रविवार, 18 जुलाई 2021
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फरीदाबाद भ्रमण करते हुए आज मैं सीकरी के पास कैली गाँव स्थित सालासर बालाजी और खाटू श्याम मंदिर आ पहुंचा हूँ, यात्रा के इस लेख में मैं आपको इस मंदिर से संबंधित कुछ जानकारी देने के साथ ही यहाँ के दर्शन करवाऊँगा ! वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि सालासर बालाजी का प्रसिद्ध मंदिर तो राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है जबकि खाटू श्याम का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में है, इन दोनों जगहों पर दर्शन करने के लिए देश भर से भारी मात्रा में लोग आते है ! लेकिन अगर आप दिल्ली के आस-पास रहते है और सफर करके इतनी दूर नहीं जा सकते, तो आपके लिए ये उपयुक्त स्थान है, दिल्ली बॉर्डर से महज 25 किलोमीटर दूर फरीदाबाद के कैली गाँव में स्थित इस मंदिर में आकर आप खाटू श्याम (Khatu Shyam) और सालासर बालाजी (Salasar Balaji) के दर्शन का लाभ ले सकते है ! जहां सालासर बालाजी का मंदिर दाढ़ी-मूंछ वाले हनुमान जी के लिए प्रसिद्ध है, वहीं खाटू श्याम का मंदिर घटोत्कच पुत्र बरबरीक को समर्पित है जिन्हें कलयुग में कृष्ण का अवतार माना जाता है ! सालासर बालाजी के बारे में विस्तृत जानकारी मैं अपने ब्लॉग पर पहले ही दे चुका हूँ जिसे आप यहाँ पढ़ सकते है, जबकि खाटू श्याम के बारे में विस्तृत जानकारी यहाँ उपलब्ध है !
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मंदिर में स्थापित सालासर बालाजी की प्रतिमा |
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि फरीदाबाद के कैली गाँव में स्थित ये मंदिर बहुत पुराना तो नहीं है लेकिन फिर भी आस-पास के क्षेत्र में लोगों के बीच ये काफी प्रसिद्ध है, इसलिए लोग दूर-2 से यहाँ दर्शन के लिए आते है ! चलिए, यात्रा की शुरुआत करते है, मुझे इस मंदिर में पहली बार आने का सौभाग्य 2013 में मिला था जब एक दिन मंगलवार को ऑफिस से घर लौटते समय मैं कुछ मित्रों के साथ यहाँ गया था ! उसके बाद तो मैं कभी परिवार के साथ तो कभी अकेले इस मंदिर में जाता रहा हूँ, यहाँ आना मेरे लिए हमेशा एक सुखद अनुभव रहता है ! मेरे मन में जब भी कोई दुविधा होती है तो मैं यहाँ दर्शन के लिए चला आता हूँ और यकीन मानिए यहाँ आकर मैं कभी भी निराश नहीं लौटा ! मंदिर में आकर जो मानसिक शांति मिलती है उसे शब्दों में बताया नहीं जा सकता, इसे तो बस अनुभव किया जा सकता है ! 2013 में ये मंदिर नया-2 ही बना था, लेकिन समय बीतने के साथ मंदिर परिसर और इसके आस-पास काफी बदलाव हुए है, पहले सड़क से निकलते हुए ये मंदिर दूर से ही दिखाई देता था और लोग अक्सर यहाँ दर्शन करके ही आगे बढ़ते थे ! लेकिन अब मंदिर के सामने राष्ट्रीय राजमार्ग पर फ्लाइओवर बन जाने से ये मंदिर सड़क से दिखाई नहीं देता ! जो लोग इस मंदिर के बारे में जानते है वो तो यहाँ आते ही रहते है लेकिन बाहर से आने वाले लोग इस मंदिर के बारे में नहीं जान पाते !
मेरा इस मंदिर में जाने का संयोग अचानक ही बना, हुआ कुछ यूं कि छुट्टी का दिन होने के कारण एक रविवर को मैं अपनी गाड़ी लेकर कैली धाम स्थित इस मंदिर को देखने के लिए निकल पड़ा ! फरीदाबाद स्थित मेरे घर से इस मंदिर की दूरी महज 7 किलोमीटर है, जिसे तय करने में मुश्किल से 10 मिनट का समय लगा ! मंदिर तक जाने का बढ़िया मार्ग बना है, घर से निकलकर बाइपास मार्ग से होता हुआ कुछ ही देर बाद मैं मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने पहुँच गया ! मंदिर के आस-पास पार्किंग की व्यवस्था तो नहीं है लेकिन फ्लाइओवर बन जाने से नीचे ज्यादा यातायात नहीं रहता, इसलिए मंदिर आने वाले अधिकतर लोग गाड़ी सड़क के किनारे ही खड़ी करते है ! मैं भी यहाँ गाड़ी खड़ी करके बाहरी प्रवेश द्वार से होता हुआ मंदिर परिसर में दाखिल हुआ, सड़क विस्तारीकरण के कारण मंदिर के प्रवेश द्वार को खिसकाकर थोड़ा अंदर कर दिया गया है, पहले जब मैं यहाँ आया था तो ये द्वार थोड़ा बाहर हुआ करता था ! नया प्रवेश द्वार बना तो दिया गया है लेकिन इसकी सजावट का काम अभी बाकि है, मंदिर परिसर में दाखिल होते ही एक मार्ग सीधा मुख्य प्रवेश द्वार की ओर जाने वाली सीढ़ियों तक जाता है, जबकि बाहरी प्रवेश द्वार के दोनों ओर कुछ कमरे बने है ! पूरे मंदिर परिसर में पक्का फर्श बना है जिसके एक कोने में प्याऊ भी लगा है, कुछ कदम चलकर मैं मुख्य द्वार तक जाने वाली सीढ़ियों तक पहुंचा !
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घर से निकलते समय लिया एक चित्र |
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बल्लभगढ़ साहुपुरा मार्ग |
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सेक्टर 62 में लिया एक चित्र
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सेक्टर 62 में लिया एक अन्य चित्र |
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फरीदाबाद बाइपास मार्ग |
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मंदिर के प्रवेश द्वार से लिया एक चित्र |
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मुख्य भवन में जाने की सीढ़ियाँ
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यहाँ कुछ सीढ़ियाँ चढ़कर मैं मुख्य द्वार तक पहुंचा, सीढ़ियों के बीच में रेलिंग लगाकर इसे तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें से एक मार्ग अंदर जाने का है तो दूसरा बाहर आने का, बीच वाला भाग दोनों तरह के श्रद्धालुओं के लिए है ! सीढ़ियाँ ऊपर जाकर प्रवेश द्वार पर खत्म होती है, सीढ़ियों के दोनों ओर बैठने के लिए चबूतरे भी बने है ! मुख्य भवन में दाखिल होते ही एक बरामदा है जिसके उस पार बने कक्ष में एक चबूतरे पर दाढ़ी वाले हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है, यही सालासर बालाजी है ! इस कक्ष के द्वार और मूर्ति के आस-पास धातु से बढ़िया कारीगरी की गई है, चबूतरे पर गदा, फूल पत्तियां और अन्य कलाकृतियां उकेरी गई है ! हनुमान जी की मूर्ति के ऊपर एक अन्य चबूतरे पर राम दरबार लगाया गया है जहां राम-लक्ष्मण और माता सीता विराजमान है, सभी मूर्तियों के ऊपर चांदी के छत्र लगाए गए है ! इस कक्ष के बाहर पंडित जी आसन लगाकर बैठे है जो यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की पूजा करने में सहायता करने के साथ ही उन्हें प्रसाद वितरित करते है ! यहाँ से बाईं ओर अगले कक्ष में राधा-कृष्ण की मूर्तियाँ स्थापित की गई है, इस कक्ष में ज्यादा सजावट तो नहीं की गई लेकिन मूर्तियों का बढ़िया श्रंगार किया गया है ! कक्ष की बाहरी दीवारें संगमरमर की है, जिस पर पत्थरों को तराश कर बढ़िया कलाकृतियाँ बनाई गई है !
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सालासर बालाजी का दरबार |
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मंदिर के हाल में की गई सजावट |
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मुख्य भवन में राधा-कृष्ण की प्रतिमाएं |
इससे अगले कक्ष में खाटू श्याम की मूर्ति स्थापित की गई है, खाटू-श्याम घटोत्कच पुत्र बरबरीक है जिन्हें खुद भगवान कृष्ण ने आशीर्वाद दिया था कि कलयुग में उन्हें कृष्ण का अवतार माना जाएगा और उनकी पूजा की जाएगी ! इस कक्ष में चबूतरे पर भी धातु से एक धनुष और तीन बाण बनाये गए है जो खाटू-श्याम का चिन्ह है, खाटू श्याम के लिए कहावत है, हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा ! इससे अगले कक्ष में सिंह पर सवार माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है, जिनका खूब सुंदर श्रंगार किया गया है ! जिन चबूतरों पर धातु का काम नहीं हुआ उन पर संगमरमर से ही बढ़िया कलाकृतियाँ बनाई गई है, चांदी का छत्र तो हर मूर्ति पर लगाया गया है ! बारी-2 से सभी देवी-देवताओं के दर्शन किए और फिर कुछ देर वहीं मुख्य भवन में बने हाल में बैठ गया ! मन प्रभु भक्ति में लीन होने के बाद समय कैसे बीतता है पता ही नहीं चलता, कई बार तो लगता है घंटों यहाँ बैठ कर प्रभु स्मरण करते रहो ! इस समय यहाँ मेरे अलावा मंदिर परिसर में गिनती के 2-3 भक्त ही थे, कुछ समय मंदिर परिसर में बिताने के बाद मैं बाहर आ गया और अपनी गाड़ी लेकर घर की ओर चल दिया ! दोस्तों इस लेख में फिलहाल इतना ही, जल्द ही फिर किसी यात्रा पर मुलाकात होगी !
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मुख्य भवन में खाटू श्याम का दरबार |
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मुख्य भवन में खाटू श्याम का दरबार |
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मुख्य भवन में माँ दुर्गा की मूर्ति |
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मुख्य भवन में माँ दुर्गा का दरबार |
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मुख्य भवन में एक अन्य मूर्ति |
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मुख्य भवन में की गई सजावट |
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मुख्य भवन का एक दृश्य |
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मुख्य भवन से दिखाई देता एक दृश्य |
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मंदिर परिसर का एक दृश्य |
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मंदिर परिसर का एक और दृश्य |
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मंदिर परिसर का एक दृश्य |
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मंदिर से बाहर आने का द्वार |
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मंदिर से घर जाते हुए |
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कैली-बल्लभगढ़ मार्ग पर लिया एक चित्र |
लेख समाप्त...फरीदाबाद यात्रा