छठ पूजा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है, छठ के इस पर्व को भी दीवाली के बराबर ही माना जाता है ! बल्कि देश के कुछ हिस्सों (यूपी-बिहार) में तो इसे दीवाली से भी ज़्यादा महत्व दिया जाता है ! भले ही लोग दीवाली पर अपने घर परिवार के साथ ना हो, पर छठ मनाने के लिए वो देश के अलग-2 हिस्सों से अपने परिवार के पास पहुँच जाते है ! यही कारण है की दीवाली के बाद देश के अलग-2 हिस्सों से यूपी-बिहार जाने वाली अधिकतर रेलों में भीड़ बहुत बढ़ जाती है ! हालाँकि, किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए भारतीय रेल इस दौरान यूपी-बिहार के लिए कुछ अतिरिक्त रेलें भी चलाती है, बावजूद इसके हर साल इस मौके पर रेलों में भगदड़ की खबरें सुनने को मिलती रहती है ! वैसे तो इस त्योहार को यूपी-बिहार के लोग ज़्यादा मनाते है पर धीरे-2 ये त्योहार पूरे भारतवर्ष में मशहूर हो गया है इसलिए अब ये त्योहार देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है ! इसकी भी कई वजहें है पहली वजह तो है यूपी-बिहार के लोगों का देश के अलग-2 हिस्सों में पलायन करना, और दूसरी वजह है लोगों की इस त्योहार के लिए बढ़ रही श्रद्धा !
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छठ पूजा के लिए बनाया गया घाट (A ghat decorated for the festival of Chath)
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अक्सर लोग अपने प्रदेश से काम-धंधे की तलाश में अलग-2 शहरों में जाते है और धीरे-2 उन्हीं शहरों में अपने परिवार संग स्थाई रूप से बस जाते है ! ये एक बड़ी वजह है कि देश के बड़े-2 शहरों में भी इस पर्व पर काफ़ी रौनक होती है फिर चाहे दिल्ली हो, मुंबई हो या कोई और महानगर ! रही दूसरी वजह श्रद्धा की तो जब लोगों को इस पर्व से जुड़े महत्व का पता चला तो उन्होने भी इस व्रत को रखना शुरू कर दिया ! थोड़ी जानकारी आप लोगों को इस पर्व से जुड़ी भी दे देता हूँ, ताकि इस पर्व के बारे में आपको भी थोड़ी जानकारी हो जाए और आपके मन में उठ रहे अनगिनत प्रश्नों का भी निवारण हो जाए ! हिंदू धर्म का ये त्योहार भगवान सूर्य को समर्पित है, भगवान सूर्य को इस धरती पर प्रकाश और जीवन देने के लिए धन्यवाद स्वरूप ये त्योहार मनाया जाता है ! छठ का व्रत प्राय: महिलाओं द्वारा किया जाता है परंतु कुछ पुरुष भी ये व्रत रखते है ! वैसे तो ये त्योहार समस्त भारत में मनाया जाता है पर बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में इस पर्व का काफ़ी महत्व है !
छठ पूजा असल में चार दिवसीय त्योहार है जो कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी को शुरू होकर सप्तमी को ख़त्म होता है ! पहले दिन को नहाय-खाए के रूप में मनाया जाता है इस दिन घर की साफ-सफाई करके उसे पवित्र किया जाता है ! फिर व्रती (व्रत रखने वाले श्रद्धालु) नहा-धोकर शुद्ध रूप से बने शाकाहारी भोजन ग्रहण करने के पश्चात इस व्रत की शुरुआत करते है ! घर के सभी सदस्य व्रती के भोजन करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करते है ! दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल की पंचमी को खरना के रूप में मनाया जाता है इस दिन व्रती दिनभर उपवास करने के बाद शाम को भोजन ग्रहण करते है ! खरना के प्रसाद के रूप में चावल और गुड से बनी खीर बनाई जाती है, स्थानीय भाषा में बखीर भी कहा जाता है ! तीसरे दिन का व्रत बहुत कठिन होता है इस दिन व्रत रखने पर अगले दिन सप्तमी को सुबह सूर्योदय के बाद ही व्रत खोला जाता है ! हिंदू कैलैंडर के मुताबिक दीवाली के बाद छठ का पर्व मनाया जाता है !
कहते है इस पर्व की शुरुआत उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाक़ों में हुई थी पर समय के साथ-2 ये पर्व समस्त भारत में लोकप्रिय हो गया ! एक कहावत के अनुसार इस पर्व की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी ! कर्ण एक महान योद्धा था और उसने महाभारत काल में अंग देश पर राज किया था जो अब बिहार के मुंगेर जिले में है ! इस तरह से इस त्योहार की उत्पत्ति बिहार में ही हुई, ऐसी और भी कई कहानियाँ और मान्यताएँ है ! कुछ राज्यों में इस दिन अवकाश भी होता है, दिल्ली सरकार ने भी वर्ष 2015 में छठ के दिन अवकाश की घोषणा की थी ! इस दिन श्रद्धालू सुबह नित्य-क्रम से निबटकर समय से नहा-धोकर तैयार होने के बाद निर्जला व्रत रखते है ! निर्जला व्रत उसे कहते है जिसमें जल भी ग्रहण नहीं करना होता, अमूमन दूसरे किसी भी व्रत में व्रती जल तो ग्रहण कर सकते है पर छठ के व्रत में जल भी ग्रहण नहीं करना होता !
निर्जला व्रत काफ़ी कठिन होता है, इस बात का अंदाज़ा तो आप भी आसानी से लगा सकते है ! इस व्रत के दौरान व्रती को भोजन और जल के अलावा सुखद शैय्या को भी त्यागना होता है, इस दौरान व्रती भूमि/फर्श पर चादर बिछाकर सोता है ! व्रत के दौरान पूजा सामग्री तैयार की जाती है जिसमें विभिन्न प्रकार के फल-फूल जैसे सिंघाड़े, अनानास, सेब, केले, खजूर, शक्करकंदी, जमीरा, और भी मौसमी फल, मीठे पुए, और ठेकुआ (मीठी रोटियाँ) बनाई जाती है ! वैसे तो घर के सभी लोग पूजा सामग्री तैयार करने में सहयोग करते है, लेकिन प्राथमिकता व्रती को ही दी जाती है ! अन्य त्योहारों की तरह इस दिन भी छठ उत्सव में शामिल होने वाले लोग नए-2 कपड़े पहनते है ! हालाँकि, व्रती ऐसे कपड़े पहनते है जिसमें किसी प्रकार की सिलाई ना की गई हो, इन्हें कोरा कपड़ा कहा जाता है ! महिलाएँ साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ पूजा करते है ! एक बार शुरू करने के बाद ये व्रत सालो-साल तब तक किया जाता है जब तक अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला को इसके लिए तैयार ना कर लिया जाए !
हालाँकि, घर में कोई दुखद घटना होने पर (किसी की मृत्यु) ये पर्व नहीं मनाया जाता ! एक मान्यता के अनुसार छठ पर्व पर व्रत रखने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है, पुत्र की चाहत रखनेवाली और पुत्र की लम्बी उम्र के लिए महिलाएँ ये व्रत रखती है ! शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था करने के बाद बाँस की टोकरी में अरग का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा सगे-संबधी सूर्य देव को अरग देने के लिए घाट/सरोवर की ओर चल देते है ! जल में खड़े होकर सूर्य देव की आराधना करने को स्थानीय भाषा में अरग देना कहा जाता है ! सभी छठव्रती जल में खड़े होकर सामूहिक रूप से अरग देते है ! सूर्य देव को दूध और जल का अरग दिया जाता है जबकि छठी मैया की फलों से भरे सूप से पूजा की जाती है ! इस तरह से घाट में काफ़ी देर तक खड़े होकर डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है ! जब सूर्य डूब जाता है तो व्रती घाट से बाहर आ जाते है, और अपना-2 पूजा का सामान लेकर वापस अपने घरों को लौट जाते है ! छठ पूजा के दौरान पूजा-स्थल पर मेले जैसा माहौल होता है, बच्चे पटाखे जलाकर हर्षोल्लास मनाते है !
अगले दिन सुबह सभी व्रती वहीं पुन: एकत्रित होते है जहाँ पिछले दिन सूर्यास्त पर उन्होने अरग दिया था ! यहाँ घाट में काफ़ी देर तक हाथ जोड़कर खड़े होकर सूर्योदय की प्रतीक्षा की जाती है और सूर्योदय होने पर पिछली शाम की तरह फिर से अरग दिया जाता है ! अरग देने के दौरान व्रती अपने सगे-संबंधियों और परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और मनवांछित फल प्राप्ति की कामना करते है ! अरग देने के पश्चात छठी मैया का प्रसाद ग्रहण करके इस व्रत का समापन किया जाता है ! पूजा के दौरान सूप में रखे प्रसाद को टोकरी में रखे प्रसाद में मिला लिया जाता है और उसके पश्चात इस प्रसाद का वितरण कर दिया जाता है ! हिंदू धर्म के अनुसार छठ पर्व के बाद नववर्ष पर हमारे त्योहार फिर से शुरू होते है ! पिछली दीपावली के बाद मैने भी इस वर्ष छठ पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया, इस लेख के माध्यम से छठ पर्व के कुछ चित्र भी आप लोगों से साझा कर रहा हूँ ! इस वर्ष भी घर में इस पर्व की तैयारी बड़े जोर-शोर से चल रही है ! इसके साथ ही ये लेख भी यहीं समाप्त करता हूँ जल्द ही किसी यात्रा लेख के माध्यम से मुलाकात होगी !
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घाट के चारों ओर जमा श्रधालु (A ghat of Chath) |
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श्रधालुओं के बैठने के लिए पंडाल (A Pandal decorated for Chath) |
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पंडाल में मुख्य अतिथि दीपक मंगला का स्वागत करते आयोजक |
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श्रधालुओं से भरा घाट (A ghat of Chath) |
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मैं अपने बेटे शौर्य के साथ पूजा स्थल की ओर जाते हुए |
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संध्या समय सूर्य देव को अरग देने की तैयारी में |
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सुबह के समय घाट का एक दृश्य (A view of ghat in the Morning) |
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मेरे बड़े भ्राता बेटे कार्तिक के साथ |
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घाट के पास रखा प्रसाद का सामान |
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घाट के पास रखा प्रसाद का सामान |
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घाट में खड़े होकर सूर्य देव की आराधना करते व्रती |
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सुबह घाट किनारे का एक दृश्य |
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पूजा सामग्री |
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घाट किनारे रखी पूजा सामग्री |
समाप्त...
very interesting post and beautiful pics Pradeep ji....thanks for sharing
ReplyDeleteThank you Pratima ji for this appreciation...
Deleteबहुत ही बढ़िया और विस्तृत जानकारी छठ की भाई...
Deleteधन्यवाद प्रतीक भाई !
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