शिमला में देखने योग्य मुख्य स्थल (Local Sightseen in Shimla)

रविवार, 5 जून 2016

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इस यात्रा के पिछले लेख में आपने चैल और कुफरी के बारे में पढ़ा, जब हम शिमला पहुँचे तो शाम होने वाली थी, गाड़ी पार्किंग में खड़ी करके हम एक होटल में आकर रुके ! थोड़ी देर आराम करने के बाद हम सब माल रोड पर घूमने निकल पड़े ! पिछली शिमला यात्रा के दौरान मैं माल रोड पर बहुत ज़्यादा नहीं घूमा था, आज मौका मिला तो माल रोड के कई चक्कर काटे ! अब भूख भी लगने लगी थी, दोपहर में कुफरी में मैगी ही खाने को मिली थी ! यहाँ शिमला में माल रोड के नज़दीक रिज के मैदान के पास एक मशहूर रेस्टोरेंट है गुफा, सोचा आज हम भी देख लेते है, अब तक कई मित्रों से इस रेस्टोरेंट के बारे में सुन रखा था ! आज जाकर पता चला, वाकई शानदार जगह है, अगर आप शिमला घूमने आ रहे है तो इस रेस्टोरेंट में ज़रूर जाइए ! रेस्टोरेंट के अलावा यहाँ बार भी है, मतलब खाने-पीने का पूरा इंतज़ाम है ! गोलाकार आकृति में बने इस रेस्टोरेंट में बैठने के लिए सोफे भी लगे है, हम भी एक बढ़िया सा सोफा देखकर बैठ गए ! ऑर्डर देने के थोड़ी देर बाद ही हमारा खाना परोस दिया गया, खाना लाजवाब बना था, सबने खूब खाया !
रात में दिखाई देता शिमला का चर्च

यहाँ से फारिक होकर हम माल रोड पर घूमने निकल पड़े, रिज के मैदान के पास ही शिमला का क्राइस्ट चर्च है, यहाँ भी हमने कुछ समय बिताया ! घूमते-घामते घर-परिवार के लिए थोड़ी खरीददारी की ! अब तक दुकानें बंद होने लगी थी, माल रोड पर 9 बजे दुकान बंद होते देख थोड़ा अजीब सा लगा, लेकिन समय रहते हम तो अपनी खरीददारी कर चुके थे ! आप माल रोड पर घूम रहे हो और आइसक्रीम ना खाओ, ऐसा कभी होता है क्या ? आइसक्रीम खाकर आगे बढ़े तो माल रोड पर बार और रेस्तराँ को छोड़कर लगभग आधे से ज़्यादा दुकानें बंद हो चुकी थी ! दुकानें बंद होने के साथ ही माल रोड की रौनक भी जाती रही, सब लोग अपने-2 होटल लौट चुके थे, हमारे कदम भी अपने आप ही होटल की तरफ मुड़ गए ! चलिए, थोड़ी जानकारी इस पर्वतीय स्थान के बारे में दे देता हूँ ! हिमाचल प्रदेश की राजधानी होने के साथ शिमला एक दर्शनीय स्थल भी है, देश-विदेश से हर साल लाखों सैलानी यहाँ घूमने आते है ! हर मौसम में आपको शिमला का एक अलग ही रूप देखने को मिलेगा, अगर बारिश के मौसम में आपको यहाँ हरियाली देखने को मिलेगी तो सर्दियों के मौदम में आप यहाँ बर्फ़बारी का आनंद ले सकते है !

हर साल यहाँ बर्फ़बारी होती है, बर्फ़बारी के मौसम में तो यहाँ स्कीइंग के लिए लोग दूर-2 से आते है ! 2260 मीटर की ऊँचाई पर बसे इस शहर की आबो-हवा कुछ ऐसी है कि ब्रिटिश नागरिक भी इससे अछूते नहीं रहे ! यही वजह है कि ब्रिटिश काल में सन 1864 में शिमला को समर कैपिटल घोषित किया गया, यानि गर्मी के मौसम में ब्रिटिश अधिकारी यहीं रहा करते थे ! शिमला देश के अन्य शहरों से कई मार्गों से जुड़ा हुआ है, चंडीगढ़ तक तो आप रेल, सड़क या हवाई मार्ग से पहुँच सकते है, चंडीगढ़ से शिमला आने के लिए आप टॉय ट्रेन की यात्रा का आनंद ले सकते है या अगर आप सड़क मार्ग से यात्रा करना चाहे तो चंडीगढ़ से शिमला जाने के लिए शानदार राजमार्ग बना है ! वर्तमान में सड़क विस्तारीकरण का काम चल रहा है जिससे आने वाले समय में चंडीगढ़ से शिमला जाने में अभी की तुलना में काफ़ी कम समय लगेगा ! अभी चंडीगढ़ से शिमला सड़क मार्ग से जाने में ढाई से तीन घंटे का समय लगता है ! अगर आप पहली बार शिमला जा रहे है तो आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि वैसे तो यहाँ घूमने के लिए बहुत जगहें है, लेकिन कुछ ऐसी जगहें है जिन्हें आप ज़रूर देखना चाहेंगे ! 

ये जगहें है, वायसराय लॉज, जाखू मंदिर, माल रोड, रिज मैदान, क्राइस्ट चर्च, लक्कड़ बाज़ार, कुफरी, फागू, मशोबरा, और नालडेहरा प्रमुख है ! इनमें से अधिकतर जगहें तो शिमला में ही है, कुछ जगहें यहाँ से 15-20 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन हर जगह लोकप्रिय है ! शूटिंग के लिए भी शिमला फिल्म जगत में काफ़ी लोकप्रिय है, यही वजह है कि यहाँ बॉलीवुड की 10 से भी ज़्यादा फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है इनमें से कुछ फिल्में है 3 ईडियट, जब वी मेट, बैंग-बैंग, तमाशा, और ब्लैक ! छोटे पर्दे पर आने वाले टेलीविज़न सीरियलों की शूटिंग भी यहाँ चलती रहती है ! बहुत जानकारी हो गई शिमला के बारे में, चलिए अपनी यात्रा पर वापिस चलते है, जहाँ हम माल रोड से लौट कर वापिस अपने होटल पहुँच चुके थे ! माल रोड पर घूमते-2 काफ़ी थकान हो गई थी और फिर कल का सफ़र भी काफ़ी लंबा रहने वाला है, गाड़ी भी मुझे ही चलानी थी, इसलिए समय ना गँवाते हुए रात को समय से सो गए ! बढ़िया नींद आई, सुबह मंदिर के घंटो की आवाज़ सुनकर आँख खुली, उठकर समय देखा तो साढ़े पाँच बज रहे थे ! 

दरअसल, हमारे होटल के बगल में ही एक छोटा मंदिर था, सुबह पूजा करने के लिए लोग समय से ही आने लगे थे ! कमरे की खिड़की से झाँककर देखा तो बाहर अभी अंधेरा ही था, उठने के बाद देवेन्द्र योग करने लगा और हम दोनों फटाफट नहाने धोने में लग गए ! घंटे भर से कम समय में ही तीनों लोग तैयार होकर अपना होटल छोड़कर मुख्य मार्ग पर पहुँच गए ! होटल से जब बस अड्डे की तरफ आ रहे थे तो शहर की लगभग सारी दुकानें बंद थी, इक्का-दुक्का चाय की दुकानें ज़रूर खुली थी ! रात को जो लोग देरी से शिमला पहुँचे थे वो होटल ना मिलने के कारण सड़क के किनारे ही अपनी गाड़ी खड़ी करके सो रहे थे, ऐसे कई परिवारों को हमने गाड़ी में ही सोते हुए देखा ! दिन में तो इस मार्ग पर हमेशा ही यातायात का दबाव रहता है लेकिन इस समय इस मार्ग पर सन्नाटा पसरा हुआ था ! गिनती के वाहन ही इस मार्ग से आ जा रहे थे, हम बस स्टैंड के पास एक दुकान पर चाय पीने के लिए रुके ! वापिस जाने से पहले हम जाखू मंदिर जाना चाहते थे, मैं तो अपनी पिछली शिमला यात्रा में ये मंदिर देख चुका था, लेकिन बाकि दोनों साथियों की ये पहली शिमला यात्रा थी ! 

यहाँ से जाखू मंदिर जाने के लिए एक टैक्सी वाले से 400 रुपए में सौदा तय हो गया, फिर चाय पीने के बाद हम टैक्सी में सवार होकर जाखू मंदिर की ओर चल दिए ! पिछली बार मैं लक्कड़ बाज़ार से पैदल ही जाखू मंदिर गया था, जनवरी का महीना होने के कारण उस समय रास्ते में बर्फ भी गिरी हुई थी, वो उस मार्ग पर गाड़ियाँ नहीं जा सकती थी ! आज हम एक नए मार्ग से जाखू मंदिर जा रहे थे, ला तो हम अपनी गाड़ी भी सकते थे लेकिन ये मंदिर काफ़ी ऊँचाई पर है और रास्ता भी तीव्र ढलान वाला था, इसलिए टैक्सी से जा रहे थे ! 8 किलोमीटर के आस-पास दूरी थी जिसे तय करने में हमें 20-25 मिनट का समय लगा ! रास्ता घुमावदार और शानदार नज़ारों से भरा हुआ था, मंदिर जाते हुए रास्ते में हमने कुछ सरकारी इमारतें और शिक्षण संस्थान भी देखे ! जब हम मुख्य रोड से हटकर एक पहाड़ी पर जाने वाले मार्ग पर मुड़े तो अंदेशा हो गया कि ये मंदिर इसी पहाड़ी की छोटी पर है ! पहाड़ी पर जाने वाले मार्ग पर बहुत तीखे मोड़ थे, एक दो जगह तो गाड़ी लगते-2 बची, वो अलग बात है कि ड्राइवर अनुभवी था इसलिए ज़्यादा दिक्कत नहीं हुई ! 

पंजाब नंबर की एक निजी गाड़ी के चालक को नीचे उतरने में काफ़ी दिक्कत हो रही थी ! मनोज कहने लगा हम अगर अपनी गाड़ी से आए होते तो निश्चित तौर पर गाड़ी कहीं पहाड़ में रगड़ खाती ! खैर, थोड़ी देर में ही पहाड़ी की ऊँचाई पर स्थित जाखू मंदिर के सामने जाकर हमारी गाड़ी रुकी ! इस मंदिर के आस-पास वानरों का खूब आतंक रहता है, पिछली बार भी जब मैं यहाँ आया था तो एक बंदर हमारे साथी की टोपी लेकर भाग गया था ! काफ़ी जद्दोजेहद के बाद टोपी वापिस मिली थी, हमारे ड्राइवर ने भी गाड़ी से उतरते समय कह दिया की अपना चश्मा गाड़ी में छोड़ जाना, वरना कोई बंदर लेकर भाग जाएगा ! अपना सामान गाड़ी में रखकर गाड़ी से उतरे और मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुँचे ! मंदिर के बाहर ही लोग प्रसाद और मंदिर में चढ़ाने के लिए अन्य सामग्री बेचते रहते है, यहाँ जाखू मंदिर के सामने एक अन्य मंदिर भी है ! हम पहले इसी मंदिर में दर्शन के लिए गए, मंदिर परिसर में ही हाथ-पैर धोने के लिए नल लगे है, जिस समय हम मंदिर में पहुँचे, यहाँ गिनती के लोग ही थे, इसलिए आराम से दर्शन किया ! 

यहाँ से बाहर निकले तो जाखू मंदिर में गए, मुख्य मंदिर तक जाने के लिए पत्थर की सीढ़ियाँ बनी है, जगह-2 भक्ति के श्लोक भी लिखे हुए है ! जाखू मंदिर के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए आप मेरा ये लेख पढ़े ! मंदिर परिसर में देवेन्द्र को बंदरों ने खूब तंग किया, एक बंदर ने तो देवेन्द्र की जेब से सामान निकालने की कोशिश भी की ! मंदिर परिसर में घूमने के बाद जब मुख्य भवन में गया तो सुबह की आरती की तैयारियाँ चल रही थी, हम खुश थे कि आज हमें भी इस आरती में शामिल होने का मौका मिलेगा ! पौने घंटे में आरती और पूजा पाठ करके फारिक हुए, वापिस मंदिर के बाहर खड़ी अपनी गाड़ी तक पहुँचे ! यहाँ से वापिस शिमला पार्किंग स्थल (रेलवे स्टेशन के पास) तक पहुँचने में भी आधे घंटे का समय लगा ! ऑटो वाले का भुगतान किया और अपना सामान लेकर पार्किंग की तरफ बढ़ गए, जहाँ कल शाम को शिमला आने पर हमने अपनी गाड़ी खड़ी की थी ! पार्किंग के 120 रुपए देकर अपनी गाड़ी निकाली और फिर दिल्ली की तरफ रवाना हुए, सुबह का समय होने के कारण सड़क पर ज़्यादा यातायात नहीं था ! 

थोड़ी देर में ही हम शहर से बाहर आ चुके थे, रास्ते में एक जगह रुककर हमने रास्ते में खाने के लिए कुछ फल खरीदे ! फलों का आनंद लेते हुए हम आगे बढ़ते रहे, जहाँ कहीं खूबसूरत नज़ारे दिख जाते, हम गाड़ी खड़ी करके फोटो खींचने लगते ! थोड़ी देर में जब धर्मपुर पहुँचे तो यहाँ सड़क किनारे एक कतार में वाइन और जेम की कई दुकानें है, एक दुकान पर रुककर हमने पीने के लिए लीची जा जूस और घर ले जाने के लिए जेम और वाइन ली ! यहाँ से आगे जाने पर तो मैदानी इलाक़ा शुरू हो गया, फिर तो हम दोपहर के भोजन के लिए शाहबाद में शगन होटल में जाकर रुके ! बाहर से देखने पर ये होटल शानदार लग रहा था, जब यहाँ के खाने का स्वाद चखा तो वो भी लाजवाब था ! खाना-खाकर मज़ा आ गया, खाने के बाद मोतीचूर के घी के लड्डूओं का स्वाद भी लिया ! यहाँ से निकले तो दिल्ली पहुँचते-2 शाम को गई, देवेन्द्र को रास्ते में छोड़ते हुए 6 बजे हम गुड़गाँव स्थित मनोज के घर पहुँचे ! तो दोस्तों ये सफ़र यहीं ख़त्म होता है, जल्द ही आपको एक नई यात्रा पर लेकर चलूँगा !


कुफरी से शिमला जाते हुए लिया एक चित्र

कुफरी से शिमला जाते हुए लिया एक चित्र

शिमला में माल रोड पर घूमते हुए

शिमला में रिज के मैदान के पास स्थित गुफा रेस्टोरेंट

गुफा रेस्टोरेंट के अंदर का दृश्य

रिज से दिखाई देता चर्च

माल रोड पर घूमते हुए

माल रोड पर घूमते हुए

माल रोड पर घूमते हुए


जाखू मंदिर जाने का मार्ग

जाखू मंदिर का प्रवेश द्वार

जाखू मंदिर का प्रवेश द्वार

मंदिर से वापिस आते हुए

शिमला से दिल्ली वापसी का मार्ग

शिमला से दिल्ली वापसी का मार्ग

शिमला से दिल्ली वापसी का मार्ग

रास्ते में खाने के लिए यहीं रुके थे

होटल के अंदर का एक दृश्य

होटल के अंदर का एक दृश्य

होटल के अंदर का एक दृश्य
क्यों जाएँ (Why to go Shimla): अगर आप दिल्ली की गर्मी और भीड़-भाड़ से दूर सुकून के कुछ पल पहाड़ों पर बिताना चाहते है तो आप शिमला का रुख़ कर सकते है ! यहाँ शिमला में देखने के लिए कई जगहें है जिनमें से माल रोड, रिज का मैदान, जाखू मंदिर, क्राइस्ट चर्च, कुफरी, फागू, माशोबरा और नालडेहरा प्रमुख है ! सर्दियों के मौसम में शिमला में अच्छी-ख़ासी बर्फ पड़ती है उस समय आप यहाँ शिमला में स्कीइंग का आनंद भी ले सकते है ! आप कालका से शिमला आते हुए टॉय ट्रेन की सवारी भी कर सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Shimla): आप साल के किसी भी महीने में शिमला जा सकते है, शिमला आने का हर मौसम का अपना अलग ही आनंद है दिसंबर-जनवरी के महीने में तो शिमला में बर्फ भी पड़ती है !

कैसे जाएँ (How to reach Shimla): दिल्ली से शिमला की दूरी लगभग 343 किलोमीटर है ! यहाँ जाने का सबसे बढ़िया साधन सड़क मार्ग है दिल्ली से शिमला के लिए प्राइवेट बसें और वोल्वो चलती है जबकि आप निजी गाड़ी से भी जा सकते है ! रेल मार्ग से जाना चाहे तो नई दिल्ली से कालका रेलवे स्टेशन जुड़ा है, कालका से आप टॉय ट्रेन की सवारी का आनंद ले सकते है !

कहाँ रुके (Where to stay in Shimla): शिमला में रुकने के लिए छोटे-बड़े बहुत होटल है आप अपनी सहूलियत के हिसाब से 700 रुपए से शुरू होकर 5000 रुपए तक के कमरे ले सकते है ! इसके अलावा शिमला में कुछ धमर्शालाएँ भी है !

क्या देखें (Places to see in Shimla): शिमला में देखने के लिए कई जगहें है जिनमें से माल रोड, रिज का मैदान, जाखू मंदिर, क्राइस्ट चर्च, कुफरी, फागू, माशोबरा और नालडेहरा प्रमुख है ! माल रोड पर घूमते हुए आप लक्कड़ बाज़ार भी जा सकते है यहाँ घर की सजावट का बढ़िया सामान मिलता है ! यहाँ से यादगार के तौर पर आप खरीददारी कर सकते है ! अपने प्रियतम के साथ माल रोड पर बाहों में बाहें डाल कर घंटो घूमने आपको हमेशा याद रहेगा ! इसके अलावा रिज के पास गुफा रेस्टोरेंट में जाना ना भूले, ये बहुत बढ़िया रेस्टोरेंट है जहाँ आपको मदिरा से लेकर ख़ान-पान का सभी सामान मिल जाएगा !

समाप्त...

कसौली शिमला यात्रा
  1. गुड़गाँव से कसौली की सड़क यात्रा (A Road Trip to Kasauli from Gurgaon)
  2. कसौली में देखने योग्य मुख्य स्थल (Local Sightseen in Kasauli)
  3. साधुपुल - हिमाचल के एक गाँव में यादगार शाम (A Memorable Evening in Sadhupul)
  4. चैल में देखने योग्य मुख्य स्थल (Local sightseen in Chail)
  5. शिमला में देखने योग्य मुख्य स्थल (Local Sightseen in Shimla)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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