वृंदावन का पागल बाबा मंदिर (Pagal Baba Temple of Vrindavan)

इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

अब तक आपने पढ़ा कि कैसे बिरला मंदिर देखने के बाद मैं श्री कृष्ण जन्मभूमि और द्वारकाधीश मंदिर देखे बिना बेरंग ही लौट आया ! अब आगे, द्वारकाधीश मंदिर से पागल बाबा के मंदिर तक की 8 किलोमीटर की दूरी तय करने में मुझे ज़्यादा समय नहीं लगा ! मैं 10-12 मिनट में ही पागल बाबा मंदिर के मुख्य द्वार के सामने पहुँच गया, इस मंदिर की खूबसूरती भी देखते ही बनती है, सफेद संगमरमर का बना ये मंदिर भी यहाँ आने वाले लोगों में काफ़ी लोकप्रिय है ! मथुरा से वृंदावन आने पर बिरला मंदिर से 4 किलोमीटर चलने पर सड़क के बाईं ओर ये मंदिर स्थित है, जबकि प्रेम मंदिर से आने पर पुल से उतरकर तिराहे से दाएँ मुड़कर आधा किलोमीटर दूर ये मंदिर है ! लोग दूर-2 से इस मंदिर में दर्शन के लिए आते है, मैने मंदिर के अंदर वाली दीवारों पर लोगों की लिखी हुई मन्नतें भी देखी जो इस मंदिर के महत्व को प्रमाणित करती है ! नौ मंज़िला इस मंदिर में भगवान को विभिन्न झाँकियों द्वारा उनके विराट रूप और क्रियाकलाप दर्शाएँ गए है ! इस मंदिर का निर्माण ब्रज के प्रमुख संत श्री लीलानंद जी ठाकुर (पागल बाबा) द्वारा करवाया गया है, और इस मंदिर की गिनती उत्तर भारत के कुछ विशाल मंदिरों में की जाती है !

Pagal Baba Temple Vrindavan

मंदिर में जाने के दो मार्ग है, वैसे तो एक मार्ग अंदर जाने का है और दूसरा बाहर आने का, लेकिन लोग अपनी सुविधानुसार दोनों से आवाजाही करते है ! मंदिर के बाहर मुख्य सड़क से हटकर गाड़ियाँ खड़ी करने की भी पर्याप्त जगह है, और ये सुविधा निशुल्क है ! मैं अपनी मोटरसाइकल मंदिर के बाहर एक रेहडी वाले के पास खड़ी करके मंदिर के अंदर चल दिया ! मंदिर परिसर में दोनों मार्गों के बीच में माता सुदेवी का एक कुंड है, जिसमें इस समय पर्याप्त पानी था ! कुंड से आगे बढ़ते ही एक खाली मैदान है जिसमें खूब हरियाली थी, इस मैदान में एक फव्वारा भी था लेकिन इस समय ये चल नहीं रहा था ! मंदिर के अंदर जाने वाले दोनों मार्ग पत्थर के बने है, मार्ग के किनारे लोगों के बैठने के लिए जगह-2 पत्थर की सीटें भी बनी है ! मंदिर परिसर में ही एक फोटोग्राफर भी घूम रहा था जो प्रिंटर की मदद से 5 मिनट में ही आपकी फोटो तैयार करके दे देता है ! आप यहाँ फोटो खिंचवाकर उसे याद के तौर पर लंबे समय के लिए सहेज कर रख सकते है ! भूमितल पर मुख्य भवन के ठीक सामने एक अखंड ज्योति जलती रहती है ! 

मंदिर परिसर में जूते-चप्पल रखने के लिए एक जूता घर भी है, जिसमें नाम मात्रा का सेवा शुल्क लगता है इसलिए लोग सहर्ष दे देते है ! मंदिर सुबह 5 बजे खुलकर दोपहर साढ़े ग्यारह बजे बंद हो जाता है फिर दोपहर बाद 3 बजे खुलकर रात को 9 बजे बंद होता है ! चलिए अब मंदिर में प्रवेश करते है, जूते उतारकर मैं मंदिर के मुख्य भवन की ओर चल दिया ! भूमितल पर अखंड ज्योति के सामने वाले भवन में विद्युत लीला घर है, प्रवेश शुल्क है मात्र 5 रुपए प्रति व्यक्ति ! इस लीला घर में प्रभु की विभिन्न लीलाओं को वीडियो के माध्यम से दिखाया जाता है ! हालाँकि, भीड़ ज़्यादा होने के कारण मैं लीला घर में नहीं गया, पर फिर भी एक बार जाने लायक जगह तो है ! भूमितल पर मुख्य भवन में राधा-कृष्ण जी की सुंदर प्रतिमा लगी है, सीढ़ियों से होते हुए मैं प्रथम तल पर पहुँचा ! यहाँ एक बड़े हाल में भजन-कीर्तन चल रहा था, दो भक्तजन लाउडस्पिकर में भजन गा रहे थे, जिसकी ध्वनि पूरे मंदिर में सुनाई दे रही थी ! 

द्वितीय तल पर कृष्ण-बलराम जी की प्रतिमा लगी है, जबकि तृतीय तल पर नंद-यशोदा जी विराजमान है ! चतुर्थ तल पर राम जी का दरबार है जहाँ राम, लक्ष्मण, और सीता जी की प्रतिमा लगी है तो पाँचवे तल पर लक्ष्मी-नारायण जी की मूर्तियाँ स्थापित की गई है ! छठा तल ओम के लिए सुरक्षित है, मंदिर में जैसे-2 आप ऊपर चढ़ते जाओगे, सीढ़ियाँ भी संकरी होती जाती है ! शुरू के 4-5 तल तक तो सीढ़ियाँ खूब चौड़ी है, पर इस से ऊपर सीढ़ियों की चौड़ाई बहुत ही सीमित है ! एक बार में इन संकरी सीढ़ियों से 2 ही लोग जा सकते है, ये सीढ़ियाँ भी एकदम खड़ी है, जिसकी मुख्य वजह है, ऊपर के भवन छोटे होना ! इस सबके बावजूद भी यहाँ आने वाले भक्तों की तादात में कभी कोई कमी नहीं आती ! मंदिर के सबसे ऊपर वाले दो तलों पर तो काफ़ी भीड़ हो गई थी, लोगों का निकलना भी मुश्किल हो गया था ! फिर भी लोग बारी-2 से सबको आगे जाने दे रहे थे ! मैने इस मंदिर की भीतरी दीवारों पर लोगों की लिखी हुई मन्नतें भी पढ़ी, एक-दो नहीं बल्कि ऊपरी भाग का तो पूरा दीवार ही इन मन्नतों से भरा पड़ा था ! लोगों को अपनी मन्नत लिखने के लिए दीवार पर जगह नहीं मिल रही थी, वैसे मुझे लोगों की मन्नतें पूरी होने के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है !

पर लोगों की आस्था देखकर हैरानी ज़रूर हुई, भाई मेहनत करोगे तो भगवान भी आपका साथ देंगे और आपको फल भी मिलेगा ! ऐसे मन्नतें लिखने से सबकी इच्छाएँ पूरी हो जाती तो लोग सबकुछ छोड़ कर दिन-रात मन्नत ही लिखते रहते ! वैसे मंदिर के ऊपरी भाग से देखने पर बेहतरीन नज़ारा दिखाई दे रहा था, मंदिर के पिछले भाग में खेत थे तो सामने कुछ निर्माणाधीन इमारतें थी ! शाम के समय कृत्रिम रोशनी में भी यहाँ से काफ़ी खूबसूरत नज़ारा दिखाई देता होगा ! इस मंदिर के अंदर फोटो खींचने पर कोई पाबंदी नहीं थी, हाँ, मूर्तियों की फोटो लेने में पंडित ज़रूर आपत्ति जता रहे थे ! हर तल पर एक पंडित जी विराजमान थे, ताकि लोग भगदड़ ना मचाएँ ! इस मंदिर में यात्रियों के रुकने की व्यवस्था भी है, मंदिर के धर्मशाला में कितने लोगों के रुकने की व्यवस्था है, इसका मुझे अनुमान नहीं ! दर्शन करने के बाद मैं नीचे की ओर चल दिया, नीचे आने के बाद खुद से ही कहे बिना रहा नहीं गया कि वाकई ये काफ़ी ऊँचा मंदिर है !

मैने उत्तर भारत में शायद ही इतना ऊँचा कोई मंदिर देखा हो, और अगर कोई मंदिर है भी तो उसमें ऊपर जाने की अनुमति शायद ही हो ! जूता घर से मैने अपने जूते लिए और मंदिर के निकास द्वार की ओर चल दिया ! निकास द्वार पर कुछ दुकानें सजी थी जहाँ भजन-कीर्तन के गानों से लेकर और पूजा की दूसरी सामग्री उपलब्ध थी ! लोग इस दुकान से खूब खरीददारी कर रहे थे, वैसे खरीददारी करने वाले अधिकतर यात्री बाहर के ही लग रहे थे ! स्थानीय लोग तो यहाँ अक्सर आते ही रहते है इसलिए वो खरीददारी पर ज़्यादा ज़ोर नहीं देते ! मैने भी श्री कृष्ण के भजन की एक सीडी ले ही ली और फिर मंदिर से बाहर आकर अपनी मोटरसाइकल की ओर चल दिया ! अभी भी वृंदावन में घूमने के लिए काफ़ी मंदिर बचे थे, देखते है आज और कितने मंदिरों में जा पाता हूँ ! यहाँ से निकलकर मैं रंगनाथ जी मंदिर को देखने के लिए चल दिया !

पागल बाबा मंदिर की एक झलक (Pagal Baba Temple)
मंदिर परिसर में बना कुंड






अखंड ज्योति














मंदिर के ऊपर से दिखाई देता दृश्य (A view from top)




मंदिर के ऊपर से दिखाई देता दृश्य (A view from Top of temple)


दीवारों पर लिखी मन्नते (Prayers written on the temple wall)

क्यों जाएँ (Why to go Vrindavan): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर धार्मिक नगरी की तलाश में है तो वृंदावन आपके लिए उपयुक्त स्थान है यहाँ भगवान कृष्ण को समर्पित इतने मंदिर है कि आप घूमते-2 थक जाओगे पर यहाँ के मंदिर ख़त्म नहीं होंगे ! वृंदावन के तो कण-2 में कृष्ण भगवान से जुड़ी यादें है, क्योंकि उनका बचपन यहीं ब्रज में ही गुजरा ! कृष्ण भक्तों के लिए इससे उत्तम स्थान पूरी दुनिया में शायद ही कहीं हो !

कब जाएँ (Best time to go Vrindavan): 
वृंदावन आप साल के किसी भी महीने में किसी भी दिन आ सकते है बस यहाँ के मंदिरों के खुलने और बंद होने का एक निर्धारित समय है अधिकतर मंदिर दोपहर 12 बजे के आस पास बंद हो जाते है ! फिर शाम को 5 बजे खुलते है, इसलिए जब भी वृंदावन आना हो, समय का ज़रूर ध्यान रखें ! 

कैसे जाएँ (How to reach Vrindavan): वृंदावन आने का सबसे बढ़िया और सस्ता साधन रेल मार्ग से है, मथुरा यहाँ का सबसे नज़दीकी बड़ा रेलवे स्टेशन है जो देश के अन्य शहरों से रेल मार्ग से बढ़िया से जुड़ा है ! मथुरा से वृंदावन की दूरी महज 15 किलोमीटर है, रेलवे स्टेशन के बाहर से वृंदावन आने के लिए आपको तमाम साधन मिल जाएँगे ! अगर आप दिल्ली से सड़क मार्ग से वृंदावन आना चाहे तो यमुना एक्सप्रेस वे से होते हुए आ सकते है ! दिल्ली से वृंदावन की कुल दूरी 185 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको ढाई से तीन घंटे का समय लगेगा !

कहाँ रुके (Where to stay in Vrindavan): वृंदावन एक प्रसिद्ध धार्मिक शहर है यहाँ रोजाना दर्शन के लिए हज़ारों यात्री आते है ! लोगों के रुकने के लिए यहाँ तमाम धर्मशालाएँ और होटल है ! आप अपनी सहूलियत के हिसाब से 500 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक के होटल ले सकते है !


कहाँ खाएँ (Eating option in Vrindavan): वृंदावन में अच्छा ख़ासा बाज़ार है जहाँ आपको खाने-पीने के तमाम विकल्प मिल जाएँगे ! मथुरा के पेड़े तो दुनिया भर में मशहूर है अगर आप वृंदावन आ रहे है तो यहाँ के पेड़ों के अलावा कचोरियों का स्वाद भी ज़रूर चखें !

क्या देखें (Places to see in Vrindavan): 
ये तो मैं आपको बता ही चुका हूँ कि वृंदावन भगवान कृष्ण की नगरी है यहाँ घूमने के लिए अनगिनत मंदिर है ! फिर भी कुछ मंदिर है जो यहाँ आने वाले लोगों में ख़ासे लोकप्रिय है जिनमें से कुछ है बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, बिरला मंदिर, जयपुर मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि, माँ वैष्णो देवी मंदिर, रंगनाथ मंदिर और गोविंद देव मंदिर !

अगले भाग में जारी...

वृंदावन यात्रा
  1. वृंदावन के प्रेम मंदिर में बिताए कुछ पल (An Hour Spent in Prem Mandir, Vrindavan)
  2. वृंदावन का जयपुर मंदिर (A View of Jaipur Temple in Vrindavan)
  3. वृंदावन का खूबसूरत बिरला मंदिर (Birla Temple of Vrindavan)
  4. श्रीकृष्ण जन्मभूमि और द्वारकाधीश मंदिर (Shri Krishna Janmbhoomi and Dwarkadheesh Temple, Mathura)
  5. वृंदावन का पागल बाबा मंदिर (Pagal Baba Temple of Vrindavan)
  6. भगवान विष्णु को समर्पित रंगनाथ मंदिर (A Temple Dedicated to Lord Vishnu)
  7. हिंदू-मुस्लिम शिल्पकला का प्रतीक - गोविंद देव मंदिर (Beauty of Govind Dev Temple, Vrindavan)
  8. माँ वैष्णो देवी धाम – वृंदावन (Maa Vaishno Devi Temple, Vrindavan)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

6 Comments

  1. nice place and good description :)

    ReplyDelete
  2. बहुत खूबसूरत चित्र खासकर पागल बाबा मंदिर के |वाह |

    ReplyDelete
    Replies
    1. रूपेश भाई, पागल बाबा का मंदिर वाकई लाजवाब है !

      Delete
  3. I was looking at some of your posts on this website and I conceive this web site is really instructive! Keep putting up.. barridos electronicos madrid

    ReplyDelete
Previous Post Next Post