सोमवार 29 नवंबर, 2021
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यात्रा के पिछले लेख में आप पौड़ी का प्रसिद्ध क्यूँकालेश्वर मंदिर देख चुके है, अब आगे, चाय पीकर पौड़ी से कुछ ही दूर चले थे कि सड़क किनारे एक जगह से हिमालय की पहाड़ियों के शानदार नज़ारे दिखाई दे रहे थे ! सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करके कुछ देर यहाँ रुककर इन प्राकृतिक नज़ारों को देखने लगे, यहाँ से चले तो घुमावदार रास्तों से होते हुए देवप्रयाग की ओर चल दिए, पौड़ी से 10 किलोमीटर चलने के बाद घुड़दौड़ी-जमलाखाल मार्ग अलग हो गया, जबकि हम पौड़ी-देवप्रयाग मार्ग पर बढ़ते रहे ! पौड़ी से देवप्रयाग की दूरी महज 46 किलोमीटर है जो आसानी से डेढ़ घंटे में तय हो जाती है, हम पौड़ी से चले थे तो साढ़े नौ बज रहे थे ! लेकिन हम लगातार नहीं चल रहे थे जहां अपना मन करता वहाँ रुक जाते, पौड़ी से निकलते हुए पहले हिमालय दर्शन के लिए रुके थे और अब रास्ते में एक जगह माल्टा खरीदने के लिए रुक गए ! दरअसल, पौड़ी से निकलते हुए रास्ते में हमें सड़क किनारे कई घरों में मालटे के पेड़ दिखाई दिए, मालटे का सीजन होने के कारण फिलहाल सभी पेड़ फलों से लदे हुए थे, लेकिन जब तक हमें याद आया कि कुछ फल खरीद ले, पेड़ ही दिखने बंद हो गए, एक बार तो मन हुआ कि वापिस जाकर घर के लिए मालटे खरीद लेते है ! लेकिन फिर कुछ दूर चलते ही सड़क किनारे हमें मालटे बेचता एक आदमी दिखाई दिया ! गाड़ी से उतरकर दुकान पर गए तो ये ताजे नहीं थे, और इनका भाव भी कुछ ज्यादा ही था ! इसी बीच यहाँ से कुछ दूरी पर सड़क किनारे हमें कुछ घरों में मालटे के पेड़ दिखाई दिए, देवेन्द्र बोला इन पेड़ों से तुड़वाकर ताजे फल खरीदेंगे ! ये कहकर वो एक घर में गया और लगभग 10 किलो मालटे ले आया, ताजे रसीले मालटे खाकर मन खुश हो गया, कुछ मालटे खाए और बाकि हमने घर के लिए रख लिए !
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रामकुंड घाट, देवप्रयाग |
यहाँ से चले तो सड़क के दोनों ओर बढ़िया हरियाली थी, ऊंचे-2 पेड़ों के बीच से निकलते इस पहाड़ी मार्ग पर चलने में बहुत मजा आ रहा था ! बीच-2 में कहीं कोई रिहायशी इलाका मिलता तो कुछ लोग दिख जाते वरना इस समय सड़क पर तो गिनती की गाड़ियां ही दिखाई दे रही थी ! ऐसे ही चलते हुए 11 बजे हम देवप्रयाग पहुंचे, इस बार भी हम उसी होटल पर जाकर रुके जहां हर पहले 2 बार रुके है, केदारनाथ से वापिस आते हुए और ऋषिकेश से राफ्टिंग के बाद लैंसडाउन जाते हुए भी हम इसी होटल पर रुके थे ! इस होटल के पास जो रामकुंड घाट बना है वो गंगा नदी पर है, यहाँ पर ज्यादा भीड़ भी नहीं रहती और घाट पर बैठकर अविरल बहती माँ गंगा को देखने में खूब आनंद आता है ! देवप्रयाग का संगम स्थल यहाँ से थोड़ी दूर है, जहां हम अपनी पिछली यात्राओं पर जा चुके है ! गाड़ी से उतरकर हम होटल में पहुंचे और हाथ मुंह धोकर घाट पर माँ गंगा के दर्शन के लिए चल दिए, इस होटल के बगल से ही घाट पर जाने के लिए सीढ़ियाँ भी बनी है ! रामकुंड घाट पर पानी का बहाव काफी तेज है, इसलिए लोहे की ज़ंजीरें लगाई गई है ताकि तेज बहाव से खुद को सुरक्षित रखा जा सके ! यहाँ स्नान करके घाट पर कुछ समय बिताने के बाद हम वापिस होटल पहुंचे तो हमारा खाना तैयार था, आधे घंटे में खा-पीकर फ़ारिक हुए तो अपना आगे का सफर जारी रखा ! देवप्रयाग से ऋषिकेश आने वाले मार्ग का विस्तारीकरण होने के बाद यहाँ गाड़ी 80-90 की रफ्तार आसानी से पकड़ लेती है, कौड़ियाला-ब्यासी पार करते हुए कब ऋषिकेश पहुंचे, पता ही नहीं चला !
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पौड़ी से दिखाई देते नज़ारे |
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पौड़ी से दिखाई देते नज़ारे |
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पौड़ी से देवप्रयाग जाते हुए |
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देवप्रयाग स्थित होटल जहां हम रुके थे |
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होटल से दिखाई देता रामकुंड घाट |
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सड़क से दिखाई देती गंगा नदी |
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घाट से दिखाई देता गंगा नदी का नजारा |
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घाट पर जाने की सीढ़ियाँ |
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एक ग्रुप फोटो हो जाए |
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दोपहर का भोजन |
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होटल के संचालक के साथ एक फोटो |
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सड़क से दिखाई देता होटल का नजारा |
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वापसी की तैयारी |
ऋषिकेश से हरिद्वार आने में भी ज्यादा समय नहीं लगा, हरिद्वार में सीएनजी लेने के लिए एक पंप पर रुके, यहाँ काफी भीड़ थी, 20 मिनट में यहाँ से फ़ारिक हुए तो कुछ दूर चलकर फिर से हरिद्वार के जाम में फंस गए ! इस जाम से निकलने में आधा घंटा लग गया ! हरिद्वार में कई नए टनल बनाए गए है ताकि बाहर से आने वाले यातायात को सही ढंग से नियंत्रित किया जा सके ! जाम से निकलकर ऐसे ही एक टनल को पार करते हुए हम दिल्ली जाने वाले मार्ग पर चल दिए ! रुड़की तक यातायात धीमा ही मिला, लेकिन उसके बाद गाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली, मुजफ्फरनगर होते हुए मेरठ पहुंचे तो एक्स्प्रेसवे पर चढ़ने से पहले गाड़ी में फिर से सीएनजी भरवा ली ! मेरठ एक्स्प्रेसवे से उतरकर कुछ ही देर में ईस्टर्न पेरिफेरल वे पर चढ़ गए, इस मार्ग पर घंटे भर सफर करने के बाद बल्लभगढ़ जाने के लिए छायंसा के पास उतरकर मोहना रोड पकड़ लिया ! एक्स्प्रेसवे से उतरने के बाद बल्लभगढ़ पहुँचने में भी आधे घंटे से ज्यादा का समय लग गया, क्योंकि शादी का सीजन होने के कारण रास्ते में जगह-2 जाम था ! यहाँ देवेन्द्र और अनिल ने दिल्ली जाने के लिए मेट्रो पकड़ ली, हमने भी घर के लिए वापसी की राह पकड़ी ! इसके साथ ही ये सफर खत्म होता है जल्द ही आपसे किसी नए सफर पर फिर मुलाकात होगी !
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देवप्रयाग में गंगा नदी पर बना पुल |
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सड़क से दिखाई देता संगम स्थल |
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सड़क से दिखाई देती गंगा नदी और उसपर बना पुल |
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देवप्रयाग |
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देवप्रयाग से ऋषिकेश जाते हुए |
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खूबसूरत नज़ारे |
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ऑल वेदर रोड |
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सड़क की चौड़ाई बढ़ा दी है |
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हर मोड पर बदलते नज़ारे |
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खूबसूरत पहाड़ी मार्ग |
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खूबसूरत पहाड़ी मार्ग |
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देवप्रयाग ऋषिकेश मार्ग |
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रास्ते में बना एक पुल |
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पहाड़ी मार्ग का दृश्य |
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सड़क पर बना एक लोहे का पुल |
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खूबसूरत पहाड़ी मार्ग |
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शानदार नज़ारे |
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देहरादून से निकलते हुए |
क्यों जाएँ (Why to go): अगर आपको धार्मिक स्थलों पर जाना पसंद है और आप उत्तराखंड में कुछ शांत और प्राकृतिक जगहों की तलाश में है तो निश्चित तौर पर ये यात्रा आपको पसंद आएगी ! शहर की भीड़-भाड़ से निकलकर इस मंदिर में आकर आपको मानसिक संतुष्टि मिलेगी ! इस मंदिर के अलावा आप आस-पास के कुछ अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन भी कर सकते है !
कब जाएँ (Best time to go): आप यहाँ साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में यहाँ अलग ही नजारा दिखाई देता है ! लेकिन यहाँ जाने के लिए बारिश का मौसम सबसे उपयुक्त है क्योंकि तब मंदिर के आस-पास की हरियाली देखते ही बनती है !
कैसे जाएँ (How to reach): दिल्ली से इस मंदिर की दूरी मात्र 380 किलोमीटर है जिसे आप 7-8 घंटे में आसानी से पूरा कर सकते है ! दिल्ली से यहाँ आने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग ऋषिकेश-देवप्रयाग होकर है ! अगर आप ट्रेन से यहाँ आना चाहते है तो कोटद्वार यहाँ का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो इस मंदिर से लगभग 106 किलोमीटर दूर है, जबकि हरिद्वार रेलवे स्टेशन से पौड़ी 136 किलोमीटर दूर है ! लेकिन हरिद्वार से चौड़ा मार्ग और यातायात के बढ़िया साधन होने के कारण लोग इसे ज्यादा पसंद करते है ! निजी वाहन से आप अपनी सहूलियत अनुसार किसी भी मार्ग को चुन सकते है !
कहाँ रुके (Where to stay): पौड़ी में रुकने के लिए आपको कई होटल में जाएंगे जिनका किराया 1000 रुपए से शुरू हो जाता है ! पौड़ी में वैसे कई धर्मशालाएं भी है, अकेले यात्रा के दौरान या अगर कम बजट में रुकना हो तो आप इन धर्मशालाओं में भी रुक सकते है !
क्या देखें (Places to see): पौड़ी में कंडोलिया मंदिर के अलावा अन्य कई दर्शनीय स्थल है जिसमें नागदेव मंदिर, क्यूँकालेश्वर मंदिर, खिरसू, ज्वालपा देवी मंदिर, डांडा नागराजा मंदिर और कुछ अन्य स्थलों का भ्रमण कर सकते है !
समाप्त...