देहरादून का टपकेश्वर महादेव मंदिर और रॉबर्स केव (गुच्चुपानी) – Robbers Cave and Tapkeshwar Mahadev Temple of Dehradun

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017 

हमारा मसूरी जाने का विचार एकदम से ही बना था, दरअसल, हुआ कुछ यूँ कि पिछले महीने ऋषिकेश जाने से पहले मेरा विचार एक पारिवारिक यात्रा पर जाने का ही था लेकिन जब शौर्य की परिक्षाएँ ख़त्म होने के बाद स्कूल शुरू हो गए तो पारिवारिक यात्रा ख़तरे में पड़ गई ! इस बीच मुझे कुछ दोस्तों के ऋषिकेश जाने के बारे में पता चला तो आनन-फानन में मैं भी उनके साथ घूमने के लिए ऋषिकेश निकल गया ! ऋषिकेश से आए हुए तीन सप्ताह भी नहीं बीते थे कि एकाएक इस यात्रा का संयोग बन पड़ा, इस तीन दिवसीय यात्रा में हम देहरादून, मसूरी, धनोल्टी, चम्बा और ऋषिकेश होते हुए हरिद्वार आने वाले थे ! मसूरी और धनोल्टी तो मैं पहले भी जा चुका हूँ, लेकिन परिवार के साथ इन जगहों पर पहली बार ही जाना हो रहा था ! इस यात्रा में घूमने वाली अधिकतर जगहें मैं पहले से देख चुका था इसलिए यात्रा में कुछ नयापन लाने के लिए मेरा विचार कुछ नई जगहें तलाशना था ! आगरा में रहने वाले मेरे एक मित्र रितेश गुप्ता पिछले वर्ष चकराता गए थे, बातचीत के दौरान उन्होनें देहरादून में घूमने की कुछ जगहों का ज़िक्र किया तो मैने भी इन जगहों को अपनी यात्रा में शामिल कर लिया !
टपकेश्वर महादेव मंदिर का प्रवेश द्वार
इन जगहों में देहरादून स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर (Tapkeshwar Mahadev Temple, Dehradun) और रॉबर्स केव (Robers Cave, Guchhupani) प्रमुख था, कुछ जानकारी मैने इंटरनेट से भी ढूँढ ली ! निर्धारित दिन यानि 21 अप्रैल को सुबह समय से तैयार होकर हम 5 बजे इस यात्रा के लिए घर से निकल पड़े ! घंटे भर में फरीदाबाद पार करते हुए दिल्ली जा पहुँचे, रास्ते में एक जगह रुककर गाड़ी की टंकी फुल करवा ली ! दिल्ली से कलिन्दि कुंज बैराज को पार करके नोयडा में दाखिल हुए, नोयडा आए हुए मुझे काफ़ी समय हो गया था अब कई नए फ्लाइओवर और अंडरपास बन चुके है ! कुल मिलाकर पिछले 2-3 साल में यहाँ काफ़ी बदलाव हो गया है, एक-दो जगह निर्माण कार्य की वजह से रास्ता भी बंद मिला लेकिन घूम-फिर कर सही राह पकड़ ही ली ! नोयडा से निकले तो राजनगर एक्सटेंशन होते हुए दिल्ली-हरिद्वार राजमार्ग पर जा मिले ! मुरादनगर में रुककर एक दुकान से खाने-पीने का कुछ सामान लेने के बाद आगे बढ़े ! 8 बजे तक मेरठ पार हो गया, 9 बजे तक मुज़फ़्फ़रनगर और साढ़े नौ बजे हम उत्तर प्रदेश से निकलकर उत्तराखंड में प्रवेश कर चुके थे !


टपकेश्वर महादेव मंदिर का प्रवेश द्वार




गुरुकुल-नरसन मार्ग का एक दृश्य 
अक्सर उत्तराखंड में जाते ही बढ़िया सड़क देख कर मुझे अंदाज़ा हो जाता था कि उत्तर प्रदेश को छोड़कर उत्तराखंड में आ चुके है ! लेकिन पिछले कुछ समय में उत्तर प्रदेश की सडकों को इतनी तेज़ी से सुधारा गया है कि कम से कम सड़क देख कर तो ये अंदाज़ा नहीं लगा सकते ! उत्तराखंड में जाते ही थोड़ी देर बाद हम मुख्य मार्ग को छोड़कर अपनी बाईं ओर जा रहे गुरुकुल-नरसन मार्ग पर हो लिए ! ये एकल मार्ग था और सड़क के दोनों ओर खेत ही खेत थे, बीच-2 में सड़क किनारे कुछ गाँव भी थे, कुछ दूर जाने पर सड़क किनारे जगह-2 घरों में गुड बनाने का काम चल रहा था ! घर के बाहर गन्नों के ढेर लगे हुए थे, धुआँ भी निकल रहा था और सारा वातावरण चीनी मिल के पास से आनी वाली तीव्र गंध से सुगंधित हो रखा था ! गाड़ी में बैठे बाकि सदस्यों को जब इस महक से परेशानी होने लगी तो गाड़ी के शीशे बंद करने पड़े ! इस मार्ग पर 25 किलोमीटर चलने के बाद एक गाँव पड़ा इक़बालपुरा, यहाँ एक रेलवे फाटक है, नज़दीकी रेलवे स्टेशन है इकबालपुरा वेस्ट (Ikbalpura West) ! 

फाटक पार किया तो पुरानी यादें ताज़ा होने लगी, मैं इस मार्ग से पहले भी आ चुका था, अगस्त 2011 में की गई पिछली धनोल्टी यात्रा के दौरान भी हम इसी मार्ग से आए थे ! इस फाटक पर लगे जाम में आधे घंटे खड़े भी रहे थे, वैसे आज हमें यहाँ कोई जाम नहीं मिला ! रेलवे लाइन पार करके थोड़ी दूर चलने के बाद हम रूड़की-देहरादून मार्ग पर जा मिले, ये मार्ग छुटमुलपुर होता हुआ देहरादून को चला जाता है ! जिस तिराहे पर आकर हम इस मार्ग पर मिले वहाँ से छुटमुलपुर की दूरी मात्र 16 किलोमीटर रह जाती है ! ये काफ़ी व्यस्त मार्ग है, एक तो एकल मार्ग और दूसरा शहर की भीड़-भाड़, इस मार्ग पर हमें काफ़ी समय लग गया ! अब तक दोनों बच्चे सो रहे थे, इस मार्ग पर चलते हुए वो दोनों भी जाग गए, भूख तो काफ़ी देर से लगी थी लेकिन बच्चों को जगाना ठीक नहीं लगा था, इसलिए भूख रोककर बैठे थे ! फिर छुटमुलपुर से 3 किलोमीटर पहले क्वांटम ग्लोबल स्कूल के सामने एक ठीक सा ढाबा दिखा तो गाड़ी रोक दी ! यहाँ अक्वेरियम (Aquarium) में रखी रंग-बिरंगी मछलियों को देखकर शौर्य काफ़ी देर तक खेलता रहा, इस दौरान हम सबने खाना भी खा लिया !
ढाबे पर रखे अक्वेरियम का एक दृश्य
घंटे भर में खाना खाकर फारिक हुए तो यहाँ से आगे बढ़े, छुटमुलपुर पहुँचे तो हम उत्तराखंड से निकलकर एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर चुके थे ! यहाँ से देहरादून 45 किलोमीटर रह जाता है, इस मार्ग पर काफ़ी दूर तक हम उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश की सीमा के साथ-2 चलते रहे ! कुछ दूर जाने पर घना जंगल शुरू हो जाता है, अप्रैल का महीना था तो अधिकतर पेड़ों से पत्ते नदारद थे ! बारिश के मौसम में इस जंगल में बढ़िया हरियाली रहती है लेकिन इस समय तो उजाड़ सा ही लग रहा था ! बहुत ज़्यादा बढ़िया दृश्य नहीं दिखाई दे रहे थे इसलिए रुककर फोटो भी नहीं ली ! खैर, थोड़ी देर में हम जंगल से निकलकर मैदानी इलाक़े में पहुँच गए ! सड़क किनारे जगह-2 हमें बंदरों के झुंड दिखाई दे रहे थे, शौर्य इन बंदरों को देखकर बड़ा खुश था ! देहरादून शहर में प्रवेश करते ही भयंकर गर्मी ने हमारा स्वागत किया, तापमान यहाँ भी हमारे मैदानी इलाक़ों जैसा ही था ! हम मुख्य शहर में ना जाकर शहर के बाहर ही बाहर टपकेश्वर महादेव के मंदिर की ओर निकल पड़े ! 

बल्लूपुर पार करने के बाद मिलिट्री कॉलेज होते हुए बाएँ मुड़कर हम टपकेश्वर मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर पहुँच गए ! ये मंदिर एक रिहायशी इलाक़े में है, मंदिर के पास एक बड़ा पार्किंग स्थल भी है, 20 रुपए का पार्किंग शुल्क अदा करके हमने गाड़ी खड़ी की ! गाड़ी से बाहर उतरते ही यहाँ भी भयंकर गर्मी का एहसास हुआ ! पार्किंग के सामने ही कुछ दुकानें है जहाँ प्रसाद और पूजा की अन्य सामग्री मिलती है, बगल से ही नीचे की ओर जाती सीढ़ियाँ मंदिर के मुख्य भवन की ओर जाती है ! पार्किंग स्थल के सामने एक बड़े पेड़ के नीचे एक-दो फेरी वाले खाने-पीने का सामान भी बेच रहे थे, प्रसाद की थाली लेकर हम मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर चल दिए ! ये मंदिर मुख्य मार्ग से काफ़ी नीचाई पर आसन नदी के किनारे बना है, हालाँकि, नदी बहुत गहरी तो नहीं है लेकिन मेरा अनुमान था कि बारिश के मौसम में इसमें ठीक-ठाक पानी रहता होगा ! मंदिर के मुख्य भवन तक जाने के लिए पत्थर की सीढ़ियाँ बनी है ! भगवान शिव को समर्पित ये मंदिर बहुत ही प्राचीन है, मंदिर के मुख्य भवन में एक प्राकृतिक गुफा के अंदर शिवलिंग स्थापित है !
मंदिर के बाहर पार्किंग का एक दृश्य




इस गुफा की छत से शिवलिंग पर लगातार जल गिरता रहता है जिसके कारण इस मंदिर का नाम टपकेश्वर महादेव पड़ा ! मंदिर के पुजारी ने बताया कि गुरु द्रोणाचार्य ने इस गुफा में रहकर कभी तपस्या की थी, इसलिए इस गुफा को द्रोण गुफा के नाम से भी जाना जाता है ! मंदिर के पास सल्फर युक्त पानी की धारा भी बहती है जिसमें इस मंदिर में आने वाले श्रधालु दर्शन करने से पहले स्नान करते है ! शिवरात्रि के समय यहाँ बहुत बड़ा उत्सव भी मनाया जाता है जिसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से हज़ारों श्रधालु आते है ! सीढ़ियों से उतरकर हम एक बरामदे में पहुँच गए, यहाँ बरामदे में एक रमणीक प्रवेश द्वार बना है जिसमें से होकर सभी श्रधालु मंदिर के मुख्य भवन में प्रवेश करते है ! प्रवेश द्वार से होते हुए हम भी गुफा में दाखिल हुए, गुफा की ऊँचाई काफ़ी कम है इसलिए अंदर झुककर चलना पड़ता है ! गुफा में भगवान शंकर के अलावा भी अन्य कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ लगी है ! इस समय यहाँ बहुत ज़्यादा भीड़ नहीं थी इसलिए आराम से दर्शन किए !



मंदिर के अंदर का एक दृश्य
मंदिर के अंदर का एक दृश्य

टपकेश्वर महादेव मंदिर का प्रवेश द्वार
शिवलिंग से आगे जाने पर एक अन्य कक्ष है, जहाँ एक पुजारी बैठे थे उन्होनें ही हमें इस मंदिर से संबंधित आवश्यक जानकारी दी ! मंदिर में दर्शन करके कुछ समय बिताने के बाद हमने मंदिर के पिछले भाग में एक चक्कर लगाया और बाहर जाने वाले मार्ग पर चल दिए ! पार्किंग से अपनी गाड़ी ली और अपने अगले पड़ाव रॉबर्स केव की ओर चल दिए, जोकि यहाँ से ज़्यादा दूर नहीं था ! रॉबर्स केव, टपकेश्वर महादेव मंदिर से 7 किलोमीटर जबकि देहरादून से 9 किलोमीटर दूर है ! स्थानीय लोग इस गुफा को गुच्चुपानी के नाम से भी जानते है ! कहते है ब्रिटिश काल में लुटेरे चोरी करने के बाद इसी गुफा में आकर छुपा करते थे और चोरी के माल का बँटवारा भी यहीं करते थे ! इसलिए इस जगह को रॉबर्स केव के नाम से जाना जाने लगा ! 15-20 मिनट का सफ़र तय करके हम रॉबर्स केव के सामने वाली पार्किंग में पहुँचे, यहाँ 30 रुपए पार्किंग शुल्क अदा करके अपनी गाड़ी खड़ी की और गुफा की ओर जाने वाले मार्ग पर चल दिए ! पार्किंग स्थल के पास ही कुछ लोग चप्पल किराए पर दे रहे थे, 25 रुपए प्रति जोड़ा ! 

बड़ा अच्छा व्यवसाय है, क्योंकि झरने तक जाने वाले मार्ग पर 2 से ढाई फीट तक पानी बहता है अब यहाँ आने वाले अधिकतर लोग तो चप्पल पहनकर आते नहीं है किराए पर चप्पल लेना उनकी मजबूरी बन जाता है ! दिन भर में यहाँ हज़ारों लोग आ जाते है अब हज़ार जोड़ी को 25 से गुणा करके देख लीजिए कि इन किराए पर चप्पल देने वालों की प्रतिदिन की आमदनी कितनी होगी ! एक बार की लागत है और महीनों कमाएँगे ! खैर, मैं तो यात्रा पर 2 जोड़ी चप्पल लेकर ही चला था, मेरे कारण इन लोगों को 50 रुपए का तो नुकसान हो ही गया ! पार्किंग से थोड़ी दूर चलने के बाद ही हम गुफा के प्रवेश द्वार पर पहुँच गए, गुफा की ओर जाने वाले मार्ग पर कुछ रेस्टोरेंट भी है जहाँ ख़ान-पान का सामान मिलता है ! 600 मीटर लंबी इस गुफा में छोटे-बड़े कई झरने है, गुफा में स्थित सबसे बड़े झरने का पानी 10 मीटर की ऊँचाई से गिरता है ! बच्चों को गोदी में लेकर हम गुफा में काफ़ी अंदर तक गए, मेरा मन यहाँ कुछ समय बैठने का भी था लेकिन बच्चे परेशान करने लगे तो हमें वापिस आना ही सही लगा !
रॉबेर्स केव गुफा जाने का मार्ग
गुफा का प्रवेश द्वार




गुफा में चलते हुए हमने कई फोटो खींचे, यहाँ अधिकतर जोड़े ही घूमते हुए दिखाई दिए, हालाँकि, परिवार संग आए हुए लोग भी थे लेकिन उनकी संख्या काफ़ी कम थी ! गुफा में बहते हुए पानी की आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी, गुफा में पहाड़ी के बीच से आ रही रोशनी की वजह से पर्याप्त उजाला भी था ! अगर चाहे तो यहाँ घंटो बैठ कर समय बिताया जा सकता है लेकिन बच्चे साथ होने के कारण समय को लेकर कुछ बंदिशे भी थी ! आधा घंटा गुफा में बिताने के बाद हम बाहर आ गए, रास्ते में एक फेरी वाले से खाने के लिए भेल लिए जिसे खाते हुए हम पार्किंग स्थल पर पहुँचे ! यहाँ एक अन्य फेरी वाले से आइसक्रीम खाए, कुल मिलाकर बच्चों के साथ यहाँ अच्छा समय व्यतीत हुआ ! काफ़ी देर तक झरने के ठंडे पानी में चलने के कारण सफ़र की थकान भी काफ़ी हद तक दूर हो गई ! थोड़ी देर बाद अपनी गाड़ी लेकर यहाँ से मसूरी के लिए प्रस्थान किया जिसका वर्णन मैं यात्रा के अगले लेख में करूँगा !


क्यों जाएँ (Why to go Dehradun): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर सुकून के कुछ पल बिताना चाहते है तो उत्तराखंड में स्थित देहरादून का रुख़ कर सकते है ! यहाँ घूमने के लिए कई मशहूर जगहें है जिसे आप साप्ताहिक अवकाश पर बड़ी आसानी से घूम सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Dehradun): वैसे तो आप देहरादून 
साल के किसी भी महीने में जा सकते है, लेकिन अगर ठण्ड के मौसम में जायेंगे तो बेहतर होगा क्योंकि गर्मियों में यहाँ भी मैदानी इलाकों की तरह अच्छी-खासी गर्मी पड़ती है !

कैसे जाएँ (How to reach Dehradun): दिल्ली से देहरादून की दूरी महज 250 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 4-5 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से देहरादून जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मेरठ-मुज़फ़्फ़रनगर होकर है ! दिल्ली से रुड़की तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है, रुड़की से छुटमलपुर तक एकल मार्ग है जहाँ थोड़ा जाम मिल जाता है ! फिर छुटमलपुर से देहरादून बढ़िया मार्ग बना है ! आप देहरादून ट्रेन से भी जा सकते है, दिल्ली के अलावा देश के कुछ अन्य शहरों से भी देहरादून रेल मार्ग से जुड़ा है !

कहाँ रुके (Where to stay in Dehradun): देहरादून उत्तराखंड का एक प्रमुख शहर है इसलिए यहाँ रुकने के लिए बहुत विकल्प है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 3000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! सप्ताह के अंत में और ख़ासकर मई-जून में तो यहाँ अच्छी-खासी भीड़ रहती है इसलिए इस समय कोशिश करें कि अग्रिम आरक्षण करवा कर ही आए !

कहाँ खाएँ (Eating option in Dehradun): देहरादून में खूब अच्छे बाज़ार है जहाँ आपको 
अपने स्वाद अनुसार खाने-पीने का हर सामान मिल जाएगा !

क्या देखें (Places to see in Dehradun): देहरादून 
और इसके आस-पास घूमने की कई जगहें है जिसमें से गुच्चु पानी, रोबर्स केव, टपकेश्वर महादेव मंदिर, आसन बैराज, बुद्धा टेम्पल, सहस्त्रधारा, और राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के अलावा कुछ अन्य दर्शनीय स्थल भी है !

अगले भाग में जारी...

देहरादून-मसूरी यात्रा
  1. देहरादून का टपकेश्वर महादेव मंदिर और रॉबर्स केव (गुच्चुपानी) (Robbers Cave and Tapkeshwar Mahadev Temple of Dehradun)
  2. उत्तराखंड का एक खूबसूरत शहर मसूरी (Mussoorie, A Beautiful City of Uttrakhand)
  3. मसूरी से चंबा होते हुए ऋषिकेश यात्रा (A Road Trip from Mussoorie to Rishikesh)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

12 Comments

  1. 1993 में पहली बार ये दोनों स्थल देखने का मौका मिला था।

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    1. बहुत बढ़िया संदीप भाई, तब तो मैं बहुत छोटा था मात्र 9 वर्ष का !

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  2. बहुत बढ़िया प्रदीप जी। गुच्चुपानी मैं सितम्बर 2016 में यहाँ गया था तब चप्पल 10 रुपए में मिलती थी।... टपकेश्वर महादेव के मंदिर जाना बाकि है।

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    1. धन्यवाद गौरव जी,
      एक साल में ही इतनी तरक्की कर ली इन लोगों ने तो !

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  3. सुंदर लेख प्रदीप जी |

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  4. अतिसुंदर प्रदीप भाई👍👍👍👍

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    1. उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद नीतेश भाई !

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  5. Thanks for explaining about Robbers Cave and Tapkeshwar Mahadev Temple of Dehradun.

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  6. Kya 50 siter bus ja skti hai or ager ja skti hai to mandir se kitni duri pr ruk jati hai

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    1. जी बिल्कुल जा सकती है, मंदिर से बमुश्किल 100 मीटर की दूरी पर बड़ा पार्किंग स्थल है !

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