खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिर (Western Group of Temples, Khajuraho)

सोमवार, 30 अगस्त 2021

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यात्रा के पिछले लेख में आप हमारे साथ खजुराहो पहुँच चुके है, अब आगे, बमीठा में रात को भयंकर उमस थी और फिर सोते समय बिजली भी चली गई ! नींद आने में थोड़ा समय तो लगा लेकिन एक बार आँख लगी तो सुबह अलार्म बजने पर ही नींद खुली ! रात भर आराम करने से सफर की थकान भी खत्म हो गई, बिस्तर से उठे तो फटाफट नित्य-क्रम से निवृत हुए और आज की यात्रा के लिए जरूरी सामान एक छोटे बैग में रख लिया ! अपना बाकि सामान पैक करके हमने होमस्टे के संचालक के पास रख दिया, ताकि वापसी के समय सामान इकट्ठा करने की सिरदर्दी ना रहे ! नाश्ता करने का अभी मन नहीं था इसलिए होमस्टे से निकलकर हम मुख्य मार्ग पर आकर एक ऑटो की तलाश में खड़े हो गए ! हालांकि, होमस्टे के बाहर खान-पान की कुछ दुकानें थी, लेकिन हमने सोचा खजुराहो पहुँचकर कुछ खा लेंगे ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि खजुराहो के मंदिर पर्यटकों के लिए सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खुले रहते है ! अभी साढ़े सात बज रहे थे, कुछ देर इंतजार करने के बाद एक ऑटो आकर रुका जिसमें सवार होकर हम खजुराहो की ओर निकल पड़े, जो यहाँ से लगभग 10 किलोमीटर दूर था ! रास्ता बढ़िया बना था इसलिए ये सफर ऑटो से तय करने में भी हमें लगभग 15-20 मिनट ही लगने थे ! कुछ दूर चलने के बाद हमारा ऑटो मुख्य सड़क को छोड़कर रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग पर मुड़ गया, दरअसल, ऑटो में कुछ सवारियां रेलवे स्टेशन की भी थी जिन्हें छोड़ने हम स्टेशन जा रहे थे ! स्टेशन जाने वाले मार्ग पर भी हमें कुछ बजट होटल दिखाई दिए, लेकिन फिर भी मैं आपको खजुराहो के पास ही रुकने की सलाह दूंगा, ताकि आपको घूमने फिरने के लिए ज्यादा सफर ना करना पड़े !

दूर से दिखाई देता लक्ष्मण मंदिर का एक दृश्य

स्टेशन पर कुछ सवारियों को उतारकर और कुछ नई सवारियों को लेकर हमारा ऑटो एक बार फिर से खजुराहो के लिए निकल पड़ा, इस मार्ग पर 4 किलोमीटर चलने के बाद सड़क के दाईं ओर खजुराहो का एयरपोर्ट बना है ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि खजूराहो घूमने के लिए हर साल विदेशी पर्यटक भी खूब आते है इसलिए इस एयरपोर्ट पर दैनिक विमानों का आवागमन होता रहता है ! फिलहाल जिस मार्ग पर हम चल रहे थे इसके दोनों ओर खूब होटल है, सड़क किनारे इन होटलों के खूब बोर्ड लगे है ! सुबह का समय होने से सड़क पर यातायात ना के बराबर था और हम तेजी से अपने गंतव्य की ओर बढ़े जा रहे थे ! लगभग 8 बजे के आस-पास हम मंदिर से थोड़ा पहले एक चौराहे पर उतर गए, यहाँ से हमारा ऑटो दाएं मुड़कर जैन मंदिर मार्ग पर चला गया ! कुछ दूर चलकर हम सड़क किनारे एक चाय की दुकान पर जाकर रुके, यहाँ गर्मा-गर्म चाय बन रही थी, हमने भी अपने लिए 2 चाय का आदेश दिया और वहीं बैठ गए ! फिलहाल इस दुकान पर फेरी वालों का जमावड़ा लगा था, बाइक सवार ये फेरी वाले महिला श्रंगार का सामान बेचने वाले थे जो अपने काम पर निकलने से पहले शायद सुबह की चाय पीने के लिए यहाँ रुके थे ! चाय बढ़िया लगी तो हमने दूसरा कप भी मँगा लिया, सवा आठ बजे तक यहाँ से फ़ारिक होकर हम खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिरों को देखने चल दिए, जो यहाँ से लगभग 250-300 मीटर दूर था ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि खजुराहो के मंदिरों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है जिनका वर्णन मैं आगे करूंगा !

बमीठा-खजुराहो मार्ग

खजुराहो रेलवे स्टेशन

बमीठा-खजुराहो मार्ग पर दूर दिखाई देता रेलवे पुल

चाय की दुकान के सामने का दृश्य

चलिए, आगे बढ़ने से पहले आपको खजुराहो की थोड़ी जानकारी दे देता हूँ, खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है ! खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है, प्राचीन काल में इसे खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था, यहाँ कई प्राचीन और जैन मंदिर स्थित है ! अपने अलंकृत मंदिरों की वजह से ये शहर विदेशी पर्यटकों में भी खासा लोकप्रिय है, इसलिए यहाँ साल भर देशी-विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है ! खजुराहों के मंदिरों की बाहरी दीवारों पर विभिन्न काम-क्रीड़ाओं को बेहद खूबसूरती से उकेरा गया है, ये कलाकृतियाँ उस समय के कारीगरों की कार्य-कुशलता को दर्शाती है ! चंदेल वंश द्वारा निर्मित खजुराहों के मंदिर भारतीय कला के सबसे उत्कृष्ट नमूनों में शुमार है, इन मंदिरों के समूह को बनाने में लगभग 100 वर्षों का समय लगा ! मूल रूप से 85 मंदिरों के इस समूह में अब घटकर सिर्फ 25 मंदिर ही रह गए है, जिन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी समूह, इनमें से भी अधिकतर मंदिर पश्चिमी समूह में है ! पूर्वी समूह में नक्काशीदार जैन मंदिर है, जबकि दक्षिणी समूह में कुछ अन्य मंदिर है ! पूर्वी समूह के जैन मंदिर चंदेला शासन के दौरान क्षेत्र में फलते-फूलते जैन धर्म के लिए बनवाए गए थे ! पश्चिमी और दक्षिणी समूह के अधिकतर मंदिर विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित हैं, जिनमें से आठ मंदिर भगवान विष्णु को, छह शिवजी को, एक गणेश जी को और एक सूर्यदेव को समर्पित है ! तीन मंदिर जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं, इन सभी मंदिरों में से कंदरिया महादेव का मंदिर सबसे बड़ा है !

ये शहर चंदेल साम्राज्य की प्रथम राजधानी था, चन्देल वंश और खजुराहो की स्थापना महाराज चन्द्रवर्मन ने की थी जो मध्यकाल के दौरान बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत शासक थे। वे खुद को चन्द्रवंशी मानते थे, चंदेल शासकों ने मध्य भारत में दसवीं से बारहवी शताब्दी तक शासन किया। अपनी यात्रा के दौरान मैं आपको इन सभी मंदिरों के दर्शन करवाऊँगा और इनसे संबंधित जरूरी जानकारी भी दूंगा ! फिलहाल हम टहलते हुए पश्चिमी समूह के मंदिर के सामने पहुँच चुके है, टिकट खिड़की तो खुल चुकी थी लेकिन अभी यहाँ हमारे सिवा कोई अन्य यात्री नहीं था, टिकट खिड़की के सामने अनलाइन टिकट खरीदने संबंधित जानकारी भी एक होर्डिंग पर लगाई गई थी ! आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि पश्चिमी समूह के इन सभी मंदिरों को देखने का शुल्क मार्ग 40 रुपए प्रति व्यक्ति है जबकि विदेशी नागरिकों के लिए ये शुल्क बढ़कर 600 रुपए प्रति व्यक्ति हो जाता है ! 15 वर्ष से कम आयु के पर्यटकों के लिए प्रवेश निशुल्क है जबकि वीडियो कैमरा के लिए 25 रुपए का शुल्क अलग से अदा करना होता है ! टिकट लेकर जब हम प्रवेश द्वार पर पहुँचे तब तक 8-10 यात्री टिकट खिड़की पर पहुँच चुके थे, साढ़े आठ बजे हम मंदिर परिसर में दाखिल हुए ! अपनी खजुराहो यात्रा की शुरुआत हम पश्चिमी समूह के अंतर्गत आने वाले इन 10 मंदिरों से करेंगे, जिनके नाम नीचे दिए गए है !

  1. लक्ष्मण मंदिर
  2. लक्ष्मी मंदिर
  3. वराह मंदिर
  4. देवी जगदम्बा मंदिर
  5. चित्रगुप्त मंदिर
  6. पार्वती मंदिर
  7. विश्वनाथ मन्दिर
  8. नन्दी मंदिर
  9. सिंह मंदिर
  10. कंदरिया महादेव मंदिर
पश्चिमी समूह के मंदिरों का टिकट घर

पश्चिमी समूह के मंदिर परिसर का प्रवेश द्वार

प्रवेश शुल्क से संबंधित जानकारी

दूर से दिखाई देता लक्ष्मण मंदिर

खजुराहो की जानकारी देता एक बोर्ड

ये मंदिर पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है

लक्ष्मण मंदिर का एक और दृश्य

लक्ष्मण मंदिर की जानकारी देता एक बोर्ड

लक्ष्मण मंदिर

मंदिर परिसर में घूमते हुए सबसे पहले हम लक्ष्मण मंदिर पहुंचे, भगवान विष्णु के वैकुंठ रूप को समर्पित इस मंदिर का निर्माण चंदेल शासक यशोवर्मन ने 930 से 960 के मध्य में करवाया था ! बलुआ पत्थर से बना लक्ष्मण मंदिर खजुराहो के पश्चिमी समूह का एक प्रमुख मंदिर है, और यहाँ के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी यहाँ आने वाले पर्यटकों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है ! लक्ष्मण मंदिर का निर्माण पंचायतन शैली में हुआ है, जो मंदिर निर्माण की एक विशिष्ट शैली है और इसकी उत्पत्ति संस्कृत शब्द से हुई है ! इस शैली में मुख्य देवता का मंदिर मध्य में बनाकर इसके चारों ओर अन्य मंदिर बनाए जाते थे ! लक्ष्मण मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है और इसके चारों कोनों में छोटे-2 मंदिर बनाए गए हैं, जिन्हें उप-मंदिर कहा जाता हैं। मंदिर का मुख्य शिखर लघु शिखरों के समूह से युक्त है, और मंदिर की बाहरी दीवारों को देवी-देवताओं की प्रतिमाओं से अलंकृत किया गया है ! इसके अलावा मंदिर की बाहरी दीवारों पर युगल काम-क्रीड़ाओं के सुंदर चित्र भी उकेरे गए है ! गर्भगृह का प्रवेश द्वार सप्त शाखाओं से अलंकृत है, जिसके मध्य भाग को भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों से सजाया गया है ! मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु की बैकुंठ रूपी प्रतिमा देखने को मिलती है, जिसमें प्रभु के तीन रूप हैं नरसिंह, वराह और विष्णु। ऐसी प्रतिमा आपको और कहीं देखने को नहीं मिलेगी, लक्ष्मण मंदिर में बहुत सारी कथाओं एवं प्राचीन जीवन को मूर्तियों के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया गया है।

मंदिर के बाहर बनी सिंह की मूर्ति

मंदिर के बाहर लगे पत्थर पर अंकित जानकारी

सामने से दिखाई देता लक्ष्मण मंदिर

लक्ष्मण मंदिर के अंदर का एक दृश्य


लक्ष्मण मंदिर के अंदर का एक दृश्य

मंदिर की दीवार पर भगवान विष्णु का वराह अवतार

मंदिर के प्रवेश द्वार का एक दृश्य

मंदिर परिसर से दिखाई देता एक दृश्य

मैदान के उस ओर दिखाई देते पश्चिमी समूह के अन्य मंदिर

मंदिर की दीवारों पर उकेरे गए चित्र
लक्ष्मण मंदिर के प्रवेश द्वार की सीढ़ियों के दोनों ओर सिंह की प्रतिमाएं स्थापित है, इन सीढ़ियों से ऊपर जाने पर मुख्य मंदिर दिखाई देता है। इस मंदिर में मुख्यत 5 भाग हैं, प्रथम भाग है अर्थ मंडप, जो मंदिर का प्रवेश द्वार भी है  दूसरा भाग महा मंडप कहलाता है, ये एक छोटा सा चबूतरा है, जहां नृत्यांगना धार्मिक नृत्य किया करती थी। तीसरा भाग है अंतराल, यहां बैठकर पुजारी पूजा किया करते थे। चौथा भाग है, गर्भ गृह, जहां मुख्य देवता की मूर्ति रखी जाती थी। और पाँचवा भाग प्रदक्षिणा पथ है, ये पथ मंदिर के बाहरी भाग और गर्भ गृह को अलग करता है, इस पथ से गर्भ गृह की परिक्रमा भी कर सकते हैं। मंदिर के परिक्रमा मार्ग की दीवारों पर भी खूबसूरत मूर्तियाँ उकेरी गई है जिनमें भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं को दर्शाया गया है ! परिक्रमा पथ पर एक आले में भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को दर्शाया गया है जिसमें वो हिरण्यकश्यप का वध कर रहे है ! लक्ष्मण मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका चबूतरा भी अपनी प्रारंभिक स्थिति में सुरक्षित है।

लक्ष्मण मंदिर के कोने पर बना एक मंदिर

मंदिर की दीवारों पर उकेरे गए मिथुन चित्र

मंदिर की बाहरी दीवारों पर की गई चित्रकारी

मंदिर की बाहरी दीवारों का एक दृश्य

मंदिर की बाहरी दीवारों पर बनाए गए चित्र

मंदिर की बाहरी दीवारों पर मिथुन चित्रकारी

मंदिर के परिक्रमा मार्ग से दिखाई देती मंदिर की दीवारें

मंदिर की दीवारों पर की गई चित्रकारी

मंदिर का एक और दृश्य
लक्ष्मी मंदिर

ये मंदिर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को समर्पित पश्चिमी समूह के अंतर्गत आने वाला एक छोटा मंदिर है, इस मंदिर को सजाने के लिए मध्यम आकार की मूर्तियों का इस्तेमाल किया गया है। लक्ष्मी मंदिर में स्थापित मूर्तियां पीले बलुआ पत्थर से बनी है, ये बलुआ पत्थर इन मूर्तियों को काफी आकर्षक बना देते है। लक्ष्मी मंदिर को देवी देवताओं की सैकड़ों मूर्तियों से सजाया गया है, मंदिर की दीवारों पर की गई बारीक नक्काशी तत्कालीन कारीगरों की कार्य-कुशलता को बखूबी दर्शाती है जिन्होंने सीमित संसाधनों से ही इतनी शानदार कलाकृतियाँ बनाई है !

लक्ष्मी मंदिर के बाहर

लक्ष्मी मंदिर का प्रवेश द्वार जो अब बंद रहता है

लक्ष्मी मंदिर खजुराहो

वराह मंदिर

ये मंदिर भी खजुराहो के पश्चिमी समूह के अंतर्गत आने वाला एक प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है ! 14 स्तंभों पर खड़े इस मंदिर में भगवान विष्णु के वराह अवतार की एक आकर्षक प्रतिमा देखने को मिलती है। लगभग ढाई मीटर लंबी वराह की इस प्रतिमा में देवी-देवताओं की अनेक प्रतिमाएं उकेरी गई है, और बहुत बारीक नक्काशी की गई है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है। ये काफी बड़ी प्रतिमा है और बलुआ पत्थर से बनी है। वराह की प्रतिमा में और मंदिर की छत पर आपको फूलों की बहुत बारीक नक्काशी दिखाई देगी, वराह की प्रतिमा के नीचे शेषनाग की प्रतिमा भी थी जो अब खंडित हो चुकी है। लक्ष्मण मंदिर के ठीक सामने स्थित ये मंदिर एक ऊंचे मंडप पर बना है जहां जाने के लिए सीढ़ियां भी बनाई गई है ! वराह मंदिर से निकलकर हम पश्चिमी समूह के अन्य मंदिरों को देखने चल दिए, जिनका वर्णन मैं यात्रा के अगले लेख में करूंगा !

वराह मंदिर की जानकारी दर्शाता एक पत्थर

लक्ष्मण मंदिर का बाहरी भाग

लक्ष्मण मंदिर का बाहरी परिक्रमा मार्ग

लक्ष्मण मंदिर का एक और दृश्य

मंदिर के कोने पर बना एक अन्य मंदिर

पश्चिमी मंदिर परिसर का एक दृश्य

वराह मंदिर का एक दृश्य

वराह मंदिर के मंदिर भगवान विष्णु का वराह अवतार

मंदिर की छत पर की गई चित्रकारी

क्यों जाएँ (Why to go)खजुराहो अपने कुशल कारीगरी वाले मंदिरों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, अगर आपको भी प्राचीन कलाकृतियाँ देखना पसंद है तो निश्चित तौर पर आपको यहाँ जरूर आना चाहिए ! खजुराहो का नाम सुनते ही अक्सर लोगों के मन में कामुक कलाकृतियों की छवि उभरने लगती है लेकिन इन कलाकृतियों से इतर कभी यहाँ के इतिहास को जानने की कोशिश करिए !

कब जाएँ (Best time to go): आप यहाँ साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में यहाँ अलग ही नजारा दिखाई देता है ! लेकिन यहाँ जाने के लिए अक्टूबर से मार्च का महीना सबसे उपयुक्त है !

कैसे जाएँ (How to reach): दिल्ली से खजुराहो की दूरी लगभग 650 किलोमीटर है जिसे आप ट्रेन से 12 घंटे में आराम से पूरी 8 से 10 घंटे में आराम से पूरा कर सकते है ! इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों से भी खजुराहो के लिए ट्रेनें चलती है ! आप चाहे तो खजुराहो का ये सफर बस या निजी वाहन से भी आ सकते है लेकिन यहाँ आने के लिए सबसे बढ़िया विकल्प रेल मार्ग है क्योंकि रेलवे स्टेशन से खजुराहो के मंदिरों की दूरी महज 8 किलोमीटर है ! इस दूरी को तय करने के लिए आपको नियमित अंतराल पर ऑटो या अन्य गाड़ियां मिल जाती है, वैसे आप अपनी सहूलियत के अनुसार कोई भी विकल्प चुन सकते है !

कहाँ रुके (Where to stay): खजुराहो में रुकने के लिए आपको 1000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक के होटल भी मिल जाएंगे ! आप अपने बजट के हिसाब से किसी भी होटल का चयन कर सकते है, खजुराहो में स्टेशन से निकलकर बमीठा-खजुराहो मार्ग पर कोई होटल लेंगे तो ज्यादा ठीक रहेगा !

क्या देखें (Places to see): खजुराहो में घूमने के लिए बहुत से मंदिर है जिन्हें अलग-2 श्रेणियों में बांटा गया है, आप चाहे तो दिनभर में इन सभी मंदिरों को आराम से देख सकते है ! लेकिन अगर आप इन मंदिरों की विस्तृत जानकारी लेना चाहते है तो आप यहाँ ज्यादा दिन भी रुक सकते है !

अगले भाग में जारी...
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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