रविवार, 7 दिसंबर 2014
आजकल ज़िंदगी काफ़ी व्यस्त हो गई है, दिन भर भागा-दौड़ी करने के बाद भी काम ख़त्म ही नहीं होते ! कभी-2 तो ऐसा लगता है कि छुट्टी वाले दिन यानि शनिवार और रविवार को मैं बाकी दिनों की अपेक्षा ज़्यादा व्यस्त रहता हूँ ! अगर आपकी दिनचर्या भी कुछ ऐसी ही है तो परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, इसे ही पारिवारिक जीवन कहते है, कुछ ना कुछ काम हमेशा ही लगा रहता है ! ऐसे ही एक रविवार को मैं अपनी दिनचर्या के हिसाब से काम निबटाने में लगा हुआ था, सुबह से दोपहर हो गई, पर एक पल का भी आराम नहीं मिला ! दोपहर का भोजन करने बैठा तो दिमाग़ एकदम गरम था ! भोजन करते हुए मैं इसी सोच-विचार में लगा था कि क्यों ना 2-3 घंटे के लिए घर से कहीं दूर चला जाए ! पिछले महीने ही हितेश शर्मा से पता चला था कि मेवात के नूंह में मेडिकल कॉलेज के पास एक शिव मंदिर है, इस मंदिर के पीछे से ही एक रास्ता उपर पहाड़ी पर जाता है, जहाँ सुकून के 2-3 घंटे बिताए जा सकते है, बस उसी दिन से इस जगह पर जाने का विचार मन में चल रहा था ! सोचा आज अच्छा मौका है, दोपहर बाद वहाँ जाया जा सकता है !
आजकल ज़िंदगी काफ़ी व्यस्त हो गई है, दिन भर भागा-दौड़ी करने के बाद भी काम ख़त्म ही नहीं होते ! कभी-2 तो ऐसा लगता है कि छुट्टी वाले दिन यानि शनिवार और रविवार को मैं बाकी दिनों की अपेक्षा ज़्यादा व्यस्त रहता हूँ ! अगर आपकी दिनचर्या भी कुछ ऐसी ही है तो परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, इसे ही पारिवारिक जीवन कहते है, कुछ ना कुछ काम हमेशा ही लगा रहता है ! ऐसे ही एक रविवार को मैं अपनी दिनचर्या के हिसाब से काम निबटाने में लगा हुआ था, सुबह से दोपहर हो गई, पर एक पल का भी आराम नहीं मिला ! दोपहर का भोजन करने बैठा तो दिमाग़ एकदम गरम था ! भोजन करते हुए मैं इसी सोच-विचार में लगा था कि क्यों ना 2-3 घंटे के लिए घर से कहीं दूर चला जाए ! पिछले महीने ही हितेश शर्मा से पता चला था कि मेवात के नूंह में मेडिकल कॉलेज के पास एक शिव मंदिर है, इस मंदिर के पीछे से ही एक रास्ता उपर पहाड़ी पर जाता है, जहाँ सुकून के 2-3 घंटे बिताए जा सकते है, बस उसी दिन से इस जगह पर जाने का विचार मन में चल रहा था ! सोचा आज अच्छा मौका है, दोपहर बाद वहाँ जाया जा सकता है !
On the way to Nuh |