नैनीताल की सातताल झील (Sattal - An Offbeat Destination in Nainital)

सोमवार, 03 नवंबर 2014 

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यात्रा के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि किस तरह हम नौकूचियाताल घूमने के बाद सातताल पहुँचे ! यहाँ हमने देखा कि झील पर लकड़ी का एक अस्थाई पुल बनाया गया है, जिसके बगल में ही खेलने-कूदने की व्यवस्था भी है ! जिस समय हम यहाँ पहुँचे तो झील के किनारे कुछ पालतू बतखें थी, लोग पैसे देकर इन बतखों के साथ फोटो खिंचवा रहे थे, हम लोग लकड़ी के पुल को पार करते हुए झील के दूसरे किनारे पहुँच गए, जहाँ लोगों के बैठने की व्यवस्था थी ! यहीं से एक रास्ता चर्च की ओर जाता है, झील के उस पार पहाड़ी पर एक चर्च है, एक चर्च हमें सातताल आते समय रास्ते में भी मिला था, ये दोनों चर्च अलग-2 है ! थोड़ी देर यहाँ घूमने के बाद हम वापस झील के उसी किनारे आ गए जहाँ सारी नौकाएँ थी, पेडल-बोट का मज़ा तो हम लोग नौकूचियाताल में सुबह ले चुके थे इसलिए अब शिकारा नाव में घूमने का मन था ! एक नौका वाला हमें 150 रुपए में आधा घंटा घुमाने के लिए राज़ी हो गया, नाव में बिठाने के बाद वो हमें झील के मध्य में ले गया ! इसी बीच उसने हमें ये जानकारी दी कि इस झील को सात भागों में बाँटा गया है इसलिए इसका नाम सातताल है ! 

sattal lake
सातताल (A View of Sattal Lake)

ये सात भाग है राम, लक्ष्मण, सीता, भरत, गरुड़, सुक्खा, और पूर्णा ताल ! चीड़ के घने पेड़ों से घिरी ये झील नैनीताल की बड़ी झीलों में से एक है ! यहाँ कई हिन्दी फिल्मों मसलन कटी पतंग, खून भारी माँग, बाज़ और कोई मिल गया की शूटिंग भी हो चुकी है ! हमें ये भी पता चला कि यहाँ के लोग इस झील के पानी को खाने-पीने के लिए प्रयोग करते है ! जब कोई इस तरह के तथ्य प्रस्तुत करता है तो मन आनंद और रोमांच से भर जाता है, हमें भी शिकारा नाव में बैठने और यहाँ की दिलचस्प बातें सुनने के बाद बहुत ही आनंद आया ! आधे घंटे घूमने के बाद नाव वापिस किनारे पर आ गई और हम भुगतान करके नीचे उतर गए ! बारिश के दिनों में इस झील का जलस्तर बढ़ जाता है इस झील में पेडल और शिकारा बोट के अलावा काइकिंग भी थी ! नौकायान के बाद बारी थी पेट-पूजा की, यहीं एक स्थानीय दुकान पर रुककर पेट-पूजा की, फिर बच्चों के लिए खेलने-कूदने का थोड़ा सामान खरीदा ! कश्मीरी गरम कपड़ों की दुकान पर भी गए, उनी कपड़े पसंद तो आए पर काफ़ी महँगे थे इसलिए कुछ नहीं खरीदा !

इससे कम दाम में तो अपने ही शहर में मिल जाएँगे, फिर यहाँ से ढुलाई का क्या फ़ायदा ! दुकान से बाहर निकले तो चारों ओर घना अंधेरा छाया हुआ था, ऐसा लग रहा था शाम हो गई है, लेकिन समय देखा तो शाम के सिर्फ़ 4 ही बज रहे थे ! चारों ओर से घने जंगलों से घिरा होने के कारण यहाँ दोपहर में ही अंधेरा सा हो गया था ! झरने पर ना जाने के दो कारण थे एक तो हमारे पास पर्याप्त समय का ना होना, और दूसरा छोटे बच्चे को लेकर घने जंगलों में जाना मुझे सुरक्षित नहीं लगा ! इसलिए हम गाड़ी में बैठकर वापिस भीमताल के लिए निकल पड़े, सातताल से बाहर जाने का रास्ता चढ़ाई भरा है इसलिए जैसे-2 हम लोग उपर पहुँच रहे थे, घना अंधेरा ख़त्म होता जा रहा था ! फिर एक जगह तो ऐसी भी आई जहाँ सूरज की पर्याप्त रोशनी आ रही थी, तब हमें लगा कि अभी तो काफ़ी दिन बाकी है ! रास्ते में ही एक जगह से हमें सड़क के किनारे एक और झील दिखाई दी, इस झील का नाम तो नहीं मालूम पर देखने में ये भी बहुत सुंदर और बड़ी झील थी ! हालाँकि, इस झील तक जाने का हमें कोई पक्का रास्ता तो कहीं दिखाई नहीं दिया, हो सकता है जॅंगल में ही कोई कच्चा रास्ता इस झील तक जाता हो !

वापसी में भी जगह-2 रुकते हुए सुंदर नज़ारों को अपने कैमरे में क़ैद करते हुए हम भीमताल की ओर बढ़ते रहे ! लगभग पाँच बजे हम लोग भीमताल पहुँच गए, इस झील में भी नौकाएँ थी पर हम आज नौकूचियाताल और सातताल में नौकायान का आनंद ले चुके थे, इसलिए यहाँ सवारी नहीं की ! भीमताल में झील के किनारे स्थित भगवान शिव के मंदिर भी गए ! भीमताल झील के मध्य में एक मछलीघर है, जहाँ देश-विदेश से लाई हुई विभिन्न प्रकार की मछलियाँ रखी गई है ! नाव द्वारा मछलीघर तक जाने-आने का किराया 160 रुपए प्रति व्यक्ति है, जब हम काफ़ी देर तक झील के आस-पास घूम लिए तो वहीं पास में ही स्थित एक होटल पर खाना खाया और अंधेरा होने पर वापस अपने होटल के लिए चल दिए ! आज इस यात्रा का हमारा आख़िरी दिन था, इसलिए होटल पहुँच कर सारा सामान भी पैक करना था ताकि सुबह निकलते समय किसी भी तरह की कोई मारा-मारी ना रहे ! सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर तैयार होने के बाद बाकी सामान भी अपने बैग में रख लिया ! 

इसके बाद होटल वाले का बकाया हिसाब भी चुकता किया ! हल्का-फुल्का नाश्ता करने के बाद हम सुबह 8 बजे होटल से वापसी के लिए निकल लिए ! सफ़र लंबा था इसलिए समय से चलना भी ज़रूरी था, मुझे ये रास्ता अच्छे से याद हो गया था इसलिए वापसी में बिना किसी परेशानी के ही हम लोगों ने पहाड़ी क्षेत्र पार कर लिया ! रामपुर होते हुए जब राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर पहुँचे तो वहीं मुरादाबाद में सड़क के किनारे स्थित होटल चंद्रा में दोपहर का भोजन किया ! यहाँ का खाना बहुत ही स्वादिष्ट था, खाना खाकर हमने वापसी का अपना सफ़र जारी रखा ! दिल्ली होते हुए शाम 5 बजे हम लोग पलवल अपने निवास स्थान पर पहुँच गए ! 4 दिनों के इस सफ़र में हमें बहुत ही आनंद आया, परिवार के साथ बिताए इस छोटे से सफ़र का हर एक लम्हा बहुत लंबे समय तक मेरे ज़हन में रहने वाला है ! तो दोस्तों इस सफ़र को यहीं ख़त्म करते हुए आपसे विदा लेता हूँ ! निकट भविष्य में आप सबको फिर किसी नए सफ़र पर लेकर चलूँगा, तब तक के लिए अलविदा !

boating in sattal
सातताल में नौकायान (Boating in Sattal Lake)
sattal boating
झील में नाव की सवारी करते लोग (Colorful Boats in Sattal Lake)
lake in sattal
सड़क किनारे दिखाई देती एक और झील (A Lake Appearing from the Road)
sattal bhimtal road
सातताल से वापसी का मार्ग (Way to Naukuchiatal)
bhimtal aquarium
भीमताल के मध्य में मछलीघर (Aquarium in Bheemtal)
naukuchiatal hotel view
होटल के कमरे से लिया एक चित्र (A View from My Hotel)
hotel spring birds
सुबह वापसी के समय का चित्र (Hotel Spring Birds Reception)
driving to nainital
 
bhimtal
सुबह के समय भीमताल (Morning view of Bheemtal)
nainital to muradabad
नैनीताल से वापसी का चित्र
hotel chandra
होटल चंद्रा में शौर्य (On the Way to Delhi)
क्यों जाएँ (Why to go Sattal): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो सातताल आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! इसके अलावा अगर आप झीलों में नौकायान का आनंद लेना चाहते है तो भी सातताल का रुख़ कर सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Sattal): 
आप सातताल साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में सातताल का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ भी कड़ाके की ठंड पड़ती है !

कैसे जाएँ (How to reach Sattal): दिल्ली से सातताल
की दूरी महज 320 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 6-7 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से सातताल जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-रुद्रपुर-हल्द्वानि होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप सातताल ट्रेन से भी जा सकते है, सातताल जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा है ! काठगोदाम से सातताल महज 25 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !  

कहाँ रुके (Where to stay in Sattal): सातताल 
उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! नौकूचियाताल झील के किनारे क्लब महिंद्रा का शानदार होटल भी है !

कहाँ खाएँ (Eating option in Sattal): सातताल का सबसे नज़दीकी बाज़ार भीमताल में है जो ज़्यादा बड़ा नहीं है और यहाँ 
खाने-पीने की  गिनती की दुकानें ही है ! खाने-पीने का अधिकतर सामान तो यहाँ मिल जाएगा लेकिन अगर कुछ स्पेशल खाने का मन है तो समय से अपने होटल वाले को बता दे !

क्या देखें (Places to see near Sattal): सातताल 
और इसके आस-पास घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है नैनी झील, नौकूचियाताल, खुरपा ताल, नैना देवी का मंदिर, चिड़ियाघर, नैना पीक, कैंची धाम, टिफिन टॉप, नैनीताल रोपवे, माल रोड, और ईको केव यहाँ की प्रसिद्ध जगहें है ! इसके अलावा आप भीमताल से 37 किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर का रुख़ भी कर सकते है !

समाप्त…

नैनीताल यात्रा
    1. दिल्ली से नैनीताल की एक सड़क यात्रा (A Road Trip from Delhi to Nainital)
    2. भीमताल झील की सैर (A Family Trip to Bhimtal)
    3. नैनीताल का मुख्य आकर्षण नैनी झील (Boating in Naini Lake, Nainital)
    4. नैनीताल की कुछ प्राकृतिक गुफाएं (A Visit to Eco Cave in Nainital)
    5. नौ कोनों वाली नौकूचियाताल झील (Boating in Naukuchiataal Lake)
    6. नैनीताल की सातताल झील (Sattal - An Offbeat Destination in Nainital)
    Pradeep Chauhan

    घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

    2 Comments

    1. आपके पोस्ट पढ़ने के बाद उत्तराखंड जाने के लिए मन बहुत बैचैन होने लगा है,मिसिंग बैडली होमटाउन

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      1. वाह, ये तो अच्छी बात है !

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