये ट्रेन यहीं से बनकर चलती है इसलिए समय से प्लैटफार्म पर लग जाती है !
भूख बहुत तेज लगी थी लेकिन खाना खाने का समय नहीं था और ट्रेन की पेंट्री में भी काफ़ी देर बाद ही खाना मिलता ! फिर प्लैटफार्म पर ही एक फल विक्रेता से 6 केले लिए और गटक गया, तब जाकर भूख थोड़ी शांत हुई ! बाकि का खाना-पीना तो ट्रेन में पेंट्री से चलता रहेगा ! केले खाने के बाद एक चिप्स का पैकेट खरीदा और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया ! मेरी सीट ऊपर की थी, लेकिन जब तक ट्रेन खड़ी थी मैं नीचे वाली सीट पर ही बैठा रहा, फिर ट्रेन के चलने के थोड़ी देर बाद अपनी ऊपर वाली सीट पर जाकर लेट गया ! ट्रेन अपने निर्धारित समय पर यहाँ से चल दी थी, गाज़ियाबाद तक तो ये धीरे-2 चलती रही लेकिन उसके बाद इसने रफ़्तार पकड़ ली ! नीचे वाली सीट पर जो लोग बैठे थे, बड़े फेंकू किस्म के थे, उनकी बात सुनते-2 जब परेशान हो गया तो अपने बैग से निकालकर मोबाइल के हेडफोन लगा लिए ! हालाँकि, इसके बाद भी उन लोगों की बक-बक चलती रही पर मुझे परेशानी नहीं हुई ! इस बीच कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला, नींद खुली आधी रात को डेढ़ बजे !
दरअसल, मेरी ट्रेन के लखनऊ पहुँचने का समय सुबह 4 बजकर 20 मिनट का था, सुबह का समय होने के कारण कहीं नींद ना लग जाए, इसलिए मैने पौने चार बजे का अलार्म लगा दिया था ! ये ट्रेन लखनऊ से आगे राय बरेली होते हुए प्रतापगढ़ तक जाती है ! ऐसा अक्सर होता है कि ट्रेन के आपके गंतव्य पर पहुँचने का समय आधी रात या भोर में जल्दी का होता है, ऐसी स्थिति में अलार्म लगाना ठीक रहता है ताकि आप आराम से उतर सके ! वरना समय पर नींद ना खुलने की स्थिति में कभी-2 दिक्कत का सामना भी करना पड़ जाता है ! आधी रात को नींद खुलने के बाद मैने खूब कोशिश कर ली पर नींद नहीं आई, और जो आई भी तो थोड़ी-2 देर के लिए ! बहुत देर तक अपनी सीट में ही इधर-उधर होता रहा, फिर उठकर बैठ गया, काफ़ी देर तक ऐसे ही बैठा रहा और फिर ब्रश करने से लेकर बाकी सारे काम भी निबटा लिए लेकिन समय था कि कट ही नहीं रहा था ! अकेले सफ़र करने का ये भी एक दुख होता है कि टाइम पास करने के लिए कोई बात करने के लिए भी नहीं होता ! हाँ, ट्रेन में और लोग तो होते है पर आधी रात को किसे जगाता !
पिछला स्टेशन शाहजहाँपुर गया था और लखनऊ आने में अभी काफ़ी समय था, जैसे-तैसे करके टाइम पास करने में लगा रहा ! आख़िरकार 4 बज गए और मैने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया ! फिर भी लखनऊ पहुँचते-2 ट्रेन आधे घंटे लेट हो ही गई, पौने पाँच बजे जब में ट्रेन से प्लैटफार्म नंबर 2 पर उतरा तो इस ट्रेन के ठीक सामने प्लैटफार्म नंबर 3 पर भी प्रतापगढ़-फैजाबाद जाने वाली एक ट्रेन खड़ी थी ! पैदल पुल से होता हुआ मैं स्टेशन से बाहर निकल लिया, स्टेशन के बाहर पहुँचा तो यहाँ काफ़ी सुनसान था ! हालाँकि, स्टेशन के बाहर बने प्रीपेड ऑटो बूथ के पास थोड़ी चहल-पहल थी ! मैं यहाँ से आगे बढ़कर एक और पैदल पुल से होते हुए सड़क के दूसरी ओर पहुँच गया ! यहाँ से एक ऑटो में सवार होकर बुआजी के घर के लिए चल दिया ! 6 बजे तक मैं घर पहुँच गया जहाँ सब लोग मेरा इंतजार कर रहे थे, अपना सामान एक तरफ रखकर मैं नहाने-धोने में लग गया !
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इफको चौक के पास का एक दृश्य (A view taken near Iffco Chowk, Gurgaon) |
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ऐसी खाली सड़क तो कार फ्री दिवस पर भी नहीं मिलती (MG Road on 31st Evening, Gurgaon) |
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एमजी रोड पर पुलिस बेरिकेटिंग (Barricading on MG Road, Gurgaon) |
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एमजी रोड मेट्रो के पास का एक दृश्य (A view near MG Metro Station) |
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रास्ते में लिया एक चित्र |
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प्लेटफार्म पर तैयार खड़ी ट्रेन (Train to Lucknow) |
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लखनऊ से एक स्टेशन पहले लिया एक चित्र (A view from Alambagh Railway Station, Lucknow) |
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लखनऊ रेलवे स्टेशन के बाहर का एक दृश्य (A view from outside railway station, Lucknow) |
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स्टेशन के बाहर पैदल पुल पर (Overbridge near Lucknow Railway Station) |
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स्टेशन के बाहर पैदल पुल (Overbridge Near Lucknow Railway Station) |
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लखनऊ से आगे एक मार्ग |
क्यों जाएँ (Why to go Lucknow): वैसे नवाबों का शहर लखनऊ किसी पहचान का मोहताज नहीं है, इस शहर के बारे में वैसे तो आपने भी सुन ही रखा होगा ! अगर आप प्राचीन इमारतें जैसे इमामबाड़े, भूल-भुलैया, अंबेडकर पार्क, या फिर जनेश्वर मिश्र पार्क घूमने के साथ-2 लखनवी टुंडे कबाब और अन्य शाही व्यंजनों का स्वाद लेना चाहते है तो बेझिझक लखनऊ चले आइए !
कब जाएँ (Best time to go Lucknow): आप साल के किसी भी महीने में लखनऊ जा सकते है ! गर्मियों के महीनों यहाँ भी खूब गर्मी पड़ती है जबकि दिसंबर-जनवरी के महीने में यहाँ बढ़िया ठंड रहती है !
कैसे जाएँ (How to reach Lucknow): दिल्ली से लखनऊ जाने का सबसे बढ़िया और सस्ता साधन भारतीय रेल है दिल्ली से दिनभर लखनऊ के लिए ट्रेनें चलती रहती है किसी भी रात्रि ट्रेन से 8-9 घंटे का सफ़र करके आप प्रात: आराम से लखनऊ पहुँच सकते है ! दिल्ली से लखनऊ जाने का सड़क मार्ग भी शानदार बना है 550 किलोमीटर की इस दूरी को तय करने में भी आपको 7-8 घंटे का समय लग जाएगा !
कहाँ रुके (Where to stay in Lucknow): लखनऊ एक पर्यटन स्थल है इसलिए यहाँ रुकने के लिए होटलों की कमी नहीं है आप अपनी सुविधा के अनुसार चारबाग रेलवे स्टेशन के आस-पास या शहर के अन्य इलाक़ों में स्थित किसी भी होटक में रुक सकते है ! आपको 500 रुपए से शुरू होकर 4000 रुपए तक के होटल मिल जाएँगे !
क्या देखें (Places to see in Lucknow): लखनऊ में घूमने के लिए बहुत जगहें है जिनमें से छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा, भूल-भुलैया, आसिफी मस्जिद, शाही बावली, रूमी दरवाजा, हुसैनबाद क्लॉक टॉवर, रेजीडेंसी, कौड़िया घाट, शादत अली ख़ान का मकबरा, अंबेडकर पार्क, जनेश्वर मिश्र पार्क, कुकरेल वन और अमीनाबाद प्रमुख है ! इसके अलावा भी लखनऊ में घूमने की बहुत जगहें है 2-3 दिन में आप इन सभी जगहों को देख सकते है !
क्या खरीदे (Things to buy from Lucknow): लखनऊ घूमने आए है तो यादगार के तौर पर भी कुछ ना कुछ ले जाने का मन होगा ! खरीददारी के लिए भी लखनऊ एक बढ़िया शहर है लखनवी कुर्ते और सूट अपने चिकन वर्क के लिए दुनिया भर में मशहूर है ! खाने-पीने के लिए आप अमीनाबाद बाज़ार का रुख़ कर सकते है, यहाँ के टुंडे कबाब का स्वाद आपको ज़िंदगी भर याद रहेगा ! लखनऊ की गुलाब रेवड़ी भी काफ़ी प्रसिद्ध है, रेलवे स्टेशन के बाहर दुकानों पर ये आसानी से मिल जाएगी !
अगले भाग में जारी...
लखनऊ यात्रा
बढ़िया घुमक्कडी प्रदीप भाई।
ReplyDeleteधन्यवाद बीनू भाई !
Deleteअगली पोस्ट का इंतजार रहेगा
ReplyDeleteपांडे जी, अगली पोस्ट जल्द ही आ रही है !
Deleteबढ़िया घुमक्कडी
ReplyDeleteत्यागी जी धन्यवाद !
Deleteजय हो ! तो अब गुडगाँव से निकलकर दिल्ली होते हुए लखनऊ पहुँच रहे हैं ! यात्रा का आनद आ रहा है !!
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी ! लखनऊ के बाद तो अब चोपता-तुंगनाथ भी हो आए !
Deleteलखनऊ की यात्रा हो रही है तुम्हारे साथ चलते है हम भी साथ साथ
ReplyDeleteबहुत अच्छे !
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