नैनीताल में स्थानीय भ्रमण (Sight Seen in Nainital)

शुक्रवार, 02 मार्च 2018

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यात्रा के पिछले लेख में आप नैनी झील में नौकायान का आनंद लेने के बाद माँ नैना देवी के दर्शन भी कर चुके है, हालांकि, अँधेरा होने के कारण मंदिर से झील का दृश्य तो ठीक से दिखाई नहीं दिया लेकिन इस मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया था ! अब आगे, दरअसल अगले दिन होली का त्योहार होने के कारण नैना देवी के मंदिर में इतनी सजावट की गई थी, पूरे मंदिर परिसर को फूलों और लाइटों से सजाया गया था ! यहाँ आधा घंटा बिताने के बाद जब हम बाहर आए तो अच्छी-खासी रात हो चुकी थी ! इस मंदिर के सामने एक छोटा बाज़ार है, जहाँ खान-पान से लेकर कपडे, खिलोने और अन्य वस्तुएं आसानी से मिल जाती है ! हम बाज़ार में ये सोचकर घूमने लगे कि अगर साज-सज्जा या ज़रूरत का कोई अन्य सामान मिल जायेगा तो खरीद लेंगे, लेकिन बात नहीं बनी ! कुछ दुकानें बंद हो चुकी थी और जो खुली थी वहां अधिकतर वही वस्तुएं थी जो किसी भी बाज़ार में आसानी से मिल जाती है तो फिर यहाँ से लादकर क्यों ले जाना ! वैसे, मल्लीताल का पार्किंग स्थल भी यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है, इस पार्किंग के सामने ही एक गुरुद्वारा भी है, जहाँ इस समय लोगों का जमावड़ा लगा था शायद लोग इसके बंद होने से पहले दर्शन कर लेना चाहते थे !
नैना मंदिर से दिखाई देता नैनी झील का एक दृश्य 
पिछली बार जब हम नैनीताल आए थे तो भीमताल में रुके थे इसलिए नैनीताल में ज्यादा घूम नहीं पाए थे ! फिर शाम के समय माल रोड पर वाहनों के आवागमन पर रोक भी रहती है, इसलिए शाम होने से पहले ही हम वापिस भीमताल लौट गए थे ! किसी भी हिल स्टेशन के माल रोड पर घूमना हमेशा ही एक सुखद अनुभव रहता है इसलिए आज हम यहाँ घूमने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते थे ! देखो, मैं भी कहाँ पुरानी यादों में खो गया, तो हम मंदिर के सामने वाले बाज़ार में घूम रहे थे जहाँ हमें अपने मतलब की कोई चीज नहीं मिली ! इस बीच सबको तेज भूख लगने लगी थी तो हम बाज़ार में स्थित एक होटल के सामने जाकर रुक गए, यहाँ एक कतार में 2-3 होटल थे जिनके सामने बैठने के लिए कुर्सियां लगी थी ! हमने एक होटल में अपने खाने का आर्डर दिया और कुर्सियां लेकर बैठ गए ! जब तक खाना परोसा गया, हम दिन भर की यात्रा पर चर्चा करते रहे ! खाना खाकर उठे तो एक बार फिर से टहलते हुए माल रोड पर पहुँच गए, यहाँ की दुकानें अभी भी खुली हुई थी, नैनीताल आने वाले पर्यटक अक्सर माल रोड पर देर रात तक घूमते है इसलिए ये दुकानें भी काफी देर तक खुली रहती है ! ऐसी ही एक दुकान से सजावट का कुछ सामान खरीदने के बाद हम रात्रि विश्राम के लिए अपने होटल आ गए !
नैना मंदिर के अन्दर का एक दृश्य 
जैसे-2 रात गहरी होती जा रही थी यहाँ के मौसम में ठंडक भी बढती जा रही थी, दिनभर घूमने के कारण अच्छी-खासी थकान हो गई थी इसलिए बढ़िया नींद आई ! सुबह समय से सोकर उठे, कमरे की खिड़की से बाहर के मौसम का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं हो रहा था ! फिर बिस्तर से निकलकर कमरे के बाहर आकर देखा तो बढ़िया धूप खिली थी, हालांकि, नैनी झील के ऊपर से बहकर आती ठंडी हवा कंपकपा रही थी लेकिन धूप में खड़े होने पर बढ़िया आनंद आ रहा था ! ऊँचाई पर होने के कारण हमारे होटल की बालकनी से नैनी झील का शानदार नज़ारा दिखाई दे रहा था ! फिर ऐसे ही नजारों की चाहत में तो हम अपने शहर से सैकड़ों किलोमीटर दूर इस पहाड़ी क्षेत्र में आए थे, इसलिए मैं काफी देर तक यहाँ बैठकर बच्चों के साथ खेलता रहा ! यहाँ से देखने पर झील के किनारे बनी इमारतें, और इन इमारतों के पीछे वाली पहाड़ी पर दिखाई देते ऊंचे-2 पेड़ काफी सुन्दर लग रहे थे ! इस समय नैनी झील के चारों ओर बने मार्ग पर इक्का-दुक्का लोग ही दिखाई दे रहे थे, जबकि गाड़ियाँ तो अभी ना के बराबर ही चल रही थी ! शायद इतनी सुबह नैनीताल में लोग अभी सोकर भी नहीं उठे थे, तभी तो चारों तरफ इतना सन्नाटा पसरा था क्योंकि दिन में तो यहाँ अच्छी-खासी भीड़ रहती है !
हमारे होटल के रिसेप्शन का एक दृश्य

होटल की बालकनी से दिखाई देता नैनी झील का एक दृश्य 
इस बीच झील के उस पार मुझे एक मंदिर से आती घंटियों की आवाज सुनाई दी, ये पाषाण देवी का मंदिर था जहाँ शायद सुबह की आरती हो रही थी ! पाषाण देवी मंदिर के पास एक-दो अन्य मंदिर भी है, आज दिन में हम इन सभी मंदिरों में दर्शन के लिए जायेंगे, वैसे हमारा आज का विचार नैनीताल में स्थानीय भ्रमण के पश्चात दोपहर बाद रानीखेत के लिए निकलने का था ! 8 बजे से ऊपर का समय हो गया था, घूमने जाने के लिए समय से तैयार होना भी ज़रूरी था इसलिए बालकनी से निकलकर हम बारी-2 से नहाने-धोने में लग गए, लगभग पौने घंटे बाद तैयार होकर हम नाश्ता करने पहुंचे ! ठण्ड के मौसम में या ठंडी जगहों पर पराठे खाने का जो आनंद आता है वो शायद यहाँ बताने की ज़रूरत नहीं है, चाय की चुस्कियां लेते हुए हमने अपना नाश्ता ख़त्म किया ! नाश्ते के दौरान हमारे साथ एक अजीब वाक्या हुआ, दरअसल, हुआ कुछ यूं कि जब हम नाश्ते की टेबल पर बैठे थे तो होटल वाला हमारे यहाँ रुकने का फीडबैक लेने आया ! बातों ही बातों में उसने मेरा फ़ोन लिया और अपने होटल की रेटिंग खुद से भरने लगा ! इसपर मैं बोला, यार अपनी रेटिंग खुद कैसे भर रहे हो, मुझे जो सही लगेगा वो मैं भर दूंगा, अपनी रेटिंग तो तुम 5 ही भरोगे चाहे तुम्हारी सर्विस अच्छी ना हो ! 

इस बात को लेकर मेरी उस होटल वाले से थोड़ी बहस भी हुई लेकिन मामले को ज्यादा तूल ना देते हुए मैंने बात ख़त्म कर दी ! वैसे अगर आप कभी ऐसे होटल में रुके जहाँ होटल कर्मचारी आपसे फीडबैक भरने के लिए आपका फ़ोन मांगे तो सावधानी बरतें ! कुछ होटल वालों ने ये धंधा बना रखा है मनमाफिक रेटिंग भरकर ये होटल टॉप रेटिंग में आ जाते है और सुविधाओं के नाम पर इनमें ज्यादा कुछ नहीं होता ! हम लोग अक्सर कहीं घूमने जाते समय इन रेटिंग के झांसे में आकर बुकिंग कर लेते है और इन होटलों में जाकर हमें निराशा ही होती है ! जिस दिन हमारे साथ ये वाक्या हुआ था मैंने उसी दिन निश्चय कर लिया था कि वापिस आकर अपने पाठकों को नैनीताल के इस होटल चिनार व्यू के बारे में ज़रूर बताऊंगा ! होटल का अग्रिम भुगतान मैं ओयो रूम से बुकिंग करते समय ही कर चुका था, जैसा कि अधिकतर लोग करते है क्योंकि अग्रिम भुगतान करते समय कई प्रकार के डिस्काउंट मिलते है ! हालांकि, घटना वाले दिन मैंने ओयो पर भी अपना रिव्यु दे दिया था ! खैर, नाश्ता ख़त्म करने के बाद हमने अपना सारा सामान समेटा और मैं गाडी लेने के लिए चल दिया जो होटल से 100 मीटर दूर एक पार्किंग में खड़ी थी !
गाडी लेने जाते समय रास्ते में लिया एक चित्र 
इस समय तक लोग होली खेलने के लिए अपने घरों से निकल चुके थे, सब एक-दूसरे को रंग लगा रहे थे और होली की बधाईयाँ दे रहे थे, इस बीच कुछ बच्चे अपने घर की छतों से भी आने-जाने वाले लोगों पर रंग फ़ेंक रहे थे ! जब तक मैं गाडी लेकर होटल के सामने वाली सीढ़ियों पर पहुंचा, बाकि सदस्य भी यहाँ आ चुके थे, होटल का एक कर्मचारी भी हमारा सामान पहुँचाने नीचे तक चला आया था ! गाडी में सवार होकर हम माल रोड की ओर बढ़ गए ! यहाँ अभी भी ज्यादा चहल-पहल नहीं थी, हम माल रोड पर फोटो खींचने के लिए कुछ देर रुके, स्थानीय लोग यहाँ भी होली खेलने में व्यस्त थे ! मैं नैनीताल की होली पहली बार देख रहा था, नैनी झील में अभी भी नौकायान शुरू नहीं हुई थी जिससे कल शाम वाले उस नाविक की बात सच होती साबित हो रही थी जिसने कहा था कि होली के कारण आज सुबह शायद यहाँ नौकायान ना हो ! माल रोड पर जगह-2 लोगों के बैठने के लिए लोहे की सीटें बनी है नैनी झील की सुन्दरता को निहारने के लिए ये एक उत्तम स्थान है ! दोनों बच्चों की ख़ुशी भी देखने लायक थी, झील देखकर दोनों ख़ुशी से नाच रहे थे, मैं मन ही मन सोच रहा था कि आखिर यहाँ आना सफल हुआ, बच्चों की ख़ुशी से बढ़कर और क्या चाहिए !
माल रोड से दिखाई देता नैनी झील का एक दृश्य

माल रोड और नैनी झील के बीच में बने मार्ग का एक दृश्य 

नैनी झील का एक और दृश्य 
कुछ देर बाद यहाँ से बढे तो मल्लीताल स्थित पार्किंग स्थल में जाकर हमने अपनी गाडी खड़ी कर दी, होली के कारण यहाँ जगह-2 पुलिसकर्मी तैनात थे ताकि त्योहार के इस मौके पर किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके ! पार्किंग से माल रोड का शानदार दृश्य दिखाई दे रहा था, ऊंचे-2 पेड़ों से घिरी नैनीताल की रंग-बिरंगी इमारतें काफी सुन्दर लग रही थी ! मल्लीताल की पार्किंग से एक रास्ता नैना देवी के मंदिर को भी जाता है गाडी खड़ी करके हम इसी मार्ग पर चल दिए ! कुछ देर की पद यात्रा के बाद हम नैना देवी मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने खड़े थे, मंदिर का प्रवेश और निकास द्वार अगल-बगल में ही है ! अन्दर दाखिल होने पर हमने देखा कि आज यहाँ काफी संख्या में लोग आए हुए थे, मंदिर परिसर में होली का रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था ! चारों तरफ अबीर और अन्य रंग बिखरे हुए थे, लोग भगवान् का आशीर्वाद लेने के बाद आपस में होली खेल रहे थे ! छोटे बच्चे और युवा लोग बड़े-बुजुर्गो से आशीर्वाद ले रहे थे, बड़ा भावुक दृश्य था क्योंकि बड़े शहरों से तो हमारी संस्कृति धीरे-2 ख़त्म होते जा रही है ! भगवान् के दर्शन करने के बाद हम भी एक सुरक्षित जगह जाकर बैठ गए, मेरे लिए ये एक यादगार होली रहने वाली है !
मल्लीताल की पार्किंग का एक दृश्य 

नैना देवी मंदिर का प्रवेश द्वार

मंदिर के अन्दर का एक दृश्य

मंदिर के अन्दर का एक दृश्य
मंदिर परिसर में होली खेलते लोग 

मंदिर के अन्दर का एक दृश्य

मंदिर प्रांगन से दिखाई देती नैनी झील 

एक सेल्फी तो बनती है 

शिवलिंग पर भी रंगों की खूब वर्षा की गई है 
फिर कुछ समय मंदिर परिसर में बिताने के बाद हमने बाहर की राह पकड़ी ! यहाँ से निकले तो मंदिर के सामने वाले बाज़ार से बच्चों के लिए कुछ खिलोने लिए और फिर झील के किनारे बने मार्ग पर चल दिए ! ये ठंडी सड़क है और नैनीताल में पैदल घूमने वालों के लिए निसंदेह एक अच्छा विकल्प है चलिए ठंडी सड़क और इसपर पड़ने वाले मंदिरों के बारे में आपको विस्तार से बताता हूँ ! 

ठंडी सड़क और पाषाण देवी का मंदिर

ठंडी सड़क पर बाहरी वाहनों की आवाजाही पर रोक है इसलिए यहाँ ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं होती, गिनती के लोग ही इस मार्ग पर टहलने आते है ! शाम के समय ज़रूर इस मार्ग पर थोडा चहल-पहल होती होगी लेकिन अभी तो इस मार्ग पर हमारे अलावा गिनती के कुछ लोग ही दिखाई दे रहे थे ! इस मार्ग पर थोडा आगे जाने पर पहाड़ी के ऊपर जाते कुछ पैदल मार्ग भी दिखाई दिए, संभवत पहाड़ी के ऊपर रहने वाले लोग इन मार्गों का प्रयोग करते होंगे ! नैना देवी के मंदिर से इस मार्ग पर आने पर सबसे पहले शनि देव का एक मंदिर आया, ये मंदिर ज्यादा बड़ा तो नहीं है लेकिन अपनी विशेष बनावट के कारण यहाँ आए सभी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है ! एक चबूतरे पर गलियारे की आकृति में बने इस मंदिर में बाहरी दीवार की जगह लोहे की जालियां लगी है ! इस तरह ठंडी सड़क से ही मंदिर के अन्दर का दृश्य दिखाई देता है, हम मंदिर के बाहर से ही हाथ जोड़कर आगे बढ़ गए ! थोडा और आगे बढे तो इस मार्ग पर गोलू देवता का मंदिर आया, ये मंदिर भी शनि देव के मंदिर की तरह ही एक चबूतरे पर बना था, यहाँ भी हम ज्यादा देर नहीं रुके ! ठंडी सड़क से माल रोड का सुन्दर दृश्य दिखाई दे रहा था, इस मार्ग पर चलते हुए बच्चों को जहाँ भी मौका मिलता, खेलने-कूदने लग जाते !
ठंडी सड़क का एक दृश्य

ठंडी सड़क पर स्थित शनि देव मंदिर

ठंडी सड़क पर स्थित गोलू देवता का मंदिर
अब तक नैनी झील में भी इक्का-दुक्का नावें तैरने लगी थी, नाविक पर्यटकों को लेकर नौकायान की सवारी करवाने लगे थे ! गोलू देवता के मंदिर से आगे बढे तो पाषाण देवी के मंदिर पहुंचे, ये मंदिर पिछले दोनों मंदिरों से ज्यादा बड़ा था, मुख्य भवन तक जाने के लिए सीढियाँ बनी थी और सीढ़ियों के शुरुआत में ही एक बड़ा घंटा लगा था ! सीढ़ियों से होते हुए हम मंदिर परिसर में पहुंचे, मंदिर में इस समय ना तो कोई भक्त था और ना ही पुजारी, लेकिन एक बोर्ड पर मंदिर के पुजारी जगदीश भट्ट जी का नंबर जरुर लिखा था ! मंदिर में पूजा करने के बाद हम कुछ देर वहीँ बैठ गए, यहाँ कोई शोर-शराबा नहीं था चारों तरफ खामोशी थी, ऐसे शांत माहौल में मंदिर की घंटी इस ख़ामोशी को तोड़ रही थी ! बाहर आने से पहले हमने मंदिर परिसर में कुछ समय बिताया, लेकिन इस दौरान वहां कोई भी नहीं आया ! बाहर आकर हम फिर से ठंडी सड़क पर घूमने लगे, इस मार्ग पर आगे जाकर कुछ अन्य मंदिर भी थे लेकिन हम ज्यादा दूर ना जाकर वहीँ झील के किनारे बने एक चबूतरे पर बैठ गए ! नैनी झील से उठकर आती ठंडी हवा तन के साथ मन के झरोखों को भी सराबोर कर रही थी !
पाषाण देवी मंदिर में जाने के लिए बनी सीढियाँ

पाषाण देवी मंदिर के अन्दर का एक दृश्य

मंदिर से दिखाई देता झील का एक दृश्य

पाषाण देवी मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगा घंटा

ठंडी सड़क से दिखाई देता एक नज़ारा 
अंतर्मन से ऐसी आवाज आ रही थी कि समय की कोई सीमा ना हो और परिवार संग यहाँ यूँ ही बैठे रहो, आखिर हम इस यात्रा पर परिवार संग समय बिताने ही तो आए थे !  हमने अपने अंतर्मन की सुनी और इस चबूतरे पर काफी देर तक बैठे रहे, इस दौरान खूब फोटोग्राफी की, दरअसल, ये फोटो नहीं यादगार लम्हे थे जो मैं अक्सर अपनी पारिवारिक यात्राओं पर संजोता रहता हूँ ! ऐसा हर लम्हा मैं अपने जीवन रुपी किताब में रखता हूँ जो जीवन के आखिरी पड़ाव में मुझे कुछ सुख की अनुभूति दे सके ! यहाँ बैठकर अपने आगे के कार्यक्रम पर भी चर्चा की और फिर वापिस मल्लीताल के पार्किंग स्थल की ओर चल दिए जहाँ हमारी गाडी खड़ी थी ! हम चाहते तो झील का चक्कर लगाकर तल्लीताल होते हुए भी पार्किंग की ओर जा सकते थे लेकिन वो रास्ता काफी लम्बा था इसलिए हम उसी मार्ग से वापिस आए जिससे गए थे ! पार्किंग पहुंचकर हमने अपनी गाडी ली और माल रोड से होते हुए भुवाली की ओर चल दिए जहाँ से हमें रानीखेत के लिए निकलना था ! वैसे नैनीताल में इन जगहों के अलावा भी कई दर्शनीय स्थल है जैसे इको केव, स्नो पॉइंट, टिफ़िन टॉप, नैना पीक, गवर्नर हाउस, चिड़ियाघर, हनुमान गढ़ी मंदिर, रोपवे, खुर्पाताल और गर्नी हाउस !
ठंडी सड़क से दिखाई देती नैनी झील का एक दृश्य

वापिस पार्किंग की ओर जाते समय रास्ते में लिया एक चित्र

नैनीताल माल रोड का एक दृश्य
इनमें से कुछ जगहें तो हम अपनी पिछली यात्रा के दौरान ही देख चुके थे, चिड़ियाघर आज बंद था, गवर्नर हाउस भी आज बंद ही था इसलिए जो जगहें रह गई उन्हें अगर फिर कभी यहाँ आना हुआ तो देख लेंगे, ये सोचकर आगे बढ़ गए ! होली का त्योहार होने के कारण वैसे तो सड़कों पर ज्यादा भीड़ नहीं थी लेकिन भुवाली में बाज़ार होने के कारण कुछ व्यावसायिक गाड़ियों के कारण थोडा जाम लग गया था ! 10-15 मिनट में ये जाम खुला तो आगे बढे, रानीखेत जाते हुए हम रास्ते में स्थित कैंची धाम और बाबा नीव करोरी के आश्रम भी गए जो नैनीताल से लगभग 22 किलोमीटर दूर था ! फिल्हाल ये लेख काफी लम्बा हो गया है इसलिए इस पर यहीं विराम लगाता हूँ, नीव करोरी आश्रम और कैंची धाम का वर्णन मैं इस यात्रा के अगले लेख में करूँगा ! 

क्यों जाएँ (Why to go Nainital): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो नैनीताल आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! इसके अलावा अगर आप झीलों में नौकायान का आनंद लेना चाहते है या हिमालय की ऊँची-2 चोटियों के दर्शन करना चाहते है तो भी नैनीताल का रुख़ कर सकते है ! 

कब जाएँ (Best time to go Nainital): आप नैनीताल साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में नैनीताल का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ भी कड़ाके की ठंड पड़ती है !

कैसे जाएँ (How to reach Nainital): दिल्ली से नैनीताल की दूरी महज 315 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 6-7 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से नैनीताल जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-रुद्रपुर-हल्द्वानि होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप नैनीताल ट्रेन से भी जा सकते है, नैनीताल जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा है ! काठगोदाम से नैनीताल महज 23 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !   

कहाँ रुके (Where to stay near Nainital
): नैनीताल उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! नौकूचियाताल झील के किनारे क्लब महिंद्रा का शानदार होटल भी है ! 


क्या देखें (Places to see near Nainital): नैनीताल में घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है नैनी झील, नौकूचियाताल, भीमताल, सातताल, खुरपा ताल, नैना देवी का मंदिर, चिड़ियाघर, नैना पीक, कैंची धाम, टिफिन टॉप, नैनीताल रोपवे, माल रोड, और ईको केव यहाँ की प्रसिद्ध जगहें है ! इसके अलावा आप नैनीताल से 45 किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर का रुख़ भी कर सकते है !


अगले भाग में जारी...


नैनीताल-रानीखेत यात्रा
  1. कालाढूंगी का कॉर्बेट वाटर फाल (Corbett Water Fall in Kaladungi)
  2. खुर्पाताल होते हुए नैनीताल – (Kaladungi to Nainital via Khurpatal)
  3. नैनीताल में स्थानीय भ्रमण (Sight Seen in Nainital)
  4. कैंची धाम – नैनीताल (Kainchi Dham in Nainital)
  5. झूला देवी मंदिर, रानीखेत (Jhula Devi Temple of Ranikhet)
  6. रानीखेत का टूरिस्ट रेस्ट हाउस (Tourist Rest House, Ranikhet)
  7. रानीखेत का कुमाऊँ रेजीमेंट (History of Kumaon Regiment, Ranikhet)
  8. रानीखेत में स्थानीय भ्रमण (Local Sight Seen in Ranikhet)
  9. अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर (Katarmal Sun Temple, Almora)
  10. रानीखेत का हेड़खान मंदिर (Hedakhan Temple of Ranikhet)
  11. रानीखेत से वापसी का सफर (Road Trip from Ranikhet to Delhi)
  12. रामनगर का जिम कॉर्बेट संग्रहालय (A Visit to Corbett Museum)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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