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सफ़दरजंग के मक़बरे से निकलते हुए धूप काफ़ी तेज हो गई थी, लेकिन अभी तो आधा दिन भी नहीं गुजरा था ! मैने सोचा, क्यों ना पास में ही स्थित लोधी गार्डन भी घूम लिया जाए, क्या पता इधर आने का मौका फिर कब लगे ! लोधी गार्डन इस मक़बरे से बहुत ज़्यादा दूर नहीं है बमुश्किल 200-300 मीटर की दूरी पर होगा ! मक़बरे के प्रवेश द्वार के ठीक सामने जाने वाला मार्ग लोधी रोड ही है, जो इस पार्क के किनारे से होता हुए आगे दयाल सिंह कॉलेज की ओर चला जाता है ! वैसे तो इस मार्ग पर बसें भी खूब चलती है लेकिन दूरी ज़्यादा ना होने के कारण मैं इस मार्ग पर पैदल ही चल दिया ! लोधी रोड पर स्थित ये पार्क ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफ़ी महत्वपूर्ण है, 90 एकड़ में फैले इस पार्क में कई मुगल शासकों के मक़बरे है जिसमें मोहम्मद शाह, और सिकंदर लोदी के मक़बरे प्रसिद्ध है ! सुबह-शाम स्थानीय लोग इस पार्क में टहलने के लिए आते है तो दोपहर होते-2 यहाँ प्रेमी-युगलों के अलावा पर्यटक भी आने लगते है ! इस पार्क में मुगल शासकों के मकबरों के अलावा शीश-गुंबद और बड़ा-गुंबद भी है, पार्क में स्थित इन मकबरों और अन्य इमारतों को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित घोषित किया जा चुका है !
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मुहम्मद शाह का मकबरा |
ये पार्क लोधी रोड पर ख़ान मार्केट और सफ़दरजंग के मक़बरे के बीच में स्थित है ! पार्क तक पहुँचने के लिए यातायात के विभिन्न साधन मौजूद है, लोग निजी वाहनों से भी यहाँ आते है ! पार्क के बाहर पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह है, और अधिकतर पार्किंग फ्री ही है ! दिन में यहाँ लोग परिवार के साथ भी यहाँ घूमने के लिए आते है ! पार्क के आस-पास कुछ फेरी वालों के अलावा खाने-पीने के बहुत ज़्यादा विकल्प मौजूद नहीं है इसलिए यहाँ आते हुए अगर आप खाने-पीने का सामान अपने साथ लेकर चलेंगे तो आपको सहूलियत रहेगी ! ज़ोर बाग के अलावा जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम भी इस पार्क का सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन है ! ज़ोर बाग मेट्रो इस पार्क से आधा किलोमीटर तो जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम मेट्रो स्टेशन यहाँ से 1 किलोमीटर दूरी पर है ! मेट्रो स्टेशन से आप ऑटो से भी यहाँ आ सकते है और अगर चलने के शौकीन हो तो पैदल भी ये दूरी तय की जा सकती है !
इस पार्क में जाने के कई प्रवेश द्वार है, सफ़दरजंग मक़बरे की तरफ से आते हुए पड़ने वाले पहले प्रवेश द्वार से मैं पार्क में दाखिल हुआ ! दोपहर के 12 बजने वाले थे, सूर्य देव एकदम सिर पर थे, और गर्मी भी अपने शबाब पर थी लेकिन मैं भी खाने-पीने का सामान अपने साथ लेकर चला था ! मेरे घूमने का जज़्बा राह में आने वाली किसी भी रुकावट से कहीं ऊपर था, इसलिए मुझे धूप या गर्मी की कोई परवाह नहीं थी ! पार्क के अंदर दाखिल होते ही मैं पार्क में बने पाके मार्ग पर चल दिया, पूरे पार्क में घूमने के लिए पक्का मार्ग बना हुआ है और इस मार्ग के दोनों ओर खूब पेड़-पौधे लगाए गए है ! प्रवेश द्वार के पास ही बहुत सारे फूल भी खिले हुए थे, शायद लोग यहाँ से पौधे ख़रीदकर अपने साथ भी ले जा सकते है ! पक्के मार्ग पर चलता हुआ मैं पार्क के दूसरे भाग में जाने लगा, मार्ग के किनारे जगह-2 बोर्ड लगाए गए है जिनपर पार्क में मौजूद ऐतिहासिक इमारतों और पक्षियों से संबंधित जानकारी दी गई है !
जिस समय मैं पार्क में पहुँचा तो यहाँ बहुत ज़्यादा लोग नहीं थे, या शायद पार्क के इस हिस्से में ज़्यादा लोग नहीं थे क्योंकि आगे जाने पर तो मुझे काफ़ी लोग मिले ! पार्क में घूमता हुआ सबसे पहले मैं पहुँचा मुहम्मद शाह के मक़बरे पर, मुहम्मद शाह का संबंध सैय्यद वंश से था ! जिनका शासनकाल 1414 से 1451 तक रहा ! इन शासकों ने बहुत कम समय तक दिल्ली पर राज किया और इनके राज्य की सीमाएँ भी बहुत सीमित थी ! इन शासकों के पास ना तो आलीशान नगर बनाने के लिए समय था और ना ही महल बनवाने के लिए पैसा ! लोधी गार्डन में स्थित मुहम्मद शाह का ये मकबरा उस समय के वास्तुकला अवशेषों में से एक है, इस मक़बरे का निर्माण तीसरे सैय्यद शासक ने करवाया, जिनका शासनकाल 1434 से 1444 तक रहा !
इस मक़बरे में उस दौर की कुछ विशेषताएँ जैसे अष्टभुजाकार आकृति, कोनों पर निर्मित पुश्तें, दीवारों के प्लस्तर पर की गई सजावटी नक्काशी, उत्कीर्ण दरवाजे और मक़बरे की छत पर बनी छतरियाँ शामिल है !
इस मक़बरे के केंद्रीय कक्ष का व्यास 15 मीटर है, केंद्रीय कक्ष में कई क़ब्रें मौजूद है, कहा जाता है कि इन्हीं क़ब्रों के बीचों-बीच मुहम्मद शाह की कब्र भी मौजूद है ! बाकी क़ब्रें संभवत: उनके परिवार के अन्य सदस्यों की होंगी ! अष्टभुजाकार आकृति में बने इस इमारत की हर भुजा में 3-3 दरवाजे है, इमारत के ऊपरी भाग में हर भुजा पर एक छोटा गुंबद बना है जबकि छत के बीचों-बीच एक बड़ा गुंबद बना है ! मक़बरे तक जाने के लिए पत्थर की सीढ़ियाँ बनी हुई है, वैसे मक़बरे के अंदर तो गिनती के लोग ही जाते है लेकिन इस इमारत के आस-पास वाले मैदान में आपको काफ़ी लोग बैठे हुए दिख जाएँगे ! मक़बरे के अंदर वाली छत पर भी बढ़िया चित्रकारी की गई है और केंद्रीय कक्ष में कई खिड़कियाँ और मोखले बने हुए है ! मुहम्मद शाह का मकबरा देखने के बाद मैं पार्क में स्थित अन्य इमारतों को देखने के लिए आगे बढ़ गया !
यहाँ से आगे बढ़ने पर मैं पार्क में स्थित बड़ा गुंबद इमारत के पास पहुँच गया, ये गुंबद लोदी काल का प्रवेश द्वार मानी जाती है ! लोदी वंश का शासनकाल 1451 से 1526 तक रहा, 19 मीटर लंबी, 19 मीटर चौड़ी और 27 मीटर ऊँची ये इमारत दिल्ली में स्थित लोदी वंश की उत्कृष्ट इमारतों में से एक है ! इस इमारत की ये ख़ासियत है कि बाहर से देखने पर ये दो मंज़िला लगती है ! इसके निर्माण में मुख्यत: भूरे रंग के पत्थरों का प्रयोग किया गया है, जबकि कुछ अन्य पत्थरों का प्रयोग सजावट के लिए किया गया है ! जैसे दरवाज़ों पर लाल बलुआ पत्थर और अगले हिस्से में लाल भूरे तथा काले रंग के मिले-जुले पत्थर लगाए गए है ! इस इमारत का आंतरिक भाग बेहद साधारण सा है जिसपर ना तो प्लस्तर किया गया है और ना ही कोई नक्काशी की गई है ! बड़े गुंबद के पास एक मस्जिद भी बनी है, जिसकी लंबाई 25 मीटर और चौड़ाई 6.5 मीटर है !
ये मस्जिद लोदी वंश के दौरान प्रयोग होने वाले उत्कीर्ण और चित्रित चूना पत्थर की सजावटी तकनीक का बेहतरीन नमूना है !
इस मस्जिद की अन्य विशेषताएँ इसके झरोखे और कोनों पर बनी मीनारें है जिनका आकार क़ुतुब मीनार जैसा है ! दक्षिणी मेहराब पर अंकित लेख सन 1494 का है, इस मस्जिद के अगले हिस्से में एक प्रांगण है जिसमें रोड़ी-पत्थर से निर्मित एक टीला है, शायद ये किसी कब्र का चबूतरा रहा होगा ! इसके आगे एक कक्ष है जो आकार में मस्जिद जैसा ही है और संभवत ये निवास स्थल के रूप में बनवाया गया होगा ! बड़ा गुंबद और मस्जिद तक जाने के लिए पत्थर की खूब चौड़ी-2 सीढ़ियाँ बनी है, मस्जिद की दीवारों और छत पर खूब चित्रकारी की गई है और शायद उर्दू या फ़ारसी भाषा में कुछ लिखावट भी की गई है ! मस्जिद की भीतरी छत पर भी खूब बढ़िया कलाकारी की गई है ! मस्जिद के सामने वाली इमारत में तीन प्रवेश द्वार है जबकि अंदर से ये इमारत आपस में जुड़ी हुई है ! एक लंबी गैलरी है और उसमें पत्थर के कई द्वार बने हुए है, एकांत जगह होने के कारण इस इमारत में भी जगह-2 प्रेमी युगल अपने क्रिया-कलापों में लिप्त थे !
जिस समय मैं यहाँ पहुँचा, कुछ लोग प्री-वेडिंग फोटो शूट कर रहे थे, आजकल ये काफ़ी चलन में है, बड़े-2 शहरों में फोटोग्राफर दूल्हा-दुल्हन को सगाई के बाद और शादी से पहले फोटो सेशन के लिए ऐतिहासिक और अन्य खूबसूरत जगहों पर फोटो सेशन के लिए ले जाते है ! खैर, बड़ा गुंबद और मस्जिद देखने के बाद मैं सीढ़ियों से होता हुआ नीचे आ गया और बड़ा गुंबद के सामने मौजूद एक अन्य इमारत को देखने के लिए चल दिया ! इमारत के पास जाकर पता चला ये शीश गुंबद है, दूर से देखने पर शीश गुंबद का आकार बड़ा गुंबद से काफ़ी मिलता-जुलता है, लेकिन पास से देखने पर पता चलता है कि इस गुंबद की सजावट कुछ अलग तरह से की गई है ! इस गुंबद की बाहरी दीवारों पर लगे नीले रंग के चमकदार टाइलों के कारण इसका नाम शीश गुंबद पड़ा, मेरे अनुमान के मुताबिक इस इमारत के बाहरी भाग के ऊपरी हिस्से को इन टाइलों से सजाया गया होगा !
शीश गुंबद के अंदर बना कक्ष 10 मीटर वर्गाकार है, ये भी एक मकबरा है और इसके अंदर कई क़ब्रें बनी है, लेकिन ये जानकारी कहीं भी नहीं दी गई कि ये क़ब्रें किसकी है ! हालाँकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये मकबरा प्रथम लोदी बादशाह बहलोल लोदी का है जिनकी मृत्यु सन 1489 में हुई थी ! गुंबद के आंतरिक छत के प्लस्तर को उकेर कर सजाया गया है और इस पर भी खूब बढ़िया चित्रकारी की गई है ! शीश-गुंबद घूम लेने के बाद मेरी मुलाकात योगी शाश्वत जी से हुई, जो किसी काम के सिलसिले में पार्क के पास से ही निकल रहे थे ! जब उन्हें पता चला कि मैं आज दिल्ली भ्रमण पर हूँ तो अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकाल कर मुझसे मिलने चले आए ! 10 मिनट की ये छोटी मुलाकात भी काफ़ी बढ़िया रही, फिर जब योगी जी चले गए तो मैं भी पार्क में मौजूद अन्य इमारतों को देखने के लिए आगे बढ़ गया !
पार्क के अंदर वाले मार्ग पर थोड़ी दूर चला तो मुझे एक छोटी झील दिखाई दी, इस झील के ऊपर बने पुल पर खड़े होकर लोग झील में मौजूद मछलियों को दाने डाल रहे थे !
झील से थोड़ी दूरी पर ही मैदान के एक ढलान वाले हिस्से में कुछ परिवार पिकनिक मनाने आए थे ! मैदान के दूसरे भाग में कुछ विदेशी लोग भी ग्रुप बनाकर बैठे थे, सभी लोग अपने-2 तरीके से आनंद ले रहे थे ! पुल पार करते हुए मैं झील के दूसरे किनारे पहुँच गया, जहाँ सिकंदर लोदी का मकबरा था ! सिकंदर लोदी, लोदी वंश के द्वितीए शासक थे जिन्होनें 1489 से 1517 तक शासन किया ! ये मकबरा एक विशाल अहाते से घिरे उद्यान में स्थित है जो लगभग 76 वर्ग मीटर में फैला है, इस अहाते की दीवारें 3.5 मीटर ऊँची है ! सामने की ओर वर्गाकार चबूतरे पर निर्मित दो छतरियों में अब भी नीली टाइलों के अवशेष बचे है, अहाते के अंदर पश्चिमी दीवार के मध्य भाग का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि ये दीवार मस्जिद का काम भी कर सके !
अहाते के बीचों-बीच अष्टभुजाकार मकबरा बना है, इस मक़बरे के आंतरिक भाग को टाइलों से सजाया गया है जबकि छत पर प्लस्तर को उकेर कर सुंदर चित्रकारी की गई है !
सिकंदर लोदी के मक़बरे तक जाने के लिए अहाते में एक द्वार बना है, सीढ़ियों से चढ़कर मैं इस द्वार से होता हुआ मक़बरे परिसर में दाखिल हुआ ! द्वार से मक़बरे के मुख्य कक्ष तक जाने के लिए पक्का मार्ग बना है और चारों तरफ हरा-भरा मैदान है ! मक़बरे के मुख्य कक्ष में खिड़कियाँ लगी है जहाँ से सुंदर दृश्य दिखाई देते है, मकबरा घूम लेने के बाद मैं वापिस अहाते से बाहर आ गया ! मुख्य द्वार से बाहर निकलते ही सामने झील है, झील में कई बतखें है, जो पानी में करतब करते हुए बहुत सुंदर लगती है ! फ़ोटोग्राफ़ी के लिए ये उत्तम स्थान है, ऐतिहासिक इमारतों से लेकर, बतखें, पेड़-पौधे और भी बहुत कुछ यहाँ है !
झील के किनारे जगह-2 प्रेमी युगल भी अपना डेरा जमाए हुए थे, जिन्हें यहाँ आने वाले लोगों की कोई परवाह नहीं रहती ! लोग इनकी हरकतें देख कर भले शर्मिंदा हो जाए, लेकिन मज़ाल है कि ये जोड़े अपनी हरकतों से बाज आ जाएँ ! वैसे लोधी बाग हो या दिल्ली की कोई अन्य ऐतिहासिक इमारत, सबकी हालत एक जैसी ही है, ये सभी जगहें इन प्रेमी युगलों का अड्डा सा बन गई है !
प्रेमी-युगलों की उपस्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति अपने परिवार संग ख़ासकर बच्चो के साथ इन जगहों पर जाने में हिचकता है ! वैसे दिल्ली की इन ऐतिहासिक इमारतों में प्रेमी-युगलों की तादात देखकर एक बार तो लगता है कि ये सभी इमारतें इन लोगों से होने वाली आमदनी से ही चल रही है ! खैर, कुछ देर बतखों की फोटो खींचने के बाद मैं पार्क से बाहर की ओर चल दिया, रास्ते में मुझे पार्क के अंदर ही एक मीनार और एक मस्जिद भी दिखाई दे ! लोधी गार्डन से निकलकर मैं जलाहर लाल नेहरू स्टेडियम मेट्रो स्टेशन की ओर चल दिया, दयाल सिंह कॉलेज को पार करने के बाद मैं मेट्रो स्टेशन पहुँचा, जहाँ से मैने फरीदाबाद जाने वाली मेट्रो पकड़ ली ! तो दोस्तों ये था मेरा लोधी गार्डन का सफ़र, जल्द ही आपसे एक नए सफ़र पर फिर मुलाकात होगी !
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पार्क की जानकारी देता एक बोर्ड |
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मुहम्मद शाह का मकबरा |
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मुहम्मद शाह के मक़बरे के अंदर का एक दृश्य |
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मक़बरे की छत पर की गई कारीगरी |
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मक़बरे के बाहर का गलियारा |
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मक़बरे की छत पर की गई कारीगरी |
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पार्क से बाहर जाने का मार्ग |
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पार्क में मौजूद चिड़ियों से जुड़ी जानकारी |
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पार्क परिसर में एक मीनार |
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बड़ा गुंबद का एक दृश्य |
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बड़ा गुंबद का एक दृश्य |
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बड़ा गुंबद परिसर में एक अन्य इमारत |
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बड़े गुंबद के पास बनी मस्जिद |
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मस्जिद के सामने बना आवास स्थान |
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बड़े गुंबद से दिखाई देता शीश गुंबद |
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मस्जिद की दीवारों पर की गई चित्रकारी |
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मस्जिद की छत पर की गई कारीगरी |
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मस्जिद के बाहर बना बरामदा |
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मस्जिद के सामने बने आवास स्थान के अंदर का दृश्य |
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मस्जिद की दीवारों पर की गई चित्रकारी |
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शीश गुंबद का एक दृश्य |
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सिकंदर लोदी के मक़बरे का प्रवेश द्वार |
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सिकंदर लोदी का मकबरा |
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मक़बरे परिसर के अंदर का एक दृश्य |
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मक़बरे परिसर के अंदर का एक दृश्य |
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सिकंदर लोदी का मकबरा |
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सिकंदर लोदी के मक़बरे का प्रवेश द्वार |
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झील में तैरती बतख |
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झील में तैरती बतखें |
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झील में तैरती एक बतख |
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सिकंदर लोदी के मक़बरे की बाहरी दीवार का एक दृश्य |
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एक बतख कुछ देखने की कोशिश करती हुई |
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विश्राम करती बतखें |
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विश्राम करती बतखें |
क्यों जाएँ (Why to go Lodhi Garden): अगर इतिहास में आपकी रूचि है, किलों और मकबरों में घूमना आपको अच्छा लगता है तो निश्चित रूप से लोधी गार्डन आपके लिए एक उत्तम स्थान है !
कब जाएँ (Best time to go Lodhi Garden): आप साल भर किसी भी दिन यहाँ जा सकते है लेकिन अगर ठंडे मौसम में जाएँगे तो ज़्यादा अच्छा रहेगा !
कैसे जाएँ (How to reach Lodhi Garden): लोधी गार्डन को देखने के लिए आप मेट्रो से जा सकते है, इस मक़बरे के सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन ज़ोरबाग है जहाँ से ये महज डेढ़ किलोमीटर दूर है जिसे आप पैदल भी तय कर सकते है या रिक्शा ले सकते है !
कहाँ रुके (Where to stay in Delhi): अगर आप आस-पास के शहर से इस मक़बरे को देखने आ रहे है तो शायद आपको रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी ! जो लोग कहीं दूर से दिल्ली भ्रमण पर आए है उनके रुकने के लिए दिल्ली में रुकने के बहुत विकल्प मिल जाएँगे !
क्या देखें (Places to see near Lodhi Garden): अगर दिल्ली भ्रमण पर निकले है तो दिल्ली में घूमने के लिए जगहों की कमी नहीं है आप लाल किला, जामा मस्जिद, राजघाट, हुमायूँ का मकबरा, इंडिया गेट, चिड़ियाघर, पुराना किला, क़ुतुब मीनार, कमल मंदिर, अक्षरधाम, कालकाजी मंदिर, अग्रसेन की बावली, इस्कान मंदिर, छतरपुर मंदिर, और तुगलकाबाद के किले के अलावा अन्य कई जगहों पर घूम सकते है ! ये सभी जगहें आस-पास ही है आप दिल्ली भ्रमण के लिए हो-हो बस की सेवा भी ले सकते है या किराए पर टैक्सी कर सकते है ! बाकि मेट्रो से सफ़र करना चाहे तो वो सबसे अच्छा विकल्प है !
अगले भाग में जारी...
दिल्ली भ्रमण
- इंडिया गेट, चिड़ियाघर, और पुराना किला (Visit to Delhi Zoo and India Gate)
- क़ुतुब-मीनार में बिताए कुछ यादगार पल (A Day with Friends in Qutub Minar)
- अग्रसेन की बावली - एक ऐतिहासिक धरोहर (Agrasen ki Baoli, New Delhi)
- बहाई उपासना केंद्र - कमल मंदिर - (Lotus Temple in Delhi)
- सफ़दरजंग के मक़बरे की सैर (Safdarjung Tomb, New Delhi)
- लोधी गार्डन - सिकंदर लोदी का मकबरा (Lodhi Garden - Lodhi Road, New Delhi)
- दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की सैर - पहली कड़ी (A Visit to Historical Monument of Delhi, Red Fort)
- दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की सैर - दूसरी कड़ी (A Visit to Historical Monument of Delhi, Red Fort)