क़ुतुब-मीनार में बिताए कुछ यादगार पल (A Day with Friends in Qutub Minar)

रविवार, 21 जून 2015

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बहुत दिन हो गए थे किसी भी यात्रा पर गए हुए, हर बार यात्रा का विचार बनता फिर किसी ना किसी वजह से रह जाता ! किसी यात्रा पर ना जा पाने के कारण मन काफ़ी तनाव में था, अक्सर ऐसा होता है जब आप रोजाना एक ही तरह की जीवन शैली में रहते है तो थोड़े बदलाव की ज़रूरत होती है ! अगर समय रहते आप ये बदलाव कर लेते है तो जीवन अच्छा चलता रहता है वरना आप तनाव से घिर जाते है ! लोग इस बदलाव के लिए अलग-2 तरीके अपनाते है कोई फिल्में देखने जाते है तो कुछ क्लब की सदस्यता लेकर अपना समय वहाँ बिताते है ! मैं अपनी जीवन शैली में बदलाव के लिए समय-2 पर यात्राएँ करता रहता हूँ, समय और परिस्थिति अनुसार मेरी यात्राएँ कभी छोटी होती है तो कभी बड़ी ! अब क्योंकि किसी लंबी यात्रा पर जाने का संयोग तो बन नहीं पा रहा था इसलिए छोटी यात्रा करके इस जीवन शैली में थोड़ा बदलाव लाना ज़रूरी था ! ऐसे ही एक रविवार को खा-पीकर सुबह घर पर बैठा टेलीविज़न देख रहा था कि तभी मेरा फोन बजा जो इस समय चार्जिंग में लगा था !

सफ़र की शुरुआत
आलस की वजह से फोन उठाने तक की जहमत भी नहीं उठाई और ये बजकर बंद हो गया, फिर ये दोबारा बजकर बंद हुआ, लेकिन जब ये तीसरी बार बजा तो मुझे उठकर फोन उठाना ही पड़ा ! देखा तो हितेश की कॉल आ रही थी, बात करने पर वो बोला, यार आज मौसम ठीक है, कहीं घूमने चले क्या ? मैं तो जैसे इसी फिराक़ में बैठा था कि कब कोई कहीं घूमने जाने का न्योता दे और मैं हाँ कहूँ ! बिना देरी किए मैं बोला, चल कहाँ चलना है, थोड़ी देर की बातचीत के बाद तय हुआ कि पहले घर से निकलते है, जगह रास्ते में ही तय कर लेंगे ! आज हमारे शहर में मौसम काफ़ी अच्छा था, हल्की धूप थी और थोड़े बादल भी छाए हुए थे ! कुल मिलाकर घूमने जाने के लिए बिल्कुल अनुकूल मौसम था, पर कहाँ, ये अभी निश्चित नहीं हुआ था ! एक विचार तो फरीदाबाद जाकर कोई फिल्म देखने का भी था, पर आजकल की फिल्में कुछ ख़ास नहीं आ रही !

अभी पिछले हफ्ते ही एक अन्य मित्र विक्रम के साथ जुरासिक पार्क देख कर आया था, मुझे ये फिल्म सामान्य ही लगी ! योजना के मुताबिक सुबह 11 बजे घर से निकलना तय हुआ, इसी बीच हितेश ने विपुल को भी हमारे साथ चलने के लिए मना लिया ! निर्धारित समय पर हितेश अपनी गाड़ी लेकर मेरे घर आ गया, विपुल पहले ही यहाँ आ गया था ! फिर हम तीनों गाड़ी लेकर फरीदाबाद जाने के लिए निकल पड़े ! रविवार का दिन और दोपहर का समय होने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग पर ज़्यादा भीड़ नहीं मिली, इसलिए अगले पौने घंटे में हम सब फरीदाबाद पार करके दिल्ली में प्रवेश कर गए ! इसी बीच सर्वसहमति से क़ुतुब-मीनार जाने पर मुहर लग गई, बदरपुर पार करके हमने अपनी गाड़ी बदरपुर-महरौली मार्ग पर मोड़ दी ! जब हम लोग घर से निकले थे तो मौसम काफ़ी अच्छा था ऐसा लग रहा था कि आज बारिश होगी, पर यहाँ दिल्ली में प्रवेश करते ही काफ़ी तेज धूप थी ! वैसे बदरपुर से क़ुतुब-मीनार की दूरी महज 10 किलोमीटर है, जिसे तय करने में हमें 20 मिनट का समय लगा !


दरअसल, इस मार्ग पर यातायात थोड़ा धीमे ही चलता है, संगम विहार, खानपुर को पार करते हुए जब हम एक तिराहे पर पहुँचे तो यहाँ से बाएँ जाने वाला मार्ग गुड़गाँव को जाता है जबकि क़ुतुब मीनार यहाँ से दाईं ओर है ! इस तिराहे से दाएँ मुड़कर पहले मोड़ से जब बाएँ मुड़े तो सीधे क़ुतुब मीनार के सामने पहुँच गए, यहाँ सड़क के दाईं ओर तो मीनार है जबकि बाईं और गाड़ी खड़ी करने के लिए पार्किंग है ! यहाँ पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के लिए गाड़ियों की लंबी कतार देखकर हमारे पसीने छूट गए, ऐसा लग रहा था कि सारी दिल्ली आज क़ुतुब मीनार ही देखने आ गई हो ! यहाँ लगी लंबी कतार का नतीजा ये हुआ कि जितना समय हमें बदरपुर से यहाँ तक आने में लगा उतना ही समय पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने में लग गया ! जब तक हितेश ने पार्किंग में गाड़ी खड़ी की, मैं मीनार देखने के लिए टीन प्रवेश टिकटें ले आया जिनका मूल्य भारतीय नागरिकों के लिए 10 रुपए प्रति व्यक्ति और विदेशी नारगिकों के लिए 250 रुपए प्रति व्यक्ति है !


गाड़ी पार्किंग में खड़ी करने के बाद हम अपना कैमरा लेकर क़ुतुब मीनार के प्रवेश द्वार की ओर चल दिए ! यहाँ प्रवेश टिकट दिखाने के बाद मुख्य द्वार से होते हुए हम मीनार परिसर में दाखिल हो गए ! प्रवेश द्वार से थोड़ा आगे बढ़ते ही कैमरा चेक किया गया और हिदायत दी गई कि हम वीडियोग्राफी ना करे ! दरअसल, यहाँ फोटो खींचने के लिए तो कोई पाबंदी नहीं है पर वीडियोग्राफी के लिए अलग से कुछ शुल्क अदा करना होता है ! पर मेरी समझ में एक बात नहीं आई कि जब कैमरा ले जाने दे रहे है तो किसी को क्या पता कि हम वीडियो भी बना रहे है या सिर्फ़ फोटो ही खींच रहे है ! अगर आप में से किसी की समझ में ये बात आ गई हो तो कृपा करके मुझे भी बताने का कष्ट करे ! वैसे तो क़ुतुब मीनार के बारे में आप सबने सुन ही रखा होगा पर फिर भी थोड़ी बहुत जानकारी मैं दे देता हूँ !


72 मीटर ऊँचे इस मीनार का निर्माण क़ूताबुद्दीन ऐबक ने सन 1193 में दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक को हराने के बाद करवाया था ! अगस्त 1803 में एक भूकंप के दौरान इस मीनार को काफ़ी क्षति पहुँची ! तब ब्रिटिश सरकार ने एक इंजीनियर रॉबर्ट स्मिथ को इसकी मरम्मत की ज़िम्मेदारी सौंपी ! 25 साल बाद सन 1828 में रॉबर्ट स्मिथ ने मीनार की मरम्मत का काम ख़त्म किया ! इस दौरान रॉबर्ट ने मीनार की सबसे उपर वाले हिस्से पर एक छतरी भी लगा दी ! कड़ी आलोचनाओं के कारण बीस साल बाद सन 1848 में गवर्नर जनरल के आदेश के बाद इस छतरी को उतार दिया गया ! मीनार की नीचे की तीन मंजिले तो बलुआ पत्थर की बनी है जबकि चौथी और पाँचवी मंज़िल को बनाने में बलुआ पत्थर के साथ-2 संगमरमर का भी इस्तेमाल हुआ है ! 1981 से पहले मीनार के ऊपर आम लोगों को जाने दिया जाता था लेकिन दिसंबर 1981 में हुए एक हादसे के कारण मीनार के अंदर की सीढ़ियों पर मची भगदड़ में 45 जानें चली गई ! मरने वालों में अधिकतर स्कूली बच्चे ही थे, बस उस हादसे के बाद से ही मीनार के ऊपर लोगों के जाने पर पाबंदी लगा दी गई !


अंदर जाने पर मीनार परिसर में एक जगह प्रदर्शनी के माध्यम से इस मीनार के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी ! यहाँ से होते हुए हम मीनार के पास पहुँचे, इस दौरान हमने मीनार और इसके आस पास के काफ़ी चित्र भी लिए ! इसी तरह घूमते हुए हम मीनार के उस हिस्से में पहुँचे जहाँ 7 मीटर ऊँचा एक लौह स्तंभ है, सदियों पुराने इस लौह स्तंभ में आज तक भी जंग नहीं लगा है और ये सुरक्षित है ! यहाँ बॉलीवुड की कई फिल्मों के दृश्यों को फिल्माया गया है जिसमें "तेरे घर के सामने", "फ़ना", "ब्लैक एंड वाइट", "जन्नत 2" प्रमुख है ! क़ुतुब मीनार परिसर में एक एक और मीनार  है जिसका नाम अलाई मीनार है, इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने शुरू करवाया था ! दरअसल, अलाउद्दीन खिलजी एक अति महत्वाकांक्षी शासक था, एक युद्ध जीतने के बाद अपनी जीत को यादगार बनाने के लिए उसने यहाँ क़ुतुब मीनार से दुगुना बड़ा मीनार बनवाना शुरू कर दिया !


मीनार की पहली मंज़िल बनकर तैयार भी हो गई, जिसकी उँचाई 24.5 मीटर थी, लेकिन इस दौरान उसकी मृत्यु के बाद मीनार बनाने का काम बीच में ही रुक गया और ये मीनार अधूरी ही रह गई ! अगर ये मीनार बन जाती तो निश्चित तौर पर इसकी गिनती सबसे ऊँचे मीनारों में की जाती ! जब यहाँ घूमते हुए हमें काफ़ी समय हो गया और भूख लगने लगी तो हमने बाहर चलने की सोची ! हालाँकि घूमने का मन तो अभी और था पर धूप तेज होने के कारण बहुत तेज गर्मी भी लग रही थी ! इसलिए प्रवेश द्वार के साथ ही बने निकास द्वार से होते हुए हम बाहर की ओर चल दिए ! पार्किंग में जाकर अपनी गाड़ी ली और वापस फरीदाबाद के लिए निकल पड़े, रास्ते में कई जगहों पर रुकते हुए कई जगहें हमने खाने-पीने का स्वाद चखा और शाम होते-2 वापस अपने घर पहुँच गए !


delhi border
फरीदाबाद-दिल्ली बॉर्डर (Faridabad Delhi Border)
Entry Ticket to Qutub Minar
क़ुतुब मीनार परिसर में (Inside Minar Premises)


qutab minar
क़ुतुब मीनार (Qutub Minar)
एक गुंबद का भीतरी भाग














एक क्षतिग्रस्त इमारत
क़ुतुब मीनार (Another view of Qutub Minar)


लौह स्तंभ (Iron Pillar in Qutub Minar)






अलाई मीनार (Alai Minar)



क्यों जाएँ (Why to go Qutub Minar): अगर आपको ऐतिहासिक इमारतें देखना पसंद है तो आप दिल्ली में स्थित क़ुतुब-मीनार का रुख़ कर सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Qutub Minar
): आप साल भर किसी भी दिन यहाँ जा सकते है लेकिन अगर ठंडे मौसम में जाएँगे तो ज़्यादा अच्छा रहेगा !


कैसे जाएँ (How to reach Qutub Minar): दिल्ली के महरौली में स्थित इस इमारत को देखने के लिए आप मेट्रो से जा सकते है, 
क़ुतुब-मीनार के सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन क़ुतुब-मीनार है जहाँ से इस मीनार की दूरी महज 2 किलोमीटर है ! मेट्रो स्टेशन से उतरकर आप पैदल भी जा सकते है या ऑटो ले सकते है !


कहाँ रुके (Where to stay in Delhi): अगर आप आस-पास के शहर से इस 
मीनार को देखने आ रहे है तो शायद आपको रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी ! जो लोग कहीं दूर से दिल्ली भ्रमण पर आए है उनके रुकने के लिए कनाट प्लेस और इसके आस-पास रुकने के लिए बहुत विकल्प मिल जाएँगे !


क्या देखें (Places to see near Qutub Minar): अगर दिल्ली भ्रमण पर निकले है तो दिल्ली में घूमने के लिए जगहों की कमी नहीं है आप लाल किला, जामा मस्जिद, राजघाट, लोधी गार्डन, हुमायूँ का मकबरा, इंडिया गेट, चिड़ियाघर, पुराना किला, क़ुतुब मीनार, सफ़दरजंग का मकबरा, कमल मंदिर, अक्षरधाम, कालकाजी मंदिर, इस्कान मंदिर, छतरपुर मंदिर, और तुगलकाबाद के किले के अलावा अन्य कई जगहों पर घूम सकते है ! ये सभी जगहें आस-पास ही है आप दिल्ली भ्रमण के लिए हो-हो बस की सेवा भी ले सकते है या किराए पर टैक्सी कर सकते है ! बाकि मेट्रो से सफ़र करना चाहे तो वो सबसे अच्छा विकल्प है !

अगले भाग में जारी...

दिल्ली भ्रमण

  1. इंडिया गेट, चिड़ियाघर, और पुराना किला (Visit to Delhi Zoo and India Gate)
  2. क़ुतुब-मीनार में बिताए कुछ यादगार पल (A Day with Friends in Qutub Minar)
  3. अग्रसेन की बावली - एक ऐतिहासिक धरोहर (Agrasen ki Baoli, New Delhi)
  4. बहाई उपासना केंद्र - कमल मंदिर - (Lotus Temple in Delhi)
  5. सफ़दरजंग के मक़बरे की सैर (Safdarjung Tomb, New Delhi)
  6. लोधी गार्डन - सिकंदर लोदी का मकबरा (Lodhi Garden - Lodhi Road, New Delhi)
  7. दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की सैर - पहली कड़ी (A Visit to Historical Monument of Delhi, Red Fort)
  8. दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की सैर - दूसरी कड़ी (A Visit to Historical Monument of Delhi, Red Fort)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

4 Comments

  1. सन २०१० में दिल्ली प्रवास के समय हम क़ुतुब मीनार गए थे,यादें ताजा कराने के लिए धन्यवाद

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  2. aapki yatra ka vivran padha isse ye pratit hota hai ki aap travelling k behad hi shokin hai is vivran ko padh ne baad ab mera bhi mn delhi ki yatra ka ho rha hai

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    1. घूमने का शौक तो लगभग हर किसी को ही होता है ! वो अलग बात है किसी को कम तो किसी को ज़्यादा !

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