यात्रा के पिछले लेख में आप हेडाखान मंदिर के दर्शन कर चुके है, अब आगे, रानीखेत से वापसी का सफर भी कम मजेदार नहीं है, वापसी में भी हम कई जगहें घूमते हुए आए ! चलिए, दिन की शुरुआत करते है, सुबह समय से सो कर उठे और फटाफट से तैयार होकर एक बार फिर से झूला देवी मंदिर में दर्शन के लिए निकल पड़े, सोचा वापसी की यात्रा शुरू करने से पहले माता का आशीर्वाद ले लेते है ! ये तो मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि हमारे रेस्ट हाउस से झूला देवी मंदिर ज्यादा दूर नहीं था, 10 मिनट से भी कम समय लगा और हम मंदिर के सामने खड़े थे, झूला देवी मंदिर से संबंधित जानकारी मैं इस यात्रा के पिछले लेख में दे चुका हूँ ! इस समय यहाँ हमारे सिवा कोई नहीं था, मंदिर के सामने पूजा की दुकानें सजने लगी थी, ऐसी ही एक दुकान से प्रसाद लेकर हम मंदिर परिसर में दाखिल हुए ! मुख्य भवन का द्वार भी हमने ही खोला और फिर तसल्ली से पूजा की, बच्चे एक बार फिर से अपनी मस्ती में लगे रहे, पूजा करके आधे घंटे बाद रेस्ट हाउस पहुंचे ! मंदिर जाते हुए हम रेस्ट हाउस के रसोइया को नाश्ता बनाने के लिए बोल गए थे, जो अब तैयार हो चुका था, इसलिए गाड़ी से निकलकर हम सीधे डाइनिंग हाल में पहुंचे, जहां नाश्ते में पोहे, आलू के पराठे, चाय और दूध तैयार थे ! खाने का स्वाद पहले की तरह लाजवाब था, सबने भरपेट नाश्ता किया और कुछ खाना रास्ते के लिए भी ले लिया, सफर में छोटे बच्चों का पता नहीं कब भूख लग जाए !
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भीमताल के नौका स्टैंड का एक दृश्य |
खैर, नाश्ते से फ़ारिक हुए तो कमरे में जाकर अपना सामान पैक किया और बाहर लाकर गाड़ी में रख दिया, फिर रिसेप्शन पर जाकर बकाया राशि का भुगतान किया और वापसी की राह पकड़ी !समय देखा तो सुबह के 9 बजने वाले थे अभी भी रानीखेत के माल रोड पर ज्यादा चहल-पहल नहीं थी, इक्का-दुक्का स्थानीय दुकानदार ही अपना सामान सहेजने में लगे थे ! यहाँ से निकलकर थोड़ी देर बाद जब हम रानीखेत-नैनीताल मार्ग पर पहुंचे तो यहाँ भी गिनती की गाड़ियां ही दिखाई दे रही थी ! खाली मार्ग मिलने का ये फायदा हुआ कि हम तेजी से नैनीताल की ओर बढ़ने लगे, रास्ते में कुछ जगहों पर हमें कोहरा भी मिला और एक जगह तो बारिश भी, फिर भी घंटे भर के सफर में हम कैंची धाम को पार कर चुके थे ! आज बड़े सुहावने नज़ारे दिखाई दे रहे थे, घाटी में तैरते बादल और चारों तरफ फैली हरियाली देखकर मन खुश हो गया ! भुवाली से थोड़ा पहले एक चाय की दुकान पर गरमा-गरम प्याज के पकोड़े तले जा रहे थे, देखकर मन ललचा गया, आगे बढ़ने से पहले यहाँ कुछ देर रुककर पकोड़े खाए ! यहाँ से चले तो भुवाली के बाजार में थोड़ा जाम मिला, लेकिन धीरे-2 आगे बढ़ते रहे, इस बीच एकदम से विचार आया क्यों ना भीमताल होते हुए चला जाए, इसी बहाने भीमताल हल्द्वानी मार्ग भी देख लेंगे ! ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgpFgNMpmUYfUkY7cM3cpbBDYnSPBLMk2ky8_WxPwgDY1mvLIaZEIV1Y-7rJt3PFZu5wSPW3A6ErIthp2TOljSSc_v3JMeEL6cvGvZ5yYaRGc6IrsFW9pUR2i6NR4ur1Ih3YVjkIR9frvUN/w640-h360/Img01.jpg) |
झूलादेवी मंदिर के बाहर सजी प्रसाद की एक दुकान |
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झूलादेवी मंदिर के बाहर सजी प्रसाद की एक दुकान |
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मंदिर का द्वार भी हमने ही खोला |
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प्रवेश द्वार से मंदिर का एक दृश्य |
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मंदिर प्रांगण का एक दृश्य |
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मंदिर प्रांगण का एक दृश्य |
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मंदिर में भक्तों द्वार बांधी गई घंटियाँ |
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मंदिर के सामने का एक दृश्य |
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मंदिर से दिखाई देता एक दृश्य |
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मंदिर से दिखाई देता एक दृश्य |
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रेस्ट हाउस में नाश्ता करते समय एक चित्र |
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रेस्ट हाउस में नाश्ता करते समय एक चित्र |
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रीसेप्शन के बाहर का एक दृश्य |
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रीसेप्शन के बाहर का एक दृश्य |
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होटल कर्मचारी के साथ एक चित्र |
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चलने की तैयारी |
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रानीखेत के माल रोड का एक दृश्य |
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रानीखेत के माल रोड का एक दृश्य |
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रानीखेत के माल रोड से दिखाई देता एक दृश्य |
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रानीखेत से बाहर निकलते हुए |
पिछली बार जब नैनीताल आए थे तो भीमताल-हल्द्वानी मार्ग पर सड़क निर्माण कार्य चल रहा था, हमें उम्मीद थी कि अब ये निर्माण कार्य पूरा हो गया होगा और इस मार्ग से जल्दी पहुँच जायेंगे ! इस बीच जब भुवाली से निकलकर भीमताल पहुंचे तो बच्चों ने झील देखकर नौकायान की जिद पकड़ ली, मैंने भी सोचा घंटे भर नौकायान का आनंद लेकर निकल जायेंगे ! मैंने गाडी भीमताल के नौका स्टैंड की ओर मोड़ दी, ये मार्ग भीमताल के मुख्य बाज़ार से होते हुए आगे नौकुचियाताल को चला जाता है ! झील के किनारे गाड़ी खड़ी करके हम भीमताल के नौका स्टैंड पहुंचे, क्या शानदार दृश्य था, झील के ऊपर से बहकर आती ठंडी हवा तन और मन को तरोताजा कर रही थी ! झील किनारे कुछ फोटो लेकर नौकायान के लिए गए तो पता चला कि यहाँ पेडल बोट का विकल्प नहीं था, जिसकी सवारी हम करना चाहते थे ! नौकुचियाताल में पेडल बोट की व्यवस्था रहती है, और वो यहाँ से ज्यादा दूर भी नहीं है, यही सोचकर गाड़ी लेकर हम आगे बढ़ गए ! नौकुचियाताल के बाजार से गुजरते हुए हमें हनुमान जी की विशाल प्रतिमा भी दिखाई दी, जिसके पास स्थित होटल स्प्रिंग बर्ड्स में हम अपनी पिछली यात्रा के दौरान रुके थे ! 10-15 मिनट बाद हम नौकुचियाताल के पार्किंग में खड़े थे, गाड़ी से उतरकर नौका स्टैंड पहुंचे, आज यहाँ अच्छी भीड़ थी, चारों तरफ स्कूल के छोटे बच्चे दिखाई दे रहे थे, जो अपने अध्यापकों संग पिकनिक पर आए थे !
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भीमताल का एक दृश्य |
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परिवार संग एक फोटो भीमताल के पास |
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नौकुचियाताल के किनारे नौका स्टैंड |
नौका स्टैंड पर पूछताछ की तो पता चला यहाँ भी पेडल बोट की व्यवस्था नहीं हो पाएगी, इसलिए एक शिकारा बोट में सवार होकर हम नौकायान के लिए चल दिए ! बच्चे नाव में बैठकर बहुत खुश थे, और जब आप सपरिवार यात्रा पर निकले हो तो बच्चों की खुशी से ज्यादा कुछ भी नहीं ! नाव की सवारी करते हुए परिवार संग अच्छा समय बिताया और खूब फोटो खींचे, झील का एक चक्कर लगाने के बाद बाहर आ गए ! पार्किंग से अपनी गाड़ी लेकर इस झील के किनारे बने सड़क मार्ग का एक चक्कर लगाया, झील के दूसरे किनारे एक अन्य नौका स्टैंड भी था, हालांकि, यहाँ भी कई नौकाएं खड़ी थी लेकिन नौकायान की सवारी नहीं कारवाई जा रही थी ! यहाँ से निकले तो साढ़े बारह बज चुके थे, 11 बजे हम यहाँ आए थे, इस तरह यहाँ घूमते हुए हमने डेढ़ घंटा बिताया ! यहाँ से चले तो भीमताल का चक्कर लगाते हुए हम हल्द्वानी जाने वाले मार्ग पर पहुँच गए, इस मार्ग पर भीमताल के पास अभी भी निर्माण कार्य चल रहा था इसलिए यातायात थोड़ा धीमा मिला ! लेकिन आगे बढ़ने पर हालात सामान्य थे, और जल्द ही हम हल्द्वानी पहुँच गए, यहाँ से निकलते हुए हमने गूगल मैप खोल लिया, जिसने छोटा रास्ता लेने के चक्कर में हमें खेतों के बीच से निकलते एक मार्ग पर भेज दिया ! एक बार तो लगा कि शायद वापिस लौटकर दोबारा हल्द्वानी-रुद्रपुर मार्ग पर जाना पड़ेगा, लेकिन थोड़ा आगे बढ़ने पर घूमते हुए ये मार्ग कालाढूँगी वाले मार्ग में जाकर मिल गया !
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हमारे नौका चालक |
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नौकायान की सवारी का आनंद लेते हुए |
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नौकायान की सवारी का आनंद लेते हुए |
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नौकुचियाताल के किनारे कुमाऊँ मण्डल का होटल |
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नौकुचियाताल के किनारे कुमाऊँ मण्डल का होटल |
ये रास्ता जिम कॉर्बेट पार्क के अंदर से होकर निकलता है, वन्य क्षेत्र होने के कारण जगह-2 बोर्ड लगे है "गाड़ी धीरे चलाएं", "इस मार्ग पर गाड़ी रोकना मना है", "मार्ग में खाने-पीने का सामान ना गिराएं" और भी ना जाने क्या-क्या ? वैसे जंगल के बीच से निकलते ऐसे मार्ग पर ये सावधानियाँ जरूरी भी है क्या पता कब किसी वन्य जीव से आमना-सामना हो जाए ! वैसे हमें तो इस मार्ग पर बंदर के अलावा दूसरा कोई जीव नहीं दिखा, वैसे बारिश में यहाँ खूब हरियाली होती होगी, फिलहाल तो अधिकतर पेड़ सूखे हुए थे ! हल्द्वानी से लगभग 15-16 किलोमीटर चलने के बाद हम एक तिराहे पर पहुंचे, यहाँ से दाएँ जाने वाला मार्ग खुरपटाल होते हुए नैनीताल को जाता है, रानीखेत जाते हुए हम इसी मार्ग से गए थे ! जबकि हमारी बाईं ओर सड़क किनारे जिम कॉर्बेट संग्रहालय था, और सीधे जाने वाला मार्ग काशीपुर को चला जाता है ! सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करके मैंने टिकट खिड़की पर जाकर पूछताछ की तो पता चला कि आज ये खुला है, बस फिर क्या था अब तो ये संग्रहालय देखना बनता ही था ! जिम कॉर्बेट संग्रहालय के बारे में मैंने अलग से एक पोस्ट लिखी है जिसे आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते है, फिलहाल अपना वापसी का सफर जारी रखते है !
कॉर्बेट वाटर फाल हम रानीखेत जाते हुए ही देख चुके थे इसलिए आज दोबारा उधर नहीं गए, हम लगभग एक घंटा संग्रहालय परिसर में रहे ! यहाँ से चले तो दोपहर के पौने तीन बज रहे थे, घर अभी भी यहाँ से लगभग 300 किलोमीटर दूर था सोचा 8 बजे तक पहुँच ही जाएंगे, लेकिन अगर सबकुछ हमारी सोच के हिसाब से चलता तो बात ही क्या थी ! संग्रहालय से चले तो हमें भूख नहीं लगी थी इसलिए हल्का-फुल्का जलपान करके अपना सफर जारी रखा ! जब हम काशीपुर से मुरादाबाद के बीच कहीं थे तो आंधी के साथ तेज बारिश शुरू हो गई, एक बार तो लगा कहीं रुक जाए लेकिन पता नहीं बारिश कब तक चलती रहे, इसलिए धीरे-2 आगे बढ़ते रहे ! मुरादाबाद में बारिश की रफ्तार धीमी हुई तो हमने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, सड़क पर यातायात कम था, बारिश भी मुरादाबाद से आगे 12-13 किलोमीटर तक जारी रही ! गजरौला तक बढ़िया रफ्तार से चलते रहे, बीच-2 में जहां भी टोल नाके आते, थोड़ा जाम मिलता, फिर हापुड़ तक रुक-2 कर ही चलना पड़ा, लेकिन पिलखुवा जाकर तो गाड़ी के पहिये एकदम थम गए ! इस मार्ग पर जगह-2 पुल निर्माण का कार्य चल रहा था इसलिए भयंकर जाम लगा हुआ था, लगभग डेढ़ घंटे इस जाम की भेंट चढ़ गए ! रात हो चुकी थी, जाम देखकर एक बार तो मन हुआ कि यहीं आस-पास कोई होटल लेकर रुक जाते है लेकिन जाम इतना भयंकर था कि लेन बदलने तक की जगह नहीं थी और फिर आस-पास कोई ढंग का होटल भी नहीं था जहां रुका जाए !
अब तो भूख भी लगने लगी थी लेकिन मजबूरी ऐसी कि आस-पास कोई होटल नहीं दिख रहा था, एक-दो होटल दिखे भी तो ऐसे जहां पहले से ही गाड़ियों की लंबी कतार लगी थी ! यहाँ गाड़ी खड़ी करने तक की जगह नहीं दिख रही थी, अब इस जाम में गाड़ी खड़ी करके तो खाना खाने जाने से रहे ! जैसे-तैसे इस जाम से निकले तो गाजियाबाद में एक पेट्रोल पम्प पर रुककर गाड़ी में पेट्रोल भरवाया और फिर नोएडा, दिल्ली होते हुए फरीदाबाद की तरफ चल पड़े ! नोएडा-दिल्ली में भी खूब जाम मिला, जब जाम वाले इलाकों से बाहर आए तो बदरपुर बॉर्डर के पास एक दुकान से खाने के लिए ऑमलेट बनवाए ! रात के 9 से ऊपर का समय हो गया था, गाड़ी में बैठे-2 बच्चे परेशान हो रहे थे और सोने लगे थे, इसलिए सोचा जो जल्दी मिल सके वो ही खा लेते है ! एक बार बदरपुर से चले तो आगे सारा मार्ग खाली मिला, जिससे घंटे भर में घर पहुँच गए, सुबह से गाड़ी चलाते हुए अच्छी थकान हो गई थी इसलिए कब नींद आई पता ही नहीं चला ! अगले दिन से फिर वही दिनचर्या शुरू हो गई, तो दोस्तों इसी के साथ रानीखेत का ये सफर खत्म होता है जल्द ही आपसे एक नई यात्रा में फिर से मुलाकात होगी !
क्यों जाएँ (Why to go): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो आपके नैनीताल और रानीखेत एक बढ़िया विकल्प है ! यहाँ से हिमालय की ऊँची-2 चोटियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है !
कब जाएँ (Best time to go): आप नैनीताल और रानीखेत साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में इन दोनों पर्वतीय नगरों का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है, गर्मियों के दिनों में भी यहाँ का मौसम बड़ा खुशगवार रहता है !
कैसे जाएँ (How to reach): दिल्ली से रानीखेत की दूरी महज 350 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 8-9 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से रानीखेत जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-कालाढूँगी-नैनीताल होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप काठगोदाम तक ट्रेन से भी जा सकते है, और उससे आगे का सफर बस या टैक्सी से कर सकते है ! काठगोदाम से रानीखेत महज 75 किलोमीटर दूर है, वैसे काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !
कहाँ रुके (Where to stay): नैनीताल और रानीखेत उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में आते है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 1000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! वैसे अगर आप रानीखेत में शांत जगह पर रुकने का मन बना रहे है तो कुमाऊँ मण्डल का टूरिस्ट रेस्ट हाउस सबसे बढ़िया विकल्प है क्योंकि ये शहर की भीड़-भाड़ से दूर घने पेड़ों के बीच में बना है !
क्या देखें (Places to see): नैनीताल और रानीखेत में घूमने की जगहों की कमी नहीं है जहां नैनीताल में देखने के लिए नैनी झील, नौकूचियाताल, भीमताल, सातताल, खुरपा ताल, नैना देवी मंदिर, चिड़ियाघर, नैना पीक, कैंची धाम, टिफिन टॉप, नैनीताल रोपवे, माल रोड, और ईको केव है वहीं रानीखेत में देखने के लिए झूला देवी मंदिर, चौबटिया गार्डन, कुमाऊँ रेजीमेंट म्यूजियम, मनकामेश्वर मंदिर, रानी झील, आशियाना पार्क, हेड़खान मंदिर, गोल्फ कोर्स प्रमुख है, इसके अलावा आप कटारमल सूर्य मंदिर भी जा सकते है जो रानीखेत से ज्यादा दूर नहीं है !
नैनीताल-रानीखेत यात्रा