बहाई उपासना केंद्र - कमल मंदिर - (Lotus Temple in Delhi)

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दिल्ली भ्रमण के दौरान आज हम दक्षिणी दिल्ली के नेहरू प्लेस इलाक़े में आ पहुँचे है ! आज हम जिस इमारत को देखने जा रहे है वो दक्षिणी दिल्ली में स्थित एक धार्मिक स्थल है ! ऐतिहासिक नगरी दिल्ली में वैसे तो कई धार्मिक स्थल है लेकिन जो जगह आज मैं आपको दिखाने वाला हूँ उसका दिल्ली में अपना अलग ही महत्व है ! नेहरू प्लेस का नाम सुनते ही काफ़ी लोग तो इस जगह के बारे में जान चुके होंगे, बाकी लोगों को बता दूँ कि मैं दिल्ली के कमल मंदिर की बात कर रहा हूँ ! नेहरू प्लेस के पास स्थित कमल मंदिर खूबसूरती की एक मिसाल है, इसलिए लोग दूर-2 से इस मंदिर को देखने के लिए आते है ! नेहरू प्लेस से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर का निर्माण बहाई समुदाय द्वारा करवाया गया है ! ये मंदिर दिल्ली के मुख्य आकर्षण केंद्रों में से एक है इसलिए  दिल्ली घूमने आने वाले अधिकतर लोग इस मंदिर में भी ज़रूर जाते है ! ये मंदिर की खूबसूरती ही है कि कुछ लोग धार्मिक कारणों से तो अन्य लोग मंदिर की बनावट को देखने के लिए इसकी ओर खिंचे चले आते है ! मंदिर तक पहुँचने के लिए यातायात के वैसे तो कई विकल्प मौजूद है, लेकिन सबसे सस्ता और बढ़िया साधन दिल्ली मेट्रो ही है ! नेहरू प्लेस और कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन से इस मंदिर की दूरी मात्र 300 मीटर ही है इसलिए इन दोनों स्टेशनो में से आप कहीं भी उतर कर मंदिर तक पैदल भी जा सकते है ! 
कमल मंदिर का एक दृश्य 

यहाँ पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन ओखला है जिसकी दूरी इस मंदिर से महज दो-ढाई किलोमीटर है ! नेहरू प्लेस का बस-अड्डा भी मंदिर से ज़्यादा दूर नहीं है और अगर आप निजी गाड़ी या ऑटो से मंदिर तक आना चाहे तो मंदिर के पास पार्किंग की भी उचित व्यवस्था है ! मंदिर के बाहर सड़क किनारे खाने-पीने के कई विकल्प मौजूद है, फेरी वालों से लेकर कुछ छोटी-बड़ी दुकानें भी है जहाँ खाने-पीने का लगभग सभी सामान मिलता है ! 1986 में बनकर तैयार हुए इस मंदिर की आकृति कमल के फूल जैसी है इसलिए इसका नाम कमल मंदिर पड़ा ! अपनी अद्भुत कलाकृति के कारण इस मंदिर ने वास्तुकला के क्षेत्र में कई इनाम भी जीते है ! बहाई धर्म का धार्मिक स्थल होने के बावजूद इस मंदिर के द्वार हर धर्म और क्षेत्र के लोगों के लिए सदा से ही खुले हुए है, इसलिए यहाँ प्रतिदिन हज़ारों लोग दर्शन के लिए आते है जिसमें विदेशी सैलानियों की तादात भी काफ़ी होती है ! 

वैसे भी भगवान तो एक ही है, बस धर्म के नाम पर लोग उन्हें अलग-2 नामों से पुकारते है ! इस मंदिर के 9 प्रवेश द्वार है, जो भवन के मुख्य हाल में खुलते है, हर द्वार के सामने एक तालाब भी बना है इस तरह मंदिर प्रांगण में 9 तालाब है ! मंदिर को बनाने में कुछ 27 पंखुड़ियों का प्रयोग हुआ है और मुख्य हाल में एक साथ 2500 लोगों के बैठने की व्यवस्था भी है ! इस मंदिर की ऊँचाई 112 फीट है जबकि इसका व्यास 230 फीट है, मंदिर को बनाने के लिए अधिकतर सफेद संगमरमर का प्रयोग हुआ है, जो ग्रीक से मँगवाए गए थे ! 26 एकड़ में फैले इस मंदिर के चारों ओर खूब हरियाली है मंदिर परिसर में विभिन्न प्रकार के फूल भी लगे है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते है ! तालाब में दिखाई देता नीले रंग का पानी सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर की खूबसूरती में चार-चाँद लगा देता है ! आकाश से देखने पर इस मंदिर का एक शानदार दृश्य दिखाई देता है ! मंदिर के आस-पास के शांत वातावरण को देखकर लगता ही नहीं है कि आप दिल्ली के किसी व्यस्त इलाक़े के इतने नज़दीक है !

मंदिर जाने के लिए मैं नेहरू प्लेस मेट्रो स्टेशन उतरा और स्टेशन से बाहर निकलकर पैदल ही मंदिर के प्रवेश द्वार की ओर चल दिया ! मुख्य मार्ग पर गाड़ियों का काफ़ी आवागमन रहता है और फिर आज तो धूप भी बहुत तेज थी इसलिए मैं एक पार्क के अंदर से होता हुआ मंदिर की ओर चल दिया ! थोड़ी देर की पद यात्रा के बाद जब मैं प्रवेश द्वार पर पहुँचा तो यहाँ काफ़ी लंबी लाइन लगी हुई थी ! पंक्ति में कुछ विदेशी लोग भी खड़े थे, इस मंदिर में जाने का कोई प्रवेश शुल्क नहीं है बावजूद इसके मंदिर परिसर में खूब अच्छी व्यवस्था है ! मैं जाकर उसी पंक्ति में खड़ा हो गया, पंक्ति मुख्य मार्क के किनारे बने एक फुटपाथ पर से होकर आगे जा रही थी ! सड़क किनारे ही कुछ फेरी वाले खाने-पीने से लेकर ज़रूरत का अन्य सामान बेच रहे थे, ऐसे ही एक फेरी वाले से मैने एक सेल्फी स्टिक ली ! हालाँकि, अभी तक इस स्टिक का प्रयोग नहीं किया है, शायद आगे किसी यात्रा पर काम आ जाए ! प्रवेश द्वार से अंदर जाने पर एक चेकिंग काउंटर से होते हुए मैं मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर आगे बढ़ गया ! कमल मंदिर वैसे तो मंदिर के बगल से जाने वाले मार्ग से भी दिखाई देता है, लेकिन जो मज़ा इसे पास से देखने में है वो बाहर वाले मार्ग से नहीं मिल सकता !

चेकिंग काउंटर से एक सीधा मार्ग काफ़ी दूर तक जाता है जो आगे जाकर बाएँ मुड जाता है, जो सीधा मंदिर तक जाता है ! मंदिर तक जाने वाले मार्ग के दोनों ओर हरे-भरे मैदान है जिसमें खूब फूल-पौधे लगे है ! हालाँकि, मंदिर प्रांगण में मार्ग के किनारे बने बगीचों में जाने पर पाबंदी है, आवाजाही रोकने के लिए मार्ग के दोनों ओर रस्सियाँ भी लगाई गई है ! अगर पाबंदी ना हो तो प्रेमी-युगल दिल्ली के अन्य दर्शनीय स्थलों की तरह इन बगीचों में भी अपना डेरा डाल लेंगे ! इतनी घेराबंदी और सुरक्षा के बावजूद भी इक्का-दुक्का लोग फोटो खिंचवाने के लिए बगीचों में पहुँच ही जाते है ! मैं इस मंदिर में कई बार आया हूँ, और हर बार आने पर एक अलग ही अनुभव रहता है, पिछली बार मैं यहाँ जब आया था तो मंदिर के सभी द्वारों पर घूम-2 कर फोटो खिंचवाए थे ! लेकिन इस बार नियम में काफ़ी बदलाव कर दिए गए है और काफ़ी जगहों पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है ! मंदिर के पूर्वी द्वार को निकास द्वार बना दिया गया है जबकि इसके उत्तरी द्वार से घूम कर प्रवेश द्वार तक जाने के मार्ग बना है ! इन दोनों द्वारों के अलावा बाकी सभी द्वार आम जनता के लिए बंद कर दिए गए है, लोग इन द्वारों पर ना जा सके इसके लिए तार से घेराबंदी भी की गई है और गार्ड भी तैनात कर दिए गए है !

मैं भी चलता हुआ मंदिर के उत्तरी द्वार तक जाने वाले मार्ग पर पहुँच गया, फिर यहाँ सीढ़ियों से होकर मैं एक चबूतरे पर पहुँचा ! इस चबूतरे से मंदिर के चारों ओर बने तालाबों का शानदार दृश्य दिखाई देता है, लोगों ने धर्म के नाम पर इन तालाबों में पैसे भी फेंके हुए है ! वैसे, तालाब का पानी नीला नहीं है वो तो नीले रंग की टाइलें लगी है जिससे पानी का रंग नीला दिखाई देता है ! सफेद मंदिर और नीला पानी, शानदार मिश्रण लगता है, चबूतरे से ही मंदिर के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित इस्कॉन मंदिर भी दिखाई देता है जो यहाँ से ज़्यादा दूर नहीं है ! कमल मंदिर के चारों ओर बने तालाबों के आस-पास लाल पत्थर का फर्श बना है, जहाँ अधिकतर लोग फोटो खिंचवाने में लगे रहते है ! इन तालाबों में फव्वारे भी लगे है जो शायद रात को चलते होंगे, क्योंकि मैं यहाँ हर बार दिन में ही आया हूँ और मैने कभी भी ये फव्वारे चलते नहीं देखे ! मैं सीढ़ियों से नीचे उतरकर तालाब के किनारे पहुँचा और इसके आस-पास के चित्र लेने लगा !

यहीं तालाब के किनारे मंदिर का एक कर्मचारी जूते रखने के लिए प्लास्टिक के थैले दे रहा था, मैने भी अपने जूते रखने के लिए एक थैला ले लिया ! पिछली बार जब मैं यहाँ आया था तो मंदिर के पूर्वी द्वार पर एक जूता घर हुआ करता था जो शायद अब बंद कर दिया गया है इसलिए अब आपको अपने जूते थैले में रखकर अपने साथ लेकर मंदिर परिसर में घूमना होता है ! मुझे ये बात नहीं समझ आई, कि जूते अपने साथ ही लेकर मंदिर में घूमो तो फिर उसे उतरवा ही क्यों रहे हो? अगर आप में से किसी को ये बात समझ आई हो तो मुझे भी बताना ! निर्देश अनुसार मैने अपने जूते उतारकर एक थैले में रखे और मंदिर के मुख्य भवन में जाने वाली लाइन में जाकर खड़ा हो गया ! मंदिर के उत्तरी भाग से घूमकर हम लोग एक चबूतरे पर चढ़कर फिर से मंदिर के पूर्वी द्वार की ओर ही पहुँच गए ! कुछ सीढ़ियों से होते हुए ये लाइन मंदिर के बाहर वाले बरामदे में जाकर 3-4 हिस्सो में बँट गई और मुख्य भवन में खुलने वाले दरवाज़ों के सामने जाकर हम सब खड़े हो गए ! थोड़ी देर बाद मंदिर के कुछ कार्यकर्ताओं ने लाइन में खड़े सभी लोगों से मंदिर से जुड़ी कुछ ज़रूरी और महत्वपूर्ण जानकारी साझा की !

यहाँ सभी लोगों को हिदायत दी गई कि मंदिर में बैठकर शांति से प्रार्थना करे और शोर-शराबा या बातें ना करे ! शायद मंदिर में आवाज़ गूँजती होगी, या कुछ अन्य कारण, लेकिन लोगों से अपील की जाती है कि मंदिर के मुख्य हाल में शांति बनाए रखे ! फिर जब अन्य लोगों के साथ मैने भी मुख्य भवन में प्रवेश किया तो मंदिर की भव्यता देखकर इसे बनाने वाले कारीगरों की तारीफ़ किए बिना नहीं रह सका ! ऐसी कारीगरी बहुत कम ही देखने को मिलती है, और अगर मिले तो तारीफ़ तो बनती ही है ! मुख्य हाल में लोगों के बैठने के लिए बेंच लगाए गए है, जिनपर बैठकर सभी लोग प्रार्थना करते है ! मैं भी एक बेंच पर जाकर बैठ गया और आँखें बंद करके प्रार्थना करने लगा ! थोड़ी देर बाद आँखें खोली तो मुख्य हाल के अंदर भवन के ऊपरी भाग को निहारने लगा, जो काफ़ी सुंदर है ! इस मंदिर में खूब शीशे लगे है ताकि अंदर पर्याप्त रोशनी और हवा आती रहे ! मुख्य भवन में बैठकर लोग प्रार्थना में ही ध्यान लगाए इसलिए अंदर फोटो खींचने पर मनाही है, इस दौरान मैने भी अपना कैमरा बंद ही रखा ! प्रार्थना ख़त्म करने के बाद मैं मुख्य हाल से बाहर आ गया, और बरामदे में खड़े होकर मैने कुछ फोटो खींचे !

जब काफ़ी देर यहाँ बिता लिया तो मैं मंदिर के पूर्वी द्वार से होता हुआ बाहर जाने वाले मार्ग पर चल दिया ! जैसे-2 मैं मंदिर से दूर होता जा रहा था, पेड़-पौधों के बीच में से दिखाई देता कमल मंदिर एक अलग ही दृश्य प्रस्तुत कर रहा था इसलिए मैं इस मंदिर के इस रूप को भी अपने कैमरे की नज़र से भी देखता रहा ! थोड़ी देर बाद मैं मुख्य द्वार से होता हुआ मंदिर के बाहर आ गया, अभी सूर्यास्त होने में काफ़ी समय बचा था इसलिए अभी और घूमूंगा ! वैसे तो आप कमल मंदिर में कभी भी जा सकते है लेकिन अगर ठंडे मौसम में जाएँगे तो अच्छे से घूम पाएँगे, क्योंकि मंदिर तक जाने के लिए काफ़ी चलना पड़ता है ! बढ़िया रहेगा आप सर्दी या वर्षा ऋतु में किसी दिन यहाँ घूमने जाएँ ! मंदिर घूमने के लिए आपको बहुत ज़्यादा समय नहीं लगेगा, 1 से डेढ़ घंटे का समय पर्याप्त है बाकि आपकी इच्छा पर निर्भर है !


कमल मंदिर का दूर से दिखाई देता एक नज़ारा
मंदिर परिसर में लगे पेड़-पौधे
मंदिर परिसर में लगे पेड़-पौधे
मंदिर परिसर में लगे पेड़-पौधे
मंदिर जाने का मार्ग
मंदिर जाने का मार्ग
मंदिर का एक और दृश्य
मंदिर परिसर में बने तालाब
परिसर में खिले फूल
मंदिर के बरामदे से दिखाई देता एक दृश्य
कमल मंदिर का प्रवेश द्वार
मंदिर परिसर से दिखाई देता इस्कॉन मंदिर
कमल मंदिर
कमल मंदिर
तालाब में गिरे पैसे


परिसर में खिले फूल
कमल मंदिर से बाहर जाने का मार्ग
क्यों जाएँ (Why to go Lotus Temple): अगर आप वास्तुकला का शौक रखते है तो ये जगह आपको ज़रूर देखनी चाहिए ! इसके अलावा दिल्ली में शांति के कुछ पल बिताने का मन हो तो भी ये मंदिर बहुत बढ़िया विकल्प है !

कब जाएँ (Best time to go Lotus Temple
): आप साल भर किसी भी दिन यहाँ जा सकते है लेकिन अगर ठंडे मौसम में जाएँगे तो ज़्यादा अच्छा रहेगा !

कैसे जाएँ (How to reach Lotus Temple): दिल्ली के नेहरू प्लेस के पास इस 
मंदिर को देखने के लिए आप मेट्रो से जा सकते है, इस मंदिर के सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन कालकाजी मंदिर है जहाँ से कमल मंदिर की दूरी महज आधा किलोमीटर है जिसे आप पैदल भी तय कर सकते है या रिक्शा ले सकते है ! अगर ट्रेन से आ रहे है तो ओखला रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है, जहाँ से आप इस मंदिर तक आने के लिए ऑटो ले सकते है !

कहाँ रुके (Where to stay in Delhi): अगर आप आस-पास के शहर से इस 
मंदिर को देखने आ रहे है तो शायद आपको रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी ! जो लोग कहीं दूर से दिल्ली भ्रमण पर आए है उनके रुकने के लिए दिल्ली में रुकने के बहुत विकल्प मिल जाएँगे !

क्या देखें (Places to see near Lotus Temple
): अगर दिल्ली भ्रमण पर निकले है तो दिल्ली में घूमने के लिए जगहों की कमी नहीं है आप लाल किला, जामा मस्जिद, राजघाट, लोधी गार्डन, हुमायूँ का मकबरा, इंडिया गेट, चिड़ियाघर, पुराना किला, क़ुतुब मीनार, सफ़दरजंग का मकबरा, अक्षरधाम, कालकाजी मंदिर, अग्रसेन की बावली, इस्कान मंदिर, छतरपुर मंदिर, और तुगलकाबाद के किले के अलावा अन्य कई जगहों पर घूम सकते है ! ये सभी जगहें आस-पास ही है आप दिल्ली भ्रमण के लिए हो-हो बस की सेवा भी ले सकते है या किराए पर टैक्सी कर सकते है ! बाकि मेट्रो से सफ़र करना चाहे तो वो सबसे अच्छा विकल्प है !

अगले भाग में जारी...

दिल्ली भ्रमण
  1. इंडिया गेट, चिड़ियाघर, और पुराना किला (Visit to Delhi Zoo and India Gate)
  2. क़ुतुब-मीनार में बिताए कुछ यादगार पल (A Day with Friends in Qutub Minar)
  3. अग्रसेन की बावली - एक ऐतिहासिक धरोहर (Agrasen ki Baoli, New Delhi)
  4. बहाई उपासना केंद्र - कमल मंदिर - (Lotus Temple in Delhi)
  5. सफ़दरजंग के मक़बरे की सैर (Safdarjung Tomb, New Delhi)
  6. लोधी गार्डन - सिकंदर लोदी का मकबरा (Lodhi Garden - Lodhi Road, New Delhi)
  7. दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की सैर - पहली कड़ी (A Visit to Historical Monument of Delhi, Red Fort)
  8. दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की सैर - दूसरी कड़ी (A Visit to Historical Monument of Delhi, Red Fort)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

10 Comments

  1. प्रदिप जी कमल मन्दिर दिखने में बहुत सुंदर है, ओर अंदर बहुत शांति रहती है, इसे शायद बहाई समुदाय ने बनवाया था, आप ने गलती से ईसाई लिख दिया है।

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    1. हाँ सचिन भाई, ग़लती से ही लिख दिया था लेकिन अब ठीक कर दिया है !

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  2. मै गया था अच्छा लगा था मंदिर

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  3. प्रदीप जी.... आपकी ये पोस्ट मुझे बहुत अच्छी लगी.... हालाकि अभी तक इसका साक्षात् स्वरूप में दर्शन नहीं किया... पर आपने कैमरे की नजर से बहुत अच्छे चित्रों के माध्यम से इस मंदिर के दर्शन हुए | फूलो के चित्र बहुत सुन्दर आये ...... मेरे ख्याल से चित्रों [पर कुछ काम किया जा सकता था |

    लोटस टेम्पल तो दिल्ली की पहचान बन चुका है...हमेशा से

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    1. रितेश भाई, आप फोटो एडिटिंग की बात कर रहे है ? वैसे इस मामले में मैं बहुत अच्छा नहीं हूँ ! इसलिए जो कैमरा पकड़ता है मैं वहीं लगा देता हूँ !

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  4. दो तीन बार इधर गया हूँ , कभी अकेला कभी परिवार के साथ लेकिन आपकी नजर से इसे फिर से देखना बहुत ही अच्छा लगा ! फोटो बहुत आकर्षक हैं !

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    1. जी धन्यवाद योगी जी !

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  5. अच्छा यात्रा विवरण दिया आपने। इस जानकारी के लिए आपका साधुवाद

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    1. उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद विकास जी !

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