शनिवार, 20 जुलाई 2013
जून 2013 के पहले सप्ताह में हम 4 दोस्तों विश्वदीपक, विजय, मनीष और मेरा मेहंदीपुर बालाजी जाने का विचार बना ! दरअसल विचार तो विजय के मन में आया था, फिर जब उसने हमें बताया तो हम सब इस यात्रा पर चलने को तैयार हो गए ! आपसी सहमति से ये तय हुआ कि बालाजी की यात्रा जुलाई के प्रथम सप्ताह में की जाएगी ! इस यात्रा के बारे में सोच कर मैं भी काफ़ी उत्साहित था कि मेरी यात्राओं की फेहरिस्त में एक और यात्रा जुड़ जाएगी ! सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था फिर एकदम से जून के अंतिम सप्ताह में कुछ दूसरे दोस्तों के साथ घूमने के लिए आगरा चला गया ! आगरा की यात्रा एक दिन की ही थी, मतलब सुबह जाकर रात तक वापस आ जाना था, फिर रविवार का दिन होने के कारण मैं इस यात्रा पर चला ही गया ! आगरा से वापस आने के बाद फिर से जब बाकी लोगों से बालाजी जाने के बारे में पूछा तो एक-2 करके सभी लोग पीछे हट गए, विश्वदीपक और मनीष दोनों ने समय की कमी का हवाला देकर अपने हाथ पीछे खींच लिए ! दो लोगों के पहले ही मना कर देने के कारण मेरा भी उत्साह कम हो गया था इसलिए मैने इस यात्रा को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर देना ही उचित समझा !
जून 2013 के पहले सप्ताह में हम 4 दोस्तों विश्वदीपक, विजय, मनीष और मेरा मेहंदीपुर बालाजी जाने का विचार बना ! दरअसल विचार तो विजय के मन में आया था, फिर जब उसने हमें बताया तो हम सब इस यात्रा पर चलने को तैयार हो गए ! आपसी सहमति से ये तय हुआ कि बालाजी की यात्रा जुलाई के प्रथम सप्ताह में की जाएगी ! इस यात्रा के बारे में सोच कर मैं भी काफ़ी उत्साहित था कि मेरी यात्राओं की फेहरिस्त में एक और यात्रा जुड़ जाएगी ! सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था फिर एकदम से जून के अंतिम सप्ताह में कुछ दूसरे दोस्तों के साथ घूमने के लिए आगरा चला गया ! आगरा की यात्रा एक दिन की ही थी, मतलब सुबह जाकर रात तक वापस आ जाना था, फिर रविवार का दिन होने के कारण मैं इस यात्रा पर चला ही गया ! आगरा से वापस आने के बाद फिर से जब बाकी लोगों से बालाजी जाने के बारे में पूछा तो एक-2 करके सभी लोग पीछे हट गए, विश्वदीपक और मनीष दोनों ने समय की कमी का हवाला देकर अपने हाथ पीछे खींच लिए ! दो लोगों के पहले ही मना कर देने के कारण मेरा भी उत्साह कम हो गया था इसलिए मैने इस यात्रा को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर देना ही उचित समझा !