सोमवार, 18 जुलाई 2011
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रोज की तरह आज भी समय से सोकर उठे, आज 18 जुलाई है और मक्लॉडगंज में हमारा तीसरा दिन ! आज हम चर्च, और धर्मशाला स्टेडियम घूमने जाने वाले थे, त्रिऊंड जाने की इच्छा भी एक बार मन में हुई, पर जानकारी और समय के अभाव में इस बार त्रिऊंड जाना उचित नहीं समझा ! अगली बार अतिरिक्त समय लेकर धर्मशाला आएँगे और तब त्रिऊंड की चढ़ाई भी कर लेंगे ! नित्य-क्रम से फारिक होने के साथ ही सुबह का नाश्ता करने के बाद हम दोनों फिर से अपना बैग लेकर आज के सफ़र के लिए निकल पड़े ! मक्लॉडगंज के मुख्य चौराहे से होते हुए आज हम चर्च की तरफ चल दिए, मुख्य चौराहे से चर्च की दूरी लगभग 400 मीटर के आस पास होगी ! बीच में ही मक्लॉडगंज का बस अड्डा भी पड़ता है जहाँ से धर्मशाला और अन्य स्थानों पर जाने के लिए बसें और जीप मिलते है, टहलते-2 हम दोनों सुबह 9 बजे चर्च के मुख्य द्वार तक पहुँच गए ! हम दोनों ने मुख्य द्वार से चर्च के अंदर प्रवेश किया, इस समय चर्च के मुख्य भवन का दरवाजा बंद था !
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रोज की तरह आज भी समय से सोकर उठे, आज 18 जुलाई है और मक्लॉडगंज में हमारा तीसरा दिन ! आज हम चर्च, और धर्मशाला स्टेडियम घूमने जाने वाले थे, त्रिऊंड जाने की इच्छा भी एक बार मन में हुई, पर जानकारी और समय के अभाव में इस बार त्रिऊंड जाना उचित नहीं समझा ! अगली बार अतिरिक्त समय लेकर धर्मशाला आएँगे और तब त्रिऊंड की चढ़ाई भी कर लेंगे ! नित्य-क्रम से फारिक होने के साथ ही सुबह का नाश्ता करने के बाद हम दोनों फिर से अपना बैग लेकर आज के सफ़र के लिए निकल पड़े ! मक्लॉडगंज के मुख्य चौराहे से होते हुए आज हम चर्च की तरफ चल दिए, मुख्य चौराहे से चर्च की दूरी लगभग 400 मीटर के आस पास होगी ! बीच में ही मक्लॉडगंज का बस अड्डा भी पड़ता है जहाँ से धर्मशाला और अन्य स्थानों पर जाने के लिए बसें और जीप मिलते है, टहलते-2 हम दोनों सुबह 9 बजे चर्च के मुख्य द्वार तक पहुँच गए ! हम दोनों ने मुख्य द्वार से चर्च के अंदर प्रवेश किया, इस समय चर्च के मुख्य भवन का दरवाजा बंद था !
चर्च का प्रवेश द्वार (St. Johns Church Entrance, Mcleodganj) |
चर्च से थोड़ा आगे बढ़ने पर बाईं ओर एक कब्रिस्तान है, जहाँ हमने बहुत पुरानी क़ब्रें देखी ! कब्रिस्तान के बाहर हमें एक स्थानीय युवक मिला, जिसने हमें वहाँ के जंगल में मौजूद जड़ी-बूटियों के बारे में काफ़ी विस्तृत जानकारी दी ! उसने हमें कुछ जंगली पौधों की पहचान भी बताई, जिसे हम ज़रूरत पड़ने पर दवा के रूप में इस्तेमाल कर सकते है ! कब्रिस्तान के आस-पास काफ़ी फोटो खींचने के बाद हम लोग उस नवयुवक से बात करते हुए धर्मशाला-मक्लॉडगंज मार्ग पर चलने लगे ! फिर उस युवक से विदा लेकर हम दोनों वहीं पास में मौजूद बस स्टॉप पर अपनी बस का इंतज़ार करने लगे ! थोड़ी देर में धमर्शाला जाने वाली बस आ गई, जिसमें इस समय तो नहीं, पर थोड़ा आगे जाने पर हमें बैठने के लिए सीट भी मिल गई ! लगभग आधे घंटे के सफ़र के बाद हम लोग धर्मशाला पहुँचे, और बस स्टैंड के बाहर ही उतर कर स्टेडियम जाने के लिए दूसरी सवारी ढूँढने लगे !
वैसे तो प्राइवेट ऑटो स्टेडियम तक जा रहे थे पर किराया ज़्यादा होने की वजह से हम दोनों बस का इंतज़ार करने लगे ! हमारे आगे से 5-6 बसें निकल गई, पर जिस भी बस वाले से हम पूछते वो स्टेडियम ना जाने की बात कह कर आगे निकल जाता ! अंत में बस का चक्कर छोड़ कर हम दोनों स्टेडियम की ओर पैदल ही चल दिए, सोचा अगर रास्ते में बस मिलेगी तो चढ़ लेंगे ! घुमावदार रास्तों से होते हुए हम धर्मशाला से नीचे की ओर जा रहे थे, यहाँ से स्टेडियम की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है, ढलानदार रास्ता होने के कारण हमने ये दूरी आसानी से तय कर ली, हालाँकि, वापसी में हम बस से ही आए ! लोगों से पूछते हुए काफ़ी देर तक चलने के बाद हम दोनों मुख्य सड़क से हटकर एक सहायक मार्ग पर हो लिए, ये मार्ग सीधा स्टेडियम तक ही जाता है ! इस सहायक मार्ग पर 15 मिनट चलने के बाद हम दोनों स्टेडियम के मुख्य द्वार पर पहुँच गए ! स्टेडियम के अंदर प्रवेश करके एक पक्की सड़क से होते हुए हम दोनों स्टेडियम के मुख्य प्रांगण में पहुँच गए !
स्टेडियम में अंदर पहुँचने पर जो नज़ारा दिखाई दिया वो शब्दों से ब्यान करना थोड़ा मुश्किल है, चारों तरफ बैठने के लिए रंग-बिरंगी सीटें देख कर मन गदगद हो गया ! यहाँ से दूर पहाड़ी पर दिखाई देता मक्लॉडगंज देख कर मैच के वो पल याद आ गए, जिसमें इसी स्टेडियम में खेले जा रहे एक मैच के दौरान कैमरा ज़ूम करके इन पहाड़ियों का दृश्य दिखाया गया था ! आज भी इस स्टेडियम में होने वाले मैच के दौरान जब कैमरा मक्लॉडगंज की पहाड़ियों की ओर घुमाया जाता है तो दिल बाग-2 हो जाता है ! स्टेडियम के अलग-2 हिस्सों में जाकर हमने ढेरों फोटो खिंचवाई, और फिर वहीं एक हिस्से में बैठकर मैदान में मशीन द्वारा घास काट रहे एक व्यक्ति को देखने लगे ! शंकु के आकार में बने स्टेडियम की इमारत का रंग-बिरंगा पेविलियन देखने में बहुत सुंदर लगता है, फिर जब काफ़ी देर तक यहाँ बैठे-2 गर्मी लगने लगी तो हमने वापस चलने की सोची !
अब यहाँ से पैदल धर्मशाला तक जाने की हिम्मत नहीं थी, इसलिए स्टेडियम से बाहर आकर एक नए मार्ग से होते हुए यहाँ के सबसे नज़दीक के बस स्टॉप की ओर चल दिए ! पर ये क्या, बस स्टॉप पर पहुँचे तो वहीं पास में एक बड़ा सा पार्क दिखाई दिया, पास जाने पर पता चला कि ये वॉर मेमोरियल है ! ये वॉर मेमोरियल भारतीय सैनिकों को समर्पित है और यहाँ प्रदर्शनी स्वरूप कुछ स्मृति चिन्ह रखे गए है ! जब हम इस पार्क के बाहर पहुँचे तो इसके परिसर में कई परिवार, और स्कूल-कॉलेज के कुछ लड़के-लड़कियाँ समय बिताने आए हुए थे ! पार्क की सुंदरता देख कर हमसे भी रहा ना गया और मात्र 5 रुपए का प्रवेश शुल्क अदा करके हम इस पार्क में दाखिल हुए ! इस पार्क के बाहरी हिस्से में तो सेना को समर्पित कुछ स्मृति चिन्ह रखे गए है पर अंदर जाने पर बैठने की उचित व्यवस्था के साथ-2 खाने पीने का प्रबंध भी है ! पार्क का एक हिस्सा काफ़ी उँचा तो दूसरा काफ़ी नीचा है, ये पार्क काफ़ी बड़ा है और दूर तक फैला हुआ है, जिसमें देखने के लिए बहुत कुछ है !
अगर आप कभी धर्मशाला घूमने आएँ तो थोड़ा समय निकाल कर इस वॉर मेमोरियल में भी ज़रूर आएँ ! हम दोनों पहले तो इस पार्क में चारों तरफ घूम लिए और फिर कैंटीन से थोड़ा खाने-पीने का सामान लेकर वहीं पार्क में बनी एक सीट पर बैठ गए ! धूप होने के बावजूद भी पार्क में बड़े-2 पेड़ होने के कारण ठंडी हवा लग रही थी ! ये क्षेत्र म्क्लॉडगंज से काफ़ी नीचाई पर है इसलिए यहाँ का तापमान काफ़ी ज़्यादा था ! इस पार्क के पीछे का हिस्सा काफ़ी हरा-भरा था जहाँ उँचे-2 चीड़ के पेड़ भी थे, थोड़ी देर यहाँ बैठ कर आराम करने के बाद हम इस पार्क से बाहर आ गए और धर्मशाला जाने वाली बस का इंतज़ार करने लगे ! पंद्रह मिनट बाद जब एक बस आई तो हम उसमें सवार होकर धर्मशाला बस अड्डे की ओर निकल पड़े ! बस में पहले से ही काफ़ी भीड़ थी, बहुत सारे स्कूली विद्यार्थी इस बस में मौजूद थे और अगले स्टॉप पर कुछ कॉलेज के विद्यार्थी भी इसमें चढ़ गए !
खैर, 10-15 मिनट का सफ़र तय करके हम धर्मशाला बस अड्डे पर पहुँच गए, यहाँ पहले तो एक होटल में रुककर हमने पेट-पूजा की, फिर स्थानीय बाज़ार से अपने लिए कुछ कपड़े खरीदे ! यहाँ काफ़ी अच्छे शॉर्ट्स मिल रहे थे, मुझे सफ़र के दौरान शॉर्ट्स में घूमना आरामदायक लगता है इसलिए एक शॉर्ट यहाँ से भी ले लिया, बीती शाम एक शॉर्ट मैने म्क्लॉडगंज से भी लिया था ! खरीददारी हो गई तो हम उसी बस स्टॉप पर जाकर खड़े हो गए जहाँ से पहले दिन हमने म्क्लॉडगंज जाने के लिए बस पकड़ी थी ! कुछ देर में जब बस आ गई तो उसमें सवार होकर आधे घंटे का सफ़र तय करके शाम 5 बजे तक हम मक्लॉडगंज में थे ! फिर अपने होटल ना जाकर हम दोनों मक्लॉडगंज के बाज़ार में घूमते रहे, यहाँ भी हमने थोड़ी बहुत खरीददारी की और फिर शाम होने पर अपने होटल की तरफ चल दिए ! आज का दिन बड़ा अच्छा बीता था, धर्मशाला घूमने में खूब मज़ा आया ! होटल पहुँच कर रात्रि का भोजन करने के बाद अपने बिस्तर पर आराम करने चले गए !
चर्च परिसर में घूमते हुए (Inside the Church Premises, Mcleodganj) |
History of St. John's Church, Mcleodganj |
चर्च परिसर में घूमते हुए |
चर्च परिसर में घूमते हुए |
In St. John's Church, Mcleodganj |
चर्च के बारे में कुछ जानकारी देते हुए शशांक |
पीछे कब्रिस्तान की क़ब्रें दिखाई देती हुई |
कब्रिस्तान का एक दृश्य |
कब्रिस्तान के बाहर मिला नवयुवक |
स्टेडियम की पहली झलक (HPCA Stadium, Dharamshala) |
धर्मशाला स्टेडियम (HPCA Stadium, Dharamshala) |
(HPCA Stadium Pavallion, Dharamshala) |
(HPCA Stadium Pavallion, Dharamshala) |
(HPCA Stadium, Dharamshala) |
मक्लॉडगंज बाज़ार से होटल जाने का मार्ग (A view of Mcleodganj Market) |
मक्लॉडगंज चौराहे से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Mcleodganj, Dharmshala) |
मक्लॉडगंज बाज़ार का रात्रि का दृश्य (Mcleodganj Market, Dharmshala) |
मक्लॉडगंज बाज़ार का रात्रि का दृश्य (Mcleodganj Market, Dharmshala) |
क्यों जाएँ (Why to go Dharmshala): अगर आप दिल्ली की गर्मी और भीड़-भाड़ से दूर सुकून के कुछ पल पहाड़ों पर बिताना चाहते है तो आप धर्मशाला-मक्लॉडगंज का रुख़ कर सकते है ! यहाँ घूमने के लिए भी कई जगहें है, जिसमें झरने, किले, चर्च, स्टेडियम, और पहाड़ शामिल है ! ट्रेकिंग के शौकीन लोगों के लिए कुछ बढ़िया ट्रेक भी है !
कब जाएँ (Best time to go Dharmshala): वैसे तो आप साल के किसी भी महीने में घूमने के लिए धर्मशाला जा सकते है लेकिन झरनों में नहाना हो तो बारिश से बढ़िया कोई मौसम हो ही नहीं सकता ! वैसे अगर बर्फ देखने का मन हो तो आप यहाँ दिसंबर-जनवरी में आइए, धर्मशाला से 10 किलोमीटर ऊपर मक्लॉडगंज में आपको बढ़िया बर्फ मिल जाएगी !
कैसे जाएँ (How to reach Dharmshala): दिल्ली से धर्मशाला की दूरी लगभग 478 किलोमीटर है ! यहाँ जाने का सबसे बढ़िया साधन रेल मार्ग है दिल्ली से पठानकोट तक ट्रेन से जाइए, जम्मू जाने वाली हर ट्रेन पठानकोट होकर ही जाती है ! पठानकोट से धर्मशाला की दूरी महज 90 किलोमीटर है जिसे आप बस या टैक्सी से तय कर सकते है, इस सफ़र में आपके ढाई से तीन घंटे लगेंगे ! अगर आप सड़क मार्ग से जाना चाहे तो दिल्ली से धर्मशाला के लिए हिमाचल टूरिज़्म की वोल्वो और हिमाचल परिवहन की सामान्य बसें भी चलती है ! आप निजी गाड़ी से भी धर्मशाला जा सकते है जिसमें आपको दिल्ली से धर्मशाला पहुँचने में 9-10 घंटे का समय लगेगा ! इसके अलावा पठानकोट से बैजनाथ तक टॉय ट्रेन भी चलती है जिसमें सफ़र करते हुए धौलाधार की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है ! टॉय ट्रेन से पठानकोट से कांगड़ा तक का सफ़र तय करने में आपको साढ़े चार घंटे का समय लगेगा !
कहाँ रुके (Where to stay in Dharmshala): धर्मशाला में रुकने के लिए बहुत होटल है लेकिन अगर आप धर्मशाला जा रहे है तो बेहतर रहेगा आप धर्मशाला से 10 किलोमीटर ऊपर मक्लॉडगंज में रुके ! घूमने-फिरने की अधिकतर जगहें मक्लॉडगंज में ही है धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम और कांगड़ा का किला है जिसे आप वापसी में भी देख सकते हो ! मक्लॉडगंज में भी रुकने और खाने-पीने के बहुत विकल्प है, आपको अपने बजट के अनुसार 700 रुपए से शुरू होकर 3000 रुपए तक के होटल मिल जाएँगे !
क्या देखें (Places to see in Dharmshala): धर्मशाला में देखने के लिए वैसे तो बहुत जगहें है लेकिन अधिकतर जगहें ऊपरी धर्मशाला (Upper Dharmshala) यानि मक्लॉडगंज में है यहाँ के मुख्य आकर्षण भाग्सू नाग मंदिर और झरना, गालू मंदिर, हिमालयन वॉटर फाल, त्रिऊँड ट्रेक, नड्डी, डल झील, सेंट जोन्स चर्च, मोनेस्ट्री और माल रोड है ! जबकि निचले धर्मशाला (Lower Dharmshala) में क्रिकेट स्टेडियम (HPCA Stadium), कांगड़ा का किला (Kangra Fort), और वॉर मेमोरियल है !
अगले भाग में जारी...
धर्मशाला - मक्लॉडगंज यात्रा
- मक्लॉडगंज का एक यादगार सफ़र (A Memorable Trip to Mcleodganj)
- भाग्सू नाग झरने में मस्ती (Fun in Bhagsu Naag Waterfall)
- कांगड़ा घाटी में बिताए कुछ यादगार पल (Time Spent in Kangra Valley)
- मक्लॉडगंज चर्च और धमर्शाला स्टेडियम (A Day in HPCA Stadium, Dharamshala)
- मक्लॉडगंज से पालमपुर की बस यात्रा (A Road Trip to Palampur)
Namaskar..... aap bahut ghume..... hame bhi ghumaya.... bada maza aaya.... ek bat ki request karata hu..... aap jaha jaha jate ho... vaha KHARIDDARI (purchasing) kaya kaya karane jesi hoti hai... or hotel ke - rahane ke thikane ke name bata diya karo.. taki hamare jese jis ko bhi jana ho badi sahuliyat rahe ho... achchi chiz mile evam rahane-khane ka achcha mil sake to aap ka aabhar ..... plz.
ReplyDeleteApne aagami lekhon mein aapki is baat par zarur dhyan dunga ! Sujhaav ke liye aabhaar !
DeleteBahut badiya
ReplyDeleteधन्यवाद जी !
DeleteShaandaar
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