भगवान विष्णु को समर्पित रंगनाथ मंदिर (A Temple, Dedicated to Lord Vishnu)

इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

वृंदावन में स्थित रंगनाथ मंदिर को लोग रंगजी मंदिर के नाम से भी जानते है, इस मंदिर में आने का मेरा विचार तो सुबह प्रेम मंदिर जाने से पहले का ही था ! फिर सोचा कि रास्ते में पड़ने वाले मंदिरों से देखता हुआ चलता हूँ ताकि बाद में कोई हड़बड़ी ना रहे ! पागल बाबा मंदिर से रंगनाथ मंदिर की दूरी मात्र साढ़े तीन किलोमीटर है, जिसे तय करने में वैसे तो 10 मिनट से भी कम का समय लगता है लेकिन अगर जाम में फँस गए तो फिर बताना मुश्किल है कि कितना समय लग जाए ! मथुरा-वृंदावन मार्ग से जाने पर मंदिर तक जाने का मार्ग सीधा और काफ़ी चौड़ा है इसलिए जाम कम ही लगता है ! मंदिर तक जाने के लिए वृंदावन का बस अड्डा पार करने के बाद आपको अपने बाईं ओर मुड़ना होता है ! रंगनाथ मंदिर के खुलने का समय सुबह साढ़े 5 बजे से लेकर साढ़े दस बजे तक और फिर शाम को 4 बजे से लेकर रात्रि के 9 बजे तक है ! मंदिर में प्रवेश करने के दो द्वार है और दोनों द्वार एक जैसे ही लगते है ! मुख्य द्वार के सामने एक खुला मैदान है, जहाँ पूजा सामग्री से लेकर अन्य वस्तुओं की कुछ दुकानें है ! यहाँ गाड़ी खड़ी करने की भी पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन इसके बदले में आपको कुछ शुल्क अदा करना होता है !

rangnath temple
रंगनाथ मंदिर का प्रवेश द्वार (Entrance of Rangnath Temple)
शनिवार-रविवार को यहाँ अच्छी भीड़ रहती है, दिल्ली के आस-पास के लोगों में वृंदावन का अच्छा आकर्षण है ! जब मैं मंदिर के सामने पहुँचा तो अभी मंदिर के द्वार खुलने में 10 मिनट बाकी थे ! अपनी मोटरसाइकल एक दुकान के बाहर खड़ी करके मैने 2-4 फोटो मंदिर के बाहर के ले लिए, फिर थोड़ी देर के इंतजार के बाद ही मंदिर के द्वार खुल गए ! आगे बढ़ने से पहले कुछ जानकारी मंदिर के बारे में दे देता हूँ ! इस मंदिर का निर्माण सेठ गोविंददास और राधाकृष्ण दास द्वारा सन 1845 में शुरू करवाया गया था जो 1851 में बनकर तैयार हुआ ! मंदिर बनाने में उस समय 45 लाख रुपए खर्च हुए थे ! मंदिर के बाहरी दीवार की लंबाई 773 फीट और चौड़ाई 440 फीट है, मंदिर के अंदर एक सरोवर और एक बाग भी है ! मंदिर के अंदर 60 फीट ऊँचा और 20 फीट ज़मीन में धंसा तांबे का एक ध्वज स्तंभ लगा है, इस स्तंभ की लागत उस समय 10 हज़ार रुपए थी ! मंदिर का मुख्य द्वार 93 फीट ऊँचे मंडप से ढका हुआ है, मुख्य द्वार के ऊपर वाले भाग में झरोखे बने है जो देखने में बहुत सुंदर लगते है !

मंदिर परिसर में ही एक भवन है जिसमें भगवान का रथ रखा जाता है, लकड़ी का बना ये रथ विशालकाय है ! वर्ष में केवल एक बार चैत्र में ब्रहमोत्सव के समय ये रथ बाहर निकाला जाता है, ये ब्रहमोत्सव मेला दस दिनों के लिए लगता है ! मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश करते ही मंदिर की छत पर एक सफेद रंग का बहुमंज़िला गौपुरम बना है जिसकी ऊँचाई 31 मीटर है, गौपुरम के बाहरी भाग में सुंदर कारीगरी हुई है और इसके ऊपरी भाग में सुनहरे रंग के गुंबद बने है ! प्रवेश द्वार के अंदर बाईं ओर राधा-कृष्ण की एक प्रदर्शनी लगी है, 2 रुपए का शुल्क अदा करके आप इस प्रदर्शनी का आनंद ले सकते है ! इस प्रदर्शनी में प्रभु को गोपियों संग विभिन्न लीलाएँ करते हुए दिखाया गया है ! मंदिर के चारों ओर एक पक्का मार्ग भी बना है, इस मार्ग पर चलते हुए मंदिर की दीवारों को देखकर ऐसा लगता है जैसे आप किसी किले में घूम रहे हो ! मुख्य भवन का प्रवेश द्वार मंदिर के पश्चिमी द्वार की तरफ से है इसलिए मैं इस पक्के मार्ग से होते हुए पश्चिमी द्वार की ओर चल दिया ! 

मार्ग के बाईं ओर एक गैलरी बनी है जहाँ एक लाइन से काफ़ी कमरे बने हुए है जो निश्चित तौर पर मंदिर के पुजारियों और अन्य सेवादारों के लिए बनाए गए है ! आज यहाँ एक सरकारी स्कूल के कुछ विद्यार्थी अपने शिक्षकों संग दर्शन हेतु आए हुए थे, जो मुझसे आगे ही चल रहे थे ! गलियारे के ख़त्म होते ही सामने एक कुंड है, जिसके चारों तरफ खूबसूरत चबूतरे बने हुए है ! कुंड से थोड़ा आगे बढ़ने पर मंदिर के पश्चिमी द्वार है और यहीं मुख्य भवन का प्रवेश द्वार भी है ! प्रवेश द्वार के ठीक सामने एक बरामदा बना है जहाँ लोगों के बैठने की व्यवस्था है ! बरामदे में ऊँचे-2 स्तंभ लगे है जिन पर खूब सुंदर कारीगरी की गई है, इस समय बहुत से लोग यहाँ मंदिर के द्वार खुलने की प्रतीक्षा कर रहे थे ! मंदिर का द्वार खुलते ही अंदर जाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, मुझे कोई जल्दबाज़ी नहीं थी इसलिए मैं भीड़ छँटने का इंतजार करने लगा ! थोड़ी देर में जब भीड़ कम हो गई तो मैने अंदर प्रवेश किया, अंदर जाते ही खूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है, सामने ही तांबे का ध्वज स्तंभ लगा है ! इस स्तंभ के चारों ओर रेलिंग लगाई गई है वरना पता चला की यहाँ भी लोग स्तंभ पर लटक-2 कर फोटो खिंचवाने में लगे है !

इस मंदिर के अलग-2 हिस्सों में कई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रखी गई है, लोग बारी-2 से हर भाग में जाते है और दर्शन करते है ! वैसे यहाँ हमेशा भीड़ की स्थिति बनी ही रहती है, फिर भी लोग आपसी सामंजस्य से प्रभु के दर्शन कर ही लेते है ! तांबे के स्तंभ से आगे बढ़ते ही मुख्य भवन में जाने के लिए कुछ सीढ़ियाँ बनी है जो एक बरामदे से होकर मुख्य भवन तक जाती है ! भगवान की मूर्ति के आगे ही पुजारी बैठते है और लोग द्वार के सामने वाले बरामदे में खड़े होकर पूजा में शामिल होते है ! बताने की ज़रूरत नहीं कि यहाँ भी मुख्य भवन में फोटो खींचने पर मनाही है पर फिर भी कुछ लोग चोरी-छुपे फोटो खींचते मिल जाएँगे ! ध्वज स्तंभ से आगे बढ़ने पर मैने अपना कैमरा बंद करके अपने बैग में रख लिया, कतार में खड़े होकर मैने दर्शन किए और फिर दर्शन के लिए मंदिर परिसर में दूसरे भवन की ओर चल दिया ! दर्शन उपरांत मैं मंदिर के चारों तरफ बने मार्ग से होता हुआ मंदिर के बाहर की ओर चल दिया जहाँ मेरी मोटरसाइकल खड़ी थी ! अभी अंधेरा नहीं हुआ था इसलिए अभी भी मेरे पास कुछ और मंदिर देखने का अवसर था ! मंदिर से बाहर आकर अपनी मोटरसाइकल चालू की और मथुरा-वृंदावन मार्ग पर जाने के लिए चल दिया !

rangnath temple entry
मंदिर का ऊपरी भाग (Upper Portion of Temple)
मंदिर के अंदर बना गौपुरम
leela darshan
राधा-कृष्ण के लीला दर्शन 
गलियारे के साथ बने कमरे
गलियारे के साथ बने कमरे
कुंड के किनारे बना चबूतरा
कुंड के किनारे बना चबूतरा
rangnath temple premises
प्रवेश द्वार के सामने वाला बरामदा
मंदिर परिसर में लगा तांबे का स्तंभ
मंदिर परिसर में लगा तांबे का स्तंभ
मंदिर के बाहर की दीवार
क्यों जाएँ (Why to go Vrindavan): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर धार्मिक नगरी की तलाश में है तो वृंदावन आपके लिए उपयुक्त स्थान है यहाँ भगवान कृष्ण को समर्पित इतने मंदिर है कि आप घूमते-2 थक जाओगे पर यहाँ के मंदिर ख़त्म नहीं होंगे ! वृंदावन के तो कण-2 में कृष्ण भगवान से जुड़ी यादें है, क्योंकि उनका बचपन यहीं ब्रज में ही गुजरा ! कृष्ण भक्तों के लिए इससे उत्तम स्थान पूरी दुनिया में शायद ही कहीं हो !

कब जाएँ (Best time to go Vrindavan): 
वृंदावन आप साल के किसी भी महीने में किसी भी दिन आ सकते है बस यहाँ के मंदिरों के खुलने और बंद होने का एक निर्धारित समय है अधिकतर मंदिर दोपहर 12 बजे के आस पास बंद हो जाते है ! फिर शाम को 5 बजे खुलते है, इसलिए जब भी वृंदावन आना हो, समय का ज़रूर ध्यान रखें ! 

कैसे जाएँ (How to reach Vrindavan): वृंदावन आने का सबसे बढ़िया और सस्ता साधन रेल मार्ग से है, मथुरा यहाँ का सबसे नज़दीकी बड़ा रेलवे स्टेशन है जो देश के अन्य शहरों से रेल मार्ग से बढ़िया से जुड़ा है ! मथुरा से वृंदावन की दूरी महज 15 किलोमीटर है, रेलवे स्टेशन के बाहर से वृंदावन आने के लिए आपको तमाम साधन मिल जाएँगे ! अगर आप दिल्ली से सड़क मार्ग से वृंदावन आना चाहे तो यमुना एक्सप्रेस वे से होते हुए आ सकते है ! दिल्ली से वृंदावन की कुल दूरी 185 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको ढाई से तीन घंटे का समय लगेगा !

कहाँ रुके (Where to stay in Vrindavan): वृंदावन एक प्रसिद्ध धार्मिक शहर है यहाँ रोजाना दर्शन के लिए हज़ारों यात्री आते है ! लोगों के रुकने के लिए यहाँ तमाम धर्मशालाएँ और होटल है ! आप अपनी सहूलियत के हिसाब से 500 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक के होटल ले सकते है !


कहाँ खाएँ (Eating option in Vrindavan): वृंदावन में अच्छा ख़ासा बाज़ार है जहाँ आपको खाने-पीने के तमाम विकल्प मिल जाएँगे ! मथुरा के पेड़े तो दुनिया भर में मशहूर है अगर आप वृंदावन आ रहे है तो यहाँ के पेड़ों के अलावा कचोरियों का स्वाद भी ज़रूर चखें !

क्या देखें (Places to see in Vrindavan): ये तो मैं आपको बता ही चुका हूँ कि वृंदावन भगवान कृष्ण की नगरी है यहाँ घूमने के लिए अनगिनत मंदिर है ! फिर भी कुछ मंदिर है जो यहाँ आने वाले लोगों में ख़ासे लोकप्रिय है जिनमें से कुछ है बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, बिरला मंदिर, जयपुर मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि, माँ वैष्णो देवी मंदिर, रंगनाथ मंदिर और गोविंद देव मंदिर !

अगले भाग में जारी...

वृंदावन यात्रा
  1. वृंदावन के प्रेम मंदिर में बिताए कुछ पल (An Hour Spent in Prem Mandir, Vrindavan)
  2. वृंदावन के जयपुर मंदिर की एक झलक (A View of Jaipur Temple in Vrindavan)
  3. वृंदावन का खूबसूरत बिरला मंदिर (Birla Temple of Vrindavan)
  4. श्रीकृष्ण जन्मभूमि और द्वारकाधीश मंदिर (Shri Krishna Janmbhoomi and Dwarkadheesh Temple, Mathura)
  5. वृंदावन का पागल बाबा मंदिर (Pagal Baba Temple of Vrindavan)
  6. भगवान विष्णु को समर्पित रंगनाथ मंदिर (A Temple, Dedicated to Lord Vishnu)
  7. हिंदू-मुस्लिम शिल्पकला का प्रतीक - गोविंद देव मंदिर (Beauty of Govind Dev Temple, Vrindavan)
  8. माँ वैष्णो देवी धाम – वृंदावन (Maa Vaishno Devi Temple, Vrindavan)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

6 Comments

  1. nice place and good description :)

    ReplyDelete
  2. Nice log....
    lekin bhai vo tambe ka piller nahee hai.. use garud satambh kahte hain jo chandan ki ladki ka bana hota hai or uske upar gold ki 1 moti parat hoti hai. Please correct it in your blog.

    Entry gate k samne wala baramda k aage Hanuman Ji ka mandir hai (Kale hanuman).

    ReplyDelete
  3. Bhai Mandir me dubara chala ja or main pujari se pooch le vaha ka itihas, vo sab bata dega.

    ReplyDelete
  4. ज्ञानवर्धक जानकारी ,सुंदर चित्र |

    ReplyDelete
Previous Post Next Post