दिल्ली से शोघी की एक सड़क यात्रा (A Road Trip to Shoghi)

शनिवार, 16 जुलाई 2016

अभी पिछले महीने ही कुछ सहकर्मियों के साथ शिमला घूम कर आया था, तब हम शिमला और इसके आस-पास की जगहों जैसे कसौली, चैल, और कुफरी भी गए थे ! एक महीना भी नहीं गुजरा था कि एक बार फिर से यात्रा का संयोग बनने लगा, लेकिन इस बार पारिवारिक यात्रा पर जाने का विचार था ! हालाँकि, घूमने जाने की जगह अभी निश्चित नहीं थी बस ये था कि फिर से कोई पहाड़ी यात्रा ही करनी है ! खैर, यात्रा की जगह तो अंतिम दिन तक भी निश्चित नहीं हुई, वैसे कभी-2 बिना योजना के किए गए ऐसे सफ़र बड़े मजेदार होते है, जिसमें कोई नियम, कोई पाबंदी, या कोई मंज़िल निश्चित नहीं होती ! बस चलते-2 जो अच्छा लगा देख लिया, जहाँ मन किया रुक गए, और फिर जब मन करे, आगे बढ़ चलो ! हालाँकि, ऐसे सफ़र के अपने फ़ायदे-नुकसान भी होते है, लेकिन फिर भी अगर मौका मिले तो कभी ऐसी यात्रा भी करके देखिए, यकीन मानिए, ये सफ़र आपको ताउम्र याद रहेगा ! चलिए, वापिस अपनी यात्रा पर चलते है जहाँ हमें इस यात्रा के लिए थोड़ी-बहुत जो खरीददारी करनी थी वो कर ली, और निर्धारित दिन सुबह 5 बजे हम इस सफ़र पर निकल पड़े !

विरजेश्वर महादेव मंदिर का एक दृश्य

घर से चले तो सब ठीक था, फरीदाबाद पहुँचे तो मौसम खराब होने लगा और दिल्ली पहुँचते-2 तो मौसम ने पूरी तरह से पलटी मार दी और तेज बारिश शुरू हो गई ! दक्षिणी दिल्ली तो वैसे भी काफ़ी निचले क्षेत्र में है, बदरपुर पुल से उतरे तो आली गाँव के पास की सड़कें नदियों में तब्दील हो चुकी थी ! दिल्ली में तो वैसे भी आधे घंटे की बारिश में ही खूब जलभराव हो जाता है और यहाँ तो पता नहीं कब से बारिश हो रही थी ! वैसे बारिश देख कर लग नहीं रहा था कि अगले घंटे भर तक भी ये रुकने वाली है, आलम ये था कि जलभराव के कारण सड़क के बीच में कुछ वाहन तो बंद हो चुके थे और अन्य वाहन बड़ी सावधानी से आगे बढ़ रहे थे ! बारिश के साथ-2 मेरे दिल की धड़कनें भी तेज होने लगी थी, अब तो ये डर भी सताने लगा कि कहीं हमारी गाड़ी भी बंद ना हो जाए ! अपनी पिछली लैंसडाउन यात्रा के दौरान बहुत बुरा अनुभव रहा था, जब पानी में आधी गाड़ी डूब गई थी, तब तो उपर वाले की कृपा से हम जैसे-तैसे करके बाहर निकल गए थे लेकिन हर बार तो ऊपर वाले पर निर्भर रहना भी मूर्खता ही होगी ! 

हर गुज़रता पल मन में अनेकों प्रश्न खड़े कर रहा था, कि क्या ऐसे खराब मौसम में घूमने जाना ठीक होगा ! जब फरीदाबाद पहुँचे थे तो विचार बनने लगा था कि उत्तराखंड में मसूरी की तरफ चला जाए, लेकिन दिल्ली की इस बारिश ने हमें फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया ! उत्तराखंड जाने के लिए हमें उत्तर प्रदेश से होकर निकलना पड़ता और बारिश में तो उत्तर प्रदेश के हालात भी बहुत बढ़िया नहीं रहते ! मन कह रहा था कि मौसम खराब है, वापिस घर चल, लेकिन दिल से आवाज़ आ रही थी कि इतनी मुश्किल से घूमने का मौका मिला है हाथ से जाने मत दे ! इस सारी कशमकश के दौरान हम सरिता विहार मेट्रो स्टेशन के नीचे खड़े थे ताकि अंतिम निर्णय लेने के बाद जहाँ भी जाना हो, जा सके ! दिल्ली में प्रवेश करने के बाद हम ज़्यादा दूर तो नहीं आए थे लेकिन जिस इलाक़े को हम पार करके आए थे वो सारा जलमग्न था ! रही बात गाड़ी बंद होने की, तो वो तो वापिस जाने वाले मार्ग पर हुए जल-भराव में कहीं भी हो सकती थी ! बहुत देर तक इन्हीं विचारों में दिमाग़ घूमता रहा, इस कशमकश में अंत में दिमाग़ की हार हुई और दिल जीत गया ! 

अंतिम निर्णय ये था कि अब निकल पड़े है तो बिना घूमे वापिस नहीं जाना, फिर चाहे कहीं आस-पास ही क्यों ना जाए ! मसूरी जाने का विचार नहीं बना तो दूसरा विकल्प हिमाचल का कोई पर्वतीय स्थल था ! हिमाचल जाने वाले मार्ग की स्थिति का जायजा लेने के लिए सोनीपत में कौशिक जी और अंबाला में सहगल जी से बात की ! इन दोनों लोगों से जो जानकारी मिली वो इस यात्रा पर मुहर लगाने के लिए काफ़ी थी ! जहाँ सोनीपत में रात से ही रुक-रुककर बारिश हो रही थी वहीं अंबाला में रात को बारिश हुई थी लेकिन इस समय बंद थी ! हालाँकि, बादल अभी भी बने हुए थे लेकिन जब महीना ही जुलाई का था तो बादलों से तो क्या ही डरना ? दोनों लोगों से मिली जानकारी में एक बात समान थी कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर कहीं भी जल-भराव नहीं था ! दोनों ही मित्रों ने आश्वस्त किया कि वैसे तो दिक्कत की कोई बात ही नहीं है लेकिन फिर भी अगर कुछ परेशानी होती है तो हम है ना ! ये सुनकर दिल को बड़ा सुकून मिला, सोचा, चलो मसूरी ना सही, शिमला ही चलते है, नज़ारों की भरमार तो हिमाचल में भी है ! 

इस दौरान जब फोन रखा तो हम हम सरिता विहार मेट्रो स्टेशन से निकलकर सराय काले ख़ाँ होते हुए आइएसबीटी पहुँच चुके थे ! सरिता विहार के मुक़ाबले यहाँ धीमी बारिश थी, हम आगे बढ़ते रहे, रास्ते में एक-दो जगहों को छोड़कर कहीं भी जल-भराव नहीं मिला ! सड़क खाली होने के कारण हम जल्द-से-जल्द दिल्ली से बाहर निकल जाना चाहते थे क्योंकि हम जानते थे कि एक बार दिल्ली से बाहर निकल गए तो जल-भराव की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी ! थोड़ी देर में ही हम मुकरबा चौक पार करते हुए दिल्ली-करनाल राजमार्ग पर पहुँच गए ! बारिश धीमी हो चुकी थी और मौसम भी खुलने लगा था, करनाल राजमार्ग पर पहुँचते ही एक जगह रुककर बच्चों के लिए खाने-पीने का कुछ सामान खरीदा ! थोड़ी आगे बढ़े तो एक जगह रुककर गाड़ी में पेट्रोल भी डलवा लिया ! बारिश का मौसम और सुबह-2 का समय होने के कारण राजमार्ग पर ज़्यादा वाहन नहीं थे ! खाली मार्ग होने का हमें बहुत फ़ायदा मिला, और अब तक हमारा जो समय बर्बाद हुआ था उसकी भरपाई यहाँ हो गई ! 

रास्ते में कहीं कम तो कहीं ज़्यादा बारिश होती ही रही, साढ़े नौ बजने वाले थे और हम सबको भूख भी लगने लगी थी ! थोड़ी देर बाद हम सड़क किनारे एक ढाबे पर जाकर खाने के लिए रुके, पौने घंटे में फारिक होकर यहाँ से चले, बारिश अभी भी हो रही थी ! अंबाला पहुँचते-2 बारिश बंद हो गई और फिर पंचकुला पार करने के थोड़ी देर बाद ही पहाड़ी क्षेत्र भी शुरू हो गया ! पहाड़ों पर पहुँचते ही जो नज़ारे दिखाई दिए, वो लाजवाब थे, जितनी परेशानियों को झेलकर हम यहाँ पहुँचे थे इन नज़ारों को देखने के बाद वो कम लगने लगी ! चंडीगढ़ से शिमला जाने के लिए शानदार राजमार्ग बना है, बारिश का मौसम होने के कारण आज इस मार्ग के दोनों ओर शानदार नज़ारे भी दिखाई दे रहे थे ! रास्ते में रुककर कई जगहें हमने फोटो भी खींची, इतने खूबसूरत नज़ारे होने के बावजूद मैने मुख्य राजमार्ग से ना जाकर धर्मपुर से अलग होने वाले एक सहायक मार्ग को चुना ! ये मार्ग सुबाथु, कुनिहार होते हुए शिमला को जाता है, इस मार्ग की जानकारी मुझे अपने एक फ़ेसबुक मित्र सुशील कुमार से मिली थी ! घुमककड़ी दिल से ग्रुप पर छुपा हीरा विषय पर चर्चा के दौरान सुशील जी ने इस स्थान के बारे में जानकारी दी थी ! 

तब उन्होनें बताया था कि लोग अक्सर शिमला जाते है लेकिन रास्ते में पड़ने वाली इन जगहों को जानकारी के अभाव में देख नहीं पाते ! जैसे-2 हमारी यात्रा आगे बढ़ती रहेगी, मैं इन जगहों के बारे में आपको बताता रहूँगा ! धर्मपुर से थोड़ी पहले कसौली जाने के लिए मुख्य मार्ग से बाईं ओर एक मार्ग अलग हो जाता है, इस मार्ग पर ना जाकर मुख्य मार्ग पर ही थोड़ी आगे बढ़ने पर धर्मपुर बाज़ार में बाईं ओर एक अन्य मार्ग भी अलग होता है ! हम इसी मार्ग पर मुड़ गए, शुरू में ये थोड़ा सँकरा है लेकिन थोड़ी दूर जाने पर ये ठीक हो जाता है ! इस मार्ग पर 7-8 किलोमीटर तक ढलान है लेकिन फिर थोड़ी चढ़ाई है, वैसे कसौली भी यहाँ से ज़्यादा दूर नहीं है मेरे अनुमान से तो सड़क से देखने पर बाईं ओर दूसरी पहाड़ी पर जो क्षेत्र दिखाई दे रहा था वो कसौली ही है ! नज़ारे तो इस मार्ग पर भी खूबसूरत थे लेकिन इस मौसम में चंडीगढ़-शिमला राजमार्ग पर दिखाई देने वाले नज़ारों के मुक़ाबले ये फीके ही लग रहे थे ! 

दरअसल, ये मार्ग ढलान भरा था इसलिए इसपर चलते हुए मैदानी इलाक़े जैसा अनुभव हो रहा था, बीच-2 में चीड़ के पेड़ और घुमावदार रास्ते ज़रूर सुखद एहसास दे जा रहे थे ! जबकि चंडीगढ़-शिमला राजमार्ग के दोनों ओर तो बादलों का जमावड़ा सा लगा हुआ था, पंचकुला से धर्मपुर तक आने में ही हम कई खूबसूरत नज़ारों से रूबरू हुए ! इस बीच हमने रास्ते में पहाड़ी पर से गुज़रते हुए टॉय ट्रेन को भी देखा, हरी-भरी पहाड़ी के बीच से निकलती हुई टॉय-ट्रेन शानदार लग रही थी ! सड़क निर्माण के कार्य की वजह से रास्ते में एक-दो जगह जाम भी मिला था ! मुख्य मार्ग से नीचे घाटी में देखने पर तैरते हुए बादलों का जो दृश्य हम थोड़ी देर पहले देखकर आए थे उसकी कमी हमें इस मार्ग पर महसूस हो रही थी ! खैर, इस मार्ग पर चलते हुए जब रास्ते में कुछ खूबसूरत नज़ारे दिखाई दिए तो हमने गाड़ी रोककर फोटो भी खींचे ! हरियाली तो इस मार्ग पर भी खूब थी लेकिन यातायात नगण्य था, इक्का-दुक्का गाड़ियाँ ही दिख रही थी ! 

धर्मपुर से लगभग 15 किलोमीटर चलने के बाद पहला कस्बा आया "सुबाथु" जोकि हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में 1265 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक छोटा सा छावनी क्षेत्र है ! सुबाथु में प्रवेश करने पर 10 रुपए का प्रवेश शुल्क अदा करने के बाद आगे बढ़े ! यहाँ सड़क के किनारे थोड़ी ऊँचाई पर कालिका माता का एक मंदिर है और बगल में ही एक पार्क भी है ! मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग के बगल में ही सेना का दफ़्तर है बाहर एक जवान सड़क पर बैरियर लगाकर आते-जाते वाहनों पर नज़र रखे हुए था ! यहाँ गाड़ी खड़ी करने की जगह नहीं थी इसलिए थोड़ी दूरी पर जाकर एक खुले स्थान पर हमने गाड़ी खड़ी की और पैदल ही मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर चल दिए ! सीढ़ियों से होते हुए हम मंदिर के प्रांगण में पहुँचे, मंदिर में इस समय हमारे अलावा कोई नहीं था, मंदिर के द्वार भी हमने ही जाकर खोले ! दोपहर के 3 बजने वाले थे शायद पुजारी कहीं आस-पास ही गए होंगे ! ऊँचाई पर होने के कारण मंदिर के आस-पास कोई शोर-शराबा नहीं था, ऐसी शांत जगह पर आना हमेशा ही एक सुखद अनुभव रहता है ! थोड़ी देर मंदिर में रुकने के बाद हम सीढ़ियों से होते हुए नीचे आ गए और अपनी गाड़ी की ओर चल दिए ! 

यहाँ सुबाथु में इस मंदिर के अलावा कुछ अन्य मंदिर और एक चर्च भी है ! हालाँकि, हम इस मंदिर के अलावा सुबाथु में और कहीं नहीं गए ! यहाँ से गाड़ी लेकर चले तो हमारा अगला पड़ाव "कुनिहार" था जिसकी दूरी यहाँ से 19 किलोमीटर है ! आधा रास्ता तय करने के बाद हम गम्बेरपुल पहुँचे, यहाँ "विरजेश्वर महादेव" का एक मंदिर है ! ये मंदिर एक छोटी नदी के किनारे बना हुआ है और मंदिर तक जाने के लिए एक पुल बना है ! इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है इसलिए महिलाएँ मंदिर के सामने बने लोहे के एक सीढ़ीनुमा मचान पर चढ़कर बाहर से ही दर्शन करती है ! मंदिर में अकेले जाने का मेरा मन नहीं था, इसलिए मंदिर के बाहर से ही कुछ फोटो लिए और वापिस आकर गाड़ी में बैठ गया ! महिलाओं को अंदर जाने की अनुमति क्यों नहीं है इस इस बात की जानकारी मुझे नहीं मिली, अगर आपको पता हो तो ज़रूर बताना ! मंदिर की इमारत बहुत ही सुंदर है, अंदर जाने की इच्छा तो थी लेकिन बच्चों के बिना अंदर जाने का मन नहीं हुआ ! 

यहाँ से चले तो हमारा अगला पड़ाव कुनिहार था लेकिन अब रास्ता सँकरा होने लगा था सड़क से बमुश्किल एक ही गाड़ी निकल पा रही थी ! सड़क के दोनों ओर सूखी झाड़ियाँ थी, इस मार्ग पर अब तक जो थोड़े-बहुत नज़ारे दिखाई दे रहे थे अब तो वो भी दिखने बंद हो गए ! सामने से जब कोई वाहन आता तो गाड़ी झाड़ियों में घुसानी पड़ जाती, धीरे-2 इस मार्ग पर आने का मज़ा अब सज़ा लगने लगा था ! सुदूर क्षेत्र होने के कारण यहाँ मोबाइल के सिग्नल भी नहीं मिल रहे थे, एक बार तो लगने लगा था कि शायद हमने कोई ग़लत मार्ग पकड़ लिया है ! रास्ते में कोई दिखाई भी नहीं दे रहा था जिससे रुककर रास्ता पूछ लेते, भगवान भरोसे ही आगे बढ़ते रहे ! मोबाइल सिंगनल ना होने के कारण गूगल मैप भी नहीं चल रहा था, बड़ी अजीब सी स्थिति थी ! जैसे-तैसे करके इस सँकरे मार्ग से निकलकर थोड़ा चौड़े मार्ग पर पहुँचे, ये एक रिहायशी इलाक़ा था यहाँ कुछ स्थानीय लोगों से शिमला जाने वाले मार्ग के बारे में पूछा ! उन्होने कहा ये चौड़ा मार्ग काफ़ी लंबा है अंदर से एक छोटा मार्ग है जिससे आप जल्दी पहुँच जाओगे ! उनके बताए अनुसार हम फिर से एक सँकरे मार्ग पर पहुँच गए, थोड़ी दूर इस मार्ग पर जाने के बाद मैं वापिस आ गया और उस चौड़े मार्ग पर ही चल दिया ! 

ये मार्ग थोड़ा लंबा ज़रूर था लेकिन मुझे ज़्यादा सुरक्षित लग रहा था, फिर इसी मार्ग पर थोड़ी आगे जाने पर एक नोयडा नंबर की गाड़ी दिखाई दी ! गाड़ी सड़क किनारे खड़ी करके ये लोग प्राकृतिक नज़ारे देख रहे थे इन्हीं में से एक सभ्य पुरुष ने हमें शिमला जाने का मार्ग बताया ! अब शाम होने लगी थी, सुबह से गाड़ी चलाते-2 थकान हो गई थी इसलिए हमारा विचार अब शिमला ना जाकर आज की रात शोघी रुकने का था ! मेरी कोशिश थी कि अंधेरा होने से पहले हम शोघी पहुँच जाएँ ! कुनिहार से चले तो रास्ते में एक जगह हमें हादसे में क्षतिग्रस्त हुई गाड़ियों का अंबार देखने को मिला, इनमें से कुछ गाड़ियाँ तो बाहर के नंबर की भी थी ! प्राप्त जानकारी के अनुसार आस-पास के क्षेत्र में जब कोई गाड़ी पहाड़ी से गिरकर या किसी दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो जाती है तो उसे यहाँ लाकर रख दिया जाता है ! अगर कोई व्यक्ति शिनाख्त करके अपनी गाड़ी ले गया तो ठीक वरना एक समय के बाद इन गाड़ियों की नीलामी कर दी जाती है ! इस सहायक मार्ग से जब हम राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहुँचे तो अंधेरा हो चुका था ! 

फिर तारादेवी मंदिर के पास से होते हुए हम शोघी पहुँचे, अब मैं एक ऐसे होटल ही तलाश में था जो ऊँचाई पर हो और जहाँ से घाटी का शानदार नज़ारा दिखाई देता हो ! हमारी खोज पहाड़ी के ऊपर बने एक होटल पर जाकर ख़त्म हुई, ये मुख्य मार्ग से थोड़ा ऊँचाई पर पर स्थित रायकॉट रिज़ॉर्ट नाम का एक होटल था ! होटल तक जाने के लिए मुख्य मार्ग से अलग एक सहायक मार्ग बना हुआ था लेकिन बारिश के कारण अभी ये मार्ग कई जगहों से धँस गया था ! इसलिए इस पर गाड़ी लेकर जाना सुरक्षित नहीं लग रहा था, धँसाव के कारण गाड़ी के टायर फँसने का डर था ! मैने अपने मोबाइल में ओयो रूम्स से इस होटल में रुकने के लिए कमरा आकर्षित करवा लिया, फिर गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी करके हम पैदल ही होटल में चल दिए ! होटल से थोड़ी पहले चीड़ के घने पेड़ थे और बगल में ही टॉय ट्रेन की पटरी भी गुजर रही थी ! मेरा अनुमान था कि सुबह के समय यहाँ से शानदार नज़ारा दिखाई देता होगा ! 

प्रथम तल पर स्थित एक कमरे में अपना सामान रखने के बाद हम थोड़ी देर होटल परिसर में टहलने के लिए नीचे आ गए ! शहर की भीड़-भाड़ से दूर चीड़ के घने पेड़ों के बीच अपनी प्रिय के साथ शाम की ये सैर मुझे लंबे समय तक याद रहेगी ! यहाँ ना तो कोई भागा-दौड़ी थी ना किसी की परवाह, यहाँ तो बस सुकून के कुछ पल थे जिन्हें हम पूरी अच्छे से जीना चाहते थे ! कुछ देर टहलने के बाद हम वापिस अपने होटल पहुँचे, यहाँ खाना खाने के बाद अपने कमरे में चले गए, वैसे हमारे कमरे से दूर घाटी का शानदार नज़ारा दिखाई दे रहा था ! होटल के आस-पास घने पेड़ होने के कारण वन्य जीवों के होने की संभावना से भी नकारा नहीं जा सकता था इसलिए रात्रि को बच्चों के साथ बाहर जाना सुरक्षित नहीं था ! आज का दिन सफ़र में ही गुजरा था और अच्छी-ख़ासी थकान भी हो गई थी, इसलिए हम आराम करने के लिए अपने बिस्तर पर चले गए !


दिल्ली से अंबाला जाते हुए रास्ते में एक दृश्य

कालका के पास हिमालयन एक्सप्रेस वे का टोल प्लाज़ा


यहाँ से पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो जाता है

यहाँ से पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो जाता है

इस मौसम में यहाँ ऐसे नज़ारे आम थे


इस मौसम में यहाँ ऐसे नज़ारे आम थे

धर्मपुर से सुबाथु जाने का मार्ग

धर्मपुर से सुबाथु जाने का मार्ग

इस मार्ग पर दिखाई देते नज़ारे 


इस मार्ग पर दिखाई देते नज़ारे 

सुबाथु में स्थित मंदिर के अंदर का दृश्य

सुबाथु में स्थित मंदिर के अंदर का दृश्य



दूर से दिखाई देता विरजेश्वर महादेव मंदिर 

विरजेश्वर महादेव मंदिर जाने का मार्ग


रास्ते में दिखाई देता घाटी का एक दृश्य

रास्ते में दिखाई देता घाटी का एक दृश्य

होटल जाने का मार्ग

चंडीगढ़ शिमला राजमार्ग

होटल से दिखाई देता एक दृश्य

होटल से दिखाई देता एक दृश्य

होटल से दिखाई देता एक दृश्य

होटल से दिखाई देता एक दृश्य

होटल से दिखाई देता एक दृश्य

होटल परिसर का एक दृश्य

होटल परिसर का एक दृश्य

होटल परिसर का एक दृश्य

होटल के पास से दिखाई देती टॉय ट्रेन की लाइन

होटल के पास से दिखाई देती टॉय ट्रेन की लाइन



क्यों जाएँ (Why to go Shoghi): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो हिमाचल प्रदेश में स्थित शोघी एक शानदार जगह है ! इसके अलावा अगर आप प्राकृतिक नज़ारों की चाह रखते है या टॉय ट्रेन की सवारी का लुत्फ़ उठना चाहते है तो भी शोघी जा सकते है ! दिल्ली से काफ़ी नज़दीक होने के कारण शोघी लोगों की पसंदीदा जगहों में से एक है !

कब जाएँ (Best time to go Shoghi): वैसे तो आप शोघी साल के किसी भी महीने में जा सकते है लेकिन बारिश के दिनों में तो यहाँ की हरियाली देखने लायक होती है !


कैसे जाएँ (How to reach Shoghi): दिल्ली से शोघी की दूरी महज 330 किलोमीटर है 
जिसे तय करने में आपको लगभग 7 से 8 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से शोघी जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग पानीपत-अंबाला-पंचकुला होते हुए है, पंचकुला से आगे आप चंडीगढ़-शिमला मार्ग ही पकड़े, ये शोघी जाने का सबसे उत्तम और बढ़िया मार्ग है ! दिल्ली से परवाणु तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है परवाणु से आगे सड़क विस्तारीकरण का काम चल रहा है ! कालका से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है, फिलहाल यहाँ 2 लेन राजमार्ग है जो आने वाले समय में शायद 4 लेन हो जाएगा !  


कहाँ रुके (Where to stay in Shoghi): 
शोघी एक पहाड़ी क्षेत्र है यहाँ आपको छोटे-बड़े कई होटल मिल जाएँगे, हम रायकॉट रिज़ॉर्ट में रुके थे जो एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है फोन नंबर है 09868126828 ! अगर आप यात्रा सीजन (मई-जून) में शोघी जा रहे है तो होटल में अग्रिम आरक्षण (Advance Booking) करवाकर ही जाएँ ! होटल के लिए आपको 800 से 2500 रुपए तक खर्च करने पड़ सकते है !


कहाँ खाएँ (Eating option in Shoghi): 
शोघी में छोटे-बड़े कई होटल है, जहाँ आपको खाने-पीने का सभी सामान आसानी से मिल जाएगा !


क्या देखें (Places to see near Shoghi): 
शोघी और इसके आस-पास देखने के लिए कई जगहें है जैसे तारा देवी मंदिर, काली मंदिर, वायसराय लॉज, माल रोड, जाखू मंदिर, और रिज का मैदान ! इसके अलावा आप शोघी और इसके पास घने जंगलों में बर्ड वाचिंग, कैंपिंग, और ट्रेकिंग का आनंद भी ले सकते है !


टोल शुल्क (Toll Plaza on Delhi Shimla Highway): इस राजमार्ग पर कई टोल प्लाज़ा है जिनका ब्यौरा मैं यहाँ दे रहा हूँ ! 

पानीपत – 30
करनाल – 114
अंबाला – 36
परवाणु (हिमालयन एक्सप्रेस वे) – 29
परवाणु - 30
सभी टोल शुल्क कार के एक तरफ के है, इतना ही शुल्क वापसी में भी देना होगा !

अगले भाग में जारी...


शोघी-शिमला यात्रा
  1. दिल्ली से शोघी की एक सड़क यात्रा (A Road Trip to Shoghi)
  2. हिमाचल का एक दर्शनीय स्थल - मशोबरा (Mashobra - A Beautiful Place in Himachal)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

12 Comments

  1. acha vivran hai bahut badhiya likhte rahiye

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  2. subah padha tha ek bar phir se padhne ki icha man hui to phir se padh liya

    rahichaltaja.blogspot.in

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    1. बहुत अच्छे, जितनी बार इच्छा हो उतनी बार पढ़िए !

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  3. भरपूर जानकारी हर तरीके के साथ आपकी पोस्ट अछि लगती है....बारिश में पहाड़ और खूबसूरत हो जाते है

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    1. धन्यवाद प्रतीक भाई !

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  4. चौहान साहब 👌।यात्रा पढकर ,मेरे और मेरे पांच दोस्तों द्वारा इसी रोड़ से10 साल पहले की गई घुमक्कडी शिमला टू नाहन 3 बाईकों पर याद आ गई ।रास्ते मे पंक्चर, बारीश लेकिन मजा आ गया था ।धन्यवाद ।

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    1. धन्यवाद भाई, जानकर अच्छा लगा कि यात्रा पढ़कर आपको अपनी पुरानी यात्रा की यादें ताज़ा हो गई !

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  5. Neeche saransh mein bahut hi sanschit aur acchi information hai.. Dhanyawaad

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