इस यात्रा के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि किस तरह हम धर्मपुर के बाद एक नए मार्ग से होकर यहाँ शोघी पहुँचे थे ! हमारा कल का पूरा दिन तो सफ़र में ही बीता था, वो अलग बात है कि सफ़र के दौरान ही हमने बहुत से खूबसूरत नज़ारे देखे ! दिन भर के सफ़र की थकान के कारण रात को समय से नींद भी आ गई और सुबह समय से सोकर उठे ! अब आगे, नींद खुलते ही अपने कमरे की खिड़की का पर्दा हटाया तो बाहर घाटी का शानदार नज़ारा देखने को मिला ! हल्का-2 कोहरा और घाटी में तैरते बादल लाजवाब लग रहे थे, दिन की शुरुआत ही ऐसे नज़ारों से हो जाए तो क्या कहने ! होटल के रिशेप्शन पर फोन करके सबसे पहले हमने अपने लिए चाय मंगाई ! चाय की चुस्कियों के साथ पहाड़ों पर ऐसे नज़ारे देखना हमेशा ही सुखद एहसास रहता है ! यहाँ से घाटी में दूर बलखाती सड़क भी दिखाई दे रही थी, थोड़ी देर बैठकर एकटक इन नज़ारों को देखते रहे ! इतने में हमारी चाय भी आ गई, चाय पीते-2 आज दिन के कार्यक्रम पर चर्चा भी की, लेकिन कार्यक्रम कुछ था ही नहीं तो चर्चा क्या करते ? बस ऐसे ही गप्पे मारते रहे !
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शोघी में होटल के पास लिया एक चित्र |
अंतिम निर्णय ये था कि जैसे कल रास्ते में नज़ारे देखते हुए यहाँ तक पहुँचे थे वैसे ही आज भी नज़ारे देखते हुए वापिस जाएँगे ! पीकर फारिक हुए तो नहाने-धोने में लग गए, घंटे भर में नित्य-क्रम से फारिक होकर नाश्ते के लिए होटल के डाइनिंग हॉल में पहुँच गए ! खाने का ऑर्डर दिया तो पता चला कि खाना तैयार होने में थोड़ा वक्त लगेगा, समय का सदुपयोग करने के लिए हम होटल के आस-पास टहलने के लिए निकल पड़े ! कल शाम को यहाँ पहुँचे थे तो अंधेरा हो गया था इसलिए ज़्यादा कुछ देख नहीं पाए थे ! टहलते हुए हम चीड़ के घने पेड़ों के बीच पहुँच गए, यहाँ से एक मार्ग नीचे राष्ट्रीय राजमार्ग की तरफ जा रहा था ! यहाँ से थोड़ी दूरी पर टॉय-ट्रेन की पटरी भी दिखाई दे रही थी, जिसके आस-पास घना कोहरा छाया हुआ था ! टॉय ट्रेन के जाने का एक निर्धारित समय है और इस समय किसी ट्रेन के जाने का समय नहीं था ! इन हरी भरी वादियों में से गुजरती हुई टॉय ट्रेन शानदार दृश्य प्रस्तुत करती होगी ! यहाँ थोड़ी दूरी पर ही चीड़ के पेड़ों के बीच एक पुराना स्कूटर खड़ा था, कुछ फोटो इस स्कूटर के भी ले लिए ! शौर्य भी यहाँ पहाड़ों पर इन चीड़ के पेड़ों के बीच खूब मस्ती कर रहा था, उसको बदमाशियाँ करते देख बड़ा अच्छा लग रहा था !
थोड़ी देर यहाँ समय बिताने के बाद हम वापिस डाइनिंग हॉल की तरफ चल दिए, सुबह-2 बच्चों के पीछे भागने-दौड़ने में ठीक-ठाक कसरत हो गई ! डाइनिंग टेबल पर बैठने के थोड़ी देर बाद हमारा खाना परोस दिया गया, पूड़ी-भाजी लाजवाब बनी थी, रात को वेज बिरयानी भी स्वादिष्ट थी ! सफ़र के दौरान ऐसा बढ़िया खाना मिल जाए तो मज़ा आ जाता है, अगले आधे घंटे में हम खाना खाकर फारिक हुए ! फिर उपर अपने कमरे में जाकर हम अपना सामान ले आए और फिर कुछ फोटो होटल परिसर में लेने के बाद यहाँ से अपनी गाड़ी की ओर चल दिए ! इस होटल में रुकना एक सुखद अनुभव रहा, फिर चाहे वो होटल का खाना हो, लोकेशन हो या होटल के कर्मचारियों का व्यवहार, हर चीज़ में ये होटल बढ़िया लगा ! अगली बार मुझे कभी शोघी आना हुआ तो मैं इसी होटल में रुकना चाहूँगा, होटल का एक कर्मचारी हमें छोड़ने के लिए नीचे हमारी गाड़ी तक आया !
नीचे पहुँचकर हमने अपना सामान गाड़ी में रखा, होटल कर्मचारी को धन्यवाद दिया और वापिस पंचकुला की ओर मुड़ चले !
सुबह-2 का मौसम था और धूप भी नहीं खिली थी, ऐसे में सड़क किनारे घाटी में तैरते बादल दिखाई दे रहे थे ! रास्ते में एक-दो जगह रुककर हमने फोटो भी ली, नीचे आते हुए ज़्यादा समय नहीं लग रहा था अगले 20-25 मिनट में ही हम कंड़ाघाट के तिराहे पर पहुँच चुके थे ! इस तिराहे से हम दाएँ मुड़ गए, यहाँ से बाएँ जाने वाला मार्ग चैल होते हुए कुफरी को चला जाता है ! तिराहे से आगे बढ़े तो हमारी बाईं ओर घाटी का शानदार नज़ारा दिखाई देने लगा, 3-4 किलोमीटर चलने के बाद एक जगह फोटो खींचने के लिए मैने गाड़ी रोकी ! इस मौसम में यहाँ हर मोड़ पर ही खूबसूरत नज़ारे दिखाई दे रहे थे, हम इन नज़ारों को हमेशा के लिए अपनी आँखों में बसा लेना चाहते थे ताकि लंबे समय तक इस सफ़र की यादे हमारे दिलों-दिमाग़ में ज़िंदा रहे ! बातों-2 में ही मैने अपनी श्रीमती से पूछ लिया, वापिस जाते हुए दिल भारी सा हो रहा था, ऐसा मन हो रहा है कि कम से कम एक दिन और यहाँ रुकते तो मज़ा आ जाता ! ये सुनकर वो भी मेरी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोली, कह तो सही रहे हो, इतनी दूर आए है और भगदड़ में ही जा रहे है !
फिर मेरे मन में जाने क्या आया कि गाड़ी में सवार होते ही मैने गाड़ी वापिस शिमला की ओर मोड़ दी ! इससे पहले वो कुछ पूछती, मैं ही बोल पड़ा, जब घूमने का मन हम दोनों का ही है तो फिर इतना क्या सोचना ! वापिस जाकर पछतावा करने से अच्छा है आज का दिन भी घूम ही लेते है, कम से कम खुश होकर तो वापिस जाएँगे ! थोड़ी देर में ही हम रायकॉट रिजोर्ट के सामने से होते हुए शिमला की ओर निकल गए ! मन में ये बात भी चल रही थी कि पहले ही सही निर्णय ले लिया होता तो कंड़ाघाट जाकर वापिस आने में लगे घंटे भर से अधिक का समय बच जाता ! खैर, कोई बात नहीं, कभी भी कोई निर्णय लेकर उसपर अफ़सोस नहीं करना चाहिए, जिस समय जो निर्णय लिया, वोही सही है !
इस बीच अपने एक जिगरी मित्र जीतू से भी बात हुई, वो भी पारिवारिक यात्रा पर शिमला आया हुआ था, और आज वापसी कर रहा था ! जब मेरी उस से बात हुई थी तो वो शिमला में रुककर कहीं नाश्ता कर रहा था, आधा घंटा हो चुका था जब उससे बात हुई थी !
मिलने का पूछने पर उसने कहा था कि कोशिश करूँगा, वैसे उसकी इस बात से मिलने की संभावना कम ही लग रही थी ! खैर, घुमावदार रास्तों से होते हुए जब हम एक मोड़ पर पहुँचे तो बारिश की रिमझिम फुहारे गिरनी शुरू हो चुकी थी ! इतने में ही मुझे दूर से आती जीतू की गाड़ी दिखाई दी, उसने भी हमें देख लिया था, गाड़ी सड़क के किनारे खड़े होकर सभी लोग एक-दूसरे से मिले ! 15-20 मिनट इकट्ठे रहने के बाद हम अलग-2 दिशाओं में बढ़ गए ! थोड़ी देर में ही हम शिमला में पहुँच गए, यहाँ माल रोड की तरफ ना जाकर हम एक सुरंग से होते हुए मशोबरा की ओर बढ़ गए !
अभी भी रिमझिम फुहारें गिर रही थी जिसकी वजह से मौसम में ठंडक भी बढ़ गई थी, सुबह का समय होने के कारण सड़कों पर ज़्यादा भीड़ भी नहीं थी ! घूमते-घामते हम एक जगह पहुँचे, यहाँ सड़क के किनारे गाड़ियाँ खड़ी करके लोग घाटी के नज़ारे देख रहे थे ! ऐसे नज़ारे तो पहाड़ों पर आम दिख जाते है, कुछ स्थानीय लोग टेलिस्कोप के सहारे दूर पहाड़ियों पर स्थित व्यू पॉइंट दिखा रहे थे !
हम इस भीड़-भाड़ से आगे बढ़ गए, थोड़ी देर बाद ही हम काफ़ी ऊँचाई पर पहुँच चुके थे, यहाँ यातायात भी काफ़ी कम था और नज़ारे भी शानदार थे ! चारों तरफ घना कोहरा छा चुका था, अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं था कि आगे कहीं तेज बारिश भी हो रही थी ! हम सड़क के किनारे मैगी खाने के लिए एक दुकान पर रुके, यहाँ मैगी खाई और चाय पी, इस दौरान मैने आज रुकने के लिए मशोबरा में रॉक हेवेन नाम के एक होटल में कमरा भी आरक्षित करवा लिया !
यहाँ से आगे बढ़े तो गूगल मैप के सहारे होटल तक पहुँचने के लिए हम कुफरी जाने वाले मार्ग पर चल दिए ! मैप में ये होटल की लोकेशन ग़लत दिखा रहा था, काफ़ी मशक्कत के बाद होटल संचालक से बात करते हुए होटल तक पहुँचे ! इस क्षेत्र में घना कोहरा था और मौसम भी एकदम खराब था, चारों तरफ बस कोहरा ही दिखाई दे रहा था ! हमारा मन नालडेहरा स्थित गोल्फ कोर्स देखने का था, लेकिन कोहरे की वजह से रास्ता भी ठीक से नहीं दिखाई दे रहा था ! अंत में निश्चय लिया कि होटल में रुककर कुछ देर मौसम के खुलने का इंतजार करते है !
पारिवारिक यात्राओं में ज़्यादा जोखिम लेना भी ठीक नहीं रहता ! यहाँ आते हुए जो नज़ारे हमें रास्ते में देखने को मिले थे वैसे नज़ारे मैने अब तक वॉलपेपर में ही देखे थे या फिर अपनी धनोल्टी यात्रा के दौरान राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से गुज़रते हुए ! होटल में बैठकर काफ़ी देर तक मौसम खुलने का इंतजार करते रहे, लेकिन मौसम जस का तस बना हुआ था !
अंत में परिवार को होटल में छोड़कर मैं पैदल ही होटल के आस-पास टहलने के लिए निकल पड़ा, होटल से डेढ़ किलोमीटर आगे तक गया, लेकिन धुन्ध और बारिश की फुहारों के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दिया ! थक-हारकर वापिस होटल पहुँचा, यहाँ होटल संचालक से कुछ देर तक विभिन्न विषयों पर चर्चा होती रही ! खराब मौसम की वजह से आज का दिन होटल में ही बीता, क्या उम्मीद लेकर मशोबरा आए थे और मौसम ने घूमने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया ! रिशेप्शन से वापिस अपने कमरे में गया, यहाँ कुछ समय टीवी देखकर व्यतीत किया और फिर रात्रि भोजन करने के बाद समय से आराम करने चले गए ! अगले दिन सुबह समय से सोकर उठे, इस समय मौसम साफ था लेकिन रात से ही हम समाचारों में पहाड़ी इलाक़ों में बिगड़ते मौसम का हाल देख रहे थे !
उत्तराखंड में तो पिछले कई दिनों से मौसम खराब था, राज्य की महत्वपूर्ण नदियाँ उफान पर चल रही थी ! मौसम विभाग के अनुसार हिमाचल के कुछ पहाड़ी इलाक़ों में भी तेज बारिश और खराब मौसम की संभावना थी !
हमने सोचा अभी मौसम साफ़ है लेकिन पता नहीं कब ये बिगड़ने लगे और क्या पता कल की तरह हमें पूरा दिन होटल में रुककर ही ना गुज़रना पड़े, इसलिए बिना समय गँवाए हमने अपनी गाड़ी उठाई और वापसी की राह पकड़ी ! सुबह का समय होने के कारण सड़के खाली पड़ी थी, इसलिए हमें नीचे आने में ज़्यादा समय नहीं लगा ! अगले दो से ढाई घंटे में ही हम पहाड़ी इलाक़े से निकलकर मैदानी क्षेत्र में प्रवेश कर चुके थे ! जब हम सोलन से निकल रहे थे तो वहाँ बारिश हो रही थी, जैसे-तैसे बिना कहीं फँसे हम निकल आए ! पंचकुला, अंबाला होते हुए पानीपत पहुँचे, यहाँ रास्ते में एक होटल में खाने के लिए रुके, आधे घंटे में खा-पीकर यहाँ से चले तो दिल्ली-गुड़गाँव होते हुए शाम 3 बजे तक घर पहुँच गए ! इसी के साथ ये सफ़र ख़त्म होता है, जल्द ही एक नए सफ़र की शुरुआत होगी !
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शोघी में हमारे कमरे की खिड़की से दिखाई देता नज़ारा |
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शोघी में हमारे कमरे की खिड़की से दिखाई देता नज़ारा |
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शोघी में हमारे कमरे की खिड़की से दिखाई देता नज़ारा |
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शोघी में हमारे कमरे की खिड़की से दिखाई देता नज़ारा |
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शोघी में हमारे कमरे की खिड़की से दिखाई देता नज़ारा |
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होटल से नीचे जाने का मार्ग |
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होटल के पास से गुजरती टॉय ट्रेन की लाइन |
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होटल के सामने का एक दृश्य |
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होटल के पास से गुजरती टॉय ट्रेन की लाइन |
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शोघी से कंड़ाघाट जाते हुए एक दृश्य |
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शोघी से कंड़ाघाट जाते हुए एक दृश्य |
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शोघी से कंड़ाघाट जाते हुए एक दृश्य |
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शोघी से कंड़ाघाट जाते हुए एक दृश्य |
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कंड़ाघाट से वापिस शोघी जाते हुए एक दृश्य |
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कंड़ाघाट से वापिस शोघी जाते हुए एक दृश्य |
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शिमला से पहले का एक दृश्य |
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मशोबरा जाते हुए मार्ग में लिया एक चित्र |
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मशोबरा जाते हुए मार्ग में लिया एक चित्र |
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मशोबरा जाते हुए मार्ग में लिया एक चित्र |
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मशोबरा जाते हुए मार्ग में लिया एक चित्र |
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धुन्ध से रास्ते भी नहीं दिखाई दे रहे थे |
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धुन्ध से रास्ते भी नहीं दिखाई दे रहे थे |
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मशोबरा में हमारा होटल |
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होटल के अंदर का एक दृश्य |
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मशोबरा में सुबह का एक नज़ारा |
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मशोबरा में सुबह का एक नज़ारा |
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मशोबरा में सुबह का एक नज़ारा |
क्यों जाएँ (Why to go Mashobara): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो हिमाचल प्रदेश में स्थित मशोबरा एक शानदार जगह है ! इसके अलावा अगर आप प्राकृतिक नज़ारों की चाह रखते है या टॉय ट्रेन की सवारी का लुत्फ़ उठना चाहते है तो भी मशोबरा जा सकते है ! दिल्ली से नज़दीक होने के कारण मशोबरा लोगों की पसंदीदा जगहों में से एक है !
कब जाएँ (Best time to go Mashobara): वैसे तो आप मशोबरा साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में आपको यहाँ की सुंदरता का एक अलग ही रूप देखने को मिलेगा ! लेकिन बारिश के दिनों में तो यहाँ की हरियाली देखने लायक होती है !
कैसे जाएँ (How to reach Shoghi): दिल्ली से मशोबरा की दूरी महज 353 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 8 से 9 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से मशोबरा जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग पानीपत-अंबाला-पंचकुला होते हुए है, पंचकुला से आगे आप चंडीगढ़-शिमला मार्ग ही पकड़े, ये मशोबरा जाने का सबसे उत्तम और बढ़िया मार्ग है ! दिल्ली से परवाणु तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है परवाणु से आगे सड़क विस्तारीकरण का काम चल रहा है ! कालका से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है, फिलहाल यहाँ 2 लेन राजमार्ग है जो आने वाले समय में शायद 4 लेन हो जाएगा ! ट्रेन से जाना चाहते है तो कालका यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है कालका से शिमला तक आप टॉय ट्रेन की सवारी का आनंद भी ले सकते है ! अगर यात्रा सीजन में जा रहे है तो टॉय ट्रेन का अग्रिम आरक्षण करवा ले !
कहाँ रुके (Where to stay in Shoghi): मशोबरा एक पहाड़ी क्षेत्र है यहाँ आपको छोटे-बड़े कई होटल मिल जाएँगे, अगर आप यात्रा सीजन (मई-जून) में मशोबरा जा रहे है तो होटल में अग्रिम आरक्षण (Advance Booking) करवाकर ही जाएँ ! होटल के लिए आपको 800 से 2500 रुपए तक खर्च करने पड़ सकते है !
कहाँ खाएँ (Eating option in Shoghi): मशोबरा में छोटे-बड़े कई होटल है, जहाँ आपको खाने-पीने का सभी सामान आसानी से मिल जाएगा !
क्या देखें (Places to see near Shoghi): मशोबरा और इसके आस-पास देखने के लिए कई जगहें है जैसे तारा देवी मंदिर, काली मंदिर, वायसराय लॉज, माल रोड, जाखू मंदिर, और रिज का मैदान ! इसके अलावा नालडेहरा में गोल्फ का मैदान है जिसे यहाँ आने वाले लोग देखने जाते है !
समाप्त...
शोघी-शिमला यात्रा
- दिल्ली से शोघी की एक सड़क यात्रा (A Road Trip to Shoghi)
- हिमाचल का एक दर्शनीय स्थल - मशोबरा (Mashobra - A Beautiful Place in Himachal)
bahut badhiya pardip bhai, padh liya aapka ye post bhi, pahle post to pahle hi padh chuka tha, shandar vivran, jaandar photo
ReplyDeleteजी धन्यवाद !
Deleteबढिया लगी जगह ...कम समय का टूर किया जा सकता है।
ReplyDeleteबिल्कुल सही सचिन भाई, कम समय में भी इस टूर को किया जा सकता है !
Deleteबढ़िया पोस्ट
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक भाई !
Deleteक्या शौधी मैं भी Toy train station हे?
ReplyDeleteजी बिल्कुल, टॉय ट्रेन से जाने पर कंड़ाघाट से अगला स्टेशन शोघी ही है !
Deleteबढ़िया लेख। बारिश ने थोड़ा मज़ा किरकिरा कर दिया लेकिन इन्हीं अनप्लान्ड चीजों के होने से ही यात्रा यादगार बनती है। तसवीरें सभी अच्छी आई हैं। टॉय ट्रेन के विषय में पढ़कर उसमे सफ़र करने का मन कर रहा है।
ReplyDeleteविकास जी, बिल्कुल सही कहा आपने, ऐसी यात्राएँ ही यादगार लम्हें देती है ! टॉय ट्रेन में यात्रा करना सदा ही सुखद अनुभव रहता है ! अगर मन कर रहा है तो बिल्कुल जाइए टॉय ट्रेन की सवारी करने !
Delete@Pradeep - Nice blog, beautiful location and b'ful pics
ReplyDeleteThank you man....finally you have started reading the posts.... :-)
DeleteThnx Pradeep Ji for your blog about Mashobra. Last year I have also visited there and residing in Rock Heaven hotel. The experience there was nice & we served tasty food there.
ReplyDeleteThank you Montto, Yes, it was really a great experience in Mashobra but we could not explore much due to bad weather.
DeleteThanks for sharing such great information. Great content and the whole representation of the article is awesome. You should also visit Hanumangarh once.
ReplyDeleteधन्यवाद समीर जी, अगली बार मौका मिल तो हनुमानगढ़ भी जरूर जाना होगा !
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