शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016
मेरी इस यात्रा में अब तक आप बिरला मंदिर और आमेर का किला देख चुके है, किले से बाहर आकर हम अपनी गाड़ी में सवार हुए और गाँव की गलियों से घूमते हुए आमेर से जयपुर जाने वाले मार्ग पर पहुँच गए ! जैसे-2 दिन चढ़ता जा रहा था गर्मी भी बढ़ती जा रही थी, फ़रवरी के महीने में ही ये हाल है तो आने वाले समय में जयपुर की क्या हालत होगी? इस गर्मी के बीच भी यहाँ आने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ ही रही थी, ये जयपुर के प्रति लोगों का प्यार ही है जो किसी मौसम की भी परवाह नहीं करता ! हम अभी आमेर से जयपुर जाने वाले मार्ग पर थोड़ी दूर ही चले थे कि सड़क के बाईं ओर हमें एक रेस्टोरेंट दिखाई दिया ! रेस्टोरेंट देखते ही अपने आप भूख भी लगने लगी, फिर क्या था? सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करके रेस्टोरेंट में पेट पूजा करने चल दिए ! ऑर्डर देने के 15 मिनट बाद ही हमारे लिए खाना परोस दिया गया, यहाँ का खाना स्वादिष्ट था इसलिए सबने पेट भरकर खाया ! रेस्टोरेंट से निकलते समय हमने माज़ा और पानी की बोतलें भी ले ली, जयपुर जाने वाले मार्ग पर कुछ दूर जाने के बाद हम अपनी दाईं ओर मुड़ गए ! ये रास्ता थोड़ी आगे जाकर फिर से दो हिस्सों में बँट जाता है, जिसमें से दाएँ जाने वाला मार्ग जयगढ़ और बाएँ जाने वाला रास्ता नाहरगढ़ किले तक जाता है !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJei8ipm0a4iW8ZYMr0BOkhJ3xtbt7GrPBbviXXx3SW1FLn1daew0tedxjs8ZaHsfKbReKtjQsP86nYjB2cnRSeID5I8M5HxBhBF_tPfSjT915rDcUGvdoMQuVeTL6zaOPrVLuAYudp70K/s640/Img03.jpg) |
जयगढ़ किले की दीवार |
आमेर के किले से जयगढ़ के किले की दूरी 7 किलोमीटर है, नाहरगढ़ का किला भी जयगढ़ के किले से 7 किलोमीटर दूर है ! वैसे नाहरगढ़ किले तक जाने के लिए छोटी चौपड़ से एक छोटा मार्ग भी है लेकिन ये खड़ी चढ़ाई वाला मार्ग पर और इसपर गाड़ी नहीं जा सकती ! स्थानीय लोग मोटरसाइकल लेकर ज़रूर इस मार्ग से नाहरगढ़ किले तक जाते है ! जिस मार्ग से हम इन किलो तक गए थे वो शानदार बना है, और किले की ओर जाने वाला रास्ता भी प्राकृतिक नज़ारों से भरा पड़ा है ! अगर आपका विचार जयपुर घूमने जाने का है तो मैं आपको ठंडे मौसम में जाने का सुझाव दूँगा ताकि आप आराम से इन किलो की खूबसूरती का आनद ले सके ! जंगली पहाड़ी रास्तों से होते हुए हम थोड़ी देर बाद जयगढ़ किले के बाहर पहुँचे, किले के प्रवेश द्वार के पास ही टिकट घर है जहाँ से आप किले का प्रवेश टिकट ले सकते है ! टिकट खिड़की पर जाकर हमने 35 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से 3 प्रवेश टिकट लिए, 50 रुपए कैमरा का शुल्क भी देना पड़ा ! अगर आप कैमरा अंदर नहीं ले जाना चाहते तो मोबाइल कैमरा के लिए भी आपको ये शुल्क देना ही होगा ! पार्किंग की व्यवस्था किले के बाहर भी है लेकिन मैं आपको गाड़ी अंदर ले जाने की सलाह दूँगा !
किले के बाहर पार्किंग का शुल्क 10 रुपए है, जबकि गाड़ी अंदर ले जाने की एवज में आपको 50 रुपए चुकाने होंगे ! वैसे गाड़ी अंदर ले जाने का बहुत फ़ायदा है वरना आपको किले के अंदर काफ़ी चलना पड़ेगा ! गाड़ी से आप किले के शीर्ष बिंदु तक जा सकते है जहाँ जयबाण तोप रखी हुई है ! शस्त्रागार देखने जाते समय आप गाड़ी वहीं अंदर एक मैदान में खड़ी कर सकते है ! मुख्य द्वार पर प्रवेश टिकट दिखाकर जब हम किले में दाखिल हुए तो काफ़ी तेज धूप थी, मुख्य द्वार से अंदर जाने पर एक ओर प्रवेश द्वार है ! इस द्वार से अंदर जाने पर मुख्य मार्ग दो हिस्सों में बँट जाता है, यहाँ से सीधा जाने वाला मार्ग शस्त्रागार के प्रवेश द्वार तक जाता है जबकि यहाँ से दाएँ जाने वाला मार्ग एक अन्य द्वार से होता हुआ किले के शीर्ष बिंदु तक जाता है ! मुख्य प्रवेश द्वार के बाद अंदर के प्रवेश द्वारों पर आपको टिकट नहीं दिखाना होता, लेकिन किले के अंदर देखने वाली जगहों के प्रवेश द्वार पर आपको ये टिकट दिखाना होगा ! हम अपनी दाईं ओर मुड़कर जयबाण को देखने के लिए चल दिए, इस तोप के बारे में काफ़ी सुन रखा था आज इसके दर्शन भी हो जाएँगे !
आगे बढ़ने से पहले थोड़ी जानकारी किले के बारे में भी दे देता हूँ, इस किले का निर्माण आमेर के राजा जयसिंह द्वितीए ने सन 1726 में करवाया था ! कहते है इस किले का निर्माण आमेर के किले की सुरक्षा के मद्देनज़र किया गया था, आमेर के किले से 400 मीटर ऊँचा होने के कारण इस किले से आमेर का किला साफ दिखाई देता है सुरक्षा की दृष्टि से ये काफ़ी महत्वपूर्ण था ! जयगढ़ और आमेर के किले भूमिगत रास्तों से एक दूसरे से जुड़े हुए है ! जयगढ़ किला उत्तर-दक्षिण में 3 किलोमीटर लंबा है और इसके चौड़ाई 1 किलोमीटर है, किले की दीवारों से जयपुर और आमेर का शानदार दृश्य दिखाई देता है ! ये किला हथियारों के भंडार गृह के रूप में प्रयोग होता था, यहाँ युद्ध के लिए हथियारों का भंडारण किया जाता था ताकि ज़रूरत पड़ने पर आपूर्ति हो सके ! किले के अंदर ही छोटे-बड़े हथियारों का निर्माण भी होता था ! जयगढ़ का किला जयपुर के तीनों किलो में सबसे मजबूत है और इसी वजह से ये अजेय भी रहा ! किले के दक्षिणी भाग में रखे जयबाण तोप का निर्माण आमेर के राजा जयसिंह द्वितीए ने 1720 में करवाया था, तोप के अधिकतर भाग किले के अंदर ही बनाए गए थे, 50 टन भारी इस तोप को खींचने के लिए 4 हाथियों को लगाया जाता था !
तोप की मारक क्षमता को लेकर भी लोगों की अलग-2 धारणाएँ हैं, यहाँ मौजूद गाइड बताते है कि तोप की मारक क्षमता 35 किलोमीटर थी, कोई इसे 22 किलोमीटर तो कोई 11 किलोमीटर भी बताता है ! जबकि इसकी मारक क्षमता का सही में कभी आकलन ही नहीं हो पाया ! ये भी कहा जाता है कि इस तोप का प्रयोग करते समय इसे पानी के एक कुंड के पास रखा जाता था, ताकि बारूद को आग लगाने वाला व्यक्ति पानी में कूदकर धमाके से निकलने वाली तरंगो से खुद को बचा सके ! पानी में ध्वनि तरंगो का असर कम हो जाता है, लेकिन इस तोप से पहली बार किया गया धमाका काफ़ी तेज था ! स्थानीय लोगों की माने तो परीक्षण के दौरान तोप के आस-पास मौजूद 8 सिपाही और 1 हाथी की मौत हो गई थी और इस धमाके से शहर के बहुत से मकान ज़मींदोज़ हो गए थे ! इसके बाद इस तोप को किले के दक्षिणी भाग में रख दिया गया और इसका प्रयोग भी कभी नहीं हुआ ! जयबाण दुनिया की सबसे बड़ी तोपों की सूची में शामिल है, तोप के चारों और ज़ंजीर लगाई गई है ताकि कोई इसे छू ना सके ! यहाँ आने वाले पर्यटक इसे दूर से ही देख सकते है और इसकी फोटो खींच सकते है !
जयबाण देखकर हम वापिस किले के उत्तरी भाग की ओर चल दिए जहाँ शस्त्रागार के अलावा कुछ मंदिर भी है ! एक द्वार से होते हुए हम शस्त्रागार की ओर जाने वाले प्रवेश द्वार के सामने पहुँच गए ! यहाँ एक मैदान में गाड़ी खड़ी करने की व्यवस्था थी, इस पार्किंग के सामने ही खाने-पीने की कुछ दुकानें भी थी ! जबकि यहीं पर कुछ व्यक्ति ऊँट की सवारी भी करवा रहे थे, 100 रुपए में किले के प्रवेश द्वार तक ऊँट की सवारी हो रही थी ! ऊँट की सवारी बाद में करेंगे, पहले शस्त्रागार देख लेते है, इस प्रवेश द्वार से अंदर गए तो हमारी बाईं ओर एक पीली इमारत थी ! इमारत के प्रवेश द्वार पर एक अधिकारी को अपना प्रवेश टिकट दिखाकर हमने शस्त्रागार में प्रवेश किया ! यहाँ उस दौर के हथियारों को सॅंजो कर रखा गया है, इन हथियारों में तीर-कमान, बंदूके, तलवारें, तोप के गोले, और कवच शामिल थे ! ये शस्त्रागार एक गलियारे में है, जहाँ कृत्रिम रोशनी से प्रकाश किया गया है ! शस्त्रागार देखकर निकले तो इस इमारत से सटी एक इमारत में ही मंदिर था, यहाँ भगवान के दर्शन करने के बाद आगे बढ़े !
मंदिर से बाहर निकलकर हम एक भूल-भुलैया से होते हुए किले के उत्तरी भाग में पहुँचे, भूल-भुलैया के गलियारों में मशालें रखने के लिए दीवारों में जगह बनी थी, जहाँ कभी मशालें रखी जाती होगी, मशाल रखने के लिए बहुत अच्छी तकनीक का प्रयोग किया गया था ! पहली बार आने पर आप रास्ता भटक सकते है लेकिन फिर बाकी लोगों का अनुसरण करते हुए आप आगे पहुँच ही जाओगे ! यहाँ एक द्वार से होते हुए हम एक खुले मैदान में पहुँच गए, इस मैदान के एक भाग में एक संग्राहलय था जिसके द्वार बंद थे अंदर जाने की अनुमति नहीं थी ! इस मैदान के दूसरे किनारे पर एक द्वार था जिसे पार करके हम एक पार्क के किनारे बने गलियारे में पहुँच गए ! ये बगीचा काफ़ी बड़ा है और इसमें भी मुगल शैली की झलक साफ दिखाई देती है ! इस बगीचे के चारों ओर एक गलियारा बना है जो किले के ऊपरी भाग तक जाता है ! हम भी इस गलियारे से होते हुए किले के ऊपरी भाग में पहुँच गए, यहाँ से आमेर के किले और पूरे शहर का शानदार दृश्य दिखाई दे रहा था !
किले के दोनों कोनों पर गुंबद भी बने है, जिसमें खड़े होकर आप आस-पास के दृश्यों का नज़ारा ले सकते है ! किले से देखने पर उत्तरी दिशा में एक झील दिखाई दे रही थी, ये हनुमान सागर झील है, किले में पानी की आपूर्ति इसी झील से की जाती थी ! गुंबद में थोड़ी देर बैठकर हमने आराम किया और फिर गलियारे से होते हुए बगीचे का पूरा चक्कर लगाकर हम नीचे आ गए ! यहाँ से बाहर जाने वाले मार्ग पर चले तो 2-3 दरवाज़ों को पार करने के बाद हम किले के मुख्य प्रवेश द्वार पर पहुँच गए ! अपनी गाड़ी लेकर हम यहाँ के तीसरे किले नाहरगढ़ को देखने चल दिए जिसका वर्णन मैं अपने अगले लेख में करूँगा !
![jaigarh fort](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiWYOlExvnyGuCFB37PMb193AxO6-9g8UPWA2ZOuIg0LFkHtpblyXb9E-wmqXUwx74_YAPygZucE1vvc03tWTbkeHRul5lXm4udE0qFGtHxdL3AWtu67JmF88CzLM58J7RN_4TzQ48Svrix/s640/Img01.jpg) |
जयगढ़ जाते हुए मार्ग में लिया एक चित्र |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiriq7PcpMFhQ4_yk-SZ71b6THUFxxAovNs9fAxZ4mAfZNen1RJt4am3se1bqsBO_AScNKs5YGI-kwAZ1YDO0Z9CtB4tz1ApMrwq_a5Panh4L-8sMUMsOvylU0RFPBNlk1YHOLHMfQh7MvT/s640/Img02.jpg) |
जयगढ़ जाते हुए मार्ग में लिया एक चित्र |
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किले से दिखाई देता मार्ग |
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जयबाण तोप की ओर जाते हुए |
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किले के अंदर का एक दृश्य |
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किले के अंदर का एक दृश्य |
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जयबाण तोप - विश्व की सबसे बड़ी तोपों में से एक |
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जयबाण तोप - विश्व की सबसे बड़ी तोपों में से एक |
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किले के अंदर का एक दृश्य |
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शस्त्रागार का एक दृश्य |
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शस्त्रागार का एक दृश्य |
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शस्त्रागार का एक दृश्य |
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शस्त्रागार का एक दृश्य |
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किले के भीतर का एक दृश्य |
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किले के भीतर का एक दृश्य |
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किले से दिखाई देती हनुमान सागर झील |
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बगीचे के चारों ओर बना गलियारा |
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किले से दिखाई देती झील |
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किले से दिखाई देता आमेर |
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किले के अंदर बना बगीचा |
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किले के कोने पर बनी गुंबद |
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बगीचे के चारों ओर बना गलियारा |
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जयगढ़ किले से दिखाई देता आमेर का किला |
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नाहरगढ़ जाते हुए मार्ग में |
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नाहरगढ़ जाते हुए मार्ग में |
क्यों जाएँ (Why to go Jaipur): अगर आप किले देखने के शौकीन है, राजसी ठाट-बाट का शौक रखते है तो निश्चित तौर पर जयपुर आ सकते है ! इसके अलावा राजस्थानी ख़ान-पान का लुत्फ़ उठाने के लिए भी आप जयपुर आ सकते है !
कब जाएँ (Best time to go Jaipur): आप साल भर किसी भी महीने में यहाँ जा सकते है लेकिन गर्मियों में यहाँ का तापमान दिल्ली के बराबर ही रहता है और फिर गर्मी में किलों में घूमना भी पीड़ादायक ही रहता है ! बेहतर होगा आप ठंडे मौसम में ही जयपुर का रुख़ करे तो यहाँ घूमने का असली मज़ा ले पाएँगे !
कैसे जाएँ (How to reach Jaipur): दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है, जयपुर दिल्ली के अलावा अन्य कई शहरों से भी रेल, सड़क और वायु तीनों मार्गों से जुड़ा हुआ है ! दिल्ली से हवाई मार्ग से जयपुर जाने पर 1 घंटा, रेलमार्ग से 5-6 घंटे, और सड़क मार्ग से लगभग 5 घंटे का समय लगता है ! आप अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी मार्ग से जा सकते है !
कहाँ रुके (Where to stay in Jaipur): जयपुर एक पर्यटन स्थल है यहाँ प्रतिदिन घूमने के लिए हज़ारों लोग आते है ! जयपुर में रुकने के लिए बहुत होटल है आप अपनी सुविधा के हिसाब से 500 रुपए से लेकर 7000 रुपए तक के होटलों में रुक सकते है !
क्या देखें (Places to see in Jaipur): जयपुर में देखने के लिए वैसे तो बहुत जगहें है लेकिन सिटी पैलेस, आमेर दुर्ग, जयचंद दुर्ग, नाहरगढ़ दुर्ग, हवा महल, जंतर-मंतर, बिरला मंदिर, एल्बर्ट हाल म्यूज़ीयम, जल महल, क्रिकेट स्टेडियम, और चोखी-धानी प्रमुख है ! चोखी-धानी तो अपने आप में घूमने लायक एक शानदार जगह है ! अधिकतर लोग यहाँ राजस्थानी व्यंजन का आनंद लेने जाते है, ये एक गाँव की तरह बनाया गया है जहाँ आप राजस्थानी व्यंजनों के अलावा स्थानीय लोकगीत और लोकनृत्यों का आनंद भी ले सकते है !
अगले भाग में जारी...
Amer se surang ke rasthe aap jaigarh ja sakthe hain ...ye surang kuch sal pehle tourist ke liye khol di gai hai ....
ReplyDeleteजानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद महेश जी ! छोटे बच्चे मेरे साथ थे वरना ज़रूर जाता इस सुरंग में, इस बार ना तो अगली बार सही !
Deleteजयबाण तोप - विश्व की सबसे बड़ी तोपों में से एक को देखकर मन प्रसन्न हो गया ! कभी यहाँ जा नहीं पाया लेकिन इसबार जब भी जयपुर जाने का मौका मिलेगा , अवश्य जाऊँगा ! शानदार फोटो और वृतांत लिखा है आपने प्रदीप जी
ReplyDeleteबिलकुल, ये देखने लायक जगह है योगी जी !
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