वृंदावन का खूबसूरत बिरला मंदिर (Birla Temple of Vrindavan)

इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

मेरे पिछले लेखों के माध्यम से आपने प्रेम मंदिर और जयपुर मंदिर के दर्शन किए थे ! जयपुर मंदिर से निकलकर मैं थोड़ी देर में ही मथुरा-वृंदावन मार्ग पर पहुँच गया, ये मार्ग मंदिर से 60 मीटर की दूरी पर है और मंदिर के बाहरी द्वार से दिखाई भी देता है ! इस मार्ग पर पहुँचते ही मैं अपनी दाईं ओर मुड़कर मथुरा की ओर चल दिया, बाईं ओर जाने वाला मार्ग वृंदावन जाता है इसी मार्ग पर रंगनाथ मंदिर भी है ! मथुरा की ओर जाने वाले मार्ग पर थोड़ी दूर जाने पर सड़क के बार्ईं तरफ ही पागल बाबा का मंदिर है, ऊँचा होने के कारण काफ़ी दूर से ही ये मंदिर दिखाई देता है ! फिर इसी मार्ग पर और आगे बढ़ने पर सड़क के दाईं ओर ही बिरला मंदिर भी आता है ! प्रेम मंदिर से आने पर आपको पुल से उतरकर तिराहे से दाएँ मुड़ना होता है, इस तिराहे से बिरला मंदिर की दूरी लगभग 4 किलोमीटर है जबकि जयपुर मंदिर यहाँ से 6 किलोमीटर दूर है ! 

temple entrance
मंदिर का प्रवेश द्वार (Main Entrance of Birla Temple)
पागल बाबा का मंदिर भी इस तिराहे से दाएँ मुड़कर आधा किलोमीटर चलने पर ही है ! जिस समय मैं इस मंदिर के सामने से निकला ये बंद था इसलिए इस मंदिर के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन मैं अगले लेख में करूँगा ! फिलहाल बिरला मंदिर की ओर चलते है, क्योंकि इस मंदिर का भी वृंदावन में अपना अलग महत्व है ! यहाँ भी प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है ! बिरला मंदिर के सामने सड़क के दोनों ओर मंदिर की रंग-बिरंगी इमारतें आपको दिखाई देंगी ! दरअसल, वृंदावन से आने पर सड़क के दाईं ओर तो मुख्य मंदिर है जबकि बाईं ओर इस मंदिर की धर्मशाला है, जहाँ यात्रियों के रुकने की व्यवस्था है ! इस मंदिर के खुलने और बंद होने का भी एक नियत समय है, इसी दौरान आप मुख्य भवन में जाकर भगवान के दर्शन कर सकते है ! सुबह 5 बजे खुलकर ये मंदिर दोपहर 12 बजे बंद हो जाता है फिर दोपहर 2 बजे खुलकर रात साढ़े आठ बजे तक मंदिर के द्वार खुले ही रहते है ! 

वैसे तो बाकी समय में भी यहाँ काफ़ी लोग आते है पर प्रभु के दर्शन ऊपर बताए गए समय पर ही हो सकते है ! इस मंदिर में अन्य मंदिरों की तरह ज़्यादा भीड़ नहीं होती इसलिए आराम से दर्शन हो जाते है ! प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण जुगल किशोर बिरला ने सन 1946 में अपने माता-पिता की याद में करवाया था ! मंदिर के बाहर पहुँचकर मैने अपनी मोटरसाइकल खड़ी की और मुख्य द्वार से मंदिर परिसर में प्रवेश किया ! मुख्य द्वार से थोड़ा आगे बढ़ते ही मंदिर परिसर में आपके दोनों ओर दुकानें है, जहाँ पूजा-पाठ से संबंधित सारा सामान मिलता है ! फिर चाहे वो भगवान की मूर्तियाँ हो, आरती संग्रह, मालाएँ, भजन यंत्र या बच्चों के खेलने-कूदने का सामान, सबकुछ यहाँ मिलता है ! वैसे ये दुकानें तो सारा दिन ही खुली रहती है क्योंकि मंदिर खुला हो या बंद, लोग यहाँ आते ही रहते है ! मुख्य भवन के बगल से एक पक्का रास्ता मंदिर के पीछे तक जाता है, एक बड़े मैदान के बीचों-बीच ये मंदिर बना है !

मंदिर के मुख्य भवन के आस-पास कुछ दूसरे भवन और कलाकृतियाँ भी है, जिसमें गीता स्तंभ और दक्षिण मुखी हनुमान जी का मंदिर प्रमुख है ! मंदिर परिसर में एक बड़े पीपल के पेड़ के अलावा अन्य छोटे-बड़े पेड़-पौधे भी है ! मंदिर में प्रवेश करते ही मैने दुकान के पास वाले कोने में अपने जूते उतार दिए और आगे बढ़ गया ! मुख्य भवन का द्वार खुलने में अभी समय था इस दौरान मैं मंदिर परिसर में बनी दूसरी कलाकृतियों को देख लेना चाहता था ताकि जब मुख्य भवन का द्वार खुले तो मैं जल्दी से दर्शन करके वापसी की राह पकड़ सकूँ ! इसी उम्मीद के साथ मैं मंदिर का चक्कर लगाने के लिए मंदिर के बगल वाले मार्ग पर चल दिया ! इस मार्ग से जाते हुए मैने मंदिर परिसर में जगह-2 बैठे हुए लोगों को देखा जो शायद मंदिर के खुलने की प्रतीक्षा कर रहे थे ! 

पक्के मार्ग पर चलकर मंदिर के पिछले हिस्से से होता हुआ मैं गीता स्तंभ तक पहुँच गया, इस स्तंभ के एक तरफ मुख्य भवन है जबकि दूसरी तरफ़ दक्षिण मुखी हनुमान जी का मंदिर ! गीता स्तंभ का निर्माण राजा बलदेवदास बिरला ने करवाया था, इस स्तंभ के ऊपरी भाग में संपूर्ण गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक अंकित है जबकि स्तंभ के निचले भाग में वेदों और उपनिषदों से संबंधित जानकारी दी गई है ! स्तंभ को बनाने में लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है और स्तंभ के निचले भाग में महाभारत के युद्ध का चित्रण भी किया गया है ! इसी स्तंभ के पास एक रथ भी बना हुआ है जिस पर भगवत गीता और एक शंख की आकृति बनी हुई है !

हर साल गीता जयंती के अवसर पर यहाँ एक बहुत बड़े उत्सव का आयोजन होता है जिसे लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते है, इस दौरान यहाँ काफ़ी चहल-पहल रहती है ! गीता स्तंभ से आगे बढ़ने पर एक ऊँची इमारत है, जो दक्षिण मुखी हनुमान जी का मंदिर है ! इस मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में होने के कारण इसका नाम दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर पड़ा ! मंदिर परिसर की सभी इमारतें एक पक्के मार्ग से जुड़ी हुई है, मार्ग के दोनों ओर मैदान में घास लगी है ! वैसे ये मंदिर अपने रंग-रूप के कारण दूर से ही नज़र में आ जाता है, पूरे भारत में जितने भी बिरला मंदिर है उन सबका निर्माण बिरला ग्रुप ने करवाया है और इन सबका रंग-रूप भी एक जैसा ही है ! मुख्य भवन के साथ-2 दक्षिण मुखी हनुमान जी का मंदिर भी अभी बंद ही था ! 

मुख्य भवन की बात करे तो इस मंदिर में श्री राधा-कृष्ण जी की मूर्ति स्थापित है, इस मूर्ति के बाईं तरफ भगवान विष्णु और दाईं तरफ सीता-राम जी की मूर्तियाँ है ! मुख्य भवन का नज़ारा देखने में बहुत सुंदर लगता है लेकिन यहाँ अंदर फोटो खींचने पर मनाही है, इसलिए इस सुंदरता को आप लोगों को नहीं दिखा पा रहा ! मुख्य भवन में लोगों के बैठने की भी उचित व्यवस्था है, लोग यहाँ घंटो बैठ कर प्रभु भक्ति में लीन रहते है ! मुख्य भवन में बना हॉल वैसे तो ज़्यादा बड़ा नहीं है लेकिन फिर भी एक समय में 100 से अधिक लोग इस हाल में बैठ सकते है ! मंदिर के अंदर की मूर्तियाँ हर समय प्रकाशमान रहती है और हाल के अंदर ऊपरी भाग में भी अच्छी सजावट की गई है ! 

पूरे मंदिर का चक्कर लगाने के बाद मैं वापिस मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुँच गया, यहाँ थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मुख्य भवन का द्वार खुल गया ! लोग बारी-2 से दर्शन के लिए अंदर जाने लगे, थोड़ी देर बाद मैं भी अंदर गया, हाल में बैठकर थोड़ी देर प्रार्थना की और फिर मुख्य भवन से बाहर निकलकर दक्षिण मुखी हनुमान जी के दर्शन को चल दिया ! इस समय हनुमान जी के मंदिर में थोड़ी भीड़ हो गई थी, फिर भी आराम से दर्शन हो गए ! दर्शन के उपरांत मैं सीधे मंदिर के निकास द्वार की ओर चल दिया, यहाँ अपने जूते पहने और मंदिर से बाहर आ गया ! काफ़ी समय हो गया था और अब भूख भी लगने लगी थी, यहीं मंदिर के बाहर एक फेरी वाले से खाने का सामान लेकर पेट पूजा की और आगे की योजना बनाने लगा ! यहाँ से निकलने के बाद मेरा विचार श्री कृष्ण जन्मभूमि देखने जाने का था जिसका वर्णन में अगले लेख में करूँगा !

temple entrance
मुख्य भवन का प्रवेश द्वार (Birla Temple Entrance)
मंदिर परिसर में पीपल का वृक्ष
birla temple vrindavan
बिरला मंदिर का एक और दृश्य (Side View of Birla Temple)
temple top view

birla temple
Birla Temple in Vrindavan
बिरला मंदिर का पिछला द्वार

geeta pillar
गीता स्तंभ (Geeta Stambh)

गीता स्तंभ से दिखाई देता मंदिर
गीता स्तंभ की चारदीवारी

hanuman temple
गीता स्तंभ से दिखाई देता दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर (Lord Hanuman Temple)


रथ पर बना शंख



क्यों जाएँ (Why to go Vrindavan): अगर आप साप्ताहिक अवकाश (Weekend) पर दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर धार्मिक नगरी की तलाश में है तो वृंदावन आपके लिए उपयुक्त स्थान है यहाँ भगवान कृष्ण को समर्पित इतने मंदिर है कि आप घूमते-2 थक जाओगे पर यहाँ के मंदिर ख़त्म नहीं होंगे ! वृंदावन के तो कण-2 में कृष्ण भगवान से जुड़ी यादें है, क्योंकि उनका बचपन यहीं ब्रज में ही गुजरा ! कृष्ण भक्तों के लिए इससे उत्तम स्थान पूरी दुनिया में शायद ही कहीं हो !

कब जाएँ (Best time to go Vrindavan): 
वृंदावन आप साल के किसी भी महीने में किसी भी दिन आ सकते है बस यहाँ के मंदिरों के खुलने और बंद होने का एक निर्धारित समय है अधिकतर मंदिर दोपहर 12 बजे के आस पास बंद हो जाते है ! फिर शाम को 5 बजे खुलते है, इसलिए जब भी वृंदावन आना हो, समय का ज़रूर ध्यान रखें ! 

कैसे जाएँ (How to reach Vrindavan): वृंदावन आने का सबसे बढ़िया और सस्ता साधन रेल मार्ग से है, मथुरा यहाँ का सबसे नज़दीकी बड़ा रेलवे स्टेशन है जो देश के अन्य शहरों से रेल मार्ग से बढ़िया से जुड़ा है ! मथुरा से वृंदावन की दूरी महज 15 किलोमीटर है, रेलवे स्टेशन के बाहर से वृंदावन आने के लिए आपको तमाम साधन मिल जाएँगे ! अगर आप दिल्ली से सड़क मार्ग से वृंदावन आना चाहे तो यमुना एक्सप्रेस वे से होते हुए आ सकते है ! दिल्ली से वृंदावन की कुल दूरी 185 किलोमीटर है जिसे तय करने में आपको ढाई से तीन घंटे का समय लगेगा !

कहाँ रुके (Where to stay in Vrindavan): वृंदावन एक प्रसिद्ध धार्मिक शहर है यहाँ रोजाना दर्शन के लिए हज़ारों यात्री आते है ! लोगों के रुकने के लिए यहाँ तमाम धर्मशालाएँ और होटल है ! आप अपनी सहूलियत के हिसाब से 500 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक के होटल ले सकते है !


कहाँ खाएँ (Eating option in Vrindavan): वृंदावन में अच्छा ख़ासा बाज़ार है जहाँ आपको खाने-पीने के तमाम विकल्प मिल जाएँगे ! मथुरा के पेड़े तो दुनिया भर में मशहूर है अगर आप वृंदावन आ रहे है तो यहाँ के पेड़ों के अलावा कचोरियों का स्वाद भी ज़रूर चखें !

क्या देखें (Places to see in Vrindavan): 
ये तो मैं आपको बता ही चुका हूँ कि वृंदावन भगवान कृष्ण की नगरी है यहाँ घूमने के लिए अनगिनत मंदिर है ! फिर भी कुछ मंदिर है जो यहाँ आने वाले लोगों में ख़ासे लोकप्रिय है जिनमें से कुछ है बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, बिरला मंदिर, जयपुर मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि, माँ वैष्णो देवी मंदिर, रंगनाथ मंदिर और गोविंद देव मंदिर !

अगले भाग में जारी...

वृंदावन यात्रा
  1. वृंदावन के प्रेम मंदिर में बिताए कुछ पल (An Hour Spent in Prem Mandir, Vrindavan)
  2. वृंदावन के जयपुर मंदिर की एक झलक (A View of Jaipur Temple in Vrindavan)
  3. वृंदावन का खूबसूरत बिरला मंदिर (Birla Temple of Vrindavan)
  4. श्रीकृष्ण जन्मभूमि और द्वारकाधीश मंदिर (Shri Krishna Janmbhoomi and Dwarkadheesh Temple, Mathura)
  5. वृंदावन का पागल बाबा मंदिर (Pagal Baba Temple of Vrindavan)
  6. भगवान विष्णु को समर्पित रंगनाथ मंदिर (A Temple Dedicated to Lord Vishnu)
  7. हिंदू-मुस्लिम शिल्पकला का प्रतीक - गोविंद देव मंदिर (Beauty of Govind Dev Temple, Vrindavan)
  8. माँ वैष्णो देवी धाम – वृंदावन (Maa Vaishno Devi Temple, Vrindavan)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

7 Comments

  1. बहुत ही सुन्दर फोटुओं से सजी यात्रा ! वृतांत खूबसूरत लिखा है आपने

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद योगी जी, ये जगह भी वाकई खूबसूरत है !

      Delete
  2. सुंदर यात्रा के साथ सुंदर चित्र |

    ReplyDelete
  3. Very nice Hindus temple but toilet &wash room facilities not good &modern.🙏

    ReplyDelete
Previous Post Next Post