दिल्ली से नैनीताल की एक सड़क यात्रा (A Road Trip from Delhi to Nainital)

आज मैं आपको उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित एक पर्वतीय नगर नैनीताल की यात्रा पर लेकर चलने वाला हूँ ! नैनीताल का नाम तो आप सबने ही सुना होगा, बहुत से लोग घूम भी चुके होंगे ! फिर भी जो लोग नैनीताल नहीं घूमे और घूमने जाने की योजना बना रहे है उनके लिए ये लेख काफ़ी लाभप्रद होगा ! नैनीताल उत्तराखंड में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, नैनी झील के लिए मशहूर नैनीताल में और भी कई झीलें है ! समुद्र तल से 2084 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ये शहर अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में काफ़ी लोकप्रिय है ! हर साल यहाँ लाखों सैलानी घूमने के लिए आते है, नव-विवाहित जोड़े भी अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने के लिए यहाँ बहुतायत में आते है ! वैसे तो मेरा नैनीताल जाने का विचार काफ़ी समय से बन रहा था पर हर बार कुछ अवांछित कारणों से मैं इस यात्रा को टालता आ रहा था ! आख़िरकार ऐसा कब तक चलता कभी ना कभी तो नैनीताल जाना ही था तो सोचा कि क्यों ना ये यात्रा कर ही ली जाए ! दीवाली के बाद तो तीज-त्योहार भी लगभग ख़त्म ही हो गए थे और पिछली किसी यात्रा पर गए हुए भी काफ़ी समय हो गया था ! 

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डासना टोल के पास लिया गया एक चित्र (Dasna Toll Plaza)
आख़िरकार छठ पर्व मनाने के बाद नवम्बर के प्रथम सप्ताह में इस यात्रा पर जाना निर्धारित हुआ ! पारिवारिक यात्रा होने के कारण मुझे सारी तैयारियाँ समय रहते ही करनी थी, इसलिए यात्रा शुरू करने से पहले ही नैनीताल के निकट नौकूचियाताल में एक होटल स्प्रिंग बर्ड्स में अपने रुकने के लिए कमरा आरक्षित करवा लिया ! वैसे अकेला होने पर तो मैं अपने गंतव्य पर पहुँचने के बाद ही अपने रुकने का प्रबंध करता हूँ, लेकिन परिवार संग जाने पर अगर कुछ तैयारियाँ पहले से ही कर ली जाए तो सफ़र थोड़ा आसान हो जाता है ! शुक्रवार रात्रि दफ़्तर से आने के बाद मैने अपने साथ ले जाने का सारा समान तैयार किया और सुबह 4 बजे का अलार्म लगाकर सो गया ! सुबह समय से उठकर नित्य-क्रम से निबटने के बाद 5 बजकर 20 मिनट पर हम इस यात्रा पर जाने के लिए तैयार खड़े थे ! इस यात्रा पर मैं, मेरी पत्नी अर्चना और मेरा पुत्र शौर्य जा रहे थे ! ये सफ़र हम लोग अपनी गाड़ी से ही करने वाले थे और इस पूरी यात्रा के दौरान मैं अकेला ही गाड़ी चलाने वाला था !

सुबह जब घर से निकले तो मौसम में ठंडक महसूस हुई, आख़िरकार नवंबर की शुरुआत जो हो चुकी थी तो मौसम में ठंड बढ़ना तो लाजिमी था, पर ये ठंडक बस सुबह तक ही सीमित थी क्योंकि दिन का मौसम तो अभी भी गरम ही था ! भोर में यात्रा करने का भी अपना एक अलग ही मज़ा है और इसके कई फ़ायदे भी है ! एक तो सुबह का ठंडा मौसम और प्रदूषण रहित ठंडी हवाएँ पूरे शरीर में एक गजब की उर्जा भर देती है ! इसलिए सफ़र की शुरुआत करते ही यात्रा का जोश भी दुगुना हो जाता है ! दूसरा सुबह-2 का समय होने के कारण सड़क पर ज़्यादा यातायात भी नहीं होता ! यातायात कम होने के कारण हमारी गाड़ी भी सरपट दौड़ रही थी, जिसके परिणामस्वरूप 6 बजे से पहले ही हम लोग फरीदाबाद पार करते हुए बदरपुर टोल प्लाज़ा पहुँच चुके थे ! यहाँ पर 25 रुपए का शुल्क चुकाकर दिल्ली में प्रवेश किया ! इस टोल से निकलते ही चार किलोमीटर लंबा एक पुल है जो आली गाँव की लाल बत्ती पर जाकर ख़त्म होता है ! इस पुल पर चढ़ते ही गाड़ियाँ बहुत रफ़्तार से दौड़ती है पर लाल बत्ती पर पहुँचते ही गाड़ियों की रफ़्तार अपने आप ही कम हो जाती है !

वैसे तो इस पुल के बन जाने से आवागमन में काफ़ी सुधार हो गया है पर अगर इस पुल को थोड़ा और आगे ले जाकर ख़त्म किया जाता तो शायद लोगों को इसका ज़्यादा फ़ायदा मिलता ! मेरा ये सब बताने का मकसद ये था कि इतना पैसा खर्च करके इस पुल का निर्माण किया गया पर यातायात के हालात जस के तस ही रहे ! इस पुल का निर्माण होने से बस बदरपुर के यातायात को यहाँ से हटाकर आली गाँव की लाल बत्ती पर खिसका दिया गया है ! हालाँकि, इस समय तो लाल बत्ती के बाद भी ज़्यादा यातायात नहीं था, पर दिन में यहाँ अक्सर जाम की समस्या बनी रहती है ! दिल्ली में प्रवेश करते ही सरिता विहार में एक पेट्रोल पंप से अपनी गाड़ी की टंकी भरवा ली, ताकि इस सफ़र के दौरान कोई दिक्कत ना हो ! फिर कलिन्दि-कुंज होते हुए उत्तर प्रदेश के नोयडा में प्रवेश किया ! दिल्ली में किसी वजह से सीएनजी पंप बंद थे इसलिए नोयडा पहुँचने के बाद गाड़ी में गैस भी भरवा ली ! अब हमारी गाड़ी भी हमारे साथ इस सुहाने सफ़र पर चलने के लिए पूरी तरह से तैयार थी !

उत्तरांचल में प्रवेश करने के लिए हमें दिल्ली-नोयडा से होकर ही गुज़रना होता है, अपनी पिछली यात्रा के दौरान लैंसडाउन जाने के लिए भी गजरौला तक हम इसी मार्ग से गए थे ! सुबह के सात बजने वाले थे और हम लोग राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर पहुँच चुके थे ! इस राजमार्ग पर नोयडा से निकलते ही शुरुआत में तो थोड़ा जाम मिला, पर डासना टोल प्लाज़ा पार करने के बाद हमारी गाड़ी ने फिर से रफ़्तार पकड़ ली ! यहाँ सड़क भी चौड़ाई भी पीछे के मुक़ाबले अपेक्षाकृत अधिक है, इसलिए यहाँ गाड़ियाँ सरपट दौड़ती है ! इस राजमार्ग पर एक घंटा चलने के बाद गढ़मुक्तेश्वर का टोल प्लाज़ा आया, जहाँ हमें थोड़ी भीड़ मिली पर ज़्यादा समय नहीं लगा ! इस टोल के पास बंदरों ने खूब आतंक मचा रखा था ! सवा आठ बजे के आस-पास हम लोग गढ़गंगा पार कर चुके थे, फिर आधे घंटे बाद ज़ोया टोल प्लाज़ा आया और यहाँ हमें जाम की वजह से टोल प्लाज़ा पार करने में 15 मिनट लग गए ! साढ़े नौ बजे मुरादाबाद में जैसे ही प्रवेश किया, 2 किलोमीटर के अंतर पर लगातार दो टोल प्लाज़ा आए !

पूछने पर पता चला कि दोनों टोल अलग-2 और अनिवार्य है ! टोल का शुल्क अधिक नहीं था इसलिए दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर डालना उचित नहीं समझा ! इस राजमार्ग की हालत अच्छी होने के कारणं टोल अदा करते हुए एक बार भी दुख नहीं हुआ ! हालाँकि, पिछले वर्ष आगरा जाते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर 125-125 रुपए के दो टोल चुकाते हुए बहुत बुरा लगा था क्योंकि वहाँ के सड़क की हालत ऐसी नहीं है कि इतना अधिक टोल कर चुकाया जाए ! पता नहीं टोल शुल्क निर्धारित करने के लिए सरकार की क्या नीति रहती है ! अगर नैनीताल जाने के मार्ग के बारे में बात करें तो दिल्ली से मुरादाबाद होते हुए रामपुर तक तो 4 लाइन का राष्ट्रीय राजमार्ग-24 है ! रामपुर से आगे राष्ट्रीय राजमार्ग-87 है, यहाँ एक ही सड़क पर दोनों ओर का यातायात चलता है ! इस सड़क की हालत बहुत बढ़िया तो नहीं पर ठीक-ठाक है, अगर सड़क के बीच के गड्ढों को छोड़ दे तो ये मार्ग ठीक हालत में है ! ये राजमार्ग आपको रुद्रपुर-हल्द्वानि होते हुए नैनीताल ले जाता है ! 

यात्रा शुरू करने से पहले इस राजमार्ग के बारे में मुझे काफ़ी बातें सुनने को मिली थी ! अलग-2 माध्यम से मिली जानकारी के मुताबिक इस मार्ग की हालत बहुत अच्छी नहीं थी, पर अपने एक बलॉगर मित्र संदीप जाट से मिली सटीक जानकारी के अनुसार ये मार्ग ठीक था ! आज मैं इस मार्ग पर खुद यात्रा करने के बाद सभी आशंकाओं पर विराम लगाते हुए अपने सभी पाठकों को ये बताना चाहता हूँ कि इस सड़क की हालत काफ़ी अच्छी है ! अगर आप कभी अपनी गाड़ी से नैनीताल जाना चाहे तो बेझिझक इस मार्ग से जा सकते है ! मेरी अपेक्षाओं के विपरीत ये मार्ग काफ़ी अच्छा निकला और मार्ग पर गाड़ी चलाते हुए मुझे कभी भी ये एहसास नहीं हुआ कि यहाँ गाड़ी लाकर मैने कोई ग़लती की है ! दरअसल, लैंसडाउन यात्रा के बाद से ही मैं उत्तरांचल में किसी भी यात्रा पर अपनी गाड़ी लेकर जाने के पक्ष में नहीं था पर यहाँ आकर मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ ! रामपुर पार करने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग-24 बरेली को चला जाता है जबकि यहीं से बाईं ओर एक राष्ट्रीय राजमार्ग-87 है जो बिलासपुर-रुद्रपुर होते हुए हल्द्वानि को जाता है !

हम लोग राष्ट्रीय राजमार्ग-24 को छोड़कर राष्ट्रीय राजमार्ग-87 पर आ गए ! रामपुर में सड़क निर्माण का कार्य प्रगति पर था और यहाँ सड़क का विस्तार किया जा रहा था ! हम लोग अपनी बाईं ओर होटल अर्श-पैलैस के साथ से रुद्रपुर जाने वाले मार्ग पर हो लिए ! इस राजमार्ग पर लगभग डेढ़ घंटे चलने के बाद हम लोग रुद्रपुर पहुँचे, यहाँ से एक मार्ग तो सीधा निकल जाता है और दूसरा मार्ग दाईं ओर मुड़ने के बाद 100 मीटर चलकर फिर से बाईं ओर मुड़ता हुआ हल्द्वानि को जाता है ! हम लोग इसी मार्ग पर हो लिए, रुद्रपुर से हल्द्वानि जाने का मार्ग बहुत ही सुंदर और घने पेड़ों से घिरा हुआ है, सड़क के दोनों ओर उँचे-उँचे पेड़ इस मार्ग की सुंदरता में चार चाँद लगा देते है ! ये मार्ग टांडा क्षेत्र के अंदर आता है, यही मार्ग हल्द्वानि के मुख्य बाज़ार से होता हुआ काठगोदाम से आगे आपको नैनीताल ले जाएगा ! अभी तक हम लोगों का सफ़र काफ़ी अच्छा रहा था क्योंकि अपनी जानकारी के मुताबिक मैं मुरादाबाद में भारी जाम का अनुमान लगा कर चला था, पर किस्मत अच्छी होने के कारण हमें अपने इस सफ़र पर कहीं भी ज़्यादा जाम का सामना नहीं करना पड़ा ! 

रामपुर-रुद्रपुर मार्ग भी उम्मीद से काफ़ी अच्छी हालत में मिला ! हल्द्वानि पहुँचते-2 गाड़ी की गैस ख़त्म हो गई और अब ये पेट्रोल पर चलने लगी ! अब पहाड़ों पर हमें गैस तो मिलने वाली थी नहीं, इसलिए आगे का सारा सफ़र हमें पेट्रोल पर ही तय करना था ! लैंसडाउन की यात्रा से सबक लेते हुए मैने इस बार गाड़ी का पेट्रोल टैंक दिल्ली में ही पूरा भरवा लिया था ताकि सफ़र में कहीं कोई दिक्कत ना हो ! हल्द्वानि के मुख्य बाज़ार से होते हुए हम लोग अपनी बाईं ओर मुड़कर काठगोदाम पहुँचे ! काठगोदाम का रेलवे स्टेशन मुख्य सड़क से दिखाई देता है ! काठगोदाम से आगे बढ़ने पर एक पुल को पार करने के बाद पहाड़ी रास्ता शुरू हो जाता है, चारों ओर फैली हरियाली और पहाड़ों के किनारे-2 बने घुमावदार खूबसूरत रास्ते सारे सफ़र की थकान को एक पल में ही दूर कर देते है ! घने जॅंगल और हरियाली देख कर मन खुश हो गया, इसी खूबसूरती को देखने के लिए तो हम मैदानी इलाक़ों को छोड़ कर पहाड़ों की ओर बरबस खिंचे चले आते है ! पहाड़ी मार्गों पर गाड़ी चलाने का भी अपना अलग ही मज़ा है यहाँ आने के बाद तो ऐसा महसूस होता है कि ये सफ़र यूँ ही चलता रहे और ये राहें कभी ख़त्म ही ना हो ! 

काठगोदाम से नैनीताल जाने वाला मार्ग आगे जाकर दो भागो में विभाजित हो जाता है, यहाँ से दाएँ जाने वाला मार्ग तो भीमताल होते हुए नौकूचियाताल को चला जाता है, जबकि सीधा जाने वाला मार्ग नैनीताल चला जाता है ! हालाँकि, नौकूचियाताल से भी एक मार्ग भुवालि होते हुए नैनीताल को जाता है ! क्योंकि हमारा होटल नौकूचियाताल में था इसलिए मैने अपनी गाड़ी भीमताल जाने वाले मार्ग पर मोड़ दी ! ये मार्ग शुरू में तो ढलान भरा है, पर आगे जाने पर रास्ते में कई उतार-चढ़ाव है ! इस मोड़ से भीमताल की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है जबकि नैनीताल यहाँ से 29 किलोमीटर दूर है ! घुमावदार रास्तों से होते हुए लगभग आधे घंटे के सफ़र के बाद हमें अपनी सड़क के दाईं ओर एक झील दिखाई दी ! पास ही लगे एक दिशा-सूचक बोर्ड से हमें पता चला कि ये भीमताल झील है ! 


garhmukteshwar toll
गढ़मुक्तेश्वर टोल के पास का चित्र (Garhmukteshwar Toll Plaza)
NH 24
राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर लिया गया एक चित्र (A view from NH 24)
rudrapur
रुद्रपुर के पास का दृश्य (A view from Rudrapur)

क्यों जाएँ (Why to go Nainital): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो नैनीताल आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! इसके अलावा अगर आप झीलों में नौकायान का आनंद लेना चाहते है या हिमालय की ऊँची-2 चोटियों के दर्शन करना चाहते है तो भी नैनीताल का रुख़ कर सकते है !

कब जाएँ (Best time to go Nainital): 
आप नैनीताल साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में नैनीताल का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ भी कड़ाके की ठंड पड़ती है !

कैसे जाएँ (How to reach Nainital): दिल्ली से नैनीताल की दूरी महज 315 किलोमीटर है 
जिसे तय करने में आपको लगभग 6-7 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से 
नैनीताल जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-रुद्रपुर-हल्द्वानि होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप नैनीताल ट्रेन से भी जा सकते है, नैनीताल जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा है ! काठगोदाम से नैनीताल महज 23 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !  

कहाँ रुके (Where to stay in Nainital): नैनीताल उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! नौकूचियाताल झील के किनारे क्लब महिंद्रा का शानदार होटल भी है !


कहाँ खाएँ (Eating option in Nainital): नैनीताल में खाने-पीने की दुकानों की कमी नहीं है अगर आप कुमाऊँ का रुख़ कर रहे है तो यहाँ की बाल मिठाई का स्वाद ज़रूर चखें !


क्या देखें (Places to see near Nainital): 
नैनीताल में घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है नैनी झील, नौकूचियाताल, भीमताल, सातताल, खुरपा ताल, नैना देवी का मंदिर, चिड़ियाघर, नैना पीक, कैंची धाम, टिफिन टॉप, नैनीताल रोपवे, माल रोड, और ईको केव यहाँ की प्रसिद्ध जगहें है ! इसके अलावा आप नैनीताल से 45 किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर का रुख़ भी कर सकते है !

टोल शुल्क (Toll Plaza on Delhi Nainital Highway): इस राजमार्ग पर कई टोल प्लाज़ा है जिनका ब्यौरा मैं यहाँ दे रहा हूँ ! 


बदरपुर – 25 रुपए 
डासना – 15 रुपए 
गढ़मुक्तेश्वर – 45 रुपए 
ज़ोया – 55 रुपए
मुरादाबाद – 15x2 = 30 रुपए 

सभी टोल शुल्क कार के एक तरफ के है, इतना ही शुल्क वापसी में भी देना होगा !

अगले भाग में जारी…

नैनीताल यात्रा
  1. दिल्ली से नैनीताल की एक सड़क यात्रा (A Road Trip from Delhi to Nainital)
  2. भीमताल झील की सैर (A Family Trip to Bhimtal)
  3. नैनीताल का मुख्य आकर्षण नैनी झील (Boating in Naini Lake, Nainital)
  4. नैनीताल की कुछ प्राकृतिक गुफाएं (A Visit to Eco Cave in Nainital)
  5. नौ कोनों वाली नौकूचियाताल झील (Boating in Naukuchiataal Lake)
  6. नैनीताल की सातताल झील (Sattal - An Offbeat Destination in Nainital)
            Pradeep Chauhan

            घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

            5 Comments

            1. रोचक वर्णन प्रदीप भाई, साथ ही बहुत ही सरल शब्दों में ज्ञानवर्धक जानकारी भी,जिसका लाभ हर घुमक्कड़ या पर्यटक ले सकता है।बचपन से ही नैनीताल मेरी पसंदीदा सूची में रहा, पहली बार इसी रास्ते से गया था तब टांडा से बाजपुर की सड़क बहुत खराब हालत में थी कच्ची पगडंडी मात्र ही कह सकते हैं।आपके लेख को पढ़कर फिर से जाने की इच्छा जागी है,इस कार्बेट फॉल भी जरुर जायेंगे।

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            2. It was a nice experience to read this post. I think you could have gone there by rail to Kathgodam and then to Nainital by taking a cab. It would have been more comfortable journey. You can check 99CarRentals or any other local cab service provider next time you visit there.

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