सोमवार, 16 अगस्त 2021
यात्रा के इस लेख में आज मैं आपको गुड़गाँव स्थित भुवनेश्वरी माता के मंदिर लेकर चलूँगा, इस मंदिर में जाने का मेरा मन तो पिछले साल से ही था जब मुझे इस मंदिर की जानकारी मिली थी ! लेकिन पहले लॉकडाउन के कारण यात्रा पर पाबंदियाँ लग गई और फिर अपने काम की व्यस्तता के कारण मैं इस मंदिर में दर्शन के लिए नहीं जा सका ! वैसे अगर आप गुड़गाँव में रहते है तो आपने इस मंदिर के बारे में जरूर सुना होगा, लेकिन फिर भी आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि भुवनेश्वरी माता का ये मंदिर सोहना-गुड़गाँव मार्ग पर भोड़सी में स्थित है ! सोहना से लगभग 17 किलोमीटर और गुड़गाँव से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर का आस-पास के क्षेत्र में काफी महत्व है ! भोड़सी से गुड़गाँव जाते हुए सीमा सुरक्षा बल के कैंप से थोड़ा आगे बढ़ने पर बाईं ओर एक मार्ग जाता है, बगल में लेमन ट्री नाम का एक पाँच सितारा होटल भी है, यही मार्ग भुवनेश्वरी माता के मंदिर तक जाता है, घने जंगलों के बीच से निकलकर मंदिर तक जाने का पक्का मार्ग बना है ! इस मोड से मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है, शुरुआत में मार्ग समतल है लेकिन आगे बढ़ने पर थोड़ा चढ़ाई भी है ! कुछ दूर जाने पर घना जंगल शुरू हो जाता है, मंदिर तक जाने के लिए आप निजी वाहन या कोई सवारी भी कर सकते है, हालांकि, बहुत से श्रद्धालु तो मुख्य मार्ग पर लेमन ट्री होटल के पास बस या ऑटो से उतरकर 3 किलोमीटर पैदल भी जाते है !
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मंदिर प्रांगण में स्थित शनि देव मंदिर |
वैसे तो लोग यहाँ साल भर आते है, लेकिन बारिश के मौसम में यहाँ की छटा देखने लायक होती है ! तब यहाँ मंदिर तक जाने वाले मार्ग के दोनों ओर खूब हरियाली रहती है जो आपको शहर की भीड़-भाड़ से दूर एक शांत जगह पर होने का एहसास कराती है ! लेकिन फिर भी यहाँ जाने के लिए सर्दी का मौसम सबसे ठीक है, क्योंकि गर्मियों में अधिक गर्मी और बारिश में उमस की वजह से परेशानी हो सकती है ! चलिए, वापिस यात्रा पर लौटते है, अपनी पिछली यात्राओं की तरह इस मंदिर में जाने की योजना भी अचानक ही बनी थी, हुआ कुछ यूं कि मुझे एक निजी काम से सोहना जाना था, तो सोचा क्यों ना लगे हाथ ये मंदिर भी देख लिया जाए ! निर्धारित दिन सुबह समय से तैयार होकर मैं गाड़ी लेकर सोहना के लिए निकल पड़ा, फरीदाबाद स्थित मेरे घर से सोहना की दूरी 39 किलोमीटर है जबकि भुवनेश्वरी माता का ये मंदिर 56 किलोमीटर दूर है ! यहाँ जाने के लिए मैं बल्लभगढ़-सोहना मार्ग से होकर गया था लेकिन फरीदाबाद-गुड़गाँव राजमार्ग से भी इस मंदिर तक पहुँचा जा सकता है, दोनों रास्तों से दूरी लगभग बराबर ही है फिर भी मुझे बल्लभगढ़-सोहना मार्ग ज्यादा ठीक लगा ! घर से निकलकर कुछ दूर चलने के बाद मैं मोहना रोड से होता हुआ बल्लभगढ़ पहुँचा, यहाँ रेलवे लाइन के ऊपर बने पुल को पार करके मैं बल्लभगढ़-सोहना मार्ग पर पहुँच गया ! रेलवे पुल थोड़ा संकरा और टूटा हुआ है इसलिए इसपर यातायात धीमा ही चलता है, लेकिन पुल पार करते ही सड़क की चौड़ाई बढ़ जाती है ! गौंछी तक यातायात ठीक चलता है लेकिन उसके आगे सरूरपुर से पाली तक बीच-2 में मार्ग टूटा हुआ है और जाम की समस्या भी बनी रहती है ! |
मोहना रोड से निकलते हुए |
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राजा नाहर सिंह महल के सामने |
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बल्लभगढ़ सोहना मार्ग का एक दृश्य |
दरअसल, सरूरपुर एक व्यवसायिक क्षेत्र है इसलिए यहाँ बड़े वाहनों की खूब आवाजाही रहती है, जिसकी वजह से दिन में यहाँ हमेशा ही जाम लगा रहता है ! पाली पहुँचकर इस जाम से छुटकारा मिल गया, फरीदाबाद स्थित सैनिक कालोनी की ओर से आने वाली सड़क भी आकर पाली में इसी मार्ग में मिल जाती है ! पाली से आगे बढ़ने पर सड़क की चौड़ाई बढ़ जाती है ओर टोल रोड होने के कारण सड़क की हालत भी सुधर जाती है ! इसके बावजूद भी सड़क पर पड़ने वाले गतिरोधक आपको एक तय सीमा से आगे बढ़ने नहीं देते ! पाली से कुछ दूर चलने पर मोहब्बताबाद गाँव आता है, यहाँ दाईं ओर एक मार्ग झरना मंदिर की ओर चला जाता है, अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित यहाँ एक सुंदर मंदिर बना है जिसका वर्णन मैं अपने किसी अन्य लेख में करूंगा ! फिलहाल मैं बल्लभगढ़-सोहना मार्ग पर चलते हुए पाखल पहुँच चुका हूँ, पाखल से कुछ दूर चलकर इस मार्ग पर पड़ने वाला पहला टोल प्लाजा आया, यहाँ आने-जाने का 45 रुपए का शुल्क अदा करके टोल पार किया ! वैसे इस टोल का संचालन ठीक से नहीं हो रहा, नतीजन, इक्का-दुक्का गाड़ियां होने के बावजूद भी काफी समय इंतजार करना पड़ा ! टोल से निकलकर धौज होते हुए आलमपुर पहुँचा, यहाँ बी एस अनंगपुरिया इंजीनियरिंग कॉलेज के सामने जाकर गाड़ी रोक दी, गाड़ी से नीचे उतरते ही पुरानी यादें ताजा हो गई, इस कॉलेज में मैंने 4 साल बिताए है, यहाँ कुछ फोटो लेने के बाद मैंने अपना आगे का सफर जारी रखा ! अगस्त का महीना होने के कारण सड़क किनारे फैले अरावली के पहाड़ों पर बढ़िया हरियाली थी, इसलिए अकेला होने के बावजूद एक बार भी बोरियत महसूस नहीं हुई !
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धौज टोल प्लाज़ा |
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बल्लभगढ़ सोहना मार्ग |
आलमपुर से आगे बढ़ने पर इस मार्ग पर पड़ने वाले मुख्य गाँव है, सिरोही, खेड़ली लाला, निमोठ और हरचंदपुर, जिन्हें पार करते हुए मैं अगले टॉल प्लाज़ा पर पहुँचा ! यहाँ धौज वाले टोल प्लाजा की पर्ची से काम चल गया, लेकिन अगर आपके पास पर्ची नहीं है तो यहाँ आपको फिर से 45 रुपए का शुल्क अदा करना होगा ! टोल प्लाजा से निकलकर थोड़ी देर में लाखुवास पहुँचा, जहां ये मार्ग जाकर पलवल-सोहना मार्ग में मिल जाता है ! लाखुवास से सोहना पहुँचने में ज्यादा समय नहीं लगा, और सोहना पहुँचकर मैं मुख्य चौराहे से गुड़गांव जाने वाले मार्ग पर मुड़ गया, इस मार्ग पर आगे बढ़ने पर मैं धुनेला, अलीपुर, और धामडोज को पार करते हुए भोंडसी पहुँचा ! विगत वर्षों में सोहना-गुड़गाँव मार्ग की तो कायापलट हो गई है, जगह-2 सड़क विस्तारीकरण के अलावा मुख्य चौराहों पर फ्लाइओवर के निर्माण ने सड़क पर दौड़ रही गाड़ियों को नई रफ्तार दी है ! बढ़िया मार्ग होने के कारण सोहना से भोंडसी पहुँचने में मुझे ज्यादा समय नहीं लगा, लॉकडाउन के दौरान इस मार्ग पर बढ़िया काम हुआ है ! भोंडसी पहुँचकर मैंने सीमा सुरक्षा बल (बी एस एफ) के ट्रैनिंग सेंटर के बगल से अंदर जा रहे एक मार्ग पर गाड़ी मोड दी, मोड पर ही लेमन ट्री नाम का एक पाँच सितारा होटल भी है ! ये मार्ग मंदिर प्रांगण तक जाता है, बीएसएफ का ट्रैनिंग क्षेत्र होने के कारण मंदिर जाने वाले मार्ग पर बीच-2 में कुछ प्रतिबंधित मार्ग भी है ! इस मार्ग पर एक किलोमीटर चलने के बाद रास्ता घने जंगलों से होकर निकलता है, बारिश के मौसम में हरियाली अपने चरम पर थी ! यहाँ गाड़ी चलाते हुए पहाड़ों पर घूमने की अनुभूति हो रही थी, फिर कुछ घुमावदार मोड़ों से होते हुए थोड़ी ही देर में ये रास्ता भुवनेश्वरी माता के मंदिर में जाकर समाप्त हो गया !
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भुवनेश्वरी माता मंदिर जाने का मार्ग |
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भुवनेश्वरी माता मंदिर जाने का मार्ग |
मंदिर के सामने सड़क किनारे पार्किंग स्थल बना है जहां से एक पैदल मार्ग मंदिर की ओर जाता है, रास्ता चढ़ाई भरा है, लेकिन फिर भी कुछ वाहन चालक अपनी गाड़ी इस पैदल मार्ग पर भी काफी आगे तक ले जाते है ! मैंने अपनी गाड़ी पार्किंग में खड़ी की और मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर चल दिया, दोपहर का समय होने के कारण आज मंदिर परिसर में गिनती के लोग ही दिखाई दे रहे थे ! वैसे भी आज सोमवार था वरना साप्ताहिक अवकाश वाले दिन तो यहाँ बड़ी संख्या में लोग आते है, और मन्दिर में खूब चहल-पहल रहती है ! यहाँ आने वाले अधिकतर श्रद्धालु स्थानीय लोग ही होते है लेकिन बाहर से आने वाले लोगों की संख्या भी अच्छी-खासी रहती है ! पार्किंग से मंदिर जाने वाले मार्ग पर बाईं ओर भगवान विष्णु के सभी अवतारों की मूर्तियों को क्रमबद्ध तरीके से स्थापित किया गया है, सुनहरे रंग से रंगी ये मूर्तियाँ यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है ! इन मूर्तियों को निहारता हुआ मैं भी मुख्य भवन की ओर जाने वाले मार्ग पर बढ़ गया, पार्किंग स्थल से थोड़ा आगे बढ़ते ही दाईं ओर एक गौशाला भी है ! गौशाला से आगे बढ़ने पर बाईं ओर सीढ़ियाँ बनी है जो मंदिर के पिछले भाग में जाती है, ऊपर घने पेड़ है और एक पैदल रास्ता जंगल की ओर निकल जाता है ! मुझे पहले मंदिर में दर्शन करने थे इसलिए इन सीढ़ियों को अनदेखा करते हुए मैं आगे बढ़ गया !
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परशुराम जी की मूर्ति |
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विष्णु जी के अवतार |
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मंदिर जाने का मार्ग |
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मंदिर जाने का पैदल मार्ग |
थोड़ा आगे जाने पर एक मार्ग दाईं ओर निकलता है जबकि मुख्य मार्ग आगे जाकर कुछ अन्य सीढ़ियों के पास खत्म हो जाता है, जहां मंदिर के पुजारियों का निवास स्थान है, मैं दाईं ओर मुड़कर मंदिर के मुख्य भवन की ओर जाने वाले मार्ग पर चल दिया ! थोड़ा आगे बढ़ने पर रास्ता तीन भागों में बंट जाता है, दाईं ओर जाने वाले मार्ग पर शिव और हनुमान जी का मंदिर है, और वहीं से एक रास्ता घूमकर गौशाला के लिए चला जाता है ! बाईं ओर जाने वाले मार्ग पर शनि देव का मंदिर बना है, ये मंदिर थोड़ा ऊंचाई पर है और इस मंदिर की आकृति गोलाकार है ! जबकि, सीधे जाने वाले मार्ग पर थोड़ा आगे बढ़ते ही दाईं ओर एक छोटा कुंड बना है और बाईं ओर माता भुवनेश्वरी का मंदिर है ! मुख्य मार्ग को छोड़कर आने के बाद मंदिर के अलग-2 भागों में जाने वाले इन पैदल मार्गों की चौड़ाई ज्यादा नहीं है और मार्ग के किनारे दोनों ओर घास के मैदान है !बारिश का मौसम होने के कारण इस समय मंदिर परिसर में चारों तरफ हरियाली थी, आस-पास के पहाड़ भी हरे-भरे दिखाई दे रहे थे ! सबसे पहले मैं शनि देव मंदिर में दर्शन करने गया, यहाँ एक चबूतरे पर कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई है, चबूतरे के चारों तरफ शीशे का बक्सा बना है ताकि श्रद्धालु इन मूर्तियों को छू ना सके ! प्रतिमाओं के ऊपर चांदी का छत्र भी चढ़ा है ! शनिदेव मंदिर के मुख्य द्वार के दोनों ओर 2 ऋषियों की मूर्तियाँ स्थापित की गई है और ये द्वार अधिकतर बंद ही रहता है, दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु द्वार खोलकर अंदर आते है और फिर दर्शन के बाद पुन: द्वार बंद करके चले जाते है ! यहाँ से दर्शन करके आगे बढ़ा तो माँ भुवनेश्वरी के दर्शन के लिए अगले भवन में पहुँचा, मंदिर के सामने एक बड़ा घंटा लगा है जिसके चारों ओर हरी-भरी लताओं द्वारा एक द्वारनुमा आकृति दी गई है, घंटे के नीचे एक मूर्ति भी स्थापित है !
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शनि देव मंदिर जाने का मार्ग |
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मंदिर प्रांगण में स्थित शनि देव मंदिर |
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मंदिर परिसर में बना एक कुंड |
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भुवनेश्वरी माता के मुख्य भवन का प्रवेश द्वार |
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प्रवेश द्वार के सामने स्थापित मूर्ति |
मुख्य द्वार के बाहर बने बरामदे में भी कुछ देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की गई है, यहाँ बैठकर कुछ श्रद्धालु भजन-कीर्तन में लगे थे ! प्रवेश द्वार से मुख्य भवन में दाखिल होते ही बाईं ओर विष्णु जी के वराह अवतार की मूर्ति स्थापित है, प्रवेश द्वार के ठीक सामने कुछ दूरी पर भुवनेश्वरी माता की मूर्ति स्थापित है ! अंदर जाने पर हमारी बाईं ओर माता के नौ अलग-2 रूपों की मूर्तियाँ स्थापित की गई है, दाईं ओर भी इस तरह की नौ मूर्तियाँ स्थापित की गई है ! यहाँ बैठकर आरती पाठ करने के लिए धार्मिक पुस्तकें रखी है और बैठने की भी उचित व्यवस्था है ! हालांकि, मुख्य भवन में बैठे पुजारी का व्यवहार यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मुझे थोड़ा अटपटा और रूखा लगा ! जिस तरह से वो छोटे बच्चों को डांट रहे थे या अन्य किसी चीज के लिए मना कर रहे थे वो तरीका गलत था, लोग मंदिर में श्रद्धा भाव से आते है और पुजारी से इस तरह के व्यवहार की अपेक्षा तो कतई नहीं करते ! यहाँ दी गई जानकारी के अनुसार मंदिर सुबह 9 बजे खुलकर रात 8 बजे बंद होता है इसलिए अगर आप यहाँ आने का विचार बना रहे है तो नियत समय में ही आइए ! माता के दर्शन करने के बाद कुछ देर मुख्य भवन में बिताकर मैं बाहर आ गया, मंदिर तक आने वाला मार्ग आगे जाकर एक बरसाती नाले को पार करता हुआ मंदिर के पश्चिमी भाग की ओर चला जाता है जहां कुछ दूर जाकर भगवान शिवजी की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है जिसके आस-पास घना जंगल है ! यहाँ से दूर तक फैली अरावली पर्वत श्रंखला दिखाई देती है, इस प्रतिमा की ओर जाने वाले मार्ग पर एक ऊंचे टीले पर जाकर सूर्यास्त देखने का स्थान भी है जहां से अरावली पर्वत और उसके आस-पास फैले घने जंगल का शानदार दृश्य दिखाई देता है !
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मुख्य भवन के बाहर बने बरामदे का एक दृश्य |
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मुख्य भवन का प्रवेश द्वार |
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मुख्य भवन में स्थापित देवियों की मूर्तियाँ |
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मुख्य भवन में स्थापित देवियों की मूर्तियाँ |
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माँ भुवनेश्वरी देवी की मूर्ति |
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मंदिर परिसर में बना एक पुल |
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शिव मूर्ति की ओर जाने का मार्ग |
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मंदिर परिसर का एक अन्य दृश्य |
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मंदिर के पश्चिमी भाग में स्थापित शिव प्रतिमा |
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परिवार संग एक चित्र |
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मंदिर परिसर में बनी एक आधुनिक कुटिया |
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मंदिर के पिछले भाग से जंगल में जाता एक मार्ग |
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मंदिर परिसर का एक अन्य दृश्य |
कुछ देर यहाँ बिताकर मैंने वापसी की राह पकड़ी, भुवनेश्वरी माता के मुख्य भवन के सामने स्थित कुंड के पीछे भी कुछ मंदिर बने है जिनमें शिवजी, हनुमान जी और कुछ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित है यहाँ भी मैंने बारी-2 से दर्शन किए ! वापिस आते हुए मंदिर में प्रसाद स्वरूप मिलने वाली लस्सी भी पी, जो मंदिर की गौशाला की गायों के दूध से ही बनाई जाती है ! दिनभर यहाँ अच्छा समय व्यतीत हुआ, आप भी माँ भुवनेश्वरी के दर्शन हेतु परिवार सहित आकर यहाँ के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते है ! पार्किंग से गाड़ी लेकर मैं वापिस चला तो सोहना होते हुए मैं 4 बजे तक घर पहुँच गया, इसके साथ ही आज की यात्रा का समापन करता हूँ जल्द ही आपसे किसी दूसरी यात्रा पर फिर मुलाकात होगी ! जानकारी के लिए बता दूँ कि आज जब मैं ये लेख लिख रहा हूँ तो अब तक तीन बार मैं इस मंदिर में दर्शन कर चुका हूँ ! माँ भुवनेश्वरी का प्यार और यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य मुझे अपनी ओर खींच ही लेता है !
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गौशाला के पास बने मंदिर |
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परिवार संग एक अन्य चित्र |
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मंदिर के बाहर बना पार्किंग स्थल |
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मंदिर से वापिस आते हुए रास्ते में लिया एक चित्र |
समाप्त...
मन्दिर का कोई फोन नम्बर हो तो कृपया provide करा दें।
ReplyDeleteश्रीमान जी, नंबर तो नहीं है मेरे पास !
DeleteNumber mandir 9711165161
ReplyDeleteबहुत बढ़िया वर्णनात्मक जानकारी
ReplyDeleteजी धन्यवाद !
Deleteis mandir ki history kya hai?
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