गुड़गाँव से कसौली की सड़क यात्रा (A Road Trip to Kasauli from Gurgaon)

शुक्रवार, 3 जून 2016

इस यात्रा की शुरुआत हुई गुड़गाँव से, जब मेरे कुछ सहकर्मी एक यात्रा पर जाने की योजना बना रहे थे ! इस बाबत जब उन्होनें मुझसे साथ चलने के लिए पूछा तो मैने बिना देरी किए हामी भर दी ! मेरा इस यात्रा को करने का उद्देश्य था अपनी दिनचर्या में थोड़ा बदलाव लाना, रोजमर्रा की भागा-दौड़ी से मैं काफ़ी परेशान हो गया था ! फिर किसी यात्रा पर गए हुए भी मुझे काफ़ी समय हो गया था, सारनाथ से आने के बाद शायद ही कहीं गया था ! मेरे ये सहकर्मी पिछले एक महीने से कभी ऋषिकेश तो कभी नीलकंठ महादेव जाने की योजना बनाने में लगे थे लेकिन अभी तक कहीं भी घूमने जाने का निश्चित नहीं हो पाया था ! किसी भी योजना की सफलता के लिए ज़रूरी है कि जल्द से जल्द उसपर काम शुरू कर दो ! तो अब जिस योजना पर काम चल रहा था वो बहुत लंबी नहीं थी, इसी सप्ताह के अंत में जाने का दिन निश्चित हुआ ! इस यात्रा पर हमारा विचार हिमाचल प्रदेश के कुछ शहरों को देखने का था, 3 दिवसीय इस यात्रा में हम कसौली, चैल, कुफरी, फागू और शिमला देखने वाले थे ! निजी गाड़ी से जाने का विचार था तो टिकटों की भी कोई समस्या नहीं थी !
दूर से दिखाई देता कसौली

यात्रा के लिए ज़रूरत का जो थोड़ा-बहुत सामान चाहिए था वो हमने यात्रा से एक दिन पहले ले लिया ! इस तरह यात्रा की जगह और दिन निर्धारित हो गए ! यात्रा से एक दिन पहले 2 जून को ऑफिस से अपना काम ख़त्म करके मैं अपने सहकर्मी मनोज के घर ही रुक गया ताकि अगली सुबह यात्रा की शुरुआत समय से कर सके ! मनोज गुड़गाँव में ही रहता है जबकि इस यात्रा पर जाने वाला हमारा तीसरा साथी देवेन्द्र उत्तम नगर दिल्ली में रहता है और हमारे साथ ही काम करता है ! ऑफिस से निकलकर मैं और मनोज समय से घर पहुँच गए और शाम को घर के पास ही स्थित एक बाज़ार से अपने साथ ले जाने का खाने-पीने का कुछ सामान ले आए ! बाज़ार से वापिस आकर रात्रि भोजन किया और थोड़ी देर की बातचीत के बाद समय से आराम करने चले गए ! हम इस यात्रा की शुरुआत सुबह 4 बजे कर देना चाहते थे, लेकिन यात्रा पर जाने का उत्साह इतना ज़्यादा था कि रात को 3 बजे का अलार्म लगाने के बावजूद हमारी नींद आधी रात को डेढ़ बजे ही खुल गई !

उसके बाद तो सोने की कई नाकाम कोशिशें की, लेकिन सब बेकार ! अंत में मैने सोचा यहाँ बिस्तर में करवटें बदलने से तो अच्छा है कि यात्रा पर जाने के लिए तैयार ही हो ले ! फिर दोनों बारी-2 से नहाने-धोने में लग गए, अगले आधे घंटे में हम दोनों नहा-धोकर यात्रा पर जाने के लिए तैयार हो चुके थे ! इस बीच हमने देवेन्द्र को कई बार फोन लगाया, लेकिन ना तो उसने फोन उठाया और ना ही उसका फोन आया ! तैयार होने के बाद एक बार फिर से उसे फोन किया, लेकिन नतीजा अब भी वही ! अगर उससे बात हो जाती तो हम 4 बजे से भी पहले निकल पड़ते, लेकिन जब बात ही नहीं हुई तो क्या कर सकते है ! वैसे इसमें उसकी कोई ग़लती नहीं थी, रात को सोने से पहले तो हमने उसे सुबह 4:30 बजे ही धौला कुआँ मिलने को कहा था, अब हम दोनों उल्लुओं को नींद नहीं आई तो वो क्या करे ! वो तो अपने हिसाब से ही अलार्म लगाकर सोया होगा ! खैर, जब देवेन्द्र से बात नहीं हुई तो हम दोनों बैठ कर काफ़ी देर तक यहाँ-वहाँ की बातें करते रहे !

लगभग पौने चार बजे देवेन्द्र का फोन आया, वो बोला अभी नींद खुली तो तुम दोनों के इतने कॉल देख कर सोचा कि कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं ! इसलिए सोचा तैयार होने से पहले एक बार बात कर लूँ, थोड़ी देर बात करने के बाद उसने निर्धारित समय पर ही धौला कुआँ मिलने का कहकर फोन काट दिया ! 4 बजे हम दोनों गुड़गाँव से निकल लिए, घर से निकलकर थोड़ी देर बाद हमारी गाड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर दौड़ रही थी ! इस समय गाड़ी मैं चला रहा था, शंकर चौक के पास यातायात थोड़ा धीमा मिला तो शंका हुई कि कहीं कुछ गड़बड़ है ! सुबह के 4 बज रहे थे लेकिन सड़क पर अभी भी खूब ट्रक और टैक्सी दौड़ रही थी, ट्रकों के कारण ही शंकर चौक पर जाम लग गया था ! खैर, थोड़ी देर में ही हम शंकर चौक से निकल गए, और निर्धारित समय पर धौला कुआँ पहुँच गए ! यहाँ थोड़ी देर की प्रतीक्षा के बाद देवेन्द्र भी आ गया ! फिर हम तीनों गाड़ी में सवार होकर अपने सफ़र के लिए निकल पड़े ! यहाँ से ड्राइविंग सीट पर मनोज आ गया, दिल्ली में ही हमने गाड़ी में सीएनजी और पेट्रोल भी डलवा लिया ! 

रास्ते में एक फेरी वाला दिखा तो कुछ फल भी खरीद लिए ! मुकरबा चौका पार करते-2 सुबह के 6 बज चुके थे, यहाँ पहुँचकर गाड़ी ने थोड़ी रफ़्तार पकड़ी ! लेकिन ये रफ़्तार ज़्यादा देर की नहीं थी क्योंकि इसी रोड पर आगे जाकर भलस्वा डेरी के पास एक लंबा जाम लगा हुआ था ! गनीमत रही कि सीएनजी स्टेशन पर एक व्यक्ति ने हमें इस जाम के बाबत जानकारी दे दी थी ! इसलिए हम मुख्य रोड पर ना चढ़कर सर्विस रोड पर चल रहे थे ! शुरू में तो हमें लग रहा था कि उस व्यक्ति ने हमें कहीं बेवकूफ़ तो नहीं बना दिया, इस बारे में हम तीनों बात भी कर रहे थे ! लेकिन जब रोड पर जाम देखा तो उस व्यक्ति को मन ही मन धन्यवाद कहा ! सर्विस रोड पर होने के कारण हम इस जाम में नहीं फँसे और आराम से निकल गए, अगर इस जाम में फँसते तो यहाँ से निकलने में 1 घंटे से कम समय नहीं लगता ! जाम से निकले तो आगे हमें खाली रास्ता मिला, सुबह के मौसम में थोड़ी ठंडक भी थी और चारों तरफ के नज़ारे भी खूबसूरत थे ! खाली मार्ग मिलते ही गाड़ी की रफ़्तार अपने आप बढ़ गई ! 

लगभग डेढ़ घंटे के सफ़र के बाद मनोज बोला, यार कोई अच्छा सा होटल देख कर चाय पीने के लिए रुकते है ! मैं बोला, भाई ड्राइविंग सीट पर तू बैठा है, जहाँ ठीक लगे रोक लेना, पूछ क्यों रहा है ? थोड़ी देर बाद हमें सड़क किनारे एक बढ़िया होटल दिखाई दिया, पहले से ही यहाँ कुछ गाड़ियाँ भी खड़ी थी ! हमने भी अपनी गाड़ी होटल के सामने पार्किंग में खड़ी कर दी और चाय पीने के लिए अंदर चल दिए ! 3 चाय लाने का आदेश देकर हम बातें करने लगे, थोड़ी देर बाद हमारी चाय आ गई ! खाने का सामान हम अपने साथ लाए ही थे, यहाँ से चाय पीकर उठे तो आधा घंटा हो चुका था ! कुरुक्षेत्र से थोड़ी आगे निकलते ही मनोज ने मुझे ड्राइविंग सीट पर आने का न्योता दे दिया ! अब तक धूप निकल चुकी थी और सीट बदलने के लिए गाड़ी से उतरे तो बाहर के बेरहम मौसम का एहसास भी हो गया ! सुबह से अब तक हम 180 किलोमीटर का सफ़र तय कर चुके थे, और अपनी योजना के हिसाब से तो हम देरी से ही चल रहे थे ! 

यहाँ जो मैं एक बार ड्राइविंग सीट पर बैठा तो फिर इस पूरे सफ़र में स्टियरिंग पर मेरा ही हाथ घूमता रहा ! शहर की भीड़-भाड़ से दूर खुली सड़क पर गाड़ी चलाने का भी अलग ही मज़ा है, फिर चाहे कितनी ही दूर तक गाड़ी चलानी हो, मुझे बड़ा आनंद आता है ! अपने 3 दिवसीय इस सफ़र में हमारा पहला पड़ाव कसौली था, वैसे भी चंडीगढ़ से शिमला जाते हुए इस मार्ग पर पहले हिल स्टेशन कसौली ही आता है ! हमारा विचार कसौली में थोड़ा समय बिताकर आगे बढ़ने का था, वैसे तो कसौली में बहुत कुछ घूमने का नहीं है लेकिन जो कुछ भी है वो तो देखना ही था !

आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि कसौली हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित एक छावनी क्षेत्र है ! दिल्ली के नज़दीक होने के कारण यहाँ हमेशा ही पर्यटकों की खूब आवाजाही होती है ! सप्ताह के अंत में तो यहाँ काफ़ी भीड़ हो जाती है ! 1900 मीटर से थोड़ी अधिक ऊँचाई पर बसे इस क्षेत्र की स्थापना सन 1842 में ब्रिटिश काल में हुई थी ! कसौली की दूरी शिमला से लगभग 70 किलोमीटर जबकि चंडीगढ़ से मात्र 58 किलोमीटर है ! कसौली में देखने के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र मंकी पॉइंट, कसौली चर्च, सनसेट पॉइंट, गिल्बर्ट ट्रेल, बाबा बालक नाथ मंदिर, कसौली क्लब और माल रोड है ! इसके अलावा आप यहाँ प्रकृति के खूबसूरत नज़ारों का भी भरपूर आनंद ले सकते है ! कसौली के माल रोड को दो भागों में बाँटा गया है, ऊपरी माल रोड और निचला माल रोड, इन सभी जगहों के बारे में मैं इस लेख में आगे विस्तार से वर्णन करूँगा ! 

फिलहाल अपनी यात्रा को आगे बढ़ाते है जहाँ हम अंबाला से निकलकर ज़ीरकपुर पहुँच चुके है, यहाँ से सीधा जाने वाला मार्ग चंडीगढ़ चला जाता है जबकि दाईं ओर जाने वाला मार्ग पंचकुला होते हुए कालका जाता है ! कालका को हिमाचल प्रदेश का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है, जिस मार्ग पर हम चल रहे थे वो शहर के बाहर से पंचकुला, पिंजोर, परवाणु होते हुए धर्मपुर को जाता है ! चंडीगढ़ जाने का मतलब है शहर की भीड़-भाड़ में फँसना, और वैसे भी कसौली जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग ये पंचकुला होकर ही है इसलिए हम इसी मार्ग पर हो लिए ! ज़ीरकपुर से कसौली जाने वाला मार्ग शानदार बना है, रास्ते में कई फ्लाइओवर से होकर ये मार्ग गुज़रता है और धीरे-2 पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है ! इस राजमार्ग को हिमालयन एक्सप्रेस वे के नाम से भी जाना जाता है, इस एक्सप्रेस वे के शुरुआत में ही एक टोल प्लाज़ा है ! टोल पर 29 रुपए का शुल्क अदा करके हम आगे बढ़े ! 4 लेन के इस हाइवे पर गाड़ी बढ़िया रफ़्तार पकड़ लेती है, इसी का फ़ायदा उठाते हुए ओवर सपीडिंग का चालान करने के लिए पुलिस वाले भी खड़े रहते है !

थोड़ी दूर जाने के बाद सड़क के किनारे पहाड़ दिखाई देने शुरू हो गये, सड़क के किनारे गहरी घाटियाँ, और दूर दिखाई देते पहाड़ शानदार दृश्य प्रस्तुत करते है ! मुश्किल से 5-6 किलोमीटर ही चले थे कि एक और टोल नाका आ गया, यहाँ भी 30 रुपए का शुल्क अदा किया ! इतनी पास-2 टोल नाके होना कभी-2 पचता नहीं है, सड़क किनारे जगह-2 काम भी चल रहा था ! अधिकतर काम सड़क विस्तारीकरण का ही था, पत्थरों को काट कर सड़क को चौड़ा किया जा रहा है इसलिए कई जगह रास्ते में सड़क किनारे पहाड़ो से टूटे हुए पत्थर भी बिखरे पड़े थे ! सड़क विस्तारीकरण के कारण इस मार्ग पर कभी-2 जाम भी लग जाता है ! पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो चुका था लेकिन यहाँ भी मैदानी इलाक़ों की तरह ही गर्मी पड़ रही थी, जिसका मुख्य कारण शहर का प्रदूषण, पेड़ों की कटाई और सड़क किनारे चल रहा निर्माण कार्य था ! निर्माण कार्य की वजह से वाहनों की रफ़्तार भी थोड़ी धीमी पड़ गई थी, वाहनों को रोक-2 कर आगे निकाला जा रहा था ! थोड़ी देर में भीड़-भाड़ वाले रास्ते को पार करके हम खाली मार्ग पर पहुँच गए !

आने वाले समय में शिमला तक जब 4 लेन हाइवे बन जाएगा तो सफ़र का काफ़ी समय बचेगा ! बीच में कई जगह शिमला जाने वाली टॉय ट्रेन सड़क मार्ग को क्रॉस करती है ! पहाड़ों पर टॉय ट्रेन के इस लूका-छुपी के खेल में आपका सामना कई बार इस ट्रेन से होता है जब आप ऊँचे-2 पहाड़ों पर बलखाती टॉय ट्रेन को दौड़ते हुए देखते है ! हमने भी धर्मपुर से पहले 2 बार इस मार्ग पर टॉय ट्रेन को दौड़ते हुए देखा, वैसे अगर आपको कालका-शिमला टॉय ट्रेन में सफ़र का आनंद लेना है तो अग्रिम बुकिंग कराकर ही जाए, वरना भीड़-भाड़ में आपके सफ़र का मज़ा भी किरकिरा हो सकता है ! अपनी पिछली शिमला यात्रा के दौरान मैने इस टॉय-ट्रेन के सफ़र का मज़ा लिया था ! इस मार्ग पर हम पिंजोर, परवाणु को पार करते हुए धर्मपुर पहुँचे, रास्ते में जहाँ कहीं भी रिहायशी इलाक़े आते, सड़क के दोनों ओर दुकानें भी दिख जाती ! धर्मपुर के पास एक तिराहा है, जहाँ से सीधे जाने वाला मार्ग शिमला जाता है जबकि यहाँ से बाएँ जाने वाले मार्ग पर कसौली है ! धर्मपुर से कसौली की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है, हम इसी मार्ग पर मुड़ गए !

रास्ते में एक कस्बा भी पड़ा, जहाँ एक बस की वजह से थोड़ा जाम लग गया था, सांकरा रास्ता होने के कारण काफ़ी मशक्कत करके बस निकली तो रास्ता खुला ! इसके अलावा हम एक दो जगह फोटो खींचने के लिए भी रुके, क्या शानदार नज़ारे थे, चारों तरफ हरियाली ही हरियाली ! आधे घंटे बाद हम एक छावनी क्षेत्र में पहुँच गए, जहाँ एक बैरियर लगाकर प्रवेश शुल्क के नाम पर 100 रुपए वसूले जा रहे थे ! हम भी शुल्क अदा करके आगे बढ़े, 20 कदम की दूरी पर ही सड़क के दाईं ओर कसौली का छोटा सा बस अड्डा है, और बस अड्डे के पीछे माल रोड ! बस अड्डे के सामने कसौली का चर्च है ! माल रोड के पास से ही एक मार्ग सनसेट पॉइंट के लिए जाता है, इस मार्ग पर कुछ दूर तक तो निजी वाहन ले जाने की अनुमति है लेकिन उसके बाद आपको सनसेट पॉइंट तक की यात्रा पैदल ही करनी होती है ! बस अड्डे में ही लोगों ने अपने निजी वाहन भी खड़े कर रखे थे ! कसौली भ्रमण का विस्तार पूर्वक वर्णन मैं यात्रा के अगले लेख में करूँगा !

रास्ते में पड़ने वाले टोल नाकों का ब्योरा:
पानीपत – 30
करनाल – 114
अंबाला – 36
परवाणु (हिमालयन एक्सप्रेस वे) – 29
परवाणु - 30
सभी टोल शुल्क एक तरफ के है, इतना ही शुल्क वापसी में भी देना पड़ा था !


दिल्ली से निकलते हुए रास्ते में लिया एक चित्र

दिल्ली चंडीगढ़ मार्ग का एक चित्र

टोल नाके का एक दृश्य

दिल्ली चंडीगढ़ मार्ग का एक चित्र

टोल नाके का एक दृश्य

पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो चुका है 

सावधान, आप पहाड़ी क्षेत्र में है 

कसौली की दूरी दर्शाता एक साइन बोर्ड 
कसौली जाते हुए रास्ते में लिया एक चित्र

बलखाता पहाड़ी मार्ग 

कसौली माल रोड का एक दृश्य

कसौली माल रोड का एक दृश्य
क्यों जाएँ (Why to go Kasauli): अगर आप साप्ताहिक अवकाश पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर सुकून के कुछ पल पहाड़ों पर बिताना चाहते है तो आप कसौली का रुख़ कर सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Kasauli): आप साल के किसी भी महीने में कसौली जा सकते है, लेकिन ज़्यादा ऊँचाई पर ना होने के कारण मई-जून के महीने में कसौली में भी गर्मी रहती है ! बाकि पूरे साल यहाँ बढ़िया मौसम रहता है !


कैसे जाएँ (How to reach Kasauli): दिल्ली से कसौली की दूरी लगभग 290 किलोमीटर है, कसौली जाने का सबसे बढ़िया साधन सड़क मार्ग है दिल्ली से कसौली के लिए प्राइवेट बसें और वोल्वो चलती है जबकि आप निजी गाड़ी से भी जा सकते है ! रेल मार्ग से जाना चाहे तो नई दिल्ली से कालका रेलवे स्टेशन जुड़ा है, कालका से आप टॉय ट्रेन की सवारी का आनंद ले सकते है !


कहाँ रुके (Where to stay in Kasauli): कसौली में रुकने के लिए छोटे-बड़े कई होटल है, यात्रा सीजन (मई-जून) में जा रहे है तो होटल का अग्रिम आरक्षण कराकर ही जाएँ ! आप अपनी सहूलियत के हिसाब से 800 रुपए से शुरू होकर 4000 रुपए तक के होटल ले सकते है !


क्या देखें (Places to see in Kasauli): वैसे तो कसौली में देखने के लिए कई जगहें है लेकिन मंकी पॉइंट, माल रोड, सनसेट पॉइंट, गिल्बर्ट ट्रेल और क्राइस्ट चर्च प्रमुख है ! कसौली जा रहे है तो यहाँ के जैम और आचार का स्वाद लेना ना भूलें !


अगले भाग में जारी...

कसौली शिमला यात्रा
  1. गुड़गाँव से कसौली की सड़क यात्रा (A Road Trip to Kasauli from Gurgaon)
  2. कसौली में देखने योग्य मुख्य स्थल (Local Sightseen in Kasauli)
  3. साधुपुल - हिमाचल के एक गाँव में यादगार शाम (A Memorable Evening in Sadhupul)
  4. चैल में देखने योग्य मुख्य स्थल (Local sightseen in Chail)
  5. शिमला में देखने योग्य मुख्य स्थल (Local Sightseen in Shimla)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

8 Comments

  1. प्रदीप भाई.... बहुत अच्छे से और विस्तृत रूप से आपने रोड रिव्यू कर जानकारी प्रस्तुत की....

    चित्र अच्छे लगे....हमारी यात्रा में कभी भी आपकी ये पोस्ट काम आ सकती है...

    धन्यवाद
    www.safarhaisuhana.com

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    1. धन्यवाद रितेश जी, उम्मीद करता हूँ आपकी यात्रा में ये लेख उपयोगी साबित हो !

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    1. धन्यवाद चंद्रा जी !

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  3. आगाज़ अच्छा है ,हम भी साथ चल रहे है प्रदीप ,रास्ते का वर्णन मस्त है और टोल तो सड़क यात्रा में एक जोक के सामान है जो थोड़ी थोड़ी देर में खून पीते रहते है ।

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    1. बहुत अच्छे, अभी आपने पहला भाग ही पढ़ा है ! गति बढ़ाओ बुआ !

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