शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2017
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पिछले लेख में आप गौरीकुंड से रामबाड़ा पहुँचने तक की यात्रा के बारे में पढ़ चुके है, अब आगे, रामबाड़ा तक चलने में हमें कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन यहाँ से आगे बढे तो काफी खड़ी चढ़ाई थी ! थोड़ी दूर चलने के बाद हर मोड़ पर हमारी हिम्मत जवाब दे रही थी इसलिए हम 50-60 मीटर चलने के बाद रुक जाते, खड़े-2 थोड़ी देर आराम करते, फिर आगे बढ़ते ! ये सिलसिला अनवरत जारी रहा, इस बीच देवेन्द्र ये कहकर हमारी हिम्मत बंधा रहा था कि थोड़ी आगे जाने पर समतल मार्ग आ जायेगा, फिर ज्यादा परेशानी नहीं होगी ! सुबह जब हम सोनप्रयाग से चले थे तो मेरा विचार था कि देर शाम या रात तक हम केदारनाथ जाकर वापिस आ जायेंगे, लेकिन अब चढ़ाई करते हुए लगने लगा था कि आज वापसी करना शायद संभव ना हो ! जैसे-2 हम ऊँचाई पर पहुँचते जा रहे थे, आस-पास दिखाई देने वाले नजारों की ख़ूबसूरती भी बढती जा रही थी लेकिन थकान के कारण हालत ऐसी हो गई थी कि जेब से मोबाइल निकालकर फोटो खींचने तक की हिम्मत नहीं हो रही थी ! लेकिन इसी बीच देवेन्द्र शॉर्टकट मार्ग से होता हुआ हर दृश्य को अपने कैमरे में कैद करता हुआ तेजी से आगे बढ़ रहा था !
![kedarnath temple](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjrbcPEHCI0Tj9Z4RTB4c07u_Bn36mDFW92dROXTN3qH20-t2RTZRQz9lNrzweV5n8JzeBa4ViHTlB9Apt8qKsR-DmSBwI9Tkg5HmXWSCKMmTBPN11r5gNN9Njxm3BqaqXvQPpRuzojxIdC/s640/Img24.jpg) |
केदारनाथ मंदिर का एक दृश्य (A View of Kedarnath Temple) |
धीरे-2 आगे बढ़ते हुए हम रामबाड़ा से डेढ़ किलोमीटर का सफ़र तय करके छोटा लेंचोली पहुंचे, यहाँ मार्ग के किनारे जगह-2 रात्रि विश्राम के लिए टेंट लगे थे, जिनका दैनिक किराया लगभग 1000 रूपए था ! ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए हम आगे बढ़ते जा रहे थे, रास्ते में कई छोटे-2 झरने आते रहे, बीच में कहीं एकदम ऊंची चढ़ाई आ जाती तो कहीं उतराई भी आ जाती ! एक-दो जगहें तो ऐसी भी आई, जहाँ मार्ग टूटा हुआ था और नीचे जलधारा बह रही थी ! इस जलधार को पार करने के लिए बड़े-2 पत्थरों को रखकर वैकल्पिक मार्ग बनाया गया था ! इन जगहों को लांघते हुए अब हम एक ऊंची जगह पर थे, जहाँ चारों ओर दूर तक फैली ऊंची-2 पहाड़ियाँ दिखाई दे रही थी और पहाड़ियों के ऊपर मंडरा रहे थे घने बादल ! इन घने बादलों को चीरते हुए हर मिनट हेलीकाप्टर गुजर रहे थे, कुल मिलाकर बड़ा ही शानदार दृश्य था ! छोटा लेंचोली से ढाई किलोमीटर चलने के बाद हम लेंचोली पहुंचे, यहाँ से हमें केदारनाथ जाने के लिए नदी के उस पार भी एक पैदल मार्ग दिखाई दे रहा था, जो बीच-2 में कई जगह क्षतिग्रस्त था ! हालांकि, वर्तमान में इस मार्ग पर आवागमन बंद है लेकिन 2013 में आई प्राकृतिक आपदा से पहले केदारनाथ जाने के लिए वही एक मार्ग था !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjgdzc-_qxtfZazd90FfS5UsddyLgRRFItSWwHAql9-LZlFpKlmrgTxiR3FfRkDp6VSfSWJ8QiA8oXI6agw1zj0zAnAKGD15sagKUekS5xWOtpgYi97XFWwvosbtUUHBr4vpiJhYICNj-yC/s640/Img01.jpg) |
केदारनाथ जाते हुए रास्ते में दिखाई देते पहाड़ |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvnS2z-cYb8rKAamPwTNEP5hNg2fcUQ23XlrhUPb2vZlscvZvG_o7ySkn39A95gojrsDc2aGMiaTjaPGF0hAurffWK_dzDtVqx9QAPi3y-fdzYqjNMYbqfo8Hpl969VtCp1izeqsKmYinw/s640/Img02.jpg) |
केदारनाथ जाते हुए रास्ते में दिखाई देता एक दृश्य |
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केदारनाथ जाते हुए रास्ते में दिखाई देते पहाड़ |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhdDGE_Yjbad47qLRTSEPj3X6gMICnu39sOHUt_ZA3xvWpljhKCkYLtkk5BYQHVlUpZvQiRT_7_CQ41NkpL-2T8UwwLqa4VMIUtPjoLI2JomZ_vrK9p3kZCUlaMuFL32mdB5b9C5_Pw_EAc/s640/Img04.jpg) |
केदारनाथ जाते हुए रास्ते में दिखाई देता एक दृश्य |
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केदारनाथ जाते हुए दिखाई देता एक दृश्य |
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केदारनाथ जाने का मार्ग |
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दूर तक दिखाई देता मार्ग |
आपदा में मार्ग का बहुत बड़ा हिस्सा नदी में बह गया, बाद में उस मार्ग को ना सुधारकर एक नए मार्ग का निर्माण किया गया, आज हम भी इसी मार्ग से केदारनाथ जा रहे थे ! आपदा के बाद से यहाँ आने वाले श्रद्धालु इसी नए मार्ग से केदारनाथ जाते है ! वैसे, पुराने मार्ग के किनारे अब भी कई इमारतें दिखाई दे रही थी, पता नहीं, लेकिन इन इमारतों की हालत देखकर लग रहा था कि अब भी कोई इनमें रहता होगा ! धीरे-2 आगे बढ़ते हुए अब हम एक ऐसी घाटी के बीच में चल रहे थे, जहाँ हमारी दाईं ओर ऊंचे-2 पहाड़ थे जबकि बाईं ओर मन्दाकिनी नदी बह रही थी ! नदी के उस पार केदारनाथ जाने वाला पुराना मार्ग था और मार्ग के किनारे फिर से ऊंचे-2 पहाड़ थे, इस बीच सूर्यदेव भी आँख-मिचौली का खेल खेलने में लगे थे ! कभी ये बादलों के बीच या किसी ऊंची पहाड़ी के पीछे छुप जाते तो छाया हो जाती, फिर अचानक से बादल छंटते ही तेज धूप निकल आती ! इसी लुका-छुपी के बीच हम आगे बढ़ते रहे, मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग के दोनों ओर अस्थायी शौचालय भी बनाए गए थे ! लेंचोली से एक किलोमीटर चलने के बाद छानी कैम्प आता है, छानी कैम्प पहुँचने पर एक बार तो हमारी हिम्मत जवाब दे गई, एक मन खच्चर करने का भी हुआ, लेकिन फिर भोलेनाथ का नाम लेकर अपनी यात्रा पैदल ही जारी रखी !
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रास्ते से दिखाई देता एक दृश्य |
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केदारनाथ मंदिर जाने का मार्ग |
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नदी के उस पार दिखाई देता पुराना मार्ग |
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ऐसे ऊंचे-2 पहाड़ यहाँ आम बात है |
छानी कैम्प से आगे बढे तो थोड़ी देर चलने के बाद काफी दूर तक समतल मार्ग दिखाई दे रहा था, 2 किलोमीटर चलने के बाद हमारी दाईं ओर ऊपर पहाड़ी दे गिरता हुआ एक झरना दिखाई दिया ! बड़ा शानदार झरना था, इस झरने को रुद्रा फाल के नाम से जाना जाता है, यहाँ से बेस कैम्प की दूरी भी ज्यादा नहीं रह जाती ! ब्मुश्किल, आधा किलोमीटर चलने के बाद हम बेस कैम्प पहुँच चुके थे ! केदारनाथ जाते हुए रास्ते में पड़ने वाले इन सभी ठहरावों में से कुछ पर प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था भी है ! केदारनाथ की चढ़ाई करते हुए अगर किसी को स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई भी परेशानी होती है, तो वो यहाँ रास्ते में पड़ने वाले इन चिकित्सा केन्द्रों से प्राथमिक उपचार ले सकते है ! बेस कैम्प से केदार घाटी ज्यादा दूर नहीं रह जाता, यहाँ से बादलों की चादर ओढ़े केदार घाटी का एक विहंगम दृश्य दिखाई देता है ! इस मार्ग के किनारे दोनों ओर जगह-2 अस्थायी टेंट लगाकर लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई थी, और बीच-2 में कुछ जगहों पर खान-पान की दुकानें भी थी ! केदारनाथ जाने वाले श्रधालु कुछ पल रूककर यहाँ आराम करते है और हल्का जलपान करने के बाद आगे बढ़ जाते है !
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हेलीकाप्टर तो यहाँ हर मिनट आते-जाते है |
यहाँ मार्ग के दाईं ओर दूर तक फैला एक घास का मैदान है, जबकि बाईं ओर टेंट में बनी कुछ दुकानें है ! देवेन्द्र हमसे काफी आगे निकल चुका था, शायद वो मंदिर भी पहुँच गया हो ! वैसे मुझे उसका निर्णय सही लगा, यहाँ रास्ते में रुककर इन्तजार करने से अच्छा है वो मंदिर पहुंचकर दर्शन करे, हम भी थोड़ी देर में मंदिर पहुँच ही जायेंगे ! पीछे मुड़कर देखा तो अनिल भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा था, शायद वो हमसे काफी पीछे था, जहाँ तक नज़र जा सकती थी हमने उसे देखा, लेकिन दूर तक दिखाई दे रहे इस मार्ग पर वो हमें कहीं भी दिखाई नहीं दिया ! आगे बढ़ने से पहले हम इसी मैदान में कुछ देर आराम करने के लिए रुके, 10 मिनट आराम करने के बाद भी जब अनिल नहीं आया तो हम फिर से मंदिर की ओर बढ़ गए ! देवेन्द्र और अनिल को फ़ोन भी लगाया लेकिन उनके फ़ोन में सिग्नल ना होने के कारण किसी से भी बात नहीं हो पाई, अंत में वाई-फाई जोन में पहुंचकर व्हट्सएप्प पर मेसेज भेज दिया, कि सभी लोग मंदिर के सामने ही मिलना, हम कुछ ही देर में मंदिर पहुँच रहे है ! ऊँचाई पर होने के कारण यहाँ अक्सर बारिश की स्थिति बनी रहती है, आज भी कहीं-2 घने बादल दिखाई दे रहे थे !
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रास्ते में बनी कुछ इमारतें |
लेकिन हमें अब परेशान होने की ज़रूरत नहीं थी, क्योंकि यहाँ से मुख्य भवन अब ज्यादा दूर नहीं रह गया था ! बेस कैम्प से मुख्य भवन तक की दूरी डेढ़ किलोमीटर है, और यहाँ से आगे मंदिर तक समतल मार्ग ही था, जिसे तय करने में हमें 15-20 मिनट का ही समय लगा ! मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर पहले हेलीपेड बना है, फाटा और गुप्तकाशी से आने वाले हेलीकाप्टर आपको यहाँ उतार देते है ! बगल में ही डोरमेट्री की व्यवस्था भी है, जहाँ रुकने के लिए आपको 500 रूपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से देने होते है ! डोरमेट्री, कुछ हद तक ट्रेन में लगी सीटों की तरह ही होता है, आमने-सामने, ऊपर-नीचे सोने के लिए गद्दे लगे होते है, इस तरह एक ही कमरे में कई लोगों के रुकने की व्यवस्था हो जाती है ! यहाँ से थोड़ी आगे बढे तो मन्दाकिनी नदी पर एक पुल बना है, बगल में ही घाट भी है जहाँ नदी तक जाने के लिए सीढियाँ बनी है ! यहाँ भी कई रेस्टोरेंट बने है, खाने का अच्छा-ख़ासा दाम वसूलते है ! पुल पार करने के बाद तो ये मार्ग सीधा मंदिर के सामने ही जाकर ख़त्म होता है, मार्ग के दोनों ओर दुकानें है जहाँ पूजा-सामग्री और खान-पान का सामान मिलता है !
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मन्दाकिनी नदी पर बना लोहे का पुल |
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मन्दाकिनी के किनारे बना एक घाट |
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दूर से दिखाई देता केदारनाथ मंदिर |
इस मार्ग से होते हुए दोपहर डेढ़ बजे हम केदारनाथ मंदिर के सामने खड़े थे, देवेन्द्र मंदिर परिसर में खड़ा हमारी राह देख रहा था ! वो मंदिर में दर्शन कर चुका था, इस समय यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं थी, मैंने पास की ही दुकान से पूजा की एक थाली ले ली और पिताजी के साथ मंदिर के मुख्य भवन में चल दिया ! हमारी उम्मीद के विपरीत बड़े ही आराम से दर्शन हुए, एक पंडित की सहायता से हमने यहाँ पूजा की ! 10-15 मिनट बाद जब दर्शन करके मंदिर से बाहर आए तो बड़ा सुकून मिला, कि आखिर मंदिर तक आने के लिए की गई हमारी मेहनत सफल हुई ! वर्ना वैष्णो देवी हो या कोई अन्य धार्मिक स्थल, इतने आराम से दर्शन शायद ही कहीं हुए हों ! खैर, बाहर आकर खड़े हुए तो हमारा अगला काम सबसे पहले अपने लिए एक होटल ढूँढने का था ! केदारनाथ की चढ़ाई करते हुए अच्छी-खासी थकान हो गई थी इसलिए आज वापसी का मन नहीं था ! थोड़ी खोजबीन के बाद हमें होटल से 30-40 कदम की दूरी पर ही एक होटल मिल गया, किराया मात्र 400 रूपए ! अपना बैग कमरे में रखकर वापिस मंदिर की ओर चल दिए, क्योंकि हमें अंदाजा था कि अब तक अनिल भी आ गया होगा !
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केदारनाथ मंदिर के प्रथम दर्शन |
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एक ग्रुप फोटो भी हो जाए |
मंदिर पहुंचकर कुछ देर इन्तजार करने के बाद हमें अनिल भी मिल गया ! हमने एक बार फिर से अनिल के साथ जाकर मंदिर में दर्शन किये और फिर वापिस अपने होटल की ओर चल दिए ! चलिए, हम होटल पहुंचकर थोडा आराम करते है तब तक आप भी केदारनाथ के दर्शन कर लीजिये ! इस लेख पर भी यहीं विराम लगाता हूँ, अगले लेख में आपको केदार घाटी में स्थित भैरवनाथ मंदिर के दर्शन करवाऊंगा !
गौरीकुंड से केदारनाथ जाते हुए रास्ते में पड़ने वाले यात्रा पडावों के नाम दूरी सहित नीचे दिए गए है !
गौरीकुंड --> जंगलचट्टी (4) --> भीमबली (6) --> रामबाड़ा (7) --> छोटा लेंचोली (8.5) --> लेंचोली (11) --> छानी कैम्प (12) --> रुद्रा पॉइंट (14) --> बेस कैम्प (14.5) --> केदारनाथ (16)
बहुत खूब सूरत लेखन
ReplyDeleteजय बाबा केदारनाथ जी
धन्यवाद महेश जी !
Deleteबहुत ही विस्तृत विवरण! मजा आ गया पढ़ कर!
ReplyDeleteधन्यवाद देवेन्द्र भाई !
Deleteहर हर महादेव
ReplyDeleteहर हर महादेव प्रतीक भाई !
Deleteबहुत ही शानदार विवरण जय जय केदारनाथ आपके साथ हमने भी शानदार njaronka मजा लिया
ReplyDeleteजानकर अच्छा लगा वसंत जी, कि लेख के सहारे आपको भी बाबा केदार के दर्शन हो गए !
Deletejai bhole baba ki mast likha hai bhai ne maza aa gaya
ReplyDeleteDhanyvaad bhai Dev Tanwar
Deleteजय केदारनाथ बाबा की।
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट, बहुत बारीकी से यात्रा वृत्तांत लिखा आपने।
जय केदारनाथ बाबा की ! बस एक प्रयास किया है अपने यात्रा अनुभव को आप लोगों से साझा करने का, जानकर अच्छा लगा कि लेख आपको पसंद आया !
DeleteBahut hi sundar vivran live telecast se bhi achha please
ReplyDeleteapana mb no de
जी धन्यवाद, मोबाइल नंबर ऊपर प्रोफाइल सेक्शन में दिया है !
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