शुक्रवार, 15 सितम्बर 2017
खाटू श्याम की यात्रा पर जाने का मेरा विचार तो काफी समय से बन रहा था, लेकिन किसी ना किसी वजह से इस यात्रा पर जाने का दिन निर्धारित नहीं हो पा रहा था ! आखिरकार सितम्बर के महीने में वो दिन आ ही गया जब इस यात्रा पर जाने का संयोग बना ! सितम्बर के तीसरे सप्ताह में एक दिन लोकेश का फ़ोन आया, बातचीत के दौरान जब उसने पूछा, खाटू श्याम कब चलने का विचार है क्या ? मैं तो इस यात्रा पर जाने के लिए कबसे तैयार बैठा था, इसलिए मैंने कहा, चल यार इसी हफ्ते चलते है ! इस पर वो बोला, एक मित्र भी साथ चलने के लिए कह रहा था, मैं उससे बात करके शाम तक बताता हूँ ! दिनभर काम में व्यस्त रहने के बाद मुझे शाम तक इन्तजार भी नहीं करना पड़ा और ऑफिस से निकलने से पहले ही लोकेश का फ़ोन भी आ गया ! इस तरह शुक्रवार, 15 सितम्बर को इस यात्रा पर जाना निर्धारित हुआ, इस यात्रा पर हम 3 दिनों के लिए जा रहे थे ! शुक्रवार दोपहर बाद गुडगाँव से निकलकर, खाटू श्याम और सालासर बालाजी देखते हुए हम रविवार शाम तक घर वापिस आने वाले थे ! यात्रा में केवल 2 दिन ही शेष थे, लेकिन इस यात्रा के लिए हमें ज्यादा तैयारी नहीं करनी थी इसलिए परेशानी वाली कोई बात नहीं थी !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi494GeruojAXQIQCigrgRK6SfEhoRNDFcpy6lSi8tEy7O8DnrZ38rsZCrR0Nnd7qo8cQiM7PvsaU3S_Q40mYxQDyPHiMAKK8Y3CoH9JuyZ4gvG5mv8_0NJk6LQiRunerE055swHtk4Zprv/s640/Img07.jpg) |
खाने के समय लिया एक चित्र
|
निर्धारित दिन लोकेश ने इस यात्रा पर ले जाने वाला अपना बैग मुझे सुबह ही दे दिया, योजना के मुताबिक दिनभर अपने-2 ऑफिस का काम निबटाने के बाद हम सब दोपहर बाद गुडगाँव के सिकंदरपुर में मिलने वाले थे ! दोपहर से ही मैं लोकेश से फ़ोन पर संपर्क में था, सिकंदरपुर पहुंचकर उसने मुझे फ़ोन किया तो अगले 10 मिनट में मैं भी उनके पास पहुँच गया ! आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इस यात्रा पर मैं, लोकेश, सुनील और अनिल जा रहे थे ! यहाँ से हम सब गाडी में सवार होकर इफ्को चौक स्थित वेस्टिन होटल के पीछे से होते हुए जयपुर राजमार्ग पर जा चढ़े, इस समय गुडगाँव में जगह-2 फ्लाईओवर निर्माण का कार्य चल रहा था, इसलिए इन जगहों पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है ! गनीमत रही कि हम बिना किसी जाम में फंसे गुडगाँव से निकलकर जयपुर राजमार्ग पर जा चढ़े, रास्ते में कुछ जगहों पर सड़क विस्तारीकरण का काम चल रहा था ! गुडगाँव से निकलकर हम मानेसर टोल प्लाजा पहुंचे, जहाँ गाड़ियों की लम्बी कतार लगी हुई थी, टोल पार करने में थोडा समय लगा ! मानेसर से आगे बढे तो रास्ते में कई जगह धीमा ट्रेफिक मिला, हम धीरे-2 आगे बढ़ते रहे, कुछ देर में ही हम भीड़-भाड़ से निकलकर खाली मार्ग पर पहुँच गए ! यहाँ हमारी गाडी ने जो रफ़्तार पकड़ी तो अगले टोल प्लाजा पर जाकर ही रुकी !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjNSAyUg-cU0e0y_F_yE8i0TYUlxvFmBqwQOwn2sbOdCTYIMTBxRsVmRM3NTHGXgVS-PLwea-BO1ah5RUEbw_MSv7ecqVx6ZTTwPahwDILwFA7bSikGUr1c0ccRCK_NF0rugdOGVRylQr1H/s640/Img01.jpg) |
गुडगाँव से निकलते समय लिया एक चित्र |
हम शाहजहांपुर में थे, यहाँ 125 रूपए का शुल्क अदा करके आगे बढे तो 2-3 किलोमीटर चलने के बाद सड़क के बाईं ओर एक सीएनजी पंप है, जिसकी जानकारी हमें एक मित्र सुभाष अग्रवाल ने पहले ही दे दी थी ! अब तक हम गुडगाँव से 90 किलोमीटर आ चुके थे, सीनजी लेने के लिए हम टोल पार करने के बाद फ्लाईओवर पर ना चढ़कर नीचे जा रहे एक सहायक मार्ग पर हो लिए ! खुले मैदान के बीचों-बीच स्थित ये पम्प दूर से ही दिखाई दे रहा था, पम्प पर पहुंचे तो ज्यादा भीड़ भी नहीं थी, इसलिए मुश्किल से 5 मिनट का समय लगा ! यहाँ से आगे बढे तो सहायक मार्ग से होते हुए फिर से राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहुँच गए ! यहाँ सड़क के दोनों ओर जगह-2 काफी दूर से ही होटल हाईवे किंग और कुछ अन्य होटलों के विज्ञापन लगे हुए थे ! शाम के 6 बज रहे थे, सुनील भाई ने काफी देर पहले ही कहा था कि चाय पीने का मन है, किसी बढ़िया चाय की दुकान पर रोकना, मैंने बोल दिया, जहाँ भी रुकने का मन हो बता देना, मैं गाडी रोक दूंगा ! खैर, किसी ने भी रुकने को नहीं कहा और हम अनवरत आगे बढ़ते रहे, आखिरकार, शाहजहांपुर से 70 किलोमीटर चलने के बाद आखिर हम होटल हाईवे किंग के सामने जाकर ही रुके ! शाम के 7 बज रहे थे, हमने सोचा, अब खाना खाकर और चाय पीकर ही आगे बढ़ेंगे, घंटे भर में खा-पीकर यहाँ से फारिक होकर आगे बढे !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiA4F7CwDILL4uI_2Z-2sFMa3bcvlE6irazXQ-22uHuD75Abn8OjlSsI90WPX7nYYhnKAnhtu5A4_WnLENlVrah4GIbR8gqRclIm_ZpMfsl26sZlIPJGPZkOVxxOYnyK0wDSRTrQ-4Dd2EG/s640/Img02.jpg) |
सी एन जी पम्प पर लिया एक चित्र |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguUT-RwYFumN4-9WC8QqlUloeLAVZ8JEtUdzb1GFPL8a-OIHxb1vTXcHJdUQuMQgLz29Qx8c6JcwTaBwOQcGMeMELtrpV04ATajmix-zvZNqMMNN_jzzF5MM86LMhtOR0c_EUEQwLda8TT/s640/Img03.jpg) |
सी एन जी पम्प पर लिया एक चित्र |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg35pkRuw6QY6n2udJbMk2CbEOSYJuH9c6vEITVFmdTpfwUo70fB4bPm8hj1MRekxQbxyOGMPgF7bDFNsoRMiM5l35clXYhCyA2q5x1ho2cWaAUY-KknFI7T5d9XoRgw6stdH-yH6UTafhV/s640/Img04.jpg) |
होटल हाईवे किंग के सामने लिया एक चित्र |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgqJLlUMl9dyKcNoIvapFfSQRPnD5cxe8y_U9cqMAXUcNawxeLoAC42-m9GVc_7pdYjOgawmraf4-x63sqwwcL4Qkf_-Qf0864qxI1NsLmR1dO9z5EG2GEwOoZhptba5GJYmzfBUeTTivMW/s640/Img05.jpg) |
होटल हाईवे किंग का एक दृश्य |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi00EG5Vpe8OzHGfjuOc5xaa28vigLmSSVOhvX-mo9XCtWUaR36R7Id_-qP8a3gG4D1EB6NWnazkeBDKDp4p95ex2lB4LiWpwaIeFD7XvjLsaALBpQpW94VPi6Ge6PAiWk7VAhUd8vzCm-M/s640/Img06.jpg) |
होटल हाईवे किंग का एक दृश्य |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhnXjj9qifJ9XovYnwq_lxMt49A6ZI1TOI75BrbM-yrITb0IU2akUR7VDsBsm1_2zt80br7lCowNHdR_fSyWMOqk7UTHU1twLwFzHBKxMxuN3H326gqBv9rgOQZM7Fxzr3egcsMeRS5eWmp/s640/Img08.jpg) |
होटल हाईवे किंग के सामने लिया एक चित्र |
यहाँ से 15 किलोमीटर चलने के बाद हम जयपुर राजमार्ग को छोड़कर अपनी दाईं ओर जा रहे अजीतगढ़ मार्ग पर मुड गए ! शुरुआत में तो ये सीमेंट का पक्का मार्ग है लेकिन आगे बढ़ने पर ये बीच-2 में कई जगह टूटा हुआ है, रात हो चुकी थी और इस मार्ग पर अँधेरा ही था ! इस मार्ग पर दो जगह टोल प्लाजा भी पड़ते है जहाँ 25-25 रूपए का शुल्क लगता है, लेकिन मार्ग की हालत देखकर टोल देने का बिल्कुल भी मन नहीं होता ! शुरुआत में सुनसान इलाका आया लेकिन फिर बीच-2 में गाड़ियाँ भी मिल जाती, दिन के समय इस मार्ग पर ठीक-ठाक चहल-पहल रहती है ! खाटूश्यामजी एक धार्मिक स्थल है और यहाँ आने वाले लोगों का हमेशा ही तांता लगा रहता है, लेकिन जो हालत इस मंदिर की ओर जाने वाले राजमार्ग की है वो बहुत खस्ता है ! प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की ज़रूरत है, जब इस मार्ग पर इतनी चहल-पहल है तो सरकार को अपना रवैया बदलने की ज़रूरत है ! अब तक हम माधोपुर से बाएं मुड़कर रींगस की ओर बढ़ रहे थे, गूगल मैप ने बढ़िया साथ दिया वरना इतनी रात को किससे रास्ता पूछते ! वैसे, रींगस के बाद तो ये मार्ग सीधा खाटू श्याम ही जाता है, इसलिए हम इसी मार्ग पर अनवरत बढ़ते रहे !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjxx9Xmw_stKXjSthkZOmGb-0Qu4jdOMHD8bnx7kfMRnLX7u1YuGucGXxhXgtHufbpeThw7webRYH1ulESG3ABunsPV3R0d4z9no3x5ATzO0p2l6ll5g-33tBBAIhYhRhfZAFdzQrDDSmrw/s640/Img09.jpg) |
होटल हाईवे किंग के सामने लिया एक चित्र |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVAbmAXhe7z6WvYwgFrxThDEFSiqhon5KYaIo0L6GRly9lfOb-LPCeIojV3WP00FXeHKo-ugNsYkiJzl6J3Lrzu_HgzIK9nN5cyMKPpydCzrJ3hsjN7OpsVjd6I3izrej5WFlSFD98_R6P/s640/Img10.jpg) |
होटल हाईवे किंग के सामने लिया एक चित्र |
रात के 10 बज रहे थे जब हम खाटू श्याम पहुंचे, इस समय चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था, अब तक मंदिर बंद हो चुका था इसलिए हम सुबह दर्शन करेंगे ! मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग से थोडा पहले रास्ता कई हिस्सों में बंट जाता है, वैसे भी मंदिर तक गाडी लेकर जाने की अनुमति नहीं है ! हम ऐसे ही एक मार्ग से मुड़कर मंदिर के पीछे स्थित एक रिहायशी क्षेत्र में पहुँच गए, यहाँ कई धर्मशालाएं और होटल है ! हमारा पहला काम रात्रि विश्राम के लिए एक होटल या धर्मशाला ढूँढने का था ! मैं यहाँ पहली बार आया था जबकि मेरे अन्य साथी यहाँ पहले भी आ चुके थे, पिछली बार ये जिस धर्मशाला में रुके थे वो दिल्ली वालों की धर्मशाला थी, इनके हिसाब से वो बढ़िया धर्मशाला थी ! हम इसी धर्मशाला को ढूँढने में लगे थे, लेकिन रात में इन्हें रास्ता समझ नहीं आ रहा था काफी मशक्कत के बाद आखिरकार हमें “दिल्ली वालों की 2 तारीख” की धर्मशाला मिल ही गई ! इस बीच हम 2-3 धर्मशालाएं देख चुके थे लेकिन हमें किसी में भी कमरा पसंद नहीं आया था ! दिल्ली वालों की धर्मशाला में पहुंचकर देखा तो यहाँ के कमरे साफ़-सुथरे और वातानुकूलित थे, पहला कमरा देखते ही हमें पसंद आ गया, शायद इस धर्मशाला को बने अभी ज्यादा समय नहीं हुआ था !
कमरे का किराया भी ज्यादा नहीं था, मात्र 700 रूपए प्रतिदिन, हमने बिना देरी किये हाँ कर दी और कागजी कार्यवाही पूरी करने लगे ! वैसे हम सही समय पर यहाँ पहुंचे थे क्योंकि अभी 10 मिनट पहले ही इस धर्मशाला के द्वार बंद हुए थे, उस समय हम एक अन्य धर्मशाला में कमरा देख रहे थे ! कमरा दिखाते हुए दिल्ली वाली धर्मशाला का संचालक हमसे बोला, इतनी देर से द्वार खुले थे तब तो आप लोग आए नहीं, और अब द्वार बंद होते ही कमरा देखने आ गए ! खैर, गाडी धर्मशाला के बाहर खड़ी करके, अपना-2 सामान लेकर हम प्रथम तल पर स्थित अपने कमरे की ओर चल दिए ! कमरे में डबल बेड के अलावा एक अतिरिक्त दीवान भी था, जहाँ 4 लोग बड़े आराम से सो सकते थे ! रात के 11 बजने वाले थे, सुबह समय से उठकर हमें मंदिर में दर्शन के लिए भी जाना था इसलिए ज्यादा देर ना करते हुए हम सब आराम करने के लिए अपने-2 बिस्तर पर चले गए ! सफ़र की थकान थी और वातानुकूलित कमरा, थोड़ी देर में ही कमरा ठंडा हो गया, उसके बाद तो कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला ! वैसे, रात को सोने से पहले ही हमने सुबह उठने के लिए अलार्म लगा दिया था, ताकि मंदिर जाने से पहले तैयार हो सके !
रात को बढ़िया नींद आई और सुबह समय से सोकर उठे, बारी-2 से हम सब नहाने-धोने में लग गए, घंटे भर में सब नहा-धोकर तैयार हो गए ! इतनी सुबह भूख तो किसी को भी नहीं लगी थी और फिर सबने सोचा कि मंदिर में दर्शन के बाद ही चाय पियेंगे ! इसलिए होटल से बाहर निकलकर पैदल ही मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर चल दिए ! मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर रास्ते में एक पुलिस चौकी भी पड़ती है और इसके सामने ही एक चौराहा भी है, यहाँ से कई मार्ग अलग होते है, रात को हम इस चौराहे के पास से ही दूसरे मार्ग पर चले गए थे ! मंदिर की ओर जाने वाला मार्ग एक बाज़ार से होकर निकलता है, सुबह-2 का वक़्त होने के बावजूद बाज़ार की अधिकतर दुकानें खुल चुकी थी ! इन दुकानों पर मंदिर में चढाने के लिए प्रसाद से लेकर, साज-सज्जा का सामान और भगवान् की मूर्तियाँ भी बिक्री के लिए रखी गई थी ! इन दुकानों के सामने जगह-2 फेरी वाले भी खड़े थे जो खाने-पाने का सामान बेच रहे थे ! हम धीरे-2 मंदिर की ओर बढ़ते रहे, इस मार्ग पर अच्छी साफ़-सफाई थी, ज्यादा भीड़-भाड़ तो नहीं थी, लेकिन फिर भी अच्छी चहल-पहल थी ! अधिकतर धार्मिक स्थलों की तरह यहाँ भी मांगने वाले लोग झुण्ड बनाकर घूम रहे थे, और हर आने-जाने वालों को घेर लेते है !
दबाव बनाने के लिए ये लोग आपको धर्म की आड़ में खूब डरायेंगे, अलग-2 बातों का वास्ता भी देंगे, कई बार तो आप बिल्कुल परेशान हो जाओगे ! आप दयाभाव दिखाकर अगर किसी एक को कुछ देंगे तो 10 अन्य आपके पीछे पड़ जायेंगे, प्रशासन या मंदिर समिति को इस ओर ध्यान देना चाहिए ! खैर, 10-15 मिनट की पदयात्रा करके हम मंदिर के मुख्य द्वार के सामने पहुंचे, यहाँ मंदिर के सामने मिठाइयों की कई दुकानें थी, जहाँ अलग-2 तरह की मिठाइयाँ और मंदिर में चढाने के लिए प्रसाद रखा हुआ था ! हमने ऐसी ही एक दूकान से प्रसाद लिया और मंदिर के प्रवेश द्वार की ओर चल दिए, दुकान के ठीक सामने एक फूल वाला दिखा तो सबने मंदिर में चढाने के लिए कुछ फूल भी ले लिए ! प्रवेश द्वार के ठीक सामने झाड़ू लिए कई महिलायें खड़ी थी जो यहाँ आने वाले हर श्रद्धालु को मंदिर की सफाई का वास्ता देकर पैसे वसूलती है ! इस तरह का माहौल देखकर बहुत बुरा लगता है लोग यहाँ श्रद्धा भाव से आते है और ये मांगने वाले धर्म के नाम पर लोगों को लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ते ! चलिए, इस लेख पर यहीं विराम लगाता हूँ, अगले लेख में मैं आपको खाटू श्याम के बारे में बताऊंगा और सुबह की आरती के साथ मंदिर के दर्शन भी करवाऊंगा !
क्यों जाएँ (Why to go Khatu Shyam): अगर आपको धार्मिक स्थानों पर जाना अच्छा लगता है तो निश्चित तौर पर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटूश्याम जाकर आप निराश नहीं होंगे ! खाटूश्याम एक धार्मिक स्थल है, यहाँ बरबरीक को समर्पित एक मंदिर है ! भगवान् कृष्ण ने बरबरीक को वरदान दिया था कि कलयुग में वो कृष्ण जी के श्याम नाम से पूजे जायेंगे ! यहाँ दूर-2 से लोग दर्शन के लिए आते है, यहाँ आने वाले लोगों की कतार कभी कम नहीं होती !
कब जाएँ (Best time to go Khatu Shyam): आप साल के किसी भी महीने में खाटूश्याम जा सकते है, वैसे ज्यादा ठण्ड और ज्यादा गर्मी में ना ही जाएँ तो बेहतर होगा ! यहाँ जाने के लिए अक्तूबर-नवम्बर का समय सर्वोत्तम है !
कैसे जाएँ (How to reach Khatu Shyam): दिल्ली से खाटूश्याम की दूरी लगभग 280 किलोमीटर है ! यहाँ जाने का सबसे बढ़िया साधन सड़क मार्ग है दिल्ली से खाटूश्याम जाने के लिए सीधे बस सेवा तो नहीं है लेकिन आप जयपुर जाने वाली किसी भी बस से शाहपुरा तक जा सकते है ! शाहपुरा से खाटूश्याम जाने के लिए कई प्राइवेट सवारियां चलती है जो अजीतगढ़ होते हुए खाटूश्याम तक जाती है ! अगर आप रेल मार्ग से जाना चाहे तो रींगस यहाँ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो मंदिर से लगभग 18 किलोमीटर दूर है ! स्टेशन से मंदिर जाने के लिए आपको कई सवारियां मिल जाएँगी !
कहाँ रुके (Where to stay in Khatu Shyam): खाटूश्याम में रुकने के लिए मंदिर के आस-पास कई धर्मशालाएँ और होटल है, जिनका किराया भी 500 रूपए से शुरू होकर 1000 रुपए तक है ! इन धर्मशालाओं में ज़रूरत की सभी सुविधाएँ मौजूद है, आप अपनी सहूलियत के हिसाब से कहीं भी रुक सकते है !
क्या देखें (Places to see in Khatu Shyam): खाटूश्याम राजस्थान के सीकड़ जिले में स्थित है यहाँ खाटूश्याम मंदिर के अलावा देखने के लिए अन्य कई स्थल है जिसमें देवगढ़ का किला, हर्षनाथ मंदिर और दंता रामगढ़ किला प्रमुख है ! ये जगहें मुख्य शहर से 40 किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है ! देवगढ़ 40 किलोमीटर, रामगढ़ 30 किलोमीटर, और हर्षनाथ मंदिर 38 किलोमीटर दूर है !
एक बार ग्रुप बस के माध्यम से खाटू श्याम की यात्रा करने का मौका मिला है।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया संदीप भाई, मैं भी पहली बार ही यहाँ गया था !
Deleteबहुत सुना है इस मंदिर के बारे में कभी अभी तक जा नही पाया....बहुत बढ़िया पोस्ट
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक भाई, वाकई शानदार जगह है अगली पोस्ट में इस मंदिर के महत्त्व के बारे में बताया है !
DeleteBoht badiya.....2 tarikh walo ki dharamshala ki Google location share kar sakte ho.
ReplyDeleteमधुर जी, धर्मशाला की लोकेशन आपको पर्सनल मेसेज में भेज दी है ढूँढने में कोई परेशानी हो तो बता दीजियेगा !
Deletebhai sahab Khatu Shyam Ke liye koi acchi Dharmshala bataen
ReplyDeleteवैसे तो खाटू श्याम में सैकड़ों धर्मशालाएं है हम दिल्ली वालों की 2 तारीख धर्मशाला में रुके थे ये बढ़िया धर्मशाला थी आप इसमें रुक सकते है और इसके आस-पास भी कई धर्मशालाएं है !
Delete9450222241
ReplyDeleteUr description is a complete record of UR journey which is so much useful for others & it inspires us
ReplyDeleteby heart!!Bro.I with my family visited this place. IT is best place.Thanks a lot Again***
जी धन्यवाद, जानकर अच्छा लगा कि मेरे इस लेख से आपको अपनी यात्रा में सहायता मिली ! अगर लेख पढ़कर किसी एक भी पाठक को सहायता मिलती है तो लेखक के लिखने का उद्देश्य पूरा हो जाता है !
Delete