जोधपुर की बालसमंद और कायलाना झील (Balasmand and Kaylana Lake of Jodhpur)

रविवार, 24 दिसंबर 2017

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यात्रा के पिछले लेख में आप मंडोर उद्यान घूम चुके है, पार्किंग से अपनी स्कूटी लेने के बाद हम वापिस जोधपुर जाने वाले मार्ग पर चल दिए ! अब आगे, कुछ दूर चलने के बाद हम मुख्य मार्ग को छोड़कर अपनी दाईं ओर जा रहे एक मार्ग पर मुड गए, ये बीकानेर-बाड़मेर मार्ग था, इस पर ज्यादा यातायात नहीं था ! कुछ दूर चलने के बाद चढ़ाई भरा मार्ग शुरू हो गया, यहाँ सड़क किनारे पेड़-पौधे तो थे लेकिन आस-पास खनन क्षेत्र होने के कारण धूल भी बहुत उड़ रही थी ! लगभग 3 किलोमीटर चलने के बाद हम सड़क के बाईं ओर जा रहे एक कच्चे मार्ग पर मुड गए ! यहाँ दूर तक फैली पत्थरों की खदानें थी, जहाँ बड़े-2 पत्थरों को काट कर भवन निर्माण के लिए पत्थर निकाले जा रहे थे ! कहीं मशीनों से काम लिया जा रहा था तो कहीं मजदूर पत्थर तोड़ने में लगे थे, बाहरी लोगों का आवागमन तो यहाँ ना के बराबर ही था ! यहाँ काम करने वाले लोगों के अलावा हम ही थे जो इस मार्ग पर चल रहे थे, हमारे लिए सांस लेना भी दूभर हो रहा था लेकिन फिर भी हिम्मत करके हम घुमावदार रास्तों से होते हुए आगे बढ़ते रहे ! कुछ दूर चलने के बाद गूगल मैप ने रास्ता दिखाना बंद कर दिया, देवेन्द्र असमंजस में था कि अब किधर जाए ! अब यहाँ कोई पक्का मार्ग तो था नहीं, कच्चे मार्ग पर ही ट्रेक्टर और ट्रकों से पत्थरों की ढुलाई हो रही थी !
balasmand lake
बालसमंद झील का एक दृश्य (A view of Balasmand Lake)

मैप बंद होने के बाद देवेन्द्र ने स्कूटी रोक दी, और बोला, भाई, अब किधर जाना है ? मैंने कहा, अब हमें पैदल ही इस झील के पास जाना है ! मैप के हिसाब से झील यहाँ से बाईं ओर कुछ दूरी पर होनी चाहिए थी, लेकिन वहां तक जाने का कोई मार्ग नहीं था ! स्कूटी एक तरफ खड़ी करके हम मैप के अनुसार मुख्य मार्ग से हटकर कुछ दूर पैदल चले तो हमें एक झील दिखाई दी, यही वो बालसमंद झील थी जिसे हम ढूंढ रहे थे ! चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई इस झील का निर्माण 1159 में परिहार शासक बालकराव ने करवाया था, बाद में झील के बीचों-बीच महाराजा सुरसिंह ने अष्ट खम्बा महल बनवाया ! कहते है जब इस झील का निर्माण कार्य पूरा हुआ, उस समय वर्षा ऋतू होने के बावजूद बारिश ना होने से मारवाड़ में अकाल की स्थिति पैदा हो गई ! इस बात से चिंतित प्रतिहार शासक राव जी और उनके सलाहकारों ने पंडित और विद्वानों से इस समस्या का हल बताने को कहा, इस पर पंडितों ने कहा कि झील का निर्माण करते समय भारी चूक हुई है इसलिए ये अकाल की स्थिति उत्पन्न हुई है ! फिर इन विद्वाओं ने सुझाव दिया कि झील में एक यज्ञ करवाया जाए और यज्ञ की समाप्ति पर उसमें एक राजकुमार की आहुति दी जाए, तभी इस अकाल का संकट ख़त्म होगा, ये सुनकर राव चिंतित हो गए !


बालसमंद झील जाने का मार्ग (Way to Balasmand Lake)

बालसमंद झील जाने का मार्ग (Way to Balasmand Lake)

बालसमंद झील जाने का मार्ग (Way to Balasmand Lake)
किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए, राजकुमार की बलि की बात सुनकर राजनीतिक सलाहकार भी अपना पक्ष रखने में संकोच कर रहे थे ! आखिरकार, मारवाड़ की तत्कालीन महारानी ने कहा कि अगर जनता ही नहीं रहेगी तो राजकुमार और राजपरिवार का क्या महत्त्व ?, ये सुनकर राव ने यज्ञ शुरू करने का आदेश दिया ! यज्ञ में जिस राजकुमार की आहुति दी जानी थी उसका नाम बुध प्रतिहार था, यज्ञ समाप्ति के बाद ही आसमान में घूल भरी आंधियां चलने लगी और तेज गर्जना के साथ बारिश भी शुरू हो गई ! झील भी पानी से भरकर लबालब हो गई, इसी बीच किसी को झील में तैरती हुई एक टोकरी दिखाई दी, ये वही टोकरी थी जिसमें बलि के लिए राजकुमार को यज्ञ के समय अन्दर सुलाया गया था ! राजकुमार उस टोकरी में अभी भी जिंदा था, तब राव राजकुमार को शुभ मुहूर्त के हिसाब से महल में वापिस लाया गया और पूरे मंडोर में उत्सव मनाया गया ! दूर से देखने पर झील का पानी नीले रंग का दिखाई देता है, वाकई इतनी सुन्दर झील देखकर हमारी आँखों को बड़ा सुकून मिला ! वैसे तो ऐसी कई झीलें हमारे फरीदाबाद में भी अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित है, लेकिन इनमें से अधिकतर झीलें अवैध खनन से बनी है, फिर विगत कुछ वर्षों में कई हादसे हो जाने के कारण अब इन झीलों में जाने पर पाबन्दी लगा दी गई है !


बालसमंद झील का एक दृश्य (A view of Balasmand Lake)

बालसमंद झील का एक दृश्य (A view of Balasmand Lake)

बालसमंद झील का एक दृश्य (A view of Balasmand Lake)

बालसमंद झील का एक दृश्य (A view of Balasmand Lake)

बालसमंद झील का एक दृश्य (A view of Balasmand Lake)

बालसमंद झील से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Balasmand Lake)
इस समय जहाँ हम खड़े थे वहां से झील का जलस्तर काफी नीचा था, दूर तक फैली झील शानदार दिखाई दे रही थी वैसे बारिश के मौसम में झील का जलस्तर काफी बढ़ जाता होगा ! हमसे थोड़ी दूरी पर जगह-2 पत्थरों के ढेर लगे हुए थे, आस-पास कंटीली झाड़ियाँ भी थी, धूप तेज होने के कारण यहाँ खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था ! थोड़ी देर के लिए हम यहाँ छाया में एक पत्थर पर बैठ गए, कुछ देर बालसमंद झील के पास बिताने और यहाँ के कुछ चित्र लेने के बाद हमने वापसी की राह पकड़ी ! स्कूटी लेकर हम फिर से खदानों के बीच से निकलते उस कच्चे मार्ग से होकर बीकानेर-बाड़मेर मार्ग पर पहुंचे ! इस मार्ग पर 5-6 किलोमीटर चलने के बाद हम मुख्य मार्ग को छोड़कर अपनी बाईं ओर जा रहे कायलाना मार्ग पर मुड गए ! इस मार्ग पर कुछ दूर चलने के बाद सड़क के बाईं ओर कायलाना झील दिखाई देने लगती है, सड़क के किनारे ऊंची-2 चारदीवारी बनी है इसलिए यहाँ से झील तक जाने का कोई रास्ता नहीं है ! आगे जाकर एक पुल से होते हुए हम झील के उस पार पहुँच गए, कुछ दूर तक झील के साथ-2 चलने के बाद आगे जाकर एक जगह झील के किनारे एक पार्क बना है !


बालसमंद झील से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Balasmand Lake)

बालसमंद झील से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Balasmand Lake)

बालसमंद झील से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Balasmand Lake)

बालसमंद झील से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Balasmand Lake)

बालसमंद झील से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Balasmand Lake)

बालसमंद झील से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Balasmand Lake)

बालसमंद झील से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Balasmand Lake)
यहाँ सड़क के दोनों ओर कई वाहन खड़े थे, हमने भी एक छायादार जगह देख कर अपनी स्कूटी खड़ी की और पैदल ही पार्क से होते हुए झील के किनारे पहुंचे ! चलिए, आगे बढ़ने से पहले आपको इस झील से सम्बंधित कुछ जानकारी दे देता हूँ ! 84 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली इस झील का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने 1872 में करवाया था, कहते है प्राचीन काल में इस क्षेत्र में जोधपुर के दो राजाओं भीम सिंह और तख़्त सिंह के बाग़ और महल हुआ करते थे ! झील निर्माण के दौरान इन बगीचों और महलों को तबाह कर दिया गया था, इस झील के जल का मुख्य स्त्रोत हाथी नहर है, पहले गर्मियों के मौसम में झील का पानी सूख जाया करता था लेकिन अब नहर से पानी मिलने के कारण इस झील में सारा वर्ष पानी रहता है ! झील के किनारे बबूल और कंटीली झाड़ियाँ बहुतायत में है, सर्दियों के मौसम में बहुत से साइबेरियाई पक्षी इस झील में आते है ! वैसे तो जोधपुर और इसके आस-पास के इलाकों में पानी की आपूर्ति इस झील से ही की जाती है, लेकिन पर्यटन विभाग की अवहेलना का खामियाजा भी इस झील को भुगतना पड़ रहा है ! शाम होते ही यहाँ असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने लगता है, जाम छलकते है तो लोग असुरक्षा की भावना से परिवार संग इधर आने से भी कतराते है, अगर प्रशासन इस ओर ध्यान दे तो इस झील को पर्यटन के क्षेत्र में अच्छे से विकसित किया जा सकता है !


कायलाना झील का एक दृश्य (A view of Kaylana Lake)

कायलाना झील का एक दृश्य (A view of Kaylana Lake)

कायलाना झील के पास एक नोटिस (A Sign Board on Kaylana Lake)


कायलाना झील का एक दृश्य (A view of Kaylana Lake)

कायलाना झील का एक दृश्य (A view of Kaylana Lake)

स्कूटी के किराये की रसीद 
कायलाना झील में नौकायान की व्यवस्था भी है, आप यहाँ पेडल और मोटर दोनों तरह की बोट की सवारी का आनंद ले सकते है ! लेकिन अभी धूप तेज होने के कारण इस समय कोई भी बोटिंग नहीं कर रहा था, गर्मी के कारण बोटिंग करने की हमारी भी इच्छा नहीं हुई ! वैसे, झील के किनारे का पानी काफी गन्दा था, एकदम किसी नाले की तरह, जगह-2 कचरे के ढेर भी लगे थे ! कुछ देर झील के किनारे बने बोट स्टैंड पर खड़े रहकर फोटो खींचने के बाद हम वापिस पार्क में आ गए, जहाँ पहले से ही बहुत लोग बैठे हुए थे ! बड़ी मशक्कत के बाद हमें एक छायादार जगह मिली, जहाँ बैठकर हमने अपने साथ लाये खाने-पीने के सामान से पेट-पूजा की ! रविवार का दिन होने के कारण यहाँ बहुत से लोग परिवार संग पिकनिक मनाने आए हुए थे, हमारे आस-पास कई परिवार बैठे हुए थे ! दिनभर की भागम-भाग से हमें भी अच्छी खासी थकान हो गई थी, वैसे भी इसके बाद आज हमें घंटाघर ही देखना बाकि रह गया था ! कुछ देर बैठकर हमने यहाँ आराम किया और फिर धूप कम होने पर हमने वापसी की राह पकड़ी ! जोधपुर आते हुए रास्ते में हम एक माल के सामने आकर रुके, सोचा घर के लिए कुछ खरीददारी कर लेंगे, माल में आधा घंटा बिताया लेकिन कुछ भी ऐसा नहीं मिला जिसे अपने साथ ले जा सके, थक-हारकर माल से खाली हाथ ही लौटना पड़ा ! जोधपुर के घंटा घर का वर्णन मैं इस यात्रा के अगले लेख में करूँगा !

क्यों जाएँ (Why to go Jodhpur): अगर आपको ऐतिहासिक इमारतें और किले देखना अच्छा लगता है तो निश्चित तौर पर राजस्थान में जोधपुर का रुख कर सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Jodhpur): जोधपुर जाने के लिए नवम्बर से फरवरी का महीना सबसे उत्तम है इस समय उत्तर भारत में तो कड़ाके की ठण्ड और बर्फ़बारी हो रही होती है लेकिन राजस्थान का मौसम बढ़िया रहता है ! इसलिए अधिकतर सैलानी राजस्थान का ही रुख करते है, गर्मी के मौसम में तो यहाँ बुरा हाल रहता है !

कैसे जाएँ (How to reach Jodhpur): जोधपुर देश के अलग-2 शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है, देश की राजधानी दिल्ली से इसकी दूरी 620 किलोमीटर है जिसे आप ट्रेन में सवार होकर रात भर में तय कर सकते है ! मंडोर एक्सप्रेस रोजाना पुरानी दिल्ली से रात 9 बजे चलकर सुबह 8 बजे जोधपुर उतार देती है ! अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहे तो उसके लिए भी देश के अलग-2 शहरों से बसें चलती है, आप निजी गाडी से भी जोधपुर जा सकते है ! 

कहाँ रुके (Where to stay near 
Jodhpur): जोधपुर में रुकने के लिए कई विकल्प है, यहाँ 600 रूपए से शुरू होकर 3000 रूपए तक के होटल आपको मिल जायेंगे ! आप अपनी सुविधा अनुसार होटल चुन सकते है ! खाने-पीने की सुविधा भी हर होटल में मिल जाती है, आप अपने स्वादानुसार भोजन ले सकते है !


क्या देखें (Places to see near Jodhpur): जोधपुर में देखने के लिए बहुत जगहें है जिसमें मेहरानगढ़ किला, जसवंत थड़ा, उन्मेद भवन, मंडोर उद्यान, बालसमंद झील, कायलाना झील, क्लॉक टावर और यहाँ के बाज़ार प्रमुख है ! त्रिपोलिया बाज़ार यहाँ के मुख्य बाजारों में से एक है, जोधपुर लाख के कड़ों के लिए जाना जाता है इसलिए अगर आप यहाँ घूमने आये है तो अपने परिवार की महिलाओं के लिए ये कड़े ले जाना ना भूलें !


अगले भाग में जारी...


जोधपुर यात्रा
  1. दिल्ली से जोधपुर की ट्रेन यात्रा (A Train Journey from Delhi to Jodhpur)
  2. जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग का इतिहास (History of Mehrangarh Fort, Jodhpur)
  3. जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग की सैर (A Visit to Mehrangarh Fort, Jodhpur)
  4. मेहरानगढ़ दुर्ग के महल (A Visit to Palaces of Mehrangarh Fort, Jodhpur)
  5. मारवाड़ का ताजमहल - जसवंत थड़ा (Jaswant Thada, A Monument of Rajpoot Kings)
  6. जोधपुर का उम्मेद भवन (Umaid Bhawan Palace, Jodhpur)
  7. रावण की ससुराल और मारवाड़ की पूर्व राजधानी है मण्डोर (Mandor, the Old Capital of Marwar)
  8. जोधपुर की बालसमंद और कायलाना झील (Balasmand and Kaylana Lake of Jodhpur)
  9. जोधपुर का क्लॉक टावर और कुछ प्रसिद्द मंदिर (Temples and Clock Tower of Jodhpur)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

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