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किले से निकलकर हम पार्किंग स्थल पर पहुँचे, जो प्रवेश द्वार के ठीक सामने था, जब हम किले से बाहर निकल रहे थे तो काफ़ी लोग एक साथ किले में जा रहे थे ! जैसे-2 दिन बढ़ता जाएगा, यहाँ आने वाले लोगों की तादात भी बढ़ती जाएगी और फिर शाम होते-2 सब अपने घर लौट जाएँगे ! बाहर आते हुए ध्यान आया कि किले से थोड़ी दूरी पर एक बावली और कुछ अन्य इमारतें भी है गाड़ी पार्किंग में ही छोड़कर हम लोग मुख्य मार्ग से हटकर एक कच्चे मार्ग पर चल दिए ! जिस इमारत की मैं बात कर रहा हूँ वो किसी का मकबरा था, कहते है ये किसी हिंदू शासक का मकबरा है जिसने बाद में इस्लाम धर्म अपना लिया था ! मुख्य मार्ग से हटकर कच्चे रास्ते से होते हुए हम इस मक़बरे की ओर चल दिए ! दूर से देखने पर ही ये मकबरा बहुत सुंदर लग रहा था, थोड़ी देर बाद हम मक़बरे के पास पहुँच गए ! ये मकबरा एक ऊँचे चबूतरे पर बना है और अंदर जाने के लिए पत्थर की सीढ़ियाँ भी बनी है !
जिस समय हम मक़बरे पर पहुँचे, वहाँ कुछ स्थानीय बच्चे खेल रहे थे !