रविवार, 02 नवंबर 2014
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यात्रा के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि किस तरफ हम भीमताल से निकलकर नैनीताल पहुँचे लेकिन यहाँ पार्किंग ना मिलने की वजह से वापिस जाते हुए माल रोड पर रुककर फोटो खींच रहे थे ! अब आगे, हमें माल रोड पर खड़ा देखकर एक गाइड हमसे आ टकराया, मेरी सहमति पाकर वो हमें घुमाने के लिए चल दिया ! गाइड के बताए अनुसार मैने फिर से गाड़ी मोड़ ली और उसी स्थान से होता हुआ आगे बढ़ गया जहाँ पार्किंग ना मिलने की वजह से मैं गाड़ी मोड़ कर वापिस आ गया था ! घुमावदार रास्तों से होते हुए हम लोग हिमालय दर्शन के लिए चल दिए, बीस-पच्चीस मिनट के सफ़र के बाद हम लोग पहाड़ी के सबसे उँचे हिस्से पर पहुँच गए जहाँ सैकड़ों सैलानी पहले से ही मौजूद थे ! इस जगह को लोग नैना पीक के नाम से जानते है, गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी करके जब हम लोग बाहर उतरे तो काफ़ी ठंडक महसूस हुई ! गर्म कपड़े तो हम लोग लेकर ही आए थे, इसलिए परेशानी की कोई बात नहीं थी ! ये मार्ग यहाँ से आगे भी जाता है, इसी मार्ग पर थोड़ी दूरी पर ही भगवान शिव का एक मंदिर भी है, उँची-2 पहाड़ियाँ होने के कारण सूर्य का प्रकाश भी यहाँ ठीक ढंग से नहीं आ रहा था !
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यात्रा के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि किस तरफ हम भीमताल से निकलकर नैनीताल पहुँचे लेकिन यहाँ पार्किंग ना मिलने की वजह से वापिस जाते हुए माल रोड पर रुककर फोटो खींच रहे थे ! अब आगे, हमें माल रोड पर खड़ा देखकर एक गाइड हमसे आ टकराया, मेरी सहमति पाकर वो हमें घुमाने के लिए चल दिया ! गाइड के बताए अनुसार मैने फिर से गाड़ी मोड़ ली और उसी स्थान से होता हुआ आगे बढ़ गया जहाँ पार्किंग ना मिलने की वजह से मैं गाड़ी मोड़ कर वापिस आ गया था ! घुमावदार रास्तों से होते हुए हम लोग हिमालय दर्शन के लिए चल दिए, बीस-पच्चीस मिनट के सफ़र के बाद हम लोग पहाड़ी के सबसे उँचे हिस्से पर पहुँच गए जहाँ सैकड़ों सैलानी पहले से ही मौजूद थे ! इस जगह को लोग नैना पीक के नाम से जानते है, गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी करके जब हम लोग बाहर उतरे तो काफ़ी ठंडक महसूस हुई ! गर्म कपड़े तो हम लोग लेकर ही आए थे, इसलिए परेशानी की कोई बात नहीं थी ! ये मार्ग यहाँ से आगे भी जाता है, इसी मार्ग पर थोड़ी दूरी पर ही भगवान शिव का एक मंदिर भी है, उँची-2 पहाड़ियाँ होने के कारण सूर्य का प्रकाश भी यहाँ ठीक ढंग से नहीं आ रहा था !
दूर दिखाई देते हिमालय पर्वत (A View of Himalaya Range) |
ये जगह सात हज़ार फीट की उँचाई पर थी और माल रोड के मुक़ाबले यहाँ काफ़ी ठंड थी ! नैना पीक पर सड़क के किनारे लोग जगह-2 टेलिस्कोप लगाकर खड़े थे और सैलानियों को इस टेलिस्कोप के माध्यम से 30 रुपए में दूर पहाड़ों पर स्थित 5 जगहें दिखा रहे थे ! वैसे आज मौसम साफ होने की वजह से दूर दिखाई देते बर्फ के पहाड़ बिना टेलिस्कोप के भी दिखाई दे रहे थे ! थोड़ी देर आस-पास घूमने के बाद हमने भी एक टेलिस्कोप वाले को पकड़ा और टेलिस्कोप के माध्यम से उन बरफ के पहाड़ों को देखने लगे ! उसने वहाँ से हमें मुक्तेश्वर, और रानीखेत में स्थित पहाड़ियों के अलावा कुछ अन्य पहाड़ियाँ भी दिखाई ! थोड़ी देर बाद हम लोग नैना पीक से वापस नीचे की ओर आने लगे, रास्ते में ही एक जगह है जिसे लोग मैंगो पॉइंट के नाम से जानते है ! यहाँ से नीचे देखने पर नैनी झील एक आम की आकृति में दिखाई देती है, इसलिए लोग इस जगह को मैंगो पॉइंट के नाम से जानते है ! दोपहर होने की वजह से और नैना पीक से काफ़ी नीचे होने के कारण यहाँ मैंगो पॉइंट पर काफ़ी गर्मी महसूस हो रही थी !
नैना पीक के मुक़ाबले यहाँ सैलानियों का जमावड़ा थोड़ा कम था, हमने मैंगो पॉइंट पर रुककर कुछ चित्र लिए और फिर वहीं एक स्थानीय फेरी वाले से खाने-पीने का कुछ सामान लेकर वापस अपनी गाड़ी की ओर चल दिए ! मैंगो पॉइंट देखने के बाद अब बारी थी लवर्स पॉइंट देखने की, ये जगह प्रेमी-युगलों को समर्पित है ! बीच राह पहुँच कर पता चला कि इस जगह पर आजकल काफ़ी गंदगी हो गई है, इसलिए इस जगह को देखने का विचार टाल दिया ! वहाँ लवर्स पॉइंट से आगे ले जाने के लिए कुछ घोड़े वाले भी खड़े थे और एक एल्बम के फोटो दिखा कर हमें लुभाने की कोशिश में लगे रहे ! पहाड़ी रास्तों पर शौर्य को लेकर घुड़सवारी करने का हमारा मन नहीं था हाँ अगर मैदानी इलाक़े में बच्चे संग घुड़सवारी करनी होती तो अलग बात थी ! दो जगहें छोड़ देने के बाद हम हम लोग ईको केव की ओर चल दिए, ईको-केव असल में कुछ प्राकृतिक गुफ़ाएँ है और ये गुफ़ाएँ काफ़ी संकरी तो है लेकिन रोमांच से भरपूर है ! 40-40 रुपए का प्रवेश शुल्क देने के बाद हम लोगों ने इस गुफा के मुख्य द्वार से प्रवेश किया !
अंदर जाकर पता चला कि यहाँ 4 गुफ़ाएँ है जिनके नाम क्रमश: टाइगर, पैंथर, फ्लाइंग फॉक्स और एप्स गुफा है, जिस समय हम ईको केव के प्रांगण में पहुँचे तो वहाँ काफ़ी पर्यटक मौजूद थे ! शौर्य को लेकर जब मैने टाइगर गुफा में प्रवेश किया तो रास्ता संकरा होने के कारण काफ़ी दिक्कत का सामना तो करना पड़ा लेकिन आनंद भी बहुत आया ! इस गुफा के ख़त्म होते ही अंदर से ही एक मार्ग पैंथर गुफा की ओर जाता है, इस गुफा से होते हुए हम लोग बाहर निकले ! ये गुफा भी काफ़ी संकरी और मुश्किल से भरी है, ज़मीन के अंदर और प्राकृतिक रूप से तैयार होने के कारण गुफा के अंदर बहुत ठंडक थी ! अंदर घना अंधेरा होने के कारण गुफ़ाओं की देख-रेख करने वाले लोगों ने अंदर बिजली के माध्यम से रोशनी की व्यवस्था की हुई है ताकि आगंतुकों को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो ! यहाँ की देख-रेख के लिए तैनात एक युवक से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी भी अप्रिय घटना से निबटने के लिए एक दल हमेशा तत्पर रहता है, यही दल नियमित रूप से रोज सुबह पर्यटकों के लिए गुफा खुलने से पहले जाकर गुफ़ाओं के हालात का निरीक्षण भी करता है !
इसी का परिणाम है कि पत्थर खिसकने की वजह से एक अन्य गुफा को लोहे की जाली लगाकर पर्यटकों के लिए स्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है ! पहली दो गुफ़ाओं से बाहर आने के बाद ही मुझे एहसास हो गया था अगली गुफ़ाओं में बच्चे को लेकर जाना ठीक नहीं है, इसलिए अगली दोनों गुफ़ाओं में शौर्य को ना ले जाकर हमने बारी-2 से प्रवेश किया ! चारों गुफ़ाओं में घूमने के बाद शरीर की अच्छी कसरत हो गई थी ! वहाँ कुछ लोग तो ऐसे भी दिखे जो भारी शरीर होने की वजह से इन गुफ़ाओं के अंदर जाकर घूमने के आनंद से वंचित रह गए ! वैसे यहाँ के प्रबंधक को ये जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए, क्योंकि शरीर की बनावट की वजह से बहुत से लोगों ने प्रवेश शुल्क तो अदा किया पर गुफा में प्रवेश नहीं कर पाए ! गुफा से बाहर आने के बाद हमने वहीं गुफा के बाहर मौजूद पार्क में स्थित एक दुकान से एक-2 प्याली चाय का आनंद लिया और वहाँ से नैनीताल शहर की खूबसूरती को निहारते हुए अपने कैमरे में क़ैद किया ! चाय ख़त्म करने के बाद गुफा प्रांगण से बाहर निकले और पार्किंग में खड़ी अपनी गाड़ी की ओर चल दिए !
गाइड को उसका मेहनताना देने के बाद हमने उसे माल रोड पर छोड़ दिया, पार्किंग मिल जाती तो माल रोड भी घूम लेते और नैनी झील में नौकायान का आनंद भी ले लेते ! माल रोड से बाहर निकलकर वापिस भुवालि होते हुए भीमताल की ओर चल दिए ! वैसे अगर आप नैनीताल घूमने आ रहे है तो कम से कम एक दिन तो नैनीताल में ज़रूर रुके ! मैने सुना है माल रोड के पास कुछ होटलों से नैनी झील का शानदार दृश्य दिखाई देता है ! नैनी झील में नौका का आनंद ना ले पाने का और नैनीताल के कुछ बचे हुए आकर्षण ना देख पाने का मलाल तो मन में था पर ईको केव और हिमालय दर्शन (नैना पीक और मैंगो पॉइंट) देखने के बाद कुछ हद तक आत्म संतुष्टि भी थी ! माल रोड और नैनीताल के अन्य आकर्षण देखने के लिए निकट भविष्य में एक बार फिर से नैनीताल की यात्रा की जाएगी ! वापसी में हम लोग ज़्यादा जगहों पर नहीं रुके और कम समय में ही भीमताल पहुँच गए, यहाँ पहुँचे तो हल्का-2 अंधेरा हो चुका था ! थोड़ी देर स्थानीय बाज़ार में घूमने के बाद हम लोगों ने रात्रि का भोजन किया और वापस अपने होटल की ओर चल दिए !
अंदर जाकर पता चला कि यहाँ 4 गुफ़ाएँ है जिनके नाम क्रमश: टाइगर, पैंथर, फ्लाइंग फॉक्स और एप्स गुफा है, जिस समय हम ईको केव के प्रांगण में पहुँचे तो वहाँ काफ़ी पर्यटक मौजूद थे ! शौर्य को लेकर जब मैने टाइगर गुफा में प्रवेश किया तो रास्ता संकरा होने के कारण काफ़ी दिक्कत का सामना तो करना पड़ा लेकिन आनंद भी बहुत आया ! इस गुफा के ख़त्म होते ही अंदर से ही एक मार्ग पैंथर गुफा की ओर जाता है, इस गुफा से होते हुए हम लोग बाहर निकले ! ये गुफा भी काफ़ी संकरी और मुश्किल से भरी है, ज़मीन के अंदर और प्राकृतिक रूप से तैयार होने के कारण गुफा के अंदर बहुत ठंडक थी ! अंदर घना अंधेरा होने के कारण गुफ़ाओं की देख-रेख करने वाले लोगों ने अंदर बिजली के माध्यम से रोशनी की व्यवस्था की हुई है ताकि आगंतुकों को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो ! यहाँ की देख-रेख के लिए तैनात एक युवक से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी भी अप्रिय घटना से निबटने के लिए एक दल हमेशा तत्पर रहता है, यही दल नियमित रूप से रोज सुबह पर्यटकों के लिए गुफा खुलने से पहले जाकर गुफ़ाओं के हालात का निरीक्षण भी करता है !
इसी का परिणाम है कि पत्थर खिसकने की वजह से एक अन्य गुफा को लोहे की जाली लगाकर पर्यटकों के लिए स्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है ! पहली दो गुफ़ाओं से बाहर आने के बाद ही मुझे एहसास हो गया था अगली गुफ़ाओं में बच्चे को लेकर जाना ठीक नहीं है, इसलिए अगली दोनों गुफ़ाओं में शौर्य को ना ले जाकर हमने बारी-2 से प्रवेश किया ! चारों गुफ़ाओं में घूमने के बाद शरीर की अच्छी कसरत हो गई थी ! वहाँ कुछ लोग तो ऐसे भी दिखे जो भारी शरीर होने की वजह से इन गुफ़ाओं के अंदर जाकर घूमने के आनंद से वंचित रह गए ! वैसे यहाँ के प्रबंधक को ये जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए, क्योंकि शरीर की बनावट की वजह से बहुत से लोगों ने प्रवेश शुल्क तो अदा किया पर गुफा में प्रवेश नहीं कर पाए ! गुफा से बाहर आने के बाद हमने वहीं गुफा के बाहर मौजूद पार्क में स्थित एक दुकान से एक-2 प्याली चाय का आनंद लिया और वहाँ से नैनीताल शहर की खूबसूरती को निहारते हुए अपने कैमरे में क़ैद किया ! चाय ख़त्म करने के बाद गुफा प्रांगण से बाहर निकले और पार्किंग में खड़ी अपनी गाड़ी की ओर चल दिए !
गाइड को उसका मेहनताना देने के बाद हमने उसे माल रोड पर छोड़ दिया, पार्किंग मिल जाती तो माल रोड भी घूम लेते और नैनी झील में नौकायान का आनंद भी ले लेते ! माल रोड से बाहर निकलकर वापिस भुवालि होते हुए भीमताल की ओर चल दिए ! वैसे अगर आप नैनीताल घूमने आ रहे है तो कम से कम एक दिन तो नैनीताल में ज़रूर रुके ! मैने सुना है माल रोड के पास कुछ होटलों से नैनी झील का शानदार दृश्य दिखाई देता है ! नैनी झील में नौका का आनंद ना ले पाने का और नैनीताल के कुछ बचे हुए आकर्षण ना देख पाने का मलाल तो मन में था पर ईको केव और हिमालय दर्शन (नैना पीक और मैंगो पॉइंट) देखने के बाद कुछ हद तक आत्म संतुष्टि भी थी ! माल रोड और नैनीताल के अन्य आकर्षण देखने के लिए निकट भविष्य में एक बार फिर से नैनीताल की यात्रा की जाएगी ! वापसी में हम लोग ज़्यादा जगहों पर नहीं रुके और कम समय में ही भीमताल पहुँच गए, यहाँ पहुँचे तो हल्का-2 अंधेरा हो चुका था ! थोड़ी देर स्थानीय बाज़ार में घूमने के बाद हम लोगों ने रात्रि का भोजन किया और वापस अपने होटल की ओर चल दिए !
मेरा परिवार (My Family) |
नैना पीक से वापसी का मार्ग (Way to Naina Peak) |
मैंगो पॉइंट से दिखाई देता एक दृश्य (A view from Mango Point) |
ईको केव का प्रवेश टिकट (Entry pass for Eco-Cave Park) |
गुफा का प्रवेश द्वार (Way to Cave) |
ईको केव से दिखाई देता नैनीताल (A View from Eco Cave) |
नैनीताल नौकूचियाताल मार्ग (Naukuchiatal-Nainital Road) |
नैनीताल नौकूचियाताल मार्ग (Nainital Naukuchiatal Road) |
होटल के भीतर का दृश्य |
क्यों जाएँ (Why to go Nainital): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के समीप कुछ समय बिताना चाहते है तो नैनीताल आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है ! इसके अलावा अगर आप झीलों में नौकायान का आनंद लेना चाहते है तो भी नैनीताल का रुख़ कर सकते है !
कब जाएँ (Best time to go Nainital): आप नैनीताल साल के किसी भी महीने में जा सकते है, हर मौसम में नैनीताल का अलग ही रूप दिखाई देता है ! बारिश के दिनों में यहाँ हरियाली रहती है तो सर्दियों के दिनों में यहाँ भी कड़ाके की ठंड पड़ती है !
कैसे जाएँ (How to reach Nainital): दिल्ली से नैनीताल की दूरी महज 315 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको लगभग 6-7 घंटे का समय लगेगा ! दिल्ली से नैनीताल जाने के लिए सबसे बढ़िया मार्ग मुरादाबाद-रुद्रपुर-हल्द्वानि होते हुए है ! दिल्ली से रामपुर तक शानदार 4 लेन राजमार्ग बना है और रामपुर से आगे 2 लेन राजमार्ग है ! आप नैनीताल ट्रेन से भी जा सकते है, नैनीताल जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो देश के अन्य शहरों से जुड़ा है ! काठगोदाम से नैनीताल महज 23 किलोमीटर दूर है जिसे आप टैक्सी या बस के माध्यम से तय कर सकते है ! काठगोदाम से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू हो जाता है !
कहाँ रुके (Where to stay in Nainital): नैनीताल उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रुकने के लिए बहुत होटल है ! आप अपनी सुविधा अनुसार 800 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक का होटल ले सकते है ! नौकूचियाताल झील के किनारे क्लब महिंद्रा का शानदार होटल भी है !
कहाँ खाएँ (Eating option in Nainital): नैनीताल में खाने-पीने की दुकानों की कमी नहीं है अगर आप कुमाऊँ का रुख़ कर रहे है तो यहाँ की बाल मिठाई का स्वाद ज़रूर चखें !
क्या देखें (Places to see near Nainital): नैनीताल में घूमने की जगहों की भी कमी नहीं है नैनी झील, नौकूचियाताल, भीमताल, सातताल, खुरपा ताल, नैना देवी का मंदिर, चिड़ियाघर, नैना पीक, कैंची धाम, टिफिन टॉप, नैनीताल रोपवे, माल रोड, और ईको केव यहाँ की प्रसिद्ध जगहें है ! इसके अलावा आप नैनीताल से 45 किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर का रुख़ भी कर सकते है !
अगले भाग में जारी…
नैनीताल यात्रा
- दिल्ली से नैनीताल की एक सड़क यात्रा (A Road Trip from Delhi to Nainital)
- भीमताल झील की सैर (A Family Trip to Bhimtal)
- नैनीताल का मुख्य आकर्षण नैनी झील (Boating in Naini Lake, Nainital)
- नैनीताल की कुछ प्राकृतिक गुफाएं (A Visit to Eco Cave in Nainital)
- नौ कोनों वाली नौकूचियाताल झील (Boating in Naukuchiataal Lake)
- नैनीताल की सातताल झील (Sattal - An Offbeat Destination in Nainital)
आपकी नज़रों से नैनीताल देखने में बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteजी धन्यवाद !
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