बुधवार 3 अप्रैल 2019
इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें !
यात्रा के पिछले लेख में आप मेरे साथ बाला किले का भ्रमण कर चुके है, अब आगे, किले से वापिस आते हुए हमें ज्यादा समय नहीं लगा और कुछ ही देर में टिकट घर के सामने बने द्वार से निकलकर बाहर आ गए ! यहाँ से एक रास्ता नीचे जंगल से होता हुआ विजय सागर झील को चला जाता है, लेकिन वन्य क्षेत्र होने के कारण ये मार्ग प्रतिबंधित है हालांकि, फिर भी काफी लोग इस मार्ग से आवाजाही करते है ! इस यात्रा का हमारा अगला पड़ाव अलवर का सिटी पैलेस है जिसकी दूरी किले के टिकट घर से मात्र 1 किलोमीटर है, जबकि अलवर शहर से ये पैलेस 3 किलोमीटर दूर है ! भीड़-भाड़ होने के कारण सिटी पैलेस पहुँचने में हमें 10 मिनट का समय लगा, वैसे सिटी पैलेस की ये इमारत अब न्यायिक परिसर और कुछ अन्य सरकारी विभागों का कार्यालय बन चुकी है ! ऐसे ही एक कार्यालय के ऊपर अलवर का संग्रहालय स्थापित किया गया है, जहां जाने के लिए कुछ सीढ़ियाँ चढ़कर, गलियारों से होते हुए पहुंचा जा सकता है ! हालांकि, कामकाजी दिवस होने के कारण हम सिटी पैलेस का भ्रमण तो नहीं कर पाए क्योंकि सिटी पैलेस में मौजूद सारे कार्यालय आज खुले हुए थे ! लेकिन यहाँ का संग्रहालय इन कार्यालयों से अलग सबसे ऊपरी मंजिल पर था इसलिए यहाँ घूमने में कोई परेशानी नहीं हुई ! संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर एक गार्ड बैठा था, 20 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से प्रवेश टिकट लिया और गार्ड को ये टिकट दिखाकर हम संग्रहालय परिसर में दाखिल हुए !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj4j_wu1iizhPrHw8SyingUE8603xXad5E5lv_AGZaMjNO0OF3ymmAi2dWXG8Wed0ME6gcwLar8oH4RjolAuDTWh3z_pMLALP-D5lEOnCE-aVFadvBTteMEhBs16dACtPvmHHxzQ6aHe3UI/w640-h360/Img09.jpg) |
अलवर के सिटी पैलेस का एक दृश्य
|
इस परिसर में पर्याप्त रोशनी थी और यहाँ संग्रहित वस्तुओं को बढ़िया तरीके से सजाया गया था, दीवारों पर हल्के आसमानी और सफेद रंगों का मिश्रण इतना प्रभावी लगता है कि यहाँ रखी वस्तुएं निखरकर सामने आ रही थी ! यहाँ की साज-सजावट और व्यवस्था ने मुझे बहुत प्रभावित किया, वैसे भी बाहर धूप में घूमते हुए बुरा हाल हो गया था, यहाँ आकर थोड़ी राहत मिली ! चलिए, आगे बढ़ने से पहले आपको इस संग्रहालय से संबंधित कुछ जानकारी दे देता हूँ, प्राप्त जानकारी के अनुसार अलवर के सिटी पैलेस का निर्माण यहाँ के द्वितीय शासक महाराज बख्तावर सिंह ने 1793 में शुरू करवाया था, लेकिन इस पैलेस का निर्माण कार्य महाराज विनय सिंह के कार्यकाल में पूर्ण हुआ, इन्हीं के कार्यकाल में यहाँ के पुस्तकालय का निर्माण कार्य शुरू हुआ ! अलवर के अगले शासक महाराज जयसिंह ने गायकों के लिए महल के सबसे ऊपरी मंजिल पर तीन बड़े कक्षों का निर्माण करवाया, जो वर्तमान में संग्रहालय का रूप ले चुके है ! 1909 में महल की चुनिंदा वस्तुओं को पहली बार यहाँ नुमाइश के लिए रखा गया था, जिनमें पुस्तकें, अस्त्र-शस्त्र, शाही आभूषण और पोशाकें शामिल थी ! तत्पश्चात, 1940 में एक ब्रिटिश अधिकारी मेजर वाल्टर हार्वे ने शाही संग्रह की प्रदर्शनी को आधुनिक रूप देते हुए महल की ऊपरी मंजिल पर स्थित तीन बड़े कक्षों को संग्रहालय का रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ! इसी से प्रेरणा लेकर राजस्थान के अधिकतर राजघरानों द्वारा खुद की संग्रहित की गई वस्तुओं को संग्रहालय का रूप देना शुरू कर दिया गया !
इसलिए हम कह सकते है कि राजस्थान में इसके बाद संग्रहालयों का चलन शुरू हो गया, वर्तमान में आपको राजस्थान या देश के अन्य महलों में भी संग्रहालय देखने को मिल जाएंगे ! अलवर के इस संग्रहालय में विभिन्न वस्तुओं को प्रदर्शनी के लिए रखा गया है जिसमें हथियार, पोशाकें, शतरंज, चौसर, विभिन्न प्रकार के बर्तन, मूर्तियाँ और शिकार किए गए पशु-पक्षियाँ शामिल है ! इन सभी वस्तुओं को शीशे के अलग-2 बक्सों और अलमारियों में सजाकर रखा गया है, इसके अलावा इस कक्ष के बीचों-बीच राज परिवार द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं को को भी प्रदर्शनी के लिए रखा गया है ! यहाँ दी गई जानकारी के अनुसार संग्रहालय में रखी वस्तुओं को छूना सख्त मना है, आदेश की अवहेलना करने पर आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान है, इसलिए आप कभी यहाँ आए तो इन बातों का जरूर ध्यान रखे ! हम बारी-2 से इन सभी वस्तुओं को देखते हुए आगे बढ़ेंगे, सबसे पहले हम संग्रहालय की उस गैलरी में पहुंचे जहां युद्ध में प्रयोग होने वाले हथियारों को रखा गया था, इनमें तलवार, धनुष-बाण, ढाल, कवच, कुल्हाड़ी, खंजर और युद्ध के दौरान प्रयोग में आने वाली अन्य वस्तुओं को तरीके से सजाकर रखा गया था ! इन हथियारों को बनाने में ऐसी धातुओं का प्रयोग किया जाता था कि इतने वर्ष बीत जाने के बाद आज भी इनकी चमक बरकरार है ! गैलरी के अगले भाग में विभिन्न प्रकार की बंदूकों को सजाकर रखा गया है, जिसमें छोटी-बड़ी सभी तरह की बंदूकें शामिल थी !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitQBQHUqc-k72dAbjrvODCubrPZLlZWAyetP1e4pjmHkL5VqAykBAW_HojCcUu77_2Vi36VuTe9c_Nflo5dt5z_-yGfqGSBKZy8CpnwicWiTgIGFjLK58FnSbq8ijQ9x6Svra-OdWZyD-5/w640-h358/Img01.jpg) |
अलवर के संग्रहालय का प्रवेश द्वार |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHE5Pzoz280HBVWMIw7whNa3kOUvLnbtWTLTgHVUrZt6wheamdddX5I18DXYHqKf8YHjhyYLiB_MD3p3cmFfyTK1kj35WTyJ4TiOubn8Qqbtko5KzUWvoNl__FOfNDuJT4Ys2ARqrkmeSu/w640-h360/Img02.jpg) |
प्रवेश टिकट |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXVGyZzKxGzGj_u9M1xcgiTZZq2q4Fir50Z-kAhZIiFm3IpbUPm6pJ99IzZiXDbINJrUYSoJUVMd3YmWKmfcJkRZGJsurevzDic-kvfztcHqyO9QzpOkDuwVfRZn687E2LqzK4regrVvj7/w640-h368/Img03.jpg) |
युद्ध के दौरान पहनी जाने वाली एक पोशाक |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgn0RNhYoHIkgWnVC8eowWqKTW3yr2eBcb9W5NKZkyKwkf_YYUHfdo9uMROoK_wibJjgDW3iZgPwvUlXQkll3vZ9v4edPrsKRXueIrmzgkEY-7apds3C72oyHC1_tSiHRPG8JeCRZp5XvRP/w422-h640/Img04.jpg) |
मुट्ठी में पकड़कर चलाया जाने वाला एक हथियार |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZzbFBQ9XYD0XX7yhZFG0xJwnHehaTCyIYuw1rOi9_LhdOB3VN9dgsUk7ygvGJiR38qbIapYq9Bfv2LQdMp-Hm9cKILp5fLDuEYhwShnXKkBa54oVPv-dSWdgp7NLMIdR05Bwx53IQE2mR/w422-h640/Img05.jpg) |
कुछ अन्य हथियार |
एक अलमारी में बारूद रखने के लिए अलग-2 आकार के धातु और हाथी दांत से बनाई गई बन्दूकदानियाँ रखी थी, जिनपर हाथीदांत और अन्य धातुओं से बढ़िया कारीगरी की गई थी ! इनमें से कुछ बंदूकें तो दुर्लभ थी, जिनकी बनावट भी अलग थी और इनके ऊपर सजावट की गई थी !थोड़ा आगे बढ़ने पर एक अलमारी में छोटी तोपें रखी थी, पता नहीं ये सिर्फ सजावट के लिए थी या प्रयोग में भी लाई जाती थी ! शाही परिवार द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले सिंहासन और अन्य फर्नीचर का सामान भी यहाँ प्रदर्शनी के लिए रखा गया था ! यहाँ घूमते हुए कब घंटों बीत जाते है पता ही नहीं चलता, इस संग्रहालय में जितना भी घूम लो, कम लगता है ! घूमते हुए हम संग्रहालय के दूसरे कक्ष में पहुंचे, जहां अधिकतर चित्रों को ही प्रदर्शित किया गया है जिसमें अलवर पर शासन करने वाले शासकों के चित्र प्रमुख है ! आगे बढ़ने पर अलग-2 कलाकृतियों को फ्रेम में सजाकर रखा गया है, कुछ देवी-देवताओं के चित्र भी इस कक्ष में प्रदर्शनी के लिए रखे गए है ! कुछ चित्रों को तो हाथी दांतों पर उकेरा गया है जो वाकई एक अद्भुत कला है, हाथी दांतों का प्रयोग प्राचीन समय में सजावट के सामान बनाने में भी किया जाता था ! तीसरे कक्ष में जाते ही सामने राजा जयसिंह की साइकिल प्रदर्शनी के लिए रखी गई थी, सामान्य सी दिखने वाली ये साइकिल यहाँ आकर्षण का केंद्र है ! इस कक्ष में अलवर के शासकों द्वारा शिकार किए गए जानवरों और पक्षियों की खाल में घास-फूँस भरकर रखा गया है, जो जीवंत से प्रतीत होते है ! अलवर और इसके आस-पास के क्षेत्रों से खुदाई में मिली मूर्तियों को यहाँ संग्रहालय में प्रदर्शनी के लिए रखा गया है जिसमें से कुछ तो बहुत प्राचीन मूर्तियाँ है !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhC8W0Byg5cIcFJGRpdANORxONRPZrws_pwEXnWKNZMYgpIQjtGpOQJ1wy__9od5UK6tj5ID7VE_JljTVFfbL-_pI_-gPI8V1O1vX_rv2U7-RqA504iMj2wpq6avUvJ9G51Fu3fLb3EmYJx/w640-h360/Img06.jpg) |
प्रदर्शनी के लिए रखी कुछ दुर्लभ बंदूकें |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhuBKKbdC5ML7icEMAKclwF97bAtqQpJTgIUcceiWjUFxvRNhvYWcH40T6J5m4u8EFCYPnA6DLa1S_76I_egBwPN4NJ9OSSFnlJzOiaQvIQMn0hKqhmSdI_KtsERdU5zg4hECM97xgEx2V1/w382-h640/Img07.jpg) |
युद्ध के दौरान पहले जाने वाला कवच और हेलमेट |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjFcPWEC3Yd1LOoV05UXYJxVGQyOFBoG4vV5PC1Nyd0j4RIO_n31nhdXZqGijByTT6eymuQWxucxxqTLcJ_mZeJ-QTcNv77duT_oB5EOYmiV3Nq0t79m-Pm6DnaASvVlG1aQAwyBnJ_rGv7/w640-h374/Img08.jpg) |
प्रदर्शनी के लिए रखी छोटी तोपें |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhROSzYffVT6DMBJfsP3XTfUbOEKosdxrHdZQ9v0h7ut0F7F-UCk0rAB0DS_SXZZEf7rHI6HLp5fh33OxtMGleEqhLXKMF2U9zuJ9GYkDo6f0gUCw-ga_yIWB4f3pghjb3Bjr75bEI3pdx6/w640-h356/Img10.jpg) |
इस कक्ष में प्रदर्शनी के लिए चित्र रखे थे |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiDvD9GlIgJOUVhiGcRkOvP39iol9NWtKFMXqq3H3O5ODKWa63AxbDYlk69WL7S_-esvXTIdK0HX_iy6TTOGRzjQGuIvUGiYRaGj07-RC8yD9Gp6bGixNdGs5f_8NbheGVLYg14zoP6QgoY/w640-h360/Img17.jpg) |
संग्रहालय के अंदर का एक दृश्य |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhZwpCqWr4rws-xiIUul7KZqBZaZsMLYWhMN0s5ksFOY4xn-3Vs1Lf-Rhyphenhyphenk6N5dUwNA-morJC5UldE2zHLemQsKreZ4YQVmLZtKGW1T34oIcIBeJUHh0F2D81dC7pwSiiWQw8km_5jpHjDj/w496-h640/Img16.jpg) |
कुछ प्राचीन मूर्तियाँ |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhvQQFMaAr5Ulh5MlI6gYgnh5ffp9Vd5UDoke4PPc8d0i9H5et3fvBfzDBtdSZt4JcwXPqTkC3dL7rtFvWPCQ2PcWx2da-ZrO1WDZL02CDl-Z8ZKe4LUgcaoltThC308ukW5N9HcidwB1LA/w640-h360/Img15.jpg) |
संग्रहालय के अंदर का एक अन्य दृश्य |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcAJ3qE2OP8ZrmHLOauauEQQ1dL4-AkihFl7hLi1YCMKg0HkAuMjOvTWaf553evnXuxc3HYfZPU50AR3P9_as3nzZU9Vv1ohligIXx1yzDDubRUJc4xWoJyE3Fcu6dC8Z5_0O7VdcUYtRW/w394-h640/Img14.jpg) |
सजावट के लिए रखी कुछ वस्तुएं |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiXJ-lM5l4F3wJRWWzZ5c15p8vaiwQMLsUgDyc_lLOJ4UO6a5c2QoRI31F5WdLW0knlOhnhYe8CBnv-j8vUXqn3kFxOgDfX_q4LXBdQK2kbdPXO6vP6q0YmqbWkUEMxhzpye44-3_UYOcbl/w390-h640/Img13.jpg) |
सजावट के लिए रखी कुछ वस्तुएं |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgt9wsjdHG4CzaLh3rauTXqI1wZ416yGLrCSVXl4ngy2qJf2yp3cznGxm5cv19Ie9St7QoSkzkdyMVk-A-JEvAH4KOOWTkeMb-u1wvTZ8pz5B5DMXj2MfEl8W9lF2tuKBTXM7i-c0OYfHL1/w450-h640/Img12.jpg) |
चंदन की लकड़ी पर की गई कलाकारी |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCMkOp-dvry8-FZZWscSCiepzrQRo36FNYl9Dnzjo2sXqqBM81o0v2EANqeIZpG8TCEWUcpAjpblhWAtI-vf-BkDLkjOki0oNBMHYmUkcb4GYnnNu5yBDvpDQeI-0o3CmhZnOrUOmN3shs/w640-h354/Img11.jpg) |
अलवर के राजा जयसिंह द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली साइकिल |
यहाँ चीनी मिट्टी से बने बर्तनों को अलग-2 अलमारियों में सजाकर रखा गया है, थोड़ा आगे बढ़ने पर शतरंज और चौसर को भी शीशे की अलमारियों में सजाकर प्रदर्शित करने के लिए रखा गया है ! चंदन की लकड़ी से बनाई गई वस्तुओं जैसे बर्तन, सिंगारदान और कुछ अन्य वस्तुओं पर की गई कलाकृतियों को भी यहाँ बखूबी दर्शाया गया है ! इन्द्र विमान, दक्षिण के कुछ मंदिरों, सरिस्का पैलेस और विनय विलास पैलेस के मॉडल को यहाँ बनाकर रखा गया है, इस तरह आप इस संग्रहालय में घूमते हुए इन जगहों की जानकारी ले सकते है ! शाही पोशाकों को भी इसी कक्ष में प्रदर्शनी के लिए रखा गया है, जो अलग-2 समय पर शाही लोगों द्वारा प्रयोग में ले जाते थे ! आगे बढ़ने पर हमें कुछ वाद्य यंत्र भी दिखाई दिए, जो यहाँ शीशे की अलमारियों में सजाकर रखे गए थे इनमें सितार, ढोलक, तबला, हारमोनियम, गिटार, और वाइलिन प्रमुख है ! चीनी मिट्टी के बर्तनों पर की गई कलाकारी भी यहाँ देखने को मिलती है, अलग-2 आकार और रंग-बिरंगे चीनी मिट्टी के बर्तन पर्यटकों को खूब आकर्षित करते है ! एक अन्य अलमारी में रखी हाथी दांत से बनी वस्तुएं उस समय के कलाकारों की कला को बखूबी दर्शाती है ! सभी वाद्य यंत्रों के अलग-2 आकार और डिजाइन के वाद्य यहाँ आपको यहाँ दिखाई देंगे ! चलिए, आप भी चित्रों के माध्यम से इस संग्रहालय का आनंद लीजिए, फिलहाल इस लेख पर विराम लगाते हुए आपसे विदा लेता हूँ, अगले लेख में जल्द मुलाकात होगी !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiLryFB5Qnv-mgK3tVgayEdrh-dF20dgY89b2ngruPfBzBt7dkHV33wu2GNkVUOT5isJwinQ24LZBBHWPFD-16JAFzd8Z33D4CEKxwYo-MVZPOvMnaXJwjegx4w4DEx5sqHl7XOD5BhyphenhyphensKF/w640-h360/Img18.jpg) |
प्रदर्शनी के लिए रखा शतरंज |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhZdR3AY6JZHx-SjDkenpPktsnGVq46RwYIE_NF-tEMvyVPvA-NQULtkAHNXI8O2lD5OoKs_xPcDXD1m_i30qWOPwKrY4nWPEuNXVUjFvaoI_udww6QwN7eyQD67T_GdYXnlgvZ9xyoNz1I/w640-h360/Img19.jpg) |
प्रदर्शनी के लिए रखा शतरंज |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhRI83E6ezG0EISENiomk9DnNrc3sLFXpopj733BAJQzQ4K2seCT71VJbtejHUN_tuEpYoqYkQLN5KocG70YcUAzfLQyJkBLq6n0i_pp4T1r5861hUQWhpG4ihqNjdxC-H8yjgra6VCMP8_/w640-h360/Img20.jpg) |
अलवर के शासकों द्वारा शिकार किये कुछ पक्षी |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRdFqy3K5CMY-GeYx50q4wkZvNVDYR7x1v07Y78hboCbsvEVeo7WZNRMoaq8Zv6M6GcXGmH0xkoz_MUlViXutM2M7VKsTbD0gQAELP3qKVemF8sAZ1dY-knpeq3RzlTnY_LolMxw-hPnbZ/w640-h360/Img21.jpg) |
अलवर के शासकों द्वारा शिकार किया गया एक बाघ |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgIVA1l6rfXkdHNfoln-rOAiE0PjLvhj2noaxC1cPIofjWH-17V4YJA-t9nPd2OOFJMB7zCUZ7Jq_wpv0n4bQvGV4TIDwI2j67B6NrFDjshZ8fKJurdPk7dbELnIKGXX1jjz-iG8UcowC7e/w640-h354/Img22.jpg) |
सरिस्का पैलेस का एक मॉडल |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJavBacE6u8f-DmNSYI9ZR405FYli3-8dvrcs_QOXg1VPAcXfnXkgaZnynTdN8RkuxofUOqpPx8JvmitDILSfQt4jf5ZFFRX37alWweCXRH_vDpVbx4m5uKs3F5nfZJ3b-vVO4Th6YjpmB/w640-h352/Img23.jpg) |
प्रदर्शनी के लिए रखे कुछ वाद्य यंत्र |
क्यों जाएँ (Why to go): अगर आप ऐतिहासिक इमारतों को देखना पसंद करते है और साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो आप अलवर के बाला किले का भ्रमण कर सकते है !
कब जाएँ (Best time to go): वैसे तो आप अलवर साल के किसी भी महीने में जा सकते है लेकिन गर्मियों में यहाँ का तापमान बहुत बढ़ जाता है और ऐसे में किला घूमना आसान नहीं होता ! इसलिए कोशिश कीजिए कि आप बारिश के मौसम में या सर्दियों में यहाँ भ्रमण के लिए आए !
कैसे जाएँ (How to reach): दिल्ली से अलवर की दूरी महज 170 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 2-3 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से अलवर जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मानेसर-भिवाड़ी होते हुए है, बढ़िया मार्ग बना है ! अगर आप ट्रेन से यहाँ आना चाहते है तो अलवर देश के कई रेलमार्गों से जुड़ा हुआ है ! अलवर रेलवे स्टेशन से इस किले की दूरी मात्र 11 किलोमीटर है, जिसे आप टैक्सी या ऑटो से तय कर सकते है !
कहाँ रुके (Where to stay): अलवर राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है लेकिन यहाँ रुकने के लिए बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है ! फिर भी जो होटल है उनमें से आप अपनी सुविधा अनुसार 1000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! वैसे अलवर में घूमने की जगहें आप शहर में रहकर भी आसानी से देख सकते है इसलिए कोशिश कीजिए कि किसी सुनसान जगह ना रुककर शहर के बीच ही रुके !
क्या देखें (Places to see): अलवर में देखने की कई जगहें है जिसमें से बाला किला, सिटी पैलेस, मूसी महारानी की छतरी, मोती डूंगरी, कंपनी गार्डन, सिलिसेढ़ झील, और सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य प्रमुख है !
तिजारा-अलवर यात्रा
- तिजारा का जैन मंदिर (A visit to Jain Temple of Tijara)
- अलवर का बाला किला (A Visit to Bala Fort, Alwar)
- अलवर का सिटी पैलेस और संग्रहालय (City Palace and Museum, Alwar)
- मूसी महारानी की छतरी (Cenotaph of Maharani Moosi, Alwar)