जाखू मंदिर - दोस्तों संग बर्फ में मस्ती (Snow Near Jakhu Temple)
byPradeep Chauhan-
8
रविवार, 25 जनवरी 2015 इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें !
रात
में काफ़ी देरी
से सोने के बावजूद सुबह
समय से नींद खुल गई,
पर सर्दी होने
के कारण मैं आलस
में बिस्तर पर
ही पड़ा रहा
! अब जागते हुए भला कितनी देर तक बिस्तर पर
पड़ा रहता, आख़िरकार
थोड़ी देर बाद बिस्तर से
निकलकर नित्य-क्रम
में लग गया !
यहाँ हमने दो कमरे लिए
थे और दोनों
कमरों में 4-4 लोग
थे, अपने कमरे
में चारों में
से सबसे पहले
मैं ही उठा और उठने
के बाद समय से नहा-धोकर तैयार
भी हो गया !
फिर अपना कैमरा
लेकर मैं बाहर
माल रोड की तरफ चल
दिया, ताकि माल
रोड से सुबह का नज़ारा
देख सकूँ, निकलते
समय मेरे साथ
हितेश के अलावा
सचिन चौधरी, और
सचिन राठी भी चल दिए ! इतनी सुबह यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ रही थी और लक्कड़ बाज़ार से चर्च की ओर जाते हुए रास्ते में हमें गिनती के लोग ही दिखाई दे रहे थे ! थोड़ी सी उँचाई पर पहुँचकर दूर बरफ के पहाड़ दिखाई दिए, यहाँ एक चबूतरे पर खड़े होकर हमने आस-पास के नज़ारों खूब आनंद लिया !
माल रोड से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Mall Road Shimla)
फिर चर्च के सामने से होते हुए नीचे माल रोड की तरफ जाने वाले मार्ग पर चल दिए, यहीं चर्च के पीछे एक रिट्ज़ सिनेप्लेक्स नाम से एक सिनेमा घर भी है ! चर्च के पीछे से होते हुए एक मार्ग जाखू मंदिर भी जाता है, जबकि लक्कड़ बाज़ार से आता हुआ एक अन्य मार्ग भी जाखू मंदिर को जाता है ! चारों तरफ घूम-2 कर फोटो खिंचवाने के बाद हम लोग वहीं चर्च के पास लगी लोहे की कुर्सियों पर आकर बैठ गए ! इतने में अंकित मान का फोन आया और वो कहने लगा कि जल्दी से यहाँ होटल में आ जाओ, हम लोग जाखू मंदिर जा रहे है ! हमने कहा कि तुम लोग होटल से बाहर निकलो हम तुम्हें जाखू मंदिर जाने वाले मार्ग पर ही मिल जाएँगे ! फोन रखने के बाद हम लोग वापस अपने होटल की तरफ चल दिए, रास्ते में ही अंकित के साथ बाकी लोग भी हमें आते हुए दिखाई दिए ! फिर वहीं एक दुकान के बाहर लगी बड़ी सी मेज पर बैठकर हमने कई ग्रुप फोटो खिंचवाएँ ! लक्कड़ बाज़ार से चर्च की तरफ जाने पर नीचे की तरफ सीधा जाने वाला मार्ग तो रिज के मैदान की तरफ जाता है, जबकि यहाँ से बाईं ओर उपर जाने वाले मार्ग जाखू मंदिर के लिए जाता है !
हम सब इसी मार्ग से होकर जाखू मंदिर गए, जाखू मंदिर जाने का मार्ग काफ़ी चढ़ाई वाला है, जैसे-2 आप इस मार्ग पर बढ़ते जाओगे, चढ़ाई भी बढ़ती जाती है ! रास्ते में सड़क के किनारे कहीं होटल तो कहीं निजी बंगले थे, फिर थोड़ा आगे जाने पर सड़क के बाईं ओर एक खुला मैदान दिखा, जहाँ काफ़ी बर्फ गिरी हुई थी ! बाकी लोग तो तेज़ी से जाखू मंदिर की ओर चले जा रहे थे पर मैं और सचिन राठी यहाँ इस मैदान में फोटो खींचने के लिए रुक गए ! वैसे ही हम लोग रास्ते में फोटो खींचते हुए बाकि लोगों से पीछे रह गए थे, इस मैदान में आने पर तो बाकी लोग हमसे और भी आगे निकल गए ! इस मैदान से दूर-2 तक पहाड़ियों पर गिरी बरफ दिखाई दे रही थे और जहाँ बरफ नहीं थी वहाँ हरे-भरे पेड़ दिखाई दे रहे थे ! जाखू मंदिर शिमला में काफ़ी उँचाई पर है इसलिए शिमला में बर्फ़बारी के दौरान यहाँ अच्छी-ख़ासी बर्फ जमा हो जाती है ! चारों ओर सफेदी देख कर बहुत अच्छा लग रहा था, अब तक मैं जितनी बार भी पहाड़ों पर आया हूँ, मनाली को छोड़ कर हर बार मुझे हरियाली ही देखने को मिली है ! मनाली के बाद यहाँ मुझे बरफ देखने को मिली !खैर, हम दोनों इस बात से अंजान थे कि आगे रुककर बाकि लोग हमारा इंतज़ार कर रहे है, इसका पता हमें तब लगा जब हितेश और अंकित का फोन हम दोनों के पास एकसाथ आया ! वो दोनों ये जानने की कोशिश कर रहे थे कि कहीं हम रास्ता भटक तो नहीं गए, और फिर हमारी वजह से सबको इंतजार भी तो करना पड़ रहा था ! इंतज़ार करना हमेशा ही बड़ा दुखदायी होता है, खीझ भी बहुत आती है, इसी खीझ में अंकित बोला आने दे दोनों को, इनके कैमरे ही ले लेते है, फिर देखते है कहाँ रुकते है ये फोटो खींचने ! खैर, फोन आने के बाद हम दोनों लगभग दौड़ लगाकर जाखू मंदिर की ओर चल दिए, पर उँचाई ज़्यादा होने की वजह से जल्द ही साँस फूलने लगी ! जब बाकी लोग हमें दूर से दिखाई देने लगे तो हमने उन्हें इशारा करके आगे चलने को कह दिया और खुद भी तेज कदमों से उनके पीछे चलते रहे ! थोड़ी देर की यात्रा के बाद हम लोग जाखू मंदिर के द्वार पर पहुँच गए, यहाँ भगवान हनुमान जी की एक बहुत विशाल प्रतिमा है, जो माल रोड पर रिज के मैदान से भी दिखाई देती है !जाखू मंदिर के सामने एक और मंदिर भी है, इतनी सुबह मंदिर में बिल्कुल भी भीड़ नहीं थी, फिर हमने बारी-2 से दोनों मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन किए ! वैसे इस मंदिर तक गाड़ी से जाने के लिए भी एक मार्ग है, जो पैदल आने वाले से बिल्कुल अलग दिशा में है, कुछ परिवार निजी गाड़ियों में बैठ कर इसी मार्ग से मंदिर तक पहुँचे थे ! मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी है जो हनुमान जी की प्रतिमा के सामने जाकर ख़त्म होती है, यहीं प्रतिमा के सामने मंदिर प्रांगण में ही एक खुला मैदान भी है, जहाँ बर्फ़बारी के कारण इस समय काफ़ी बरफ जमा हो गई थी और अभी तक पिघली भी नहीं थी !हमने पहले तो मंदिर में पूजा की और फिर इस मैदान में पड़ी बरफ में खेल कर लुत्फ़ उठाया ! वैसे यहाँ वानरों का काफ़ी बोलबाला है, अब क्योंकि वानर तो हनुमान जी के परम भक्तों में गिने जाते है इसलिए यहाँ लोग इनका भी पूरा सम्मान करते है ! पर वानर तो वानर है, वो कहाँ मानने वाले है, ऐसे ही एक वानर हमारे साथी की हिमाचली टोपी खींच कर ले गया जो हमने दूसरे पर्यटकों से फोटो खिंचवाने के लिए ली थी ! टोपी लेकर वानर इधर-उधर खूब दौड़ा, काफ़ी मशक्कत करने के बाद हमने थोड़ा प्रसाद देकर वो टोपी वापस ली ! वैसे इस मंदिर का भी अपना एक इतिहास है, कहते है कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी ढूँढने हिमालय पर्वत पर आए थे तो यहाँ कुछ देर रुककर उन्होने विश्राम किया ! स्मृति स्वरूप यहाँ मंदिर के मुख्य भवन में हनुमान जी के पद चिन्हों को रखा गया है ! यहाँ बरफ में काफ़ी समय बिताने के बाद हम प्रतिमा के आगे मंदिर के मुख्य भवन में दर्शन के लिए चल दिए ! यहाँ भी एक और खुला मैदान है, जो काफ़ी दूर तक फैला हुआ है, दर्शन के बाद हमने भंडारे में बँट रहे प्रसाद का सेवन भी किया ! यहाँ काफ़ी समय बिताने के बाद समय देखा तो दस बज रहे थे, फिर हमने वापसी की सोची और सभी लोग अपने होटल की ओर चल दिए !मंदिर से 100 मीटर पहले तक मुख्य मार्ग पर खूब बरफ जमी हुई थी, जाते समय तो हम सड़क के किनारे लगे लोहे के तार को पकड़ कर उपर गए थे, पर वापसी के समय बरफ पर फिसलते हुए ही नीचे आए ! हालाँकि, इस दौरान हमारे कुछ साथी फिसलकर उस बरफ पर गिरे भी, पर किसी को कोई गंभीर चोट नहीं आई ! उतरते हुए तो ऐसा लग रहा था जैसे शरीर में एक नई उर्जा आ गई हो ! मंदिर से आते हुए रास्ते में एक जगह गाने बज रहे थे तो सभी मित्रों ने रुककर नाचना शुरू कर दिया ! धीरे-2 आगे बढ़ते हुए हम थोड़ी देर में माल रोड पर स्थित चर्च के पिछले हिस्से में बने पार्क में लगे फव्वारे पर पहुँच गए ! फव्वारा काफ़ी सुंदर लग रहा था, थोड़ी देर हमने यहाँ रुककर फोटोग्राफी का आनंद लिया, यहाँ से दिखाई देता रिज का मैदान वाकई शानदार लग रहा था ! अगले आधे घंटे में ही हम लोग फिर से चर्च के पास रिज के मैदान में पहुँच गए ! काफ़ी देर तक तो यहीं रिज के मैदान और उसके आस-पास घूमते रहे, फिर वापस अपने होटल की तरफ चल दिए ! होटल वाले का भुगतान तो हम कल रात को पेशगी देते समय ही कर चुके थे, अब अपना सारा समान लेकर चर्च की ओर ये सोचकर चल दिए, कि थोड़ी देर चर्च के पास बिताकर फिर चंडीगढ़ के लिए निकल जाएँगे !आज यहाँ रिज के मैदान में गणतंत्र दिवस के समारोह के लिए रिहर्सल चल रही थी, इसलिए काफ़ी हिमाचल के अन्य जिलों से भी काफ़ी संख्या में लोग आए हुए थे ! हमने भी इस रंगारंग कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया, थोड़ी देर बाद जब हमारा पूरा समूह एक जगह जमा हुआ तो इस बात पर चर्चा होने लगी कि आज घर वापसी के लिए निकला जाए या एक दिन और यहाँ शिमला में बिताया जाए ! ज़्यादातर लोग आज यहाँ रुकने के पक्ष में थे, या यूँ कहे कि राठी को छोड़कर लगभग सभी लोग आज यहाँ रुकने के लिए तैयार थे ! थोड़ी देर में राठी को भी आज यहाँ रुकने के लिए ये कहकर मना लिया कि कल तो वैसे भी छुट्टी है और फिर हम कल यहाँ से सुबह ही निकल लेंगे ताकि रात को समय से दिल्ली पहुँच जाएँ और अगले दिन अपने-2 दफ़्तर जा सके ! फिर चर्चा हुई आज रुकने के लिए एक नया होटल ढूँढने की, क्योंकि कल वाला होटल हमें पसंद नहीं आया था, इसलिए आज फिर से उसमें रुकने का मन तो बिल्कुल भी नहीं था !कल तो हम लोगों की मजबूरी थी कि एक तो हम सब सफ़र से थके-हारे थे और फिर जब हम यहाँ पहुँचे थे तो समय भी काफ़ी हो गया था ! पर आज तो अभी दोपहरी थी और हमारे पास होटल ढूँढने के लिए पर्याप्त समय था ! 2-2 लोगों का ग्रुप बनाकर हम लोग कमरा ढूँढने के लिए तीनों दिशाओं में चल दिए, बाकी जो 2 लोग बचे थे वो यहीं रिज के मैदान में सामान के पास रहकर उसकी रखवाली करने लगे ! थोड़ी देर में बारी-2 से सभी लोग कमरा ढूँढ कर वहीं रिज के मैदान में वापस आ गए ! कमरे तो मिल रहे थे पर काफ़ी महँगे थे, और जहाँ थोड़ी बजट में कमरा मिल रहा था वहाँ आठों लोगों के रुकने की व्यवस्था नहीं थी ! अब फिर से दुविधा होने लगी कि रुका जाए या वापस घर चला जाए, इस दुविधा को दूर करते हुए ये निर्णय लिया गया कि जब घूमने ही आए है तो इतना क्या सोचना ! हितेश और सचिन रिट्ज़ सिनेमा के पीछे वाई. एम. सी. ए. नाम के एक होटल में कमरा देख कर आए थे, जहाँ 400 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से कमरा उपलब्ध था पर एक कमरे में कम से कम दो लोगों का रुकना अनिवार्य था ! हम लोग कमरा देख कर आए, जो हमें पसंद आ गया, यहाँ हमने 4 कमरे लिए, जिसके लिए हमें 3200 रुपए खर्च करने पड़े ! हमारे कमरे प्रथम तल पर थे और कमरे की बनावट देख कर अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं था कि ये काफ़ी पुराना होटल था ! कमरे में लकड़ी की छत, लकड़ी का बेड और पुराने जमाने के बिजली के बोर्ड और बटन लगे थे ! होटल में प्रवेश करते ही सामने एक बड़ा हॉल था, जिसमें कुछ वाद्य यंत्र और पुराना सामान रखा था ! सीढ़ियों से होते हुए जब हम प्रथम तल पर अपने कमरे में पहुँचे तो पता चला कि शौचालय सार्वजनिक था, मतलब होटल में रुकने वाले सभी आगंतुकों के लिए एक ही जगह शौचालय बने थे ! हालाँकि, ये काफ़ी साफ सुथरे और संख्या में 6-7 थे, होटल में रहने के दौरान हमें शौचालय को लेकर कभी भी परेशानी नहीं हुई ! हम सबने अपना सामान अपने-2 कमरों में रखा और बैठ कर आराम करने लगे, फिर दोपहर का भोजन करने के बाद कुछ लोग तो सो गए और बाकी लोग वहीं बैठ कर बातें करते रहे !जब शाम होने लगी तो सभी लोग रिज के मैदान की ओर चल दिए, वैसे तो यहाँ चर्च के आस-पास पूरे दिन ही चहल-पहल रहती है, पर रात के समय यहाँ की रौनक काफ़ी बढ़ जाती है जब कृत्रिम रोशनी से चर्च जगमगा उठता है और लोगों की चहलकदमी भी काफ़ी बढ़ जाती है ! यहाँ रिज के मैदान में गीत बजाकर हम सब खूब नाचे-गाए और खूब मस्ती की ! इसी बीच अंकित ने एक होटल जाकर हम सबके लिए रात्रि के भोजन का इंतज़ाम किया और उसके आने के बाद हम सब भी अपने होटल की ओर चल दिए ! भोजन करने के बाद थोड़ी देर तक तो बैठ कर बातें करते रहे फिर अपने-2 बिस्तर में आराम करने चले गए, नींद कब आ गई पता ही नहीं चला ! सुबह थोड़ा देरी से सोकर उठे, आज यहाँ शिमला में हमारा आख़िरी दिन था, इसलिए कोई ख़ास योजना नहीं थी, बस यहाँ होटल से निकलकर घर जाने के लिए बस पकड़नी थी ! नित्य-क्रम से निबटने के बाद सभी लोग अपना-2 सामान अपने बैग में रखकर यहाँ से निकलने की तैयारी करने लगे !अब कुछ लोग तो फिर टॉय ट्रेन से कालका जाकर वहाँ से दिल्ली की बस पकड़ने वाले थे जबकि बाकी लोग यहाँ से बस पकड़कर चंडीगढ़ और फिर आगे दिल्ली जाने वाले थे ! हम लोग दूसरे लोगों की श्रेणी में थे क्योंकि हमें रात तक घर पहुँचकर अगले दिन अपने दफ़्तर भी जाना था ! सुबह 8 बजे हम लोग अपने होटल से निकल लिए, निकलते समय होटल की बालकनी में कुछ फोटो भी खिंचवाई ! बाहर निकलने पर देखा आज अच्छी धूप खिली थी, लेकिन हवा भी खूब तेज चल रही थी, इसलिए काफ़ी ठंड लग रही थी ! अपने होटल से निकलकर जब रिज के मैदान पहुँचे तो वहाँ गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियाँ चल रही थी, दर्शकों के बैठने के लिए कुर्सियाँ लगा दी गई थी, स्टेज तैयार हो चुका था और सुरक्षा के लिहाज से जगह-2 सिपाही भी तैनात थे ! रिज को पार करते हुए हम सब नीचे वाले माल रोड पर चल दिए, जहाँ सड़क के किनारे ही गणतंत्र दिवस में शामिल होने वाले झाँकियाँ तैयार खड़ी थी !
यहाँ से हम 4-4 लोगों के दो समूह में बँट गए, एक समूह यहाँ से शिमला रेलवे स्टेशन की ओर चला गया जबकि हम लोग नीचे वाले माल रोड पर पहुँच गए जहाँ से हमें शिमला बस अड्डे जाने के लिए एक छोटी बस मिल गई ! 15 मिनट बाद हम लोग शिमला के बस अड्डे पर खड़े थे, थोड़ी देर इंतजार करने के बाद हमें चंडीगढ़ जाने की बस भी मिल गई ! ये एक निजी बस थी और हम चारों को बैठने के लिए इसमें सीटें भी मिल गई, अगले 15 मिनट बाद ये बस यहाँ से चल दी ! पहाड़ी रास्तों पर बस में सफ़र करने के दौरान उल्टी से मेरी हालत खराब रहती है और ये रेकॉर्ड यहाँ भी कायम रहा ! सफ़र चाहे 100 किलोमीटर का हो या 200 उल्टी आनी है तो आनी ही है ! शिमला से चंडीगढ़ आते हुए सारे रास्ते मैं उल्टी से परेशान ही रहा, उल्टी ना होने की दवा भी ली लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ ! मैं जब भी उल्टी करने के लिए खिड़की के शीशे खोलता, आगे-पीछे बैठी सवारियों की ठंडी हवाओं से हालत पतली हो जाती ! कई बार लोगों ने मुझे टोका भी, लेकिन हितेश ने उन्हें समझा दिया ! जैसे ही पहाड़ी रास्ता ख़त्म हुआ और हम कालका पहुँचे मेरी स्थिति सामान्य हो गई ! उल्टी करते-2 पेट खाली हो गया था, भूख तो भयंकर लगी थी, सोलन में जब हमारी बस एक ढाबे पर कुछ देर के लिए रुकी थी तो बाकि साथियों ने हल्का-फुल्का भोजन ले लिया था ! मेरी हालत ठीक नहीं थी तो मेरे लिए कुछ फल ले लिए थे, कालका पार करते हुए मैने ये फल निबटा दिए ! रास्ते में एक जगह दुर्घटनाग्रस्त होकर एक कार पहाड़ी से नीचे गिर गई थी, पता नहीं कार में सफ़र कर रहे लोग बचे होंगे या नहीं ! खैर, चंडीगढ़ पहुँचने में हमें 3 घंटे का समय लगा, बीच में एक जगह बस 15 मिनट के लिए रुकी भी थी !चंडीगढ़ में बस अड्डे से पहले किसी चौराहे पर हम सब उतर गए, कैश सबके पास ख़त्म हो चुका था, यहाँ एक पेट्रोल पंप पर जो एटीएम था उसमें पैसे नहीं थे ! आस-पास दूसरा कोई एटीएम ना होने के कारण एक ऑटो में सवार होकर हम एक बाज़ार में पहुँचे ! यहाँ पैसे निकालने के बाद खाना-खाने के लिए एक होटल में जाकर बैठे, छोले-भठूरे लिए, जो बिल्कुल बेस्वाद थे ! फिर चारों लोग दिल्ली जाने वाली एक हरियाणा रोडवेज की बस में बैठ गए ! ये सफ़र काफ़ी थकाउ था, दिल्ली पहुँचते-2 रात के 8 बज चुके थे ! यहाँ उतरकर हमें पलवल जाने वाली बस के लिए भी काफ़ी इंतजार करना पड़ा, और अंतत यहाँ से पहले सराय काले ख़ाँ और फिर वहाँ से पलवल जाने की बस पकड़ी, घर पहुँचते-2 रात के साढ़े दस बज गए ! कुल मिलाकर मेरा ये सफ़र बहुत यादगार रहा, क्योंकि एक तो काफ़ी दिन से खिसकती चली आ रही शिमला की मेरी यात्रा सम्पन्न हुई और दूसरा इस यात्रा के दौरान मुझे काफ़ी अच्छे दोस्त भी मिले !
Church in Shimla
Somewhere on Mall Road Shimla
The Ridge, Shimla
Near Lakkar Bazaar
जाखू मंदिर जाने का मार्ग (Way to Jakhu Temple)
रास्ते में लिया एक चित्र (A View from the way to Jakhu Temple)
Way to Jakhu Temple
मंदिर जाने वाले मार्ग पर बिखरी बर्फ (Way to Jakhu Temple)
जाखू मंदिर के सामने वाले मंदिर के भीतर का दृश्य
Jakhu Temple, Shimla
हनुमान जी की विशाल प्रतिमा
History of Jakhu Temple
वानर ले गया टोपी
वापसी के समय लिया एक चित्र (A view from jakhu Temple)
मंदिर प्रांगण में बिखरी बरफ (A view from jakhu Temple)
इसी मार्ग पर सब लोग फिसलते हुए आए
सड़क के किनारे बिखरी बरफ
चर्च के पीछे वाला फव्वारा
रिज के मैदान से दिखाई देता चर्च (The Ridge, Shimla)
रिज के मैदान से दिखाई देता एक दृश्य (A view from The Ridge)
उपर से देखने पर रिज का मैदान (A view from The Ridge)
Y.M.C.A. होटल का प्रवेश द्वार
रात के समय चर्च का एक दृश्य
गणतंत्र दिवस की तैयारी
शिमला शहर (Shimla)
क्यों जाएँ (Why to go Shimla): अगर आप दिल्ली की गर्मी और भीड़-भाड़ से दूर सुकून के कुछ पल पहाड़ों पर बिताना चाहते है तो आप शिमला का रुख़ कर सकते है ! यहाँ शिमला में देखने के लिए कई जगहें है जिनमें से माल रोड, रिज का मैदान, जाखू मंदिर, क्राइस्ट चर्च, कुफरी, फागू, माशोबरा और नालडेहरा प्रमुख है ! सर्दियों के मौसम में शिमला में अच्छी-ख़ासी बर्फ पड़ती है उस समय आप यहाँ शिमला में स्कीइंग का आनंद भी ले सकते है ! आप कालका से शिमला आते हुए टॉय ट्रेन की सवारी भी कर सकते है !
कब जाएँ (Best time to go Shimla): आप साल के किसी भी महीने में शिमला जा सकते है, शिमला आने का हर मौसम का अपना अलग ही आनंद है दिसंबर-जनवरी के महीने में तो शिमला में बर्फ भी पड़ती है !
कैसे जाएँ (How to reach Shimla): दिल्ली से शिमला की दूरी लगभग 343 किलोमीटर है ! यहाँ जाने का सबसे बढ़िया साधन सड़क मार्ग है दिल्ली से शिमला के लिए प्राइवेट बसें और वोल्वोचलती है जबकि आप निजी गाड़ी से भी जा सकते है ! रेल मार्ग से जाना चाहे तो नई दिल्ली से कालका रेलवे स्टेशन जुड़ा है, कालका से आप टॉय ट्रेन की सवारी का आनंद ले सकते है !
कहाँ रुके (Where to stay in Shimla):शिमला में रुकने के लिए छोटे-बड़े बहुत होटल है आप अपनी सहूलियत के हिसाब से 700 रुपए से शुरू होकर 5000 रुपए तक के कमरे ले सकते है ! इसके अलावा शिमला में कुछ धमर्शालाएँ भी है !
क्या देखें (Places to see in Shimla):शिमला में देखने के लिए कई जगहें है जिनमें से माल रोड, रिज का मैदान, जाखू मंदिर, क्राइस्ट चर्च, कुफरी, फागू, माशोबरा और नालडेहरा प्रमुख है ! माल रोड पर घूमते हुए आप लक्कड़ बाज़ार भी जा सकते है यहाँ घर की सजावट का बढ़िया सामान मिलता है ! यहाँ से यादगार के तौर पर आप खरीददारी कर सकते है ! अपने प्रियतम के साथ माल रोड पर बाहों में बाहें डाल कर घंटो घूमने आपको हमेशा याद रहेगा ! इसके अलावा रिज के पास गुफा रेस्टोरेंट में जाना ना भूले, ये बहुत बढ़िया रेस्टोरेंट है जहाँ आपको मदिरा से लेकर ख़ान-पान का सभी सामान मिल जाएगा !
Nice post,shimla she jakhu mandir take Jana bahut hi himmat ka kam hai.ham log bhi abhi may me gaye the .bachche me sath hate jate paune do ghanta lag gaya that
हम जब जाखू गए थे तो सीढिया थी हम सीढ़ियों से चलकर गए थे और हनुमानजी की मूर्ति भी नहीं थी । हा बन्दर जरूर बहुत थे ।प्रदीप तुम हमेशा अधूरी यात्रा ही करते हो । शिमला में काफी कुछ देखने को था।पर तुम्हारी चोकड़ी मस्ती करने में मस्त रहती है । खेर फिर देख लेना । इंजॉय ट्रिप
जाखू मंदिर तक जाने के दो रस्ते है एक पैदल जो जो हलकी सी चढ़ाई है।दूसरा रास्ता by रोड मंदिर तक जाता है।।पूरा दिन शिमला में ऐसे ही बिता दिया ।मेरे हिसाब से कुछ और घुमा जा सकता था।वैसे यात्रा बहित ही बढ़िया रही।मेरी भी यादे ताज़ा हो गई।लक्कड़ बाजार की तरफ 500 से 600 तक के होटल है।
Nice post,shimla she jakhu mandir take Jana bahut hi himmat ka kam hai.ham log bhi abhi may me gaye the .bachche me sath hate jate paune do ghanta lag gaya that
ReplyDeleteहर्षिता जी, शिमला से जाखू मंदिर तक जाना तो ज़्यादा मुश्किल नहीं है, हो सकता है परिवार साथ होने से आपको थोड़ी परेशानी हुई हो !
Deleteहम जब जाखू गए थे तो सीढिया थी हम सीढ़ियों से चलकर गए थे और हनुमानजी की मूर्ति भी नहीं थी । हा बन्दर जरूर बहुत थे ।प्रदीप तुम हमेशा अधूरी यात्रा ही करते हो । शिमला में काफी कुछ देखने को था।पर तुम्हारी चोकड़ी मस्ती करने में मस्त रहती है । खेर फिर देख लेना । इंजॉय ट्रिप
ReplyDeleteदर्शन जी, जानता हूँ कि शिमला में काफ़ी कुछ घूमने को था, पर इस यात्रा पर मैं अतिरिक्त समय लेकर नहीं चला था ! अगले दिन दफ़्तर भी तो जाना था !
Deleteशिमला से केवल गुज़रा हूँ कभी देखना नहीं हुआ वहा का नज़ारा. बोहत ही बढ़िया पोस्ट है धन्यवाद्
ReplyDeleteजी धन्यवाद आपका !
Deleteजाखू मंदिर तक जाने के दो रस्ते है एक पैदल जो जो हलकी सी चढ़ाई है।दूसरा रास्ता by रोड मंदिर तक जाता है।।पूरा दिन शिमला में ऐसे ही बिता दिया ।मेरे हिसाब से कुछ और घुमा जा सकता था।वैसे यात्रा बहित ही बढ़िया रही।मेरी भी यादे ताज़ा हो गई।लक्कड़ बाजार की तरफ 500 से 600 तक के होटल है।
ReplyDeleteबस, सचिन भाई, बड़े ग्रुप में यात्रा करने पर अक्सर ऐसा होता है !
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