शनिवार, 14 अक्तूबर 2017
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यात्रा के पिछले लेख में आपने केदारनाथ धाम में होने वाली संध्या आरती के बारे में पढ़ा, आरती समाप्त होने के बाद खाना खाकर हम आराम करने के लिए अपने होटल में आ गए ! अब आगे, खाना खाकर होटल से चले तो ठण्ड काफी बढ़ चुकी थी, होटल तक पहुँचते-2 सभी लोग सिकुड़ चुके थे ! एक तो ठण्ड और दूसरा दिनभर लम्बा सफ़र करके अच्छी थकान हो गई थी, इसलिए सोने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी ! आधी रात को ठण्ड के कारण मेरी नींद खुल गई, मैंने महसूस किया जैसे-2 रात बढती जा रही थी, मौसम भी ठंडा होता जा रहा था, हालत ये थी कि रजाई में भी ठिठुरन हो रही थी ! गनीमत थी कि कमरे में अतिरिक्त रजाइयाँ रखी थी, शायद होटल वाले को पहले से ही अंदाजा था इसलिए ये अतिरिक्त रजाइयाँ पहले से ही रख दी थी, ठण्ड बढ़ी तो हमने 2-2 रजाइयाँ ओढ़ ली ! इसके बाद बढ़िया नींद आई और ठण्ड के कारण दोबारा नींद नहीं खुली ! रात को सोते समय हमने सुबह का अलार्म लगा दिया था ताकि समय से उठकर वापसी की राह पकड़ सकें ! सुबह अलार्म बजने पर जब मेरी नींद खुली तो पिताजी पहले ही उठ चुके थे, देवेन्द्र की भी नींद खुल चुकी थी और वो प्राणायाम करने में लगा था !
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बर्फ से ढकी पहाड़ियों का एक दृश्य (A view of snow covered Mountains) |