रानीखेत का टूरिस्ट रेस्ट हाउस (Tourist Rest House, Ranikhet)

शनिवार, 03 मार्च 2018

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यात्रा के पिछले लेख में आप झूला देवी मंदिर और चौबटिया का भ्रमण कर चुके है, चौबाटिया से चले तो सीधा माल रोड के पास रानीखेत के टूरिस्ट रेस्ट हाउस के सामने आकर रुके ! पहले इस लेख को लिखने का कोई विचार नहीं था लेकिन इस रेस्ट हाउस में रुकने का मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा और ये जानकारी में अपने पाठकों तक भी पहुंचाना चाहता था ताकि अगर आप कभी रानीखेत जाएँ तो इस रेस्टहाउस में रहकर अपने लिए कुछ यादगार लम्हें वापिस ला सके ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि रानीखेत पहुँचकर झूला देवी मंदिर जाते हुए रास्ते में हम अपने लिए होटल देखते हुए जा रहे थे ! सबसे पहले माल रोड स्थित मेघदूत होटल पहुंचे, लेकिन इस होटल का रसोइया होली की छुट्टी पर घर गया हुआ था इसलिए होटल मैनेजर ने कहा कि रुकने का इंतजाम तो हो जाएगा लेकिन खाने का प्रबंध आपको खुद करना होगा, यही हाल वहाँ मौजूद दूसरे होटल का भी था ! रानीखेत का मुख्य बाजार यहाँ से 4-5 किलोमिटर दूर था और सफर की थकान के बाद खाने के लिए हम भटकना नहीं चाहते थे, इसलिए हम कुमाऊँ मण्डल के इस रेस्ट हाउस में कमरा देखने चल दिए, यहाँ भी एक मजेदार वाक्या हुआ !

कुमाऊँ मण्डल के फॉरेस्ट रेस्ट हाउस का एक चित्र
दरअसल यहाँ टूरिस्ट रेस्ट हाउस और फॉरेस्ट रेस्ट हाउस अगल-बगल में ही है, और हम गलतफहमी से फॉरेस्ट रेस्ट हाउस पहुँच गए ! वहाँ बैठे कर्मचारियों से रेस्ट हाउस में रात्रि विश्राम के लिए कमरे के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने मेरा परिचय और काम के बाबत जानकारी मांगी !  मैंने अपनी जानकारी दी तो उन्हें लगा मैं किसी सरकारी विभाग में इंजीनियर हूँ, पूछने लगे, सर यहाँ रुकने का परमिशन लेटर लाए होंगे, वो दिखा दीजिए ! तब मैंने उन्हें स्पष्ट किया कि मैं एक निजी कंपनी में इंजीनियर हूँ  किसी सरकारी विभाग में नहीं, और मैं किराया देकर यहाँ रुकना चाहता हूँ ! ये सुनकर उन कर्मचारियों ने कहा कि आप टूरिस्ट रेस्ट हाउस चले जाइए, ये फॉरेस्ट रेस्ट हाउस है, यहाँ सरकारी अधिकारी ही रुक सकते है और उसके लिए भी परमिशन लेटर चाहिए होता है ! खैर, कुछ देर उनसे बात करने के बाद मैंने रेस्ट हाउस परिसर के कुछ फोटो खींचे और बाहर आ गया, यहाँ से थोड़ा आगे बढ़ते ही हम टूरिस्ट रेस्ट हाउस के सामने आकर रुके ! अंदर जाकर देखा तो पूरा रेस्ट हाउस खाली पड़ा था, गिनती के 1-2 कमरों में ही यात्री रुके थे, हमें यहाँ कमरा पसंद आ गया और रात्रि  भोजन की समस्या भी हल हो गई ! जब मेघदूत होटल में रुकने की व्यवस्था नहीं हो पाई थी तभी मैंने कुमाऊँ मण्डल के इस रेस्ट हाउस में फोन पर बात कर ली थी ! 
झूला देवी मंदिर से रेस्ट हाउस जाने का मार्ग

रानीखेत का मार्ग दिखाता एक मानचित्र

रानीखेत के फॉरेस्ट रेस्ट हाउस का एक चित्र

फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के बरामदे का एक चित्र

फॉरेस्ट रेस्ट हाउस परिसर का एक चित्र

हिमालय दर्शन के लिए बनाया एक स्थान

जब रेस्ट हाउस स्टाफ को मैंने बताया कि गलती से हम फॉरेस्ट रेस्ट हाउस चले गए थे तो वो बोले सर पहले भी कई बार ऐसा हुआ है कि गेस्ट बुकिंग यहाँ की करते है और फॉरेस्ट रेस्ट हाउस पहुँच जाते है ! रजिस्टर में अपनी जानकारी देने के बाद गाड़ी से अपना सामान लेकर हम अपने कमरे में पहुंचे, कमरा साफ-सुथरा था, साथ में एक अटैच बाथरूम भी था ! कमरे में जरूरत की सभी सुविधाएं थी, जैसे टीवी, टेलीफोन, गरम पानी और बैठने के लिए लकड़ी का फर्नीचर ! बाथरूम से सटा एक छोटा कमरा भी था, जहां बैठकर चाय पर चर्चा की जा सकती थी, रेस्ट हाउस की भोगोलिक स्थिति, कमरों की बनावट और यहाँ का फर्नीचर मुझे बहुत पसंद आया ! कमरे की छते बहुत ऊंची थी, पुराने डिजाइन के दरवाजे, और खिड़कियों में लगे शीशे पुराने दौर की याद दिला रहे थे ! बाहर बरामदे से देखने पर एक कतार में दिखाई देते कमरे शानदार लग रहे थे, हर कमरे के बाहर क्यारी में पौधे लगाए गए थे, जहां शाम के समय आप परिवार के साथ टहल सकते हो !

हिमालय चोटियों के नाम दर्शाता एक बोर्ड

त्रिभुज आकार में बना रेस्ट हाउस का द्वार

फॉरेस्ट रेस्ट हाउस परिसर का एक दृश्य

दूर से दिखाई देता फॉरेस्ट रेस्ट हाउस

फॉरेस्ट रेस्ट हाउस परिसर से दिखाई देता एक चित्र

फॉरेस्ट रेस्ट हाउस से माल रोड जाने का मार्ग 

वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि 50 बेड का ये रेस्ट हाउस 1981 में बनकर तैयार हुआ और इसका शिलान्यास उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 5 सितंबर 1981 को किया ! आपमें से ज्यादातर लोग तो ये जानते ही है लेकिन जो लोग नहीं जानते वो सोचेंगे कि उत्तराखंड के रेस्ट हाउस का शिलान्यास उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने क्यों किया, तो आपको बताना चाहूँगा कि उत्तराखंड पहले उत्तर प्रदेश का ही भाग था, जो 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर एक नया राज्य बना ! जबकि, फॉरेस्ट रेस्ट हाउस अंग्रेजों के जमाने का है इसका निर्माण 1906 में हुआ, अंग्रेज अधिकारी इस रेस्ट हाउस में रुका करते थे ! 100 साल से भी ज्यादा पुरानी ये इमारत आज भी मजबूती के साथ खड़ी है ! ये दोनों रेस्ट हाउस बहुत बढ़िया जगह पर बने है, इनके चारों तरफ बाज-बुरांश के घने पेड़ है, जो यहाँ की हवा को साफ और मौसम को ठंडा रखने में सहायता करते है ! फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में थोड़ी ऊंचाई पर एक व्यू पॉइंट बना है, अगर मौसम साफ हो तो यहाँ से हिमालय की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है ! इसके अलावा रेस्ट हाउस परिसर काफी दूर तक फैला हुआ है, जहां पार्किंग के अलावा पैदल टहलने के लिए एक मार्ग भी बना है !

फॉरेस्ट रेस्ट हाउस का स्थापना वर्ष दर्शाता एक बोर्ड

टुरिस्ट रेस्ट हाउस का प्रवेश द्वार

रेस्ट हाउस के कमरे

रेस्ट हाउस के कमरे का दृश्य

रेस्ट हाउस के कमरे का एक दृश्य

रेस्ट हाउस का कमरा

रेस्ट हाउस में कमरों के बाहर बना बरामद 

थोड़ा पेट पूजा भी हो जाए 

वैसे टहलने के लिए आप तो आप मंदिर जाने वाले मार्ग पर भी जा सकते है, लेकिन अंधेरे में या रात के समय रेस्ट हाउस के बाहर ना ही जाएँ, क्योंकि जंगली जानवरों का खतरा हो सकता है, यहाँ रहते हुए मैं तो रोज सुबह मंदिर वाले मार्ग पर ही टहलने जाया करता था ! परिसर में बढ़िया बागबानी की गई है, कई प्रकार के फूलों के पौधे यहाँ लगाए गए है, इसके अलावा यहाँ बुरांश के भी काफी पेड़ है , बुरांश के फूलों से बनाए गए रस का प्रयोग में शरबत में किया जाता है ! अब बात करे रेस्ट हाउस के स्टाफ की तो यहाँ के सभी कर्मचारी बड़े व्यवहारिक थे, खास-तौर से यहाँ का रसोइया बड़ा मिलनसार था, उसके बनाए खाने का स्वाद तो हमें आज तक याद है ! बच्चों के प्रति उसका दोस्ताना व्यवहार हमें काफी अच्छा लगा, यहाँ तक कि घूमने जाते हुए उसने बच्चों के लिए दूध भी गरम करके दिया ! मैं अगर दोबारा कभी रानीखेत की तरफ घूमने आया तो इस बार भी इसी रेस्ट हाउस में  रुकूँगा और आपको भी यहाँ रुकने का सुझाव दूंगा ! दोस्तों इसके साथ ही इस लेख पर विराम लगाता हूँ, जल्द ही अगले लेख में आपसे मुलाकात होगी जहां मैं आपको कुमाऊँ रेजीमेंट के म्यूजियम की सैर करवाऊँगा !

झूला देवी मंदिर की और जाने का मार्ग

रानीखेत के माल रोड का एक दृश्य

रेस्ट हाउस के अंदर बना मार्ग

रेस्ट हाउस के अंदर से प्रवेश द्वार का एक दृश्य

रेस्ट हाउस में रुकने का शुल्क दिखाता बोर्ड

रेस्ट हाउस के भोजनालय का एक दृश्य 

रेस्ट हाउस के भोजनालय का एक दृश्य 

अपने भोजन की प्रतीक्षा करता उत्कर्ष

इसी कमरे में हम रुके थे

रेस्ट हाउस से वापिस आते हुए लिया एक चित्र

क्यों जाएँ (Why to go Ranikhet)अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो रानीखेत आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! यहाँ से हिमालय की ऊँची-2 चोटियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है ! 

कब जाएँ (Best time to go Ranikhet): आप रानीखेत साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में रानीखेत का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है, गर्मियों के दिनों में भी यहाँ का मौसम बड़ा खुशगवार रहता है !

कैसे जाएँ (How to reach Ranikhet): दिल्ली से रानीखेत की दूरी महज 350 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 8-9 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से रानीखेत जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-कालाढूँगी-नैनीताल होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप काठगोदाम तक ट्रेन से भी जा सकते है, और उससे आगे का सफर बस या टैक्सी से कर सकते है ! काठगोदाम से रानीखेत महज 75 किलोमीटर दूर है, वैसे काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !

कहाँ रुके (Where to stay near Ranikhet)रानीखेत उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 1000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! वैसे अगर आप रानीखेत में शांत जगह पर रुकने का मन बना रहे है तो कुमाऊँ मण्डल का टूरिस्ट रेस्ट हाउस सबसे बढ़िया विकल्प है क्योंकि ये शहर की भीड़-भाड़ से दूर घने पेड़ों के बीच में बना है !

क्या देखें (Places to see near Ranikhet)रानीखेत में घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है यहाँ देखने के लिए झूला देवी मंदिर, चौबटिया गार्डन, कुमाऊँ रेजीमेंट म्यूजियम, मनकामेश्वर मंदिर, रानी झील, आशियाना पार्क, हेड़खान मंदिर, गोल्फ कोर्स प्रमुख है ! इसके अलावा कटारमल सूर्य मंदिर भी यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है ! !


नैनीताल-रानीखेत यात्रा
  1. कालाढूंगी का कॉर्बेट वाटर फाल (Corbett Water Fall in Kaladungi)
  2. खुर्पाताल होते हुए नैनीताल – (Kaladungi to Nainital via Khurpatal)
  3. नैनीताल में स्थानीय भ्रमण (Sight Seen in Nainital)
  4. कैंची धाम – नैनीताल (Kainchi Dham in Nainital)
  5. झूला देवी मंदिर, रानीखेत (Jhula Devi Temple of Ranikhet)
  6. रानीखेत का टूरिस्ट रेस्ट हाउस (Tourist Rest House, Ranikhet)
  7. रानीखेत का कुमाऊँ रेजीमेंट (History of Kumaon Regiment, Ranikhet)
  8. रानीखेत में स्थानीय भ्रमण (Local Sight Seen in Ranikhet)
  9. अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर (Katarmal Sun Temple, Almora)
  10. रानीखेत का हेड़खान मंदिर (Hedakhan Temple of Ranikhet)
  11. रानीखेत से वापसी का सफर (Road Trip from Ranikhet to Delhi)
  12. रामनगर का जिम कॉर्बेट संग्रहालय (A Visit to Corbett Museum)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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