रुद्रप्रयाग में है अलकनंदा और मन्दाकिनी का संगम (Confluence of Alaknanda and Mandakini Rivers - RudrPrayag)

वीरवार, 12 अक्तूबर 2017

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केदारनाथ यात्रा के पिछले लेख में आप रुद्रप्रयाग आते हुए माँ धारी देवी (Dhari Devi Temple) के दर्शन कर चुके है, गाडी लेकर हम कल्यासौड़ से चले तो 20 किलोमीटर चलने के बाद रुद्रप्रयाग पहुंचे ! रुद्रप्रयाग भी एक अच्छा और बड़ा शहर है, ये काफी ढलान पर बसा है, गाडी चलाते हुए या पैदल चलते हुए आपको इस बात का आभास हो जाता है ! शहर में प्रवेश करते ही मार्ग काफी संकरा और ढलान भरा हो जाता है, ढलान वाले मार्ग से होते हुए हम रुद्रप्रयाग के मुख्य बाज़ार में पहुँच गए ! बाज़ार के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा पीपल का पेड़ है जिसके नीचे एक छोटा मंदिर और एक मोटरसाइकिल स्टैंड भी है ! इस पीपल के पेड़ के पास ही रुद्रप्रयाग से केदारनाथ और बद्रीनाथ मार्ग पर जाने वाली बसें भी खड़ी होती है, अपनी चोपता यात्रा के दौरान बस का इन्तजार करते हुए हमने इस बाज़ार में काफी समय बिताया था ! यहाँ अच्छा-ख़ासा बाज़ार है, आपको अपनी ज़रूरत का लगभग सभी सामान इस बाज़ार में मिल जायेगा, आज हम यहाँ बिना रुके आगे बढ़ गए ! थोड़ी आगे बढ़ने पर मुख्य मार्ग दो भागों में विभाजित हो जाता है, बाईं ओर जाती सड़क पर आगे जाकर एक लोहे का पुल बना है पुल पार करने के बाद ये मार्ग केदारनाथ चला जाता है !
rudrprayag
रुद्रप्रयाग में संगम का एक दृश्य (A view of sangam in Rudrprayag)

जबकि इस पुल से पहले सीधे जाने वाला मार्ग कर्णप्रयाग, नद्न्प्रयाग, और विष्णुप्रयाग होते हुए बद्रीनाथ चला जाता है ! हम केदारनाथ की यात्रा पर थे इसलिए लोहे के पुल को पार करते हुए रुद्रप्रयाग-केदारनाथ मार्ग पर पहुँच गए ! पुल पार करने के बाद 100 मीटर चलते ही एक सुरंग आता है, जिसे पार करने के बाद ये मार्ग कुंड, गुप्तकाशी, फाटा, और सोनप्रयाग होते हुए गौरीकुंड तक जाता है, गौरीकुंड से आगे केदारनाथ तक 17 किलोमीटर का पैदल मार्ग है ! सुरंग के पास सड़क के किनारे अपनी गाडी खड़ी करके हम एक गली से होते हुए पैदल ही रुद्रप्रयाग में स्थित संगम स्थल की ओर चल दिए ! ये एक रिहायशी इलाका था, जिसमें कई बहुमंजिला इमारतें बनी हुई थी, नदी के किनारे इस तरह की इमारतें पता नहीं कितनी सुरक्षित है, ऐसा लगता है 2013 में आई आपदा के बाद भी लोगों ने ज्यादा कुछ सीखा नहीं है ! खैर, 5-7 मिनट की पदयात्रा करके हम रुद्रप्रयाग में स्थित मन्दाकिनी ओर अलकनंदा के संगम स्थल पर पहुँच गए ! यहाँ से घाट तक जाने के लिए बाईं ओर पक्की सीढियाँ बनी है जबकि सीढ़ियों के ठीक सामने रुद्रनाथ का मंदिर (Rudrnath Temple, Rudrprayag) है जहाँ जाने के लिए दाईं ओर ऊपर जाती सीढियाँ है !

रुद्रप्रयाग स्थित रुद्रनाथ मंदिर में जाने की सीढियाँ (Stairs to Rudrnath Temple in Rudrprayag)
हम पहले इस मंदिर में दर्शन के लिए जायेंगे, मंदिर देखने के बाद संगम स्थल देखेंगे ! मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर ऊपर चढ़ते हुए सबसे पहली और सबसे आखिरी सीढ़ी के ऊपर बड़े-2 घंटे लगे हुए है ! मार्ग के किनारे अपने जूते-चप्पल उतारकर सीढ़ियों से होते हुए हम मंदिर परिसर में पहुँच गए ! ऊपर पहुँचने पर सीढ़ियों के ठीक सामने बाईं ओर टूटियां लगी हुई है, लेकिन इस समय इनमें पानी नहीं था ! सीढ़ियों के सामने थोडा दाईं ओर मंदिर का मुख्य भवन है जिसके चारों ओर गलियारा है, इस गलियारे के बगल में सत्संग भवन है जबकि मंदिर के पिछले भाग में पुजारी का आवास स्थान है ! इस आवास स्थान के पास लगी टूटियों पर हाथ-पैर धोने के बाद हम मुख्य भवन में पूजा करने गए और प्रार्थना करने के लिए थोड़ी देर वहीँ बैठ गए ! ये मंदिर भगवान् शिव को समर्पित है, मुख्य भवन में शिवलिंग और नंदी स्थापित है ! इस मंदिर में देवर्षि नारद मुनि ने कई वर्षों तक भगवान् शिव की तपस्या की थी, तब शिवजी ने नारद जी की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें यहीं संगीत की शिक्षा दी थी ! शिक्षा के उपरान्त भगवान् शिव ने उपहारस्वरूप नारद जी को महाथि (Mahathi) नाम की एक वीणा भी दी, जिसे नारद मुनि हमेशा अपने साथ रखते थे !

मंदिर परिसर का एक दृश्य (A view from Temple)

मुख्य भवन के अन्दर का एक दृश्य

मुख्य भवन के अन्दर का एक दृश्य

मंदिर परिसर में स्थित नारद मुनि की एक मूर्ति 
मंदिर परिसर में स्थित एक अन्य मूर्ति 

रुद्रनाथ मंदिर के पुजारी

मंदिर परिसर में स्थित एक अन्य मूर्ति 

मंदिर परिसर में एक ग्रुप फोटो
इस मंदिर में भी एकदम शांत वातावरण था इसलिए ध्यान लगाने में एक अलग ही आनंद आ रहा था ! कुछ देर ध्यान लगाने के बाद दान पेटी में सहयोग स्वरुप कुछ राशि देकर हम मुख्य भवन से बाहर आ गए ! मंदिर परिसर में टहलते हुए हमें एक जगह नारद जी की प्रतिमा भी दिखाई दी, यहाँ एक पत्थर भी है जिसे नारद शिला (Narad Shila) के नाम से जाना जाता है ! कहते है नारद जी ने इसी शिला पर बैठकर संगीत की शिक्षा ली थी, इसके आलावा हमें मंदिर परिसर में कुछ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी देखने को मिली ! कुछ देर यहाँ फोटोग्राफी करने के बाद हम सीढ़ियों से उतरकर नीचे आ गए और घाट की ओर जाने वाली सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे ! ये सीढियाँ चामुंडा देवी मंदिर (Chamunda Devi Temple) पर जाकर ख़त्म होती है, इस मंदिर के सामने से घाट तक जाने के लिए एकदम खड़ी सीढियाँ है ! मंदिर का मुख्य द्वार इस समय बंद था लेकिन खिडकियों से अन्दर का दृश्य दिखाई दे रहा था ! हम बाहर से ही दर्शन करने के बाद इन खड़ी सीढ़ियों से होते हुए नीचे संगम स्थल पर पहुँच गए ! यहाँ रुद्रप्रयाग में केदारनाथ से आने वाली मन्दाकिनी और बद्रीनाथ से आने वाली अलकनंदा नदियों का संगम होता है !

मंदिर परिसर का एक दृश्य

मंदिर से नीचे घाट पर जाने की तैयारी

रुद्रप्रयाग में संगम से दिखाई देता एक दृश्य (A View of Sangam from Rudrprayag)

घाट की ओर जाती सीढियाँ (Stairs to Rudrprayag)

घाट की ओर जाती सीढियाँ (Stairs to Rudrprayag)
इस समय दोनों में से किसी भी नदी में ज्यादा पानी नहीं था, पिछली बार जब मैं यहाँ आया था तो दोनों नदियों का जलस्तर बेहतर था ! यहाँ आने वाले श्रधालुओं के स्नान करने के लिए संगम स्थल पर बहुत अच्छी व्यवस्था तो नहीं है, लेकिन फिर भी श्रद्धालु सीढ़ियों पर बैठकर ही स्नान कर लेते है ! कुछ समय यहाँ बिताने के बाद हम उन्हीं खड़ी सीढ़ियों से होते हुए वापिस आ गए, जो पानी की बोतलें हम अपने साथ लाये थे यहाँ से चलते समय उनमें गंगाजल ले लिया ! चामुंडा देवी मंदिर के पास एक खुला बरामदा बना है जो एक आरती स्थल है, यहाँ रोज शाम को माँ गंगा जी की आरती होती है ! हम इस आरती में तो शामिल नहीं हुए, लेकिन सुना है शाम के समय यहाँ होने वाली आरती बहुत बढ़िया होती है, जब आस-पास का वातावरण भक्ति रस से सराबोर हो जाता है ! चामुंडा देवी मंदिर की देख-रेख भी गंगा आरती समिति द्वारा ही की जाती है ! आस-पास दिखाई दे रहे नजारों की फोटो लेते हुए हमने वापसी की राह पकड़ी, और 10 मिनट की पैदल यात्रा करके अपनी गाडी पर पहुंचे ! यहाँ से निकलकर हमें रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित कोटेश्वर महादेव का मंदिर (Koteshwar Mahadev Temple) देखना था, इसलिए गाडी वापिस लोहे के पुल की ओर मोड दी ! यात्रा के अगले लेख में मैं कोटेश्वर महादेव मंदिर का वर्णन करूँगा !
रुद्रप्रयाग में घाट का एक दृश्य (A View of Ghat in Rudrprayag)

रुद्रप्रयाग में घाट से दिखाई देता एक दृश्य (A View from Ghat in Rudrprayag)

रुद्रप्रयाग में घाट से दिखाई देता एक दृश्य (A View from Ghat in Rudrprayag)

रुद्रप्रयाग में घाट से दिखाई देता एक दृश्य (A View from Ghat in Rudrprayag)

रुद्रप्रयाग में घाट के पास गंगा आरती स्थल

रुद्रप्रयाग में माँ चामुंडा देवी मंदिर (Chamunda Devi Temple in Rudrprayag)
क्यों जाएँ (Why to go Rudrprayag): अगर आपको धार्मिक स्थानों पर जाना अच्छा लगता है तो निश्चित तौर पर उत्तराखंड स्थित रुद्रप्रयाग में आकर आप निराश नहीं होंगे ! रुद्रप्रयाग में घूमने के लिए अनेकों जगहें है, शहर की भीड़-भाड़ से दूर 2-3 दिन आप यहाँ आराम से बिता सकते है ! 

कब जाएँ (Best time to go Rudrprayag): रुद्रप्रयाग आप साल भर किसी भी महीने में जा सकते है लेकिन बारिश के मौसम में उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएँ अक्सर होती रहती है इसलिए बारिश के दिनों में तो ना ही जाएँ ! अगर फिर भी बारिश के मौसम में जाने का विचार बने तो अतिरिक्त सावधानी बरतें !

कैसे जाएँ (How to reach Rudrprayag): दिल्ली से रुद्रप्रयाग की कुल दूरी लगभग 387 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 10 से 11 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से रुद्रप्रयाग जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग हरिद्वार-ऋषिकेश-देवप्रयाग होते हुए है, दिल्ली से हरिद्वार तक 4 लेन राजमार्ग बना है जबकि ऋषिकेश से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है और सिंगल मार्ग है ! आप चाहे तो हरिद्वार तक का सफ़र ट्रेन से कर सकते है और हरिद्वार से आगे का सफ़र बस या जीप से तय कर सकते है ! इसमें आपको थोडा अधिक समय लगेगा !

कहाँ रुके (Where to stay near Rudrprayag): रुद्रप्रयाग में रुकने के लिए आपको बहुत विकल्प मिल जायेंगे, किराया 700-800 रूपए से शुरू होकर हज़ारों रूपए तक जा सकता है ! यहाँ अलकनंदा के किनारे गढ़वाल मंडल का एक होटल भी है, आप अपने बजट के हिसाब से कोई भी होटल ले सकते है !

क्या देखें (Places to see near Rudrpayag): रुद्रप्रयाग एक धार्मिक स्थल है, यहाँ संगम स्थल पर रुद्रनाथ और चामुंडा देवी मंदिर देखने के लिए बढ़िया जगह है ! रुद्रप्रयाग से 4 किलोमीटर दूर चोपता मार्ग पर अलकनंदा नदी के किनारे कोटेश्वर महादेव मंदिर भी देखने के लिए एक बढ़िया स्थान है ! इसके अलावा 15 किलोमीटर दूर केदारनाथ मार्ग पर अगस्त्यमुनि मंदिर है !

केदारनाथ यात्रा
  1. दिल्ली से केदारनाथ की एक सड़क यात्रा (A Road Trip from Delhi to Kedarnath)
  2. उत्तराखंड के कल्यासौड़ में है माँ धारी देवी का मंदिर (Dhari Devi Temple in Uttrakhand)
  3. रुद्रप्रयाग में है अलकनंदा और मन्दाकिनी का संगम (Confluence of Alaknanda and Mandakini Rivers - RudrPrayag)
  4. रुद्रप्रयाग में है कोटेश्वर महादेव मंदिर (Koteshwar Mahadev Temple in Rudrprayag)
  5. रुद्रप्रयाग से अगस्त्यमुनि मंदिर होते हुए सोनप्रयाग (A Road Trip from Rudrprayag to Sonprayag)
  6. गौरीकुंड से रामबाड़ा की पैदल यात्रा (A Trek from Gaurikund to Rambada)
  7. रामबाड़ा से केदारनाथ की पैदल यात्रा (A Trek from Rambada to Kedarnath)
  8. केदार घाटी में स्थित भैरवनाथ मंदिर (Bhairavnath Temple in Kedar Valley)
  9. केदारनाथ धाम की संध्या आरती (Evening Prayer in Kedarnath)
  10. केदारनाथ से वापसी भी कम रोमांचक नहीं (A Trek from Kedarnath to Gaurikund)
  11. सोनप्रयाग का संगम स्थल और त्रियुगीनारायण मंदिर (TriyugiNarayan Temple in Sonprayag)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

2 Comments

  1. रुद्रप्रयाग के संगम की बढ़िया जानकारी

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    1. धन्यवाद प्रतीक भाई !

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