शनिवार, 27 दिसंबर 2014
ये साल भी ख़त्म होने को है और इसके साथ ही इस वर्ष की बची हुई छुट्टियाँ भी ! इन छुट्टियों को व्यर्थ ना जाने देने के मकसद से इन दिनों दफ़्तर में काफ़ी कम लोग दिखाई दे रहे है, कोई अवकाश लेकर परिवार संग कहीं घूमने गया है तो कोई घर पर ही समय बिता रहा है ! आख़िर ऐसा हो भी क्यों ना, इस समय समस्त उत्तर भारत में भयंकर सर्दी जो पड़ रही है ! मेरे विचार में तो दो किस्म के लोग होते है पहली श्रेणी में वो लोग आते है जो मौसम की परवाह किए बिना घूमने का आनंद लेते है वो ऐसे खराब मौसम में भी कहीं ना कहीं घूमने निकल ही जाते है, दूसरी श्रेणी में वो लोग आते है जो मौसम चुन कर ही घूमना पसंद करते है और ऐसे लोग इस कड़ाके की ठंड में परिवार संग घर पर ही रहना पसंद करते है ! अब मुझे नहीं पता कि मैं किस श्रेणी में आता हूँ, पर मैं अपने आपको पहली श्रेणी का प्राणी मानता हूँ ! वर्ष 2014 के दिसंबर माह में क्रिसमस वाले सप्ताह में और फिर नये वर्ष वाले सप्ताह में भी लंबी छुट्टियों का योग बन रहा है !
ये साल भी ख़त्म होने को है और इसके साथ ही इस वर्ष की बची हुई छुट्टियाँ भी ! इन छुट्टियों को व्यर्थ ना जाने देने के मकसद से इन दिनों दफ़्तर में काफ़ी कम लोग दिखाई दे रहे है, कोई अवकाश लेकर परिवार संग कहीं घूमने गया है तो कोई घर पर ही समय बिता रहा है ! आख़िर ऐसा हो भी क्यों ना, इस समय समस्त उत्तर भारत में भयंकर सर्दी जो पड़ रही है ! मेरे विचार में तो दो किस्म के लोग होते है पहली श्रेणी में वो लोग आते है जो मौसम की परवाह किए बिना घूमने का आनंद लेते है वो ऐसे खराब मौसम में भी कहीं ना कहीं घूमने निकल ही जाते है, दूसरी श्रेणी में वो लोग आते है जो मौसम चुन कर ही घूमना पसंद करते है और ऐसे लोग इस कड़ाके की ठंड में परिवार संग घर पर ही रहना पसंद करते है ! अब मुझे नहीं पता कि मैं किस श्रेणी में आता हूँ, पर मैं अपने आपको पहली श्रेणी का प्राणी मानता हूँ ! वर्ष 2014 के दिसंबर माह में क्रिसमस वाले सप्ताह में और फिर नये वर्ष वाले सप्ताह में भी लंबी छुट्टियों का योग बन रहा है !
पलवल सोहना मार्ग (Palwal Sohna Road) |
सूर्य देव भी आज कई दिनों बाद दिखाई दिए थे, पर हवा भी काफ़ी तेज चल रही थी ! एक दो दोस्तों से साथ चलने के लिए पूछा पर जब कोई भी दोस्त साथ चलने के लिए तैयार नहीं हुआ तो मैं इस यात्रा के लिए अकेले ही निकल पड़ा ! आज मैं सोहना-रेवाडी मार्ग पर पड़ने वाली अरावली पर्वत श्रंखलाओं को देखने जा रहा था, यहाँ मैं आज से करीब दस वर्ष पूर्व अपने कॉलेज के दिनों में घूमने गया था, पर 10 वर्ष काफ़ी लंबा समय होता है इसलिए इस जगह को फिर से देखने की इच्छा हो रही थी ! हालाँकि, सोहना से गुड़गाँव जाते हुए ये श्रंखलाएँ तो सड़क से साथ-2 ही है, पर ऐसे सफ़र करने और घूमने में काफ़ी अंतर है ! अगर सड़क की बात करे तो पलवल से सोहना जाने का मार्ग काफ़ी बढ़िया है, पिछले वर्ष ही इस मार्ग का विस्तारीकरण किया गया है, जिसके अंतर्गत मार्ग की चौड़ाई बढ़ा दी गई है और इसकी गुणवता में भी काफ़ी सुधार हुआ है !
इस मार्ग पर गति अवरोधक कुछ ज़्यादा ही है, पर इस मार्ग पर चलने वाले बड़े और भारी वाहनों पर लगाम लगाने के लिए ये ज़रूरी भी है ! यात्रा की शुरुआत करने के 10 मिनट बाद ही मैं शहर की भीड़-भाड़ को छोड़ कर पलवल-सोहना मार्ग पर पहुँच गया ! ये मार्ग दोनों और से उँचे-2 सफेदे के पेड़ों से घिरा हुआ है, पेड़ों के पीछे हरे-भरे खेत बहुत ही सुंदर लगते है ! इस मार्ग पर सोहना जाते हुए कई गाँव पड़ते है जैसे घुघेरा, धतीर, जैन्दापुर, हाजीपुर, सिलानी और लाखुवास ! इस मार्ग पर चलते हुए जब मैं जैन्दापुर और हाजीपुर के बीच पहुँचा तो सड़क के दाईं ओर मुझे लकड़ी के बड़े-2 बक्से दिखाई दिए ! अपने मोटरसाइकल सड़क के किनारे खड़ी करके मैं इन बक्सों की तरफ गया जहाँ एक व्यक्ति मुँह पर ढककर इन बक्सों में कुछ कर रहा था ! पूछने पर पता चला कि उसने इन बक्सों में मधुमक्खियाँ पाल रखी थी जिनसे वो शहद का कारोबार करता है !
लगभग एक किलोमीटर चलने के बाद मैं काफ़ी उँचाई पर पहुँच चुका था, यहाँ सड़क के दाईं ओर सोहना कॉम्प्लेक्स है ! सोहना कॉम्प्लेक्स एक पर्यटन स्थल है जहाँ लोग परिवार संग समय बिताने आते है ! आगे जाकर एक मोड़ से दाईं ओर एक खंडहर हो चुका किला दिखाई देता है, मैने अपनी मोटरसाइकल वहीं सड़क के किनारे खड़ी कर दी और पैदल ही इस खंडहर की ओर चल दिया ! यहाँ से देखने पर पूरा सोहना शहर दिखाई देता है, दिल्ली, फरीदाबाद, गुड़गाँव और अन्य जगहों से जब भी लोग सोहना घूमने आते है तो यहाँ पर भी कुछ समय व्यतीत करते है ! हालाँकि, असामाजिक तत्वों के जमावड़े को रोकने के लिए समय-2 पर पुलिस यहाँ गश्त भी लगाती रहती है ! यहाँ पहुँच कर थोड़ी देर तक तो मैं एक पहाड़ी पर बैठ कर सोहना शहर को देखता रहा, फिर वहाँ से आस-पास के नज़ारों को अपने कैमरे में क़ैद करने लगा ! वैसे यहाँ ज़्यादा कुछ करने के लिए तो नहीं है, पर अगर मौसम अच्छा हो और आप अपने किसी ख़ास के साथ हो तो घंटों बैठ कर बातें करते हुए प्रकृति के नज़ारों का आनंद ले सकते है !
फिर सोहना का कॉम्प्लेक्स भी यहाँ से पास ही है, जहाँ परिवार संग अच्छा समय बिताने के कई विकल्प मौजूद है, इस कॉम्प्लेक्स में खाने-पीने से लेकर खेलने-कूदने तक की व्यवस्था है ! यहाँ पहाड़ी पर जब मैने काफ़ी समय बिता लिया तो वापस सोहना बस अड्डे की ओर चल दिया ! उस चौराहे पर पहुँचकर जहाँ से पलवल, नूंह, और सोहना के लिए रास्ता जाता है, मैं सोहना बस अड्डे जाने वाले मार्ग पर चल दिया ! एक किलोमीटर चलने के बाद सड़क से दाईं ओर एक रास्ता दमदमा झील की तरफ जाता है, मैं इसी मार्ग पर चल दिया ! इस मार्ग पर अंदर चलते हुए सड़क के किनारे-2 कई होटल है, जहाँ लोगों के रुकने की अच्छी व्यवस्था है ! बाहर से आने वाले लोग इन होटलों में रुक सकते है, जबकि स्थानीय लोग तो अपने घर से आना ही पसंद करते है ! रास्ते में जगह-2 बोर्ड भी लगे हुए है जो आपको दमदमा झील तक जाने का मार्ग दिखाते है, 7-8 किलोमीटर चलने के बाद अंत में मैं दमदमा झील पहुँच ही गया !
इस समय झील में बहुत ज़्यादा तो नहीं, पर पानी था, इतना पानी था कि नौकाएँ भी चल सके, जिस समय मैं वहाँ पहुँचा तो दो नौकाएँ वहाँ खड़ी थी, जो घूमने आए लोगों को झील में नौकायान की सवारी करा रही थी ! वहीं एक ऊँट वाला भी अपना ऊँट लेकर खड़ा था, अधिकतर परिवार जिसमें बच्चे थे वो नौकायान के साथ-2 ऊँट की सवारी का भी आनंद ले रहे थे ! दमदमा झील के पास ही एक होटल भी है जहाँ खाने-पीने की व्यवस्था है, झील तक जाने के लिए आपको इस होटल परिसर से होकर ही गुज़रना पड़ता है ! यहाँ खाना-पीना थोड़ा महँगा है, लेकिन जब घूमने निकल ही पड़े हो तो इतना तो चलता ही है ! वैसे अगर आपका कभी यहाँ आने का मन हो तो आप अपने साथ थोड़ा-बहुत खाने–पीने का सामान अपने साथ लेकर आएँगे तो आपको सुविधा रहेगी ! अपनी मोटरसाइकल पार्किंग में खड़ी करने के बाद मैं मुख्य परिसर में गया, यहाँ बहुत से लोग अपने परिवार संग आए हुए थे ! कोई गिटार बजा कर अपने साथियों का मनोरंजन कर रहा था तो कुछ लोग दूसरी गतिविधियों से समय काट रहे थे !
ठंडे मौसम में यहाँ अच्छा माहौल रहता होगा, इस समय तो गर्मी ही लग रही थी ! यहाँ का एक चक्कर काटने के बाद मैं घूमता हुआ झील की ओर चल दिया, जहाँ एक महिला और बच्चे ऊँट पर सवारी कर रहे थे ! झील के किनारे खड़े होकर मैने कुछ फोटो खींची और फिर वापिस पार्किंग की ओर चल दिया ! पर्यटन के लिहाज से ये एक शानदार जगह है झील से देखने पर एक तरफ तो अरावली की ऊँची-2 पहाड़ियाँ दिखाई देती है तो दूसरी तरफ घने वृक्ष भी दिखाई देते है ! पता नहीं इस पर्यटन स्थल के प्रति हरियाणा सरकार का रवैया इतना ढुलमुल क्यों है ! गिनती के एक-दो पर्यटन स्थल ही तो है हरियाणा और उनके प्रति भी पर्यटन विभाग का ऐसा रवैया वाकई निराश करता है ! अगर संबंधित विभाग चाहे तो इस क्षेत्र को अच्छे से निखार सकता है ताकि आने वाले समय में ये क्षेत्र लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच सके !
साप्ताहिक अवकाश पर दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों के लोग तो घूमने की ऐसी जगहों की तलाश में रहते ही है ! खैर, झील के चारों ओर थोड़ी देर घूमने के बाद मैने वापसी की राह पकड़ी, आते समय मैं सोहना जाने की बजाय मार्ग में पड़ने वाले एक चौराहे से बाईं ओर मुड़कर फिर अगले तिराहे से दाईं ओर मुड़ा ! ये मार्ग आगे सोहना-बल्लभगढ़ वाले मार्ग को पार करता हुआ होटल वेस्टिन के सामने से ग़ुजरकर सीधे सिलानी गाँव को निकलता है ! इस तरह मेरे सफ़र की काफ़ी दूरी भी कम हो गई, और समय भी बच गया ! सिलानी पहुँचने के बाद तो मुझे पलवल पहुँचने में आधा घंटा ही लगा, तो इस तरह मेरे इस सफ़र का एक सुखद अंत हुआ ! घर पहुँचकर मैं फिर से अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में व्यस्त हो गया !
मधुमक्खी पालन व्यवसाय |
A view from Sohna |
सोहना रेवाडी मार्ग (Sohna Rewari Road) |
View Point in Sohna |
पहाड़ी से दिखाई देता सोहना शहर (A view from Hill) |
Me standing on a hill |
सोहना कॉम्प्लेक्स के अंदर (Entrance of Sohna Complex) |
सोहना दमदमा मार्ग (Sohna Damdama Road) |
दमदमा झील (Damdama Lake in Sohna) |
Damdama Lake in Sohna |
Another view of Damdama Lake |
बल्लभगढ़-सोहना मार्ग चौराहा (Ballabgarh Sohna Road) |
क्यों जाएँ (Why to go Damdama Lake): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो दमदमा झील आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! इसके अलावा अगर आप अरावली पर्वत देखने के इच्छुक है तो प्राकृतिक नज़ारों से भरपूर दमदमा झील का रुख़ कर सकते है ! दमदमा झील और इसके आस-पास की जगहें देखने के लिए आधा दिन बहुत रहेगा, झील में आप नौकायान का आनंद ले सकते है !
कब जाएँ (Best time to go Damdama Lake): आप साल भर किसी भी महीने में दमदमा झील जा सकते है वैसे गर्मी के दिनों में तो ना ही जाएँ तो बढ़िया रहेगा क्योंकि गर्मी में नौकायान करते हुए झील से भी उमस निकलती है, ऐसे में आप नौकायान का आनंद ठीक ढंग से नहीं ले पाएँगे ! बेहतर रहेगा आप सर्दी या बरसात की दिनों में यहाँ आए ताकि झील में पर्याप्त पानी भी हो !
कैसे जाएँ (How to Reach Damdama Lake): दिल्ली से दमदमा झील की कुल दूरी महज 63 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 1 से 1.5 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से दमदमा झील जाने के लिए आप गुड़गाँव होते हुए सोहना वाला मार्ग पकड़ सकते है ! इस पूरे मार्ग पर बहुत बढ़िया सड़क बनी है !
कहाँ रुके (Where to stay near Damdama Lake): दमदमा झील के पास छोटे-बड़े कई होटल और रिज़ॉर्ट है ! गेटवे रिज़ॉर्ट नाम का एक होटल तो दमदमा झील के पास ही है जबकि वेस्टिन होटल इस झील से 9 किलोमीटर दूर है ! अगर आप किसी बाहरी शहर से यहाँ घूमने आ रहे है तो इनमें से किसी भी होटल या रिज़ॉर्ट में रुक सकते है जबकि स्थानीय लोगों के लिए तो वापिस घर जाना ही बढ़िया विकल्प है !
कहाँ खाएँ (Where to eat near Damdama Lake): दमदमा झील के आस-पास खाने-पीने के कई होटल है आप अपने स्वाद के अनुसार कहीं भी खा सकते है !
समाप्त..
यहाँ जाने की इच्छा थी जो ये पोस्ट पढ़कर और बढ़ गयी। सुन्दर..
ReplyDeleteज़रूर जाइए गौरव जी, ये शानदार जगह है !
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