बात उन दिनों की है जब ऑफिस में काम ज़्यादा होने की वजह से मैने नोयडा रहना शुरू कर दिया था ! हफ्ते के 5 दिन मैं नोयडा में रहता था और सप्ताह के अंत में मेरा अपने घर पलवल आना होता था ! अगस्त 2011 का एक सोमवार था जब मेरा फोन घनघनाया, फोन उठाकर देखा तो ये जयंत था ! जयंत जोकि मेरा कॉलेज मित्र है, मेरी तरह ही नोयडा में एक निजी कंपनी में कार्यरत है ! जब दोनों लोग एक ही शहर में कार्यरत थे तो समय-2 पर मिलना-जुलना तो लगा ही रहता था ! बातचीत के दौरान ही उसने पूछा, कहीं घूमने चलने का मन है क्या ? मैं जानता था कि जयंत ने पहले से ही घूमने जाने के लिए कोई जगह सोच ली होगी, इसलिए मैने कहा नेकी और पूछ-2, बता इस बार कहाँ चलने की तैयारी है ? उसने कहा उत्तराखंड में एक जगह है बिन्सर, वहीं चलते है ! हालाँकि, मैं कभी बिन्सर गया तो नहीं था पर दोस्तों से इस जगह के बारे में सुन ज़रूर रखा था ! फिर जब यात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी ली तो जयंत ने बताया कि वीरवार यानि 18 अगस्त 2011 की रात को नोयडा से चलेंगे और सोमवार यानि 22 तारीख की रात तक वापिस आ जाएँगे !
मैने चौंकते हुए पूछा, इसी हफ्ते ???
उसने कहा, हाँ, तुझे कोई दिक्कत है क्या ?
मैं बोला, यार कमाल करता है, अगर पिछले हफ्ते ही बता दिया होता तो मैं जब पिछले सप्ताह घर गया था तो वहाँ से अतिरिक्त कपड़े, कैमरा, और अपना यात्रा बैग भी ले आया होता !
वो बोला, चलना है तो बता, कहानियाँ मत सुना, बड़ा तू कोट-पैंट ले आता बिन्सर जाने के लिए !
ये सुनकर मेरी हँसी छूट गई, मैने कहा फिर भी यार, साथ ले चलने के लिए और सामान भी तो चाहिए होता है !
थोड़ी देर तक बात करने के बाद मैने सोचा कि इस यात्रा पर चलने में बुराई ही क्या है, वैसे भी अगले सोमवार को तो छुट्टी है ही, मुझे सिर्फ़ शुक्रवार की ही छुट्टी लेनी पड़ेगी, जिसके लिए मुझे कोई ख़ास दिक्कत नहीं थी ! इस यात्रा पर ले जाने के लिए टी-शर्ट तो काफ़ी है मेरे पास, अगर ज़रूरत पड़ी तो थोड़ी बहुत खरीददारी यहीं नोयडा से ही कर लूँगा ! हालाँकि, मैं पिछले महीने ही धर्मशाला और पालमपुर घूम कर आया था पर फिर भी फोन रखने से पहले ही मैने इस यात्रा पर जाने के लिए अपनी हामी भर दी ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इस यात्रा पर मेरे और जयंत के अलावा जतिन और अमित भी जा रहे थे ! हम सभी दोस्त कॉलेज में एक साथ ही पढ़े है और जयंत को छोड़कर हम बाकी तीनों तो नोयडा में एक साथ रह भी रहे है ! जतिन को हम सारे दोस्त जीतू, और अमित को परमार बुलाते है ! योजना के मुताबिक इस यात्रा पर जीतू अपनी कार लेकर चलने वाला था, जयंत अपना कैमरा लेकर चल ही रहा था और फिर हमारे मोबाइल कैमरे किस दिन काम आते !
निर्धारित दिन मैं और परमार तो अपने-2 दफ़्तर से अपना काम निबटा कर नोयडा वाले फ्लैट पर पहुँच गए जबकि जयंत और जीतू अपने दफ़्तर से काम निबटा कर फरीदाबाद गाड़ी और अन्य सामान लेने चले गए ! नोयडा में घर पहुँच कर हम दोनों ने समय से खाना खा लिया और फिर बिन्सर जाने के लिए अपना सामान पैक करने लगे ! पैकिंग करने के बाद समय देखा तो रात के 10 बज रहे थे, 15 मिनट पहले ही जीतू का फोन आया था कि वो गाड़ी लेकर अपने घर से निकल लिया है और अब जयंत को लेते हुए नोयडा आ जाएगा ! उन दोनों का इंतज़ार करते हुए मैं और परमार बैठ कर बातें कर रहे थे ! रात के 11 बज रहे थे जब हमारे फ्लैट के नीचे गाड़ी की आवाज़ सुनाई दी ! अपने कमरे के बाहर बालकनी से झाँक कर देखा तो नीचे जीतू और जयंत गाड़ी खड़ी कर रहे थे ! थोड़ी देर में दोनों अपना सामान लेकर उपर कमरे में आ गए ! फिर हम चारों बैठ कर बातें करने लगे और जयंत गिटार निकाल कर बजाने लगा जोकि वो इस यात्रा पर ले जाने के लिए अपने साथ लाया था !
बातचीत के दौरान उसने और जीतू ने हमें बताया कि योजना में थोडा बदलाव है, अब हम बिन्सर नहीं धनोल्टी जा रहे है ! ये सुनते ही मेरे मन में अनेकों प्रश्न उठने लगे, मैने हैरानी भरी निगाहों से दोनों को देखते हुए पूछा, अबे ये क्या थोड़ा बदलाव है, तूने तो पूरी जगह ही बदल दी है और कह रहा है कि थोड़ा बदलाव है ! और ये धनोल्टी ही क्यों ? मैं तो पिछले 3 दिनों से बिन्सर की जानकारी जुटाने में लगा हूँ और तुम दोनों ने अंतिम समय में अचानक ही बिन्सर छोड़ कर धनोल्टी जाने का प्रोग्राम बना लिया !
जीतू : भाई, मैने बिन्सर के पर्यटन कार्यालय में फोन करके पता किया तो जानकारी मिली कि बारिश की वजह से वहाँ जाने के रास्ते बंद है ! पर जब हम घूमने जाने का विचार बना ही चुके है तो बिन्सर ना सही, धनोल्टी ही चलते है !
मैने कहा, रास्ते बंद होने की दिक्कत तो धनोल्टी में भी हो सकती है !
जीतू : धनोल्टी के रास्ते की जानकारी भी मैं ले चुका हूँ, वहाँ अभी ऐसी कोई दिक्कत नहीं है !
मैं बोला, पर धनोल्टी के बारे में तो हम में से किसी को भी जानकारी है ही नहीं !
इस पर जयंत बोला – मैं वहाँ पहले भी जा चुका हूँ और मुझे वहाँ के बारे में काफ़ी जानकारी है, तू परेशान मत हो !
फिर तो ये सवालों-जवाबों का सिलसिला अगले आधे घंटे तक चलता रहा ! कि धनोल्टी कैसी जगह है, वहाँ घूमने के लिए क्या-2 है और भी अनेकों सवाल ! बारह बजने में 15 मिनट शेष थे, जब मैं अपने बिस्तर पर सोने चला गया ! अभी तक की योजना के मुताबिक हम लोग सुबह जल्दी लगभग 4 बजे निकलने वाले थे इसलिए मैने सोचा कि अपनी नींद तो पूरी कर ली जाए ! रात के 2 बज रहे थे जब जयंत ने मुझे जगाया और कहने लगा कि फटाफट तैयार हो जा, हम लोग अगले 10 मिनट में निकल रहे है ! एक बार फिर मेरे मन में अनेकों सवाल दौड़ने लगे !
मैने कहा कि हम लोग तो सुबह निकलने वाले थे ना फिर अभी आधी रात को क्यों ?
इस पर परमार ने कहा – यार तू सवाल बहुत पूछता है !
मैं बोला, पर तू जवाब नहीं देता !
जीतू बोला – फटाफट तैयार होकर नीचे गाड़ी में मिल, वहीं बैठ कर “कौन बनेगा करोड़पति” खेल लियो !
15 मिनट बाद हम लोग गाड़ी में बैठे हुए थे और हमारी गाड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग 24 की तरफ बढ़ रही थी ! गाड़ी में ही सबने मुझे बताया कि मेरे सोने के बाद उन लोगों के बीच क्या-2 बातें हुई ! मेरे सोने के बाद भी ये तीनों धनोल्टी जाने की योजना पर चर्चा करते रहे ! इनके मुताबिक अगर हम लोग नोयडा से सुबह चलते तो मेरठ पहुँचते-2 हम लोग ट्रैफिक जाम में फँस सकते थे ! तो इन्होनें निश्चय किया कि भोर होने से पहले ही मेरठ पार कर लिया जाए ताकि आगे दिक्कत ना हो ! इसके लिए हम लोगों का नोयडा से समय पर निकलना ज़रूरी था ! आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि धनोल्टी, उत्तराखंड में एक छोटा सा हिल स्टेशन है, ये मसूरी से 26-27 किलोमीटर दूर मसूरी-चम्बा मार्ग पर है ! मसूरी की भीड़-भाड़ से दूर अगर आप सुकून के कुछ पल बिताना चाहें तो धनोल्टी जा सकते है ! वैसे यहाँ करने के लिए तो ज़्यादा कुछ नहीं है पर प्राकृतिक सुंदरता खूब बिखरी हुई है !
हर मौसम में आपको यहाँ इस हिल स्टेशन का एक अलग ही दृश्य दिखाई देगा, बरसात में हरे-भरे पहाड़ तो सर्दियों में बर्फ से ढकी चोटियाँ इस हिल स्टेशन को आम से ख़ास बना देती है ! मोदी नगर से आगे बढ़े तो ऐसा लग रहा था कि सड़क में गड्ढे नहीं बल्कि गड्ढों में सड़क है ! एक तो गड्ढे ही इतने बड़े थे, दूसरा बारिश की वजह से इन गड्ढों में पानी भर गया था तो ये अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल हो रहा था कि कौन सा गड्ढा कितना गहरा है ! जयंत बड़ी सावधानी से गाड़ी चला रहा था, ये तो गनीमत थी कि इस वक़्त सड़क पर ज़्यादा ट्रक नहीं चल रहे थे वरना पता नहीं इस सड़क को हम लोग कैसे पार करते ! समय सुबह के 3:30 बज रहे थे, जब जयंत ने ये कहते हुए एक ढाबे पर गाड़ी रोक दी, कि यहाँ चाय पीकर चलते है ! 4 बजे के आस-पास हम लोग चाय पीकर वहाँ से आगे बढ़े, और रुकते-रुकाते 7:30 बजे छुटमुलपुर पहुँचे !
रास्ते में 3-4 जगह टोल-टैक्स भी दिया, एक जगह तो ग्रामीणों ने बाँस की बल्ली लगा कर अस्थाई टोल-केन्द्र बना रखा था ! हालाँकि, यहाँ पर टोल तो 10 रुपये ही था पर इसके लिए हमें कोई पर्ची नहीं मिली, जिससे हमे अंदाज़ा हो गया कि ये मान्यता प्राप्त टोल केन्द्र नहीं था बस ग्रामीणों ने अपनी कमाई का धंधा बना रखा था ! खैर, छुटमुलपुर में भी हम लोग 15-20 मिनट रुके, और फिर खाने-पीने का कुछ सामान लेकर अपना आगे का सफ़र जारी रखा ! 9 बजे तक हम लोगों ने देहरादून पार कर लिया था और यहाँ से गाड़ी का कंट्रोल जीतू ने अपने हाथ में ले लिया ! इस पर जयंत ने कहा कि अच्छा, सही रास्ता आते ही खुद चलाएगा और जो मोदी नगर, मेरठ का खराब रास्ता था वहाँ मुझे पकड़ा दी थी चलाने के लिए ! खैर, जयंत ड्राइविंग सीट छोड़ कर आगे वाली सीट पर ही बैठ गया ! परमार पीछे वाली सीट पर मेरे साथ बैठा हुआ गाड़ी के अंदर से ही रास्ते में दिखाई देते नज़ारों के फोटो खींचने में लगा हुआ था !
मस्ती करते हुए हम लोग आगे बढ़े जा रहे थे, हमें कोई जल्दबाज़ी तो थी नहीं, इसलिए जीतू आराम से ही गाड़ी चला रहा था ! हम लोगों को मसूरी पहुँचते-2 10 बज गए ! मसूरी में शहर के अंदर ना जाकर हम लोग बाहर-ही-बाहर लैंडोर होते हुए धनोल्टी की तरफ बढ़ गए ! लैंडोर से थोड़ा आगे बढ़ते ही सड़क के दोनों ओर खूबसूरत नज़ारे दिखाई देने शुरू हो गए ! इन खूबसूरत वादियों को देखने के लिए ना जाने कितनी बार हमने रास्ते में अपनी गाड़ी रोकी ! इस रास्ते पर हर मोड़ पर ही ऐसा लगता है कि यहाँ से ज़्यादा सुंदर नज़ारे दिखाई दे रहे है ! पर यकीन मानिए, हक़ीकत भी यही है कि आप पहाड़ी रास्ते पर जाते हुए किसी भी नज़ारे को देखने का मोह नहीं त्याग सकते, हम भी नहीं त्याग सके ! जब एक जगह हमें पानी का एक छोटा सा झरना दिखाई दिया तो वहाँ थोड़ा समय बिताने के लिए हमने अपनी गाड़ी रोक दी ! झरने के पास 10-15 मिनट बिताने के बाद हम लोगों ने अपना धनोल्टी का सफ़र जारी रखा !
ब्मुश्किल 3-4 किलोमीटर ही गए होंगे कि अचानक से बारिश शुरू हो गई ! बारिश बहुत तेज़ थी इसलिए हमने अपनी गाड़ी के शीशे फटाफट बंद किए जो अब तक ताज़ी हवा लेने के लिए हमने खोल रखे थे ! अगले 15 मिनट तक ये बारिश होती रही और फिर एक मोड़ को पार करते ही आगे तो बारिश का नामोनिशान तक नहीं था ! रास्ते में कई जगहों पर तो भू-स्खलन भी हो रखा था जिसकी वजह से पहाड़ों पर से पत्थर सरक कर नीचे सड़क पर आ गए थे ! एक जगह तो कुछ मजदूर सड़क से इन पत्थरों को हटाने का काम कर रहे थे, ताकि आवागमन सुचारू रूप से चल सके ! रास्ते में ही एक जगह तो जीतू ने भी गाड़ी से उतर कर इन पत्थरों को हटा कर आगे बढ़ने का रास्ता बनाया ! इस भू-स्खलन की वजह से रास्ते तो बाधित थे पर भगवान का शुक्र है कि इस भू-स्खलन की वजह से हमें कहीं पर भी ज़्यादा कुछ परेशानी नहीं हुई ! दूर तक फैले उँचे-2 पहाड़ और उनके उपर दिखाई देता नीला आसमान, बहुत ही खूबसूरत नज़ारा प्रस्तुत कर रहे थे !
रास्ते में ही कहीं पर तो घने बादल भी थे और ये बादल सड़क से देखने पर नीचे घाटी में तैरते हुए से प्रतीत हो रहे थे ! एक मोड़ ऐसा भी आया जहाँ गाड़ी में अंदर से देखने पर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ये सड़क यहीं ख़त्म है, पर आगे बढ़ने पर देखा कि सड़क की उँचाई की वजह से ऐसा लग रहा था ! जीतू ने एक बार फिर से गाड़ी को सड़क के किनारे खुली जगह देख कर किनारे खड़ा कर दिया और हम लोगों का फोटो लेने का दौर फिर से शुरू हो गया ! यहाँ सड़क के किनारे पड़े एक पत्थर पर खड़े होकर देखने से बहुत ही सुंदर नज़ारा दिखाई दे रहा था, इस पत्थर पर खड़े होकर हम लोगों ने बहुत सारे फोटो लिए ! मसूरी से धनोल्टी जाते हुए रास्ते में हमने सैकड़ों फोटो खींची, कैमरा शायद उस खूबसूरती को सही से ना दिखा पाए, पर आँखों से देखने पर उस खूबसूरती का कोई जवाब नहीं था ! थोड़ी देर बाद ये नज़ारा और भी सुंदर लगने लगा, जब हमारी बाईं ओर तो गहरी घाटी और दूर दिखाई देते हिमालय पर्वत जबकि हमारी दाईं ओर उँचे-2 चीड़ के घने पेड़ थे !
थोड़ा सा और आगे बढ़ने पर आस-पास की इमारतें देख कर हमें अंदाज़ा हो गया कि यहाँ पास में ही कोई कस्बा है ! क्योंकि जयंत यहाँ पहले भी आ चुका था इसलिए उसे इस जगह की जानकारी थी, पूछने पर उसने बताया कि हम लोग धनोल्टी पहुँच चुके है ! फिर थोड़ी खुली जगह देख कर हम लोगों ने गाड़ी खड़ी की और नीचे उतर कर आस-पास के गेस्ट-हाउस में अपने रहने के लिए कमरा ढूँढने लगे ! सरकारी गेस्ट हाउस का किराया तो 2000 रुपये प्रतिदिन, एक कमरे का, जोकि मुझे काफ़ी महँगा लगा ! रास्ते में ही हमने एक बोर्ड पर लिखा देखा था कि यहाँ धनोल्टी में ही एक जगह कैंप लगाकर भी रुकने की व्यवस्था है, हमने सोचा ये विकल्प भी अच्छा रहेगा क्योंकि इस तरह हम अपने आपको प्रक्रति के ज़्यादा करीब पाएँगे ! यही सोचकर हम लोग वापस आकर गाड़ी में बैठ गए और फिर उस कैंप की तलाश में आगे बढ़ गए !
धनोल्टी से एक किलोमीटर आगे बढ़ने पर हमें उस कैंप तक जाने वाले रास्ते का बोर्ड दिखाई दिया ! उस रास्ते पर हमने अपनी गाड़ी उतार तो दी पर आगे गाड़ी ले जाने लायक रास्ता नहीं था ! इसलिए मैं और जयंत गाड़ी से नीचे उतर कर पैदल ही उस कैंप को ढूँढने निकल पड़े ! कैंप तक पहुँचने के बाद पता चला कि कैंप में पहले से ही 20 लोगों का ग्रुप मौजूद था और अतिरिक्त लोगों के ठहरने की व्यवस्था वहाँ नहीं थी ! हम निराश होकर वापस अपनी गाड़ी की तरफ चल दिए, रास्ते में जयंत ने सुझाव दिया कि एक-2 टेंट और स्लीपिंग बैग ले लेते है, वैसे भी साल भर घूमना तो लगा ही रहता है ! खैर, सुझाव तो जयंत ने ना जाने कितने ही दिए, पर अमल तो हमने शायद ही किसी पर किया है ! हम दोनों भी वापस आकर गाड़ी में बैठे और फिर धनोल्टी की तरफ वापस चल दिए ! ईको-पार्क के पास ही एक गेस्ट-हाउस में पता किया तो हमें रहने के लिए कमरे मिल गए !
यहाँ का किराया भी ज़्यादा नहीं था और कमरे भी बड़े थे, इसलिए हमने ज़्यादा मोल-भाव नहीं किया ! हम लोगों को अलग-2 कमरों में तो रहना नहीं था इसलिए हमने एक बड़ा हॉल लिया और उसमें ही अतिरिक्त गद्दे डलवा दिए, जिसके लिए हमें थोड़ा अतिरिक्त शुल्क भी देना पड़ा ! कमरा लेने के बाद घड़ी में समय देखा तो दोपहर के 1 बज रहे थे मतलब मसूरी से धनोल्टी पहुँचने में ही हमें 2 घंटे लग गए और एक घंटा तो हमने यहाँ होटल ढूँढने में लगा दिया ! खैर, गाड़ी गेस्ट-हाउस के बाहर ही खड़ी करके हम सब अपना-2 सामान लेकर अंदर चले गए !
कैसे जाएँ (How to reach Dhanaulti): दिल्ली से धनोल्टी की दूरी महज 325 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 7-8 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से धनोल्टी जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मेरठ-मुज़फ़्फ़रनगर-देहरादून होकर है ! दिल्ली से रुड़की तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है, रुड़की से छुटमलपुर तक एकल मार्ग है जहाँ थोड़ा जाम मिल जाता है ! फिर छुटमलपुर से देहरादून- मसूरी होते हुए धनोल्टी तक शानदार मार्ग है ! अगर आप धनोल्टी ट्रेन से जाने का विचार बना रहे है तो यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है, जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है ! देहरादून से धनोल्टी महज 60 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! देहरादून से 10-15 किलोमीटर जाने के बाद पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो जाता है !
कहाँ रुके (Where to stay in Dhanaulti): धनोल्टी उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 3000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! धनोल्टी में गढ़वाल मंडल का एक होटल भी है, और जॅंगल के बीच एपल ओरचिड नाम से एक रिज़ॉर्ट भी है !
कहाँ खाएँ (Eating option in Dhanaulti): धनोल्टी का बाज़ार ज़्यादा बड़ा नहीं है और यहाँ खाने-पीने की गिनती की दुकानें ही है ! वैसे तो खाने-पीने का अधिकतर सामान यहाँ मिल ही जाएगा लेकिन अगर कुछ स्पेशल खाने का मन है तो समय से अपने होटल वाले को बता दे !
क्या देखें (Places to see in Dhanaulti): धनोल्टी और इसके आस-पास घूमने की कई जगहें है जैसे ईको पार्क, सुरकंडा देवी मंदिर, और कद्दूखाल ! इसके अलावा आप ईको पार्क के पीछे दिखाई देती ऊँची पहाड़ी पर चढ़ाई भी कर सकते है ! हमने इस जगह को तपोवन नाम दिया था !
अगले भाग में जारी...
धनोल्टी यात्रा
नोयडा से निकलते समय लिया गया एक चित्र (A view in Noida) |
उसने कहा, हाँ, तुझे कोई दिक्कत है क्या ?
मैं बोला, यार कमाल करता है, अगर पिछले हफ्ते ही बता दिया होता तो मैं जब पिछले सप्ताह घर गया था तो वहाँ से अतिरिक्त कपड़े, कैमरा, और अपना यात्रा बैग भी ले आया होता !
वो बोला, चलना है तो बता, कहानियाँ मत सुना, बड़ा तू कोट-पैंट ले आता बिन्सर जाने के लिए !
ये सुनकर मेरी हँसी छूट गई, मैने कहा फिर भी यार, साथ ले चलने के लिए और सामान भी तो चाहिए होता है !
थोड़ी देर तक बात करने के बाद मैने सोचा कि इस यात्रा पर चलने में बुराई ही क्या है, वैसे भी अगले सोमवार को तो छुट्टी है ही, मुझे सिर्फ़ शुक्रवार की ही छुट्टी लेनी पड़ेगी, जिसके लिए मुझे कोई ख़ास दिक्कत नहीं थी ! इस यात्रा पर ले जाने के लिए टी-शर्ट तो काफ़ी है मेरे पास, अगर ज़रूरत पड़ी तो थोड़ी बहुत खरीददारी यहीं नोयडा से ही कर लूँगा ! हालाँकि, मैं पिछले महीने ही धर्मशाला और पालमपुर घूम कर आया था पर फिर भी फोन रखने से पहले ही मैने इस यात्रा पर जाने के लिए अपनी हामी भर दी ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इस यात्रा पर मेरे और जयंत के अलावा जतिन और अमित भी जा रहे थे ! हम सभी दोस्त कॉलेज में एक साथ ही पढ़े है और जयंत को छोड़कर हम बाकी तीनों तो नोयडा में एक साथ रह भी रहे है ! जतिन को हम सारे दोस्त जीतू, और अमित को परमार बुलाते है ! योजना के मुताबिक इस यात्रा पर जीतू अपनी कार लेकर चलने वाला था, जयंत अपना कैमरा लेकर चल ही रहा था और फिर हमारे मोबाइल कैमरे किस दिन काम आते !
निर्धारित दिन मैं और परमार तो अपने-2 दफ़्तर से अपना काम निबटा कर नोयडा वाले फ्लैट पर पहुँच गए जबकि जयंत और जीतू अपने दफ़्तर से काम निबटा कर फरीदाबाद गाड़ी और अन्य सामान लेने चले गए ! नोयडा में घर पहुँच कर हम दोनों ने समय से खाना खा लिया और फिर बिन्सर जाने के लिए अपना सामान पैक करने लगे ! पैकिंग करने के बाद समय देखा तो रात के 10 बज रहे थे, 15 मिनट पहले ही जीतू का फोन आया था कि वो गाड़ी लेकर अपने घर से निकल लिया है और अब जयंत को लेते हुए नोयडा आ जाएगा ! उन दोनों का इंतज़ार करते हुए मैं और परमार बैठ कर बातें कर रहे थे ! रात के 11 बज रहे थे जब हमारे फ्लैट के नीचे गाड़ी की आवाज़ सुनाई दी ! अपने कमरे के बाहर बालकनी से झाँक कर देखा तो नीचे जीतू और जयंत गाड़ी खड़ी कर रहे थे ! थोड़ी देर में दोनों अपना सामान लेकर उपर कमरे में आ गए ! फिर हम चारों बैठ कर बातें करने लगे और जयंत गिटार निकाल कर बजाने लगा जोकि वो इस यात्रा पर ले जाने के लिए अपने साथ लाया था !
बातचीत के दौरान उसने और जीतू ने हमें बताया कि योजना में थोडा बदलाव है, अब हम बिन्सर नहीं धनोल्टी जा रहे है ! ये सुनते ही मेरे मन में अनेकों प्रश्न उठने लगे, मैने हैरानी भरी निगाहों से दोनों को देखते हुए पूछा, अबे ये क्या थोड़ा बदलाव है, तूने तो पूरी जगह ही बदल दी है और कह रहा है कि थोड़ा बदलाव है ! और ये धनोल्टी ही क्यों ? मैं तो पिछले 3 दिनों से बिन्सर की जानकारी जुटाने में लगा हूँ और तुम दोनों ने अंतिम समय में अचानक ही बिन्सर छोड़ कर धनोल्टी जाने का प्रोग्राम बना लिया !
जीतू : भाई, मैने बिन्सर के पर्यटन कार्यालय में फोन करके पता किया तो जानकारी मिली कि बारिश की वजह से वहाँ जाने के रास्ते बंद है ! पर जब हम घूमने जाने का विचार बना ही चुके है तो बिन्सर ना सही, धनोल्टी ही चलते है !
मैने कहा, रास्ते बंद होने की दिक्कत तो धनोल्टी में भी हो सकती है !
जीतू : धनोल्टी के रास्ते की जानकारी भी मैं ले चुका हूँ, वहाँ अभी ऐसी कोई दिक्कत नहीं है !
मैं बोला, पर धनोल्टी के बारे में तो हम में से किसी को भी जानकारी है ही नहीं !
इस पर जयंत बोला – मैं वहाँ पहले भी जा चुका हूँ और मुझे वहाँ के बारे में काफ़ी जानकारी है, तू परेशान मत हो !
फिर तो ये सवालों-जवाबों का सिलसिला अगले आधे घंटे तक चलता रहा ! कि धनोल्टी कैसी जगह है, वहाँ घूमने के लिए क्या-2 है और भी अनेकों सवाल ! बारह बजने में 15 मिनट शेष थे, जब मैं अपने बिस्तर पर सोने चला गया ! अभी तक की योजना के मुताबिक हम लोग सुबह जल्दी लगभग 4 बजे निकलने वाले थे इसलिए मैने सोचा कि अपनी नींद तो पूरी कर ली जाए ! रात के 2 बज रहे थे जब जयंत ने मुझे जगाया और कहने लगा कि फटाफट तैयार हो जा, हम लोग अगले 10 मिनट में निकल रहे है ! एक बार फिर मेरे मन में अनेकों सवाल दौड़ने लगे !
मैने कहा कि हम लोग तो सुबह निकलने वाले थे ना फिर अभी आधी रात को क्यों ?
इस पर परमार ने कहा – यार तू सवाल बहुत पूछता है !
मैं बोला, पर तू जवाब नहीं देता !
जीतू बोला – फटाफट तैयार होकर नीचे गाड़ी में मिल, वहीं बैठ कर “कौन बनेगा करोड़पति” खेल लियो !
15 मिनट बाद हम लोग गाड़ी में बैठे हुए थे और हमारी गाड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग 24 की तरफ बढ़ रही थी ! गाड़ी में ही सबने मुझे बताया कि मेरे सोने के बाद उन लोगों के बीच क्या-2 बातें हुई ! मेरे सोने के बाद भी ये तीनों धनोल्टी जाने की योजना पर चर्चा करते रहे ! इनके मुताबिक अगर हम लोग नोयडा से सुबह चलते तो मेरठ पहुँचते-2 हम लोग ट्रैफिक जाम में फँस सकते थे ! तो इन्होनें निश्चय किया कि भोर होने से पहले ही मेरठ पार कर लिया जाए ताकि आगे दिक्कत ना हो ! इसके लिए हम लोगों का नोयडा से समय पर निकलना ज़रूरी था ! आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि धनोल्टी, उत्तराखंड में एक छोटा सा हिल स्टेशन है, ये मसूरी से 26-27 किलोमीटर दूर मसूरी-चम्बा मार्ग पर है ! मसूरी की भीड़-भाड़ से दूर अगर आप सुकून के कुछ पल बिताना चाहें तो धनोल्टी जा सकते है ! वैसे यहाँ करने के लिए तो ज़्यादा कुछ नहीं है पर प्राकृतिक सुंदरता खूब बिखरी हुई है !
हर मौसम में आपको यहाँ इस हिल स्टेशन का एक अलग ही दृश्य दिखाई देगा, बरसात में हरे-भरे पहाड़ तो सर्दियों में बर्फ से ढकी चोटियाँ इस हिल स्टेशन को आम से ख़ास बना देती है ! मोदी नगर से आगे बढ़े तो ऐसा लग रहा था कि सड़क में गड्ढे नहीं बल्कि गड्ढों में सड़क है ! एक तो गड्ढे ही इतने बड़े थे, दूसरा बारिश की वजह से इन गड्ढों में पानी भर गया था तो ये अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल हो रहा था कि कौन सा गड्ढा कितना गहरा है ! जयंत बड़ी सावधानी से गाड़ी चला रहा था, ये तो गनीमत थी कि इस वक़्त सड़क पर ज़्यादा ट्रक नहीं चल रहे थे वरना पता नहीं इस सड़क को हम लोग कैसे पार करते ! समय सुबह के 3:30 बज रहे थे, जब जयंत ने ये कहते हुए एक ढाबे पर गाड़ी रोक दी, कि यहाँ चाय पीकर चलते है ! 4 बजे के आस-पास हम लोग चाय पीकर वहाँ से आगे बढ़े, और रुकते-रुकाते 7:30 बजे छुटमुलपुर पहुँचे !
रास्ते में 3-4 जगह टोल-टैक्स भी दिया, एक जगह तो ग्रामीणों ने बाँस की बल्ली लगा कर अस्थाई टोल-केन्द्र बना रखा था ! हालाँकि, यहाँ पर टोल तो 10 रुपये ही था पर इसके लिए हमें कोई पर्ची नहीं मिली, जिससे हमे अंदाज़ा हो गया कि ये मान्यता प्राप्त टोल केन्द्र नहीं था बस ग्रामीणों ने अपनी कमाई का धंधा बना रखा था ! खैर, छुटमुलपुर में भी हम लोग 15-20 मिनट रुके, और फिर खाने-पीने का कुछ सामान लेकर अपना आगे का सफ़र जारी रखा ! 9 बजे तक हम लोगों ने देहरादून पार कर लिया था और यहाँ से गाड़ी का कंट्रोल जीतू ने अपने हाथ में ले लिया ! इस पर जयंत ने कहा कि अच्छा, सही रास्ता आते ही खुद चलाएगा और जो मोदी नगर, मेरठ का खराब रास्ता था वहाँ मुझे पकड़ा दी थी चलाने के लिए ! खैर, जयंत ड्राइविंग सीट छोड़ कर आगे वाली सीट पर ही बैठ गया ! परमार पीछे वाली सीट पर मेरे साथ बैठा हुआ गाड़ी के अंदर से ही रास्ते में दिखाई देते नज़ारों के फोटो खींचने में लगा हुआ था !
मस्ती करते हुए हम लोग आगे बढ़े जा रहे थे, हमें कोई जल्दबाज़ी तो थी नहीं, इसलिए जीतू आराम से ही गाड़ी चला रहा था ! हम लोगों को मसूरी पहुँचते-2 10 बज गए ! मसूरी में शहर के अंदर ना जाकर हम लोग बाहर-ही-बाहर लैंडोर होते हुए धनोल्टी की तरफ बढ़ गए ! लैंडोर से थोड़ा आगे बढ़ते ही सड़क के दोनों ओर खूबसूरत नज़ारे दिखाई देने शुरू हो गए ! इन खूबसूरत वादियों को देखने के लिए ना जाने कितनी बार हमने रास्ते में अपनी गाड़ी रोकी ! इस रास्ते पर हर मोड़ पर ही ऐसा लगता है कि यहाँ से ज़्यादा सुंदर नज़ारे दिखाई दे रहे है ! पर यकीन मानिए, हक़ीकत भी यही है कि आप पहाड़ी रास्ते पर जाते हुए किसी भी नज़ारे को देखने का मोह नहीं त्याग सकते, हम भी नहीं त्याग सके ! जब एक जगह हमें पानी का एक छोटा सा झरना दिखाई दिया तो वहाँ थोड़ा समय बिताने के लिए हमने अपनी गाड़ी रोक दी ! झरने के पास 10-15 मिनट बिताने के बाद हम लोगों ने अपना धनोल्टी का सफ़र जारी रखा !
ब्मुश्किल 3-4 किलोमीटर ही गए होंगे कि अचानक से बारिश शुरू हो गई ! बारिश बहुत तेज़ थी इसलिए हमने अपनी गाड़ी के शीशे फटाफट बंद किए जो अब तक ताज़ी हवा लेने के लिए हमने खोल रखे थे ! अगले 15 मिनट तक ये बारिश होती रही और फिर एक मोड़ को पार करते ही आगे तो बारिश का नामोनिशान तक नहीं था ! रास्ते में कई जगहों पर तो भू-स्खलन भी हो रखा था जिसकी वजह से पहाड़ों पर से पत्थर सरक कर नीचे सड़क पर आ गए थे ! एक जगह तो कुछ मजदूर सड़क से इन पत्थरों को हटाने का काम कर रहे थे, ताकि आवागमन सुचारू रूप से चल सके ! रास्ते में ही एक जगह तो जीतू ने भी गाड़ी से उतर कर इन पत्थरों को हटा कर आगे बढ़ने का रास्ता बनाया ! इस भू-स्खलन की वजह से रास्ते तो बाधित थे पर भगवान का शुक्र है कि इस भू-स्खलन की वजह से हमें कहीं पर भी ज़्यादा कुछ परेशानी नहीं हुई ! दूर तक फैले उँचे-2 पहाड़ और उनके उपर दिखाई देता नीला आसमान, बहुत ही खूबसूरत नज़ारा प्रस्तुत कर रहे थे !
रास्ते में ही कहीं पर तो घने बादल भी थे और ये बादल सड़क से देखने पर नीचे घाटी में तैरते हुए से प्रतीत हो रहे थे ! एक मोड़ ऐसा भी आया जहाँ गाड़ी में अंदर से देखने पर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ये सड़क यहीं ख़त्म है, पर आगे बढ़ने पर देखा कि सड़क की उँचाई की वजह से ऐसा लग रहा था ! जीतू ने एक बार फिर से गाड़ी को सड़क के किनारे खुली जगह देख कर किनारे खड़ा कर दिया और हम लोगों का फोटो लेने का दौर फिर से शुरू हो गया ! यहाँ सड़क के किनारे पड़े एक पत्थर पर खड़े होकर देखने से बहुत ही सुंदर नज़ारा दिखाई दे रहा था, इस पत्थर पर खड़े होकर हम लोगों ने बहुत सारे फोटो लिए ! मसूरी से धनोल्टी जाते हुए रास्ते में हमने सैकड़ों फोटो खींची, कैमरा शायद उस खूबसूरती को सही से ना दिखा पाए, पर आँखों से देखने पर उस खूबसूरती का कोई जवाब नहीं था ! थोड़ी देर बाद ये नज़ारा और भी सुंदर लगने लगा, जब हमारी बाईं ओर तो गहरी घाटी और दूर दिखाई देते हिमालय पर्वत जबकि हमारी दाईं ओर उँचे-2 चीड़ के घने पेड़ थे !
थोड़ा सा और आगे बढ़ने पर आस-पास की इमारतें देख कर हमें अंदाज़ा हो गया कि यहाँ पास में ही कोई कस्बा है ! क्योंकि जयंत यहाँ पहले भी आ चुका था इसलिए उसे इस जगह की जानकारी थी, पूछने पर उसने बताया कि हम लोग धनोल्टी पहुँच चुके है ! फिर थोड़ी खुली जगह देख कर हम लोगों ने गाड़ी खड़ी की और नीचे उतर कर आस-पास के गेस्ट-हाउस में अपने रहने के लिए कमरा ढूँढने लगे ! सरकारी गेस्ट हाउस का किराया तो 2000 रुपये प्रतिदिन, एक कमरे का, जोकि मुझे काफ़ी महँगा लगा ! रास्ते में ही हमने एक बोर्ड पर लिखा देखा था कि यहाँ धनोल्टी में ही एक जगह कैंप लगाकर भी रुकने की व्यवस्था है, हमने सोचा ये विकल्प भी अच्छा रहेगा क्योंकि इस तरह हम अपने आपको प्रक्रति के ज़्यादा करीब पाएँगे ! यही सोचकर हम लोग वापस आकर गाड़ी में बैठ गए और फिर उस कैंप की तलाश में आगे बढ़ गए !
धनोल्टी से एक किलोमीटर आगे बढ़ने पर हमें उस कैंप तक जाने वाले रास्ते का बोर्ड दिखाई दिया ! उस रास्ते पर हमने अपनी गाड़ी उतार तो दी पर आगे गाड़ी ले जाने लायक रास्ता नहीं था ! इसलिए मैं और जयंत गाड़ी से नीचे उतर कर पैदल ही उस कैंप को ढूँढने निकल पड़े ! कैंप तक पहुँचने के बाद पता चला कि कैंप में पहले से ही 20 लोगों का ग्रुप मौजूद था और अतिरिक्त लोगों के ठहरने की व्यवस्था वहाँ नहीं थी ! हम निराश होकर वापस अपनी गाड़ी की तरफ चल दिए, रास्ते में जयंत ने सुझाव दिया कि एक-2 टेंट और स्लीपिंग बैग ले लेते है, वैसे भी साल भर घूमना तो लगा ही रहता है ! खैर, सुझाव तो जयंत ने ना जाने कितने ही दिए, पर अमल तो हमने शायद ही किसी पर किया है ! हम दोनों भी वापस आकर गाड़ी में बैठे और फिर धनोल्टी की तरफ वापस चल दिए ! ईको-पार्क के पास ही एक गेस्ट-हाउस में पता किया तो हमें रहने के लिए कमरे मिल गए !
यहाँ का किराया भी ज़्यादा नहीं था और कमरे भी बड़े थे, इसलिए हमने ज़्यादा मोल-भाव नहीं किया ! हम लोगों को अलग-2 कमरों में तो रहना नहीं था इसलिए हमने एक बड़ा हॉल लिया और उसमें ही अतिरिक्त गद्दे डलवा दिए, जिसके लिए हमें थोड़ा अतिरिक्त शुल्क भी देना पड़ा ! कमरा लेने के बाद घड़ी में समय देखा तो दोपहर के 1 बज रहे थे मतलब मसूरी से धनोल्टी पहुँचने में ही हमें 2 घंटे लग गए और एक घंटा तो हमने यहाँ होटल ढूँढने में लगा दिया ! खैर, गाड़ी गेस्ट-हाउस के बाहर ही खड़ी करके हम सब अपना-2 सामान लेकर अंदर चले गए !
सूर्योदय के समय लिया एक चित्र (Sunrise in Uttar Pradesh) |
My Friend Jitendra (Yo Yo) |
छुटमुलपुर जाते हुए मार्ग में कहीं (Way to Chutmulpur) |
छुटमुलपुर जाते हुए मार्ग में कहीं (Way to Chutmulpur) |
देहरादून मसूरी मार्ग (Dehradun Mussoorie Road) |
पहाड़ी पर घने जंगल (Dense Forest on the Hills) |
मसूरी धनोल्टी मार्ग (Mussoorie Dhanaulti Road) |
ये करके दिखाओ (The Dancing Star) |
धनोल्टी जाने का मार्ग (Way to Dhanaulti) |
धनोल्टी जाने का मार्ग (Way to Dhanaulti) |
Its My Style |
मसूरी धनोल्टी मार्ग (Friends Forever) |
भू-स्खलन (Land Sliding on Mussoorie Dhanaulti Road) |
Clouds on the Hills |
Way to Heaven |
Beautiful View on the way to Dhanaulti |
सड़क का आख़िरी छोर (The Dead End) |
क्यों जाएँ (Why to go Dhanaulti): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो मसूरी से 25 किलोमीटर आगे धनोल्टी का रुख़ कर सकते है ! यहाँ करने के लिए ज़्यादा कुछ तो नहीं है लेकिन प्राकृतिक दृश्यों की यहाँ भरमार है !
कब जाएँ (Best time to go Dhanaulti): धनोल्टी आप साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में धनोल्टी का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ की हरियाली देखने लायक होती है जबकि सर्दियों के दिनों में यहाँ बर्फ़बारी भी होती है ! लैंसडाउन के बाद धनोल्टी ही दिल्ली के सबसे नज़दीक है जहाँ अगर किस्मत अच्छी हो तो आप बर्फ़बारी का आनंद भी ले सकते है !
कब जाएँ (Best time to go Dhanaulti): धनोल्टी आप साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में धनोल्टी का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ की हरियाली देखने लायक होती है जबकि सर्दियों के दिनों में यहाँ बर्फ़बारी भी होती है ! लैंसडाउन के बाद धनोल्टी ही दिल्ली के सबसे नज़दीक है जहाँ अगर किस्मत अच्छी हो तो आप बर्फ़बारी का आनंद भी ले सकते है !
कैसे जाएँ (How to reach Dhanaulti): दिल्ली से धनोल्टी की दूरी महज 325 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 7-8 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से धनोल्टी जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मेरठ-मुज़फ़्फ़रनगर-देहरादून होकर है ! दिल्ली से रुड़की तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है, रुड़की से छुटमलपुर तक एकल मार्ग है जहाँ थोड़ा जाम मिल जाता है ! फिर छुटमलपुर से देहरादून- मसूरी होते हुए धनोल्टी तक शानदार मार्ग है ! अगर आप धनोल्टी ट्रेन से जाने का विचार बना रहे है तो यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है, जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है ! देहरादून से धनोल्टी महज 60 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! देहरादून से 10-15 किलोमीटर जाने के बाद पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो जाता है !
कहाँ रुके (Where to stay in Dhanaulti): धनोल्टी उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 3000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! धनोल्टी में गढ़वाल मंडल का एक होटल भी है, और जॅंगल के बीच एपल ओरचिड नाम से एक रिज़ॉर्ट भी है !
कहाँ खाएँ (Eating option in Dhanaulti): धनोल्टी का बाज़ार ज़्यादा बड़ा नहीं है और यहाँ खाने-पीने की गिनती की दुकानें ही है ! वैसे तो खाने-पीने का अधिकतर सामान यहाँ मिल ही जाएगा लेकिन अगर कुछ स्पेशल खाने का मन है तो समय से अपने होटल वाले को बता दे !
क्या देखें (Places to see in Dhanaulti): धनोल्टी और इसके आस-पास घूमने की कई जगहें है जैसे ईको पार्क, सुरकंडा देवी मंदिर, और कद्दूखाल ! इसके अलावा आप ईको पार्क के पीछे दिखाई देती ऊँची पहाड़ी पर चढ़ाई भी कर सकते है ! हमने इस जगह को तपोवन नाम दिया था !
धनोल्टी यात्रा
- दोस्तों संग धनोल्टी का एक सफ़र (A Road Trip from Delhi to Dhanaulti)
- धनोल्टी का मुख्य आकर्षण है ईको-पार्क (A Visit to Eco Park, Dhanaulti)
- बारिश में देखने लायक होती है धनोल्टी की ख़ूबसूरती (A Rainy Trip to Dhanolti)
- सुरकंडा देवी - माँ सती को समर्पित एक स्थान (A Visit to Surkanda Devi Temple)
- मसूरी के मालरोड पर एक शाम (An Evening on Mallroad, Musoorie)
- मसूरी में केंप्टी फॉल है पिकनिक के लिए एक उत्तम स्थान (A Perfect Place for Picnic in Mussoorie – Kempty Fall)
बढिया यात्रा पर मेरठ की वजह से नोएडा से इतनी जल्दी निकल लिए?
ReplyDeleteहाँ सचिन भाई, एक दूसरी वजह ये भी थी कि हम समय से पहाड़ों पर पहुँच जाना चाहते थे ताकि सफर में ज्यादा समय व्यर्थ ना हो !
Deleteवाकई में नजारो का क्या कहना । बिलकुल लोनावाला जैसा माहौल है।
ReplyDeleteमैं लोनावला मार्च के महीने में गया था तब मेरे एक मित्र ने मुझे बारिश में आने का न्योता भी दिया था ! अब आप कह रही है कि लोनावला ऐसा ही लगता है तो समझ सकता हूँ ! देखो कब मौका लगता है लोनावला जाने का !
Deletebeautiful pics , looking forward for your next post !
ReplyDeleteThank you Mahesh ji for this appreciation..
Deleteकाफी अच्छा लिखते हैं। लगता है कि जैसे मैं ही घूम रहा हूँ।बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteधन्यवाद अनीश जी !
Deleteतपोवन तक जाने के लिए धनोल्टी से कौन सा रास्ता पकड़ना होगा?
ReplyDeleteहरीश जी, पहली बात तो ये कि आप इसे गौमुख वाला तपोवन मत समझ लेना, स्थानीय लोगों ने पहाड़ी की ऊँचाई पर स्थित इस स्थान को तपोवन बताया था ! यहाँ जाने के लिए मसूरी से धनौल्टी आते हुए एक रास्ता ऊपर की ओर जाता है !
DeleteYaar bhai gajab
ReplyDeleteYaar bhai mujhe bhi kuch ap logo ko batana hai lekin samjh nahi a raha ke kaise aur kaha kahani likhu
ReplyDeleteअगर पढने का शौक रखते हो तो लिखना कोई बड़ी बात नहीं, क्योंकि लिखने के लिए एक अच्छा पाठक होना बहुत ज़रूरी है ! बस शब्दों को जोड़ते जाओ, फिर देखो कमाल !
DeleteReally awesome maza a gya lg rha h jaise mai he ghoom rha hu.... Mujhe bhi pahado pe ghoomna bht psnd h dosto k sath
ReplyDeleteTHat's Great, nice to hear that you like to travel on hills....
Deleteधनोल्टी की कहानी भी पढ़ डाली है! धनौल्टी चुनने की वज़ह ये रही कि मैं खुद भी धनौल्टी गया हूं पर अकेले ही। अगर दोस्त भी होते तो और भी मज़ा आता। मेरी धनौल्टी की यात्रा का विवरण मेरे ब्लॉग पर भी है - http://indiatraveltales.in/calm-serene-dhanaulti/ स्वाभाविक रूप से मैं देखना चाहता था कि मैने जो महसूस किया और आपने जो महसूस किया, उसमें कितना और कहां - कहां अंतर है।
ReplyDeleteअकेले घूमने का भी अपना अलग ही मजा है ना समय की कोई पाबंदी और ना ही कोई योजना बनाने का झंझट, बस जब जहां मन किया रुक गए और जब चलना हुआ चल दिए ! किसी दूसरे के बारे में सोचने की भी कोई मजबूरी नहीं ! वैसे जब आप अकेले घूमते है तो आप अपने-आप में होते है ! मैंने भी कुछ यात्राएं अकेले की है जिसकी यादें आज भी मेरे जेहन में ताजा है ! बाकि आपकी फोटोग्राफी के तो हम काफी समय से कायल है, आपके पोस्ट में इसकी झलक साफ दिखाई दे रही है और फिर जब dslr कैमरा हो तो क्या कहने !
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