उदयपुर की शान - सिटी पैलैस (City Palace of Udaipur)

बुधवार, 28 दिसंबर 2011 

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यात्रा के पिछले लेख में मैं आपको पिछोला झील और रोपवे का भ्रमण करवा चुका हूँ अब आगे, रोपवे से वापस आने के बाद हम दोनों ऑटो में बैठ कर अपनी अगली मंज़िल की ओर चल दिए ! पूछने पर ऑटो वाले ने बताया कि वो हमें चिड़ियाघर लेकर जा रहा है ! मैने सोचा यार चिड़ियाघर तो हमने अपने दिल्ली में ही देख रखा है, फिर यहाँ चिड़ियाघर में जाकर क्यों समय बर्बाद करना, जितना समय हम चिड़ियाघर में बिताएँगे उतने समय में तो किसी नई जगह को घूम लेंगे ! इस पर शशांक बोला, अगर हम ऐसे ही अगर मना करते रहे तो ये तो अंत में कह देगा कि मैने 12 जगहें दिखाने को कहा था अब आपका मन ही नहीं है तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ ! बात तो ये सही थी इसलिए मैं चुप ही रहा और हम दोनों ऑटो में बैठकर चिड़ियाघर के लिए चल दिए ! थोड़ी देर बाद हम दोनों चिड़ियाघर के मुख्य दरवाजे पर पहुँच गए, ऑटो से उतरकर हमने चिड़ियाघर में प्रवेश किया ! चिड़ियाघर की टिकट खिड़की पर पहुँचकर 10 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से हमने दो टिकट खरीदे और अंदर चले गए ! 

city palace
सिटी पैलेस के अंदर (Entrance of City Palace)
प्रवेश द्वार पर लगे एक बोर्ड से हमें पता चला कि वैसे तो अंदर चिड़ियाघर में कैमरा ले जाने के लिए आपको अनुमति लेनी होती है ! अनुमति के लिए आपको एक शुल्क अदा करना होता है, पर क्योंकि प्रवेश द्वार पर सामान की चेकिंग नहीं हो रही थी इसलिए हम बिना अनुमति के ही अपने साथ ये सोचकर कैमरा अंदर ले गए कि अगर किसी ने पूछा तो कह देंगे कि हमें नहीं पता था कि अंदर कैमरा लाने के लिए अलग से शुल्क अदा करना होता है ! कैमरा अंदर ले जाने के बावजूद ये ज़्यादा काम नहीं आया, क्योंकि जिन जानवरों को देखने की तमन्ना से हम यहाँ आए थे, उनमें से अधिकतर जानवर तो सर्दी की वजह से अपने-2 घरों में घुसे हुए थे ! फिर चाहे वो शेर हो, तेंदुआ या भालू, सब सर्दी की मार से बचने की कोशिश में थे ! हाँ बंदर, बड़ी बतख और लोमड़ी ज़रूर अपना भोजन खाते हुए चहलकदमी कर रहे थे, कुछ मगरमच्छ भी पानी से बाहर निकलकर धूप सेंकने में लगे थे ! जिस क्षेत्र में सारे जानवर रखे गए थे हमने उस पूरे क्षेत्र का एक चक्कर लगा लिया ! 

फिर हमने टिकट लेकर चिड़ियाघर में चलने वाली खिलौना रेल का भी आनंद लिया ! लगभग एक घंटा चिड़ियाघर में बिताने के बाद हम लोग बाहर आ गए और अपने ऑटो की ओर चल दिए ! चिड़ियाघर घूमने के बाद अगला नंबर था सिटी पैलेस जाने का, सिटी पैलेस जोकि एक महल है और इसके भीतर एक संग्रहालय भी है जहाँ उदयपुर के राजाओं के हथियार और उनके प्रयोग में आनी वाली दूसरी वस्तुएँ स्मृति स्वरूप रखी गई है ! सिटी पैलेस का प्रवेश शुल्क 200 रुपए है और पैलेस के बारे में जानकारी लेने के लिए अगर गाइड चाहिए तो उसके पैसे अलग से ! पर कहते है कि अगर आप उदयपुर आए और सिटी पैलेस ना घूमे तो समझो कि आप आधा उदयपुर भी नहीं घूमे ! हम लोग भी प्रवेश टिकट लेकर महल में दाखिल हो गए, यहाँ भी कैमरा अंदर ले जाने का शुल्क अलग से देना होता है ! कैमरे का शुल्क देने के बाद आपको एक रसीद मिल जाएगी, जिसे आप अपने कैमरे के साथ रखकर महल परिसर में खूब तस्वीरें खींच सकते है ! ये महल इतना बड़ा है कि पूरा महल ढंग से घूमने के लिए आपको कम से कम 3 से 4 घंटे चाहिए ! 

हालाँकि, समय की कमी के कारण हम लोग यहाँ 2 घंटे ही बिता पाए, पर उन 2 घंटो में भी हमने लगभग काफ़ी कुछ देख लिया ! महल का प्रवेश द्वार तो इतना बड़ा है कि इस द्वार में से कई गाड़ियाँ एक साथ निकल जाएँ ! अंदर प्रवेश करने पर आपके बाईं ओर तो गाड़ी खड़ी करने की व्यवस्था है जबकि दाईं ओर बने एक द्वार से होते हुए आप महल के भीतर पहुँच जाएँगे ! यहाँ एक बहुत बड़े हॉल में उदयपुर के सारे राजाओं के नाम उनके शासन काल के साथ एक दीवार पर अंकित है ! यहीं दाईं ओर एक कक्ष है जोकि हथियारों का संग्रहालय है, यहाँ पर उदयपुर के महाराजाओं के हथियार और दूसरी बहुमूल्य वस्तुएँ देखने के लिए उपलब्ध है ! चाहे वो पुरानी बंदूकें हो, पुराने तलवार या फिर दूसरे अश्त्र-शस्त्र ! इन हथियारों को देखकर आप उस समय की जीवन शैली का अनुमान भी लगा सकते है ! राजाओं के बारे में अन्य जानकारी भी यहाँ के दीवारों पर अंकित है, संग्रहालय से बाहर आने के बाद हॉल से होते हुए हम लोग एक सीढ़ी के माध्यम से महल के प्रथम तल पर पहुँच गए, यहाँ के झरोखों से देखने पर पिछोला झील दिखाई देती है ! 

यहाँ महल में अनगिनत ख़ुफ़िया दरवाजे है, शायद उस समय की माँग को देखते हुए बुरे समय में शत्रु से बचने के लिए इन दरवाज़ों का निर्माण करवाया गया था ! कभी-2 तो ये महल भूल-भुलैया सा लग रहा था, जहाँ से हम निकलते, घूम फिर कर फिर से वहीं आ जाते ! खैर, प्रथम तल घूमने के बाद हम दोनों एक बड़े से बरामदे में पहुँचे, एक गाइड से मिली जानकारी के अनुसार ये उस समय रानियों के घूमने का स्थान हुआ करता था ! अब पता नहीं गाइड कितना सही बता रहा था और कितना ग़लत, पर उसके कहे अनुसार हम तो केवल अनुमान ही लगा सकते है ! फिर हम दोनों महल के उस भाग में पहुँचे जहाँ पालकिनुमा सवारियाँ रखी गई है, कहते है कि पुराने समय में इन पालकियों में बैठकर रानियाँ महल के बाहर जाया करती थी ! कुछ पत्थरों को भी दरवाजे का रूप दे दिया गया था, गाइड ना बताया कि राजा ने जानबूझ कर ऐसा करवाया था ताकि रानियों को भ्रमित करके उनसे हँसी-मज़ाक कर सके ! यहाँ हमें और भी बहुत दिलचस्प बातें जानने को मिली, काफ़ी देर से हम लोग इस महल में घूम रहे थे पर महल था कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था ! 

हमने सोचा अगर महल में ही घूमते रहे तो यहीं शाम हो जाएगी और अभी तो उदयपुर में घूमने के लिए बहुत कुछ था ! उसके बाद हम दोनों महल से बाहर आ गए और ऑटो में बैठकर अगली जगह फ़तेह सागर झील जाने के लिए निकल पड़े ! सिटी पैलेस से फ़तेह सागर झील की दूरी लगभग 3 किलोमीटर होगी, इस झील पर पहुँचकर हमने ऑटो वाले का हिसाब कर दिया और उसे जाने को कह दिया ! फिर दोनों वहीं झील के किनारे-2 बने पक्के मार्ग पर टहलने लगे, यहाँ सड़क के किनारे-2 पत्थर की रेलिंग लगाई गई है, ताकि सड़क पर चलते हुए कोई झील में ना गिर जाए ! कुछ लोगों को ऊँट की सवारी करते देखा तो हमारा मन भी ऊँट की सवारी करने को हुआ ! 120 रुपए देकर हमने भी थोड़ी देर ऊँट की सवारी का आनंद लिया, फिर वापस आकर वहीं झील किनारे ही बैठ गए ! इस झील में हमें कई तरह की नौकाएँ दिखाई दी, कुछ नौकाएँ तो वैसी ही थी जिसमें हमने पिछोला झील में सवारी की थी, जबकि कुछ नौकाएँ तेज गति से चलने वाली थी, और इसमें एक बार में एक ही व्यक्ति सवारी कर सकता था ! 

इस नौका में सवारी करने का किराया 200 रुपए प्रति व्यक्ति था, जिसमें 5 मिनट के लिए बहुत तेज रफ़्तार से झील में सवारी कराई जा रही थी ! इसे यहाँ सब स्पीड बोट के नाम बुलाते है, और इस नौका में आपको खड़े होकर सवारी करनी होती है ! इस नौका में यात्रा करना बहुत रोमांचकारी लग रहा था, पर डर भी काफ़ी लग रहा था कि कहीं रफ़्तार की वजह से झील में ही ना गिर जाए ! थोड़ी देर वहीं झील किनारे बैठ कर नौकाओं को देखने के बाद हम दोनों भी नौकायान का आनंद लेने के लिए टिकट खिड़की की ओर चल दिए ! टिकट लेकर नाव की सवारी करने के लिए हम दोनों नाव की ओर चल दिए, फिर एक नाव में सवार होकर झील के दूसरे भाग में पहुँच गए, जहाँ एक उद्यान था ! यहाँ पहुँचने के बाद लगता ही नहीं है कि ये उद्यान किसी झील के मध्य में है, वापस जाने के लिए आप यहाँ से जाने वाली किसी भी नाव में बैठ सकते है ! इस उद्यान में देखने के लिए काफ़ी कुछ है इसलिए अक्सर लोग यहाँ काफ़ी समय बिताते है ! 

अब नौका वाले अपने यात्रियों की प्रतीक्षा के लिए तो बैठे नहीं रह सकते इसलिए वो यात्रियों को यहाँ छोड़कर दूसरे यात्रियों को लेने चले जाते है ! यहीं उद्यान से झील में जाता एक पैदल मार्ग भी है, ये मार्ग झील में स्थित एक होटल में जाकर ख़त्म होता है, जहाँ खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था है ! इस मार्ग पर खड़े होकर झील बहुत सुंदर दिखाई देती है ! काफ़ी समय इस उद्यान में बिताने के बाद हम दोनों वापस आकर एक नाव में बैठ गए और फिर थोड़ी देर में वापस झील से बाहर आ गए ! यहाँ कुछ स्थानीय फेरी वालों से खाने-पीने का थोड़ा सामान खरीदा और जब अंधेरा होने लगा तो वापस अपने घर की ओर चल दिए ! आज हम उदयपुर में काफ़ी घूम लिए, घर पहुँचकर रात्रि का भोजन करने के पश्चात अगले दिन की यात्रा पर चर्चा की और फिर अपने-2 बिस्तर पर आराम करने चले गए !


list of udaipur kings
सिटी पैलेस के अंदर
weapons museum
हथियारों का संग्रहालय (Museum in City Palace)
udaipur museum
Museum in City Palace, Udaipur
city palace udaipur

inside city palace

weapons udaipur
हथियारों का संग्रहालय

museum in udaipur

zoo in udaipur
चिड़ियाघर में (Zoo in Udaipur)
fateh sagar lake
फ़तेह सागर झील (Sunset at Fateh Sagar Lake, Udaipur)
view of fateh sagar
A view from Fateh Sagar Lake, Udaipur
in fateh sagar lake
झील के भीतर पैदल मार्ग
way to fateh sagar lake
झील के भीतर पैदल मार्ग
in fateh sagar lake

क्यों जाएँ (Why to go Udaipur): अगर आपको किले और महल देखना पसंद है और आप राजस्थान में नौकायान का आनंद लेना चाहते है तो उदयपुर आपके लिए एक अच्छा विकल्प है ! यहाँ उदयपुर के आस-पास देखने के लिए कई झीले है !

कब जाएँ (Best time to go Udaipur): वैसे तो आप साल के किसी भी महीने में घूमने के लिए 
उदयपुर जा सकते है लेकिन सितंबर से मार्च यहाँ घूमने जाने के लिए बढ़िया मौसम है इस समय यहाँ बढ़िया मौसम रहता है ! गर्मियों में तो यहाँ बुरा हाल रहता है और झील में नौकायान का आनंद भी ठीक से नहीं ले सकते !

कैसे जाएँ (How to reach Udaipur): दिल्ली से 
उदयपुर की दूरी लगभग 663 किलोमीटर है ! यहाँ जाने का सबसे बढ़िया साधन रेल मार्ग है दिल्ली से उदयपुर के लिए नियमित रूप से कई ट्रेने चलती है, जो शाम को दिल्ली से चलकर सुबह जल्दी ही उदयपुर पहुँचा देती है ! ट्रेन से दिल्ली से उदयपुर जाने में 12 घंटे का समय लगता है जबकि अगर आप सड़क मार्ग से जाना चाहे तो दिल्ली से उदयपुर के लिए बसें भी चलती है जो 14 से 15 घंटे का समय लेती है ! अगर आप निजी वाहन से उदयपुर जाने की योजना बना रहे है तो दिल्ली जयपुर राजमार्ग से अजमेर होते हुए उदयपुर जा सकते है निजी वाहन से आपको 11-12 घंटे का समय लगेगा ! हवाई यात्रा का मज़ा लेना चाहे तो आप सवा घंटे में ही उदयपुर पहुँच जाओगे !

कहाँ रुके (Where to stay in Udaipur): 
उदयपुर राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है यहाँ रोजाना हज़ारों देशी-विदेशी सैलानी घूमने के लिए आते है ! सैलानियों के रुकने के लिए यहाँ होटलों की भी कोई कमी नहीं है आपको 500 रुपए से लेकर 8000 रुपए तक के होटल मिल जाएँगे !

क्या देखें (Places to see in Udaipur): 
उदयपुर और इसके आस-पास देखने के लिए वैसे तो बहुत जगहें है लेकिन यहाँ के मुख्य आकर्षण सिटी पैलेस, लेक पैलेस, सहेलियों की बाड़ी, पिछोला झील, फ़तेह सागर झील, रोपवे, एकलिंगजी मंदिर, जगदीश मंदिर, जैसमंद झील, हल्दीघाटी, कुम्भलगढ़ किला, कुम्भलगढ़ वन्यजीव उद्यान, चित्तौडगढ़ किला और सज्जनगढ़ वन्य जीव उद्यान है ! इसके अलावा माउंट आबू यहाँ से 160 किलोमीटर दूर है वहाँ भी घूमने के लिए कई जगहें है !


उदयपुर - माउंट आबू यात्रा
  1. दिल्ली से उदयपुर की रेल यात्रा (A Train Trip to Udaipur)
  2. पिछोला झील में नाव की सवारी (Boating in Lake Pichhola)
  3. उदयपुर की शान - सिटी पैलैस (City Palace of Udaipur)
  4. उदयपुर से माउंट आबू की बस यात्रा (Road Trip to Mount Abu)
  5. वन्य जीव उद्यान में रोमांच से भरा एक दिन (A Day Full of Thrill in Wildlife Sanctuary)
  6. झीलों के शहर उदयपुर में आख़िरी शाम (One Day in Beautiful Jaismand Lake)
Pradeep Chauhan

घूमने का शौक आख़िर किसे नहीं होता, अक्सर लोग छुट्टियाँ मिलते ही कहीं ना कहीं घूमने जाने का विचार बनाने लगते है ! पर कुछ लोग समय के अभाव में तो कुछ लोग जानकारी के अभाव में बहुत सी अनछूई जगहें देखने से वंचित रह जाते है ! एक बार घूमते हुए ऐसे ही मन में विचार आया कि क्यूँ ना मैं अपने यात्रा अनुभव लोगों से साझा करूँ ! बस उसी दिन से अपने यात्रा विवरण को शब्दों के माध्यम से सहेजने में लगा हूँ ! घूमने जाने की इच्छा तो हमेशा रहती है, इसलिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से जैसे भी बन पड़ता है थोड़ा समय निकाल कर कहीं घूमने चला जाता हूँ ! फिलहाल मैं गुड़गाँव में एक निजी कंपनी में कार्यरत हूँ !

6 Comments

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    1. उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद शैलेन्द्र भाई !!

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  2. समय के साथ ही उदयपुर शहर का काफी विस्तार हुआ है। पर तुम्हारे 12 जगह तो हुई नहीं :)

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    1. जी बिल्कुल नहीं हुई 12 जगह, आधी जगह तो हमने मना कर दी और रही सही कसर फ़तेह सागर झील पहुँच कर पूरी हो गई जब हमने ऑटो वाले को ये कहकर भेज दिया कि बस अब हमें अपनी शाम यहीं बितानी है !

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  3. Thank you sharing the detailed description along with the pictures, perfect writing skills has been used to enhance user experience. :)

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    1. उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद पांडे जी !!

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