लखनऊ का अंबेडकर पार्क - सामाजिक परिवर्तन स्थल (A Visit to Ambedkar Park, Lucknow)

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अपने पिछले लेख में मैने अंबेडकर पार्क का ज़िक्र किया था तो सोचा क्यों ना आपको ये पार्क भी घुमा ही दूँ ! अंबेडकर पार्क के बारे में अपनी इस लखनऊ यात्रा पर जाने से पहले मैने काफ़ी सुन रखा था, उम्मीद है कि आपने भी इस पार्क के बारे में सुन ही रखा होगा ! इस बार जब मैं लखनऊ पहुँचा तो मेरे पास समय भी था और मौका भी, इसलिए तय किया कि क्यों ना लगे हाथ इस पार्क को भी देख ही लिया जाए ! ना जाने अगली बार कब लखनऊ आना हो और अगली बार यहाँ आने पर पर्याप्त समय भी मिले या ना ! दरअसल, मैं लखनऊ काम के सिलसिले में तो आता ही रहता हूँ पर हर बार समय की कमी के कारण लखनऊ में घूमना नहीं हो पाता ! आज सुबह नहा धोकर तैयार होने के बाद मैं और उदय मोटरसाइकल पर सवार होकर अंबेडकर पार्क की ओर चल दिए ! घर से 15-20 मिनट का सफ़र तय करके हम दोनों पार्क के सामने पहुँच गए, पार्क के सामने वाली सड़क पर हमेशा वाहनों का आवागमन लगा ही रहता है ! इस पार्क तक आने के लिए बस की सुविधा भी है, पार्क के सामने एक विशाल पार्किंग स्थल है जहाँ आप अपने वाहन खड़े कर सकते है ! इसी पार्किंग स्थल में हमने अपनी मोटरसाइकल खड़ी की जिसका शुल्क 10 रुपए था और पार्क के प्रवेश स्थल की ओर चल दिए यहाँ सड़क पार करने के बाद पार्क के प्रथम द्वार से हमने अंदर प्रवेश किया !

ambedkar park, lucknow
अंबेडकर पार्क का एक दृश्य (A Glimpse of Ambedkar Park, Lucknow)

इस पार्क में अंदर जाने के लिए क्रमबद्ध तरीके से दो प्रवेश द्वार है, प्रथम द्वार से अंदर जाने पर आप एक खुले बरामदे में पहुँच जाओगे ! ये बरामदा बहुत बड़ा है और इसमें बहुत सारी कलाकृतियाँ बनी हुई है ! इस पार्क को बनाने में राजस्थानी पत्थर का बहुतायत प्रयोग किया गया है, फिर चाहे वो पार्क की चारदीवारी हो, प्रवेश द्वार पर बनी आकृतियाँ या अन्य कलाकृतियाँ ! पार्क के अंदर बना फर्श भी अव्वल दर्जे के संगमरमर से बना है जिसे देखकर लोग अक्सर कह ही देते है कि वाकई इस पार्क पार्क पर खूब खर्चा किया गया है ! पार्क का टिकट घर काफ़ी सुंदर है जो प्रथम द्वार से अंदर जाने पर आपकी बाईं ओर एकदम अंत में जाकर है, टिकट द्वार के पास पंक्ति में भी सुंदर पत्थर लगाए गए है ! प्रथम द्वार से अंदर जाते ही मैं पार्क में जाने का टिकट लेने के लिए टिकट खिड़की पर पहुँच गया, यहाँ का प्रवेश शुल्क मात्र 10 रुपए प्रति व्यक्ति है ! मैने दो टिकट खरीदे और बरामदे में चलता हुआ वापिस दूसरे प्रवेश द्वार पर आ गया ! पार्क के इस भाग से भी काफ़ी सुंदर दृश्य दिखाई देते है, जिस दौरान मैं टिकट ले रहा था उदय फोटो खींचने में लगा था ! 

वापिस आकर मैने भी इस हिस्से के कुछ फोटो अपने कैमरे में क़ैद किए ! सर्दी की सुबह होने के कारण इस समय मौसम में हल्की-2 ठंडक थी और थोड़ी धुन्ध भी थी, जिसकी झलक फोटो में भी दिखाई दे रही है ! दूसरे द्वार पर प्रवेश टिकट दिखाकर हमने अंदर प्रवेश किया, अपने साथ कैमरा अंदर ले जाने की अनुमति है और इसके लिए आपको अलग से कोई शुल्क भी नहीं देना होता ! ये प्रवेश द्वार काफ़ी सुंदर बना है और इसके ऊपर एक गुंबद भी है जो द्वार के विशाल होने का आभास कराता है ! छुट्टी का दिन होने के कारण आज इस पार्क में मुझे भीड़ होने की भी पूरी उम्मीद थी ! अभी तो यहाँ ज़्यादा लोग नहीं थे पर जैसे-2 दिन चढ़ता गया, पार्क में लोगों की संख्या भी बढ़ती गई ! यहाँ आने वाले लोगों में अधिकतर कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ थे, कुछ परिवार भी यहाँ आए हुए थे पर उनकी संख्या कम ही थी ! आगे बढ़ने से पहले इस पार्क के इतिहास के बारे में थोड़ी जानकारी दे देता हूँ ! 

लखनऊ के गोमती नगर में बने 107 एकड़ के इस पार्क की नींव सन 1995 में रखी गई थी जब पहली बार मायावती सत्ता में आई ! ये पार्क डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को समर्पित है और स्मृति चिन्ह के रूप में पार्क के अंदर उनकी प्रतिमा भी लगाई गई है ! शुरू में इस पार्क का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पार्क हुआ करता था ! फिर 1997 में पार्क का नाम बदल कर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मेमोरियल रख दिया गया और पार्क में निर्माण कार्य 2002 तक चलता रहा ! मायावती जब-2 सत्ता में आती, इस पार्क का निर्माण कार्य तेज हो जाता और उनके सत्ता से जाते ही निर्माण कार्य लगभग बंद हो जाता ! सन 1995 से 2003 तक वो छोटे-2 समय अंतराल के लिए 3 बार सत्ता में आई और पार्क का काम चलता-रुकता रहा ! फिर 2007 में मायावती के पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने के बाद इस पार्क के निर्माण कार्य ने तेज़ी पकड़ी और ये पार्क बनकर तैयार हो गया ! अगले साल सन 2008 में 14 अप्रैल के दिन इस पार्क को आम जनता के लिए खोल दिया गया ! पार्क का उद्घाटन उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने ही किया ! 

पार्क में बने मेमोरियल को बनाने के लिए अधिकतर लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग हुआ है जो राजस्थान से मँगवाए गए थे ! एक अनुमान के मुताबिक इस पार्क को बनाने में कुल 700 करोड़ रुपए खर्च हुए थे जो एक बहुत बड़ी रकम है ! समय-2 पर ये पार्क अलग-2 कारणों से चर्चा में भी रहा, जून 2009 में माननीय सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पार्क में किसी भी नए निर्माण पर रोक लग गई ! हालाँकि, बाद में दिसंबर 2010 में तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी को पार्क के रख-रखाव और निर्माण की अनुमति मिल गई ! सन 2012 में प्रदेश में नई सरकार आने के बाद कुछ असामाजिक तत्वों ने पार्क की कुछ मूर्तियों में तोड़फोड़ भी की, तोड़फोड़ करने वाले इन लोगों ने खुद को उत्तर प्रदेश नाव निर्माण सेना का सदस्य बताया ! काफ़ी दिनों तक ये मामला गरमाया रहा और बाद में इन टूटी हुई मूर्तियों को हटाकर नई मूर्तियाँ लगा दी गई ! देश भर से हर साल यहाँ हज़ारों लोग इस पार्क की भव्यता देखने आते है ! 

द्वितीए द्वार से अंदर जाने के बाद सामने खुला मैदान है जिसमें बीच-2 में कई कलाकृतियाँ और स्मारक बने हुए है ! मैने अपना कैमरा चालू किया और आस-पास के फोटो लेने शुरू कर दिए, यहाँ बाईं ओर रंग-बिरंगी फूल खिले हुए थे ! यहीं से एक मार्ग शौचालय तक भी जाता है, यहाँ के शौचालय भी साफ-सुथरे है और खुले भाग में बने है ! इनमें भी उच्च दर्जे के पत्थर और टाइलों का प्रयोग हुआ है, ऐसे पत्थर और टाइल जैसी शायद आम आदमी अपने घर में भी ना लगवा पाए ! खैर, फूलों की क्यारियों के पास ही एक गोल आकृति का पत्थर लगा है, जिसके चारों ओर बैठने की व्यवस्था थी ! थोड़ी देर हम दोनों ने यहाँ बैठकर सुबह की हल्की-2 धूप का आनंद भी लिया ! यहाँ से आगे बढ़े तो हमें अपनी बाईं ओर एक ऊँचा स्तंभ दिखाई दिया, इसका नाम है सामाजिक परिवर्तन स्तंभ ! इस स्तंभ के ऊपर अशोक चक्र से मिलता-जुलता एक चक्र और उसके चारों और हाथी बने है ! स्तंभ एक चबूतरे पर बना हुआ है और बहुत ऊँचा और बड़ा है, हमने इस स्तंभ के आस-पास भी कुछ फोटो खींचे !


स्तंभ से आगे बढ़े तो सामने हमें अंबेडकर स्तूप दिखाई दिया, यहाँ गुंबद के आकार में बने दो स्तूप है ! दोनों स्तूप ऊँचाई पर बने है और अंदर से आपस में जुड़े हुए है ! स्तूप तक जाने के लिए सीढ़ियाँ भी बनी है और इस मार्ग के किनारे पत्थर के कुछ छोटे हाथी बने हुए है ! मार्ग के आस-पास की फोटो खींचते हुए हम स्तूप की ओर बढ़ते रहे, स्तूप के सामने एक बगीचा भी है जिसमें सफेद संगमरमर के गोल छोटे-2 पत्थर रखे हुए है और बीच-2 में खूबसूरत पेड़-पौधे भी लगाए गए है ! सीढ़ियों पर चढ़कर बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देता है ! स्तूप के अंदर जाने का एक विशाल द्वार है, इसी द्वार से हम दोनों ने जब अंदर प्रवेश किया तो गुंबद के भीतरी भाग को देखकर आँखें खुली रह गई ! पता नहीं, गुंबद की छत लकड़ी की बनी है या इसपर किसी धातु की परत चढ़ाई गई है, लेकिन ये वाकई में काफ़ी सुंदर है ! यहाँ डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, छत्रपति साहूजी महाराज, ज्योतिबा फूले, काशीराम, और मायावती की प्रतिमाएँ लगी है ! अधिकतर प्रतिमाएँ सफेद पत्थर की बनी है और प्रतिमाओं के नीचे ही व्यक्तिगत जानकारी भी दी गई है !


दोनों स्तूप अंदर से एक जैसे लगते है, वैसे आजकल साफ-सफाई के अभाव में मूर्तियों पर काफ़ी धूल जम गई है ! हमने पहले स्तूप से अंदर प्रवेश किया और घूमते हुए दूसरे स्तूप से बाहर आ गए ! बाहर आने के बाद हम थोड़ी आगे बढ़े तो देखा कि चबूतरे पर ही एक जगह सभा को संबोधित करने के लिए भी स्थान दिया गया है ! जबकि यहाँ से नीचे आने के लिए खूब चौड़ी-2 सीढ़ियाँ बनी हुई है, चबूतरे से नीचे देखने पर सामने दोनों तरफ क्रमबद्ध तरीके से दूर तक दिखाई देते पत्थर के हाथी बहुत सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते है ! इन्हें देखकर मुझे महाभारत के युद्ध से पहले का वो दृश्य याद आ गया जिसमें दोनों ओर की सेनाएँ आमने-सामने खड़ी होती है, यहाँ भी कुछ वैसा ही नज़ारा दिखाई दे रहा था ! यहाँ से कुछ फोटो खींचने के बाद हम दोनों सीढ़ियों से उतरकर नीचे आ गए और दोनों ओर के हाथियों के मध्य से होते हुए काफ़ी दूर तक चलते रहे ! पार्क की देख-रेख और साफ-सफाई के लिए आज भी यहाँ सैकड़ों कर्मचारी लगे हुए है, जो हमेशा यहाँ घूमते रहते है ! चलते हुए जब हम पार्क के दूसरे कोने पर पहुँच गए तो यहाँ भी हमें कुछ स्मारक देखने को मिले !

वैसे इस समय पार्क में लोगों की भीड़ भी बढ़ गई थी, ये आभास हमें यहाँ मौजूद ऊँची इमारत पर लोगों को देखकर हुआ ! ये पार्क खूब लंबा-चौड़ा है और बगीचे को छोड़ कर पूरे पार्क में ही पक्का फर्श बना हुआ है ! जब चलते-2 हमारे पैर दुखने लगे और गर्मी भी होने लगी तो दोनों ने एक जगह रुक कर थोड़ी देर आराम किया ! सुबह जब पार्क में आए थे तो यहाँ ठंड थी लेकिन लगातार चलने और धूप निकल जाने के कारण अब गर्मी लगने लगी थी ! आराम करके उठे तो पार्क से इस भाग में एक ऊँची इमारत पर पहुँच गए, यहाँ से पूरे पार्क का खूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है ! यहाँ काफ़ी लोग आए हुए थे और सभी फोटो खींचने में लगे थे, थोड़ी देर हम भी यहाँ फोटो खींचने के बाद नीचे की ओर चल दिए ! प्रवेश द्वार से ही बाहर निकलकर दोनों पार्किंग स्थल की में गए, यहाँ से अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर हम फिर से लखनऊ की सड़कों पर अपने अगले पड़ाव की ओर चल दिए !

ambedkar park entrance
पार्क का दूसरा प्रवेश द्वार (Second Entrance of Ambedkar Park, Lucknow)
ambedkar park monument
टिकट खिड़की के सामने बनी एक कलाकृति
ambedkar park ticket
अंबेडकर पार्क का टिकट घर (Ticket Counter of Ambedkar Park)
ambedkar park ticket
पार्क का प्रवेश टिकट (Entry Pass to Ambedkar Park)
ambedkar park pillar
प्रवेश द्वार के पास बने स्तंभ
ambedkar park monument
पार्क परिसर में बनी एक कलाकृति
view from ambedkar park
पार्क परिसर में लिया एक चित्र
parivartan stambh
पीछे दिखाई दे रहा है सामाजिक परिवर्तन स्तंभ
parivartan stambh
सामाजिक परिवर्तन स्तंभ के साथ उदय
walk in ambedkar park
स्तूप की ओर जाने का मार्ग
a walk in ambedkar park
पार्क परिसर में लिया एक चित्र
ambedkar park monument
पार्क परिसर में बनी एक कलाकृति
ambedkar park monument
स्तूप जाते हुए लिया एक चित्र
ambedkar park statue
छोटे हाथियों का एक समूह
ambedkar park monument
पार्क परिसर में बनी एक कलाकृति
statue in ambedkar park
नन्हा हाथी
stoop in ambedkar park
इसी स्तूप में स्मृति चिन्ह रखे गए है
ambedkar park stairs
स्तूप तक जाने की सीढ़ियाँ
lawn in ambedkar park
स्तूप के सामने लगे सुंदर पेड़-पौधे
ambedkar park
इसी स्तूप में स्मृति चिन्ह रखे गए है
a view from ambedkar park
चबूतरे से दिखाई देता एक दृश्य
inside ambedkar park
गुंबद के भीतरी छत
pillars in ambedkar park
चबूतरे से दिखाई देता एक दृश्य
elephants in ambedkar park
चबूतरे से दिखाई देता एक दृश्य
ambedkar park stage
चबूतरे तक जाने की सीढ़ियाँ
a view of ambedkar park
दूर से दिखाई देता चबूतरा
a view of ambedkar park
राह में लिया एक और चित्र
राह में लिया एक और चित्र
पार्क परिसर का एक दृश्य
ऊँची इमारत का एक दृश्य
top view of ambedkar park
ऊँची इमारत से दिखाई देता एक दृश्य
क्यों जाएँ (Why to go Lucknow): वैसे नवाबों का शहर लखनऊ किसी पहचान का मोहताज नहीं है, इस शहर के बारे में वैसे तो आपने भी सुन ही रखा होगा ! अगर आप प्राचीन इमारतें जैसे इमामबाड़े, भूल-भुलैया, अंबेडकर पार्क, या फिर जनेश्वर मिश्र पार्क घूमने के साथ-2 लखनवी टुंडे कबाब और अन्य शाही व्यंजनों का स्वाद लेना चाहते है तो बेझिझक लखनऊ चले आइए !

कब जाएँ (Best time to go Lucknow
): आप साल के किसी भी महीने में लखनऊ जा सकते है ! गर्मियों के महीनों यहाँ भी खूब गर्मी पड़ती है जबकि दिसंबर-जनवरी के महीने में यहाँ बढ़िया ठंड रहती है !

कैसे जाएँ (How to reach Lucknow): 
दिल्ली से लखनऊ जाने का सबसे बढ़िया और सस्ता साधन भारतीय रेल है दिल्ली से दिनभर लखनऊ के लिए ट्रेनें चलती रहती है किसी भी रात्रि ट्रेन से 8-9 घंटे का सफ़र करके आप प्रात: आराम से लखनऊ पहुँच सकते है ! दिल्ली से लखनऊ जाने का सड़क मार्ग भी शानदार बना है 550 किलोमीटर की इस दूरी को तय करने में भी आपको 7-8 घंटे का समय लग जाएगा !

कहाँ रुके (Where to stay in Lucknow): लखनऊ एक पर्यटन स्थल है इसलिए यहाँ रुकने के लिए होटलों की कमी नहीं है आप अपनी सुविधा के अनुसार चारबाग रेलवे स्टेशन के आस-पास या शहर के अन्य इलाक़ों में स्थित किसी भी होटक में रुक सकते है ! आपको 500 रुपए से शुरू होकर 4000 रुपए तक के होटल मिल जाएँगे !


क्या देखें (Places to see in Lucknow
): लखनऊ में घूमने के लिए बहुत जगहें है जिनमें से छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा, भूल-भुलैया, आसिफी मस्जिद, शाही बावली, रूमी दरवाजा, हुसैनबाद क्लॉक टॉवर, रेजीडेंसी, कौड़िया घाट, शादत अली ख़ान का मकबरा, अंबेडकर पार्क, जनेश्वर मिश्र पार्क, कुकरेल वन और अमीनाबाद प्रमुख है ! इसके अलावा भी लखनऊ में घूमने की बहुत जगहें है 2-3 दिन में आप इन सभी जगहों को देख सकते है !

क्या खरीदे (Things to buy from Lucknow): लखनऊ घूमने आए है तो यादगार के तौर पर भी कुछ ना कुछ ले जाने का मन होगा ! खरीददारी के लिए भी लखनऊ एक बढ़िया शहर है लखनवी कुर्ते और सूट अपने चिकन वर्क के लिए दुनिया भर में मशहूर है ! खाने-पीने के लिए आप अमीनाबाद बाज़ार का रुख़ कर सकते है, यहाँ के टुंडे कबाब का स्वाद आपको ज़िंदगी भर याद रहेगा ! लखनऊ की गुलाब रेवड़ी भी काफ़ी प्रसिद्ध है, रेलवे स्टेशन के बाहर दुकानों पर ये आसानी से मिल जाएगी !

अगले भाग में जारी...

लखनऊ यात्रा
  1. लखनऊ की ट्रेन यात्रा (Train Journey to Lucknow)
  2. लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा और भूल-भुलैया (A visit to Bada Imambada and Bhool Bhullaiya)
  3. लखनऊ की शानदार शाही बावली और छोटा इमामबाड़ा (A visit to Shahi Baoli and Chota Imambara)
  4. खूबसूरत रूमी दरवाजा और हुसैनाबाद क्लॉक टावर (History of Rumi Darwaja and Husainabad Clock Tower)
  5. लखनऊ की रेजीडेंसी में बिताई एक शाम (An Evening in the Residency, Lucknow)
  6. गोमती नदी के कुड़ीया घाट की सैर (Kudiya Ghaat of Gomti River, Lucknow)
  7. लखनऊ के अलीगंज का प्राचीन हनुमान मंदिर (Ancient Temple of Lord Hanuman in Aliganj, Lucknow)
  8. नवाब शादत अली ख़ान और बेगम मुर्शीदज़ादी का मकबरा (Tomb of Saadat Ali Khan and Begam Murshid Zadi)
  9. लखनऊ का खूबसूरत जनेश्वर मिश्र पार्क (The Beauty of Janeshwar Mishr Park, Lucknow)
  10. लखनऊ का अंबेडकर पार्क - सामाजिक परिवर्तन स्थल (A Visit to Ambedkar Park, Lucknow)
  11. लखनऊ का कुकरैल वन - घड़ियाल पुनर्वास केंद्र (Kukrail Reserve Forest – A Picnic Spot in Lucknow)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

2 Comments

  1. Replies
    1. जी उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद !

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