जूनागढ़ का ऐसितासिक किला (Junagarh Fort, Bikaner)

बुधवार, 27 दिसंबर 2017

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यात्रा के पिछले लेख में आप जैसलमेर से बीकानेर आगमन और फिर जूनागढ़ किले में प्रवेश करने तक का वर्णन पढ़ चुके है ! अब आगे, टिकट खिड़की पर ज्यादा भीड़ ना होने के कारण हमें अधिक समय नहीं लगा, देवेन्द्र जब टिकट लेकर खिड़की से हटा तो हमने सोचा ऑडियो गाइड भी ले लेते है, लेकिन यहाँ ऑडियो गाइड 400 रूपए की थी जोकि काफी ज्यादा थी ! जबकि प्रवेश शुल्क मात्र 50 रूपए प्रति व्यक्ति था, वैसे मेरे विचार में किसी भी ऐतिहासिक जगह को घूमना हो तो ऑडियो गाइड से बेहतर कुछ नहीं है क्योंकि इनमें ऐसे स्थानों की सारी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध रहती है ! हम ऑडियो गाइड के बारे में विचार-विमर्श कर ही रहे थे कि तभी हमें पता चला कि इस पैलेस के ट्रस्ट की तरफ से भी गाइड की निशुल्क व्यवस्था है ! 15-20 पर्यटकों को लेकर एक गाइड इस पैलेस का भ्रमण करवाता है, गाइड का भुगतान इस पैलेस का ट्रस्ट करता है ! यहाँ इस तरह के कई गाइड रहते है और आधे-पौने घंटे में आपको ये गाइड रोचक जानकारियों और किस्सों के साथ जूनागढ़ के इस किले का पूरा भ्रमण करवा देते है ! बाकि अगर आपको निजी गाइड या ऑडियो गाइड लेना हो तो उसके लिए अलग से भुगतान करके ये सुविधा ली जा सकती है ! हम भी ट्रस्ट के ऐसे ही एक गाइड के साथ हो लिए जो अभी एक ग्रुप को अन्दर लेकर जाने की तैयारी में था !

junagarh fort
किले के अंदर का एक दृश्य

चलिए, आगे बढ़ने से पहले आपको इस किले से सम्बंधित कुछ ज़रूरी जानकारी दे देता हूँ जूनागढ़ के इस किले को पहले चिंतामणि किले के नाम से जाना जाता था ! लेकिन 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में जब इस किले में रहने वाला शाही परिवार यहाँ से निकलकर लालगढ़ पैलेस चले गए तो इस किले का नाम बदलकर जूनागढ़ किला रख दिया गया ! ये किला राजस्थान के उन चुनिन्दा किलों में से एक है जिसका निर्माण किसी पहाड़ी पर ना होकर समतल भूमि पर हुआ है ! जूनागढ़ किला बीकानेर शहर के पास ही विकसित हुआ है, किले से बाहर निकलते ही सामने मुख्य सड़क है जिसपर वाहनों की खूब आवाजाही रहती है ! इस किले को बनाने में 6 वर्ष का समय लगा था, किले का निर्माण कार्य 1589 में शुरू हुआ था जो 1594 में बनकर तैयार हुआ ! इसका निर्माण बीकानेर के तत्कालीन शासक राजा राय सिंह ने करवाया था जिन्होनें बीकानेर पर 1571 से 1611 तक शासन किया ! इतिहासकारों की माने तो इस किले पर कई बार आक्रमण हुए लेकिन कोई भी दुश्मन इस किले पर फतह हासिल ना कर सका, केवल कामरान मिर्जा ने एक दिन के लिए इस किले पर कब्ज़ा किया था ! सवा पांच एकड़ में फैला जूनागढ़ का किला कई भवनों का समूह है, जिसमें कई महल, मंदिर, और रंगमंच बने हुए है, किला परिसर में बनी ये इमारतें तत्कालीन वास्तुकला का उत्कृष्ट उदहारण है !

Junagarh fort Ticket
किले का प्रवेश टिकट 

Junagarh Fort
किले के अंदर का एक दृश्य 

वास्तविक महल में समय-2 पर बीकानेर शासकों द्वारा कई भवन बनवाए गए, जिसमें से करण महल, फूल महल, और गज मंदिर का निर्माण बीकानेर के चौदहवे शासक महाराजा गज सिंह ने 1745 से 1787 के बीच करवाया, और अनूप महल का निर्माण बीकानेर के सत्रहवें शासक महाराजा सूरत सिंह ने 1766 से 1828 के बीच करवाया, जबकि छत्तर महल का निर्माण बीकानेर के बीसवें शासक महाराजा डूंगर सिंह ने 1872 से 1887 के बीच करवाया, ! ये जानकारी महल परिसर में स्थित एक बोर्ड पर अंकित थी, इसके अलावा यहाँ अन्य कई उपयोगी जानकारियाँ दी गई थी ! चलिए आगे बढ़ते है जहां हम अपने गाइड के साथ चलते हुए अब महल के अंदर प्रवेश कर चुके थे, अंदर जाते ही हम महल के बीच स्थित एक खुले बरामदे में पहुंचे ! यहाँ गैलरी में चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई थी, जबकि बरामदे में महाराज गज सिंह द्वारा जोधपुर के सोजती गेट से जीती गई एक तोप रखी हुई थी ! इस बरामदे के चारों ओर बालकनी में खूबसूरत मेहराबें बनी है जबकि बीच-2 में पत्थर से बनी छतरीनुमा आकृतियाँ है, लाल पत्थर से बने महल की दीवारों पर भी बढ़िया कारीगरी की गई है ! जूनागढ़ का किला हिंदुस्तान के सबसे सुंदर और सुसज्जित किलों में से एक है !

किले के अंदर का एक दृश्य

किले के अंदर का एक दृश्य

किले में रखी एक तोप

इस किले को बनाने में प्रयोग हुए लाल पत्थरों को बैलगाड़ियों द्वारा जैसलमेर से लाया गया था, किले में अधिकतर महलों को बरामदे के किनारे ही बनाया गया है, इसलिए इन महलों के बाहर वाली मेहराबों से बरामदे में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है ! गाइड के साथ हम सबसे पहले करण महल पहुंचे, श्वेत संगमरमर से बने  इस महल में मेहराबों को सुनहरे गुंबदों और पत्थर की जालियों से सजाया गया है ! किले की खिड़कियाँ रंगीन कांच की बनी हुई है और जटिलतापूर्वक चित्रित की हुई बालकनी का निर्माण लकड़ियों से किया गया है, महल के अंदर भी बढ़िया सजावट की गई है ! इसके बाद हम फूल महल पहुंचे, ये इस किले का सबसे पुराना भाग है, यहाँ एक गैलरी में प्रदर्शनी के लिए तत्कालीन वस्तुओं को रखा गया है ! इन्हीं वस्तुओं को देखते हुए हमें कुछ रोचक जानकारियाँ भी मिली, जैसे महल को ठंडा रखने के लिए उस समय किस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था ! उस समय  बेड की ऊंचाई जमीन से बहुत नीचे रखी जाती थी ताकि कोई दुश्मन बेड के नीचे छुप ना सके, इसी तरह बेड की लंबाई भी छोटी रखी जाती थी ताकि अगर कोई दुश्मन राजा को बेड पर बांध दे तो वो उठकर बेड के साथ भी चल सके ! ये सारी रोमांचक बातें हमारे गाइड ने हमें बताई !

किले के अंदर का एक और दृश्य

किले के अंदर की सजावट

अनूप महल का एक दृश्य 

चंद्र महल इस किले के सबसे भव्य हिस्सों में से एक है, जहां स्वर्ण निर्मित देवी-देवताओ की कलाकृतियाँ और पेंटिंग लगी है जिनमें बहुमूल्य रत्न भी जड़े हुए है। इस शाही बेडरूम में कांच को इस तरह से लगाया गया है कि राजा अपने पलंग पर बैठे हुए ही जो कोई भी उनके कमरे में प्रवेश कर रहा है उसे देख सकते है । इस किले में एक बादल महल भी है, राजस्थान में कम बारिश की स्थिति से तो आप सभी वाकिफ होंगे ! पुराने समय में राजस्थान की रेगिस्तानी भूमि में बारिश होने पर त्योहार जैसा माहौल होता था ! राजा-महाराजा सूखे के मौसम में बारिश का एहसास लेने के लिए अपने शाही भवनों में बादल महल बनवाते थे । आपको राजस्थान के कई किलों में बादल महल देखने को मिल जाएंगे, बीकानेर के अलावा जयपुर, और नागौर के किलों में भी बादल महल बने है ! फूल महल से निकलकर हम अनूप महल पहुंचे, इस महल की भव्यता भी देखते ही बनती है, इस किले के भीतरी भाग में एक संग्रहालय भी है जिसमें तत्कालीन पोशाके, कई दुर्लभ चित्र, वाद्य यंत्र, फर्नीचर और सैकड़ों हथियारों के अलावा राजा द्वारा शिकार किये गए जंगली जानवरों को सहेज कर रखा गया है । यहाँ एक लड़ाकू विमान भी रखा गया है जिसका प्रयोग प्रथम विश्व युद्ध में हुआ था, ये विमान बीकानेर के महाराज गंगा सिंह को ब्रिटिश सरकार द्वारा उपहार स्वरूप दिया गया था ! 

बादल महल का एक दृश्य

प्रदर्शनी में रखा एक हथियार

प्रथम तल से दिखाई देता एक दृश्य

किले के अंदर का एक दृश्य

किले के अंदर का एक दृश्य

शस्त्रागार में रखे तीर

शस्त्रागार में रखे हथियार

शस्त्रागार में रखे तलवार

शिकार किया हुआ एक तेंदुआ

उपहार में मिला एक लड़ाकू विमान

किले से निकलकर हम प्राचीना नाम के संग्रहालय में गए जो किले की पार्किंग के पास स्थित है, यहाँ भी प्रदर्शनी के लिए शाही परिधान, शाही छाया चित्र, कांच की नक्काशी, आवागमन के शाही संसाधन, और बीकानेर में पश्चिमी आकर्षण को बखूबी दर्शाया गया है ! संग्रहालय देखने के बाद हम बाहर आ गए और वहीं एक पेड़ के नीचे बैठकर पहले थोड़ी पेट पूजा की और फिर आगे की योजना बनाने लगे ! यहाँ से निकलकर हम लालगढ़ पैलेस जाने वाले थे जिसका वर्णन मैं इस यात्रा के अगले लेख में करूंगा !

प्रदर्शनी की जानकारी देता एक बोर्ड

प्रदर्शनी में रखी कुछ वस्तुएं 

प्रदर्शनी में रखे कुछ चिन्ह

प्रदर्शनी के अंदर का एक दृश्य

प्रदर्शनी के अंदर का एक दृश्य

क्यों जाएँ (Why to go Bikaner): अगर आपको ऐतिहासिक इमारतें और किले देखना अच्छा लगता है, तो राजस्थान में बीकानेर का रुख कर सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Bikaner): बीकानेर जाने के लिए नवम्बर से फरवरी का महीना सबसे उत्तम है इस समय उत्तर भारत में तो कड़ाके की ठण्ड और बर्फ़बारी हो रही होती है लेकिन राजस्थान का मौसम बढ़िया रहता है ! इसलिए अधिकतर सैलानी राजस्थान का ही रुख करते है, गर्मी के मौसम में तो यहाँ बुरा हाल रहता है !

कैसे जाएँ (How to reach Bikaner): बीकानेर देश के अलग-2 शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है, देश की राजधानी दिल्ली से इसकी दूरी लगभग 460 किलोमीटर है जिसे आप ट्रेन से आसानी से तय कर सकते है ! दिल्ली से बीकानेर के लिए कई ट्रेनें चलती है और इस दूरी को तय करने में लगभग 11-12 घंटे का समय लगता है ! अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहे तो ये दूरी तो बढ़कर लगभग 500 किलोमीटर हो जाती है लेकिन दूरी तय करने का समय घटकर 8 घंटे हो जाता है ! सड़क मार्ग से भी देश के अलग-2 शहरों से बीकानेर के लिए बसें चलती है, आप निजी गाडी से भी बीकानेर जा सकते है !


कहाँ रुके (Where to stay near Bikaner): बीकानेर में रुकने के लिए कई विकल्प है, यहाँ 500 रूपए से शुरू होकर 10000 रूपए तक के होटल आपको मिल जायेंगे ! आप अपनी सुविधा अनुसार होटल चुन सकते है ! यहाँ कई धर्मशालाएं भी है जहाँ रुकना काफी सस्ता पड़ता है ! खाने-पीने की सुविधा हर होटल में मिल जाती है, आप अपने स्वादानुसार भोजन ले सकते है !


क्या देखें (Places to see near Bikaner): बीकानेर में देखने के लिए बहुत जगहें है जिसमें जूनागढ़ किला, लालगढ़ पैलेस, और देशनोक में स्थित करनी माता का मंदिर प्रमुख है ! खरीददारी के लिए बीकानेर के में आपको काफी कुछ मिल जायेगा, आप यहाँ से राजस्थानी परिधान, और सजावट का सामान खरीद सकते है !


Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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