रानीखेत का हेड़खान मंदिर (Hedakhan Temple of Ranikhet)

शनिवार, 03 मार्च 2018 

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यात्रा के पिछले लेख में आप कटारमल सूर्य मंदिर का भ्रमण कर चुके है अब आगे, दर्शन के बाद मंदिर से निकलकर हम अपनी गाड़ी की ओर चल दिए ! ढलान होने के कारण वापसी में गाड़ी तक पहुँचने में हमें ज्यादा समय नहीं लगा और ज्यादा परेशानी भी नहीं हुई ! जब हम गाड़ी लेकर यहाँ से चले तो दोपहर के तीन बजकर 20 मिनट हो रहे थे, इस समय भी कुछ लोग मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे थे ! यहाँ से चलकर कुछ समय बाद हम एक बार फिर से उसी मार्ग पर पहुँच गए, जिससे यहाँ आए थे, हरी-भरी पहाड़ियों के बीच से गुजरता ये मार्ग एक शानदार दृश्य प्रस्तुत कर रहा था ! नतीजन, वापसी में भी हम अल्मोड़ा-रानीखेत मार्ग पर प्राकृतिक नज़ारे देखने के लिए कई जगहें रुके, ये नज़ारे इतने मनमोहक है कि आप ना चाहते हुए भी रुक ही जाते है ! इस तरह रुकते-रुकाते लगभग घंटे भर का सफर करके हम एक बार फिर से रानीखेत क्षेत्र में प्रवेश कर चुके थे ! यहाँ हम रुके बिना ही बाजार से निकलकर चिलियानौला मार्ग पर चल दिए, इसी मार्ग पर लगभग 4-5 किलोमीटर आगे जाकर हेडाखान मंदिर स्थित है ! ये रास्ता भी खूबसूरत नज़ारों से भरा पड़ा है, शुरुआत में तो थोड़ा चहल-पहल दिखती है लेकिन रानीखेत से लगभग 2 किलोमीटर चलकर एक रिहायशी कस्बे को पार करने के बाद इस मार्ग पर वाहनों की संख्या घटकर इक्का-दुक्का ही रह जाती है ! चारों तरफ सन्नाटा ऐसा कि झींगुर की आवाज भी सुनाई देती है, और सड़क को देखकर लग रहा था कि इसका निर्माण जल्द ही हुआ है !

रानीखेत स्थित हेडाखान मंदिर का एक दृश्य

थोड़ा आगे बढ़ने पर सड़क के दोनों तरफ ऊंचे-2 चीड़ के पेड़ देखकर हम फोटो खिंचवाने के लिए एक जगह रुके, चारों तरफ एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी ! थोड़ी देर रुककर यहाँ कुछ फोटो लिए, फिर मंदिर के लिए आगे बढ़ गए, 5-7 मिनट बाद हम मुख्य मार्ग को छोड़कर एक सहायक मार्ग पर पहुँच गए ! हम गूगल मैप के सहारे चल रहे थे, इस मार्ग से हम एक रिहायशी इलाके से निकलकर एक गली के सामने जाकर रुके, यहाँ से आगे हमें पैदल ही जाना था ! गाड़ी खड़ी करके 25-30 कदम चलने के बाद हम मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने खड़े थे, समय शाम के 5 बजने वाले थे ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि ये मंदिर एक रिहायशी इलाके में स्थित है, इसलिए मंदिर से देखकर लगता ही नहीं है कि हम किसी पहाड़ी क्षेत्र में है ! मंदिर के आस-पास कुछ दुकानें भी है, ऐसी ही एक दुकान से प्रसाद लेकर हम मंदिर परिसर में दाखिल हुए ! प्रवेश द्वार से अंदर जाते ही दाईं ओर एक गलियारा है जिसके दोनों तरफ छोटे-बड़े खूब पौधे लगाए गए है ! ये गलियारा थोड़ा आगे जाकर सीढ़ियों के पास खत्म होता है, हम गलियारे से निकलकर सीढ़ियों से होते हुए एक चबूतरे पर पहुंचे, यहाँ से चारों तरफ का जो नजारा दिखाई देता है वो अद्भुत है !

कटारमल मंदिर से रानीखेत आते हुए

कटारमल रानीखेत मार्ग में कहीं

कटारमल रानीखेत मार्ग में कहीं

रास्ते में लिया एक चित्र

ऐसे नज़ारे हो तो कौन वापिस आना चाहेगा

सड़क किनारे लिया एक चित्र

हेडाखान की दूरी दर्शाता एक बोर्ड

रानीखेत चिलियानौला मार्ग पर कहीं

रानीखेत चिलियानौला मार्ग का एक दृश्य

सड़क किनारे घने पेड़

सड़क किनारे ऊंचे-2 पेड़

रानीखेत चिलियानौला मार्ग का एक दृश्य

रानीखेत चिलियानौला मार्ग का एक दृश्य

रानीखेत चिलियानौला मार्ग का एक दृश्य

रानीखेत चिलियानौला मार्ग पर लिया एक चित्र

मंदिर में रुकने के लिए एक धर्मशाला भी है, हालांकि हमने इस बाबत ज्यादा जानकारी नहीं ली लेकिन मंदिर परिसर में बने कमरों और एक बोर्ड पर आश्रम में रुकने संबंधी जानकारी से इस बात की पुष्टि हुई ! चलिए, आगे बढ़ने से पहले आपको इस मंदिर से संबंधित कुछ जानकारी दे देता हूँ ! प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मंदिर की स्थापना बाबा हेडाखान ने की थी, जिन्होनें यहाँ रहकर कई वर्षों तक साधना की, लेकिन 1984 में उनकी मृत्यु के पश्चात मंदिर में स्थानीय लोगों ने भगवान शिव के साथ उनकी मूर्ति भी स्थापित कर दी ! ये लोग उन्हें भगवान शिव का अवतार मानते है और शिवजी के साथ इस मंदिर में बाबा की पूजा भी की जाती है, ये मंदिर भगवान शिव और बाबा हेडाखान को समर्पित है ! चलिए, वापिस यात्रा पर लौटते है जहां हम चबूतरे से आस-पास के नज़ारों का आनंद ले रहे है ! मंदिर के मुख्य भवन की छत लोहे की चादरों से बनी है, और यहाँ चबूतरे पर मुख्य भवन में जाने के लिए एक अस्थायी प्रवेश द्वार भी बनाया गया है, जहां पीतल की बड़ी-2 घंटिया लगी है ! द्वार के पास ही एक नंदी भी स्थापित है, चबूतरे के उत्तरी किनारे पर हिमालय दर्शन के लिए एक व्यू पॉइंट बनाया गया है, जहां खड़े होकर आप हिमालय की कई ऊंची चोटियों के दर्शन कर सकते है ! यात्रियों की सुविधा के लिए कुछ मुख्य चोटियों के नाम और उनके चित्रों को यहाँ व्यू पॉइंट पर एक पत्थर पर दर्शाया गया है !

मंदिर परिसर के अंदर का एक दृश्य

चबूतरे से दिखाई देती घंटियाँ 

चबूतरे से मुख्य भवन में जाने का अस्थायी प्रवेश द्वार

हेडाखान मंदिर से संबंधित कुछ जानकारी

मंदिर परिसर का एक दृश्य

चबूतरे पर बना हिमालय दर्शन व्यू पॉइंट
वहीं दूसरी ओर मुख्य भवन के पूर्वी भाग में छत्र से ढके हनुमान जी की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई है ! मुख्य भवन में फोटो लेना प्रतिबंधित है इसलिए हमने अंदर जाने से पहले अपने फोन बंद करके रख लिए ! यहाँ एक दीवार पर मंदिर और बाबा हेडाखान से संबंधित कुछ जानकारी दी गई है, इसी दीवार पर मंदिर के आस-पास के दर्शनीय स्थलों की दूरी सहित जानकारी दर्शाई गई है ! मुख्य भवन में दर्शन के बाद हम बाहर आ गए और मुख्य भवन परिक्रमा लगाने के साथी ही परिसर में टहलने लगे ! यहाँ बढ़िया बागबानी की गई है, तरह-2 के रंग-बिरंगी फूलों के अलावा खूब पेड़-पौधे भी लगाए गए है ! मंदिर परिसर से चिलियानौला का कुमाऊँ मण्डल का टूरिस्ट रेस्ट हाउस भी दिखाई देता है ! कुछ देर घूमने के बाद हम सीढ़ियों से होते हुए नीचे आ गए, मंदिर से बाहर आते हुए हमने मंदिर परिसर में कुछ निजी आवास संबंधित बोर्ड भी लगे देखे, जहां जाना आम लोगों के लिए प्रतिबंधित था, शायद यहाँ मंदिर के कुछ गणमान्य लोग रहते होंगे ! थोड़ी देर बाद हम टहलते हुए मंदिर से बाहर आ गए, समय देखा तो शाम के 6 बजकर 40 मिनट हो रहे थे, फिलहाल तो अंधेरा नहीं था लेकिन यहाँ पहाड़ों में एकदम से अंधेरा हो जाता है ! दरअसल, सूर्यास्त के समय जब सूरज अचानक से किसी पहाड़ी के पीछे जाता है तो अंधेरा होने में समय नहीं लगता !

मंदिर परिसर में लिया एक चित्र

मंदिर परिसर का एक दृश्य

मंदिर परिसर का एक दृश्य

मंदिर परिसर से दिखाई देते पहाड़

चबूतरे पर जाने की सीढ़ियाँ

मंदिर परिसर का एक दृश्य

मंदिर परिसर का एक दृश्य
अब हमने बिना देरी किए वापसी की राह पकड़ी और गाड़ी लेकर रानीखेत स्थित अपने गेस्ट हाउस की तरफ चल दिए ! अभी हम आधे रास्ते भी नहीं पहुंचे थे कि एकदम अंधेरा हो गया, जंगल के बीच से गुजरते इस रास्ते पर हमारी गाड़ी की लाइट से जो रोशनी हो रही थी बस वहीं तक दिखाई दे रहा था वरना दूर तक एकदम अंधेरा ! हाँ, जब कोई गाड़ी सामने से आती तो उसकी रोशनी से थोड़ी देर के लिए रास्ता जगमगा उठता लेकिन गाड़ी के जाने के बाद फिर से दूर तक फैला घुप्प अंधेरा ! किसी गाड़ी के हॉर्न की आवाज काफी दूर से सुनाई देती, जैसे-2 गाड़ी हमारे नजदीक आती, ये आवाज बढ़ती जाती और फिर दूर जाने पर ये आवाज धीरे-2 कम होते हुए जंगल में फिर से सन्नाटा पसर जाता ! दिन में जहां इस रास्ते में खूबसूरत नज़ारे दिखाई दे रहे थे वहीं अब जंगल से गुजरते हुए डर लग रहा था, ऐसे सुनसान रास्ते पर यही चिंता हो रही थी कि गाड़ी में कोई खराबी ना आ जाए, अगर ऐसा होता तो परिवार संग इस सुनसान जंगल में हम क्या ही करते ! खैर, ऊपर वाले की कृपा बनी रही और हमें किसी अप्रिय परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़ा ! अपने होटल पहुंचते-2 हमें आधा घंटा लग ही गया, वजह ये था कि रानीखेत से निकलते हुए हम बच्चों के लिए खाने का कुछ सामान ढूंढ रहे थे लेकिन अधिकतर दुकानें बंद हो चुकी थी इसलिए हमें कुछ मिला नहीं !

मंदिर परिसर में लगे फूल

मंदिर परिसर में लगे फूल

मंदिर परिसर में लगे फूल

मंदिर परिसर का एक अन्य दृश्य

मंदिर परिसर का एक अन्य दृश्य
खैर, जब हम होटल पहुंचे तो बढ़िया अंधेरा हो चुका था, माल रोड से अपने रेस्ट हाउस जाते हुए झींगुरों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी ! दिनभर का सफर करके थोड़ा थकान भी हो गई थी, इसलिए सबसे पहले अपने कमरे में जाकर कुछ देर आराम किया, फिर खाने का ऑर्डर देने मैं किचन में गया ! आधे घंटे बाद हम सब डाइनिंग हाल में बैठे खाना खा रहे थे, यहाँ का रसोइया बड़ा मिलनसार था, दो दिन में ही उससे अच्छा व्यवहार बन गया था ! खान खाकर फ़ारिक हुए तो रेस्ट हाउस में बने पैदल मार्ग पर टहलने निकल पड़े, ऐसी पहाड़ी जगहों पर रात के शांत वातावरण में टहलने का एक अलग ही मजा है, ऐसे माहौल में आप खुद के साथ होते हो ! जीवन के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार कर सकते हो और सबसे बड़ी बात ऐसे माहौल में आप अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा दे सकते हो ! आज रानीखेत में हमारा आखिरी दिन था, समय कितनी जल्दी बीत गया पता ही नहीं चला, वैसे कुल मिलाकर हमारे लिए ये बढ़िया यात्रा रही, परिवार संग होने के बावजूद 2 दिन में हमने काफी जगहें देख ली ! अक्सर अकेला होने पर 2 दिनों में तो बहुत कुछ देखा जा सकता है लेकिन परिवार संग कुछ बंदिशे भी होती है ! खैर, कुछ देर टहलने के बाद हम आराम करने के लिए अपने कमरे में चले गए, इसी के साथ यात्रा के इस लेख पर फिलहाल विराम लगाता हूँ, कल वापसी के सफर में भी आपको कुछ जगहों की सैर करवाऊँगा !

क्यों जाएँ (Why to go Ranikhet)अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो रानीखेत आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! यहाँ से हिमालय की ऊँची-2 चोटियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है ! 

कब जाएँ (Best time to go Ranikhet): आप रानीखेत साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में रानीखेत का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है, गर्मियों के दिनों में भी यहाँ का मौसम बड़ा खुशगवार रहता है !

कैसे जाएँ (How to reach Ranikhet): दिल्ली से रानीखेत की दूरी महज 350 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 8-9 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से रानीखेत जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-कालाढूँगी-नैनीताल होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप काठगोदाम तक ट्रेन से भी जा सकते है, और उससे आगे का सफर बस या टैक्सी से कर सकते है ! काठगोदाम से रानीखेत महज 75 किलोमीटर दूर है, वैसे काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !

कहाँ रुके (Where to stay near Ranikhet)रानीखेत उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 1000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! वैसे अगर आप रानीखेत में शांत जगह पर रुकने का मन बना रहे है तो कुमाऊँ मण्डल का टूरिस्ट रेस्ट हाउस सबसे बढ़िया विकल्प है क्योंकि ये शहर की भीड़-भाड़ से दूर घने पेड़ों के बीच में बना है !

क्या देखें (Places to see near Ranikhet)रानीखेत में घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है यहाँ देखने के लिए झूला देवी मंदिर, चौबटिया गार्डन, कुमाऊँ रेजीमेंट म्यूजियम, मनकामेश्वर मंदिर, रानी झील, आशियाना पार्क, हेड़खान मंदिर, गोल्फ कोर्स प्रमुख है ! इसके अलावा कटारमल सूर्य मंदिर भी यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है ! !


नैनीताल-रानीखेत यात्रा
  1. कालाढूंगी का कॉर्बेट वाटर फाल (Corbett Water Fall in Kaladungi)
  2. खुर्पाताल होते हुए नैनीताल – (Kaladungi to Nainital via Khurpatal)
  3. नैनीताल में स्थानीय भ्रमण (Sight Seen in Nainital)
  4. कैंची धाम – नैनीताल (Kainchi Dham in Nainital)
  5. झूला देवी मंदिर, रानीखेत (Jhula Devi Temple of Ranikhet)
  6. रानीखेत का टूरिस्ट रेस्ट हाउस (Tourist Rest House, Ranikhet)
  7. रानीखेत का कुमाऊँ रेजीमेंट (History of Kumaon Regiment, Ranikhet)
  8. रानीखेत में स्थानीय भ्रमण (Local Sight Seen in Ranikhet)
  9. अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर (Katarmal Sun Temple, Almora)
  10. रानीखेत का हेड़खान मंदिर (Hedakhan Temple of Ranikhet)
  11. रानीखेत से वापसी का सफर (Road Trip from Ranikhet to Delhi)
  12. रामनगर का जिम कॉर्बेट संग्रहालय (A Visit to Corbett Museum)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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