पूर्वाञ्चल सड़क यात्रा – दिल्ली से ग़ाज़ीपुर (Poorvanchal Road Trip – Delhi to Ghazipur)

शुक्रवार, 19 मार्च 2021

पिछले साल कोरोना के कारण जब से देशभर में लॉकडाउन लगा, यात्राओं पर तो जैसे ग्रहण सा लग गया, साल भर कहीं भी घूमने जाना नहीं हो पाया ! घूमने के नाम पर सिर्फ फरीदाबाद से पलवल आना-जाना लगा रहा और ज्यादा कुछ हुआ तो घर के आस-पास किसी पार्क या नर्सरी का चक्कर लगा आए, लेकिन पूरे साल किसी भी लंबी यात्रा पर जाने का संयोग नहीं बना ! पूर्वाञ्चल रोड ट्रिप की योजना अचानक ही बनी, दरअसल, हुआ कुछ यूं कि मार्च में बच्चों की परीक्षाएं खत्म होने के बाद बच्चे कहीं घूमने जाने की जिद करने लगे ! कोरोना भी थोड़ा नियंत्रण में आने लगा था इसलिए सरकार ने भी लोगों के आवागमन पर लगी पाबंदियाँ हटा दी थी ! हमारा भीड़-भाड़ वाली किसी जगह पर जाने का मन नहीं था, इसलिए बच्चों के ननिहाल जाने का विचार हुआ, सोचा घूमने के साथ परिवार के लोगों से मुलाकात भी हो जाएगी ! अब योजना अचानक से बनी थी तो ट्रेन में कन्फर्म टिकट नहीं मिली और आखिरी समय में निजी गाड़ी से जाना निश्चित हुआ, इस नई गाड़ी पर ये हमारी पहली रोड ट्रिप थी ! दिन निर्धारित होते ही यात्रा की तैयारियां भी शुरू हो गई, वैसे तैयारी के लिए ज्यादा कुछ नहीं करना था बस कुछ कपड़े और जरूरत का बाकि सामान रखना था, जिसमें ज्यादा समय नहीं लगा, थोड़ी बहुत खरीददारी करनी थी, वो भी निबटा ली ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इस लेख का मुख्य उद्देश्य पूर्वाञ्चल तक जाने के रास्ते और सड़क की जानकारी देना है, इसलिए जैसे-2 हम आगे बढ़ते जाएंगे, रास्तों के बारे में विस्तार से बताते चलेंगे, तो चलिए, यात्रा की शुरुआत करते है !

लखनऊ-सुल्तानपुर मार्ग पर लिया एक चित्र

निर्धारित दिन हम सुबह साढ़े तीन बजे उठकर बारी-2 से तैयार होने लगे, सुबह 5 बजे तक हमें हर हाल में यात्रा शुरू करनी थी ! आज हमें 800 किलोमीटर से भी ज्यादा सफर करना था और हम ये बात जानते थे कि सुबह यात्रा शुरू करने में जितना देर करेंगे, दिन में गाड़ी चलाते हुए उतना अधिक दबाव बढ़ेगा और फिर रात को भी काफी देर तक गाड़ी चलानी पड़ेगी, या रात्रि विश्राम के लिए रास्ते में कहीं होटल लेकर रुकना पड़ेगा, जो हम बिल्कुल नहीं चाहते थे ! जल्दी से नहा-धोकर तैयार हुए और चाय पीकर 5 बजे तक हमने अपनी यात्रा शुरु कर दी ! फरीदाबाद से निकलकर हम पलवल होते हुए टप्पल में यमुना एक्स्प्रेस-वे पकड़ने वाले थे, घर से चले तो खाली सड़क मिली, आधे घंटे में पलवल पहुँच गए, यहाँ बस अड्डे से थोड़ा आगे निकलते ही अलीगढ़ जाने वाले मार्ग पर मुड़ गए ! शुरुआत में ये रास्ता थोड़ा संकरा है लेकिन रेलवे पुल पार करने के बाद सड़क की चौड़ाई बढ़ जाती है, ये पलवल-अलीगढ़ मार्ग है जो हरियाणा को उत्तर प्रदेश से जोड़ता है ! यमुना नदी तक सिंगल रोड है इसलिए सामने से आने वाली गाड़ियों की रोशनी आँखों में चुभती है, लेकिन नदी पार करके जैसे ही उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते है, सड़क की चौड़ाई बढ़ जाती है और बीच में डिवाइडर आ जाने से सामने से आ रही गाड़ियां भी ज्यादा परेशान नहीं करती ! पलवल-अलीगढ़ मार्ग हरियाणा की अपेक्षा उत्तर-प्रदेश में ज्यादा बढ़िया बना है, यहाँ इसकी चौड़ाई भी खूब है और सड़क पर गड्ढे भी नहीं है !

घर से निकलते हुए गाड़ी की रीडिंग

फरीदाबाद-पलवल मार्ग पर लिया एक चित्र

टप्पल में हम पलवल-अलीगढ़ मार्ग को छोड़कर यमुना एक्स्प्रेस-वे पर चढ़ गए, इसके साथ ही गाड़ी की रफ्तार भी बढ़कर 100 तक पहुच गई ! वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इस एक्स्प्रेस-वे पर गाड़ी की अधिकतम गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा है, गाड़ियों की गति पर नजर रखने के लिए जगह-2 कैमरे भी लगे है ! अब तक सूर्योदय होने लगा था, टप्पल से कुछ दूर चलने के बाद टोल गेट आया, इतना पुराना एक्स्प्रेस-वे होने के बावजूद इस मार्ग पर पड़ने वाले टोल केंद्रों पर फास्ट टैग चालू नहीं था, यहाँ शुल्क अदा करके हम आगे बढ़े ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि यमुना एक्स्प्रेस-वे पर टप्पल से आगरा तक लगभग 125 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए हमें 285 रुपए का टोल शुल्क देना पड़ा, जो रोड की हालत और टोल पर लगने वाले जाम के हिसाब से मुझे तो ज्यादा लगा ! रोड बढ़िया बना है लेकिन सड़क पर जगह-2 उतार-चढ़ाव होने के कारण तेज गति में गाड़ी अनियंत्रित होने का खतरा बना रहता है ! छुट्टी वाले दिन इस एक्स्प्रेस-वे पर बाइकर ग्रुप अक्सर अपनी सुपर बाइक दौड़ाते दिख जाते है, सड़क किनारे बीच-2 में फूड प्लाज़ा बने हुए है जहां आप खान-पान के लिए रुक सकते है ! हम मथुरा के पास जाकर एक जगह 5-7 मिनट के लिए रुके और गाड़ी से बाहर आकर सड़क किनारे कुछ फोटो लेने लगे ! यहाँ पास से गुजरती हुई गाड़ियां जब तेजी से निकलती है तो उनकी रफ्तार महसूस होती है जो सड़क पर गाड़ी चलाते हुए नहीं होती ! 

टप्पल में यमुना एक्स्प्रेस-वे पर चढ़ते हुए एक चित्र

यमुना एक्स्प्रेस वे पर मथुरा के पास कहीं

यमुना एक्स्प्रेस वे पर मथुरा के पास कहीं

यमुना एक्स्प्रेस वे पर मथुरा के पास कहीं

यहाँ से चले तो पौने आठ बजे के आस-पास हम यमुना एक्स्प्रेस-वे से उतरकर आगरा-लखनऊ एक्स्प्रेस-वे पर चढ़ गए ! इन दोनों एक्स्प्रेस-वे को आपस में जोड़ने के लिए आगरा में एक 13 किलोमीटर लंबे लिंक रोड का निर्माण किया गया है जिसके लिए अलग से 35 रुपए का टोल शुल्क देना होता है, यहाँ गाड़ियों की कतार में खड़े होने पर समझ आ जाता है कि अब आगरा-लखनऊ एक्स्प्रेस-वे पर चढ़ने वाले है ! शुरुआत से ही इस मार्ग की खूबसूरती का अंदाजा होने लगता है, इस मार्ग पर आते ही "आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर आपका स्वागत है" का बोर्ड दिखाई दिया, सड़क किनारे खूबसूरत लाइटें लगी है जो सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है ! सजावट के अलावा जितनी लाजवाब ये सड़क बनी है उसके तो क्या ही कहने, गाड़ी चलाते हुए बहुत आनंद आता है ! यमुना एक्स्प्रेस-वे के मुकाबले इस एक्स्प्रेस-वे पर गाड़ी पर बढ़िया नियंत्रण रहता है, सड़क पर ज्यादा उठार-चढ़ाव भी नहीं है, कुल मिलाकर पूरा पैसा वसूल है ! 320 किलोमीटर लंबे इस एक्स्प्रेस-वे पर दोनों तरफ हर 100 किलोमीटर की दूरी पर फूड प्लाजा बने है जहां आपको अपना मनपसंद भोजन मिल जाएगा ! इन फूड प्लाज़ा के बगल में ही पेट्रोल पंप भी है, बाकि इस एक्स्प्रेस-वे पर और कहीं पेट्रोल पम्प नहीं है, इसलिए इस मार्ग पर यात्रा शुरू करते समय अपनी गाड़ी का टैंक जरूर जांच करें ! आगरा से निकलकर कुछ देर बाद हम एक टोल प्लाज़ा पर पहुंचे, यहाँ फास्ट टैग बढ़िया काम कर रहा था, कुछ ही सेकंड में हमने ये पार कर लिया ! 

इस टोल प्लाज़ा के बगल में ही ओवर स्पीडिंग का चालान करने वाली एक जिप्सी भी खड़ी थी, इसलिए आप कभी इस मार्ग पर आए तो टोल प्लाजा पर गति का ध्यान रखें ! इस एक्स्प्रेस वे पर अधिकतम गति सीमा 100 किलोमीटर प्रति घंटा है, सड़क पर दौड़ती गाड़ियों की गति मापने के लिए हाइवे के किनारे लगे खंबों पर जगह-2 कैमरे लगे है ! बीच-2 में सड़क के ऊपर लगी लोहे की रेलिंग पर भी कैमरे लगे है जो आपकी गाड़ी की गति रेलिंग पर लगी एक स्क्रीन पर दिखाते है ! लोगों की सहायता के लिए जगह-2 पुलिस की जिप्सी भी इस मार्ग पर पेट्रोलिंग करती रहती है ! हालांकि, अपनी यात्रा के दौरान हमने इस एक्स्प्रेस-वे पर कई गाड़ियों को 150 की गति से दौड़ते देखा, पता नहीं इनके खिलाफ कुछ कार्यवाही होती भी है या नहीं ! खैर, इस एक्स्प्रेस-वे पर आगरा से लखनऊ की 320 किलोमीटर की दूरी के लिए 595 रुपए टोल शुल्क के रूप में देने पड़ते है ! रास्ते में अलग-2 शहरों से चढ़ने-उतरने के लिए प्रवेश और निकास मार्ग बनाए गए है, यातायात ना के बराबर है इसलिए बार-2 गियर भी नहीं बदलने पड़ते और ना ही ब्रेक लगाना पड़ता है ! देखते ही देखते घंटे भर में 100 किलोमीटर का सफर तय हो गया, बीच में यमुना नदी भी दिखाई दी, लेकिन पानी ज्यादा नहीं था ! मैनपुरी में सड़क किनारे बने फूड प्लाज़ा पर जाकर गाड़ी रोकी, समय 9 बज रहे थे यहाँ हल्का-फुल्का नाश्ता किया, खाने-पीने के यहाँ बढ़िया विकल्प है और पार्किंग की भी उचित व्यवस्था है ! प्रसाधन की साफ-सफाई का बढ़िया इंतजाम किया गया है, और सबसे बड़ी बात यात्रियों के लिए ये निशुल्क है !

आगरा-लखनऊ एक्स्प्रेस-वे पर फूड प्लाज़ा

फूड प्लाज़ा का पार्किंग स्थल

आगरा-लखनऊ एक्स्प्रेस-वे पर फूड प्लाज़ा

आधे घंटे बाद यहाँ से चले तो कन्नौज में गंगा नदी भी दिखाई दी, हालांकि, हम फूड प्लाज़ा के अलावा इस मार्ग पर कहीं नहीं रुके ! दोपहर लगभग पौने बारह बजे हम लखनऊ में थे, यहाँ भयंकर जाम मिला, हम लखनऊ में एक चौराहे पर खड़े थे कि तभी ऊपर से एक मेट्रो ट्रेन निकली ! पहली बार आज लखनऊ की मेट्रो के दर्शन भी हो गए, पिछली बार जब मैं लखनऊ घूमने आया था तब यहाँ मेट्रो सेवा शुरू नहीं हुई थी, उम्मीद है जल्द ही लखनऊ मेट्रो की सवारी करने का मौका भी मिलेगा ! धीरे-2 चलते हुए हम लखनऊ से बाहर निकलने वाले मार्ग पर पहुँच गए, फिर भी लखनऊ शहर से निकलने में आधा घंटा लग ही गया ! अब हम लखनऊ की भीड़-भाड़ से निकलकर सुल्तानपुर रोड पर थे, शुरुआत में ये रोड थोड़ा संकरा है लेकिन शहर से बाहर निकलने पर रोड की चौड़ाई बढ़ जाती है और यातायात भी कम हो जाता है ! दोपहर के सवा एक बज रहे थे जब हम लखनऊ-हैदरगढ़ के बीच अमेठी नाम के कस्बे में खाने के लिए एक ढाबे पर रुके ! भूख तो काफी देर से लगी थी लेकिन हम सब लखनऊ के जाम से निकलने का इंतजार कर रहे थे, वैसे भी सुबह से अब तक ज्यादा कुछ नहीं खाया था ! यहाँ से सुल्तानपुर लगभग 115 किलोमीटर दूर है, जिसे तय करने में लगभग डेढ़ घंटे का समय तो लगना था ! 

खा-पीकर 2 बजे अमेठी से चले, सुल्तानपुर तक बढ़िया 4 लेन हाइवे मिला, सीमेंट की रोड बनी है और यातायात ना के बराबर ! हम लगातार 90-100 की स्पीड से चलते रहे, रास्ते में एक जगह कुछ फोटो खींचने के लिए रुके, इस मार्ग पर सड़क किनारे दूर तक दिखाई देते हरे-भरे खेत बहुत खूबसूरत लगते है ! इस मार्ग पर 2 टोल प्लाजा मिले, जहां 85 और 90 रुपए का टोल शुल्क अदा किया, फिर सवा 3 बजे तक हमने सुल्तानपुर भी पार कर लिया ! अभी हमें 200 किलोमीटर और चलना था, मैंने सोचा ऐसा ही रास्ता मिला तो ढाई घंटे में घर पहुँच जाएंगे, लेकिन असली परीक्षा तो अभी बाकि थी ! सुल्तानपुर से जौनपुर के लिए चले तो कुछ दूर तक बढ़िया रास्ता मिला, लेकिन जैसे-2 आगे बढ़ते रहे, रास्ता भी खराब होता गया ! वैसे फिलहाल इस मार्ग पर सड़क निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, इसलिए जगह-2 यातायात को मुख्य मार्ग से हटाकर सहायक मार्ग पर भेजा जाता है, उम्मीद है जब ये रास्ता बनकर तैयार हो जाएगा तो इस मार्ग पर सफर करना भी मजेदार रहेगा ! वैसे इस मार्ग के अलावा, लखनऊ से ग़ाज़ीपुर तक पूर्वाञ्चल एक्स्प्रेस-वे भी अपने अंतिम चरण में है, उसके बनने के बाद इन 2 शहरों का सफर घटकर 3 घंटे का रह जाएगा ! यहाँ चलते हुए कई जगह तो गूगल मैप भी रास्ता दिखाना बंद कर दे रहा था, इसका कारण ये था कि जो मार्ग बनकर तैयार हो गया है वो गूगल मैप पर अपडेट नहीं हुआ, समय बीतने के साथ ये समस्या हल हो जाएगी !

लखनऊ-सुल्तानपुर मार्ग पर एक टोल प्लाजा

लखनऊ-सुल्तानपुर 4 लेन शानदार हाइवे

लखनऊ-सुल्तानपुर 4 लेन शानदार हाइवे

लखनऊ-सुल्तानपुर 4 लेन शानदार हाइवे

सुल्तानपुर की ओर जाते हुए

पौने पाँच बजे हम बदलापुर पहुंचे, ये सुल्तानपुर से जौनपुर जाते हुए एक बड़ा कस्बा है, यहाँ भी जगह-2 सड़क निर्माण कार्य चल रहा था, कई जगह तो फ्लाइओवर भी बनाए जा रहे है और एक जगह टोल प्लाजा भी ! एक समय तो ऐसा भी आया कि बहुत दूर तक गाड़ी दूसरे-तीसरे गियर में ही चलती रही, सड़क ही इतनी खराब थी कि गाड़ी रफ्तार ही नहीं पकड़ रही थी ! सुबह से अब तक के सफर में जितनी थकान नहीं हुई थी उतनी थकान सुल्तानपुर से जौनपुर जाने में हो गई, बदलापुर से जौनपुर पहुंचते-2 साढ़े पाँच बज गए ! जौनपुर से शाहगंज, वाराणसी और आजमगढ़ के लिए अलग-2 रास्ते निकलते है, इस नजर से जौनपुर भी बड़ा शहर है, हर चौराहे पर यहाँ जाम की समस्या बनी रहती है फिर जगह-2 सड़क विस्तारीकरण के काम से भी जाम लगा रहता है ! पर्यटन की दृष्टि से भी जौनपुर एक समृद्ध शहर है यहाँ घूमने के लिए कई जगहें है जिसमें जौनपुर का किला, शाही पुल, और गोमती नदी पर होने वाली संध्या आरती प्रमुख है ! हम जौनपुर के मुख्य बाजार से होते हुए गोमती नदी को पार करके जौनपुर-आजमगढ़ मार्ग पर पहुंचे, आजमगढ़ यहाँ से लगभग 65 किलोमीटर दूर है, लेकिन हमें इस मार्ग पर ज्यादा नहीं चलना था ! जौनपुर में जगह-2 जाम मिला, लेकिन एक बार जौनपुर से बाहर निकले तो मार्ग खाली था, जौनपुर-आजमगढ़ मार्ग पर 25 किलोमीटर चलने के बाद भीरा नाम के एक कस्बे से हमें दाएं मुड़ना था ! ये मार्ग लालगंज से निकलकर सादात होते हुए ग़ाज़ीपुर को चला जाता है, हमें आज सादात में रुकना था, हम अभी भी घर से 55 किलोमीटर दूर थे !

सुल्तानपुर से पहले कहीं

सुल्तानपुर से पहले लिया एक चित्र

दूर तक दिखाई देता शानदार नजारा

यातायात ना के बराबर था

बदलापुर पार करते हुए लिया एक चित्र

भीरा से लालगंज-भीरा मार्ग पर मुड़े तो रोड काफी संकरा था इतना संकरा कि सामने से कोई कार या बड़ी गाड़ी आने पर हमें गाड़ी किनारे रोकनी पड़ती, गनीमत रही कि सामने से दुपहिया वाहन ही आए और हम निरंतर चलते रहे ! 15 किलोमीटर चलने के बाद हम लालगंज पहुंचे, यहाँ आजमगढ़-वाराणसी मार्ग को पार करते हुए हम लालगंज-तरवाँ मार्ग पर पहुंचे ! लालगंज से तरवाँ तक बढ़िया मार्ग मिल, तरवाँ से हमारी मंजिल महज 15 किलोमीटर रह गई थी, लेकिन आगे का रास्ता बहुत बढ़िया नहीं था ! विकास को गाँव के इन रास्तों तक पहुँचने में थोड़ा समय लगेगा, हालांकि, कई जगहें रास्ते बढ़िया बन गए है लेकिन कुछ जगहों पर काम अभी बाकि है ! तरवाँ से चले तो बहरियाबाद पहुँचकर कुछ देर के लिए बाजार में रुके, समय शाम के साढ़े सात बजने वाले थे ! बाजार में कुछ देर बिताने के बाद यहाँ से सादात पहुँचने में 10-15 मिनट का समय लगा, इस तरह आज के 15 घंटे के सफर में कुल 825 किलोमीटर गाड़ी चलाई ! इसी के साथ आज के इस लेख पर विराम लगाता हूँ, अगले लेख में आपको सादात के स्थानीय मंदिरों की भ्रमण करवाऊँगा !

अगले भाग में जारी...

पूर्वाञ्चल यात्रा

  1. पूर्वाञ्चल सड़क यात्रा – दिल्ली से ग़ाज़ीपुर (Poorvanchal Road Trip – Delhi to Ghazipur)
  2. ग़ाज़ीपुर के सादात में स्थानीय भ्रमण (Local Sight Seen in Sadat)
  3. मार्कन्डेय महादेव मंदिर की यात्रा (A Trip to Markandey Mahadev Temple, Kaithi)
  4. ग़ाज़ीपुर का प्रसिद्ध हथियाराम मठ (A Visit to Hathiyaram Math, Ghazipur)
  5. पूर्वाञ्चल सड़क यात्रा - ग़ाज़ीपुर से दिल्ली (Poorvanchal Road Trip – Ghazipur to Delhi)

Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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