रविवार, 2 अगस्त 2015
बहुत दिनों से सरिस्का मेरी घूमने जाने वाली जगहों की सूची में था, पर हर बार ये जगह रह ही जाती थी ! इस बार जब एक रविवार को हितेश का फोन आया कि सरिस्का घूमने चले क्या, तो मैने बिना समय गँवाए हाँ कर दी ! छुट्टी का दिन होने के कारण कोई परेशानी भी नहीं थी, इस यात्रा पर हितेश के साथ उसके दफ़्तर के कुछ सहकर्मी भी जा रहे थे ! क्योंकि ये एक दिन की ही यात्रा थी जिसमें हमें यहाँ से सुबह चलकर दिनभर सरिस्का घूमकर शाम तक वापिस आ जाना था इसलिए यात्रा के लिए ज़्यादा तैयारी करने की ज़रूरत नहीं थी ! जब हितेश से बात करके फोन बंद किया तो सुबह के 7 बज रहे थे, अपनी योजना के मुताबिक हम 8 बजे घर से निकलने वाले थे ! मैं नहा-धोकर समय से तैयार हुआ और नाश्ता करने के बाद एक बैग में अपना कैमरा लेकर घर से निकल लिया ! प्रोग्राम इतनी जल्दी बना था कि सरिस्का के बारे में कुछ जानकारी भी नहीं जुटा पाए ! बस इतना पता था कि वहाँ वन्य जीव उद्यान के अलावा अलवर में सिलिसढ़ झील भी है !
हमारे पायलट हितेश शर्मा |
हालाँकि, जानकारी का अभाव बाद में हमारी इस यात्रा पर भारी भी पड़ा जिसके बारे में विस्तार से वर्णन आगे किया गया है ! तो मैं घर से निकलकर निर्धारित समय पर तय स्थान पर पहुँच गया, जहाँ हितेश पहले से ही अपनी गाड़ी लेकर मेरा इंतजार कर रहा था ! इस यात्रा पर हम चार लोग मैं, हितेश, विनोद और सुंदर जा रहे थे और ये यात्रा हम हितेश की एटियोस लीवा से करने वाले थे ! मैं और हितेश यहाँ से चलकर विनोद के घर पहुँच गए, सुंदर भी हमें यहीं मिलने वाला था ! यहाँ से निकलते-2 हम लोगों को लगभग आधा घंटा लग गया और तय समय से 25 मिनट की देरी से हम लोगों ने ये यात्रा शुरू की ! साढ़े आठ बजे तक हम लोग मुख्य शहर से बाहर निकलकर पलवल-नूंह मार्ग पर पहुँच गए, हम लोग नूंह होते हुए अलवर जाने वाले थे ! इस मार्ग से अलवर की दूरी लगभग 125 किलोमीटर है और फिर अलवर से सरिस्का 46 किलोमीटर दूर है !
वैसे तो हमारे शहर से अलवर जाने के कई मार्ग है, एक मार्ग तो होड़ल होते हुए और जबकि दूसरा मार्ग तिजारे से होकर अलवर जाता है ! पर इस मार्ग से हम पहले नल्हड़ तक जा चुके थे तो हमें इस मार्ग के हालात की जानकारी भी थी और इस मार्ग पर ज़्यादा टोल नाके भी नहीं है ! जबकि होड़ल वाले मार्ग पर तो 85 रुपए का टोल नाका पड़ता है और होड़ल से पुन्हाना होते हुए अलवर जाने के मार्ग की वर्तमान स्थिति के बारे में भी हमें जानकारी नहीं थी, इसलिए हमने इस मार्ग को चुना ! दूसरा पलवल से नूंह तक सिंगल रोड है जिसपर दोनों तरफ का यातायात चलता है, इस मार्ग की हालत बढ़िया है, बीच में एक दो गाँवों में सड़क थोड़ी खराब है पर गाड़ी आराम से निकल सकती है ! नूंह पहुँचकर गाड़ी में डीजल डलवाने के बाद हमने अपना आगे का सफ़र जारी रखा ! नूंह हरियाणा के मेवात जिले में आता है, और इस समय हम सोहना-अलवर मार्ग पर चल रहे थे, इस मार्ग का एक सिरा तो सोहना होते हुए गुड़गाँव चला जाता है !
जबकि दूसरा सिरा मेवात से होते हुए राजस्थान चला जाता है, मेवात की सीमा समाप्त होते ही राजस्थान की सीमा शुरू हो जाती है ! राजस्थान की सीमा में प्रवेश करते ही इस मार्ग पर अलवर जिले का पहला गाँव पड़ता है, नौगाँव, हम इसी मार्ग पर आगे बढ़ रहे थे ! हरियाणा-राजस्थान सीमा पर ही एक पुलिस नाका भी है और ये नाका मेवात क्षेत्र में आता है ! दूर से ही पुलिस नाका हमें दिखाई दे दिया तो गाड़ी की रफ़्तार थोड़ा धीरे कर ली, इस नाके पर आने-जाने वाले हर वाहन की तलाशी हो रही थी ! एक पुलिस वाले ने हमें भी हाथ दिखाकर रुकने का इशारा किया, हमने गाड़ी सड़क के किनारे रोक दी ! फिर जब उसने हमारी गाड़ी के कागज देखे जोकि पूरे थे तो बोला कि मैं तुम्हारी गाड़ी के नंबर प्लेट का चालान काट सकता हूँ ! वो बोला, तुम्हारी गाड़ी की नंबर प्लेट ठीक नहीं है, अब नई नंबर प्लेट चल रही है और तुम्हारी गाड़ी पर अब भी वही पुरानी प्लेट लगी है !
अब तक हम सब उस पुलिस वाले से आराम से ही बात कर रहे थे, चालान की बात सुनकर सुंदर जोकि गाड़ी में पीछे बैठा हुआ था, गाड़ी से उतरकर बाहर आ गया ! वो पुलिसवाले से बोला, चालान तो तुम इस बात का भी काट सको कि हमने जूते ना पहन रखे, तुम्हारी मर्ज़ी का किसी को क्या पता ! बिना बात के ही चालान काटने के बहाने ढूँढते रहो तुम तो, कागज पूरे है तो नंबर प्लेट में गड़बड़ बता दी ! फिर थोड़ी देर की बहस के बाद पुलिस वाले ने पूछा कि तुम कहाँ से आ रहे हो और कहाँ जाओगे, तो हमने बता दिया कि हम सब पलवल से आ रहे है और अलवर जा रहे है ! फिर उसने बताया कि इस मार्ग पर चोरी की बहुत गाड़ियाँ आती है इसलिए यहाँ हर गाड़ी की चेकिंग होती है ! दरअसल, वाहन तस्कर दिल्ली और इसके आस-पास से गाड़ियाँ चोरी करके इसी मार्ग से राजस्थान ले जाते है ! खैर, थोड़ी देर की बहस के बाद उसने हमारी गाड़ी के कागज वापस दे दिए और चालान की नौबत भी नहीं आई !
नाके को पार करके हम सब राजस्थान सीमा में दाखिल हुए, जहाँ हमारा स्वागत एक टोल नाके ने किया ! यहाँ एक मजेदार घटना घाटी, जब नाके पर बैठे टोल कर्मचारी ने टोल के पैसे माँगे तो सुंदर बोला, पुलिस का स्टाफ है ! ये सुनते ही हम सब सुंदर को देखने लगे, इतने में वो टोल कर्मचारी से बोला, पीछे टोल नाके पर ही मेरे भाई की तैनाती है, नाम है सतबीर ! इस पर टोल वाला कर्मचारी बोला, ठीक है, तो स्टाफ का आई-कार्ड दिखा दो ! सुंदर बोला, भाई का आई-कार्ड हम कैसे दिखा दे, बता तो रहा हूँ कि वो पीछे वाले नाके पर ही खड़ा है, कहे तो तेरी फोन पर बात भी करवा दूँ ! ये सुनकर हम सबकी हँसी छूट गई, और टोल वाले को भी समझते देर नहीं लगी कि नाके पर किसी का भाई-वाई नहीं है ! इतने में मैने 25 रुपए देकर टोल की एक तरफ की रसीद ले ली और आगे बढ़ गए ! फिर सुंदर बोला यार तुम हंस गए वरना अभी निकल जाते ऐसे ही, हमने कहा कोई बात नहीं यार, कौन सा हम यहाँ रोज-2 आ रहे है !
इस टोल नाके का शुल्क एक तरफ का 25 रुपए और दोनों तरफ का 38 रुपए है, और पर्ची की अवधि मध्य रात्रि को समाप्त हो जाती है ! वैसे सोहना-अलवर मार्ग की हालत बहुत बढ़िया है, हमारी गाड़ी बड़े आराम से 100 से उपर की रफ़्तार पकड़ ले रही थी, इसलिए टोल देने में कोई हर्ज नहीं है ! लेकिन इस मार्ग पर बहुत ज़्यादा गति अवरोधक है, और उनमें से कुछ तो इंते ऊँचे है कि हमारी गाड़ी टिक भी जा रही थी ! इस समय ड्राइविंग सीट पर हितेश ही बैठा था और उसने कई बार इन अवरोधकों पर गाड़ी टिकाई ! हालाँकि, ये अवरोधक इस मार्ग पर चलने वाले सैकड़ों ट्रकों की रफ़्तार पर लगाम लगाने में सहायक भी है, वरना तो यहाँ रोज कोई ना कोई हादसा हो ! खैर, हमारी गाड़ी तेज़ी से इस मार्ग पर अलवर की तरफ आगे बढ़ रही थी ! इसी मार्ग पर आगे बढ़ते हुए हम लोग रामगढ़ पार करके जब कासरोली पहुँचे तो एक और टोल नाका मिला, यहाँ भी 38 रुपए का दोनों तरफ का टोल अदा करने के बाद अलवर के लिए आगे बढ़े !
रामगढ़ के बाद गति अवरोधकों की संख्या में कमी आ गई और सड़क भी तारकोल का आ गया जो अब तक सीमेंट का था ! हितेश गाड़ी की गति लगातार बनाए हुए था, फिर भी कहीं-2 लोगों से रास्ता पूछने के लिए गाड़ी रोक लेता और फिर हम सब प्राप्त जानकारी अनुसार आगे बढ़ जाते ! थोड़ी देर बाद जब हम सब अलवर के मुख्य शहर में पहुँचे तो यहाँ एक गोल-चक्कर आया, जहाँ से अलग-2 दिशाओं के लिए रास्ते जा रहे थे ! यहाँ हम एक स्थानीय व्यक्ति से पूछकर सरिस्का जाने वाले मार्ग पर .मुड़ गए, इसी मार्ग पर सिलिसढ़ झील, भृतहरि और सरिस्का वन्य जीव उद्यान भी है ! यहाँ से झील की दूरी 15 किलोमीटर जबकि सरिस्का उद्यान 42 किलोमीटर दूर है, यहाँ एक मोटरसाइकल वाले ने हमें छोटा रास्ता बता दिया ! अगर हम इसी मार्ग से जाते तो 3-4 किलोमीटर अतिरिक्त चलना पड़ता क्योंकि ये मार्ग बहुत आगे तक जाकर फिर वापस घूमकर एक गाँव के बाहर से होता हुआ आता है ! जबकि उस मोटरसाइकल वाले ने हमें गाँव के मध्य से जाने का एक मार्ग दिखा दिया, जो आगे जाकर उसी सरिस्का जाने वाले मार्ग में मिलता है !
गाँव से बाहर निकलकर जब हम मुख्य मार्ग पर पहुँचे तो इसी मार्ग पर थोड़ा आगे बढ़ने के बाद हमने अपनी बाईं ओर यू-टर्न ले लिया ! ये मार्ग सरिस्का होते हुए जयपुर जाता है जबकि सीधा जाने वाला मार्ग नारनौल जाता है ! यहाँ से लगभग 40 मिनट की यात्रा करके हम सरिस्का पहुँचे, मैं गाड़ी में बैठे-2 ही बाहर की फोटो खींच रहा था, इस दौरान कुछ खूबसूरत नज़ारे भी हमें देखने को मिले ! रास्ते में सड़क के किनारे कुछ कांवडीय भी जाते हुए दिखाई दिए, फिर जब सड़क के दोनों ओर घना जंगल आ गया और सड़क के किनारे हमें कुछ जंगली जानवर घूमते हुए दिखाई दिए ! आने-जाने वाले लोग सड़क पर अपने वाहन खड़े करके इन जानवरों की फोटो खींचने में लगे थे, हमने भी अपनी गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी कर दी !
दरअसल, सरिस्का वन्य जीव उद्यान सड़क के बाईं ओर है और इस उद्यान का एक हिस्सा सड़क पर भी आता है, इसलिए वन्य जीव घूमते हुए कभी-2 सड़क पर भी चले आते है, इस क्षेत्र में काफ़ी हरियाली थी ! हमने भी यहाँ रुककर कुछ फोटो खींची और फिर आगे बढ़ गए, थोड़ी देर बाद ये हरियाली ख़त्म हो गई, फिर इसी मार्ग पर सड़क किनारे दाईं ओर वन विभाग का एक दफ़्तर था ! यहाँ सड़क के बाईं ओर से एक रास्ता उद्यान के लिए भी जाता है, हम इस रास्ते पर बढ़ने ही वाले थे कि ना जाने मन में क्या आया कि सोचा इस मार्ग के बारे में वन विभाग कार्यालय से सुनिश्चित कर लेते है ! फिर गाड़ी खड़ी करके वहाँ मौजूद अधिकारी से इस उद्यान तक जाने वाले रास्ते के बारे में पूछा तो वो बोला रास्ता तो यही है पर इस समय तो उद्यान बंद है ! हमने पूछा बंद है ? क्यों बंद है, आज तो खुलता है ना, अभी उद्यान के खुलने का समय नहीं हुआ है क्या ? वगेरह-2 !
इस पर वो बोला कि ये उद्यान तो जुलाई से सितंबर के बीच बंद ही रहता है और इस दौरान उद्यान में किसी भी पर्यटक को अंदर नहीं जाने दिया जाता ! हमने मन ही मन सोचा, यार इतनी दूर से चलकर यहाँ आए है और ये उद्यान ही बंद पड़ा है ! अब हमें अफ़सोस भी होने लगा कि काश यहाँ आने से पहले इस उद्यान के बारे में कुछ जानकारी ले लेते ! हम दोनों दुखी मन से वापस अपनी गाड़ी की ओर चल दिए, समय देखा तो दोपहर के पौने एक बज रहे थे ! अब जब उद्यान बंद ही था तो यहाँ करने के लिए कुछ ख़ास नहीं था ! फिर उद्यान में चोरी-छुपे घुसना भी ठीक नहीं लग रहा था वरना सड़क के किनारे मौजूद जानवरों को देख कर लग रहा था कि सड़क के किनारे फैले जंगल से होते हुए उद्यान में जाया जा सकता है ! पर इसमें काफ़ी जोखिम होगा क्योंकि इस जंगल में जंगली जानवर भी होंगे ! हम सब गाड़ी में बैठे और वापस अलवर की ओर चल दिए ! यहाँ हितेश ने गाड़ी की चाबी मुझे दे दी और बोला कि भाई अब तू चला ले, मेरा मन नही है अब और गाड़ी चलाने का !
सुंदर और विनोद |
सोहना-अलवर मार्ग (Sohna Alwar Road) |
एक छोटा बच्चा बाइक चलाते हुए |
मार्ग में लिया एक चित्र (A view from the Road) |
दिशा दर्शाता एक बोर्ड |
चार मुसाफिर (Four Travellers) |
सरिस्का से थोड़ा पहले लिया एक चित्र (A view near Sariska) |
सड़क के किनारे बैठा एक लंगूर |
सड़क के किनार घने जंगल (Wrong Turn to Sariska) |
हितेश और विनोद चिंतन की मुद्रा में |
सरिस्का में एक वन्य जीव |
सरिस्का से वापस आते हुए |
सरिस्का के जंगल (Road to Sariska) |
सरिस्का जाने का मार्ग |
क्यों जाएँ (Why to go Sariska): अगर आप दिल्ली के आस-पास नौकायान के साथ-2 वन्य जीव उद्यान भी घूमना चाहते है तो सरिस्का आपके लिए बढ़िया जगह है ! यहाँ झील के अलावा अरावली पर्वतमाला भी है !
कब जाएँ (Best time to go Sariska): वैसे तो आप साल के किसी भी महीने में सरिस्का जा सकते है लेकिन बारिश के मौसम में ये वन्य जीव उद्यान बंद रहता है जुलाई से सितंबर के बीच अगर यहाँ जा रहे है तो आप वन्य जीव उद्यान नहीं देख पाएँगे ! लेकिन सिलिसढ़ झील में नौकायान का आनंद आप साल भर ले सकते है, झील के किनारे ही एक सरकारी बार भी है जहाँ मदिरा और खाने-पीने का सामान मिल जाएगा !
कैसे जाएँ (How to reach Sariska): दिल्ली से सरिस्का की दूरी मात्र 213 किलोमीटर है सरिस्का सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है जबकि यहाँ का नज़दीकी रेलवे स्टेशन अलवर है जिसकी दूरी सरिस्का से 45 किलोमीटर है ! अलवर से सरिस्का जाने के लिए आपको जीपें और अन्य सवारियाँ आसानी से मिल जाएँगी ! जबकि आप सीधे दिल्ली से सरिस्का निजी गाड़ी से भी जा सकते है, इसके लिए आपको भिवाड़ी-तिजारा-अलवर होते हुए जाना होगा ! अगर आप हवाई सफ़र का आनंद लेना चाहते है तो यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा जयपुर है जिसकी दूरी यहाँ से 111 किलोमीटर है ! हवाई अड्डे से आप टैक्सी लेकर सरिस्का आ सकते है !
कहाँ रुके (Where to stay in Sariska): सरिस्का में रुकने के लिए बहुत कम विकल्प है, गिनती के 2-4 ही होटल होंगे ! अधिकतर होटल यहाँ से 45 किलोमीटर की दूरी पर अलवर में है ! होटल में रुकने के लिए आपको 1200 से 2000 तक खर्च करने पड़ सकते है !
क्या देखें (Places to see in Sariska): वैसे तो सरिस्का और इसके आस-पास देखने के लिए काफ़ी जगहें है लेकिन सरिस्का वन्य जीव उद्यान, सरिस्का पैलेस, और सिलिसढ़ झील प्रमुख है !
अगले भाग में जारी...
सरिस्का यात्रा
- सरिस्का में दोस्तों संग मस्ती (A Road Trip to Sariska)
- सिलिसढ़ झील के पास बिताए कुछ पल (Moments spent near Siliserh Lake)
बहुत बढ़िया .. यात्रा वृत्तान्त प्रदीप जी.....
ReplyDeleteधन्यवाद रितेश भाई !
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