रानीखेत में स्थानीय भ्रमण – (Local Sight Seen in Ranikhet)

शनिवार, 03 मार्च 2018 

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यात्रा के पिछले लेख में आप रानीखेत स्थित कुमाऊँ रेजीमेंट के संग्रहालय का भ्रमण कर चुके है अब आगे, संग्रहालय से निकलकर हम रानीखेत में स्थानीय भ्रमण के लिए चल पड़े ! स्थानीय भ्रमण की कड़ी में हमारा पहला पड़ाव मनकामेश्वर मंदिर था जो संग्रहालय से थोड़ी दूरी पर था, 10 मिनट बाद हम मंदिर के सामने जाकर रुके ! गाड़ी से उतरकर हम मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने पहुंचे, अंदर जाते ही एक गलियारा सीधा मंदिर के मुख्य भवन तक जाता है जबकि कुछ अन्य गलियारे मंदिर परिसर में मौजूद अन्य दर्शनीय स्थलों तक जाते है ! प्रवेश द्वार से भवन तक जाने वाले मुख्य मार्ग को शेड से ढका गया है ताकि यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं का गर्मी और बारिश से बचाव हो सके ! प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कुमाऊँ रेजीमेंट द्वारा 1978 में करवाया गया था ! ये मंदिर माँ काली, भगवान शिव और राधा-कृष्ण को समर्पित है, हालांकि, मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है ! भक्तों के लिए मंदिर के द्वार सुबह 5 बजे खुल जाते है जो दोपहर 12 बजे बंद होते है और ये द्वार शाम को फिर से 4 बजे खुलकर रात को 9 बजे बंद होते है ! ये मंदिर यहाँ के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में आता है, स्थानीय लोगों के अलावा रानीखेत में तैनात सैन्य अधिकारी भी सपरिवार यहाँ समय-2 पर आते रहते है !

Mankameshwar Temple
रानीखेत का मनकामेश्वर मंदिर

जिस समय हम मंदिर में पहुंचे, सुबह के साढ़े दस बज रहे थे, हमारे अलावा यहाँ गिनती के कुछ लोग ही दिखाई दे रहे थे ! गलियारे से होते हुए हम एक बड़े हाल में पहुंचे, यहाँ श्रद्धालुओं के बैठने की उत्तम व्यवस्था है, प्रवेश द्वार के ठीक सामने हाल के अंत में काली माता, भोलेनाथ और राधा-कृष्ण की मूर्तियाँ स्थापित की गई है ! बारी-2 से हमने इन सभी देवताओं के दर्शन किए, फिलहाल यहाँ कोई भीड़ नहीं थी लेकिन नवरात्रि, महाशिवरात्रि और जन्माष्टमी के मौके पर यहाँ काफी लोग आते है ! हाल से सटे छोटे-2 कई भवन है जहां अलग-2 देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई है ! सबसे पहले हम काली माता के दर्शन के लिए पहुंचे, सफेद संगमरमर और लाल रंग से सजे इस कक्ष में माता की प्रतिमा एक ऊंचे चबूतरे पर स्तापित की गई है, और नीचे भक्तों के बैठने के लिए कालीन बिछी है ! चबूतरे को सुनहरे रंग से सजाया गया है, जहां अन्य देवी-देवताओं के चित्रों को भी रखा गया है लेकिन ये कक्ष काली माता को समर्पित है ! काली माता के भवन से निकले तो भोलेनाथ के दर्शन के लिए अगले कक्ष में पहुंचे, यहाँ भी मूर्ति को एक सुनहरे चबूतरे पर स्थापित किया गया है ! चबूतरे के दोनों किनारों पर जोत जलाने के लिए पात्र रखे गए है !

मंदिर के प्रवेश द्वार से हाल की तरफ जाता मार्ग

प्रवेश द्वार से दिखाई देता हाल का एक दृश्य

हाल के अंदर का दृश्य

काली माता की मूर्ति

यहाँ से दर्शन करके अगले कक्ष में पहुंचे, यहाँ भी एक सुनहरे चबूतरे पर राधा-कृष्ण की सुंदर प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है, चबूतरे के दोनों कोनों पर यहाँ भी जोत जलाने की व्यवस्था की गई है, कुल मिलाकर इस कक्ष की भव्यता देखते ही बनती है ! राधा-कृष्ण की मूर्तियों का सुंदर परिधानों से शृंगार किया गया है, भवन में प्रवेश करते ही ये प्रतिमाएं किसी का भी मन मोह लेती है ! इसके बाद हम राम दरबार में पहुंचे, यहाँ एक चबूतरे पर राम-सीता और लक्ष्मण की प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है, हालांकि, अन्य कक्षों की तरह यहाँ ज्यादा सजावट नहीं की गई है लेकिन प्रतिमाओं के श्रंगार में कोई कमी नहीं है और ये प्रतिमाएं भी अपने भक्तों का मन मोह लेती है ! एक कक्ष में पवनपुत्र हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है, आगे बढ़ने से पहले हमने उनके दर्शन भी किए ! एक अन्य कक्ष में शिवलिंग की स्थापना भी की गई है, यहाँ शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद हम हाल से सटे अंतिम कक्ष में पहुंचे, जहां शनिदेव अपने वाहन पर विराजमान थे, उनका आशीर्वाद लेने के बाद हम कुछ देर के लिए हाल में आकर बैठ गए ! हाल की दीवारों पर भी बढ़िया चित्र लगाए गए है, कहीं भगवान कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे है तो कहीं स्वामीनारायण विष्णु जी का चित्र लगाया गया है ! 

राधा-कृष्ण की मूर्ति

राम दरबार

मंदिर के अंदर लगा एक घंटा

हाल के अंदर का एक दृश्य

हाल की दीवारों पर टंगा एक चित्र

हाल के बाहर भी मंदिर परिसर में यात्रियों के बैठने की बढ़िया व्यवस्था है, जगह-2 लोहे के बेंच लगाए गए है ! दर्शन के बाद हमने एक चक्कर मंदिर परिसर का लगाया, इस परिसर में जगह-2 फव्वारे भी लगाए गए है जो इस समय तो नहीं चल रहे थे लेकिन अनुमान लगाया जा सकता है कि ये फव्वारे जब चलते होंगे तो बड़ा सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते होंगे ! कुछ देर मंदिर परिसर में घूमने के बाद हम बाहर या गए, यहाँ मंदिर के सामने एक गुरुद्वारा भी है, जो इस समय बंद था इसलिए बाहर से ही इसके कुछ चित्र लेकर हम आगे बढ़ गए !

मंदिर परिसर का एक दृश्य

सड़क से दिखाई देता मंदिर का एक दृश्य

मंदिर के सामने गुरुद्वारा

स्थानीय भ्रमण की कड़ी में हमारा अगला पड़ाव रानी झील था जो यहाँ से डेढ़ किलोमीटर दूर था, मंदिर से चले तो अगले 10 मिलट बाद हम रानी झील के सामने जाकर रुके ! झील तक जाने का प्रवेश द्वार सड़क के किनारे ही है, गाड़ी से निकलकर हम इस प्रवेश द्वार से होकर कुछ सीढ़ियाँ उतरते हुए झील के किनारे पहुंचे ! चारों तरफ पेड़ों से घिरी ये झील वैसे तो ज्यादा बड़ी नहीं है प्राकृतिक दृश्यों के परिपूर्ण है और यहाँ आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है ! झील में नौकायान के अलावा मनोरंजन के अन्य कई विकल्प मौजूद है, झील के किनारे एक बोर्ड पर अंकित जानकारी के अनुसार ये झील हर मंगलवार और सरकारी अवकाश को बंद रहती है ! इसी बोर्ड पर नौकायान और अन्य क्रियाकलापों के शुल्क संबंधित जानकारी और कुछ हिदायतें भी दी गई थी ! कुछ तकनीकी कारणों से फिलहाल झील में नौकायान की सवारी बंद थी लेकिन अन्य क्रियाकलाप अनवरत जारी थे, कुछ देर खड़े होकर हम इन क्रिया-कलापों को देखते रहे ! एक रस्सी को झील के दोनों किनारों पर स्थित पेड़ों पर ढलान पर बांधा गया था, एक किनारे से लटककर आपको झील के ऊपर से होते हुए दूसरे किनारे तक जाना था, देखने में ये बड़ा रोमांचक लग रहा था लेकिन 5 साल से छोटे बच्चों के लिए ये प्रतिबंधित था !

रानी झील की ओर जाने का मार्ग

रानी झील के सामने का एक दृश्य

छोटे घुमक्कड़ रानी झील की ओर जाते हुए

रानी झील के सामने वाले मार्ग का एक दृश्य

रानी झील का प्रवेश द्वार

बच्चे मस्ती करते हुए

झील से संबंधित जानकारी दर्शाता एक बोर्ड

हम कोई ऐसा क्रिया-कलाप ढूंढ रहे थे जिसमें सपरिवार आनंद ले सके, इसी क्रम में हमने झील का एक पूरा चक्कर लगाया और झील के आस-पास होने अन्य गतिविधियों को भी देखा ! झील का चक्कर लगाते हुए उतार-चढ़ाव भरे रास्तों पर बच्चों ने खूब मस्ती की, दोनों बच्चे हमारी परवाह किए बिना अपनी ही धुन में चले जा रहे थे ! झील का चक्कर लगाने के बाद हमने झील में तैरते प्लास्टिक के एक बड़े बलून की सवारी करने का निर्णय लिया,इसमें एक साथ पूरा परिवार घूम सकता था ! फिलहाल इस बलून में हवा भरी जा रही थी और इसमें आई एक तकनीकी खामी को दूर किया जा रहा था, इस बीच झील किनारे हमारे फोटो सेशन का दौर चल पड़ा ! झील में बलून की सवारी बच्चों को खूब रास आई, ऐसे ही बलून की सवारी का आनंद हमने दमदमा झील में भी लिया था ! हम यहाँ आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक रहे, कुल मिलाकर यहाँ बढ़िया समय बिताया, बच्चों के जेहन में ये यादें लंबे समय तक रहेंगी ! 

झील संबंधित जानकारी देता एक बोर्ड

झील के ऊपर मनोरंजन के लिए रस्सी का बना एक अस्थायी पुल

झील किनारे पैदल चलने का मार्ग

रानी झील का एक दृश्य

झील को निहारते बच्चे

बलून में सवारी की प्रतीक्षा करते हुए 

बच्चों के साथ मस्ती

झील में तैरता प्लास्टिक का बलून

यहाँ से चले तो सड़क मार्ग से झील का एक चक्कर लगाते हुए हम आशियाना पार्क पहुंचे, ये पार्क सड़क से काफी नीचाई पर है और पार्क तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी है ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि रानीखेत में स्थानीय भ्रमण के लिए परिवार संग आए लोगों के लिए ये एक बढ़िया विकल्प है ! इस पार्क के खुलने और बंद होने का एक निर्धारित समय है, सर्दियों में ये पार्क सुबह 11 बजे खुलकर शाम को 7 बजे बंद हो जाता है जबकि गर्मियों में ये पार्क सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है ! इसके अलावा ये पार्क हर मंगलवार और सरकारी अवकाश के दिन बंद रहता है, पार्क में प्रवेश करने के लिए 5 रुपए का मामूली शुल्क भी लगता है जबकि 12 वर्ष तक के बच्चों का प्रवेश निशुल्क है ! पार्क में बड़े-2 देवदार के पेड़ लगे है, शायद इसलिए इसे देवदार उद्यान के नाम से भी जाना जाता है ! सीढ़ियों से उतरकर जब हम पार्क में पहुंचे तो वहाँ काफी बच्चे खेल रहे थे, यहाँ बच्चों के लिए कई प्रकार के झूले लगे है, बड़े-2 डायनासोर भी बनाए गए है और पैदल चलने वालों के लिए पगडंडी बनी है ! पार्क में सुंदर फूल भी लगाए गए है, कुछ समय यहाँ बिताने के बाद हम बाहर या गए, दोपहर हो गई थी और अब भूख भी लगने लगी थी इसलिए आगे बढ़ने से पहले थोड़ी पेट पूजा की !

आशियाना पार्क का प्रवेश द्वार

पार्क के अंदर का एक दृश्य

थोड़ा विश्राम करके हम रानीखेत के अगले दर्शनीय स्थल गोल्फ कोर्स ग्राउन्ड की ओर चल दिए, जो यहाँ से 5 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा मार्ग पर था, इसी मार्ग से होते हुए हम कटारमल सूर्य मंदिर देखने चले जाएंगे ! खैर, फिलहाल तो हम रानीखेत के बाजार की भीड़-भाड़ से निकल रहे थे, यहीं टैक्सी स्टैंड भी है, सवारियाँ चढ़ाने-उतारने के चक्कर में यहाँ थोड़ा जाम लग गया है ! कुछ देर बाद हम इस भीड़ से निकलकर सोमनाथ ग्राउन्ड के साथ वाले मार्ग से होते हुए अल्मोड़ा जाने वाले मार्ग पर चल दिए है ! हमारे आगे कुछ सैन्य ट्रक भी चल रहे थे जो शायद कुछ खाद्य सामग्री और सैनिकों को लेकर जा रहे थे ! शहर की भीड़-भाड़ से निकलकर कुछ ही देर में हम गोल्फ कोर्स के सामने खड़े थे, आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि ये मैदान छावनी क्षेत्र के अंतगर्त आता है और इस मैदान में आम लोगो के जाने पर पाबंदी है ! मैदान के किनारे इस बाबत जानकारी भी दी गई है, ये मैदान सड़क के दोनों ओर है ! एक किनारे गाड़ी खड़ी करके हमने इस मैदान के कुछ फोटो लिए और यहाँ ज्यादा समय नया गँवाते हुए हमने कटारमल मंदिर के लिए अपना आगे का सफर जारी रखा, जिसका वर्णन मैं यात्रा के अगले लेख में करूंगा ! 

रानीखेत का गोल्फ कोर्स

एक फोटो अपनी भी हो जाए

गोल्फ कोर्स का एक दृश्य

क्यों जाएँ (Why to go Ranikhet)अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो रानीखेत आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! यहाँ से हिमालय की ऊँची-2 चोटियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है ! 

कब जाएँ (Best time to go Ranikhet): आप रानीखेत साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में रानीखेत का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है, गर्मियों के दिनों में भी यहाँ का मौसम बड़ा खुशगवार रहता है !

कैसे जाएँ (How to reach Ranikhet): दिल्ली से रानीखेत की दूरी महज 350 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 8-9 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से रानीखेत जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-कालाढूँगी-नैनीताल होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप काठगोदाम तक ट्रेन से भी जा सकते है, और उससे आगे का सफर बस या टैक्सी से कर सकते है ! काठगोदाम से रानीखेत महज 75 किलोमीटर दूर है, वैसे काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !

कहाँ रुके (Where to stay near Ranikhet)रानीखेत उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 1000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! वैसे अगर आप रानीखेत में शांत जगह पर रुकने का मन बना रहे है तो कुमाऊँ मण्डल का टूरिस्ट रेस्ट हाउस सबसे बढ़िया विकल्प है क्योंकि ये शहर की भीड़-भाड़ से दूर घने पेड़ों के बीच में बना है !

क्या देखें (Places to see near Ranikhet)रानीखेत में घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है यहाँ देखने के लिए झूला देवी मंदिर, चौबटिया गार्डन, कुमाऊँ रेजीमेंट म्यूजियम, मनकामेश्वर मंदिर, रानी झील, आशियाना पार्क, हेड़खान मंदिर, गोल्फ कोर्स प्रमुख है ! इसके अलावा कटारमल सूर्य मंदिर भी यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है ! !


नैनीताल-रानीखेत यात्रा
  1. कालाढूंगी का कॉर्बेट वाटर फाल (Corbett Water Fall in Kaladungi)
  2. खुर्पाताल होते हुए नैनीताल – (Kaladungi to Nainital via Khurpatal)
  3. नैनीताल में स्थानीय भ्रमण (Sight Seen in Nainital)
  4. कैंची धाम – नैनीताल (Kainchi Dham in Nainital)
  5. झूला देवी मंदिर, रानीखेत (Jhula Devi Temple of Ranikhet)
  6. रानीखेत का टूरिस्ट रेस्ट हाउस (Tourist Rest House, Ranikhet)
  7. रानीखेत का कुमाऊँ रेजीमेंट (History of Kumaon Regiment, Ranikhet)
  8. रानीखेत में स्थानीय भ्रमण (Local Sight Seen in Ranikhet)
  9. अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर (Katarmal Sun Temple, Almora)
  10. रानीखेत का हेड़खान मंदिर (Hedakhan Temple of Ranikhet)
  11. रानीखेत से वापसी का सफर (Road Trip from Ranikhet to Delhi)
  12. रामनगर का जिम कॉर्बेट संग्रहालय (A Visit to Corbett Museum)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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