दिल्ली से जयपुर की सड़क यात्रा (A Road Trip to Jaipur)

वीरवार, 25 फ़रवरी 2016

तुंगनाथ की यात्रा से वापिस आने के बाद ज़्यादा दिन नहीं हुए थी कि तभी अगली यात्रा पर जाने का विचार बनने लगा ! चोटिल पैर ठीक होने में 10-12 दिन का समय लगा, इस दौरान दिमाग़ में यही चलता रहा कि अगली यात्रा कहाँ की होगी ! इस बार परिवार संग यात्रा पर जाने का मन था, वैसे भी फ़रवरी में शादी की सालगिरह आ रही थी इसी बहाने अगर कहीं घूमने को मिल जाए तो क्या कहने ? पारिवारिक यात्रा पर जाने की योजना पर मैने काम करना शुरू कर दिया, काफ़ी खोज-बीन के बाद उत्तराखंड में स्थित कौसानी जाने का विचार बना ! इसलिए कौसानी और इसके आस-पास की जगहों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी ! इस यात्रा पर मैं नैनीताल से होता हुए रानीखेत, कौसानी, और मुक्तेश्वर जाने वाला था, जैसे-2 यात्रा का दिन पास आने लगा, एक मित्र ने सलाह दी कि छोटे बच्चों के साथ ठंड के मौसम में पहाड़ी पर जाना ठीक नहीं रहेगा ! इस बात से प्रभावित होकर मुझे भी लगा कि घूमने के चक्कर में परिवार की सेहत से समझौता ठीक नहीं है ! इसलिए मैने अब जयपुर जाने का विचार बना लिया और आनन-फानन में ही जयपुर में रुकने के लिए एक होटल में कमरा भी आरक्षित करवा लिया !
जयपुर का बिरला मंदिर (Birla Mandir in Jaipur)

सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था, इस दौरान मेरा पैर भी ठीक हो चुका था और यात्रा से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी भी मैं जुटा चुका था ! यात्रा में मुश्किल से एक सप्ताह का समय बचा था कि तभी हरियाणा में जाट आरक्षण को लेकर आंदोलन शुरू हो गया ! शुरुआत में तो ये आंदोलन काफ़ी धीमा था लेकिन एक हफ्ते बाद इस आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया और पूरे हरियाणा में जगह-2 तोड़फोड़ से लेकर आगज़नी की खबरें अख़बारों और समाचार की सुर्खियाँ बनने लगी ! हरियाणा से बाहर जाने वाले सभी रेल और सड़क मार्ग इस आंदोलन से प्रभावित हुए और सबकुछ जैसे थम सा गया ! जैसे-2 आंदोलन गति पकड़ रहा था हमारे जयपुर जाने का कार्यक्रम धीमा होने लगा था ! यात्रा से 4 दिन पहले मैं फरीदाबाद जाते हुए आंदोलन की वजह से ऐसे ही एक जाम में फँस गया ! यहाँ जब मैं पथराव के बीच से होकर निकला तो मैने निश्चय कर लिया कि अगर यात्रा से पहले हालात सामान्य नहीं हुए तो मैं ये यात्रा स्थगित कर दूँगा ! परिवार की सुरक्षा पहले है, घूमना-फिरना तो ज़िंदगी भर लगा ही रहेगा ! यात्रा से दो दिन पहले यानि मंगलवार को उस समय आंदोलन की रफ़्तार धीमी पड़ गई जब सरकार ने जाटों को आरक्षण देने पर सहमति दे दी ! 

अगले दिन शाम तक आंदोलन थम गया और हालात सामान्य हो गए, इसलिए मैने घर फोन करके बता दिया कि हम जयपुर जा रहे है इसलिए जाने की तैयारी कर लो ! शाम को घर पहुँचने के बाद हमने यात्रा पर ले जाने का सारा सामान तैयार किया और सुबह का अलार्म लगाकर समय से सो गए ! निर्धारित दिन हम समय से तैयार होकर सुबह 7 बजे तक घर से निकल लिए, सुबह का समय होने के बावजूद भी सड़क पर ट्रकों का आवागमन जारी था ! शहर से निकलकर थोड़ी देर बाद ही हम पलवल सोहना मार्ग पर चल रहे थे, सिलानी पहुँचे तो यहाँ सड़क के बीचों-बीच एक ट्रक खराब था जिसकी वजह से काफ़ी लंबा जाम लग गया था ! किस्मत अच्छी थी कि जाम लगना अभी शुरू ही हुआ था और हम 10-15 मिनट में ही इससे निकल लिए ! एक बार सोहना पार कर लिया तो गुड़गाँव पहुँचने में हमें ज़्यादा समय नहीं लगा ! गुड़गाँव पहुँचकर गाड़ी में सीएनजी और पेट्रोल की टंकी फुल करवा ली ताकि यात्रा में कोई परेशानी ना हो ! राजीव चौक पहुँचे तो आठ बज रहे थे इस समय तक दफ़्तर जाने वाले लोग अपने-2 घरों से निकल चुके थे नतीजन सड़क पर यातायात की रफ़्तार धीमी थी ! 

राजीव चौक से निकले तो मानेसर जाते हुए रास्ते में सड़क की मरम्मत का काम चल रहा था इसलिए यहाँ भी जाम लगा हुआ था ! मानेसर से 10 किलोमीटर पहले खेडकी दौला में इस यात्रा का पहले टोल मिला, 60 रुपए का एक तरफ का टोल देकर आगे बढ़े ! यहाँ से गाड़ी ने रफ़्तार पकड़ ली, खाली मार्ग होने के वजह से गाड़ी आराम से 90-100 पर दौड़ रही थी, थोड़ी देर में ही हमने धारूहेडा और बावल भी पार कर लिया ! बावल पार करके थोड़ी देर में ही हमने राजस्थान की सीमा में प्रवेश किया, इसके साथ ही इस रास्ते का दूसरा टोल प्लाज़ा आया, यहाँ एक तरफ का 124 रुपए अदा करके हम आगे बढ़े ! थोड़ी देर बाद सड़क के किनारे औद्योगिक क्षेत्र शुरू हो गए, ये राजस्थान का नीमराणा शहर था ! नीमराणा के अलावा भी इस मार्ग पर हमें जयपुर तक जाते हुए कई औद्योगिक क्षेत्र देखने को मिले, जब-2 कोई बड़ा कस्बा-शहर आया, सड़क पर थोड़ा जाम भी मिला ! लेकिन हमें जाम में कहीं ज़्यादा देर तक फँसना नहीं पड़ा, इसलिए यात्रा का मज़ा बरकरार रहा और एक पल के लिए भी बोरियत नहीं हुई ! 

बहरोड में अलवर जाने के लिए एक मार्ग हमारी बाईं ओर जा रहा था, अलवर जाने का हमारा विचार वापसी का था इसलिए हम राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर जयपुर जाने के लिए चलते रहे ! 11 बजे से पहले ही हमने कोटपुतली पार कर लिया और साढ़े ग्यारह बजे के आस-पास शाहपुरा पहुँचे ! शाहपुरा से भी एक मार्ग सरिस्का होते हुए अलवर के लिए निकलता है वापसी में हम इसी मार्ग से अलवर गए थे ! शाहपुरा से 12-13 किलोमीटर चलने के बाद तीसरा टोल प्लाज़ा आया जोकि मनोहरपुर में है, यहाँ एक तरफ का 59 रुपए का टोल अदा करके आगे बढ़ा ! टोल की जानकारी मैं इसलिए दे रहा हूँ ताकि जयपुर जाने वाले लोगों को इस मार्ग पर पड़ने वाले टोल की जानकारी हो ! गुड़गाँव से लेकर जयपुर तक ये मार्ग शानदार बना है, गाड़ी लगातार बराबर गति से दौड़ती है ! अब तक भूख लगने लगी थी इसलिए टोल पार करने के बाद एक जगह रुककर खाना खाया, यहाँ से जयपुर जाने के लिए फिर आगे बढ़े ! थोड़ी देर बाद हम राष्ट्रीय राजमार्ग 8 को छोड़कर आमेर जाने वाले मार्ग पर हो लिए, साढ़े बारह बजे हम आमेर पहुँचे ! 

आमेर से जयपुर की दूरी बहुत ज़्यादा नहीं है, मात्र 12 किलोमीटर ! लेकिन इस 12 किलोमीटर की दूरी को तय करने में हमें डेढ़ घंटे का समय लग गया, जिसका मुख्य कारण था जयपुर की व्यस्त सड़कें और रास्ते का ना पता होना ! वैसे जयपुर शहर की जितनी भी तारीफ़ की जाए वो कम है, और तारीफ़ क्यों ना करे, जयपुर भारत का पहला योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया शहर है ! जयपुर शहर दो हिस्सों में बँटा हुआ है, पुराना जयपुर शहर का वो व्यस्त इलाक़ा है जिसमें हवा महल, जंतर-मंतर, सिटी पैलेस, त्रिपोलिया बाज़ार, बापू बाज़ार और ज़ोहरी बाज़ार शामिल है ! पुराने जयपुर में प्रवेश करने के 9 द्वार है, शहर का ये हिस्सा काफ़ी व्यस्त रहता है ! जब शहर का विस्तारीकरण शुरू हुआ तो आस-पास के इलाक़ों को जयपुर में शामिल किया गया और इसे नए जयपुर के रूप में जाना जाता है ! आमेर वाले रास्ते से जब हम जयपुर के पूर्वी हिस्से में पहुँचे तो यहाँ से एक मार्ग दौसा-भरतपुर होते हुए आगरा को जाता है ! यहाँ दो ऊपरगामी पुल थे, दाएँ वाला पुल शहर के भीतर जाता है जबकि बाएँ वाला पुल आगरा वाले राजमार्ग पर जाकर उतरता है ! हम दाएँ वाले पुल से होते हुए जयपुर शहर में दाखिल हुए ! 

यहाँ एमआई मार्ग से होते हुए हम पुराने जयपुर के बाहर-2 शहर की भीड़-भाड़ में घूमते रहे, मेरे मोबाइल पर इंटरनेट ठीक से चल नहीं रहा था, इसलिए बार-2 रुककर स्थानीय लोगों से रास्ता पूछना पड़ रहा था ! काफ़ी मशक्कत के बाद घूमते-घामते हम 2 बजे अपने होटल पहुँचे ! हमारा होटल शहर से बाहर आरपीए मार्ग पर नेहरू नगर में था, यहाँ पहुँचे तो होटल वाले ने हमें 2 कमरे दिखाए, जिसमें से एक कमरा हमने पसंद कर लिया ! हालाँकि, कमरा छोटा था लेकिन इसकी सजावट काफ़ी अच्छे से की गई थी, सारा सामान कमरे में रखकर थोड़ी देर हमने आराम किया ! 1 घंटे आराम करने के बाद घूमने जाने के लिए तैयार होने लगे और शाम 4 बजे अपने होटल से निकलकर हम जयपुर के बिरला मंदिर को देखने के लिए चल दिए ! सोचा तो था कि अगर समय से पहुँच गए तो चिड़ियाघर भी देख लेंगे, क्योंकि इसके बंद होने का समय शाम के 5 बजे का है, जबकि बिरला मंदिर 7 बजे तक खुला रहता है ! होटल से निकलकर फिर से एमआई मार्ग पर आ गए, यहाँ दिनभर भीड़-भाड़ रहती है, सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक कुछ मार्ग तो वन-वे भी होते है ! 

मुझे वन-वे की जानकारी नहीं थी, थोड़ी दूर ही गए थे कि तभी एमआई मार्ग पर जयपुर पोस्ट ऑफिस के पास वाले चौराहे से निकलते हुए मुझे आभास हुआ कि हम ग़लत आ गए है और हमें चौराहे से दाएँ मुड़ना था ! गाड़ी वापिस मोड़कर जैसे ही उस चौराहे से बाएँ मुड़ा, एक यातायात पुलिस वाले ने रोक लिया ! बोला वन-वे में घुस गए हो, 1100 रुपए का चालान होगा, मैं बोला लड़की के ब्याह में आया हूँ क्या जो 1100 रुपए दूँगा ! वन-वे या नो-एंट्री में घुसने का चालान तो 100 रुपए का होता है, मैं उसे अपने मोबाइल में चालान की रेट-लिस्ट खोलकर दिखाने लगा ! पर वो कहाँ सुनने वाला था, मेरा लाइसेन्स लेकर वहीं चौराहे पर बनी अपनी कोठरी में चल दिया ! गाड़ी से उतरकर मैं भी उसके पीछे-2 गया, अंदर दूसरा पुलिस वाला भी बैठा था जो एक अन्य व्यक्ति का चालान कर रहा था ! काफ़ी देर तक बहस भी हुई, इस बीच जब मैने अपना लाइसेन्स उसकी मेज से उठा लिया तो वो भड़क गया ! लाइसेन्स पॅंच करने की धमकी देने लगा, जैसे-तैसे करके 100 रुपए में मामला रफ़ा-दफ़ा किया ! 

यहाँ से मामला निबटा तो पौने-पाँच बज चुके थे और चिड़ियाघर के बंद होने का समय भी हो गया था, इसलिए अब चिड़ियाघर ना जाकर सीधे बिरला मंदिर के लिए चल दिए ! राजमंदिर सिनेमा के सामने से होते हुए जयपुर हाइकोर्ट के सामने वाले चौराहे पर पहुँच गए ! यहाँ से बाएँ जाने वाले मार्ग पर दो चौराहे छोड़कर तीसरे चौराहे पर सामने ही बिरला मंदिर दिखाई देता है ! मन में काफ़ी उठा-पटक चल रही थी, मंदिर पहुँचकर मन थोड़ा शांत हुआ, मंदिर के बाहर ही सड़क किनारे पार्किंग की व्यवस्था है लेकिन ये अधिकृत नहीं है ! इसलिए मैने मंदिर परिसर में स्थित पार्किंग स्थल में गाड़ी खड़ी की, ताकि फिर से किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े ! बिरला मंदिर जयपुर के खूबसूरत मंदिरों में गिना जाता है, सफेद संगमरमर से बना ये मंदिर यहाँ आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है ! भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर का निर्माण बिरला ग्रुप द्वारा 1988 में करवाया गया था ! भारत के दूसरे शहरों में भी बिरला मंदिर है मैने दिल्ली और मथुरा के बिरला मंदिर देखे है अब इस कड़ी में जयपुर का नाम भी जुड़ गया ! पार्किंग के सामने ही कुछ दुकानें है जहाँ खाने-पीने से लेकर पूजा सामग्री मिलती है, यहाँ से एक पक्का मार्ग मुख्य भवन तक जाता है !

मार्ग के दोनों ओर घास के मैदान है जिसमें अंदर जाने पर मनाही है, बीच-2 में एक-दो जगह बैठने की भी व्यवस्था है ! थोड़ी दूर चलने के बाद हम मुख्य द्वार पर पहुँच गए, यहाँ मुख्य भवन के बाहर बाईं ओर बने जूताघर में अपने जूते-चप्पल रखने के बाद हमने मंदिर में प्रवेश किया ! मुख्य भवन में प्रवेश करते ही बाईं ओर भगवान की मूर्ति स्थापित है, मूर्ति के सामने एक बड़ा हाल है, जहाँ बैठकर भक्तजन प्रार्थना करते है ! मंदिर के भीतरी भाग में दीवारों और छत पर खूब सुंदर कारीगरी की गई है लेकिन अंदर फोटो खींचने पर मनाही है ! हाल में बैठकर थोड़ी देर प्रार्थना करने के बाद हम प्रसाद लेकर मंदिर से बाहर आ गए, और इसके चारों ओर घूमकर फोटो खींचने लगे ! मुख्य भवन के बाहर एक बरामदा है जहाँ खड़े होकर आप मंदिर और इसके आस-पास के दृश्यों का आनंद ले सकते है ! यहाँ आकर शौर्य भी फुल मस्ती के मूड में था, बार-2 वो बरामदे में इधर-उधर भाग रहा था, उसे देखकर मुझे खुशी हुई कि चलो जयपुर आना सफल हुआ ! 

जिस समय हम मंदिर में थे कुछ विदेशी लोगों का समूह भी वहाँ था, मंदिर के बाहर ये लोग भी फोटोग्राफी का आनंद ले रहे थे ! हमने भी यहाँ रुककर थोड़ी देर फोटो खींची और फिर जब शाम हो गई तो हम वापिस पार्किंग स्थल की ओर चल दिए ! यहाँ एक दुकान से जाकर मैं खाने-पीने का कुछ सामान ले आया, थोड़ी देर में खा-पीकर फारिक हुए तो हल्का-2 अंधेरा होने लगा था ! गाड़ी लेकर हम फिर से अपने होटल की ओर चल दिए, इस बार हम जयपुर रेलवे स्टेशन के सामने से होकर निकले, 8 बजे तक हम अपने होटल में थे ! होटल पहुँचकर रात्रि का भोजन किया और फिर आराम करने के लिए अपने कमरे में चले गए ! इस यात्रा के अगले भाग में आपको आमेर के किले पर लेकर चलूँगा !


सफ़र शुरू करने से पहले
रास्ते में लिया एक चित्र
दिल्ली-जयपुर राजमार्ग का एक दृश्य (A view from NH 8)
दिल्ली-जयपुर राजमार्ग का एक दृश्य (A view from NH 8)
दिल्ली-जयपुर राजमार्ग का एक दृश्य (Another view from NH 8)
दिल्ली-जयपुर राजमार्ग का एक दृश्य (Another view from NH 8)
बाबा हवेली - जयपुर (Hotel Baba Haveli in Jaipur)
बाबा हवेली की चाबी
बिरला मंदिर जाते हुए (On the way to Birla Temple, Jaipur)
जयपुर का बिरला मंदिर (A Glimpse of Birla Temple, Jaipur)
मंदिर प्रांगण में लिया एक दृश्य (A view from Temple)
मस्ती करता हुआ शौर्य
मंदिर का साइड व्यू (Side view of Birla Temple)
मंदिर से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Birla Temple, Jaipur)
मंदिर से दिखाई देता एक दृश्य (Another view from Birla Temple, Jaipur)
क्यों जाएँ (Why to go Jaipur): अगर आप किले देखने के शौकीन है, राजसी ठाट-बाट का शौक रखते है तो निश्चित तौर पर जयपुर आ सकते है ! इसके अलावा राजस्थानी ख़ान-पान का लुत्फ़ उठाने के लिए भी आप जयपुर आ सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Jaipur
): आप साल भर किसी भी महीने में यहाँ जा सकते है लेकिन गर्मियों में यहाँ का तापमान दिल्ली के बराबर ही रहता है और फिर गर्मी में किलों में घूमना भी पीड़ादायक ही रहता है ! बेहतर होगा आप ठंडे मौसम में ही जयपुर का रुख़ करे तो यहाँ घूमने का असली मज़ा ले पाएँगे !

कैसे जाएँ (How to reach Jaipur): दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है, जयपुर दिल्ली के अलावा अन्य कई शहरों से भी रेल, सड़क और वायु तीनों मार्गों से जुड़ा हुआ है ! दिल्ली से हवाई मार्ग से जयपुर जाने पर 1 घंटा, रेलमार्ग से 5-6 घंटे, और सड़क मार्ग से लगभग 5 घंटे का समय लगता है ! आप अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी मार्ग से जा सकते है !


कहाँ रुके (Where to stay in Jaipur): जयपुर एक पर्यटन स्थल है यहाँ प्रतिदिन घूमने के लिए हज़ारों लोग आते है ! जयपुर में रुकने के लिए बहुत होटल है आप अपनी सुविधा के हिसाब से 500 रुपए से लेकर 7000 रुपए तक के होटलों में रुक सकते है !


क्या देखें (Places to see in Jaipur
): जयपुर में देखने के लिए वैसे तो बहुत जगहें है लेकिन सिटी पैलेस, आमेर दुर्ग, जयचंद दुर्ग, नाहरगढ़ दुर्ग, हवा महल, जंतर-मंतर, बिरला मंदिर, एल्बर्ट हाल म्यूज़ीयम, जल महल, क्रिकेट स्टेडियम, और चोखी-धानी प्रमुख है ! चोखी-धानी तो अपने आप में घूमने लायक एक शानदार जगह है ! अधिकतर लोग यहाँ राजस्थानी व्यंजन का आनंद लेने जाते है, ये एक गाँव की तरह बनाया गया है जहाँ आप राजस्थानी व्यंजनों के अलावा स्थानीय लोकगीत और लोकनृत्यों का आनंद भी ले सकते है !

अगले भाग में जारी...

जयपुर यात्रा
  1. दिल्ली से जयपुर की सड़क यात्रा (A Road Trip to Jaipur)
  2. आमेर के किले में बिताए कुछ पल (A Memorable Day in Amer Fort, Jaipur)
  3. जयगढ़ किले में बिताया एक दिन (A Day in Jaigarh Fort, Jaipur)
  4. नाहरगढ दुर्ग और जयपुर के बाज़ार (Nahargarh Fort and Jaipur Markets)
  5. जयपुर का सिटी पैलेस और हवा महल (City Palace and Hawa Mahal of Jaipur)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

4 Comments

  1. बहुत शानदार यात्रा रही आपकी हालाँकि आंदोलन की वजह से दिक्कत हुई ! बिरला मंदिर के दर्शन बहुत बढ़िया रहे !!

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    1. हाँ जी, यात्रा बढ़िया रही !

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  2. बहुत ही सुन्दर वर्णन

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